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From the Diary of Anne Frank Summary and Translation in Hindi
कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद

Writing in a………………………this friend ‘Kitty’. (Page 50)

कठिन शब्दार्थ : musings (म्यूजिङ्ज) = चिन्तन। depressed (डिप्रेस्ट) = निराश । listless (लिस्ट्ल स्) = सुस्त। brooding (ब्रूडिङ्) = विचार करते हुए। stiff-backed (स्टिफ्-बैक्ट) = कठोर जिल्द वाली। grandly (ग्रैड्लि ) = शान से। referred to (रिफ(र)ड टु) = उल्लिखित करते हैं। probably (प्रॉबब्लि) = सम्भवतः। prompted (प्रॉम्प्ट्ड ) = प्रेरित किया। confide (कन्फाइड्) = किसी को गोपनीय बात बताना । liable (लाइअबल) = उत्तरदायी। enhance (इन्हान्स्) = बढ़ाना/संवर्द्धन। imagination (इमैजिनेश्न्) = कल्पना। jot down (जॉट डाउन्) = जल्दी से संक्षेप में लिखना।।

हिन्दी अनुवाद-डायरी लिखना मेरी जैसी किसी लड़की के लिये वास्तव में एक विचित्र अनुभव है। यह (विचित्र अनुभव) केवल इसलिए नहीं है कि मैंने कभी इससे पहले कुछ नहीं लिखा है बल्कि इसलिए भी है क्योंकि मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि बाद में न तो मैं स्वयं और न कोई अन्य व्यक्ति 13 वर्ष की विद्यालयी-बालिका के चिन्तन (विचारों) में रुचि रखेगा। यह ठीक है कि इस (उपर्युक्त) बात का कोई महत्त्व नहीं है। मैं लिखने जैसा महसूस करती हूँ (अर्थात् मैं लिखना चाहती हूँ) और मुझे इससे भी अधिक आवश्यकता है कि मैं सभी प्रकार की चिन्ताओं के बारे में बात करके अपने दिल का बोझ हल्का करूँ।

‘कागज, मानव से अधिक धैर्य/सहनशीलता रखते हैं’, मैंने इस कहावत के विषय में उन दिनों सोचा जब मैं थोड़ा निराश अनुभव कर रही थी और अपने हाथों से अपनी ठोड़ी को पकड़े घर पर नीरस और सुस्त बैठी हुई थी और सोच रही थी कि घर में अन्दर ही रुकी रहूँ या बाहर जाऊँ। मैं अंततः वहीं रुकी रही जहाँ मैं थी, यह चिन्तन करते हए : हाँ, कागज निश्चय ही अधिक धैर्य रखता है, और चूँकि मैं यह योजना नहीं बना रही हूँ कि किसी अन्य को इस सख्त-जिल्द वाली पुस्तिका, जिसे शान से एक डायरी के रूप में उल्लिखित करते हैं, को पढ़ने की अनुमति दूँ, जब तक कि मुझे वास्तविक (भरोसेमंद) मित्र नहीं मिल जाता, तब तक इसमें शायद थोड़ा-सा भी कोई अन्तर नहीं आयेगा।
अब मैं वापस उस ही बिन्दु पर आती हूँ जिसने मुझे डायरी को प्रथम स्थान पर रखने के लिए प्रेरित किया : (वह यह है कि) मेरे कोई मित्र नहीं है।

मैं इसे और स्पष्ट कर दूं, क्योंकि कोई इस बात पर विश्वास नहीं करेगा कि एक 13 वर्ष की लड़की संसार में बिल्कुल अकेली है। और मैं अकेली हूँ भी नहीं। मेरे पास स्नेही माता-पिता और 16 वर्ष की एक बहन है, और लगभग 30 ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें मैं अपना मित्र कह सकती हूँ। मेरा एक परिवार है, स्नेही चाचियाँ हैं और एक अच्छा घर है। नहीं, (अर्थात् स्थिति ऐसी नहीं है) ऊपरी तौर पर ऐसा लगता है कि मेरे पास सब कुछ है, सिवाय एक सच्चे मित्र के । मैं जब अपने मित्रों के साथ होती हूँ तो केवल मौज-मस्ती के बारे में सोचती हूँ। मैं दैनिक साधारण चीजों के सिवा और कुछ नहीं सोचती हूँ। हम और आत्मीय होते नहीं दिखते, शायद यही समस्या है।

शायद यह मेरा दोष हो कि हम एक-दूसरे को अपनी गोपनीय बातें नहीं बताते हैं। किसी भी परिस्थिति में, स्थितियाँ ऐसी ही हैं जैसी हैं, और दुर्भाग्यवश वे बदलने वाली नहीं हैं। इस ही कारण से मैंने डायरी (लिखना) आरम्भ की है। लम्बे समय से प्रतीक्षारत इस मित्र की छवि मेरी कल्पना में बढ़ाने के लिए, मैं इस डायरी में तथ्यों को जल्दी से संक्षेप में इस तरह से लिखना नहीं चाहूँगी जैसे कि अधिकतर लोग करते हैं, बल्कि मैं चाहती हूँ कि डायरी मेरी मित्र बने, और मैं इस मित्र को ‘किट्टी’ कहकर पुकारने वाली हूँ।

Since no one………….of my diary. (Page 51)

कठिन शब्दार्थ : plunge in (प्लन्ज् इन्) = हड़बड़ी में शुरू करना। sketch (स्केच) = रूपरेखा । adorable (अडॉरबल) = प्रिय । emigrate (एमिग्रेट) = उत्प्रवास करना/विदेश में जा बसना। plunked down (प्लन्क्ट डाउन्) = पटक दिया। heart-breaking (हाट्ब्रेकिङ्) = हृदय विदारक।
ell (फेअवेल) = विदाई। celebration (सेलिब्रेशन) = समारोह। intended (इन्टेन्ड्ड ) = के प्रयोजन से। solemn (सॉलम्) = सत्यनिष्ठ। dedication (डेडिकेशन) = समर्पण।

हिन्दी अनुवाद-कोई भी किट्टी में लिखी मेरी कहानी का एक भी शब्द नहीं समझ पाता यदि मैं इसमें ठीक हड़बड़ी में लिखना आरम्भ कर देती। यह अच्छा होगा कि मैं अपने जीवन की एक संक्षिप्त रूपरेखा उपलब्ध करा दूं, यद्यपि मैं ऐसा करना नापसन्द करती हूँ। मेरे पिता, मैंने जितने भी अब तक देखे उनमें से सबसे प्रिय पिता, ने मेरी माता से तब तक विवाह नहीं किया जब तक वह 36 वर्ष के न हो गए और माता 25 वर्ष की न हो गई। मेरी बहन मारगॉट का जन्म 1926 में जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर में हुआ। मेरा जन्म 12 जून 1929 को हुआ था। मैं चार वर्ष की आयु तक फ्रैंकफर्ट में रही। मेरे पिता 1933 में हॉलैंड को उत्प्रवास कर गए। मेरी माँ, एडिथ हॉलैंडर फ्रैंक, सितम्बर में उनके साथ हॉलैंड चली गई, जबकि मारगॉट व मुझे हमारी दादी के साथ रहने आकॅन भेज दिया गया था। मारगॉट दिसम्बर से हॉलैंड गई और मैंने फरवरी में उसका अनुसरण किया, जब मुझे मारगॉट के जन्म-दिन के उपहारस्वरूप मेज पर पटक दिया गया था।

मैंने तुरन्त ही मॉन्टेसॅरि नसरि विद्यालय में पढ़ाई आरम्भ कर दी। मैं 6 वर्ष की आयु तक वहाँ रही तथा उस समय मैंने पहली कक्षा आरम्भ कर दी थी। छठी कक्षा में प्रधानाध्यापिका, श्रीमती क्युपरस मेरी अध्यापिका थी। वर्ष के अन्त में हम दोनों के नेत्र अश्रुपूर्ण थे ज्योंही हमने एक-दूसरे को हृदय विदारक विदाई दी। 1941 की गर्मियों में दादी माँ बीमार पड़ गई और एक ऑपरेशन कराना पड़ा था, अतः मेरा जन्म-दिन बिना किसी समारोह के गुजर गया।

दादी माँ का स्वर्गवास जनवरी 1942 में हो गया। कोई नहीं जानता है कि मैं उनके बारे में कितनी बार सोचती हूँ और अब भी उनसे प्रेम करती हूँ। 1942 का यह जन्मदिन पहले वाले जन्मदिन को मनाने की कमी को पूरा करने के इरादे से मनाया गया था और अन्य मोमबत्तियों के साथ दादी माँ की मोमबत्ती : हम चारों अभी भी ठीक-ठाक हैं तथा इसके साथ ही मैं आज के दिनांक 20 जून 1942 पर आती हूँ, और अपनी डायरी के प्रति निष्ठापूर्वक समर्पण पर आती हूँ।

Saturday, 20 June 1942
Dearest Kitty,…….. …………to keep quiet. (Page 52)

कठिन शब्दार्थ : quaking in its boots (क्वेकिङ् इन् इट्स बूट्स) = भय व चिन्ता से काँपना। forthcoming (फॉथ्कमिङ्) = आगामी। bets (बेट्स) = शर्त। pleading glances (प्लीडिङ् ग्लान्स्ज) = प्रार्थना भरी निगाहें । angry outbursts (ऐनि आउट्बस्ट्स) = क्रोधपूर्ण भड़ास । dummies (डमिज) = मूर्ख व्यक्ति। unpredictable (अनप्रिडिक्टबल) = जिसके बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। old fogey (ओल्ड् फोगि) = पुराने फैशन का। annoyed (अनॉइड्) = नाराज । assigned (असाइन्ड) = दिया। chatterbox (चैट(र)बॉक्स्) = बातूनी । tucked in (टक्ट इन्) = अन्दर रखी।
हिन्दी अनुवाद

शनिवार, 20 जून 1942
प्रिय किट्टी,

हमारी पूरी कक्षा भय व चिन्ता से काँप रही है। इसका कारण, निःसन्देह, आगामी मीटिंग है जिसमें अध्यापक यह फैसला करेंगे कि कौन अगली कक्षा में जायेगा और किसको पिछली कक्षा में रोक लिया जायेगा। आधी कक्षा शर्ते लगा रही हैं । जी.एन. और मैं अपने पीछे के दो लड़कों सी.एन. व जैक्स की मूर्खता पर हँसते हैं जिन्होंने अपनी छुट्टियों की पूरी बचत को शर्त/दाँव पर लगा दिया है। प्रात:काल से रात्रि तक, यही चलता रहता “तुम तो उत्तीर्ण हो जाओगे”, “नहीं, मैं नहीं होऊँगा”, “हाँ, तुम हो जाओगे”, “नहीं, मैं नहीं
तक कि जी. की प्रार्थना भरी निगाहें व मेरी क्रोधपूर्ण भडास भी उन्हें शान्त नहीं कर पाये। यदि आप मुझसे पूछे, तो कक्षा में इतने मूर्ख हैं कि एक-चौथाई को तो इस ही कक्षा में रोक लिया जाना चाहिए, किन्तु अध्यापकगण इस धरती पर ऐसे प्राणी हैं जिनके बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है।

मैं अपनी सहेलियों और अपने बारे में चिन्तित नहीं हूँ। हम इसे कर लेंगे (अर्थात् पास हो ही जायेंगे)। एकमात्र विषय जिसके बारे में मैं आश्वस्त नहीं हूँ वह गणित है। जो भी हो, हम केवल प्रतीक्षा ही कर सकते हैं। तब तक, हम एक-दूसरे को निराश न होने के लिए ही कह सकते हैं।

मेरी, सभी अध्यापकों के साथ अच्छी पटती है। वे 9 हैं जिनमें 7 पुरुष व 2 महिलाएँ हैं। श्रीमान् कीसिंग, पुराने फैशन के हैं व गणित पढ़ाते हैं, वे लम्बे समय से मुझसे नाराज थे क्योंकि मैं बहुत बात करती थी। बहुत-सी चेतावनियों के बाद उन्होंने मुझे अतिरिक्त गृहकार्य दे दिया, ‘एक बातूनी’ विषय पर एक निबन्ध। एक बातूनी इसके बारे में तुम क्या लिख सकती हो? मैंने निश्चय किया, कि इसकी चिन्ता बाद में करूँगी। मैंने शीर्षक को अपनी अभ्यास-पुस्तिका में लिखा, इसे अपने थैले में रखा और चुप रहने का प्रयास किया।

That evening,…………….Yours, Anne. (Pages 52-54)

कठिन शब्दार्थ : ramble on (रैम्ब्ल ऑन्) = अनर्गल प्रलापना/इधर-उधर की बात करना। convincing arguments (कन्विन्सिङ् आग्युमन्ट्स) = युक्तिपूर्ण बात। inherited traits (इनहेरिट्ड ट्रेट्स) = वंशागत विशेषताएँ। proceeded (प्रसीड्ड) = आगे बढ़ी। incorrigible (इनकॉरिजॅब्ल) = असुधार्य/जिसे सुधारा न जा सके। quack (क्वैक्) = बतख की तरह काँ-काँ। exhausted (इग्जॉस्टिड) = समाप्त कर दिया। ingenuity (इन्जॅन्यूअटि) = प्रतिभाशीलता। ridiculous (रिडिक्यलस्) = हास्यास्पद । swan (स्वॉन) = हंस। baby ducklings (बेबि डकलिङ्ज) = बतख के बच्चे।

हिन्दी अनवाद-उस शाम. जब मैं अपना शेष गहकार्य समाप्त कर चकी थी. उसके बाद निबन्ध लिखने के नोट ने मेरा ध्यान खींचा। मेरी स्याही वाले पेन के अग्रतम भाग (नोक) को चबाते हुए (मुँह में लेते हुए) मैंने विषय-वस्तु के बारे में सोचना आरम्भ किया। कोई भी अनर्गल बातें लिख सकता था और शब्दों के बीच अधिक स्थान छोड़ सकता था (अर्थात् खुला-खुला लिख सकता था), किन्तु चतुराई तो इस बात में थी कि बोलने की आवश्यकता को युक्तिपूर्ण तर्कों द्वारा प्रमाणित किया जाए।

मैं सोचती रही और सोचती रही, और अचानक मुझे एक विचार आया। मैंने तीन पृष्ठ लिखे जो श्रीमान् कीसिंग ने मुझे दिये थे और सन्तुष्ट हो गई थी। मैंने तर्क दिया कि बोलना एक विद्यार्थी की विशेषता है और यह कि मैं इसे नियन्त्रण में रखने का अपना सर्वोत्तम प्रयास करूँगी किन्तु बात यह है कि मैं इस आदत से कभी छूट नहीं पाऊँगी क्योंकि मेरी माँ भी यदि मुझसे अधिक नहीं तो उतना तो बातूनी थी जितनी मैं हूँ और यह कि वंशानुगत विशेषताओं के बारे में आप कुछ ज्यादा नहीं कर सकते।

मेरे तर्कों पर श्रीमान् कीसिंग खुल कर हँसे, किन्तु जब मैं अगले पाठ के दौरान भी अपने तरीके से ही बात करने लगी, तो से दूसरा निबन्ध लिखने को दे दिया। इस बार यह इस शीर्षक पर था—’एक असुधार्य बातूनी’ (अर्थात् बातूनी जिसे सुधारा न जा सके)। मैंने उसे भी लिखकर दे दिया और श्रीमान् कीसिंग के पास दो पूरे पाठों तक शिकायत करने को कुछ नहीं था। फिर भी, तीसरे पाठ के दौरान उनसे और नहीं सहा गया।”ऐन फ्रैंक, कक्षा में बात करने की सजा के रूप में, इस शीर्षक पर निबन्ध लिख कर ला काँ (बतख के जैसे) कुमारी बातूनी बोली’।”

कक्षा जोर से हँसने लगी, मुझे भी हँसी आ गई, क्योंकि बातृनियों के प्रकरण (टॉपिक) पर मैं अपनी प्रतिभाशीलता लगभग समाप्त कर चुकी थी। अब समय था कुछ अन्य करने का, कुछ मौलिक करने का। मेरी सहेली, सैन, जो कि काव्य-लेखन में अच्छी है, ने इस निबन्ध को आरम्भ से अन्त तक कविता में लिखने में मेरी सहायता करने का प्रस्ताव रखा और मैं खुशी से झूम उठी। श्रीमान् कीसिंग इस हास्यास्पद विषय द्वारा मेरा मजाक उड़ाने का प्रयास कर रहे थे, किन्तु मैं सुनिश्चित करूँगी कि यह मजाक उन्हीं के साथ हो।।

मैंने अपनी कविता समाप्त की, और यह बहुत सुन्दर थी! यह एक बतख माँ और एक हंस पिता जिनके तीन बच्चे थे, के बारे में थी जिनको उनके पिता ने चोंच मार-मार कर इसलिए मार दिया था क्योंकि वे बहुत अधिक काँ-काँ करते थे। सौभाग्य से, श्रीमान् कीसिंग ने मजाक को सही परिप्रेक्ष्य (ढंग) से लिया। उन्होंने अपनी टिप्पणी जोड़ते हुए, कविता कक्षा को सुनाई व फिर अन्य कक्षाओं में भी सुनाई। तब से उन्होंने मुझे बोलने की अनुमति दे दी है और कोई अतिरिक्त गृहकार्य भी नहीं दिया गया है। इसके विपरीत, श्रीमान् कीसिंग इन दिनों मजाक भी करने लगे हैं।
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आपके पढ़ने से पूर्व :

“मैं इस फोटो में जैसी हूँ वैसी ही जीवन-भर दिखना चाहूँगी।
तब ही, शायद, मुझे हॉलीवुड आने का अवसर मिल जाए।’

  • ऐन फ्रैंक, 10 अक्टूबर 1942

ऐनलीस मैरी ‘ऐन’ फ्रैंक (12 जून 1929-फरवरी/मार्च 1945) एक जर्मन थी ‘जन्म से यहूदी लड़की थी और उसने तब लिखा जब | वह अपने परिवार तथा चार मित्रों के साथ एम्सटरडम में गुप्त निवास कर रही थी, उस समय द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी ने नीदरलैंड पर आधिपत्य कर लिया था। जर्मनी में नाजियों के सत्ता प्राप्त करने के पश्चात् उसका परिवार एम्सटरडम चला गया था किन्तु जब नाजियों के आधिपत्य का विस्तार नीदरलैंड के भीतरी भाग तक हो गया था तो वे फँस गये थे। जैसे ही यहूदी जनसंख्या पर अत्याचार बढ़ा, तो जुलाई |

1942 में परिवार (के सदस्य) उसके पिता ऑटो फ्रैंक के कार्यालय भवन के गुप्त कक्षों (कमरों) में छिप गए। दो वर्ष के गुप्तवास के पश्चात्, किसी ने विश्वासघात कर उनके दल/समूह के बारे में बता दिया और परिणामस्वरूप उन्हें बंदी शिविर में ले आया गया जहाँ अपनी बहन मार्गोट फ्रैंक की मृत्यु के कुछ ही दिन पश्चात् बॅगॅन-बेल्जन में तंद्रिक ज्वर (टाइफस) से ऐन की भी मृत्यु हो गई। जब युद्ध समाप्त हो गया तब उसके पिता, ऑटो, जो समूह में एकमात्र जीवित बचे थे, वे एम्सटरडम वापस आये, जहाँ उन्होंने पाया कि ऐन की डायरी सुरक्षित बच गई थी। ऐसा मानकर कि यह एक अनोखा रिकार्ड था, उन्होंने इसे अंग्रेजी में एक युवा लड़की की डायरी’ के नाम से प्रकाशित करवाने की कार्यवाही की।

डायरी ऐन फ्रैंक को उसके 13वें जन्मदिन पर उपहार में मिली थी और इसमें 12 जून 1942 से उसकी अन्तिम प्रविष्टि 1 अगस्त 1944 तक उसके जीवन की घटनाओं का क्रमबद्ध विवरण मिलता है। यह मूलतः डच भाषा में लिखी गई थी और बाद में अनेक भाषाओं में अनुवादित की गई थी और विश्व में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तकों में से एक हो गई। डायरी पर आधारित बहुत-सी फिल्में, टेलीविजन कार्यक्रम तथा नाट्य-रचनाएँ बनीं, और यहाँ तक कि नृत्य-नाटिका (ऑपेरा) भी बनी। डायरी, नाजी आधिपत्य में दैनिक जीवन का एक अन्तरंग परीक्षण उपलब्ध कराती है और इस ही कारण इसे एक परिपक्व व अन्तर्दृष्टिपूर्ण मस्तिष्क (विचारशील दिमाग) की कृति/रचना के रूप में वर्णित किया जाता है । ऐन फ्रैंक विनाश-लीला पीड़ितों में से एक सर्वाधिक जानी जाने वाली व चर्चित पीड़ित बन गई।

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