Chapter 11 रहीम की दोहे
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
दोहे से
प्रश्न 1.
पाठ में दिए गए दोहों की कोई पंक्ति कथन है और कोई कथन को प्रमाणित करनेवाला उदाहरण। इन दोनों प्रकार की पंक्तियों को पहचान कर अलग-अलग लिखिए। .
उत्तर
दोहों में वर्णित निम्न पंक्ति कथन हैं-
1.कहि रहीम संपति सगे, बनते बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।।1।।
कठिन समय में जो मित्र हमारी सहायता करता है, वही हमारा सच्चा मित्र होता है।
2.जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह।। 2।।
मछली जल से अपार प्रेम करती है इसीलिए उससे बिछुड़ते ही अपने प्राण त्याग देती है। निम्न पंक्तियों में कथन को प्रमाणित करने के उदाहरण हैं-
1. तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान।
कहि रहीम परकाज हित, संपति-सचहिं सुजान।।3।।
निस्वार्थ भावना से दूसरों का हित करना चाहिए, जैसे-पेड़ अपने फल नहीं खाते, सरोवर अपना जल नहीं पीते और सज्जन धन संचय अपने लिए नहीं करते।
2. थोथे बाद क्वार के, ज्यों रहीम घहरात।
धनी पुरुष निर्धन भए, करें पाछिली बात।।4।।
कई लोग गरीब होने पर भी दिखावे हेतु अपनी अमीरी की बातें करते रहते हैं, जैसे-आश्विन के महीने में बादल केवल गहराते हैं बरसते नहीं।
3. धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह।
जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह।।5।।
मनुष्य को सुख-दुख समान रूप से सहने की शक्ति रखनी चाहिए, जैसे-धरती सरदी, गरमी व बरसात सभी मौसम समान रूप से सहती है।
प्रश्न 2.
रहीम ने क्वार के मास में गरजने वाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से क्यों की है जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजनेवाले बादलों के विषय में क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर-
रहीम ने आश्विन (क्वार) के महीने में आसमान में छाने वाले बादलों की तुलना निर्धन हो गए धनी व्यक्तियों से इसलिए की है, क्योंकि दोनों गरजकर रह जाते हैं, कुछ कर नहीं पाते। बादल बरस नहीं पाते, निर्धन व्यक्ति का धन लौटकर नहीं आता। जो अपने बीते हुए सुखी दिनों की बात करते रहते हैं, उनकी बातें बेकार और वर्तमान परिस्थितियों में अर्थहीन होती हैं। दोहे के आधार पर सावन के बरसने वाले बादल धनी तथा क्वार के गरजने वाले बादल निर्धन कहे जा सकते हैं।
दोहों के आगे
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए दोहों में बताई गई सच्चाइयों को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो उसके क्या लाभ होंगे? सोचिए
और लिखिए
(क) तरुवर फल ……..
……………. संचहिं सुजान।
(ख) धरती की-सी ………….
……. यह देह॥
उत्तर-
(क) इस दोहे के माध्यम से रहीम यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि वृक्ष अपने फल नहीं खाते और सरोवर अपना जल नहीं पीते उसी प्रकार सज्जन अपना संचित धन अपने लाभ के लिए उपयोग नहीं करते। उनका धन दूसरों की भलाई में खर्च होता है। यदि हम इस सच्चाई को अपने जीवन में उतार लें, अर्थात् अपना लें तो अवश्य ही समाज का कल्याणकारी रूप हमारे सामने आएगा और राष्ट्र सुंदर रूप से विकसित होगा।
(ख) इस दोहे के माध्यम से रहीम बताने का प्रयास कर रहे हैं कि मनुष्य को धरती की भाँति सहनशील होना चाहिए। यदि हम सत्य को अपनाएँ तो हम जीवन में आने वाले सुख-दुख को सहज रूप से स्वीकार कर सकेंगे। अपने मार्ग से कभी विचलित नहीं होंगे। हम हर स्थिति में संतुष्ट रहेंगे। हमारे मन में संतोष की भावना आएगी।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित हिंदी रूप लिखिए-
जैसे-परे-पड़े (रे, डे)
बिपति बादर
मछरी सीत
उत्तर
रहीम की भाषा हिंदी के शब्द
बिपति – विपत्ति
मछरी – मछली
बादर – बादल
सीत – शीत
प्रश्न 2.
नीचे दिए उदाहरण पढ़िए
(क) बनत बहुत बहु रीत।।
(ख) जाल परे जल जात बहि।
उपर्युक्त उदाहरणों की पहली पंक्ति में ‘ब’ का प्रयोग कई बार किया गया है और दूसरी में ‘ज’ का प्रयोग, इस प्रकार बार-बार एक ध्वनि के आने से भाषा की सुंदरता बढ़ जाती है। वाक्य रचना की इस विशेषता के अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर-
(क) दाबे व दबे
(ख) संपति-सचहिं सुजान।।
(ग) चारू चंद्र की चंचल किरणें (‘च’ वर्ण की आवृत्ति)
(घ) तर तमाल तरुवर बहु छाए। (‘त’ वर्ण की आवृत्ति)
(ङ) रघुपति राघव राजा राम (‘र’ वर्ण की आवृत्ति)
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर
(क) रहीम के दोहे’ का मुख्य अभिप्राय है
(i) ईश्वर की भक्ति
(ii) नीति की बातें
(iii) वीरता का वर्णन
(iv) ईमानदारी की बातें
(ख) “संपति सगे’ में किस अलंकार का प्रयोग हुआ है?
(i) श्लेष
(ii) अनुप्रास
(iii) पुनरुक्ति
(iv) यमक
(ग) साँचा मीत किसे कहा गया है?
(i) विपत्ति की कसौटी पर खरा उतरनेवाला
(ii) सच बोलनेवाला
(iii) संपत्ति हड़पनेवाला
(iv) मिलनेवाला
(घ) जाल पड़ने पर पानी क्यों बह जाता है?
(i) आगे जाने के लिए
(ii) मछलियों का साथ निभाने के लिए
(iii) मछलियों से दूरी बनाने के लिए
(iv) मछलियों से सच्चा प्रेम न करने के लिए
(ङ) क्या जल मछली से प्रेम करता है?
(i) हाँ
(ii) नहीं
(iii) पता नहीं
(iv) इनमें से कोई नहीं
(च) पेड़ अपना फल स्वयं क्यों नहीं खाते हैं।
(i) क्योंकि उसे फल पसंद नहीं हैं।
(ii) क्योंकि वह खाना नहीं चाहते
(iii) क्योंकि वे परोपकारी होते हैं।
(iv) क्योंकि वे फल नहीं खाते।
(छ) सज्जन संपत्ति क्यों जमा करते हैं?
(i) बुढ़ापे के लिए।
(ii) धनवान बनने के लिए
(iii) दूसरों की मदद के लिए
(iv) अपने बाल-बच्चों के लिए
उत्तर
(क) (ii)
(ख) (ii)
(ग) (i)
(घ) (iv)
(ङ) (ii)
(च) (iii)
(छ) (iii)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
(क) जीवन में मित्रों की अधिकता कब होती है?
उत्तर-
जब जीवन में काफ़ी धन-दौलत, मान-सम्मान बढ़ जाता है तो मित्रों और शुभचिंतकों की संख्या बढ़ जाती है।
(ख) ‘जल को मछलियों से कोई प्रेम नहीं होता’ इसका क्या प्रमाण है?
उत्तर-
जल को मछलियों से कोई प्रेम नहीं होता। इसका यह प्रमाण है कि मछलियों के जाल में फँसते ही जल उन्हें अकेला छोड़कर आगे बह जाता है।
(ग) सज्जन और विद्वान के संपत्ति संचय का क्या उद्देश्य होता है?
उत्तर-
सज्जन और विद्वान संपत्ति का अर्जन दूसरों की भलाई के लिए करते हैं। उनका धन हमेशा दूसरों की भलाई में खर्च होता है।
(घ) रहीम ने क्वार मास के बादलों को कैसा बताया है?
उत्तर-
रहीम ने क्वार महीने के बादलों को थोथा यानी बेकार गरजने वाला बताया है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
(क) वृक्ष और सरोवर किस प्रकार दूसरों की भलाई करते हैं?
उत्तर-
वृक्ष और सरोवर अपने द्वारा संचित वस्तु का स्वयं उपयोग नहीं करते हैं, यानी वृक्ष असंख्य फल उत्पन्न करता है लेकिन वह स्वयं उसका उपयोग नहीं करता। वह फल दूसरों के लिए देते हैं। ठीक इसी प्रकार सरोवर भी अपना जल स्वयं न पीकर उसे समाज की भलाई के लिए संचित करता है।
(ख) रहीम मनुष्य को धरती से क्या सीख देना चाहता है?
उत्तर-
रहीम मनुष्य को धरती से सीख देना चाहता है कि जैसे धरती सरदी, गरमी व बरसात सभी ऋतुओं को समान रूप से सहती है, वैसे ही मनुष्य को भी अपने जीवन में सुख-दुख को सहने की क्षमता होनी चाहिए।
(ग) रहीम ने क्वार के बादलों की तुलना किससे और क्यों की है?
उत्तर-
रहीम ने क्वार के बादलों की तुलना उन लोगों से की है जो अमीरी से निर्धन हो चुके हैं। निर्धन लोग जब उन दिनों की बात करते हैं, जब वे धनी तथा सुखी थी, तो उनकी बातें पूर्णतः क्वार के बादलों की खोखली गरज जैसी होती है। क्वार बादल गरजते भर हैं, कभी बरसते नहीं, उसी प्रकार धनी लोग निर्धन होकर अपनी अमीरी की बातें करते हैं।
दीर्घ उत्तर प्रश्न
(क) रहीम के दोहों से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर-
रहीम के दोहों से हमें सीख मिलती है कि हमें अपने मित्र का सुख-दुख में बराबर साथ देना चाहिए। हमारे मन में परोपकार की भावना होनी चाहिए। जिस प्रकार प्रकृति हमारे लिए सदैव परोपकार करती है, उसी प्रकार हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए। रहीम वृक्ष और सरोवर की ही तरह संचित धन को जन कल्याण में खर्च करने की सीख देते हैं। अंतिम दोहे में रहीम हमें सीख देने का प्रयास करते हैं, कि धरती की तरह जीवन में सुख-दुख को समान रूप से सहन करने की शक्ति रखनी चाहिए।
मूल्यपरक प्रश्न
(क) हमें वृक्ष और सरोवर से क्या शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए?
उत्तर-
हमें वृक्ष और सरोवर से परोपकार करने की शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। वृक्ष और सरोवर निस्वार्थ भाव से दूसरों की भलाई करते हैं। उसी प्रकार हमें दूसरों की भलाई निस्स्वार्थ भाव से करना चाहिए।