Chapter 1 The French Revolution

प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से

प्रश्न 1. फ्रांस में क्रांतिकारी विरोध की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई?
उत्तर : निम्नलिखित परिस्थितियों के कारण फ्रांस में क्रांतिकारी विरोध की शुरुआत हुई :

प्रश्न 2. फ्रांसीसी समाज के कौन से समूहों को क्रांति से लाभ हुआ ? कौन से समूहों को शक्ति त्यागने पर बाध्य किया गया ? समाज के कौन से वर्ग को क्रांति के परिणाम से निराशा हुई होगी ?
उत्तर : तृतीय एस्टेट्स के धनी सदस्यों (मध्यम वर्ग) को फ्रांसीसी क्रांति से सर्वाधिक लाभ हुआ। इन समूहों में किसान, मजदूर, छोटे अधिकारीगण, वकील, अध्यापक, डॉक्टर एवं व्यवसायी शामिल थे। पहले इन्हें सभी कर अदा करने पड़ते थे व पादरियों एवं कुलीन लोगों द्वारा उन्हें हर कदम पर सदैव अपमानित किया जाता था किन्तु क्रांति के बाद उनके साथ समाज के उच्च वर्ग के समान व्यवहार किया जाने लगा। पादरियों एवं कुलीनों को शक्ति त्यागने पर बाध्य होना पड़ा तथा उनसे सभी विशेषाधिकार छीन लिए गए। समाज के अपेक्षाकृत निर्धन वर्गों तथा महिलाओं को क्रांति के परिणाम से निराशा हुई होगी क्योंकि क्रांति के बाद समानता की प्रतिज्ञा पूर्ण रूप से फलीभूत नहीं हुई।

प्रश्न 3. फ्रांसीसी क्रांति से उन्नीसवीं व बीसवीं सदी के विश्व के लोगों को मिली विरासत का वर्णन कीजिए।
उत्तर : फ्रांसीसी क्रांति से उन्नीसवीं व बीसवीं सदी के विश्व के लोगों को मिली विरासत :

(क) फ्रांसीसी क्रांति मानव इतिहास की महत्त्वपूर्ण घटनाओं में से एक है।
(ख) यह पहला ऐसा राष्ट्रीय आंदोलन था जिसने आजादी, समानता और भाईचारे जैसे विचारों को अपनाया। उन्नीसवीं व बीसवीं सदी के प्रत्येक देश के लोगों के लिए ये विचार आधारभूत सिद्धांत बन गए।
(ग) इसने यूरोप के लगभग सभी देशों एवं दक्षिण अमेरिका में प्रत्येक क्रांतिकारी आंदोलन को प्रेरित किया।
(घ) इसने यूरोप के विभिन्न स्थानों पर घटित सामाजिक एवं राजनैतिक बदलाव की शुरुआत की।
(ङ) इसने मनमाने तरीके से चल रहे शासन का अंत किया तथा यूरोप एवं विश्व के अन्य भागों में लोगों के गणतंत्र के विचार का विकास किया।
(च) इसने सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार की अवधारणा का प्रचार किया जो बाद में कानून के समक्ष लोगों की समानता की धारणा बनी।
(छ) इसने ‘राष्ट्र’ शब्द को आधुनिक अर्थ दिया तथा राष्ट्रवादी’ की अवधारणा को बढ़ावा दिया जिसने पोलैण्ड, जर्मनी, नीदरलैण्ड तथा इटली में लोगों को अपने देशों में राष्ट्रीय राज्यों की स्थापना हेतु प्रेरित किया।
(ज) इस क्रांति ने जनता की आवाज को सहारा दिया जो दैवीय अधिकार की धारणा, सामंती विशेषाधिकार, दासप्रथा एवं नियंत्रण को समाप्त करके योग्यता को सामाजिक उत्थान का आधार बनाना चाहते थे।
(झ) राजा राम मोहन राय जैसे नेता फ्रांसीसी क्रांति द्वारा प्रचारित राजशाही एवं उसके निरंकुशवाद के विरुद्ध प्रचारित विचारों से अत्यधिक प्रभावित थे।
इस प्रकार फ्रांसीसी क्रांति का सबसे बड़ा प्रभाव विश्व भर में जन-आन्दोलनों का प्रारंभ तथा लोगों में राष्ट्रवाद की भावना के उदय होना था।

प्रश्न 4. उन लोकतांत्रिक अधिकारों की सूची बनाएँ जो आज हमें मिले हुए हैं और जिनका उद्गम फ्रांसीसी क्रांति से हुआ है।
उत्तर : वे लोकतांत्रिक अधिकार जिन्हें हम आज प्रयोग करते हैं तथा जिनका उद्गम फ्रांसीसी क्रांति से हुआ है, इस प्रकार हैं:

(क) विचार अभिव्यक्ति का अधिकार
(ख) समानता का अधिकार
(ग) स्वतंत्रता का अधिकार
(घ) एकत्र होने तथा संगठन बनाने का अधिकार
(ङ) सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक अधिकार
(च) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
(छ) शोषण के विरुद्ध अधिकार
(ज) संवैधानिक उपचारों का अधिकार

प्रश्न 5. क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश अंतर्विरोधों से घिरे हुए थे?
उत्तर : पुरुषों एवं नागरिकों के अधिकारों की घोषणा इतने विशाल स्तर पर सार्वभौमिक अधिकारों का खाका तैयार करने का विश्व में शायद प्रथम प्रयास था। इसने स्वतंत्रता, समानता एवं भाईचारे के तीन मौलिक सिद्धांतों पर बल दिया। सभी लोकतांत्रिक देशों द्वारा ऐसे सिद्धांतों को अपनाया गया है। किन्तु यह सत्य है कि सार्वभौमिक अधिकारों का संदेश विरोधाभासों से घिरा था। “पुरुष एवं नागरिक अधिकार घोषणापत्र में कई आदर्श संदिग्ध अर्थों से भरे पड़े थे।

प्रश्न 6. नेपोलियन के उदय का आप कैसे वर्णन करेंगे ?
उत्तर: सन् 1796 में निर्देशिका के पतन के तुरंत बाद नेपोलियन का उदय हुआ। निदेशकों का प्रायः विधान सभाओं से झगड़ा होता था जो कि बाद में उन्हें बर्खास्त करने का प्रयास करती। निर्देशिका राजनैतिक रूप से अत्यधिक अस्थिर थी; अतः नेपोलियन सैन्य तानाशाह के रूप में सत्तारूढ़ हुआ।

सन् 1804 में नेपोलियन बोनापार्ट ने स्वयं को फ्रांस का सम्राट बना दिया। वह पड़ोसी यूरोपीय देशों पर विजय करने निकल पड़ा, राजवंशों को हटाया और साम्राज्यों को जन्म दिया। जिसमें उसने अपने परिवार के सदस्यों को आरूढ़ किया।

उसने निजी संपत्ति की सुरक्षा जैसे कई कानून बनाए और दशमलव प्रणाली पर आधारित नाप-तौल की एक समान पद्धति शुरू की।

अंततः 1815 ई0 में वाटरलू में उसकी हार हुई।

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