पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ में चित्रों के माध्यम से समुद्रतटों का वर्णन किया गया है। भारत में अनेक सुप्रसिद्ध समुद्रतट हैं, उनमें मुम्बई, गोवा, कोच्चि, कन्याकुमारी आदि अत्यधिक प्रसिद्ध समुद्रतट हैं। इन समुद्रतटों पर देशविदेश के हजारों पर्यटक भ्रमण के लिए आते हैं। इस पाठ में भारत के एक समुद्रतट का चित्र दिया गया है, जहाँ अनेक बालक विभिन्न प्रकार की क्रीड़ा कर रहे हैं। इस पाठ में विशेष रूप से तृतीया एवं चतुर्थी विभक्ति के पदों का प्रयोग हुआ है।
पाठ के कठिन-शब्दार्थ :
- समुद्रतटः = समुद्र का किनारा।
- पर्यटनाय = घूमने के लिए।
- तरडैः = लहरों से/के साथ।
- नौकाभिः = नौकाओं के द्वारा।
- जलविहारम् = जलक्रीड़ा।
- बालुकाभिः = बालुओं से।
- बालुकागृहम् = बालू का घर, घरौंदा।
- मध्ये-मध्ये = बीच-बीच में।
- प्रवाहयन्ति = धो देते हैं, बहा देते हैं।
- प्रचलति एव = चलती ही रहती है।
- पर्यटनस्थानानि = घूमने की जगह।
- मत्स्यजीविनः = मछुआरे।
- स्वजीविकाम् = अपनी जीविका को।
- चालयन्ति = चलाते हैं।
- अतीव = बहुत अधिक।
- स्वैरम् = बे-रोक टोक/यथेच्छ।
- विहरन्ति = घूमते हैं/टहलते हैं।
- दीर्घतमः = सबसे लंबा।
- प्रायद्वीपः = तीन तरफ जल से घिरा भू भाग।
- सङ्गमः = मिलन।
- युगपदेव (युगपत् + एव) = एक ही साथ।
- द्रष्टुं शक्यते = देखा जा सकता है।
पाठ के गद्यांशों का सरलार्थ एवं पठित-अवबोधनम् –
1. एषः समुद्रतट: ……………………. स्वजीविकां चालयन्ति।
सरलार्थ – यह समुद्र का किनारा है। यहाँ लोग घूमने के लिए आते हैं। कुछ लोग (यहाँ) लहरों के साथ खेलते हैं, और कुछ लोग नावों के द्वारा जल-विहार (पानी में घूमना, क्रीड़ा) करते हैं। उनमें से कुछ लोग गेंद से खेलते हैं। लड़कियाँ और लड़के रेत के द्वारा रेत का घर बनाते हैं। बीच-बीच में लहरें रेत के घर को बहा ले जाती हैं। यह खेल चलता ही रहता है। समुद्र के किनारे केवल पर्यटन (भ्रमण) के स्थान ही नहीं हैं। यहाँ मछुआरे भी अपनी जीविका को चलाते हैं।
पठित-अवबोधनम् –
निर्देश: – उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा एतदाधारितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-)
प्रश्ना: –
(क) जनाः किमर्थम् समुद्रतटे आगच्छन्ति? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) तरङ्गाः किम् प्रवाहयन्ति? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) केचन जनाः काभिः जलविहारं कुर्वन्ति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) ‘बालुकाभिः’ इत्यत्र का विभक्तिः?
(ङ) “बालिकाः बालुकागृहं …………..।” अत्र समुचितं क्रियापदं किम्?
उत्तराणि :
(क) पर्यटनाय।
(ख) बालुकागृहम्।
(ग) केचन जनाः नौकाभिः जलविहारं कुर्वन्ति।
(घ) तृतीया।
(ङ) रचयन्ति।
2. अस्माकं देशे …………………….. सागरतटेषु दीर्घतमः।
सरलार्थ – हमारे देश में अनेक समुद्रतट हैं। इनमें मुम्बई, गोवा, कोच्चि, कन्याकुमारी, विशाखापत्तनम् और पुरी के तट अत्यधिक प्रसिद्ध हैं। गोवा का तट विदेशी पर्यटकों (सैलानियों) को अत्यधिक अच्छा लगता है। विशाखापत्तनम् का तट विदेशी व्यापार के लिए प्रसिद्ध है। कोच्चि का तट नारियल के फलों के लिए जाना जाता है। मुम्बई नगर के जुह तट पर सभी लोग बेरोकटोक घूमते हैं। चेन्नई नगर का मेरीना तट देश के समुद्री तटों में सबसे लम्बा है।
पठित-अवबोधनम् –
प्रश्न: –
(क) विदेशिपर्यटकेभ्यः कः तटः समधिकं रोचते? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) कोच्चितटः केभ्यः ज्ञायते? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) भारतदेशस्य सागरतटेषु दीर्घतमः तटः कः? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) ‘अतीव’ इति पदस्य सन्धिविच्छेदं कुरुत।
(ङ) ‘तटेषु’ इति पदे का विभक्तिः ?
उत्तराणि :
(क) गोवातटः।
(ख) नारिकेलफलेभ्यः।
(ग) चेन्नईनगरस्य मेरीनातटः भारतदेशस्य सागरतटेषु दीर्घतमः।
(घ) अति + इव।
(ङ) सप्तमी।
3. भारतस्य तिसृषु …………………………. द्रष्टुं शक्यते।
सरलार्थ – भारत की तीनों दिशाओं में समुद्रतट हैं। इस कारण से ही भारत देश ‘प्रायद्वीप’ कहा जाता है। पूर्व दिशा में बंगाल की खाडी. दक्षिण दिशा में हिन्द महासागर और पश्चिम दिशा में अरब सागर है। इन तीनों सागरों (समुद्रों) का संगम (मेल) कन्याकुमारी के तट पर होता है। यहाँ पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय और सूर्यास्त को एक ही साथ देखा जा सकता है।
पठित-अवबोधनम् –
प्रश्न: –
(क) कः देशः ‘प्रायद्वीपः’ कथ्यते? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) त्रयाणां सागराणां सङ्गमः कुत्र भवति? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) कन्याकुमारीतटे पूर्णिमायां किम् किम् युगपदेव द्रष्टुं शक्यते? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) ‘चन्द्रोदयः’ इति पदस्य सन्धिविच्छेदं कुरुत।
(ङ) ……………… अपि सागराणाम्।’ इत्यत्र विशेषणपदं किम्?
उत्तराणि :
(क) भारतदेशः।
(ख) कन्याकुमारीतटे।
(ग) कन्याकुमारीतटे पूर्णिमायां चन्द्रोदयः सूर्यास्तं च युगपदेव द्रष्टुं शक्यते।
(घ) चन्द्र + उदयः।
(ङ) त्रयाणाम्।