वाक्य अशुद्धियाँ एवं संशोधन
वाक्य लिखते अथवा बोलते समय अकसर कई प्रकार की अशुद्धियाँ होती हैं। सामान्यतः ये अशुधियाँ उच्चारण की अशुद्धियों के कारण होते हैं। वाक्य रचना में अन्विति, पदक्रम या वाच्य संबंधी अशुधियाँ होती हैं।
अन्विति संबंधी अशुधियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
1. क्या तुम भोजन किया है।
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क्या तुमने भोजन कर लिया है।
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पदक्रम संबंधी अशुधियाँ
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मुझे गृहकार्य करना था आज।
मुझे आज गृहकार्य करना था। -
पढ़ता रहा वह दिन भर ।
वह दिन भर पढ़ता रहा। -
हवा ठंडी चल रही है।
ठंडी हवा चल रही है।
अशुद्ध | शुद्ध |
आप पढ़ लिए हैं।
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आपने पढ़ लिया है।
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पुनरुक्ति की अशुधियाँ –
वाक्य में ऐसी अशुधियाँ भी मिलती हैं जब एक ही बात दो बार कही जाती है; जैसे—यहाँ देखने योग्य अनेक दर्शनीय स्थल हैं। (अशुद्ध)। यहाँ अनेक दर्शनीय स्थल हैं – (शुद्ध)
संज्ञा-सर्वनाम संबंधी अशुधियाँ।
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मैं आपकी पुस्तक नहीं लीं।।
मैंने आपकी पुस्तक नहीं ली। -
मेरे को घूमना बहुत अच्छा लगता है।
मुझे घूमना बहुत अच्छा लगता है। -
विद्यालय रविवार के दिन बंद होते हैं।
विद्यालय रविवार को बंद होते हैं। -
तैने उसको क्या दिया?
तुमने उसे क्या दिया? -
कार्तिक मेरा बालक है।
कार्तिक मेरा पुत्र है। -
रावण बहुत ज्ञानी व्यक्ति था।
रावण बहुत ज्ञानी थी।
वचन संबंधी अशुधियाँ
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हमारी कक्षा में चालीस छात्र है।
हमारी कक्षा में चालीस छात्र हैं। -
पेड़ों पर पक्षी बैठा है।
पेड़ पर पक्षी बैठे हैं। -
हमें गरीब की मदद करनी चाहिए।
हमें गरीबों की मदद करनी चाहिए। -
मुगल गार्डन में अनेक गुलाब खिला है।
मुगल गार्डन में अनेक गुलाब खिले हैं।
क्रिया का प्रयोग
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मैंने ईश्वर का दर्शन किया।
मैंने ईश्वर के दर्शन किए। -
वह नौकरी पा गया।
उसे नौकरी मिल गई। -
आप यह कंबल पहन लें।
आप यह कंबल ओढ़ लें। -
उसका प्राण निकल रहा है।
उसके प्राण निकल रहे हैं। -
जूता निकाल दो।
जूता उतार दो।