Day
Night

2 The Adventures of Toto

• पाठ के विषय में-क्या आपने एक बेबी बन्दर को एक पालतू जानवर के रूप में कभी रखा है? टोटो एक बेबी बन्दर है। आइए पता लगाएँ कि वह शरारती है या शान्त।

कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद 

1. Grandfather bought Toto………………performance. 

कठिन शब्दार्थ : feeding-trough (फीड्ङ्-ट्रॉफ्) = नांद (एक संकीर्ण पात्र जिसमें से पशु चारा खाते हैं), pretty (प्रिटि) = सुन्दर, sparkled (स्पाक्ल्ड ) = चमकी, mischief (मिसचिफ्) = शरारत, beneath (बिनीथ्) = के नीचे, displayed (डिस्प्ले ड) = दिखाई दी, pickled (पिक्ल्ड ) = परिरक्षित रखा गया, wicked (विकिड्) = शरारती, delicacy (डेलिकसि) = व्यंजन, scooping up (स्कूपङ् अप्) = वस्तु को उठाना (लगातार हरकत द्वारा), fussed (फस्ट) = उत्तेजित हुई, particularly (पटिक्यल(र)लि) = विशेषकर, closet (क्लॉजिट्) = कक्ष में बनी बड़ी अलमारी, peg (पेग्) = खूटी, fastened (फासन्ड) = बँधी होना/गड़ी होना, release (रिलीस्) = खोलना, naked (नेकिड्) = नग्न/आवरण रहित, brick (ब्रिक्) = ईंट, wrenched (रेन्च्ट) = किसी वस्तु को बलपूर्वक व अचानक (झटका देकर) खींचना (उखाड़ना), socket (सॉकिट) = एक छिद्र या कोटर जिसमें कुछ फिट हो जाए, blazer (ब्लेज़(र)) = एक जाकेट जिस पर स्कूल आदि का बिल्ला लगा हो, shreds (शेड्ज) = किसी चीज के कटे या फाड़े हुए महीन टुकड़े, performance (पफॉमन्स्) = प्रदर्शन।

हिन्दी अनुवाद : दादाजी ने टोटो को एक तांगे वाले से पाँच रुपए में खरीदा था। तांगे वाला उस छोटे से लाल बन्दर को एक नाँद के साथ बाँध दिया करता था और बन्दर वहाँ पर इतना विचित्र लगता था कि दादाजी ने उसे अपने निजी चिड़ियाघर में सम्मिलित करने का निश्चय कर लिया था।

टोटो एक सुन्दर बन्दर था। उसकी आँखें उसकी गहरी भंवों के नीचे शरारत से चमकती थीं। जब वह मुस्कराता था तो उसके मोतियों जैसे सफेद दाँतों को देखकर एंग्लो-इण्डियन अधेड़ उम्र की स्त्रियों की तो डर के मारे जान निकल जाती थी। परन्तु उसके हाथ सूखे-सूखे लगते थे जैसे वर्षों तक धूप में सुखाए गए हों।

फिर भी उसकी अंगुलियाँ फुर्तीली व शरारती थीं। और उसकी पूँछ जो उसके सौन्दर्य को चार चाँद लगाती थी (दादाजी के विचार में पूँछ से सभी के सौन्दर्य में बढ़ोतरी होती है) उसके तीसरे हाथ का काम भी करती थी। वह अपनी पूँछ के सहारे किसी भी टहनी से लटक सकता था और जहाँ उसके हाथ नहीं पहुँच सकते थे वहाँ से वह अपनी पूंछ से व्यंजन प्राप्त कर सकता था।

जब कभी दादाजी कोई नया पक्षी या पशु घर लाते थे तो दादी सदा हंगामा करती थी। इसलिए यह निर्णय किया कि जब तक दादी प्रसन्नचित्त न हो तब तक टोटो की उपस्थिति को उनसे छुपा कर रखा जाए। दादाजी और मैंने उसे अपने शयन-कक्ष की दीवार में खुलने वाली कोठरी में रखने के लिए सुरक्षित बाँध दिया –या ऐसा हमने सोचा-दीवार में गड़ी एक खूटी से (बाँध दिया)।

कुछ घण्टों के पश्चात् जब मैं और दादाजी टोटो को खोलने के लिए आए तो हमने देखा कि उसने दीवार पर लगे सजावटी कागज को फाड़कर दीवार के ईंट व पलस्तर को नंगा कर दिया था। खूटी को सॉकिट (छेद) से उखाड़ दिया था और मेरे स्कूल का ब्लेजर जो वहाँ लटका हुआ था, उसे टोटो ने फाड़कर चीथड़े कर दिया था। मैं सोच रहा था कि दादीजी न जाने क्या कहेंगी। परन्तु दादाजी को चिन्ता नहीं हुई; वे तो टोटो के इस काम से प्रसन्न दिख रहे थे। 

2. “He’s clever,”…………….not a dog.” 

कठिन शब्दार्थ : transferred (ट्रैन्स्फ(र)ड) = स्थानान्तरित किया गया, cage (केज्) = पिंजरा, quarters (क्वॉट(र)ज) = आवास-भवन, together (टगेद्(र)) = साथ-साथ, tortoise (टॉटस्) = कछुआ, goat (गोट) = बकरा/बकरी, collect (कलेक्ट) = एकत्रित करना, accompany (अकम्पनि) = संग में/साथ में, canvas kit-bag (कैनवस् किट बैग) = मजबूत मोटे कपड़े का उपकरण थैला, provided (प्रवाइडिड्) = उपलब्ध कराया, straw (स्ट्रॉ) = तिनके/घास-फूस, abode (अबोड्) = घर, occasionally (अकेशनलि) = कभी-कभी, exhibition (एसिबिश्न्) = प्रदर्शनी, curious (क्युअरिअस्) = उत्सुक, onlookers (ऑनलुक(र)ज) = तमाशबीन, poked out (पोक्ट आउट) = बाहर धकेला, grin (ग्रिन्) = खुलकर मुस्कराना (कि दाँत दिखे), taken aback (टेक्न अबैक) = अचम्भित, annoyance (अनॉइअन्स्) = नाराजगी/खीझ, quadruped (क्वॉडरुपेड) = चौपाया जानवर, prodded (प्रॉड्ड) = दबाना, fare (फेअ(र)) = किराया, turnstile (टन्स्टाइल) = घूमने वाला या चक्रदार गेट (जिसमें एक समय में एक ही व्यक्ति अन्दर जा सकता है)।

हिन्दी अनुवाद : ‘वह चतुर है’, दादाजी ने कहा। ‘समय मिलता, तो मुझे विश्वास है वह तुम्हारे ब्लेजर के फटे हुए टुकड़ों को बांधकर एक रस्सी बना लेता और खिड़की के रास्ते बच कर निकल जाता।’ उसकी उपस्थिति घर में अभी भी गुप्त रखी गई। टोटो को अब बड़े पिंजरे में नौकरों वाले कमरे में स्थानान्तरित कर दिया गया, जहाँ दादाजी के बहुत से पालतू पशु इकट्ठे रहते, उनमें एक कछुआ, खरगोश का जोड़ा, पालतू गिलहरी और मेरी प्रिय बकरी भी थी। लेकिन बन्दर अपने किसी भी साथी को रात्रि में सोने नहीं देता था। अतः दादाजी ने जिन्हें दूसरे दिन देहरादून जाना था और सहारनपुर से पेंशन प्राप्त करनी थी, उसे साथ ले जाने का विचार किया।

दुर्भाग्यवश उस यात्रा में, दादाजी के साथ मैं नहीं जा सका, लेकिन इसके बारे में उन्होंने बाद में बताया। टोटो के लिए कपड़े का काले रंग का किट थैला बनवाया गया। इसके नीचे कुछ भूसा रखा गया, यह उसका नया निवास स्थान बन गया, जब थैला बन्द किया गया, वहाँ निकलने का कोई रास्ता नहीं था, खुलने वाली जगह से टोटो अपने हाथ भी बाहर नहीं निकाल सकता था, और रास्ते भर वह थैले को काट भी नहीं सकता था, क्योंकि इसका कैनवास बहुत मजबूत था। बन्दर को बैग से बाहर आने के लिए यह प्रयत्न करना पड़ा कि वह फर्श पर बैग को बार-बार उलट-पुलट करता और अवसर आने पर हवा में कूदता, इससे देहरादून रेलवे प्लेटफार्म पर प्रदर्शन-सा हो गया, जिसे उत्सुक भीड़ ने देखा।

सहारनपुर तक टोटो थैले में बन्द रहा लेकिन जब दादाजी रेलवे के चक्रद्वार पर अपनी टिकट दिखा रहे थे तब टोटो ने अचानक थैले में से अपना सिर निकाला और टिकट कलेक्टर को अपने लम्बे-चौड़े दाँत दिखाए। बेचारा वह व्यक्ति भौचक्का रह गया; किन्तु, अत्यधिक प्रत्युत्पन्नमति से व दादाजी की झंझलाहट बढ़ाने के लिए उसने कहा, “श्रीमान् आपके पास कुत्ता है, आपको नियमानुसार इसका भुगतान करना पड़ेगा।”

व्यर्थ में दादाजी ने टोटो को थैले से बाहर निकाला और व्यर्थ ही में यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि एक बन्दर कुत्ते या एक चौपाये जानवर के बराबर नहीं हो सकता। टोटो का वर्गीकरण कुत्ते के रूप में टिकट चैकर द्वारा किया गया और तीन रुपए किराए के रूप में अदा किए गए। तब दादाजी ने अपना पक्ष सिद्ध करने हेतु, अपनी जेब में से हमारा पालतू कछुआ निकाला और कहा, “मैं इसके लिए कितना किराया दूँ, क्योंकि आप सभी पशुओं के लिए किराया लेते हैं।” टिकट कलक्टर ने कछुए को निकट से देखा और तर्जनी अंगुली से दबाया, और दादाजी को प्रफुल्लित और विजयी मुस्कान दी और कहा, “इसका किराया नहीं, क्योंकि यह कुत्ता नहीं है।” 

3. When Toto……………………….himself alive. 

कठिन शब्दार्थ : accepted (अक्सेप्टड्) = स्वीकार कर लिया, stable (स्टेब्ल्) = अस्तबल, donkey (डॉकि) = गधा, halter (हॉल्ट(र)) = घोड़े की गर्दन में बाँधी जाने वाली रस्सी या चमड़े की पट्टी, hay,(हे) = पशुचारे के लिए काटी गई व सुखाई हुई घास, slap (स्लैप्) = थप्पड़/थपकी, haunches (हॉन्चिज्) = पुट्ठों, jerked back (जक्ट बैक्) = झटके से पीछे खींचा, dragging (ड्रैग्ङ्) = घसीटते हुए, cunningly (कनड्लि ) = चालाकी से, gradually (ग्रैजुअलि) = धीरे-धीरे।

हिन्दी अनुवाद : जब टोटो को दादीजी ने पूर्णरूप से स्वीकार कर लिया तो उसे अस्तबल में आरामदेह स्थान दे दिया। जहाँ परिवार की गधी, नाना, उसकी साथिन थी। अस्तबल में टोटो की पहली रात्रि को दादाजी यह देखने के लिए वहाँ गए कि वह वहाँ आराम से तो है। उन्हें यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि नाना बिना किसी स्पष्ट कारण के अपनी रस्सी को खींच रही थी और न जाने क्यों भूसे के एक ढेर से अपना सिर दूर हटाने का प्रयास कर रही थी। दादाजी ने नाना के पुट्ठों पर एक थप्पड़ लगाया, और वह एक झटके के साथ पीछे हटी, टोटो भी साथ में खिंचा चला आया। वह नाना के लम्बे कानों पर अपने तीखे छोटे-छोटे दाँत गड़ाए हुए था। नाना व टोटो कभी मित्र नहीं बन सके।

सर्दियों में सायंकाल के समय टोटो की एक बड़ी आवभगत यह होती थी कि दादीजी उसे एक बड़े से बर्तन में नहाने को गर्म पानी देती थी। वह बड़ी चालाकी से अपना हाथ डालकर देखता था कि पानी कितना गर्म है फिर धीरे-धीरे यह उसमें प्रवेश करता था, पहले एक पाँव, फिर दूसरा (जैसा कि उसने मुझे करते हुए देखा था) और फिर गर्दन तक वह पानी में बैठ जाता था।

एक बार आरामदायक होने पर, वह साबुन को अपने हाथ या पैर में ले लेता और अपने सभी जगह रगड़ लेता। जब जल शीतल हो जाता तो वह बाहर निकलता और स्वयं को सुखाने के लिए इतनी तेजी से चूल्हे की ओर दौड़ कर जाता, जितना वह कर सकता। यदि इस क्रिया के दौरान उस पर कोई हँसता तो टोटो की भावनाएं आहत होती तो वह अपने स्नान को जारी रखने से इनकार कर देता। एक दिन तो टोटो अपने को जीवित उबालने में लगभग सफल हो गया होता।

4. A large kitchen …………………….. rupees.

कठिन शब्दार्थ : soap (सोप्) = साबुन, hauled (हॉल्ड) = बहुत मेहनत और कठिनाई से खींचा, stuffing (स्टफ्ङ्) = लूंस-ठूस कर, rushed forward (रशट फॉवड्) = आगे दौड़ी, dish (डिश्) = व्यंजन, jackfruit (जैक्यूंट्) = कटहल, chattered (चैट(र)ड) = बकबक की, curtains (कट्न्ज ) = पर्दे।

हिन्दी अनुवाद : रसोई में काम आने वाली एक बड़ी केतली को (पानी से भरकर) पानी उबालने के लिए चूल्हे पर रख दिया गया। चाय के लिए व टोटो के (नहाने के) लिए, टोटो को करने को कुछ और अच्छा नहीं मिला, तो उसने (केतली का) ढक्कन हटाने का निश्चय किया। पानी को नहाने लायक गर्म पाकर, वह उसमें घुस गया (किन्तु उसने) अपना सिर खुली हुई केतली से बाहर निकाले रखा। यह केवल तब तक अच्छा था, जब तक कि पानी ने उबलना आरम्भ नहीं किया था।

टोटो ने फिर, स्वयं को थोड़ा-सा उठाया (बाहर निकलने के लिए); लेकिन बाहर ठंड पाकर, पुनः बैठ गया। वह कुछ देर तब तक ऊपर-नीचे फुदकता रहा जब तक कि दादीजी वहाँ नहीं आ गई और बहुत कठिनाई से खींचकर उसे आधा उबलता हुआ केतली से बाहर निकाला। यदि मस्तिष्क का कोई एक भाग ऐसा है जो विशेषकर शरारतों के लिए होता है, तो यह भाग टोटो में अत्यधिक विकसित था। वह सदा वस्तुओं के टुकड़े कर देता था। जब कभी भी मेरी एक चाची उसके निकट जाती, वह उनके कपड़े पकड़ लेता और उनमें सुराख कर देता।

एक दिन दोपहर में भोजन के समय पुलाव की बहुत बड़ी-सी तश्तरी भोजन की मेज पर बीच में रखी थी। जैसे ही हम कमरे में दाखिल हुए हमने देखा कि टोटो चावलों से अपनी उदरपूर्ति कर रहा था। मेरी दादी माँ चिल्लाई और टोटो ने एक प्लेट उन पर फेंक दी। मेरी एक चाची आगे बढ़ी और उन्होंने चेहरे पर पानी से भरा गिलास प्राप्त किया।

जब दादाजी आए तो टोटो ने पुलाव की तश्तरी उठाई और खिड़की के रास्ते बाहर चला गया। हमने उसे कटहल फल के वृक्ष की शाखाओं पर देखा, पुलाव अभी भी उसके हाथों में था। वह पूरी दोपहर वहाँ रहा, चावल धीरे-धीरे खाते हुए मानो उसने प्रत्येक दाने को खाने का निर्णय कर रखा था। तब दादी माँ के प्रति विरोध प्रकट करने हेतु जो पहले उस पर चिल्लाई थी, टोटो ने वृक्ष के नीचे पुलाव की प्लेट फेंक दी, जो टूटकर सौ टुकड़े हो गई और वह खुशी से चीं-चीं करने लगा।

यह स्पष्ट है कि टोटो इस प्रकार का पालतू जानवर नहीं जिसे हम अधिक देर तक रख सकें । यहाँ तक कि दादाजी ने भी ऐसा अनुभव किया। हम इतने सम्पन्न नहीं थे कि उसके द्वारा बार-बार भोजन, कपड़े, पर्दे और दीवार पर लगे कागजों का नुकसान सहन कर लेते। अतः दादाजी ने ताँगा चालक को ढूँढ निकाला और टोटो उसे पुनः बेच दिया केवल तीन रुपये में।

0:00
0:00