प्रश्न-अभ्यास
- कवि ने 'श्रीब्रजदूलह' किसके लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक क्यों कहा है?
उत्तर कवि ने श्रीकृष्ण को श्रीब्रजदूलह कहा है और उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक कहा है, क्योंकि श्रीकृष्ण ईश्वर के रूप हैं और उनकी ईश्वरीय आभा से यह संसार रूपी मंदिर प्रकाशित है।
- पहले सवैये में से उन पंक्तियों को छाँटकर लिखिए, जिनमें अनुप्रास और रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है?
उत्तर अनुप्रास अलंकार
- कटि किंकिनि की धुनि मधुराई ('क' वर्ण की आवृत्ति)
- साँवरे अंग लसै पट पीत ('प' वर्ण की आवृत्ति)
- हिये हुलसे बनमाल सुहाई ('ह' वर्ण की आवृत्ति)
रूपक अलंकार
- हँसी मुखचन्द्र जुन्हाई (मुखट रूपी चंद्र)
- कै जगमंदिर दीपक सुंदर (संसार रूपी मंदिर)
- निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए पाँयनि नूपुर मंजु बर्जै, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई। साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।।
उत्तर इसमें ब्रजदुलारे बालकृष्ण की सुंदर रूप छवि प्रस्तुत की गई है। उनका रूप मनमोहक है। कृष्ण के पैरों में पैंजनी और कमर में बंधी छोटी घंटी की आवाज से वातावरण संगीतमय हो रहा है। साँवले शरीर पर रेशमी पीले वस्त्र कृष्ण की शोभा को द्विगुणित कर रहे हैं। वन के फूलों की माला उनके सौंदर्य को बढ़ा रही है।
तत्सम शब्दावली युक्त ब्रजभाषा का प्रयोग है। भाषा में माधुर्य, गेयता और लयात्मकता का गुण है, छंद सवैया है तथा वात्सल्य रस है। 'कटि किंकनि, पट पीत, हिये हुलसे ' में अनुप्रास अलंकार है।
- दूसरे कवित्त के आधार पर स्पष्ट करें कि ऋतुराज वसंत के बाल रूप का वर्णन परंपरागत वसंत वर्णन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर परंपरागत वसंत वर्णन में नायक-नायिका के संदर्भ में वर्णन होता है। परंपरागत वसंत के वर्णन में फूलों का खिलना, पेड़ों पर पतझड़ के बाद नए पत्ते आना, वन में पक्षियों का कलरव, मोर, कोयल आदि की मधुर ध्वनि का वर्णन होता है।
यहाँ ऋतुराज के बाल रूप का वर्णन है। उसे एक शिशु के रूप में चित्रित किया गया है। इस बाल वर्णन के बहाने वसंत ऋतु में प्रकृति में आए परिवर्तनों का सुंदर चित्रण हुआ है। इस शिशु को पालने में झुलाने, बतियाने, नजर उतारने, जगाने आदि का काम प्रकृति के विभिन्न उपादान (पवन, मोर-तोता, परागकण, कोयल, कंजकली आदि) कर रहे हैं। इस बहाने से प्रकृति के मनोहारी रूप का वर्णन स्वयं हो गया है। वसंत का बाल रूप वर्णन अत्यंत प्रभावी बन पड़ा है।
5. 'प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै'-इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर इस पंक्ति का भाव यह है कि वसंत ऋतु में प्रातःकाल गुलाब चटक कर खिलता है। यह चटकना गुलाब की चुटकी बजाने जैसा लगता है। जिस प्रकार माँ चुटकी बजाकर बालक को जगाती है, उसी प्रकार गुलाब चटक कर बालक को जगाता-सा प्रतीत होता है। कवि ने दोनों की क्रियाओं का संबंध आपस में जोड़ दिया है।
6. चाँदनी रात की सुंदरता को कवि ने किन-किन रूपों में देखा है?
उत्तर कवि ने चाँदनी रात की सुंदरता को अनेक रूपों में देखा है
- यह स्फटिक शिला से बने मंदिर के रूप में लगती है।
- यह दही के उमड़ते समुद्र के रूप में दिखाई देती है।
- यह दूध के झाग से बने फर्श के रूप में दिखाई देती है।
- गौरांगी तरुणियों जिनके वस्त्र मोतियों और मल्लिका के फूलों से सुसज्जित हैं, के रूप में दिखती है।
- 'प्यारी राधिका को प्रतिबिंब सो लगत चंद'-इस पंक्ति का भाव स्पष्ट करते हुए बताएँ कि इसमें कौन-सा अलंकार है?
उत्तर चंद्रमा को प्यारी राधा के प्रतिबिंब के समान बताया गया है। वैसे तो चंद्रमा का उपमान के रूप में परंपरागत रूप से वर्णन होता आया है, पर यहाँ प्यारी राधा के प्रतिबिंब को चंद्रमा का उपमान बताया है। इस प्रकार, यहाँ प्रतीप अलंकार है जो उपमा का उल्टा होता है। इसमें उपमान उपमेय बन जाता है और उपमेय उपमान का रूप ले लेता है।
- तीसरे कवित्त के आधार पर बताइए कि चाँदनी रात की उज्ज्वलता का वर्णन करने के लिए किन-किन उपमानों का प्रयोग किया है?
उत्तर चाँदनी रात की उज्ज्वलता का वर्णन करने के लिए कवि ने निम्नलिखित उपमानों का प्रयोग किया है
- स्फटिक शिला
- दही के समुद्र का
- दूध का सा फेन
- सुधा मंदिर
- आभा
- पठित कविताओं के आधार पर कवि देव की काव्यगत विशेषताएँ बताइए।
उत्तर देव दरबारी कवि थे। उन्होंने अपने आश्रयदाताओं, उनके परिवारजनों तथा दरबारी समाज को प्रसन्न करने के लिए कविता में सुंदर शृंगारिक वर्णन किए। उन्होंने जीवन के वैभव के विलासपूर्ण पक्ष के चित्र खींचे हैं। उनके सवैये में कृष्ण का दूल्हा रूप है, तो कवित्तों में वसंत और चाँदनी रात का मानवीकरण उनकी उर्वर कल्पना शक्ति के परिचायक हैं। उनकी भाषा शुद्ध साहित्यिक ब्रजभाषा है। अलंकारों का अत्यंत सुंदर प्रयोग हुआ है।
रचना और अभिव्यक्ति
- आप अपने घर की छत से पूर्णिमा की रात देखिए तथा उसके सौंदर्य को अपनी कलम से शब्दबद्ध कीजिए।
उत्तर पूर्णिमा की रात में चारों तरफ की प्रकृति चाँदनी में नहाई-सी मालूम पड़ती है। आकाश अत्यंत स्वच्छ एवं नीला दिखाई पड़ता है। तारे बहुत साफ एवं खिले-खिले जान पड़ते हैं मानो वे भी अत्यधिक हर्षित हों। पूर्णिमा की रात में पूरा का पूरा वातावरण अत्यधिक मनोरम एवं गरिमापूर्ण दिखाई देता है।
पाठेतर सक्रियता
- भारतीय ऋतु चक्र में छह ऋतुएँ मानी गई हैं, वे कौन-कौन सी हैं?
उत्तर ग्रीष्म, वर्षा, शीत, शिशिर, हेमंत एवं वसंत। ये छह ऋतुएँ भारतीय समाज में प्रचलित हैं।
- 'ग्लोबल वार्मिंग' के कारण ऋतुओं में क्या परिवर्तन आ रहे हैं? इस समस्या से निपटने के लिए आपकी क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए हमें उन उपकरणों का इस्तेमाल कम करना चाहिए जिनसे वातावरण में उष्णता बढ़ती है यानि जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है जैसे एयर कंडीशनर, फ्रिज आदि।
इसके अतिरिक्त वनारोपण को बढ़ावा देकर वातावरण को अधिक संतुलित किया जा सकता है। चारों तरफ हरियाली लाने की कोशिश करनी चाहिए। हरे पेड़ों का कटाव रोकना चाहिए और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की कोशिश करनी चाहिए।