कैमरे में बंद अपाहिज
कवि परिचय
रघुवीर सहाय
जीवन परिचय-रघुवीर सहाय समकालीन हिंदी कविता के संवेदनशील कवि हैं। इनका जन्म लखनऊ (उ०प्र०) में सन् 1929 में हुआ था। इनकी संपूर्ण शिक्षा लखनऊ में ही हुई। वहीं से इन्होंने अंग्रेजी साहित्य में एम०ए० किया। प्रारंभ में ये पेशे से पत्रकार थे। इन्होंने प्रतीक अखबार में सहायक संपादक के रूप में काम किया। फिर ये आकाशवाणी के समाचार विभाग में रहे। कुछ समय तक हैदराबाद से निकलने वाली पत्रिका कल्पना और उसके बाद दैनिक नवभारत टाइम्स तथा दिनमान से संबद्ध रहे। साहित्य-सेवा के कारण इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनका देहावसान सन 1990 में दिल्ली में हुआ।
रचनाएँ-रघुवीर सहाय नई कविता के कवि हैं। इनकी कुछ आरंभिक कविताएँ अज्ञेय द्वारा संपादित दूसरा सप्तक (1935) में प्रकाशित हुई। इनके महत्वपूर्ण काव्य-संकलन हैं-सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, हँसो-हँसो जल्दी हँसी, लोग भूल गए हैं आदि। काव्यगत विशेषताएँ-रघुवीर सहाय ने अपने काव्य में आम आदमी की पीड़ा व्यक्त की है। ये साठोत्तरी काव्य-लेखन के सशक्त, प्रगतिशील व चेतना-संपन्न रचनाकार हैं। इन्होंने सड़क, चौराहा, दफ़्तर, अखबार, संसद, बस, रेल और बाजार की बेलौस भाषा में कविता लिखी।
घर-मोहल्ले के चरित्रों पर कविता लिखकर उन्हें हमारी चेतना का स्थायी नागरिक बनाया। हत्या-लूटपाट, राजनीतिक भ्रष्टाचार और छल-छद्म इनकी कविता में उतरकर खोजी पत्रकारिता की सनसनीखेज रपटें नहीं रह जाते, वे आत्मान्वेषण के माध्यम बन जाते हैं। इन्होंने कविता को एक कहानीपन और नाटकीय वैभव दिया। रघुवीर सहाय ने बतौर पत्रकार और कवि घटनाओं में निहित विडंबना और त्रासदी को देखा। इन्होंने छोटे की महत्ता को स्वीकारा और उन लोगों व उनके अनुभवों को अपनी रचनाओं में स्थान दिया जिन्हें समाज में हाशिए पर रखा जाता है। इन्होंने भारतीय समाज में ताकतवरों की बढ़ती हैसियत व सत्ता के खिलाफ़ भी साहित्य और पत्रकारिता के पाठकों का ध्यान खींचा।
भाषा-शैली-रघुवीर सहाय ने अधिकतर बातचीत की शैली में लिखा। ये अनावश्यक शब्दों के प्रयोग से बचते रहे हैं। भयाक्रांत अनुभव की आवेग रहित अभिव्यक्ति भी इनकी कविता की अन्यतम विशेषता है। इन्होंने कविताओं में अत्यंत साधारण तथा अनायास-सी प्रतीत होने वाली शैली में समाज की दारुण विडंबनाओं को व्यक्त किया है। साथ ही अपने काव्य में सीधी, सरल और सधी भाषा का प्रयोग किया है।
कविता का प्रतिपादय एवं सार
प्रतिपादय-कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता को ‘लोग भूल गए हैं’ काव्य-संग्रह से लिया गया है। इस कविता में कवि ने शारीरिक चुनौती को झेल रहे व्यक्ति की पीड़ा के साथ-साथ दूर-संचार माध्यमों के चरित्र को भी रेखांकित किया है। किसी की पीड़ा को दर्शक वर्ग तक पहुँचाने वाले व्यक्ति को उस पीड़ा के प्रति स्वयं संवेदनशील होने और दूसरों को संवेदनशील बनाने का दावेदार होना चाहिए। आज विडंबना यह है कि जब पीड़ा को परदे पर उभारने का प्रयास किया जाता है तो कारोबारी दबाव के तहत प्रस्तुतकर्ता का रवैया संवेदनहीन हो जाता है। यह कविता टेलीविजन स्टूडियो के भीतर की दुनिया को समाज के सामने प्रकट करती है। साथ ही उन सभी व्यक्तियों की तरफ इशारा करती है जो दुख-दर्द, यातना-वेदना आदि को बेचना चाहते हैं।
सार-इस कविता में दूरदर्शन के संचालक स्वयं को शक्तिशाली बताते हैं तथा दूसरे को कमजोर मानते हैं। वे विकलांग से पूछते हैं कि क्या आप अपाहिज हैं? आप अपाहिज क्यों हैं? आपको इससे क्या दुख होता है? ऊपर से वह दुख भी जल्दी बताइए क्योंकि समय नहीं है। प्रश्नकर्ता इन सभी प्रश्नों के उत्तर अपने हिसाब से चाहता है। इतने प्रश्नों से विकलांग घबरा जाता है। प्रश्नकर्ता अपने कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए उसे रुलाने की कोशिश करता है ताकि दर्शकों में करुणा का भाव जाग सके। इसी से उसका उद्देश्य पूरा होगा। वह इसे सामाजिक उद्देश्य कहता है, परंतु ‘परदे पर वक्त की कीमत है’ वाक्य से उसके व्यापार की प्रोल खुल जाती है।
व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सप्रसंग व्याख्या कीजिए और नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1.
हम दूरदर्शन पर बोलेंगे
हम् समर्थ शक्तिवान
हम एक दुर्बल को लाएँगे
एक बंद कमरे में
उससे पूछेंगे तो आप क्या अपाहिज हैं?
तो आप क्यों अपाहिज हैं?
आपका अपाहिजपन तो दुख देता होगा
देता है?
(कैमरा दिखाओ इसे बड़ा-बड़)
हाँ तो बताइए आपका दुख क्या हैं
जल्दी बताइए वह दुख बताइए
बता नहीं पाएगा।
शब्दार्थ-समर्थ-सक्षम। शक्तिवान-ताकतवर। दुबल-कमजोर। बंद कमरे में-टी.वी. स्टूडियो में। अपाहिज-अपंग, विकलांग। दुख-कष्ट।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ में संकलित ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ शीर्षक कविता से लिया गया है। इस कविता के रचयिता रघुवीर सहाय हैं। इस कविता में कवि ने मीडिया की संवेदनहीनता का चित्रण किया है। कवि का मानना है कि मीडिया वाले दूसरे के दुख को भी व्यापार का माध्यम बना लेते हैं।
व्याख्या-कवि मीडिया के लोगों की मानसिकता का वर्णन करता है। मीडिया के लोग स्वयं को समर्थ व शक्तिशाली मानते हैं। वे ही दूरदर्शन पर बोलते हैं। अब वे एक बंद कमरे अर्थात स्टूडियो में एक कमजोर व्यक्ति को बुलाएँगे तथा उससे प्रश्न पूछेगे। क्या आप अपाहिज हैं? यदि हैं तो आप क्यों अपाहिज हैं? क्या आपका अपाहिजपन आपको दुख देता है? ये प्रश्न इतने बेतुके हैं कि अपाहिज इनका उत्तर नहीं दे पाएगा, जिसकी वजह से वह चुप रहेगा। इस बीच प्रश्नकर्ता कैमरे वाले को निर्देश देता है कि इसको (अपाहिज को) स्क्रीन पर बड़ा-बड़ा दिखाओ। फिर उससे प्रश्न पूछा जाएगा कि आपको कष्ट क्या है? अपने दुख को जल्दी बताइए। अपाहिज इन प्रश्नों का उत्तर नहीं देगा क्योंकि ये प्रश्न उसका मजाक उड़ाते हैं।
विशेष–
- मीडिया की मानसिकता पर करारा व्यंग्य है।
- काव्यांश में नाटकीयता है।
- भाषा सहज व सरल है।
- व्यंजना शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है।
प्रश्न
(क) ‘हम दूरदर्शन पर बोलेंगे’ में आए ‘हम’ शब्द से क्या तात्पर्य हैं?
(ख) ‘हम’अपाहिज से क्या प्रश्न पूछेगा?
(ग) प्रश्न पूछने वाला अपने उद्देश्य में कितना सफल हो पाता हैं और क्यों?
(घ) प्रश्नकर्ता कैमरे वाले को क्या निर्देश देता है और क्यों?
उत्तर –
(क) दूरदर्शन पर ‘हम’ बोलेगा कि हम शक्तिशाली हैं तथा अब हम किसी कमजोर का साक्षात्कार लेंगे। यहाँ’हम’ समाज का ताकतवर मीडिया है।
(ख) जिसेप्रतापूण-क्या आ अहि है?आपाअर्जिकहैं?इस आकइबहताहण?आपाक दुख क्या है?
(ग) अपाहिज से पूछे गए प्रश्न बेतुके व निरर्थक हैं। ये अपाहिज के वजूद को झकझोरते हैं तथा उसके स्वाभिमान को ठेस पहुँचाते हैं। फलस्वरूप वह चुप हो जाता है। इस प्रकार प्रश्न पूछने वाला अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाता। उसकी असफलता का कारण यह है कि उसे अपंग व्यक्ति की व्यथा से कोई वास्ता नहीं है। वह तो अपने कार्यक्रम की लोकप्रियता बढ़ाना चाहता है।
(घ) प्रश्नकर्ता कैमरे वाले को अपंग की तस्वीर बड़ी करके दिखाने के लिए कहता है ताकि आम जनता की सहानुभूति उस व्यक्ति के साथ हो जाए और कार्यक्रम लोकप्रिय हो सके।
2.
सोचिए
बताइए
आपको अपाहिज होकर कैसा लगता हैं
कैसा
यानी कैसा लगता हैं
(हम खुद इशारे से बताएँगे कि क्या ऐसा?)
सोचिए
बताइए
थोड़ी कोशिश करिए
(यह अवसर खो देंगे?)
आप जानते हैं कि कायक्रम रोचक बनाने के वास्ते
हम पूछ-पूछकर उसको रुला देंगे
इंतजार करते हैं आप भी उसके रो पड़ने का
करते हैं
शब्दार्थ-रोचक-दिलचस्प। वास्ते-के लिए। इंतज़ार-प्रतीक्षा।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ में संकलित ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ शीर्षक कविता से लिया गया है। इस कविता के रचयिता रघुवीर सहाय हैं। इस कविता में कवि ने मीडिया की संवेदनहीनता का चित्रण किया है। कवि का कहना है कि मीडिया के लोग किसी-न-किसी तरह से दूसरे के दुख को भी व्यापार का माध्यम बना लेते हैं।
व्याख्या-इस काव्यांश में कवि कहता है कि मीडिया के लोग अपाहिज से बेतुके सवाल करते हैं। वे अपाहिज से पूछते हैं कि-अपाहिज होकर आपको कैसा लगता है? यह बात सोचकर बताइए। यदि वह नहीं बता पाता तो वे स्वयं ही उत्तर देने की कोशिश करते हैं। वे इशारे करके बताते हैं कि क्या उन्हें ऐसा महसूस होता है।
थोड़ा सोचकर और कोशिश करके बताइए। यदि आप इस समय नहीं बता पाएँगे तो सुनहरा अवसर खो देंगे। अपाहिज के पास इससे बढ़िया मौका नहीं हो सकता कि वह अपनी पीड़ा समाज के सामने रख सके। मीडिया वाले कहते हैं कि हमारा लक्ष्य अपने कार्यक्रम को रोचक बनाना है और इसके लिए हम ऐसे प्रश्न पूछेगे कि वह रोने लगेगा। वे समाज पर भी कटाक्ष करते हैं कि वे भी उसके रोने का इंतजार करते हैं। वह यह प्रश्न दर्शकों से नहीं पूछेगा।
विशेष-
- कवि ने क्षीण होती मानवीय संवेदना का चित्रण किया है।
- दूरदर्शन के कार्यक्रम निर्माताओं पर करारा व्यंग्य है।
- काव्य-रचना में नाटकीयता तथा व्यंग्य है।
- सरल एवं भावानुकूल खड़ी बोली में सहज अभिव्यक्ति है।
- अनुप्रास व प्रश्न अलंकार हैं।
- मुक्तक छंद है।
प्रश्न
(क) कवि ने दूरदर्शन के कार्यक्रम-संचालकों की किस मानसिकता को उजागर किया हैं?
(ख) संचालकों द्वारा अपाहिज को संकेत में बताने का उद्देश्य क्या हैं?
(ग) दर्शकों की मानसिकता क्या है।
(घ) दूरदर्शन वाले किस अवसर की प्रतीक्षा में रहते हैं?
उत्तर –
(क) कवि ने दूरदर्शन के कार्यक्रम-संचालकों की व्यावसायिकता पर करारा व्यंग्य किया है। वे अपाहिज के कष्ट को कम करने की बजाय उसे बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं। वे क्रूरता की तमाम हदें पार कर जाते हैं।
(ख) संचालक संकेत द्वारा अपाहिज को बताते हैं कि वह अपना दर्द इस प्रकार बताए जैसा वे चाहते हैं। यहाँ दर्द किसी का है और उसे अभिव्यक्त करने का तरीका कोई और बता रहा है। किसी भी तरह उन्हें अपना कार्यक्रम रोचक बनाना है। यही उनका एकमात्र उद्देश्य है।
(ग) दर्शकों की मानसिकता है कि वे किसी की पीड़ा के चरम रूप का आनंद लेते हैं। वे भी संवेदनहीन हो गए हैं क्योंकि उन्हें भी अपंग व्यक्ति के रोने का इंतजार रहता है।
(घ) दूरदर्शन वाले इस अवसर की प्रतीक्षा में रहते हैं कि उनके सवालों से सामने बैठा अपाहिजरो पड़े, ताकि उनका कार्यक्रम रोचक बन सके।
3.
फिर हम परदे पर दिखलाएंगे
फुल हुई आँख काँ एक बडी तसवीर
बहुत बड़ी तसवीर
और उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी
(आशा हैं आप उसे उसकी अपगता की पीड़ा मानेंगे)
एक और कोशिश
दर्शक
धीरज रखिए
देखिए
हमें दोनों को एक सा रुलाने हैं
आप और वह दोनों
(कैमरा
बस् करो
नहीं हुआ
रहने दो
परदे पर वक्त की कीमत है)
अब मुसकुराएँगे हम
आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम
(बस थोड़ी ही कसर रह गई)
धन्यवाद!
शब्दार्थ – कसमसाहट-बेचैनी । अय-गता-अपाहिजपन । धीरज-धैर्य । परदे पर-टी.वी. पर । वक्त -समय । कसर-कमी ।
प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ में संकलित ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ शीर्षक कविता से लिया गया है। इस कविता के रचयिता रघुवीर सहाय हैं। इस कविता में कवि ने मीडिया की संवेदनहीनता का चित्रण किया है। उसने यह बताने का प्रयत्न किया है कि मीडिया के लोग किस प्रकार से दूसरे के दुख को भी व्यापार का माध्यम बना लेते हैं। ”
व्याख्या-कवि कहता है कि दूरदर्शन वाले अपाहिज का मानसिक शोषण करते हैं। वे उसकी फूली हुई आँखों की तसवीर को बड़ा करके परदे पर दिखाएँगे। वे उसके होंठों पर होने वाली बेचैनी और कुछ न बोल पाने की तड़प को भी दिखाएँगे। ऐसा करके वे दर्शकों को उसकी पीड़ा बताने की कोशिश करेंगे। वे कोशिश करते हैं कि वह रोने लगे। साक्षात्कार लेने वाले दर्शकों को धैर्य धारण करने के लिए कहते हैं।
वे दर्शकों व अपाहिज दोनों को एक साथ रुलाने की कोशिश करते हैं। तभी वे निर्देश देते हैं कि अब कैमरा बंद कर दो। यदि अपाहिज अपना दर्द पूर्णत: व्यक्त न कर पाया तो कोई बात नहीं। परदे का समय बहुत महँगा है। इस कार्यक्रम के बंद होते ही दूरदर्शन में कार्यरत सभी लोग मुस्कराते हैं और यह घोषणा करते हैं कि आप सभी दर्शक सामाजिक उद्देश्य से भरपूर कार्यक्रम देख रहे थे। इसमें थोड़ी-सी कमी यह रह गई कि हम आप दोनों को एक साथ रुला नहीं पाए। फिर भी यह कार्यक्रम देखने के लिए आप सबका धन्यवाद!
विशेष-
- अपाहिज की बेचैनी तथा मीडिया व दर्शकों की संवेदनहीनता को दर्शाया गया है।
- मुक्त छंद है।
- उर्दू शब्दावली का सहज प्रयोग है।
- ‘परदे पर’ में अनुप्रास अलंकार है।
- व्यंग्यपूर्ण नाटकीयता है।
प्रश्न
(क) कार्यक्रम-संचालक परदे पर फूली हुई आँख की तसवीर क्यों दिखाना चाहता हैं?
(ख) ‘ एक और कोशिश ‘-इस पंक्ति का क्या तात्पर्य हैं?
(ग) कार्यक्रम-संचालक दोनों को एक साथ रुलाना चाहता हैं, क्यों?
(घ) संचालक किस बात पर मुस्कराता हैं? उसकी मुस्कराहट में क्या छिपा हैं?
उत्तर –
(क) कार्यक्रम-संचालक परदे पर फूली हुई आँख की बड़ी तसवीर इसलिए दिखाना चाहता है ताकि वह लोगों को उसके कष्ट के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बता सके। इससे जहाँ कार्यक्रम प्रभावी बनेगा, वहीं संचालक का वास्तविक उद्देश्य भी पूरा होगा।
(ख) ‘एक और कोशिश’ कैमरामैन व कार्यक्रम-संचालक कर रहे हैं। वे अपाहिज को रोती मुद्रा में दिखाकर अपने कार्यक्रम की लोकप्रियता बढ़ाना चाहते हैं, इस प्रकार वे अपाहिज से मनमाना व्यवहार करवाना चाहते हैं, जिसमें वे अभी तक सफल नहीं हो पाए हैं।
(ग) कार्यक्रम-संचालक अपाहिज व दर्शकों-दोनों को एक साथ रुलाना चाहता था। ऐसा करने से उसके कार्यक्रम का सामाजिक उद्देश्य पूरा हो जाता तथा कार्यक्रम भी रोचक व लोकप्रिय हो जाता।
(घ) संचालक कार्यक्रम खत्म होने पर मुस्कराता है। उसे अपने कार्यक्रम के सफल होने की खुशी है। उसे अपाहिज की पीड़ा से कुछ लेना-देना नहीं। इस मुस्कराहट में मीडिया की संवेदनहीनता छिपी है। इसमें पीड़ित के प्रति सहानुभूति नहीं, बल्कि अपने व्यापार की सफलता छिपी है।
काव्य-सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न
निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए
1.
उससे पूछेंगे तो आप क्या अपाहिज हैं?
तो आप क्यों अपाहिज हैं?
आपका अपाहिजपन तो दुख देता होगा।
देता हैं?
(कैमरा दिखाओ। इसे बड़ा-बड़ा)
हाँ तो बताइए आपका दुख क्या हैं
जल्दी बताइए वह दुख बताइए
बता नहीं पाएगा।
प्रश्न
(क) काव्यांश का भाव–सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ख) शिल्प–सौंदर्य बताइए।
(ग) काव्यांश में निहित अलंकार योजना को स्पष्ट र्काजिए।
उत्तर –
(क) इस काव्यांश में कवि ने मीडिया की हृदयहीन कार्यशैली पर व्यंग्य किया है। संचालक अपने कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए अपाहिज से ऊट-पटांग सवाल करके उसकी भावनाओं से खेलते हैं। वे उसके दुख को कुरेदना चाहते हैं, परंतु अपाहिज चुप रहता है। वह अपना मजाक नहीं उड़वाना चाहता।
(ख) इस काव्यांश में खड़ी बोली का प्रयोग है। प्रश्न-शैली से संचालकों की मानसिकता को प्रकट किया गया है। नाटकीयता है। मुक्तक छंद का प्रयोग है। कोष्ठकों का प्रयोग किया गया है।
(ग) ‘दुख देता’, आपका अपाहिजपन’ में अनुप्रास अलंकार है। ‘बड़ा-बड़ा’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। प्रश्नालंकार के प्रयोग से काव्यांश की प्रभावशीलता बढ़ गई है।
2.
फिर हम परदे पर दिखलाएँरो
फूली हुई आँख की एक बड़ी तस्वीर
बहुत बड़ी तस्वीर
और उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी
(आशा है अआप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे)
एक और कोशिश
दर्शक
धीरज रखिए
देखिए
हमें दोनों को एक संग रुलाने है
प्रश्न
(क) काव्यांश का भाव–सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ख) शिल्प–सौंदर्य बताइए।
(ग) काव्यांश का बिंब -विधान स्पष्ट र्काजिए।
उत्तर –
(क) इस काव्यांश में मीडिया की संवेदनहीनता को दर्शाया गया है। वे अपने कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए दूसरे की पीड़ा को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं। उन्हें किसी के कष्ट से कोई मतलब नहीं होता। वे कोशिश करते हैं कि दर्शकों में भी करुणा का भाव जाग्रत हो। यदि दोनों रोने लगेंगे तो उनके कार्यक्रम का व्यावसायिक उद्देश्य पूरा हो जाएगा।
(ख) ‘फूली हुई आँख की बड़ी तसवीर’ में दृश्य बिंब है। लाक्षणिकता व व्यंजना शब्द-शक्ति का चमत्कार है। कम शब्दों में अधिक बात कही गई है। ‘परदे पर’ तथा ‘बहुत बड़ी’ में अनुप्रास अलंकार है। नाटकीय शैली का प्रयोग है। खड़ी बोली में सहज अभिव्यक्ति है। मुक्त छंद है। कोष्ठक का प्रयोग भावों को स्पष्ट करता है।
(ग) काव्यांश को प्रभावपूर्ण बनाने के लिए कवि ने दो दृश्य बिंबों का विधान किया है
- ‘फूली हुई आँख की बड़ी तसवीर’
- ‘उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी।’
पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न
कविता के साथ
प्रश्न 1:
कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्टकों में रखी गइ हैं! आपकी समझ में इसका क्या औचित्य है?
उत्तर –
कविता में निम्नलिखित पंक्तियाँ कोष्ठक में दी गई हैं –
“कैमरा दिखाओ इसे बड़ा-बड़ा।”
“हम खुद इशारे से बताएँगे कि क्या ऐसा?”
“यह अवसर खो देंगे।”
“यह प्रश्न पूछा नहीं जाएगा।”
“आशा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे।”
“कैमरा बस करो …… परदे पर वक्त की कीमत है।”
“बस थोड़ी ही कसर रह गई।”
इन सभी पंक्तियों से यही अर्थ निकलता है कि मीडिया के लोगों के पास संवेदनाएँ नहीं हैं। यदि इन पंक्तियों को कवि नहीं लिखता तो कविता का मूलभाव स्पष्ट नहीं हो पाता। इसलिए कोष्ठक में दी गई इन पंक्तियों के कारण शारीरिक और मानसिक अपंगता का पता चलता है।
प्रश्न 2:
‘कैमरे में बंद अपाहिज’करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता हैं-विचार कीजिए।
उत्तर –
यह कविता अपनेपन की भावना में छिपी क्रूरता को व्यक्त करती है। सामाजिक उद्देश्यों के नाम पर अपाहिज की पीड़ा को जनता तक पहुँचाया जाता है। यह कार्य ऊपर से करुण भाव को दर्शाता है परंतु इसका वास्तविक उद्देश्य कुछ और ही होता है। संचालक अपाहिज की अपंगता बेचना चाहता है। वह एक रोचक कार्यक्रम बनाना चाहता है ताकि उसका कार्यक्रम जनता में लोकप्रिय हो सके। उसे अपंग की पीड़ा से कोई लेना-देना नहीं है। यह कविता यह बताती है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले इस प्रकार के अधिकांश कार्यक्रम कारोबारी दबाव के कारण संवेदनशील होने का दिखावा करते हैं। इस तरह दिखावटी अपनेपन की भावना क्रूरता की सीमा तक पहुँच जाती है।
प्रश्न 3:
“हम समर्थ श्यक्तिवान और हम एक दुर्बल को लाएँगे’ पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया हैं?
अथवा
कैमरे में बद अपाहिज कविता में ‘हम समर्थ शक्तिमान-हम एक दुबल को लाएँगे’ पक्तियों के माध्यम से कवि ने क्या कहना चाहा है?
उत्तर –
इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने यही व्यंग्य किया है कि मीडिया वाले समर्थ और शक्तिशाली होते हैं। इतने शक्तिशाली कि वे किसी की करुणा को परदे पर दिखाकर पैसा कमा सकते हैं। वे एक दुर्बल अर्थात् अपाहिज को लोगों के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं ताकि लोगों की सहानुभूति प्राप्त करके प्रसिद्धि पाई जा सके।
प्रश्न 4:
यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दशक-दोनों एक साथ रोने लगेगे, तो उससे प्रश्नकर्ता का कॉन-सा उद्देश्य पूरा होगा?
उत्तर –
कार्यक्रम-संचालक व निर्माता का एक ही उद्देश्य होता है-अपने कार्यक्रम को लोकप्रिय बनाना ताकि वह धन व प्रसिद्ध प्राप्त कर सके। इस उपलब्धि के लिए उसे चाहे कोई भी तरीका क्यों न अपनाना पड़े, वह अपनाता है। कविता के आधार पर यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक-दोनों एक साथ रोने लगेंगे तो इससे सहानुभूति बटोरने का संचालक का उद्देश्य पूरा हो जाता है। समाज उसे अपना हितैषी समझने लगता है तथा इससे उसे धन व यश मिलता है।
प्रश्न 5:
‘परदे पर वक्त की कीमत हैं’ कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नजरिया किस रूप में रखा हैं?
उत्तर –
कवि कहना चाहता है कि मीडिया के लोग सहानुभूति अर्जित करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि अपंग व्यक्ति के साथ-साथ दर्शक भी रोने लगे। लेकिन वे इस रोने वाले दृश्य को ज्यादा देर तक नहीं दिखाना चाहते क्योंकि ऐसा करने में उनका पैसा बरबाद होगा। समय और पैसे की बरबादी वे नहीं करना चाहते।
कविता के आसपास
प्रश्न 1:
यदि आपको शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे किसी मित्र का परिचय लोगों से करवाना हो तो किन शब्दों में करवाएँगे?
उत्तर –
यदि मुझे शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे किसी मित्र का परिचय लोगों से करवाना हो तो मैं उसके गुणों को सबसे पहले बताऊँगा। मैं उसकी कमजोरी को व्यक्त नहीं करूंगा; जैसेये मेरे मित्र रमेश शर्मा हैं जो मेरे साथ बारहवीं कक्षा में पढ़ते हैं। ये बहुत प्रतिभाशाली हैं। दसवीं की परीक्षा में तो इन्होंने सातवाँ स्थान पाया था। इसके अलावा, ये कविता-पाठ बहुत सुंदर करते हैं। दुर्भाग्य से सड़क-दुर्घटना में इनकी एक टाँग जाती रही। इस कारण इन्हें बैसाखी का सहारा लेना पड़ता है, परंतु इसके कारण इनके उत्साह व जोश में कोई कमी नहीं है। पढ़ाई-लिखाई में ये पहले की तरह ही मेरी सहायता करते हैं।
प्रश्न 2:
सामाजिक उददेश्य से युक्त ऐसे कार्यक्रम को देखकर आपको कैसा लगेगा? अपने विचार संक्षेप में लिखें।
उत्तर –
यदि हम ऐसे कार्यक्रम देखें तो हमें बहुत दुख होगा। हमारा मन उस अपंग व्यक्ति के प्रति करुणा से भर जाएगा। हमें मीडिया के लोगों और प्रश्नकर्ता पर बहुत क्रोध आएगा क्योंकि वे लोग संवेदनहीन हो चले हैं। उनका उद्देश्य केवल पैसा कमाना है। सामाजिक उद्देश्य के कार्यक्रम के माध्यम से अपने स्वार्थों को पूरा करना ही उनकी मानसिकता है। वास्तव में ऐसे कार्यक्रम सामाजिक नहीं व्यक्तिगत और स्वार्थ पर आधारित होते हैं। ये कार्यक्रम लोगों का भावात्मक रूप से शोषण करते हैं ताकि उन्हें प्रसिद्धि मिले।
प्रश्न 3:
यदि आप इस कार्यक्रम के दर्शक हैं तो टो.वी. पर ऐसे सामाजिक कार्यक्रम को देखकर एक पत्र में अपनी प्रतिक्रिया दूरदर्शन निदेशक को भेजें।
उत्तर –
कoख०ग:०
परीक्षा भवन
दिनांक- 23 मार्च 20XX
निदेशक महोदय।
दिल्ली दूरदर्शन
नई दिल्ली।
विषय-शारीरिक विकलांग से संबंधित कार्यक्रम के संबंध में प्रतिक्रिया।
महोदय
आपके प्रतिष्ठित चैनल ने दिनांक 12 जनवरी…..को एक दिव्यांग से संबंधित कार्यक्रम प्रसारित किया। इस कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता द्वारा दिव्यांग से ऊट-पटांग व बेतुके प्रश्न पूछे जा रहे थे। ऐसे प्रश्नों से उसकी परेशानी कम होने की बजाय बढ़ रही थी। ऐसा लग रहा था मानो विधाता की कमी का मजाक सारी दुनिया के सामने उड़ाया जा रहा था। प्रस्तुतकर्ता हिटलरशाही तरीके से प्रश्न पूछ रहा था तथा अपंग की लाचारी को दर्शा रहा था। अत: आपसे निवेदन है कि ऐसे कार्यक्रमों को प्रसारित नहीं किया जाना चाहिए जो लोगों की भावनाओं के साथ खेलते हैं। आशा है भविष्य में आप इस तरह के कार्यक्रमों के प्रस्तुतीकरण के दौरान पीड़ित व्यक्ति की संवेदनाओं का ध्यान अवश्य रखेंगे।
धन्यवाद।
भवदीय,
सौरभ मौर्य
प्रश्न 4:
नीचे दिए गए खबर के अंश को पढ़िए और बिहार के इस बुधिया से एक काल्पनिक साक्षात्कार कीजिए-
उम्र पाँच साल, संपूर्ण रूप से विकलांग और दौड़ गया पाँच किलोमीटर। सुनने में थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन यह कारनामा कर दिखाया है पवन ने। बिहारी बुधिया के नाम से प्रसिद्ध पवन जन्म से ही विकलांग है। इसके दोनों हाथों का पुलवा नहीं है, जबकि पैर में सिर्फ़ एड़ी ही है। पवन ने रविवार को पटना के कारगिल चौक से सुबह 8.40 पर दौड़ना शुरू किया। डाकबैंगला रोड, तारामंडल और आर ब्लाक होते हुए पवन का सफर एक घंटे बाद शहीद स्मारक पर जाकर खत्म हुआ।
पवन द्वारा तय की गई इस दूरी के दौरान ‘उम्मीद स्कूल’ के तकरीबन तीन सौ बच्चे साथ दौड़कर उसका हौसला बढ़ा रहे थे। सड़क किनारे खड़े दर्शक यह देखकर हतप्रभ थे कि किस तरह एक विकलांग बच्चा जोश एवं उत्साह के साथ दौड़ता चला जा रहा है। जहानाबाद जिले का रहने वाला पवन नवरसना एकेडमी, बेउर में कक्षा एक का छात्र है। असल में पवन का सपना उड़ीसा के बुधिया जैसा करतब दिखाने का है। कुछ माह पूर्व बुधिया 65 किलोमीटर दौड़ चुका है। लेकिन बुधिया पूरी तरह से स्वस्थ है जबकि पवन पूरी तरह से विकलांग। पवन का सपना कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी पैदल तय करने का है।
उत्तर –
पाँच साल, संपूर्ण रूप से विकलांग और दौड़ गया पाँच किलोमीटर। सुनने में थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन यह कारनामा कर दिखाया है पवन ने। बिहारी बुधिया के नाम से प्रसिद्ध पवन जन्म से ही विकलांग है। इसके दोनों हाथ का पुलवा नहीं है, जबकि पैर में सिर्फ एडी ही है। पवन ने रविवार को पटना के कारगिल चौक से सुबह 8.40 पर दौड़ना शुरू किया। डाकबंगला रोड, तारामंडल और आर ब्लाक होते हुए पवन का सफर एक घंटे बाद शहीद स्मारक पर जाकर खत्म हुआ। पवन द्वारा तय की गई इस दूरी के दौरान ‘उम्मीद स्कूल’ के तकरीबन तीन सौ बच्चे साथ दौड़ पर उसका हौंसला बढ़ा रहे थे। सड़क किनारे खड़े दर्शक यह देखकर हतप्रभ थे किस तरह एक विकलांग बच्चा जोश एवं उत्साह के साथ दौड़ता चला जा रहा है। जहानाबाद जिले का । रहने वाला पवन नवरसना एकेडमी, बेउर में कक्षा एक का छात्र है। असल में पवन का सपना उड़ीसा के बुधिया जैसा करतब दिखाने का है। कुछ माह पूर्व बुधिया 65 किलोमीटर दौड़ चुका है। लेकिन बुधिया पूरी तरह से स्वस्थ है जबकि पवन पूरी तरह से विकलांग। पवन का सपना कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी पैदल तय करने का है। – 9 अक्टूबर, 2006 हिंदुस्तान से साभार
उत्तर:
- आपको दौड़ने की प्रेरणा कहाँ से मिली ?
- क्या आपने दौड़ने से पहले कोई अभ्यास किया था?
- क्या तुम जानते थे कि इतना दौड़ पाओगे?
- आपने केवल सुर्खियों में रहने के लिए दौड़ लगाई या वास्तव में दौड़ना चाहते थे?
- क्या तुम उड़ीसा के बुधिया से प्रभावित हुए?
- क्या तुम जानते थे कि उड़ीसा के बुधिया और तुममें कितना अंतर है?
- आपका सपना कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी पैदल तय करने का है? क्या सोचकर आपने यह सपना बुना?
अन्य हल प्रश्न
लाघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1:
‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता के व्यंग्य पर टिप्पणी र्काजिए।
उत्तर –
इस कविता में कवि ने मीडिया की ताकत के बारे में बताया है। मीडिया अपने कार्यक्रम के प्रचार व धन कमाने के लिए किसी की करुणा को भी बेच सकता है। वह ऐसे कार्यक्रमों का निर्माण समाज-सेवा के नाम पर करता है परंतु उसे इस कार्यव्यापार में न तो अपाहिजों से सहानुभूति होती है और न ही उनके मान-सम्मान की चिंता। वह सिर्फ़ अपने कार्यक्रम को रोचक बनाना जानता है। रोचक बनाने के लिए वह ऊट-पटांग प्रश्न पूछता है और पीड़ित की पीड़ा को बढ़ा-चढ़ाकर बताता है।
प्रश्न 2:
‘कैमरे में बद अपाहिज’ कविता को आप करुणा की कविता मानते हैं या क्रूरता की? तकसम्मत उत्तर दीजिए।
उत्तर –
इस कविता को हम क्रूरता की कविता मानते हैं। यह कविता मीडिया के व्यापार व कार्यशैली पर व्यंग्य करती है। दूरदर्शन कमजोर व अशक्त वर्ग के दुख को बढ़ा-चढ़ाकर समाज के सामने प्रस्तुत करता है। वह कमजोर वर्ग की सहायता नहीं करता, अपितु अपने कार्यक्रम के जरिये वह स्वयं को समाज-हितैषी सिद्ध करना चाहता है। अत: यह कविता पूर्णत: मीडिया की क्रूर मानसिकता को दर्शाती है।
प्रश्न 3:
कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रश्नकतf की मानसिकता कैसी होती हैं?
उत्तर –
कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रश्नकर्ता की मानसिकता अपाहिज को रुलाने की होती है। वह सोचता है कि अपंग के साथ-साथ यदि दर्शक भी रोने लगेंगे तो उनकी सहानुभूति चैनल को मिल जाएगी। इससे उसे धन व प्रसिद्ध का लाभ मिलेगा।
प्रश्न 4:
‘यह अवसर खो देंगे?’ पक्ति का क्या तात्यय हैं:?
उत्तर –
प्रश्नकर्ता विकलांग से तरह-तरह के प्रश्न करता है। वह उससे पूछता है कि आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है? ऐसे प्रश्नों के उत्तर प्रश्नकर्ता को तुरंत चाहिए। यह दिव्यांग के लिए सुनहरा अवसर है कि वह अपनी पीड़ा को समाज के समक्ष व्यक्त करे। ऐसा करने से उसे लोगों की सहानुभूति व सहायता मिल सकती है। यह पंक्ति मीडिया की कार्य-शैली व व्यापारिक मानसिकता पर करारा व्यंग्य है।
प्रश्न 5:
दूरदर्शन वाले कैमरे के सामने कमजोर को ही क्यों लाते हैं?
उत्तर –
दूरदर्शन वाले जानते हैं कि समाज में कमजोर व अशक्त लोगों के प्रति करुणा का भाव होता है। लोग दूसरे के दुख के बारे में जानना चाहते हैं। दूरदर्शन वाले इसी भावना का फ़ायदा उठाना चाहते हैं तथा अपने लाभ के लिए ऐसे कार्यक्रम बनाते हैं।
प्रश्न 6:
अपाहिज अपने दुख के बारे में क्यों नहीं बता पाता?
उत्तर –
प्रश्नकर्ता अपाहिज से उसके विकलांगपन व उससे संबंधित कष्टों के बारे में बार-बार पूछता है, परंतु अपाहिज उनके उत्तर नहीं दे पाता। वास्तविकता यह है कि उसे अपाहिजपन से उतना कष्ट नहीं है जितना उसके कष्ट को बढ़ाचढ़ाकर बताया जाता है। प्रश्नकर्ता के प्रश्न भी अस्पष्ट होते हैं तथा जितनी शीघ्रता से प्रश्नकर्ता जवाब चाहता है, उतनी तीव्र मानसिकता अपाहिज की नहीं है। उसने इस कमी को स्वीकार कर लिया है लेकिन वह अपना प्रदर्शन नहीं करना चाहता।
प्रश्न 7:
‘कैमरे में बंद अपाहिज ‘ शीर्षक की उपयुक्तता सिद्ध कीजिए।
उत्तर –
यह शीर्षक कैमरे में बंद यानी कैमरे के सामने लाचार व बेबस अपाहिज की मनोदशा का सार्थक प्रतिनिधित्व करता है। वस्तुत: यह दूरदर्शन के कार्यक्रम-संचालकों की मानसिकता पर व्यंग्य है। कार्यक्रम बनाने वाले अपने लाभ के लिए अपाहिज को भी प्रदर्शन की वस्तु बना देते हैं। वे दूसरे की पीड़ा बेचकर धन कमाते हैं। अत: यह शीर्षक सर्वथा उपयुक्त है।
प्रश्न 8:
‘कैमरे में बद अपाहिज’ कविता के प्रतिपाद्य के विषय में अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर –
‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में शारीरिक अक्षमता की पीड़ा झेल रहे व्यक्ति की पीड़ा को जिस अमानवीय ढंग से दर्शकों तक पहुँचाया जाता है वह कार्यक्रम के निर्माता और प्रस्तोता की संवदेनहीनता की पराकाष्ठा है। वे पीड़ित व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचाते हुए उसे बेचने का प्रयास करते हुए दिखाई देते हैं। यहाँ भी उनकी पैसा कमाने की सोच दिखती है, जो उनकी मानवता के ऊपर हावी हो चुकी है।
प्रश्न 9:
प्रश्चकर्ता अपाहिज की कूली हुई आँखों की तसवीर बड़ी क्यों दिखाना चाहता हैं?
उत्तर –
प्रश्नकर्ता अपाहिज की फूली हुई आँखों की तस्वीर इसलिए दिखाना चाहता है ताकि दर्शक उसके दुख से दुखी हों। दर्शकों के मन में उसके प्रति सहानुभूति उत्पन्न हो सके। ऐसे में शायद दर्शकों की आँखों में आँसू भी आ जाएँ जिससे उसका कार्यक्रम लोकप्रिय हो जाए। अत: वह दिव्यांग के दुख को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना चाहता है।
प्रश्न 10:
‘कैमरे में बद अपाहिज’ कविता कुछ लोगों की सवेदनहीनता प्रकट करती हैं, कैसे?
उत्तर –
‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता कुछ लोगों की संवेदनहीनता इसलिए प्रकट करती है क्योंकि ऐसे लोग धन कमाने एवं अपने कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के लिए दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुँचाते हैं और किसी की करुणा बेचकर अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं। ऐसे लोग अपाहिजों से सहानुभूति नहीं रखते बल्कि वे अपने कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए उलटे-सीधे प्रश्न पूछते हैं।
स्वयं करें
- ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में संचार माध्यमों की संवेदनहीनता को उजागर किया गया है। कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
- दूरदर्शन के कार्यक्रम-निर्माताओं और संचालकों के व्यवहार में उनकी व्यावसायिक प्रवृत्ति के दर्शन कैसे होते हैं? उदाहरण सहित लिखिए।
- अपाहिज व्यक्ति कार्यक्रम-प्रस्तोता को अपना दुख क्यों नहीं बता पाता?
- अपने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कार्यक्रम निर्माता किस सीमा तक गिर जाते हैं?’कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
- कार्यक्रम-प्रस्तोता द्वारा अपाहिज के साथ जिस तरह का व्यवहार किया गया उसे आप कितना उचित मानते हैं?
- कार्यक्रम-संचालक अपाहिज की आँखें परदे पर दिखाना चाहता है। इसके क्या कारण हो सकते हैं? कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
- अपाहिज व्यक्ति का दूरदर्शन पर साक्षात्कार प्रस्तुत करने का क्या उद्देश्य है? आप संचालक को इस उद्देश्य की प्राप्ति में कितना सफल पाते हैं?
- निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
हम दूरदर्शन पर बोलेंगे
हम समर्थ शकितवान
हम एक दुर्बल को लाएँगे
एक बंद कमरे में
उससे पूछेगे तो आप क्या अपाहिज हैं?
(क) काव्यांश में समर्थ शक्तिवान कौन है? उसने अपाहिज की दुर्बल क्यों कहा हैं?
(ख) काव्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट र्काजिए।
(ग) काव्यांश की भाषागत विशेषताएँ लिखिया।