विराम-चिह्न
‘विराम’ का अर्थ है- ‘रुकना। अपने भावों तथा विचारों को सही रूप तथा सही ढंग से संप्रेषित करने के लिए विराम-चिहनों का ज्ञान होना जरूरी है। हिंदी भाषा में अपने भावों तथा विचारों को लिखते अथवा बोलते समय अपनी बात पर बल देने के लिए कुछ चिह्न निर्धारित किए गए हैं, ये चिह्न ही विराम-चिह्न कहलाते हैं।
भाषा के लिखित रूप में विराम देने अथवा रुकने के लिए जिन संकेत चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें विराम-चिह्न कहते हैं।
हिंदी में प्रयोग किए जाने वाले कुछ प्रमुख चिह्न हैं
- पूर्ण विराम (|) – पूर्ण विराम का अर्थ है-पूरी तरह रुकना। वाक्य पूरा होने पर अंत में पूर्ण विराम लगाया जाता है; जैसे-पक्षी दाना चुग रहे हैं। नेहा कविता लिख रही है।
- अल्प विराम (,) – अल्प विराम का अर्थ है-थोड़ा विराम। वाक्य बोलते समय जब हम थोड़ा रुकते हैं, तब अल्प विराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे-नंदन वन में शेर, हाथी, हिरन, भेड़िया, बकरी तथा भालू सभी मिलकर रहते हैं।
- प्रश्नसूचक चिह्न (?) – इसका प्रयोग प्रश्नसूचक वाक्य के अंत में होता है; जैसे-तुम कहाँ जा रहे हो? वह कौन है?
- अर्ध विराम (;) – वाक्य लिखते या बोलते समय, एक बड़े वाक्य में एक से अधिक छोटे वाक्यों को जोड़ने के लिए अर्ध विराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे-कपास से सूत तैयार किया जाता है; सूत से कपड़ा बनता है।
- विस्मयादिबोधक चिह्न (!) – मन के भाव यानी हर्ष (खुशी) शोक, भय, आश्चर्य, घृणा आदि को प्रकट करने वाले वाक्यों में विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे-(i) छि! यहाँ कितनी गंदगी है। (ii) वाह! कितनी सुंदर जगह है।
- योजक चिह्न (-) – तुलना करने वाले शब्दों तथा शब्द-युग्मों के साथ योजक चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे–माता पिता, लड़का-लड़की, रात-दिन आदि।
- लाघव चिह्न (०) – किसी शब्द का संक्षिप्त रूप लिखने के लिए लाघव के चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे-डॉ० राजेंद्र प्रसाद, पं० जवाहर लाल नेहरू।।
-
उद्धरण चिह्न-(‘ ‘) (” “)
उद्धरण चिह्न दो प्रकार के होते हैं-
(i) इकहरा उद्धरण चिह्न (‘ ‘) – इस चिह्न का प्रयोग किसी अक्षर, शब्द, किताब-वस्तु या व्यक्ति का नाम लिखने के लिए किया जाता हैं; जैसे-रामधारी सिंह ‘दिनकर’ महान कवि थे। - कोष्ठक () – किसी कठिन शब्द का अर्थ लिखने के लिए, किसी बात को स्पष्ट करने के लिए कोष्ठक का प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त अंक लिखने के लिए भी कोष्ठक प्रयुक्त होते हैं।
- अपूर्ण विराम-चिह्न (:) – जहाँ वाक्य पूरा नहीं होता, बल्कि किसी वस्तु अथवा विषय के बारे में बताया जाता है, वहाँ अपूर्ण विराम-चिह्न. का प्रयोग किया जाता है; जैसे कृष्ण के अनेक नाम हैं-मोहन, गोपाल, गिरिधर आदि।
- हंस पद (‘) – लिखते समय यदि कोई अंश छूट जाए तो यह चिह्न लगाकर उस अंश को ऊपर लिख देते हैं; अर्जुन एक कुशल धनुर्धर थे।
बहुविकल्पी प्रश्न
(क) जिन शब्दों से हर्ष, घृणा, शोक, स्वीकृति, प्रशंसा आदि भाव प्रकट होते हैं, वे कहलाते हैं ?
(i) क्रियाविशेषण
(ii) संबंधबोधक
(iii) विस्मयादिबोधक
(iv) समुच्चयबोधक
(ख) वाक्य की समाप्ति पर कौन-सा चिह्न लगता है?
(i) योजक चिह्न
(ii) अर्ध विराम
(iii) अल्प विराम
(iv) पूर्ण विराम।
(ग) शब्द को संक्षिप्त रूप में लिखने के लिए किस चिह्न का प्रयोग किया जाता है?
(i) कोष्ठक-चिह्न
(ii) लाघव-चिह्न
(iii) हंसपद-चिह्न
(iv) प्रश्नवाचक चिह्न।
(घ) किसी शब्द या वाक्यांश के छूट जाने पर किस चिह्न का प्रयोग किया जाता है?
(i) अल्प विराम
(ii) प्रश्नवाचक
(iii) हंसपद
(iv) ये सभी।
(ङ) विस्मयवाचक चिह्न है?
(i) !
(ii) ?
(iii) ,
(iv) ^
उत्तर-
(क) (iii)
(ख) (iv)
(ग) (ii)
(घ) (iii)
(ङ) (i)