पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ में एक अत्यन्त सरल संस्कृत में बाल-गीत है, जिसमें एक बालक चन्दा-मामा को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हे चन्दामामा! तुम कहाँ से आते हो? तुम कहाँ जाते हो? यह नीला आकाश बहुत विशाल है। तुम मेरे घर क्यों नहीं आते हो? हे चन्दामामा ! तुम शीघ्र...
पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ में एक रोचक कथा के माध्यम से प्रेरणा दी गई है कि परिश्रम और लगन से | कठिन से भी कठिन कार्य को सरलता से सम्पन्न किया जा सकता है। पाठ के कठिन-शब्दार्थ- लीनः = संलग्न, तल्लीन। वाञ्छति = चाहता/चाहती है। कोऽपि (कः + अपि) = कोई...
पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ में अत्यन्त सरल संस्कृत के श्लोकों में बालकों के मनोभावों को व्यक्त किया गया है।प्रथम श्लोक में बालक परस्पर में एक-दूसरे का आह्वान करते हुए एक वायुयान का निर्माण करके आकाश में स्वच्छन्दता के साथ घूमना चाहते हैं।द्वितीय श्लोक में उन्नत...
पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ में बालकों की एक रोचक कथा के माध्यम से एक से दस तक की संस्कृत में संख्याओं का ज्ञान कराया गया है तथा बालकों के स्वभाव का सुन्दर चित्रण किया गया है। पाठ के कठिन-शब्दार्थ : इदानीम् = अब। एकदा = एक बार। स्नानाय = नहाने के...
पाठ-सार – प्रस्तुत पाठ में फूलों के उत्सव का वर्णन हुआ है। यह उत्सव ‘फूलवालों की सैर’ नाम से प्रसिद्ध है। पाठ में बताया गया है कि भारत देश में विभिन्न प्रकार के उत्सव मनाये जाते हैं। उनमें से प्रमुख यह पुष्पोत्सव है। इसका आयोजन देहली के मेहरौली...