Chapter 11 रचनाएँ Ex 11.1
प्रश्न 1.
एक दी हुई किरण के प्रारम्भिक बिन्दु पर 90° के कोण की रचना कीजिए और कारण सहित रचना की पुष्टि कीजिए।
हल:
रचना के चरण
- सर्वप्रथम एक किरण OA उपयुक्त नाप की खींची।
- किरण OA के बिन्दु 0 को केन्द्र मानकर तथा उपयुक्त त्रिज्या परकार में लेकर च प LM खींचा जो OA को L बिन्दु पर काटता है।
- अब चाप उतना ही रखकर L को केन्द्र मानकर एक चाप खींचा जो चाप LM को P पर काटे।
- अब पुन: P को केन्द्र मानकर तथा उतना ही चाप लेकर एक चाप पुनः काटा जो चाप PM को Q बिन्दु पर काटे।
- अब OB तथा OC किरण प्राप्त करने के लिए 0 को P से तथा O को Q से मिलाया तथा आगे बढ़ा दिया। हम देखेंगे कि
- ∠AOB = ∠BOC = 60°
- अब कोण BOC को समद्विभाजित किया। इसके लिए पूर्वानुसार ही चाप लेकर बिन्दु P तथा Q से चाप लगाया जो कटे हुए स्थान को 0 से मिलाने पर OR किरण बन जाती है।
- इस प्रकार इस किरण के प्रारम्भिक बिन्दु पर बनने वाला ∠AOD = 90° ही अभीष्ट कोण है।
- सत्यापन-चाँदे की सहायता से मापे गए कोण ∠AOD का मान 90° प्राप्त होता है।
रचना की प्रामाणिकता-चित्रानुसार बिन्दु P को L से मिलाया तब
OL = OP = PL(रचना से)
अतः ∆ OPL एक समबाहु त्रिभुज है और ∠POL जो कि ∠BOA के समान है तथा ये 60° के बराबर है। अब QP को मिलाया।
∴ OP = OQ = PQ (रचना से)
अतः ∆ OQP एक समबाहु त्रिभुज है।
∠POQ = ∠BOC = 60°
∠BOC का समद्विभाजक OD है।
अब ∠DOA = ∠BOA + ∠DOB
या ∠DOA = 60° + 30° = 90°
प्रश्न 2.
एक दी हुई किरण के प्रारम्भिक बिन्दु पर 45° के कोण की रचना कीजिए और कारण सहित रचना की पुष्टि कीजिए।
हल:
रचना के चरण:
(1) सर्वप्रथम एक किरण OA उपयुक्त नाप की खींची।
(2) प्रश्न 1 में दिए गए पदों के अनुसार ∠AOD = 90° के कोण की रचना की।
(3) हम जानते हैं कि 45° = 1 × 90° अतः हमें अभीष्ट कोण अर्थात् 45° का कोण प्राप्त करने के लिए 90° के कोण की रचना कर दिए गए कोण को समद्विभाजित करने की प्रक्रिया का ही अनुसरण करना होगा।
(4) 90° के कोण को बनाने में प्रयुक्त चाप लेकर ही बिन्दु L तथा S से पुनः चाप लगाया। चापों के कटे हुए स्थान को बिन्दु 0 से मिला दिया। इस किरण का नाम OE दिया।
(5) किरण OE कोण AOD को समद्विभाजित करती है अतः
∠AOE = ∠DOE = 45°
सत्यापन-चाँदे की सहायता से ∠AOE को मापने पर उसकी माप 45° प्राप्त होती है।
रचना की प्रामाणिकता: बिन्दु L व S को मिलाया। अब ∆ OLS एक समद्विबाहु त्रिभुज है, जिसमें 0 बिन्दु पर समकोण है।
∴ OL = Os
अत: 0, SL के लम्ब समद्विभाजक पर स्थित है।
∴ SF = FL
तथा ∠OFS = ∠OFL = 90°
अब ∆ OFS तथा ∆ OFL में
OF = OF (उभयनिष्ठ भुजाएँ)
OS = OL (रचना से)
तथा SF = FL (सिद्ध कर चुके हैं)
∴ ∆ OFS = ∆ OFL
(सर्वांगसमता के नियम SSS के अनुसार)
या ∠SOF = ∠LOF
क्योंकि ये सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग हैं।
∴ ∠SOF + ∠LOF = ∠SOL
⇒ ∠LOF + ∠LOF = 90°
⇒ 2 ∠LOF = 90°
या ∠LOF = 45°
प्रश्न 3.
निम्न मापों के कोणों की रचना कीजिए
(i) 30°
(ii) 22
(iii) 15°
हल:
(i) 30°
अतः 30° के कोण की रचना में निम्न पद प्रयुक्त होंगे
रचना के चरण:
- सर्वप्रथम एक किरण OA उपयुक्त नाप की खींची।
- बिन्दु 0 से एक उपयुक्त चाप लेकर LM चाप लगाया।
- अब बिन्दु L से उतना ही चाप परकार में भरकर LM चाप को काटा।
- यह कटा बिन्दु S है। इसे 0 बिन्दु से मिलाया। इस प्रकार 60° के कोण की रचना हुई।
- अब बने इस कोण COA = 60° का समद्विभाजन किया।
-
समद्विभाजन से प्राप्त किरण OE ही वह किरण है जो ∠EOA = 30° का कोण बनाती है तथा चित्रानुसार
∠COE = ∠EOA = 30°
सत्यापन: चाँदे की सहायता से ∠EOA को मापने पर इसका मान 30° प्राप्त होता है।
रचना के चरण:
(1) सर्वप्रथम OA किरण किसी भी नाप की खींची।
(2) परकार व पटरी की सहायता से 0 बिन्द पर 90° का कोण बनाया।
(iii) 15°
15° के कोण की रचना के लिए 30° के कोण की रचना करके उसका समद्विभाग करना होगा। अर्थात्
रचना के चरण:
(1) सर्वप्रथम OA किरण किसी भी नाप की खींची।
(2) परकार व पटरी की सहायता से तथा पूर्व में दिए गए पदों की सहायता से 60° का कोण बनाया।
(3) अब इस 60° के ∠DOA का समद्विभाग कर ∠COA = 30° प्राप्त किया।
(4) प्राप्त ∠COA = 30° का पुनः पूर्व में दिए गए पदों के अनुसार ∠COA = 30° का समद्विभाग कर ∠BOA = 15° प्राप्त कर लिया। अतः
∠COB = ∠BOA = 15°
सत्यापन-प्राप्त ∠BOA = 15° को चाँदे की सहायता से मापने पर कोण का मान 15° प्राप्त होता है।
प्रश्न 4.
निम्न कोणों की रचना कीजिए और चाँदे द्वारा मापकर पुष्टि कीजिए
(i) 75°
(ii) 105°
(iii) 135°
हल:
(i) 75° के कोण की रचना-
(1) परकार व पटरी की सहायता से 60° व 120° के लिए दो चाप क्रमश: S व R लगाइए।
(2) ∠SOR का अर्द्धक ON खींचिये। यह ∠BON = 90° होगा।
(3) अब ∠SOM का अर्द्धक OT खींचिये। इस प्रकार ∠BOT = 75°
सत्यापन-प्राप्त ∠BOT = 75° को चाँदे से मापने पर भी इसका मान 75° प्राप्त होता है।
(ii) 105° के कोण की रचना
(1) एक रेखाखण्ड AB किसी भी माप का खींचिए।
(2) इस पर किसी बिन्दु 0 से परकार व पटरी द्वारा 60° व 120° के लिए दो चाप क्रमशः P व Q काटिये।
(3) ∠POQ का अर्द्धक OT खींचिए। इससे ∠BOT = 90° प्राप्त होगा।
(4) अब ∠MOQ = 30° का अर्द्धक ON खींचिए।
इस प्रकार ∠BON = 105° प्राप्त होगा।
सत्यापन: प्राप्त ∠BON = 105° को चाँदे की सहायता से मापने पर इसका मान 105° ही प्राप्त होता है।
(iii) 135° के कोण की रचना
रचना के चरण:
(1) सर्वप्रथम किरण OA किसी भी नाप की खींची।
(2) परकार व पटरी की सहायता से बिन्दु 0 पर दो समकोणों की रचना की।
(3) द्वितीय समकोण ∠BOM का समद्विभाग किया जिससे ∠MOC तथा ∠COB = 45° प्राप्त हुए।
(4) इस प्रकार अभीष्ट कोण अर्थात् ∠COA = 135° प्राप्त हो गया।
सत्यापन: प्राप्त ∠COA = 135° को चाँदे की सहायता से मापने पर 135° का कोण ही प्राप्त होता है।
प्रश्न 5.
एक समबाह त्रिभुज की रचना कीजिए, जब इसकी भुजा दी हो तथा कारण सहित रचना कीजिए।
हल:
रचना के चरण:
(1) सबसे पहले एक 5 सेमी. का रेखाखण्ड BC खींचा।
(2) अब परकार में 5 सेमी. का चाप भरकर B बिन्दु से काटा।
(3) पुनः उसी चाप को भरकर बिन्दु C से चाप काटा।
(4) दोनों चापों के कटने के स्थान पर बिन्दु A लिख दिया।
(5) बिन्दु A को क्रमशः बिन्दु B तथा C से मिला दिया।
(6) इस प्रकार एक ऐसा समबाहु त्रिभुज प्राप्त हो गया जिसकी तीनों भुजाएँ 5 सेमी हैं।
रचना की पुष्टि: भुजा BC का समद्विभाग किया जो बिन्दु A से गुजरता है। उसका नाम AD लिखा। हम यह भी जानते हैं कि समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक कोण 60° का होता है।
अब समकोण ∆ ADB तथा समकोण ∆ ADC
AD = AD (उभयनिष्ठ भुजाएँ)
∠ADB = ∠ADC = 90° (रचना से)
तथा BD = CD (रचना से)
∴∆ ADB ≅ ∆ ADC
(सर्वांगसमता के नियम SAS के अनुसार)
∴ ∠B = ∠C = 60°
क्योंकि ये सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग हैं।
∴ ∆ ABC में तीसरा कोण
∠A = 180° – (∠B + ∠C)
= 180° – (60° + 60°)
= 180° – 120°
= 60°
अत: बनाया गया त्रिभुज समबाहु त्रिभुज है।