Chapter 2 पतंग question answer

आलोक धन्वा

अभ्यास

class 12 HindiChapter 2 पतंग

कविता के साथ

  1. 'सबसे तेज बौछारें गई, भादो गया' के बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया है, उसका वर्णन अपने शब्दों में करें।

उत्तर परिवर्तन प्रकृति का नियम है। एक मौसम आता है तो दूसरा जाता है। भादो वर्षा ऋतु का अंतिम महीना होता है। इस मास में बहुत वर्षा होती है। बादल घिरे रहते हैं। अतः अंधकार का साम्राज्य रहता है। वर्षा की झड़ी लगी रहती है। वर्षा की ऋतु बीत गई है। बरसात के बाद समस्त वातावरण स्वच्छ हो जाता है। सारी धूल-मिट्टी धुल जाती है। आसमान साफ हो जाता है। ऋतु बदलने के कारण अब बादल नहीं घिरते। अंधकार के स्थान पर सब ओर प्रकाश फैल जाता है। इस स्वच्छ आसमान में जब सवेरे सूरज आता है, तो आसमान पर लाली छा जाती है। वर्षा की समाप्ति के बाद चमकीले आकाश की लाली कवि को खरगोश की आँखें याद दिला जाती हैं।

  1. सोचकर बताएँ कि पतंग के लिए सबसे हलकी और रंगीन चीज, सबसे पतला कागज, सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग क्यों किया है?

उत्तर सबसे हलकी और रंगीन चीज, सबसे पतला कागज, सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग अतिशयोक्ति अलंकार लाने के लिए किया गया है। वास्तव में पतंग का निर्माण इन्हीं चीजों से होता है। हलकी इसलिए कि उड़ने वाली कोई भी वस्तु इससे अधिक पतली नहीं होती। सबसे रंगीन इसलिए कि इंद्रधनुष में तो सात रंग होते हैं और पतंग कई रंग की होती हैं। सबसे पतला कागज इसलिए कि बूँद पड़ते ही यह कागज फट जाता है। सबसे पतली कमानी इसलिए क्योंकि बाँस की पतली छाल से पतंग की पतली कमानी बनाते हैं। यही पतलापन आकाश की अनंत ऊँचाइयों तक जा पहुँचता है। इन विशेषणों का प्रयोग पाठकों के मन में जिज्ञासा या कुतूहल उत्पन्न करने के लिए किया गया है जिससे वे आकर्षित हों।

  1. बिंब स्पष्ट करें

सबसे तेज़ बौछारें गयीं भादो गया

सवेरा हुआ

खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा

शरद आया पुलों को पार करते हुए

अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए

घंटी बजाते हुए जोर-जोर से

चमकीले इशारों से बुलाते हुए और

आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए

कि पतंग ऊपर उठ सके।

उत्तर दृश्य बिंब सबसे तेज बौछारें गयीं

खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा

शरद आया पुलों को पार करते हुए

अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए

चमकीले इशारों से बुलाते हुए

पतंग ऊपर उठ सके

श्रव्य बिंब घंटी बजाते हुए जोर-जोर से

स्पर्श बिंब आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए

  1. 'जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास'-कपास के बारे में सोचें कि कपास से बच्चों का क्या संबंध बन सकता है?

उत्तर कपास बच्चों की कोमल भावनाओं तथा उनकी मासूमियत का प्रतीक है। बच्चों की कोमलता कपास के समान होती है और उनके सपने कपास से बनी डोर की तरह हैं जो पतंग को ऊँचाई प्रदान करती हैं। मनुष्य सपने देखता है और उसे लक्ष्य तक पहुँचाने के लिए कर्मरत हो जाता है। बालक कपास की तरह कोमल एवं आकर्षक होते हैं और उनकी आंतरिक चेतना उन्हें ऊँचाइयों तक जाने के लिए प्रेरित करती है। दोनों के गुणों में अत्यधिक समानता ही कवि के स्वर का कारण बना है।

  1. 'पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं'-बच्चों का उड़ान से कैसा संबंध बनता है?

उत्तर पतंग उनके सपनों का, अरमानों का एवं आकांक्षाओं का प्रतीक है। जैसे पतंग उन्मुक्त आकाश में स्वच्छंद उड़ती है, उसी प्रकार, बच्चों की आकांक्षाएँ, उनके सपने भी ऊँचाइयों को स्पर्श कर रहे हैं। वे छतों पर उन्मुक्त दौड़ते हैं। उनकी नजर पतंग पर इस तरह टिकी होती है, मानो वे स्वयं पतंग के साथ उड़ रहे हों। बच्चे अपनी दो आँखों के सहारे पतंग से ऐसे जुड़ जाते हैं कि जिधर पतंग जाती है, वहीं वे दौड़ते हुए पहुँच जाते हैं। बच्चों की इतनी एकाग्रता को देखकर ही कवि को ऐसा लगता है कि बच्चे स्वयं भी पतंग के साथ उड़ रहे हैं।

  1. निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर प्रश्नों का उत्तर दीजिए

(क) छतों को भी नरम बनाते हुए दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए

(ख) अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से और बच जाते हैं तब तो और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं।

(i) दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने का क्या तात्पर्य है?

(ii) जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए क्या आपको छत कठोर लगती है?

(iii) खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने के बाद आप दुनिया की चुनौतियों के सामने स्वयं को कैसा महसूस करते हैं?

उत्तर (i) दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने से तात्पर्य यह है कि जब बच्चों के पैर छत पर पड़ते हैं तो उन पैरों की पदचाप मृदंग जैसी ध्वनि करती है। यह ध्वनि बालकों के दौड़ने की दिशाओं में आवाज करती है।
(ii) जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए बच्चों को छत कठोर नहीं लगती, क्योंकि उनका ध्यान पूरी तन्मयता के साथ पतंग पर रहता है, पैरों पर नहीं। कठोरता अनुभूति के आधार पर विदित होती है और अनुभूति का संबंध मन से है। ध्यान पतंग पर होता है, अतः छत की कठोरता का आभास नहीं होता।

(iii) खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने के बाद हम दुनिया की चुनौतियों के सामने स्वयं को मुकाबला करने में सक्षम पाते हैं। हम इस विश्वास को लेकर बढ़ते हैं कि संघर्ष के बाद अन्ततः विजय हमें मिलेगी।

7. 'रोमांचित शरीर का संगीत' का जीवन की लय से क्या संबंध है?

उत्तर कार्य में तन्मयता और मन का परस्पर जुड़ाव है। मन के लगाव के बाद ही कार्य में तन्मयता आती है। जीवन में जो पाने की इच्छा है, उसे हम हासिल करने की हर संभव कोशिश करते हैं। इन कोशिशों में कभी-कभी गिरने, फिसलने और निराश होने की स्थिति भी आती है, मगर लक्ष्य को पाने की लगन जितनी तीव्र होगी, उतना ही शीघ्रता से उठकर हम लक्ष्य की ओर बढ़ने लगते हैं। इसी प्रकार, पतंग को पाने की ललक या उड़ाने की लगन में बच्चे अपने भीतरी रोमांच के सहारे ही बच पाते हैं। यदि शरीर रोमांचित है अर्थात् उसमें खुशियाँ भरी हैं तो आनंदरूपी संगीत बजता रहता है। आनंद जीवन को नयी दिशा देता है। जीवनरूपी लय अपने आप ही सफलता का लक्ष्य प्राप्त कर लेती है। रोमांचित शरीर में संगीत की लय जैसे मनोरम गति आ जाती है।

कविता के आस-पास

  1. आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों को देखकर आपके मन में कैसे ख्याल आते हैं? लिखिए।

उत्तर शरद ऋतु की खिलखिलाती सुहानी ऋतु में आकाश में पतंगें उड़ने लगती हैं। ये पतंगें हल्की रंगीन और पतली कमानी वाली होती हैं। इन पतंगों को आकाश में उड़ता हुआ देखकर ऐसा लगता है कि ये आकाश एक उद्यान है जिसमें उड़ती रंग-बिरंगी पतंगें रंगीन तितलियों के समान आकर्षक दिखाई देती हैं और सम्पूर्ण आकाश एक पुष्यों के गुलदस्ते के समान मनमोहक दिखाई देता है।

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