सर्वनाम

सर्वनाम संज्ञा के स्थान पर आने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। सर्वनाम यानी सबके लिए नाम। संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किया जाता है। इनका प्रयोग करने से भाषा सुंदर और स्पष्ट हो जाती है। एक ही सर्वनाम शब्द अलग-अलग व्यक्तियों या प्राणियों के लिए बोला या लिखा जा सकता है। सर्वनाम के भेद […]

समास

समास अनेक शब्दों को संक्षिप्त करके नए शब्द बनाने की प्रक्रिया समास कहलाती है; जैसे- राजा का महल-राजमहल। समास के मुख्यत: छह भेद है तत्पुरुष समास कर्मधारय समास विगु समास अव्ययीभव समास बहुब्रीहि समास तथा द्वंद्व समास 1. तत्पुरुष समास – इस समास में उत्तरपद अर्थात् दूसरा पद प्रधान होता है। इसमें कारक चिह्नों का लोप […]

संधि

संधि संधि शब्द का अर्थ है– मेल! व्याकरण में संधि शब्द पास-पास के अक्षरों को आपस में मिलाने के लिए प्रयोग किया जाता है। जैसे- विद्या + आलय = विद्यालय, गण + ईश = गणेश। वर्षों के इस तरह के मेल को संधि कहते हैं। पास-पास के वर्षों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) […]

संज्ञा 7

संज्ञा जिस शब्द के द्वारा किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान अथवा भाव के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते हैं। संज्ञा के भेद मुख्य रूप से संज्ञा के तीन भेद माने जाते हैं- पर कुछ विद्वान इसके दो भेद और मानते हैं। इस तरह इनके पाँच भेद होते हैं। व्यक्तिवाचक जातिवाचक भाववाचक समूहवाचक द्रव्यवाचक 1. […]

शब्द-भंडार

शब्द-भंडार पर्यायवाची शब्द जो शब्द एक-सा अर्थ बताते हैं, उन्हें पर्यायवाची या समानार्थी शब्द कहते हैं। ये शब्द समान अर्थ रखते हुए भी सूक्ष्म-सा अंतर प्रकट करते हैं; जैसे–पंकज शब्द ‘पंक + ज’ शब्दों के मेल से बना है। जिनका अर्थ होता है- पंक’ यानी कीचड़ और ‘ज’ यानी उत्पन्न होने वाला अर्थात् कीचड़ में […]

शब्द विचार

शब्द विचार एक से अधिक वर्षों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं, जैसे- मैं, वह, राम, दिल्ली, लोटा, पंकज, पुस्तक आदि। हिंदी भाषा में शब्दों का वर्गीकरण चार आधारों पर किया जाता है। (क) अर्थ के आधार पर (ख) विकार के आधार पर (ग) उत्पत्ति के आधार पर (घ) बनावट के आधार पर (क) […]

विशेषण

विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं। गुलाब लाल है। वह कुत्ता काला है। लाल सेब मीठे होते हैं। ऊपर के वाक्यों में लाल, काला, मीठे ये सभी शब्द गुलाब, कुत्ता और सेब शब्द की विशेषता बता रहे हैं। विशेषण शब्द जिस; संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, […]

विराम-चिह्न

विराम-चिह्न ‘विराम’ का अर्थ है- ‘रुकना। अपने भावों तथा विचारों को सही रूप तथा सही ढंग से संप्रेषित करने के लिए विराम-चिहनों का ज्ञान होना जरूरी है। हिंदी भाषा में अपने भावों तथा विचारों को लिखते अथवा बोलते समय अपनी बात पर बल देने के लिए कुछ चिह्न निर्धारित किए गए हैं, ये चिह्न ही […]

वाच्य

वाच्य क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि वाच्य में क्रिया द्वारा किए गए व्यापार का विषय कर्ता, कर्म अथवा भाव में से कौन है, उसे वाच्य कहते हैं। वाच्य के तीन भेद होते हैं कर्तृवाच्य कर्मवाच्य भाववाच्य 1. कर्तृवाच्य – जिस वाक्य में कर्ता की प्रधानता हो तथा क्रिया के लिंग, वचन और […]

वाक्य

वाक्य शब्दों का ऐसा समूह जिसका अर्थ व अभिप्राय स्पष्ट हो जाए, उसे वाक्य कहते हैं। वाक्य के अंग एक वाक्य में साधारण रूप से कर्ता और क्रिया का होना आवश्यक है। इस आधार पर वाक्य के दो मुख्य अंग होते हैं उद्देश्य विधेय। उद्देश्य या विधेय को मिलाकर ही एक वाक्य पूरा होता है। […]

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