विराम-चिह्न 6

विराम शब्द का अर्थ है – रुकना या ठहरना।
वाक्यों के बीच-बीच में थोड़ी देर के लिए रुकने का संकेत करने वाले चिह्नों को विराम-चिह्न कहते हैं।
हिंदी में प्रयोग किए जाने वाले प्रमुख विराम-चिह्न निम्नलिखित हैं

नाम

चिह्न

1. पूर्ण विराम
2. अल्प विराम
3. अर्ध विराम
4. प्रश्नवाचक चिह्न
5. विस्मयवाचक चिह्न
6. योजक या विभाजक
7. निर्देशन डैस
8. उद्धरण चिह्न
9. विवरण चिह्न
10. कोष्ठक
11. हँसपद/त्रुटिपूरक
12. लाघव चिह्न

( | )
( , )
( ; )
( ? )
( ! )
( – )
( _ )
(“…”)
(:-)
[ ] ( )
( λ)
( ° )

1. पूर्ण विराम ( । ) – पूर्ण विराम वाक्य के अंत में लगाया जाता है। जब वाक्य पूरा होता है, तब इसका प्रयोग करते हैं। जैसे

2. अल्प विराम ( , ) – अल्प विराम का अर्थ है-थोड़ा विराम। जब पूर्ण विराम से कम समय के लिए वाक्य के बीच में रुकना पड़े, तो अल्पविराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे- भारत में गेहूँ, चना, बाजरा, मक्का, आदि बहुत सी फ़सलें उगाई जाती हैं।

3. अर्ध विराम ( ; ) – वाक्य लिखते या बोलते समय, एक बड़े वाक्य में एक से अधिक छोटे वाक्यों को जोड़ने के लिए अर्धविराम का प्रयोग किया जाता है; जैसे—निरंतर प्रयत्नशील रहो; रुकना कायरता है।

4. प्रश्नवाचक चिह्न ( ? ) – बातचीत के दौरान जब किसी से कोई बात पूछी जाती है अथवा कोई प्रश्न पूछा जाता है, तब वाक्य के अंत में प्रश्नसूचक चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे

5. विस्मयाधिबोधक चिह्न ( ! ) – विस्मयः आश्चर्य, शोक, हर्ष आदि भावों को प्रकट करने वाले शब्दों को विस्मयादि बोधक चिह्न कहते हैं।

6. योजक या विभाजक चिह्न ( – ) – दो शब्दों को जोड़ने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है; जैसे-छोटा-बड़ा, रात-दिन, धीरे-धीरे। उदाहरण-जीवन में सुख-दुख तो चलता ही रहता है।

7. निर्देशक (डैश) चिह्न ( _ ) – कोई भी निर्देश अथवा सूचना देने वाले वाक्य के बाद निर्देशक-चिह्न का प्रयोग किया जाता है, जैसे-नेहा ने कहा-मैं कल जाऊँगी।

8. उद्धरण चिह्न (“…..”) (‘ ‘) – उद्धरण चिह्न दो प्रकार के होते हैं- एकहरे (‘ ‘) तथा दोहरे (” “) एकहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग किसी विशेष व्यक्ति, ग्रंथ, उपनाम आदि को प्रकट करने के लिए किया जाता है; जैसे

दोहरा उद्धरण चिह्न (” “) – इस चिह्न का प्रयोग किसी के द्वारा कही गई बात अथवा कथन को ज्यों-का-त्यों दिखाने के लिए किया जाता है; जैसे

9. विवरण चिह्न (:-) – इसका प्रयोग निर्देश देने के लिए होता है या किसी विषय का विवरण देने के लिए। जैसे कारक के आठ भेद हैं:

10. कोष्ठक – वाक्य के बीच में आए शब्दों अथवा पदों का अर्थ स्पष्ट करने के लिए कोष्ठक का प्रयोग किया जाता है; जैसे कालिदास (संस्कृत के महाकवि) को सभी जानते हैं।

11. त्रुटिपूरक चिह्न (λ) – हँसपद-लिखते समय जब कोई अंश शेष रह जाता है तो इस चिह्न को लगाकर उस शब्द को ऊपर . लिख दिया जाता है; जैसे

12. लाघव चिह्न (०) – किसी बड़े अंश का संक्षिप्त रूप लिखने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है; जैसे मेंबर ऑफ पार्लियामेंट- एमपी, डॉक्टर-डॉ., अर्जित अवकाश-अ००।

बहुविकल्पी प्रश्न

1. (,) इस चिह्न को कहते हैं
(i) पूर्ण विराम
(ii) प्रश्नसूचक
(iii) अल्पविराम
(iv) इनमें से कोई नहीं

2. विस्मयादिबोधक चिह्न है
(i) ?
(ii) ,
(iii) !
(iv) ।

3. वाक्य के पूर्ण होने पर लगाया जाने वाले चिह्न कहलाता है
(i) अल्पविराम
(ii) पूर्णविराम
(iii) विस्मयादि सूचक
(iv) प्रश्नसूचक

4. ( .) इस चिह्न को कहते हैं?
(i) योजक चिह्न
(ii) लाघव चिह्न
(iii) पूर्णविराम चिह्न
(iv) इनमें कोई नहीं

5. (|^) चिह्न को कहते हैं।
(i) अर्ध विराम चिह्न
(ii) पूर्णविराम चिह्न
(iii) लाघव चिह्न
(iv) त्रुटि चिह्न

उत्तर-
1. (iii)
2. (ii)
3. (ii)
4. (ii)
5. (iv)

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