The Hundred Dresses Part 2 Summary and Translation in Hindi
कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद
While the class…………dresses were beautiful. (Pages 73-74 )
कठिन शब्दार्थ – circling (सक्लिङ्) = घूम रही थी। shuffling of feet (शक्लिङ् ऑव् फीट) = कदमों की हलचल। still and quiet (स्टिल् ऐन्ड् क्वाइअट्) = हलचल रहित व शांत । grew (D) = हो गया। tense (टेन्स्) = तनावपूर्ण। expectant (इक्स्पे क्टन्ट्) = आशापूर्ण। adjusted (अजस्ट्ड) = ठीक किया, glasses (ग्लासिज्) = चश्मा, deliberately (डिलिबरट्लि)= किसी विशेष उद्देश्य से/जानबूझकर indicated (इन्डिकेट्ड) = संकेत दिया। listened closely (लिस्न्ड क्लोज्लि) = ध्यानपूर्वक सुना। holler (हॉल(र)) = चिल्लाहट/पुकार । took off (टुक् ऑफ्) = उतारा। blew on (ब्लू ऑन्) = पर फूंक मारी। wiped (वाइप्ट) = साफ किया। put them on (पुट् देम् ऑन्) = उनको पहन लिया। handkerchief (हैङ्कचिफ्) = रुमाल । purposely (पपस्लि) = सोद्देश्य। hurt (हॅट) = ठेस पहुंचाना। unfamiliar (अन्फमिलिअ(र)) = अन्जाना। prefer (प्रिफॅर) = प्रमुखता देना। thoughtlessness (थॉट्लस्नस) = विचारशून्यता। stomach (स्टमक्) = पेट। coward (काउअड्) = कायर। stole a glance (स्टोल् अ ग्लान्स्) = नजर चुरा कर।
हिन्दी अनुवाद – जब कक्षा (कक्षा के विद्यार्थी) कमरे में घूम रही थी तब कक्षानायक प्रधानाचार्य के कार्यालय से मिस मैसन के लिए एक पत्र लेकर आया। मिस मैसन ने इसे कई बार पढ़ा और कुछ समय तक इस पर विचार किया। फिर उसने अपने हाथों से ताली बजाई।
“कक्षा (समस्त विद्यार्थी) ध्यान दें। प्रत्येक वापस अपनी सीट पर जाए।” . जब कदमों की हलचल बंद हो गई थी और कक्ष हलचल रहित व शांत था, तब मिस मैसन ने कहा, “मेरे पास वान्डा के पिता का एक पत्र है जिसे मैं आपको पढ़कर सुनाना चाहती हूँ।”
मिस मैसन वहाँ एक क्षण खड़ी रही और कक्ष की शांति तनावपूर्ण व आशापूर्ण हो गई। अध्यापिका ने धीरे से व एक विशेष उद्देश्य से अपने चश्मे को ठीक किया। उसका तरीका संकेत कर रहा था कि क्या होने जा रहा था – यह पत्र वान्डा के पिता का है-यह बहुत महत्त्व का था। जैसे ही मिस मैसन ने उस संक्षिप्त पत्र को पढ़ा तो प्रत्येक ने ध्यानपूर्वक सुना।
प्रिय टीचर : मेरी वान्डा आपके विद्यालय में अब और नहीं आयेगी। जैक भी नहीं। अब हम एक बड़े शहर में जा रहे हैं। अब ‘पोलॅक’ कह कर कोई नहीं चिल्लायेगा। कोई नहीं पूछेगा कि यह हास्यपूर्ण नाम क्यों? बड़े शहर में बहुत से हास्यपूर्ण नाम होते हैं। भवदीय,
जैन पेट्रोन्स्की इस पत्र को पढ़ने के बाद एक गहरी शांति छा गई। मिस मैसन ने अपना चश्मा उतारा, उस पर फूंक मारी और उसको अपने मुलायम सफेद रूमाल से उसे पोंछा। फिर उसने उसको पुनः पहन लिया और कक्षा की ओर देखा। जब वह बोली तब उसकी आवाज बहुत धीमी थी।
“मुझे पक्का विश्वास है कि कक्ष संख्या 13 के लड़कों व लड़कियों में से किसी ने भी सोद्देश्य व जानबूझकर किसी की भावनाओं को इसलिए ठेस नहीं पहुँचाई होगी क्योंकि उसका नाम बहुत लंबा व अपरिचित है। मैं यह मानती हूँ कि जो कुछ भी कहा गया था वह विचारशून्यता से (अर्थात् बिना सोचे-समझे) कहा गया था। मैं जानती हूँ कि आप सभी भी मेरी तरह ही सोचते हैं कि यह जो कुछ भी घटित हुआ है वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है दुर्भाग्यपूर्ण और दुःखदायी, दोनों। और मैं चाहती हूँ कि आप सभी इस बारे में सोचें।”
प्रथम कालांश पढ़ाई का कालांश था। मैडी ने अपना पाठ तैयार करने का प्रयत्न किया, किंतु वह अपना ध्यान अपने कार्य पर केन्द्रित नहीं रख सकी। उसे अपने पेट के पेंदे में एक बहुत ही बेचैनी महसूस हो रही थी। सच में, उसने पेगि के वान्डा से यह पूछे जाने का आनंद नहीं लिया था कि उसकी अलमारी में कितनी पोशाकें थीं, किंतु वह कभी कुछ कह भी नहीं पाई थी। वह चुपचाप देखती रहती थी और यह भी इतना ही बुरा था जैसा कि पेगि ने किया था। बहुत बुरा । वह एक कायर थी। कम से कम पेगि यह नहीं मानती थी कि वे गिरी हुई हरकत कर रही थीं, किंतु वह, मैडी, यह सोचती थी कि वे गलत कर रहे थे। वह अपने आपको वान्डा के स्थान पर रख कर सोच सकती थी।
हे भगवान ! क्या कुछ ऐसा नहीं था जो वह (मैडी) कर सकती थी? काश ! वह वान्डा को बता पाए कि उसका आशय उसकी भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं था। वह दूसरी ओर मुड़ी और नजर चुराकर पेगि की तरफ देखा, किंतु पेगि ने ऊपर नहीं देखा। वह कठोर पढ़ाई करती प्रतीत हुई। खैर, पेगि को बुरा लगा हो या नहीं, उसे, मैडी को, तो कुछ न कछ करना ही था। उसे वान्डा पेट्रोनस्की को खोजना था। शायद वे अभी तक दूर नहीं गए हों। शायद पेगि उसके साथ हाइट्स पर चढ़े, और वे वान्डा को बता पाएं कि उसने प्रतियोगिता जीत ली थी, कि वे सोचती थीं कि वह विवेकशील थी और वे 100 पोशाकें सुंदर थीं।
When school was…………….unhappy again. (Pages 75-76)
कठिन शब्दार्थ – dismissed (डिस्मिस्ट) = विसर्जित हुआ/बंद हुआ। pretended (प्रिटेन्ड्ड) = बनावटी/दिखावटी। casualness (कैशुअल्नैस) = लापरवाही । glowed (ग्लोड) = प्रफुल्लित। drizzly (ड्रिग्लि) = फुहार वाली/सीलनभरी। damp and dismal (डैम्प् ऐन्ड डिस्मल्) = निराशाजनक । gruffly (ग्रलि ) = रूखेपन से। foreigner (फॉरन(र)) = विदेशी। dumb (डम्) = बुद्ध। gee (जी) = आश्चर्य, प्रसन्नता आदि प्रकट करने के लिए प्रयुक्त शब्द। wisps (विस्प्स) = लच्छे/ झुरमुट। stuck up (स्टक् अप्) = ऊपर की ओर खड़े होना/उगे होना। pathway (पाथ्वे) = पगडंडी/रास्ता। kittens (किट्नुज) = बिल्ली के बच्चे। sparse (स्पास्) = विरल/छितरा हुआ। shabby (शैबि) = भद्दा । make amends (मेक् अमेन्ड्ज्) = कुछ अच्छा कर क्षमायाचना जताना । conclusion (कन्क्लू शन) = निष्कर्ष । picking on someone (पिकिङ् आन् सम्वन्) = किसी से बुरा व्यवहार करना।
हिन्दी अनुवाद – जब अपराह्न में विद्यालय बंद हुआ, तो पेगि ने दिखावटी लापरवाही से कहा, “हे, आओ चलें और देखें कि वह लड़की कस्बा छोड़कर गई है या नहीं।” अतः पेगि का. भी समान विचार था। मैडी प्रफुल्लित हुई। पेग वास्तव में बिल्कुल ठीक थी (अर्थात् ठीक कह रही थी।
दोनों लड़कियाँ भवन से शीघ्र निकलीं, बॉगिन्ज हाइट्स की ओर जाने वाली गली में आईं, यह कस्बे का वह हिस्सा था जहाँ नवंबर की इस प्रकार की (खिली धूप वाली) अपराह्न में भी अप्रीतिकर, सीलनभरी व निराश कर देने वाली वायु चल रहा था
“खैर, कम से कम,” पेगि ने अनमनेपन से कहा, “मैंने निश्चय ही उसे विदेशी नहीं कहा व उसके नाम का मजाक नहीं उड़ाया। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि उसमें यह जानने की समझ थी कि हम किसी भी रूप में उसकी मजाक उड़ा रहे थे। मैंने सोचा था कि वह बहुत बुद्धू थी और आश्चर्य की बात, वह कैसी चित्रकारी कर सकती है।”
मैडी कुछ नहीं कह सकी, उसने यह आशा की कि वे बस वान्डा को खोज पाएं। वह उसे बताना चाहती थी कि वे क्षमा चाहती थीं कि उन्होंने उसके साथ बुरा व्यवहार किया था और यह कि समूचा विद्यालय सोचता था कि वह कितनी अनूठी थी, और यह कि कृपया, छोड़कर न जाए और प्रत्येक अच्छा व्यवहार करेगा। वह व पेगि उससे लड़ेंगे जो अच्छा व्यवहार नहीं करेंगे। .. दोनों लड़कियों ने शीघ्रता की। उन्होंने आशा की कि अंधेरा होने से पहले ही पहाड़ी के ऊपर पहुँच जायेंगे।
“मेरे विचार में यह वही जगह है जहाँ पेट्रोन्स्की परिवार रहता है,” मैडी ने एक छोटे श्वेत घर की ओर इशारा करते हुए कहा। पगडंडी के साथ यहाँ-वहाँ ऊपर की ओर उगे हुए पुरानी घास के झुरमुट बिल्ली के पतले बच्चों जैसे लगते थे। घर व इसका विरल लघु आंगन भद्दा किंतु साफ दिखाई दिया। इसने मैडी को वान्डा की एकमात्र पोशाक, उसकी फीकी नीले रंग की भद्दी किंतु साफ सूती पोशाक, की याद दिला दी।
घर के आस-पास जीवन का जरा-सा भी संकेत नहीं मिल रहा था। पेगि ने दरवाजे पर जोर से खट खट की, किंतु कोई उत्तर नहीं आया। वह और मैडी चलकर पीछे के आंगन में गईं और वहां खट-खट की। अभी भी कोई उत्तर नहीं आया। अब इसके बारे में कोई संदेह नहीं रह गया था। पेट्रोन्स्की परिवार जा चुका था। वे अब कैसे जता पायेंगी कि वे क्षमायाचक हैं? वे धीरे से मुड़ी और पहाड़ी के नीचे की ओर अपना रास्ता तय करने लगीं।
“खैर, कोई बात नहीं,” पेगि ने कहा, “वह अब जा चुकी है, अतः अब हम क्या कर सकते हैं? इसके अतिरिक्त, जब मैं उससे उसकी सभी पोशाकों के बारे में पूछ रही थी, तब वह शायद अपने मित्रों के लिए अच्छे विचार प्राप्त कर रही थी,’ अन्यथा, वह शायद इस प्रतियोगिता को नहीं जीत पाती।”
. मैडी ने (पेगि के) इस (उपर्युक्त) विचार को सावधानी से अपने दिमाग में बैठा लिया, क्योंकि यदि इस विचार में कुछ है (अर्थात् कुछ लाभ है) तो उसे (कभी खराब स्थिति आने पर) इतना बुरा महसूस न करना पड़े।
किन्तु उस रात्रि वह सो नहीं सकी। वह वान्डा के बारे में और उसकी फीकी नीली पोशाक के बारे में और उसके छोटे-से घर जिसमें वह रहती थी, के बारे में सोचती रही। और वह उन सौ पोशाकों की चमकदार तस्वीरों के बारे में भी सोचती रही-जो कक्षा में पंक्तिबद्ध थीं। अंत में मैडी बिस्तर पर बैठ गई और अपने माथे को जोर से अपने हाथों से दबाया और वास्तव में सोचने लगी। यह सर्वाधिक कठोर विचार थी जो उसने अभी तक की थी। एक लंबे, लंबे समय के बाद वह एक महत्त्वपूर्ण निर्णय पर पहुंची थी।
वह अब कभी चुपचाप खड़े रहकर नहीं देखेगी और यह कि वह कुछ नहीं कहेगी (अर्थात् कुछ न कुछ अवश्य कहेगी।)
यदि वह अब किसी व्यक्ति को किसी अन्य से बुरा व्यवहार करते पायेगी (वह भी इसलिए) क्योंकि वे दिखने में हास्यास्पद थे या क्योंकि उनके नाम विचित्र थे, तो वह बोल देगी (अर्थात् बुरे व्यवहार करने का विरोध करेगी)। चाहे इसका आशय पेगि की मित्रता खोना ही क्यों न हो। वान्डा के साथ चीजें ठीक करने का (अर्थात् संबंध सुधारने का) उसके पास कोई मार्ग नहीं था, किंतु अब आगे से वह कभी भी किसी को पुनः इतना नाखुश नहीं करेगी।
On. Saturday Maddie…………….listened intently. (Pages 77-78)
कठिन शब्दार्थ-went by (वेन्ट बाइ) = गुजर गए। decorated (डेकरेट्ड) = सजाया। gifted little artist (गिफ्ड लिट्ल आटिस्ट्) = प्रतिभाशाली छोटी कलाकार। intently (इन्ट्ल ) = दृढ़ निश्चय से।
हिन्दी अनुवाद-शनिवार को मैडी ने अपराह्न का समय पेगि के साथ व्यतीत किया। वे वान्डा पेट्रोन्स्की को पत्र लिख रही थीं। यह केवल एक मित्रता वाला पत्र था जिसमें प्रतियोगिता का उल्लेख था और यह उल्लेख था कि वान्डा जीत चुकी थी। उन्होंने उसे बताया कि उसकी चित्रकारी कितनी सुंदर थी। और उन्होंने
जानना चाहा था कि क्या उसे वह स्थान पसंद आया जहाँ वह रह रही थी और क्या उसे अपनी नई शिक्षिका पसंद आई। उनका आशय था कि वे क्षमाप्रार्थी थीं, किंतु यह पत्र उनके लिए केवल एक मित्रवत् पत्र लिखना बनकर ही समाप्त हो गया, ठीक उस ही प्रकार का जैसा उन्होंने अपने किसी अच्छे मित्र को लिखा हो और उन्होंने इसे प्रेम रूपी बहुत सारे ‘Xs’ के साथ हस्ताक्षरित किया। उन्होंने इस पत्र को बॉगिन्ज हाइट्स पर भेजा, लिफाफे पर यह लिखकर कि ‘कृपया आगे भेजें।
दिन व्यतीत होते गए किंतु कोई जवाब नहीं आया, किंतु पत्र भी वापस नहीं आया, इसलिए हो सकता है वान्डा को यह प्राप्त हो गया था। शायद उसे इतनी अधिक ठेस लगी थी व वह इतने गुस्से में थी कि वह जवाब नहीं देने वाली थी।
आप उस पर आरोप नहीं लगा सकते थे। सप्ताह व्यतीत होते गए और वान्डा ने अभी भी जवाब नहीं दिया था। पेगि इस पूरे मामले को भूलने लगी थी, और मैडी को अब रात्रि को नींद आने लगी, वान्डा के बारे में उद्गार व्यक्त करके, उन लड़कियों की भारी भीड़ से उसका बचाव करके जो उसे (वान्डा को) यह कहकर छेड़ रही थीं कि ‘तुम्हारे पास कितनी पोशाकें हैं?’ और इससे पहले कि वान्डा अपने होंठ एक सख्त पंक्ति में समीप लाकर भींचती, जैसा कि वह उत्तर देने से पहले किया करती थी, मैडी (बीच में ही) चिल्ला पड़ती थी, ‘रुक जाओ!’ (अर्थात् वान्डा की हँसी उड़ाना बंद करो)।
तब प्रत्येक को वैसे ही शर्मिन्दगी उठानी पड़ती जैसे वह (मैडी) शर्मिन्दगी महसूस किया करती थी। – अब क्रिसमस का समय था और जमीन पर बर्फ थी। क्रिसमस की घंटियाँ व एक छोटा क्रिसमस ट्री कक्षाकक्ष को सजा रहे थे (अर्थात् शोभा बढ़ा रहे थे)। छुट्टियों से पूर्व के विद्यालय के अंतिम दिन शिक्षिका ने कक्षा को एक पत्र दिखाया जो उसे उस प्रात:काल ही प्राप्त हुआ था।
“आपको वान्डा पेट्रोन्स्की की याद है, वह प्रतिभाशाली छोटी कलाकार जिसने चित्रकला प्रतियोगिता जीती थी? देखो, उसने मुझे एक पत्र लिखा है और मैं यह जानकर खुश हूँ कि वह कहाँ रहती है, क्योंकि अब मैं उसे वह पदक भेज सकती हूँ। मैं उसका पत्र आपको पढ़कर सुनाना चाहती हूँ।”
कक्षा एक आकस्मिक दिलचस्पी के साथ सीधे बैठ गई और ध्यानपूर्वक सुनने लगी।
Dear Miss Mason,………………….all lined up. (Pages 78-79)
कठिन शब्दार्थ – equalise (ईक्वलाइज्) = की बराबरी करना। wreaths (रीद्ज) = मालाएँ। holly (हॉलि) = शूलपर्णी, चमकीले गहरे हरे नुकीले पत्तों वाला पौधा। grocery store (ग्रॉसॅरि स्टॉ(र)) = घरेलू सामान की दुकान। candy peppermint sticks (कैन्डि पेपमिन्ट स्टिक्स) = पुदीनायुक्त मिठाई की छड़ें। cornucopias (कोन्युकॉपिअज) = सजीले बर्तन। shiny (शाइनि) = चमकीले। transparent (ट्रैन्स्पै रन्ट्) = पारदर्शी। strung (स्ट्रन्ग) = डोरी से बंधे थे। smelled (स्मेल्ड्) = महक रही थी। reflected (रिफ्लेक्ट्ड ) = प्रतिबिम्बित कर रही थी। brilliancy (ब्रिलिअन्सि) = चमक। blurred (ब्ल(र)ड) = धुंधला। gazed (गेज्ड) = एकटक देखा। hastily (हेस्टलि) = शीघ्रता से। rubbed (रब्ड) = पोंछा। clattered up (क्लैट(र)ड अप्) = खड़खड़ करते हुए। blinked away (ब्लिफ्ट अवे) = आँखें झपक कर दूर करने का प्रयत्न करते हुए।
हिन्दी अनुवाद- प्रिय मिस मैसन, आप व कक्ष संख्या 13 कैसे हैं? कृपया उन लड़कियों को कह दीजिए कि वे उन एक सौ पोशाकों को रख सकती हैं, क्योंकि मेरे नए घर में मेरे पास एक सौ नई पोशाकें हैं, सभी मेरी अलमारी में पंक्तिबद्ध। मैं चाहूँगी कि लड़की पेगि उस हरी वाली पोशाक को ले जिसमें लाल झालर लगी है और उसकी मित्र मैडी वह नीली वाली (पोशाक) ले। क्रिसमस पर, मैं इस विद्यालय की कमी महसूस कर रही हूँ और मेरी नई शिक्षिका भी आपकी बराबरी नहीं कर सकती है। आपको व सभी को क्रिसमस की बधाई।
भवदीया, वान्डा पेट्रोन्स्की विद्यालय से घर वापसी के समय मैडी व पेगि ने अपने चित्र बहुत सावधानी से पकड़े रखे। सभी घर फूलमालाओं और खिड़कियां शूलपर्णी से सजी थीं। घरेलू सामान की दुकान के बाहर, सैकड़ों क्रिसमस ट्री
लटके थे और खिड़की में पुदीनायुक्त मिठाई की छड़ें और चमकीले पारदर्शी कागज से बने सजीले बर्तन डोरी से बंधे हए थे। वाय क्रिसमस की भांति महक रही थी और सभी जगह चमक रही रोशनी बर्फ पर भिन्न-भिन्न रंग प्रतिबिम्बित कर रही थी।
“बॉइ!” पेगि ने कहा, “यह प्रदर्शित करता है कि वह वास्तव में हमें पसंद करती थी। यह दिखाता है कि उसे हमारा पत्र मिल गया था और उसके यह कहने का तरीका है कि सब ठीक है और यह वही है (अर्थात् उसने हमें क्षमा कर दिया है)।”
“मैं ऐसी आशा करती हूँ,” मैडी ने निराशा से कहा। उसने निराश महसूस किया क्योंकि वह जानती थी कि वह उस छोटी, कम बोलने वाली पोलैन्ड की लड़की को पुनः नहीं मिल पायेगी और उनके बीच के रिश्तों को ठीक नहीं कर पायेगी।
वह घर गई और उसने शयन कक्ष में लगे गुलाबी फूलों वाले वॉलपेपर के फटे हुए स्थान पर उसके चित्र को पिन से लगा दिया। रंगों की चमक से वह गंदा-सा कक्ष भी जीवंत हो उठा। मैडी अपने बिस्तर पर बैठ गई और चित्र को ध्यान से देखने लगी। वह चुपचाप खड़ी देखती रहती थी और कुछ नहीं कहती थी (जब वान्डा के साथ बुरा बर्ताव होता था), किंतु, फिर भी, वान्डा ने उसके प्रति अच्छा व्यवहार रखा था।
आँसुओं ने उसकी आँखों को धुंधला कर दिया था। और वह एक लंबे समय तक तस्वीर की ओर देखती रही थी। फिर शीघ्रता से उसने अपनी आँखों को पोंछा और इसका ध्यान से निरीक्षण किया। पोशाक के रंग इतने जीवंत थे कि उसने चित्र के मुख (चेहरे) व सिर पर मुश्किल से ही ध्यान दिया था (अर्थात् ध्यान ही नहीं दिया था) लेकिन यह तो उसके जैसी लग रही थी, मैडी! यह तो उसके अपने जैसा मुंह दिखाई पड़ रहा था। क्यों यह तो वास्तव में उसके अपने जैसी दिखाई दे रही थी! वान्डा ने वास्तव में यह उसके लिए ही बनाई थी। उत्तेजित होकर, वह पेगि के घर की ओर दौड़ पड़ी।
“पेग !” उसने कहा, “मुझे तुम्हारा चित्र देखने दो तो।” “बात क्या है?” पेगि ने पूछा, ज्योंही वे खड़खड़ करके चलते हुए उसके कक्ष के उस स्थान तक गई जहाँ वान्डा का चित्र बिस्तर पर उल्टा रखा हुआ था। मैडी ने इसे ध्यान से ऊपर उठाया।
“देखो!” उसने तुम्हारा चित्र बनाया। यह तुम हो!” वह भावावेश में चिल्लाई। और इस चित्र का सिर व मुख निश्चय ही पेगि जैसा दिखाई दे रहा था।
“मैंने क्या कहा था!” पेगि ने कहा, “वह हमें कैसे भी, वास्तव में पसंद करती थी।” “हाँ, वह अवश्य ही (पसन्द करती थी),” मैडी सहमत थी और उसने आँखें झपक कर आंसुओं को दूर करने का प्रयत्न किया जो हर उस बार आ जाते थे जब भी वह विद्यालय के अहाते में उस धूपदार स्थान पर अकेले खड़े होकर वान्डा के बारे में सोचती थी और लड़कियों के उस समूह की ओर भावशून्य होकर देखती थी जो उसके (वान्डा के) चले जाने के पश्चात्, व उसके यह कहने के पश्चात् कि, ‘निश्चय ही, एक सौ पोशाकें, सभी पंक्तिबद्ध, उस पर हँसती थीं।