Chapter 11 The p-block Elements (p-ब्लॉक के तत्त्व).
पाठ के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
(क) B से TT तक तथा (ख) C से Ph तक की ऑक्सीकरण अवस्थाओं की भिन्नता के क्रम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
(क) B से TI तक (बोरॉन परिवार) ऑक्सीकरण अवस्था [Oxidation state from B to TI (Boron family)] बोरॉन परिवार (वर्ग 13) के तत्वों का विन्यास ns’p’ होता है। इसका तात्पर्य यह है कि बन्ध निर्माण के लिए तीन संयोजी इलेक्ट्रॉन उपलब्ध हैं। इन इलेक्ट्रॉनों का त्याग करके ये परमाणु अपने यौगिकों में +3
ऑक्सीकरण अंवस्था प्रदर्शित करते हैं। यद्यपि इन तत्वों की ऑक्सीकरण अवस्था में निम्नलिखित प्रवृत्ति प्रेक्षित होती है-
- प्रथम दो तत्व बोरॉन तथा ऐलुमिनियम यौगिकों में केवल +3 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं, परन्तु शेष तत्व-गैलियम, इण्डियम तथा थैलियम +3 ऑक्सीकरण अवस्था के साथ-साथ +1 ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित करते हैं अर्थात् ये परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं।
- +3 ऑक्सीकरण अवस्था को स्थायित्व ऐलुमिनियम से आगे जाने पर घटता है तथा अन्तिम तत्व थैलियम की स्थिति में, +1 ऑक्सीकरण अवस्था, +3 ऑक्सीकरण अवस्था से अधिक स्थायी होती है। इसका अर्थ यह है कि TICI, TIC1 से अधिक स्थायी होता है।
(ख) c से Pb तक (कार्बन परिवार) ऑक्सीकरण अवस्था [Oxidation state from C to Pb (Carbon family)] कार्बन परिवार (समूह 14) के तत्वों का विन्यास nsp होता है। स्पष्ट है कि इन तत्वों के परमाणुओं के बाह्यतम कोश में चार इलेक्ट्रॉन होते हैं। इन तत्वों द्वारा सामान्यत: +4 तथा +2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाई जाती है। कार्बन ऋणात्मक ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित करता है। चूंकि प्रथम चार आयनन एन्थैल्पी का योग अति उच्च होता है; अतः +4 ऑक्सीकरण अवस्था में अधिकतर यौगिक सहसंयोजक प्रकृति के होते हैं। इस समूह के गुरुतर तत्वों में Ge< Sn
- SnCl4 तथा PbCl4 की तुलना में SnCl2 तथा PbCl2 अधिक सरलता से बनते हैं।
- PbCl2, SnCl2 से अधिक स्थायी होता है चूंकि इसमें अक्रिय युग्म प्रभाव की परिमाण अधिक होता है।
चतु:संयोजी अवस्था में अणु के केन्द्रीय परमाणु पर आठ इलेक्ट्रॉन होते हैं। इलेक्ट्रॉन परिपूर्ण अणु होने के कारण सामान्यतया इलेक्ट्रॉनग्राही या इलेक्ट्रॉनदाता स्पीशीज की अपेक्षा इनसे नहीं की जाती है। यद्यपि कार्बन अपनी सहसंयोजकता +4 का अतिक्रमण नहीं कर सकता है, परन्तु समूह के अन्य तत्व ऐसा करते हैं। यह उन तत्वों में 4-कक्षकों की उपस्थिति के कारण होता है। यही कारण है कि ऐसे तत्वों के हैलाइड जल-अपघटन के उपरान्त दाता स्पीशीज (donor species) से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके संकुल बनाते हैं। उदाहरणार्थ-कुछ स्पीशीज; जैसे—(SiF6)2-, (GeCl6)2- तथा Sn(OH)22-– ऐसी होती हैं, जिनके केन्द्रीय परमाणु sp3d2 संकरित होते हैं।
प्रश्न 2.
TiCl3 की तुलना में BCl3 के उच्च स्थायित्व को आप कैसे समझाएँगे?
उत्तर
उत्तेजित अवस्था में बोरॉन की संयोजक कोश (valence shell) में तीन इलेक्ट्रॉन होते हैं जो तीन Cl परमाणु से सहसंयोजक आबन्ध द्वारा जुड़कर BCl3 अणु का निर्माण करते हैं। BCl3 में बोरोन +3 ऑक्सीकरण अवस्था और sp संकरित अवस्था में पाया जाता है। pπ-pπ back bonding BCl3 अणु को आंशिक रूप से स्थायी बनाती है। दूसरी ओर अक्रिय युग्म प्रभाव के कारण Tl के 6sइलेक्ट्रॉन युग्म बन्ध बनाने में रूचि नहीं रखते। इस कारण Tl की +1 ऑक्सीकरण अवस्था +3 ऑक्सीकरण अवस्था से अधिक स्थाई है। इसलिए +3 ऑक्सीकरण अवस्था में निर्मित TlC3, अधिक स्थाई नहीं होता। इस कारण BCl3 TlCl3 से अधिक स्थाई होता है।
प्रश्न 3.
बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड लूइस अम्ल के समान व्यवहार क्यों प्रदर्शित करता है?
उत्तर
बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड BF3 अणु में F परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों से साझा करके केन्द्रीय बोरॉन परमाणु के चारों ओर इलेक्ट्रॉनों की संख्या 6 (तीन युग्म) होती है। अत: यह एक इलेक्ट्रॉन-न्यून अणु है तथा यह स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त करने के लिए एक इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करके लूइस अम्ल के समान व्यवहार प्रदर्शित करता है।
उदाहरणार्थ-बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड सरलतापूर्वक अमोनिया से एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करके BF3.NH3 उपसहसंयोजक यौगिक बनाता है।
प्रश्न 4.
BCl3 तथा CCl4, यौगिकों का उदाहरण देते हुए जल के प्रति इनके व्यवहार के औचित्य को समझाइए।
उत्तर
BCl3 के केन्द्रीय परमाणु B के संयोजक कोश में 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं। इसलिए यह इलेक्ट्रॉन न्यून अणु है और H2O द्वारा दिये गये इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण कर लेता है। अतः जब BCl3 को जल में घोला जाता है तो यह जल-अपघटित (hydrolysis) होकर बोरिक अम्ल और HCI देता है।
BCl3 + 3H2O → H3BO3 + 3HCl
CCl4 में C का अष्टक पूर्ण होता है और यह इलेक्ट्रॉन युग्म त्यागने अथवा ग्रहण करने की प्रवृत्ति नहीं रखता है। अतः यह जल से कोई क्रिया नहीं करता है।
प्रश्न 5.
क्या बोरिक अम्ल प्रोटोनी अम्ल है? समझाइए।
उत्तर
नहीं, बोरिक अम्ल प्रोटोनी अम्ल नहीं है, क्योंकि यह जल में आयनित होकर H+ तथा OH– नहीं देता है। B के छोटे आकार और उसके संयोजक कोश में 6 इलेक्ट्रॉन उपस्थित होने के कारण H3BO3 एक लूइस अम्ल (Lewis acid) की तरह व्यवहार करता है। जब यह जल में मिलाया जाता है। तो यह H2O के O परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन युग्म प्राप्त करके [B(OH)24]– का निर्माण करता है।
इस अभिक्रिया में एक H+ के उद्गम के कारण यह एक दुर्बल मोनोबेसिक अम्ल की भाँति व्यवहार करता है।
प्रश्न 6.
क्या होता है, जब बोरिक अम्ल को गर्म किया जाता है?
उत्तर
370 K से अधिक ताप पर गर्म किए जाने पर बोरिक अम्ल (ऑर्थोबोरिक अम्ल) मेटाबोरिक अम्ल (HBO2) बनाता है, जो और अधिक गर्म करने पर बोरिक ऑक्साइड (B2O3) में परिवर्तित हो जाता है।
प्रश्न 7.
BF3 तथा BH–4 की आकृति की व्याख्या कीजिए। इन स्पीशीज में बोरॉन के संकरण को निर्दिष्ट कीजिए।
उत्तर
बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड (Boron trifluoride, BFs)—इसमें केन्द्रीय परमाणु बोरॉन है। जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s2, 2s2 2p1 है। तलस्थ अवस्था में इसमें केवल एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है जिसके आधार पर केवल एक सहसंयोजक बन्ध ही बन सकता है। अतः BF3 अणु बनने में यह अवश्य ही उत्तेजित अवस्था में होगा जिस स्थिति में एक s-इलेक्ट्रॉन p-कक्षक में उन्नत हो
जाएगा-
उत्तेजित बोरॉन में तीन अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं जिससे यह तीन सहसंयोजक बन्ध बना सकता है। तीन फ्लुओरीन BF3 में युग्मन के लिए तीन इलेक्ट्रॉन प्रदान करते हैं।
इसमें एक बन्ध -इलेक्ट्रॉन के माध्यम से है तथा अन्य दो बन्ध दो p-इलेक्ट्रॉनों के माध्यम से हैं। अतः तीनों बन्ध समान नहीं होने चाहिए। s तथा px व py कक्षकों की ऊर्जा का संचय होकर तीनों कक्षकों में बराबर राशि में वितरित हो जाता है। इस प्रकार तीन sp- संकर कक्षकों का उद्भव होता है। इन कक्षकों के बीच 120° का, कोण होता है जिससे इलेक्ट्रॉन युग्मों में पारस्परिक प्रतिकर्षण न्यूनतम रहता है।
ये sp2– संकर कक्षक F परमाणुओं के कक्षकों के साथ अतिव्यापन करके बन्ध बनाते हैं। इस प्रकार BF3 में बन्ध कोण 120° होता है तथा अणु त्रिकोणीय व समतल होता है।
बोरॉन टेट्रा हाइड्राइडो ऋणायन (BH–4)-वर्ग 13 के तत्व MH; प्रकार के हाइड्राइड बनाते हैं। ये हाइड्राइड दुर्बल लूइस अम्ल होते हैं तथा प्रबल लूइस क्षारकों (:B) के साथ MH3 : B प्रकार के योग उत्पाद बनाते हैं (M = B, Al, Ga)। इन हाइड्राइडों का निर्माण इनके बाह्यतम कोश में उपस्थित रिक्त । p-कक्षकों के कारण होता है जो हाइड्राइड आयन (H–) से तुरन्त इलेक्ट्रॉन युग्म लेकर टेट्रा हाइड्राइडो ऋणायन बनाते हैं। BH–4 की संरचना संकरण के प्रकार के आधार पर निर्धारित की जा सकती है। संकरण का प्रकार निम्नलिखित सूत्र से ज्ञात किया जा सकता है
H = [latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex][V + M – C + A]
जहाँ H= संकरण में सम्मिलित कक्षकों की संख्या, V= केन्द्रीय परमाणु के संयोजी कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या, M= एकल संयोजी परमाणुओं की संख्याए,C= धनायन पर आवेश, A = ऋणायन पर आवेश इस प्रकार
H = [latex]\frac { 1 }{ 2 } [/latex][3+4-0+1]=4
चूँकि संकरण में भाग लेने वाले कक्षकों की संख्या 4 है; अत: यह sp3 संकरण है। sp3 संकरण में एक -कक्षक तथा तीन p-कक्षकों के सम्मिश्रण से चार समतुल्य संकर कक्षक बनते हैं। इन चारों कक्षकों में अल्पतम प्रतिकर्षण होने के लिए वे एक समचतुष्फलक के चारों कोनों की ओर दिष्ट होते हैं। तथा परस्पर 109°28′ का कोण बनाते हैं। अत: BH–4 की आकृति निम्नवत् होगी-
प्रश्न 8.
ऐलुमिनियम के उभयधर्मी व्यवहार दर्शाने वाली अभिक्रियाएँ दीजिए।
उत्तर
ऐलुमिनियम अम्लों तथा क्षारों दोनों से क्रिया कर उभयधर्मी व्यवहार दर्शाता है।
उदाहरणार्थ-
प्रश्न 9.
इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक क्या होते हैं? क्या BCl3 तथा SiCl4 इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक हैं? समझाइए।
उत्तर
जिन स्पीशीज में केन्द्रीय परमाणु का अष्टक पूर्ण नहीं होता (अर्थात् संयोजक कोश में आठ इलेक्ट्रॉन नहीं होते), वे इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक कहलाते हैं।
BCl3 के केन्द्रीय परमाणु में मात्र 6 इलेक्ट्रॉन हैं। इसलिए यह इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक है। SiCl4 में । केन्द्रीय परमाणु Si (silicon) के पास 8 इलेक्ट्रॉन हैं। इसलिए उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार यह इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक नहीं है।
प्रश्न 10.
CO2-3 तथा HCO–3 की अनुनादी संरचनाएँ लिखिए।
उत्तर
CO–3 आयन की अनुनाद संरचनाएँ-
HCO–3 की अनुनाद संरचनाएँ-
प्रश्न 11.
(क) CO2-3,
(ख) हीरा तथा
(ग) ग्रेफाइट में कार्बन की संकरण-अवस्था क्या होती है?
उत्तर
(क) sp2
(ख) sp3
(ग) sp2
प्रश्न 12.
संरचना के आधार पर हीरा तथा ग्रेफाइट के गुणों में निहित भिन्नता को समझाइए।
उत्तर
हीरा तथा ग्रेफाइट में संरचनात्मक भिन्नता (Structural differences between Diamond and Graphite)
प्रश्न 13.
निम्नलिखित कथनों को युक्तिसंगत कीजिए तथा रासायनिक समीकरण दीजिए
(क) लेड (II) क्लोराइड Cl2 से क्रिया करके PbCl4 देता है।
(ख) लेड (IV) क्लोराइड ऊष्मा के प्रति अत्यधिक अस्थायी है।
(ग) लेड एक आयोडाइड PbI4 नहीं बनाता है।
उत्तर
(क) लेड (II) क्लोराइड, PbCl2 क्लोरीन से क्रिया करके PbCl4 नहीं बनाती है। इसका कारण यह है कि अक्रिय युग्म प्रभाव (inert pair effect) के कारण Pb की +2 ऑक्सीकरण अवस्था +4 ऑक्सीकरण अवस्था से अधिक स्थायी होती है। दूसरे शब्दों में, PbCl2, PbCl4 से अधिक स्थायी है।
(ख) अक्रिय युग्म प्रभाव (inert pair effect) के कारण, Pb की +4 ऑक्सीकरण अवस्था +2 ऑक्सीकरण अवस्था से कम स्थायी है। इस कारण लेड (IV) क्लोराइड गर्म करने पर विघटित होकर अधिक स्थायी लेड (II) क्लोराइड बनाता है।
(ग) PbI4 का अस्तित्व ज्ञात नहीं है। इसका कारण Ph4+ की ऑक्सीकरण प्रकृति और I की अपचायक प्रकृति का संयुक्त प्रभाव है।
प्रश्न 14.
BF3 में तथा BF–4 में बन्ध लम्बाई क्रमशः 130 pm तथा 143 pm होने के कारण बताइए।
उत्तर
BF3 अणु-में pm-pr back bonding के कारण B—F आबन्ध की लम्बाई को कम कर देते। हैं। BF–4 में B—F बन्ध शुद्ध एकल आबन्ध होता है और इसकी आबन्ध लम्बाई अधिक होती है। इसी कारण BF3 में B—F आबन्ध लम्बाई BF–4 से कम होती है।
प्रश्न 15.
B—Cl आबन्ध द्विध्रुव आघूर्ण रखता है, किन्तु BCl3 अणु का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है। क्यों?
उत्तर
बोरॉन की विद्युत ऋणात्मकता 2, जबकि Cl की 3 होती है। विद्युत ऋणात्मक में अन्तर के कारण, B—Cl बन्ध पोलर हो जाता है और निश्चित द्विध्रुव आघूर्ण रखता है। BCl3 अणु में B परमाणु के sp2 संकरित होने के कारण यह एक त्रिकोणीय समतलीय अणु है। BCl3 में तीन B—Cl बन्ध 120° पर एक ही तल में होते हैं। इसलिए दो B—Cl बन्धों के द्विध्रुव आघूर्ण का परिमाण तीसरे B—Cl बन्ध के द्विध्रुव आघूर्ण के परिमाण के बराबर तथा विपरीत दिशा में होता है। परिणामस्वरूप BCl3 का शुद्ध द्विध्रुव आघूर्ण शून्य हो जाता है जैसा निम्नांकित से स्पष्ट है-
प्रश्न 16.
निर्जलीय HF में ऐलुमिनियम ट्राइफ्लुओराइड अविलेय है, परन्तु NaF मिलाने पर घुल जाता है। गैसीय BF3 को प्रवाहित करने पर परिणामी विलयन में से ऐलुमिनियम ट्राइफ्लुओराइडे अवक्षेपित हो जाता है। इसका कारण बताइए।
उत्तर
AlF3 निर्जलीय HF में नहीं घुलता क्योंकि HF एक सहसंयोजक और प्रबल रूप से हाइड्रोजन आबन्ध युक्त यौगिक है। NaF एक आयनिक यौगिक और F– आयन देता है जो AlF3 से संयुक्त होकर जल में विलेय जटिल यौगिर्क Na3AlF6 का निर्माण करता है। इसलिए AlF3 , NaF की उपस्थिति में घुल जाता है।
जब परिणामी विलयन में BF3 गैस प्रवाहित की जाती है तो B (बोरॉन) अपने छोटे आकार और उच्च विद्युत ऋणात्मकता के कारण Na3[AlF6] में प्रवेश कर जाता है और Al को निष्कासित कर देता है। इसलिए AlF3 अवक्षेपित हो जाता है।
प्रश्न 17.
CO के विषैली होने का एक कारण बताइए।
उत्तर
रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन शरीर के ऊतकों को O2, पहुँचाने का कार्य करता है। CO का रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन के साथ जुड़कर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन (carboxyhaemoglobin) बनाती है जो ऑक्सीहीमोग्लोबिन (oxyheamoglobin) से 300 गुना अधिक स्थिर है। यह शरीर के विभिन्न अंगों में हीमोग्लोबिन की O2 वाहक क्षमता को समाप्त कर देता है। फलस्वरूप ऑक्सीजन की कमी के कारण व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।
प्रश्न 18.
COI2 की अधिक मात्रा भूमण्डलीय तापवृद्धि के लिए उत्तरदायी कैसे है?
उत्तर
CO2 चक्र के कारण प्राकृतिक रूप से वातावरण में CO2 की सान्द्रता स्थिर रहती है लेकिन, जब वातावरण में CO2 की सान्द्रता मानवीय क्रियाओं के कारण एक निश्चित स्तर से अधिक हो जाती है, तो वायुमण्डल में उपस्थित CO2 का आधिक्य पृथ्वी द्वारा विकरणित ऊष्मा को अवशोषित कर लेता है। अवशोषित ऊष्मा का कुछ भाग वायुमण्डल में निस्तारित हो जाता है और शेष भाग पृथ्वी पर वापस विकरणित हो जाता है जिससे पृथ्वी की सतह का तापमान बढ़ जाता है और भूमण्डलीय ताप में वृद्धि होती है। इस प्रभाव को ग्रीन हाउस प्रभाव कहा जाता है।
प्रश्न 19.
डाइबोरेन तथा बोरिक अम्ल की संरचना समझाइए।
उत्तर
(क) डाइबोरेन की संरचना (Structure of Diborane)
डाइबोरेन की संरचना को चित्र-4 (क) द्वारा दर्शाया गया है। इसमें सिरे वाले चार हाइड्रोजन परमाणु तथा दो बोरॉन परमाणु एक ही तल में होते हैं। इस तल के ऊपर तथा नीचे दो सेतुबन्ध (bridging) हाइड्रोजन परमाणु होते हैं। सिरे वाले चार B—H बन्ध सामान्य द्विकेन्द्रीय-द्विइलेक्ट्रॉन (two centre-two electron) बन्ध भिन्न प्रकार के होते हैं जिन्हें ‘त्रिकेन्द्रीय-द्विइलेक्ट्रॉन बन्ध’ कहते हैं। चित्र-4 (ख)।
(ख) बोरिक अम्ल की संरचना (Structure of Boric acid)
ठोस अवस्था में, बोरिक अम्ल की पर्तीय संरचना होती है, जहाँ समतलीय B05 की इकाइयाँ हाइड्रोजन बन्ध द्वारा एक-दूसरे से 318 pm की दूरी पर जुड़ी रहती हैं (चित्र-5)।
प्रश्न 20.
क्या होता है, जब?
(क) बोरेक्स को अधिक गर्म किया जाता है।
(ख) बोरिक अम्ल को जल में मिलाया जाता है।
(ग) ऐलुमिनियम की तनु NaOH से अभिक्रिया कराई जाती है।
(घ) BF3 की क्रिया अमोनिया से की जाती है।
उत्तर
(क) जब बोरेक्स के चूर्ण को बुन्सन बर्नर की ज्वाला में अधिक गर्म किया जाता है, सर्वप्रथम यह जल के अणु का निष्कासन कर्के फूल जाता है। पुनः गर्म करने पर यह एक पारदर्शी द्रव में परिवर्तित हो जाता है, जो काँच के समान एक ठोस में परिवर्तित हो जाता है। इसे बोरेक्स मनका कहते हैं|
(ख) यह जल में घुल जाता है; क्योंकि यह इलेक्ट्रॉन-न्यून यौगिक है।
(ग) ऐलुमिनियम NaOH विलयन में घुलकर एक विलेय संकुल बनाता है तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त करता है।
(घ) BF (व्यवहार में लूइस अम्ल) NH3 (व्यवहार में लूइस-क्षारक) के साथ योगात्मक यौगिक बनाता है।
प्रश्न 21.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को समझाइए-
(क) कॉपर की उपस्थिति में उच्च ताप पर सिलिकन को मेथिल क्लोराइड के साथ गर्म किया जाता है।
(ख) सिलिकन डाइऑक्साइड की क्रिया हाइड्रोजन फ्लुओराइड के साथ की जाती है।
(ग) C0 को Zn0 के साथ गर्म किया जाता है।
(घ) जलीय ऐलुमिना की क्रिया जलीय NaOH के साथ की जाती है।
उत्तर
(क) जब सिलिकन को मेथिल क्लोराइड के साथ उच्च ताप पर Cu की उपस्थिति में गर्म किया जाता है, तो मोनो, डाइ तथा ट्राइमिथाइलक्लोरोसाइलेन और थोड़ी मात्रा में टेट्रामिथाइलक्लोरोसाइलेन युक्त एक मिश्रण प्राप्त होता है।
(ख) जब SiO2 की क्रिया HF से की जाती है तो सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड बनता है, जो HF में घुलकर हाइड्रोफ्लोरो सिलिसिक अम्ल (hydrofluorosilicic acid) बनाता है।
(ग) जब कार्बन मोनोऑक्साइड को जिंक ऑक्साइड के साथ गर्म किया जाता है, तो ZnO अपचयित होकर जिंक धातु बनाता है।
(घ) जब जलयोजित ऐलुमिना (hydrated alumina) को NaOH के जलीय विलयन के साथ गर्म किया जाता है तो सोडियम टेट्राहाइड्रॉक्सी ऐलुमिनेट (III) बनता है।
प्रश्न 22.
कारण बताइए
(क) सान्द्र HNO3 का परिवहन ऐलुमिनियम के पात्र द्वारा किया जा सकता है।
(ख) तनु NaOH तथा ऐलुमिनियम के टुकड़ों के मिश्रण का प्रयोग प्रवाहिका खोलने के लिए किया जाता है।
(ग) ग्रेफाइट शुष्क स्नेहक के रूप में प्रयुक्त होता है।
(घ) हीरा का प्रयोग अपघर्षक के रूप में होता है।
(ङ) वायुयान बनाने में ऐलुमिनियम मिश्रधातु का उपयोग होता है।
(च) जल को ऐलुमिनियम पात्र में पूरी रात नहीं रखना चाहिए।
(छ) संचरण केबल बनाने में ऐलुमिनियम तार का प्रयोग होता है।
उत्तर
(क) सान्द्र HNO3 ऐलुमिनियम (AI) से क्रिया करके इसकी सतह पर ऐलुमिनियम ऑक्साइड की एक पतली परत बनाता है जो Al की सान्द्र HNO3 से पुन: क्रिया को रोकती है। दूसरे शब्दों में, Al सान्द्र HNO3 के प्रभाव से निष्क्रिय हो जाता है।
अतः सान्द्र HNO3 के परिवहन में Al कन्टेनर का उपयोग किया जाता है।
(ख) Al तनु NaOH से क्रिया करने पर हाइड्रोजन मुक्त करता है। इस प्रकार उच्च दाब पर विमुक्त H, का उपयोग बन्द नालियों (closed drains) को खोलने में किया जा सकता है।
2Al(s) + 2NaOH(aq) + 6H2O(l) → 2Na+[Al(OH)4]– (aq) + 3H2(g)
(ग) ग्रेफाइट (graphite) की संरचना एक परतीय संरचना होती है जिसमें षटकोणीय वलय (hexagonal ring) की विशाल परतें एक-दूसरे से दुर्बल वाण्डर वाल्स बलों (weak van der Waals’ forces) द्वारा सम्बन्धित होती हैं। ये परतें एक-दूसरे से स्थायी रूप से नहीं जुड़ी होती हैं और एक-दूसरे पर फिसलती रहती हैं। यही कारण है कि ग्रेफाइट मुलायम होता है और एक शुष्क स्नेहक (dry lubricant) की भाँति प्रयोग किया जाता है।
(घ) हीरे की संरचना एक त्रिविमीय नेटवर्क संरचना है जिसमें sp संकरित कार्बन परमाणु एक-दूसरे से मजबूत सहसंयोजक आबन्धों द्वारा जुड़े रहते हैं। इसका नेटवर्क बहुत कठोर होता है। यही कारण है कि हीरा अत्यधिक कठोर होता है और इसका उपयोग एक अपघर्षक (abrasive) के रूप में किया जाता है।
(ङ) ऐलुमिनियम की मिश्र धातुएँ (alloys) हल्की होती हैं और ये अत्यन्त मजबूत एवं क्षय प्रतिरोधी होती हैं। इसलिए इनका उपयोग हवाई जहाजों को बनाने में किया जाता है।
(च) ऐलुमिनियम जल से तथा घुलित ऑक्सीजन से क्रिया कर अपनी सतह पर ऐलुमिनियम ऑक्साइड की एक पर्त बनाता है।
2Al(s) + O2 (g) + H2O(l) → Al2O3 (3) + H2 (g)
इस परत में स्थित कुछ Al3+ आयन पानी में घुलकर एक विलयन बनाते हैं। Al3+ आयन विषैला होता है और पीने के पानी व खाने के पदार्थों में इसकी उपस्थिति अवांछित है।
(छ) ऐलुमिनियम विद्युत धारा का अच्छा चालक है। भारानुसार यह Cu की तुलना में दो गुनी अधिक विद्युत धारा को संचालित कर सकता है। Al के तार हल्के और सस्ते होते हैं। इसलिए Al का उपयोग संचरण केबिल (transmission cables) बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 23.
कार्बन से सिलिकॉन तक आयनीकरण एन्थैल्पी में प्रघटनीय कमी होती है। क्यों?
उत्तर
कार्बन से सिलिकॉन तक आयनीकरण में प्रघटनीय कमी होती है; क्योंकि कार्बन की परमाणु त्रिज्या (77pm) की तुलना में सिलिकॉन की परमाणु त्रिज्या अधिक (118 pm) होती है। इसलिए इलेक्ट्रॉनों का निष्कासन सरलतापूर्वक हो जाता है। सिलिकॉन से जर्मेनियम तक आयनन एन्थैल्पी में कमी प्रघटनीय नहीं होती; क्योंकि तत्वों के परमाणु आकार एकसमान रूप से बढ़ते हैं।
प्रश्न 24.
Al की तुलना में Ga की कम परमाण्वीय त्रिज्या को आप कैसे समझाएँगे?
उत्तर
ऐलुमिनियम (Al) की तुलना में Ga की कम परमाण्वीय त्रिज्या को प्रथम संक्रमण श्रेणी (Z=21 से 30) के दस तत्वों की उपस्थिति के आधार पर समझाया जा सकता है। इनमें इलेक्ट्रॉन 3d-कक्षकों में होते हैं। चूँकि 4-कक्षकों का आकार d-कक्षकों की तुलना में अधिक होता है; अत: अन्तरस्थ इलेक्ट्रॉनों के पास नाभिकीय आवेश में वृद्धि के प्रभाव को निरस्त करने के लिए पर्याप्त परिरक्षण प्रभाव नहीं होता। इसलिए Ga की स्थिति में प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान कम होता है। इससे अपवादस्वरूप Ga का परमाणु आकार घट जाता है जिसे वास्तव में बढ़ा होना चाहिए था।
प्रश्न 25.
अपररूप क्या होता है? कार्बन के दो महत्त्वपूर्ण अपररूप हीरा तथा ग्रेफाइट की संरचना का चित्र बनाइए। इन दोनों अपरूपोंक्षे,भौतिक गुणों पर संरचना का क्या प्रभाव पड़ता, है?
उत्तर
अपररूप (Allotropes)
प्रकृति में शुद्ध कार्बन दो रूपों में पाया जाता है-हीरा तथा ग्रेफाइट। यदि हीरे अथवा ग्रेफाइट को वायु में अत्यधिक गर्म किया जाए तो यह पूर्ण रूप से जल जाते हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड बनाते हैं। जब हीरे तथा ग्रेफाइट की समान मात्रा दहन की जाती है, तब कार्बन डाइऑक्साइड की बराबर मात्रा उत्पन्न होती है तथा कोई अवशेष नहीं बचता। इन तथ्यों से स्पष्ट है कि ह्मस तथा ग्रेफाइट रासायनिक रूप से एकसमान हैं तथा केवल कार्बन परमाणुओं बने हैं। इनके नैतिक गुण अत्यधिक भिन्न होते हैं। अतः इस प्रकार के गुणों को प्रदर्शित करने वाले तत्वों को अपररूप कहते हैं।
हीरा (Diamond)
हीरा में क्रिस्टलीय जालक होता है। इसमें प्रत्येक परमाणु sp3-संकरित होता है तथा चतुष्फलकीय ज्यामिति से अन्य चार कार्बन परमाणुओं से जुड़ा रहता है। इसमें कार्बन-कार्बन बन्ध लम्बाई 154 pm होती है। कार्बन परमाणु दिक (space) में दृढ़ त्रिविमीय जालक (rigid three dimensional network) का निर्माण करते हैं। इस संरचना (चित्र-6) में सम्पूर्ण जालक में दिशात्मक सहसंयोजक बन्ध उपस्थित रहते हैं। इस प्रकार विस्तृत सहसंयोजक बन्धन को तोड़ना कठिन कार्य होता है। अत: हीरा पृथ्वी पर पाया जाने वाला सर्वाधिक कठोर पदार्थ है। इसका उपयोग धार तेज करने के लिए अपघर्षक (abrasive) के रूप में, रूपदा (dies) बनाने में तथा विद्युत-प्रकाश लैम्प में टंगस्टन तन्तु (filament) बनाने में होता है।
ग्रेफाइट (Graphite)
ग्रेफाइट की पर्तीय संरचना (layered structure) होती है। ये पर्ते वाण्डर वाल्स बल द्वारा जुड़ी रहती हैं। इस कारण ग्रेफाइट चिकना (slippery) तथा मुलायम (soft) होता है। दो पर्तों के मध्य की दूरी 340 pm होती है। प्रत्येक पर्त में कार्बन परमाणु षट्कोणीय वलय (hexagonal rings) के रूप में व्यवस्थित होते हैं जिसमें CC बन्ध लम्बाई 141-5 pm होती है। षट्कोणीय वलय में प्रत्येक कार्बन परमाणु sp2-संकरित होता है। प्रत्येक कार्बन परमाणु तीन निकटवर्ती कार्बन परमाणुओं से तीन सिग्मा बन्ध बनाता है (चित्र-7)। इसका चौथा इलेक्ट्रॉन -बन्ध बनाता है। सम्पूर्ण पर्त में इलेक्ट्रॉन विस्थानीकृत। होते हैं। इलेक्ट्रॉन गतिशील होते हैं; अतः ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक होता है। उच्च ताप पर जिन मशीनों में तेल का प्रयोग स्नेहक (lubricant) के रूप में नहीं हो सकता है, उनमें ग्रेफाइट शुष्क स्नेहक का कार्य करता है।
प्रश्न 26.
(क) निम्नलिखित ऑक्साइड को उदासीन, अम्लीय, क्षारीय तथा उभयधर्मी ऑक्साइड के रूप में वर्गीकृत कीजिए-
C0, B2O3, SiO2, CO2, Al2O3, PbO2, Tl2O3
(ख) इनकी प्रकृति को दर्शाने वाली रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर
(क) उदासीन ऑक्साइड : CO
अम्लीय ऑक्साइड : B2O3, SiO2,CO2
उभयधर्मी ऑक्साइड : Al2O3, PbO2
क्षारीय ऑक्साइड : Tl2O3
(ख)
(i) अम्लीय ऑक्साइडों की क्षारों के साथ अभिक्रिया
(ii) उभयधर्मी ऑक्साइडों की अम्लों व क्षारों के साथ अभिक्रिया
(iii) क्षारीय ऑक्साइड की अम्ल के साथ अभिक्रिया
प्रश्न 27.
कुछ अभिक्रियाओं में थैलियम, ऐलुमिनियम से समानता दर्शाता है, जबकि अन्य में यह समूह-I के धातुओं से समानता दर्शाता है। इस तथ्य को कुछ प्रमाणों के द्वारा सिद्धे करें।
उत्तर
ऐलुमिनियम के समाने, थैलियम Tl2O3, TlCl3, Tl2 (SO4 )3 आदि में +3 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है। Al तथा Tl के जटिल यौगिक भी समान प्रकार के होते हैं। जैसे– [AlF6]3- तथा [TlF6]3-।
अक्रिय युग्म प्रभाव के कारण यह समूह 1 ग्रुप की क्षार धातुओं के समान +1 ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित करता है। +1 ऑक्सीकरण अवस्था में यह Tl2O, TlCl आदि यौगिकों का निर्माण करता है जो Na2O, NaCl आदि यौगिकों के समान है। Tl2O, Na2O के समान प्रबल क्षार हैं। अत: यह समूह 1 की धातुओं से भी समानता प्रदर्शित करता है।
प्रश्न 28.
जब धातु X की क्रिया सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ की जाती है तो श्वेत अवक्षेप (A) प्राप्त होता है, जो NaOH के आधिक्य में विलेय होकर विलेय संकुल (B) बनाता है। यौगिक (A) तनु HCl में घुलकर यौगिक (C) बनाता है। यौगिक (A) को अधिक गर्म किए जाने पर यौगिक (D) बनता है, जो एक निष्कर्षित धातु के रूप में प्रयुक्त होता है। X, A, B, C तथा D को पहचानिए तथा इनकी पहचान के समर्थन में उपयुक्त समीकरण दीजिए।
उत्तर
दी गई अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करती हैं कि धातु X ऐलुमिनियम है। अभिक्रियाओं को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है-
प्रश्न 29.
निम्नलिखित से आप क्या समझते हैं?
(क) अक्रिय युग्म प्रभाव,
(ख) अपररूप,
(ग) श्रृंखलन।
उत्तर
(क) अक्रिय युग्म प्रभाव (Inert pair effect)-कोश इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, (n-1)d10 ns2np1 वाले तत्व में, 4-कक्षक के इलेक्ट्रॉन दुर्बल परिरक्षण प्रभाव प्रस्तावित करते हैं। इसलिए ns2 इलेक्ट्रॉन नाभिक के धनावेश द्वारा अधिक दृढ़ता से बँधे रहते हैं। इस प्रबल आकर्षण के परिणामस्वरूप, ns इलेक्ट्रॉन युग्मित रहते हैं तथा बन्ध में भाग नहीं लेते हैं अर्थात् अक्रिय रहते हैं। यह प्रभाव अक्रिय युग्म प्रभाव कहलाता है। इस स्थिति में, ns2np1 विन्यास में, तीन इलेक्ट्रॉनों में से केवल एक इलेक्ट्रॉन बन्ध-निर्माण में भाग लेता है।
(ख) अपररूप (Allotropes)-किसी तत्व का समान रासायनिक अवस्था में दो या अधिक भिन्न-रूपों में पाया जाना अपररूपता कहलाता है। तत्व के ये विभिन्न रूप अपररूप कहलाते हैं। किसी तत्व के सभी अपररूपों के समान रासायनिक गुण होते हैं, परन्तु इनके भौतिक गुणों में अन्तर होता है।
(ग) श्रृंखलन (Catenation)-कार्बन में अन्य परमाणुओं के साथ सहसंयोजक बन्ध द्वारा जुड़कर लम्बी श्रृंखला या वलय बनाने की प्रवृत्ति होती है। इस प्रवृत्ति को श्रृंखलन कहते हैं। C—C बन्ध अधिक प्रबल होने के कारण ऐसा होता है।
प्रश्न 30.
एक लवण x निम्नलिखित परिणाम देता है
(क) इसका जलीय विलयन लिटमस के प्रति क्षारीय होता है।
(ख) तीव्र गर्म किए जाने पर यह काँच के समान ठोस में स्वेदित हो जाता है।
(ग) जब X के गर्म विलयन में सान्द्र H2SO4 मिलाया जाता है तो एक अम्ल Z का श्वेत क्रिस्टल बनता है। उपर्युक्त अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए और X, Y तथा Z को पहचानिए।
उत्तर
(क) चूंकि दिये गये लवण का जलीय विलयन लिटमस के प्रति क्षारीय है तो यह सुनिश्चित है कि यह प्रबल क्षार और दुर्बल अम्ल से मिलकर बना लवण है।
(ख) लवण [X] गर्म करने पर फूल जाता है और काँच जैसे पदार्थ में परिवर्तित हो जाता है। इसलिए [४] को बोरेक्स (borax) और [Y] को सोडियम मेटाबोरेट और बोरिक ऐनहाइड्राइड का मिश्रण होना चाहिए।
(ग) जब बोरेक्सा [X] के गर्म विलयन में सान्द्र H2SO4 मिलाया जाता है, तो ऑथ्रो बोरिक अम्ल [2] के सफेद क्रिस्टल प्राप्त होते हैं।
अतः, [X]= Na2B4O7·10H2O, [Y]= NaBO2 + B2O3 और [2]= H3 BO3।
अभिक्रियाओं को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है-
प्रश्न 31.
सन्तुलित समीकरण दीजिए-
(क) BF3 + LiH →
(ख) B2H6 + H2O→
(ग) NaH + B2H6 →
(घ)
(ङ) Al + NaOH →
(च) B2H6 + NH3 →
उत्तर
प्रश्न 32.
C0 तथा CO2 प्रत्येक के संश्लेषण के लिए एक प्रयोगशाला तथा एक औद्योगिक विधि दीजिए।
उत्तर
(क) कार्बन मोनोक्साइड (Carbon monoxide) प्रयोगशाला विधि (Laboratory method)—सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल का 373 K पर फॉर्मिक अम्ल .. के द्वारा निर्जलीकरण कराने पर अल्प मात्रा में शुद्ध कार्बन मोनोक्साइड प्राप्त होती है।
औद्योगिक विधि (Industrial method)-औद्योगिक रूप से इसे कोक पर भाप (steam) प्रवाहित करके बनाया जाता है। इस प्रकार CO तथा H2 का प्राप्त मिश्रण ‘वाटर गैस’ अथवा ‘संश्लेषण गैस’ (synthesis gas) कहलाता है।
जब भाप के स्थान पर वायु का प्रयोग किया जाता है, तब CO तथा N2 का मिश्रण प्राप्त होता है। इसे प्रोड्यूसर गैस कहते हैं।
(ख) कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) प्रयोगशाला विधि (Laboratory method)—प्रयोगशाला में इसे कैल्सियम कार्बोनेट पर तनु HC1 की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है।
CaCO3(s) + 2HCl(aq) → CaCl2 (aq) +CO2(g) + H2O(1)
औद्योगिक विधि (Industrial method)-औद्योगिक रूप में चूना पत्थर (lime stone) को गर्म करके CO2 बनाई जा सकती है।
प्रश्न 33.
बोरेक्स के जलीय विलयन की प्रकृति कौन-सी होती है?
(क) उदासीन
(ख) उभयधर्मी
(ग) क्षारीय
(घ) अम्लीय
उत्तर
(ग) ऐसा इसलिए है क्योंकि बोरेक्स प्रबल क्षार (NaOH) और दुर्बल अम्ल (H3BO3) से बना लवण है। जल में, यह जल अपघटित होकर क्षारीय विलयन बनाता है।
प्रश्न 34.
बोरिक अम्ल के बहुलकीय होने का कारण
(क) इसकी अम्लीय प्रकृति है।
(ख) इसमें हाइड्रोजन बन्धों की उपस्थिति है।
(ग) इसकी ऐकक्षारीय प्रकृति है।
(घ) इसकी ज्यामिति है।
उत्तर
(ख) इसमें हाइड्रोजन बन्धों की उपस्थिति है।।
प्रश्न 35.
डाइबोरेन में बोरॉन का संकरण कौन-सा होता है?
(क) sp
(ख) sp2
(ग) sp3
(घ) dsp2
उत्तर
(ग) sp3
प्रश्न 36.
ऊष्मागतिकीय रूप से कार्बन का सर्वाधिक स्थायी रूप कौन-सा है?
(क) हीरा
(ख) ग्रेफाइट
(ग) फुलरीन्स
(घ) कोयला
उत्तर
(ख) ग्रेफाइट
प्रश्न 37.
निम्नलिखित में से समूह-14 के तत्वों के लिए कौन-सा कथन सत्य है?
(क) +4 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं।
(ख) +2 तथा +4 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं।
(ग) M2- तथा M4+ आयन बनाते हैं।
(घ) M2+ तथा M4- आयन बनाते हैं।
उत्तर
(ख) +2 तथा +4 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न 38.
यदि सिलिकॉन निर्माण में प्रारम्भिक पदार्थ RSiCl3 है तो बनने वाले उत्पाद की संरचना बताइए।
उत्तर
यदि अभिक्रिया में प्रारम्भिक पदार्थ RSiCl3 है तो अन्तिम उत्पाद एक क्रॉस लिन्कड सिलिकॉन (cross-linked silicone) होगा, जैसा कि निम्न से स्पष्ट है-
परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
ऐलुमिनियम का विकर्ण सम्बन्ध है।
(i) Li से
(ii) Be से
(iii) B से
(iv) Si से
उत्तर
(ii) Be से
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में अम्लीय ऑक्साइड है।
(i) B2O3
(ii) Al2O3
(iii) In2O3
(iv) Ga2O3
उत्तर
(i) B2O3
प्रश्न 3.
B2O3 है।
(i) आयनिक
(ii) क्षारीय
(iii) अम्लीय
(iv) उभयधर्मी
उत्तर
(iii) अम्लीय
प्रश्न 4.
बोरॉन की सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिक्रिया कराने पर बनता है।
(i) Na3BO3
(ii) Na3BO2
(iii) Na2B4O7
(iv) NaBO3
उत्तर
(i) Na3 BO3
प्रश्न 5.
BF3 अणु है।
(i) लुईस अम्ल
(ii) लुईस क्षारक
(iii) उदासीन लवण
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(i) लुईस अम्ल
प्रश्न 6.
बोरेक्स है।
(i) सोडियम मेटाबोरेट
(ii) सोडियम बोरेट
(iii) सोडियम टेट्राबोरेट
(iv) सोडियम बाइबोरेट
उत्तर
(iii) सोडियम टेट्राबोरेट।
प्रश्न 7.
बोरेक्स (सुहागा) का अणुसूत्र है।
(i) Na2B4O7
(ii) Na2B4O7·4H2O
(iii) Na2B4O7·7H2O
(iv) Na2B4O7·10H2O
उत्तर
(iv) Na2B4O7·10H2O
प्रश्न 8.
धातु लवणों की पहचान के लिए बोरेक्स मनका परीक्षण करते हैं।
(i) श्वेत लवण से
(ii) रंगीन लवण से
(iii) जलयोजित लवण से
(iv) अम्लीय लवण से
उत्तर
(ii) रंगीन लवण से
प्रश्न 9.
बोरेक्स बीड परीक्षण में नीली बीड बनाएगा।
(i) Cr
(ii) Co2+
(iii) Ni2+
(iv) Cd2+
उत्तर
(ii) Co2+
प्रश्न 10.
बोरिक अम्ल के बारे में कौन-सा कथन असत्य है?
(i) यह बोरेक्स के जलीय विलयन को अम्लीकृत करके तैयार किया जाता है।
(ii) इसकी संरचना परतीय होती है जिसमें समतल BO3 इकाई हाइड्रोजन आबन्धों द्वारा जुड़ी होती है।
(iii) यह एक प्रबल त्रि-क्षारकी अम्ल है ।
(iv) यह प्रोटॉन दाता के रूप में कार्य नहीं करता, परन्तु हाइड्रॉक्सिल आयन स्वीकार करके एक लुईस अम्ल की तरह कार्य करता है।
उत्तर
(iv) यह प्रोटॉन दाता के रूप में कार्य नहीं करता, परन्तु हाइड्रॉक्सिल आयन स्वीकार करके एक लुईस अम्ल की तरह कार्य करता है।
प्रश्न 11.
बोरिक अम्ल के सम्बन्ध में कौन-सा कथन गलत है?
(i) यह एक एकक्षारकी (monobasic) अम्ल की भाँति कार्य करता है।
(ii) यह बोरॉन के हैलाइडों के जल-अपघटन से बनता है।
(iii) इसकी संरचना समतलीय है।
(iv) यह एक त्रि-क्षारकी अम्ल की भाँति कार्य करता है।
उत्तर
(iv) यह एक त्रि-क्षारकी अंम्ल की भाँति कार्य करता है।
प्रश्न 12.
बोरेक्स पर किसकी अभिक्रिया के द्वारा बोरिक अम्ल बनाया जाता है?
(i) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
(ii) सोडियम हाइड्रॉक्साइड
(iii) कार्बन डाइऑक्साइड
(iv) सोडियम कार्बोनेट
उत्तर
(iv) सोडियम कार्बोनेट
प्रश्न 13.
ऑर्थोबोरिक अम्ल को गर्म करने पर प्राप्त होता है।
(i) मेटाबोरिक अम्ल
(ii) पाइरोबोरिक अम्ल
(iii) जलयोजित लवण
(iv) अम्लीय लवण
उत्तर
(iv) अम्लीय लवण
प्रश्न 14.
BCl3 की LiAlH4 से अभिक्रिया का मुख्य उत्पाद है।
(i) B2H6
(ii) AlCl3
(iii) LiCl
(iv) तीनों उत्पाद
उत्तर
(i) B2H6
प्रश्न 15.
B2H6 से निम्नलिखित में से किसे नहीं बनाया जा सकता है?
(i) H3BO3
(ii) B2(CH3)4H2
(iii) B2(CH3) 6
(iv) NaBH4
उत्तर
(iii) B2(CH3) 6
प्रश्न 16.
निम्न में से कौन-सा ऑक्साइड उदासीन है?
(i) CO
(ii) SnO2
(iii) ZnO
(iv) SiO2
उत्तर
(i) CO
प्रश्न 17.
ऊष्मागतिकीय रूप के कार्बन का सर्वाधिक स्थायी रूप कौन-सा है?
(i) हीरा
(ii) ग्रेफाइट
(iii) फुलरीन
(iv) कोयला
उत्तर
(ii) ग्रेफाइट
प्रश्न 18.
शुष्क बर्फ है।
(i) फ्रीऑन
(ii) द्रव क्लोरीन
(iii) ठोस कार्बन डाइऑक्साइड
(iv) प्लास्टर ऑफ पेरिस
उत्तर
(ii) ठोस कार्बन डाइऑक्साइड
प्रश्न 19.
निम्न में कौन-सा पदार्थ अर्द्धचालक के रूप में प्रयुक्त होता है?
(i) Au
(ii) Ge
(iii) Pt
(iv) Si
उत्तर
(iv) Si
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
निर्जल AICIs नम वायु को धूम क्यों देता है? समझाइए।
उत्तर
निर्जल AICI नम वायु (H2O) से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन क्लोराइड गैस की तेज धूम देता है।
प्रश्न 2.
ऐलुमिनियम का वैद्युत-अपघटन गलित अवस्था में किया जाता है, जलीय विलयन में नहीं, क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
ऐलुमिनियम को वैद्युत-अपघंटन जलीय विलयन में नहीं किया जा सकता; क्योंकि प्राप्त ऐलुमिनियम उबलते हुए जल से क्रिया कर ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड बनाता है, जो स्वयं विच्छेदित होकर पुनः ऐलुमिना में बदल जाता हैं।
प्रश्न 3.
क्या होता है जब सोडियम हाइड्रॉक्साइड का विलयन धीरे-धीरे ऐलुमिनियम क्लोराइड विलयन में डाला जाता है?
उत्तर
इसमें पहले ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड का सफेद अवक्षेप प्राप्त होता है जो NaOH के आधिक्य में घुलकर सोडियम मेटाऐलुमिनेट देता है।
प्रश्न 4.
निर्जल ऐलुमिनियम क्लोराइड का फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया में उपयोग दीजिए।
उत्तर
निर्जल AlCl3, ऐल्किल हैलाइड या ऐसिड क्लोराइड को इलेक्ट्रोफाइल पर परिवर्तित करके फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया दर्शाता है। निर्जल AlCl3, का फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया में उत्प्रेरक के रूप में उपयोग होता है।
प्रश्न 5.
ऐलुमिनियम सल्फेट को ऐलुमिनियम क्लोराइड में कैसे परिवर्तित करोगे, समीकरण दीजिए।
उत्तर
प्रश्न 6.
क्या होता है जब बोरेक्स को जल में घोला जाता है?
उत्तर
NaOH बनने के कारण क्षारीय विलयन प्राप्त होता है।
प्रश्न 7.
बोरिक अम्ल के दो प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर
- पूतिरोधी (antiseptic) के रूप में।
- आँखों की औषधि के निर्माण में।
प्रश्न 8.
कृत्रिम गोल्ड (रोल्ड गोल्ड) का संघटन तथा उपयोग लिखिए।
उत्तर
कृत्रिम गोल्ड (ऐलुमिनियम ब्रांज) में 10% Al तथा शेष कॉपर होता है। यह बर्तन, मुद्राएँ, कृत्रिम आभूषण, पेन्ट आदि बनाने में प्रयुक्त होता है।
प्रश्न 9.
हीरा एक कुचालक है परन्तु ग्रेफाइट विद्युत का अच्छा चालक है। समझाइए।
उत्तर
हीरे की आन्तरिक संरचना इस प्रकार होती है कि इसमें सभी इलेक्ट्रॉन सहसंयोजक बन्ध बनाने में भाग लेते हैं। कोई मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होता है इसलिए यह विद्युत का कुचालक है। जबकि ग्रेफाइट की संरचना इस प्रकार होती है कि उसमें मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं इसलिए ग्रेफाइट विद्युत का चालक है। चालक है।
प्रश्न 10.
सिलिकॉन कार्बाइड बनाने का रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्ग 13 के तत्वों की अभिक्रियाशीलता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
बोरॉन साधारण ताप पर अनअभिक्रियाशील (unreactive) है। अक्रिस्टलीय बोरॉन उच्च ताप पर नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, सल्फर और हैलोजन से सीधे संयोग करके नाइट्राइड (BN), ऑक्साइड (B2O3), सल्फाइड (B2S3) और हैलाइड (BCl3) बनाता है। यह रक्त-तप्त पर जल-वाष्प (steam) को हाइड्रोजन में अपचयित करता है। गर्म सान्द्र नाइट्रिक अम्ल अक्रिस्टलीय बोरॉन को ऑर्थोबोरिक अम्ल में ऑक्सीकृत करता है।
अक्रिस्टलीय बोरॉन गलित सोडियम हाइड्रॉक्साइड से अभिक्रिया करके बोरेट बनाता है।
ऐलुमिनियम साधारण ताप पर वायु से अभिक्रिया करता है, ऐलुमिनियम के पृष्ठ पर ऑक्साइड की एक कठोर व चीमड़ (tough) पतली परत बन जाती है जो धातु की रासायनिक अभिकर्मकों के आक्रमण से रक्षा करती है। ऐलुमिनियम उच्च ताप पर गर्म करने पर ऑक्सीजन, सल्फर, नाइट्रोजन और हैलोजनों से सीधे संयोग करके ऑक्साइड (Al2O3), सल्फाइड (Al2S3), नाइट्राइड (AIN) और हैलाइड (AlF3, Al2Cl6) बनाता है।
ऐलुमिनियम जल से अभिक्रिया नहीं करता है, क्योंकि उसके पृष्ठ पर ऐलुमिनियम ऑक्साइड की पतली परत जम जाती है।
ऐलुमिनियम गर्म सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन से अभिक्रिया करके सोडियम मेटाऐलुमिनेट बनाता है और हाइड्रोजन गैस निकलती है।
ऐलुमिनियम जल सोडियम हाइड्रॉक्साइड सोडियम मेटाऐलुमिनेट हाइड्रोजन ऐलुमिनियम नाइट्रिक अम्ल द्वारा निष्क्रिय (passive) हो जाता है, क्योंकि उसके पृष्ठ पर ऐलुमिनियम ऑक्साइड की अभेद्य परत बन जाती है। ऐलुमिनियम सान्द्र HCl और गर्म सान्द्र H2SO4 से अभिक्रिया करता है।
वर्ग में Ga, In और TI रासायनिक व्यवहार में समानता प्रदर्शित करते हैं। गैलियम और इन्डियम वायु द्वारा प्रभावित नहीं होते हैं। थैलियम उनके अपेक्षाकृत कुछ अधिक अभिक्रियाशील है और पृष्ठ पर ऑक्साइड बनाता है।
प्रश्न 2.
बोरॉन एवं ऐलुमिनियम के असंगत गुणधर्मों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
बोरॉन और ऐलुमिनियम दोनों तत्वों के बाह्यतम कोश का विन्यास ‘p’ है, अत: उनके गुणों में कई समानताएँ हैं, परन्तु उनके पिछले कोश में, बोरॉन में 2 इलेक्ट्रॉन और ऐलुमिनियम में 8 इलेक्ट्रॉन हैं। इस भिन्नता के कारण बोरॉन और ऐलुमिनियम कई गुणों में असमानताएँ प्रदर्शित करते हैं। जो निम्नलिखित हैं-
- बोरॉन अधातु है, ऐलुमिनियम धातु है।
- बोरॉन विद्युत अचालक (bad conductor) है, ऐलुमिनियम बहुत अच्छा विद्युत चालक है।
- बोरॉन अपररूपता प्रदर्शित करता है, ऐलुमिनियम अपररूपता प्रदर्शित नहीं करता है।
- ऐलुमिनियम की तुलना में बोरॉन अति उच्च गलनांक का अधात्विक ठोस है।
- बोरॉन ट्राइऑक्साइड (B2O3) अम्लीय ऑक्साइड है। ऐलुमिनियम ट्राइऑक्साइड (Al2O3) उभयधर्मी (amphoteric) ऑक्साइड है।
-
बोरॉन के हाइड्रॉक्सी यौगिक, जैसे, H3BO3 अम्ल है। ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड Al(OH)3
उभयधर्मी (armphoteric) है। - Al2 (SO4)3, Al(NO2 )3 आदि स्थाई लवण हैं। बोरॉने इनके संगत लवण नहीं बनाता है। ऐलुमिनियम द्विक सल्फेट जैसे पोटाश फिटकरी K2 SO4 · Al2 (SO4)3·24H2O, बनाता है। बोरॉन फिटकरियाँ (alums) नहीं बनाता है।
- बोरॉन तनु अम्लों से क्रिया नहीं करता है। ऐलुमिनियम तनु अम्लों से क्रिया करके हाइड्रोजन विस्थापित करता है।
- गर्म सान्द्र HNO3 बोरॉन को बोरिक अम्ल में ऑक्सीकृत करता है। सान्द्र HNO3 से क्रिया कराने पर ऐलुमिनियम निष्क्रिय (passive) हो जाता है।
- बोरॉन बड़ी संख्या में सहसंयोजक हाइड्राइड बनाता है। ऐलुमिनियम स्थाई हाईड्राइड नहीं बनाता है।
- बोरॉन के हैलाइड, BX3 सूत्र के सहसंयोजक यौगिक हैं जिनकी त्रिकोणीय समतल संरचना है। ये जल से क्रिया कराने पर ऑर्थोबोरिक अम्ल में जल-अपघटित हो जाते हैं। निर्जल ऐलुमिनियम क्लोराइड (Al2 Cl6) सूत्र का सहसंयोजक यौगिक हैं जिसकी क्लोरीन-ब्रिज संरचना है। हाइड्रेटेड ऐलुमिनियम क्लोराइड (AlCl3 : 6H2O), जलीय विलयन में Al3+ और Cl– आयनों में वियोजित होता है।
- बोरॉन कार्बाइड (B4C) अति उच्च गलनांक का बहुत कठोर सहसंयोजक ठोस है एवं रासायनिक रूप से अक्रिये (inert) है।
प्रश्न 3.
कोलमैनाइट द्वारा बोरेक्स बनाने की विधि एवं रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर
कोलमैनाइट को सोडियम कार्बोनेट के सान्द्र विलयन के साथ उबालने पर बोरेक्स बनती है।
विलयन को छानकर उसका क्रिस्टलीकरण करने पर बोरेक्स के क्रिस्टल प्राप्त होते हैं। क्रिस्टलों को पृथक् करके मातृ द्रव में CO2 ‘प्रवाहित करने पर सोडियम मेटाबोरेट, बोरेक्स में बदल जाता है।
4NaBO2 + CO2 → Na2B4O7 + Na2CO3
प्रश्न 4.
बोरिक अम्ल बनाने की विधि एवं इसके दो रासायनिक गुण लिखिए। सम्बन्धित रासायनिक समीकरण भी दीजिए।
उत्तर
बोरिक अम्ल बनाने की विधि-बोरेक्स के सीन्द्र जलीय विलयन पर HCI या H2SO4 अम्ल की क्रिया से बोरिक अम्ल बनता है।
रासायनिक गुण
-
बोरिक अम्ल को गर्म करने पर बोरिक ऐनहाइड्राइड बनता है।
-
बोरिक अम्ल को सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में एथिल ऐल्कोहॉल के साथ गर्म करने पर एथिल बोरेट की वाष्प बनती है जो जलाए जाने पर हरे रंग की ज्वाला से जलती है।
प्रश्न 5.
बोरिक अम्ल से प्रारम्भ करके निम्नलिखित यौगिकों को कैसे प्राप्त करोगे?
1. बोरॉन ऐनहाइड्राइड
2. बोरॉन ट्राइक्लोराइड
3. बोरॉन हाइड्राइड
4. बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड।
उत्तर
- बोरिक अम्ल से बोरॉन ऐनहाइड्राइड में परिर्वतन–बोरिक अम्ल को रक्त तप्त करने पर बोरॉन ऐनहाइड्राइड प्राप्त होता है।
- बोरिक अम्ल से बोरॉन ट्राइक्लोराइड में परिवर्तन-उपर्युक्त विधि से सबसे पहले बोरॉन ऐनहाइड्राइड को प्राप्त कर लिया जाता है। बोरॉन ऐनहाइड्राइड को कार्बन के साथ मिलाकर रक्त तप्त करने पर, क्लोरीन गैस प्रवाहित की जाती है, तो बोरॉन ट्राइक्लोराइड प्राप्त हो जाता है।
- बोरिक अम्ल से बोरॉन हाइड्राइड में परिवर्तन–उपर्युक्त विधि से प्राप्त बोरॉन ऐनहाइड्राइड को मैग्नीशियम चूर्ण के साथ गर्म करके मैग्नीशियम बोराइड प्राप्त कर लिया जाता है। मैग्नीशियम बोराइड तनु HCl से अभिक्रिया करके वाष्पशील हाइड्राइडों का मिश्रण देता है।
- बोरिक अम्ल से बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड़ में परिवर्तन-जब बोरिक अम्ल को सान्द्र H2SO4 और CaF2 के साथ गर्म किया जाता है; तो बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड की वाष्प प्राप्त हो जाती है।।
प्रश्न 6.
वर्ग 14 के तत्वों की अभिक्रियाशीलता को समझाइए।
उत्तर
वर्ग 14 में कार्बन की रासायनिक प्रवृत्ति अन्य तत्वों से भिन्न है। सिलिकन वर्ग के अन्य तत्वों से गुणों में भिन्नता प्रदर्शित करता है। वर्ग 14 में Ge, Sn और Pb तीनों O2, Cl2, S, सान्द्र HNO2 और गर्म सान्द्र NaOH विलयन से अभिक्रिया करते हैं।
प्रश्न 7.
‘वर्ग 14 के प्रथम तत्व अर्थात कार्बन के असंगत व्यवहार पर टिपणी लिखिए।
उत्तर
वर्ग 14 में स्थित सभी तत्वों के बाह्यतम कोश का विन्यास s2p2 है। इस समानता के कारण वर्ग 14 के तत्व कई गुणों में समानताएँ प्रदर्शित करते हैं, परन्तु बाह्यतम कोश से पिछले कोश में, c(6) में 2, Si (14) में 8, Ge (32), Sn (50) और Pb (82) में 18 इलेक्ट्रॉन हैं। इस भिन्नता के कारण कार्बन (C) और सिलिकन (Si) के गुणों में तथा Si और Ge, Sn, Pb के गुणों में बहुत असमानताएँ हैं। कार्बन वर्ग 14 का प्रथम तत्व है तथा यह छोटी परमाणु त्रिज्या, उच्च विद्युत ऋणात्मकता, पिछले कोश में 2 इलेक्ट्रॉन और बाह्यतम कोश में केवल s और p ऑर्बिटलों की उपस्थिति के कारण सिलिकन और वर्ग के अन्य तत्वों से गुणों में भिन्नताएँ प्रदर्शित करता है। ये भिन्नताएँ निम्नवत् हैं-
- C (6) की विद्युत ऋणात्मकता 2.5 और Si (14) की 1.8 है।
- कार्बन की परमाणु त्रिज्या 0.77A और Si की 1.17A है।
- C—C बन्ध की बन्धन ऊर्जा 85 kcal mol-1 और Si—Si बन्ध की 53 kcal mol-1 है। कार्बन में श्रृंखलित होने की प्रवृत्ति सिलिकन की अपेक्षा बहुत प्रबल है। इस गुण के कारण कार्बन के यौगिकों की संख्या बहुत अधिक है।
- कार्बन परमाणु एक-दूसरे के साथ तथा ऑक्सीजन, सल्फर और नाइट्रोजन परमाणुओं से द्वि-बन्ध या त्रि-बन्ध बना सकते हैं, किन्तु सिलिकन द्वि-बन्ध और त्रि-बन्ध नहीं बनाता है।
- कार्बन के संयोजी कोश में केवल 5 और 2 ऑर्बिटल हैं। संयोजी कोश में 4 ऑर्बिटलों की अनुपस्थिति के कारण कार्बन अपने बाह्यतम कोश में 8 से अधिक इलेक्ट्रॉन नहीं रख सकता है। अत: कार्बन की अधिकतम सहसंयोजकता 4 है। सिलिकन के बाह्यतम कोश में d ऑर्बिटलों की उपस्थिति के कारण सिलिकन अपने बाह्यतम कोश में 8 से अधिक इलेक्ट्रॉन रख सकता है। सिलिकन की अधिकतम सहसंयोजकता 6 है।
अत: कार्बन के CX4 प्रकार के यौगिक पूर्णत: संतृप्त और स्थाई हैं। सिलिकन के SiX4 प्रकार के यौगिक असंतृप्त और अस्थाई हैं और ये यौगिक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म युक्त अणुओं, जैसे- आदि से अभिक्रिया करके योगात्मक यौगिक बनाते हैं।
प्रश्न 8.
कार्बन-कार्बन में श्रृंखला के गुण को समझाइए।
या
श्रृंखलित होने के गुण से आप क्या समझते हैं। चौदहवें समूह के उस तत्त्व का नाम लिखिए जो सबसे ज्यादा शृंखलित होने का गुण रखता है।
उत्तर
किसी तत्त्व के समान परमाणुओं के द्वारा परस्पर मिलकर लम्बी श्रृंखला बनाने के गुण को श्रृंखलन कहते हैं। तत्त्वों की इस प्रवृत्ति को श्रृंखलन प्रवृत्ति कहते हैं। चौदहवें समूह के कार्बन में श्रृंखलित होने का गुण सर्वाधिक होता है। इसीलिए ये बन्द तथा खुली श्रृंखला के यौगिक बनाते हैं। श्रृंखलन गुण के कारण ही कार्बनिक यौगिकों की संख्या बहुत अधिक है।
कार्बन-कार्बन आबन्ध की बन्धन ऊर्जा सर्वाधिक 85 जूल किलो कैलोरी/मोल होती है।
प्रश्न 9.
कार्बन मोनोक्साइड तथा कार्बन डाइऑक्साइड के दो-दो रासायनिक गुण लिखिए।
उत्तर
कार्बन मोनोक्साइड के रासायनिक गुण
-
कार्बन मोनॉक्साइड गैस वायु में नीली ज्वाला के साथ जलती है तथा CO2 गैस बनती है।
2CO+O2 → 2CO
कार्बन मोनोक्साइड और वायु का मिश्रण विस्फोटक होता है। -
कार्बन मोनोक्साइड सक्रियत चारकोल की उपस्थिति में क्लोरीन के साथ अभिक्रिया करके कार्बोनिल क्लोराइड (फॉस्जीन) बनाती है।।
कार्बन डाइऑक्साइड के रासायनिक गुण
-
मैग्नीशियम का तार प्रज्वलित करने पर कार्बन डाइऑक्साइड में जलता है।
CO2 → 2Mg + 2MgO+C -
अमोनियम के आधिक्य में कार्बन डाइऑक्साइड के साथ 200°C ताप और 200 वायुमण्डलीय दाब पर गर्म करने पर यूरिया बनता है।
प्रश्न 10.
कार्बन डाइऑक्साइड एवं कार्बन मोनॉक्साइड के उपयोग लिखिए।
उत्तर
कार्बन डाइऑक्साइड के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं
- यूरिया [CO(NH2)2] उर्वरक के निर्माण में।
- धातु कार्बोनेटों और बाइकार्बोनेटों के निर्माण में; जैसे—NaHCO3, Na2CO3 अवक्षेपित CaCO3 आदि के निर्माण में।
- ऑक्सीजन से मुक्त वातावरण प्राप्त करने में।
- शुष्क बर्फ (dry ice) बनाने में।
कार्बन मोनॉक्साइड के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं-
- धातु निष्कर्षण में, जैसे–मॉण्ड प्रक्रम द्वारा निकिल का निष्कर्षण।
- धातुओं के शोधन में, जैसे-Ni और Fe का शोधन।।
- धातु कार्बोनिल, जैसे- Ni(CO)4 Fe(CO)5 बनाने में।
- धातु ऑक्साइडों के अपचयन में, जैसे– Fe0+ CO→ Fe+CO2
- ईंधन के रूप में।
- फॉस्जीन (COCl2) बनाने में।
प्रश्न 11.
कार्बन सबऑक्साइड पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
मेलोनिक अम्ल का वायु की अनुपस्थिति में फॉस्फोरस पेन्टॉक्साइड द्वारा 140°C पर निर्जलीकरण कराने पर कार्बन सबऑक्साइड गैस बनती है।
गुण
- कार्बन सबऑक्साइड अक्रिय गन्ध की रंगहीन गैस है।
-
गर्म करने पर 200°C पर यह कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन में अपघटित हो जाती है।
कार्बन सबऑक्साइड की निम्न संरचना है।
O= C=C=C=O
प्रश्न 12.
कार्बन के हैलोजन यौगिकों के उपयोग लिखिए।
उत्तर
कार्बन के प्रमुख हैलोजन यौगिक एवं उनके उपयोग निम्नवत् हैं-
1. कार्बन टेट्राक्लोराइड (CCl4)-कार्बन टेट्राक्लोराइड के कुछ उपयोग निम्नलिखित हैं|
- अग्निशामक (Fire extinguisher) के रूप में कार्बन टेट्राक्लोराइड की वाष्प अज्वलनशील और वायु से भारी होती है। अत: कार्बन टेट्राक्लोराइड का उपयोग अग्निशामक के रूप में किया जाता है। CCl4 को पाइरीन (pyrene) कहते हैं।
- विलायक के रूप में कार्बन टेट्राक्लोराइड का उपयोग तेल, वसा, रेजिन, आयोडीन, ब्रोमीन आदि के लिए विलायक के रूप में किया जाता है।
2. फ्रेऑन (Freons)-मेथेन और एथेन के क्लोरोफ्लुओरो व्युत्पन्न फ्रेऑन कहलाते हैं। फ्रेऑन का उपयोग प्रशीतक के रूप में और वातानुकूलन में किया जाता है।
डाइक्लोरोडाइफ्लुओरोमेथेन–(फ्रेऑन-12), CCl2F2 और ट्राइक्लोरोफ्लुओरोमेथेन (फ्रेऑन-11), CFCl3 : ये दोनों यौगिक अविषैली एवं बहुत स्थायी और अज्वलनशील (non-inflammable) गैसें हैं। ये सुगमता से द्रवित हो जाती हैं। ये रासायनिक रूप से निष्क्रिय हैं। इनका उपयोग प्रशीतक (refrigerant) के रूप में एवं वातानुकूलन (air conditioning) में किया जाता है।
प्रश्न 13.
सिलिकन कार्बाइड (कार्बोरण्डम) के उपयोग लिखिए।
उत्तर
बहुत कठोर होने के कारण सिलिकन कार्बाइड का उपयोग अपघर्षी चूर्ण (abrasive powder), होनस्टोन (honestone), घर्षण व्हील (grinding wheels), वेटस्टोन (whetstone), पॉलिश स्टोन (polishing stone), पॉलिश क्लॉथ (polishing cloths), रेगमाल (sand paper) आदि वस्तुएँ। बनाने में होता है। अति उच्च तापसह एवं दुर्गलनीय (refractory) प्रकृति तथा उच्च ऊष्मा चालकता होने के कारण सिलिकन कार्बाइड का उपयोग धातुओं को गलाने के लिए क्रूसिबल (crucible) बनाने में होता है। कार्बोरन्डम की छड़ों (rods) के रूप में प्रतिरोध हीटर (resistance heaters), औद्योगिक भट्टियों में प्रयुक्त किए जाते हैं।
प्रश्न 14.
सिलिकेटों के मुख्य वर्ग, सूत्र और उनकी संरचनाओं को दर्शाइए।
उत्तर
सिलिकेटों के मुख्य वर्गों, सूत्रों तथा संरचनाओं को निम्नंकित सारणी में दर्शाया गया है-
प्रश्न 15.
जियोलाइट पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
जियोलाइट खुली संरचना के हाइड्रेटेड त्रिविम ऐलुमिनोसिलिकेट हैं जो आण्विक छन्नी (molecular sieve) के रूप में कार्य करने के अतिरिक्त, अपने धनायनों का विलयन में उपस्थित धनायनों से विनिमय (exchange) कर सकते हैं। जियोलाइट में पंजर (cages) बहुत सममित और परिशुद्ध आकार (precise size) के होते हैं। जियोलाइट आकृति वर्णात्मक (shape selective) विषमांगी उत्प्रेरण के लिए भी प्रयुक्त किए जाते हैं।
उदाहणार्थ-आण्विक छन्नी ZSM-5 का ऑर्थोजाइलीन को संश्लेषण करने में उपयोग किया जाता है, ऑर्थोंजाइलीन के साथ अन्य जाईलीने नहीं बनती हैं, क्योंकि उत्प्रेरक प्रक्रम जियोलाइट के पंजरों (cages) और उसकी सुरंगों (tunnels) के आकार और आकृति द्वारा नियन्त्रित होता है। औद्योगिक प्रयोजनों के लिए वर्णात्मक आकार और आकृति के संश्लेषित जियोलाइट (synthetic zeolites) बनाए गए हैं। कुछ आण्विक छन्नियाँ (molecular sieves) और जियोलाइटों के संघटन निम्नलिखित हैं-
Na12[(AlO2)12(SiO2)12]· xH2O
Ca22[(AlO4)4 (SiO2)8]· xH2O
Na3[(AiO2 )3(SiO2 )]·xH2O
निम्न खनिज भी जियोलाइट हैं-
ऐनलसाइट (Analcite), Na[AlSi2O6]· H2O
सोडालाइट (Sodalite), Na6[(Al6Si6O24]·2H2O
प्राकृतिक और संश्लिष्ट (synthetic) दोनों प्रकार के जियोलाइट बहुत महत्वपूर्ण और उपयोगी पदार्थ हैं जिनके रसायन एवं उद्योग में कई अनुप्रयोग हैं।
खुली संरचना के कारण (1) जियोलाइट धनायन विनिमायक (cation exchanger) का कार्य करते हैं। कठोर जल के मृदुकरण में जियोलाइटों का उपयोग होता है। (2) जियोलाइट आण्विक छन्नियों (molecular sieves) का कार्य करते हैं, क्योंकि इनकी गुहिकाओं और चैनलों में से अणु स्वतन्त्रतापूर्वक अभिगमन कर सकते हैं। छिद्रों के आकार से बहुत बड़े अणु प्रभावित नहीं होते हैं। वांछित आकार के छिद्रों की गुहिकाओं के जियोलाइट संश्लेषित किए गए हैं जिनका उपयोग कार्बनिक यौगिकों के पृथक्करण, शोधन आदि में किया गया है। उदाहरणार्थ-एक संश्लिष्ट जियोलाइट ऋजु-श्रृंखला (straight chain) ऐल्केनों को तो अधिशोषित करता है, परन्तु शाखित श्रृंखला ऐल्केनों और ऐरोमैटिक यौगिकों को नहीं करता है।
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी में बोरॉन परिवार (वर्ग 13) की स्थिति की विवेचना कीजिए।
उत्तर
आवर्त सारणी में p-ब्लॉक के वर्ग 13 में पाँच तत्व हैं—बोरॉन (B), ऐलुमिनियम (Al), गैलियम (Ga), इण्डियम (In) और थैलियम (Tl)। बोरॉन को छोड़कर सभी तत्व धातु हैं। इन तत्वों के बाह्यतम कोश को विन्यास ns2np1 है, परन्तु निम्नतम क्रोड भिन्न है। इन तत्वों के आन्तरिक कोश पूर्ण भरे होते हैं। बाह्यतम कोश का विन्यास ns2np1 होने के कारण ही उन्हें p ब्लॉक के वर्ग 13 में रखा गया है। बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में समानता होने के कारण ये तत्व गुणों में समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।
बोरॉन परिवार के तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नवत् हैं-
गुणों में समानता
- बोरॉन को छोड़करे सभी तत्व धातु हैं।
- ये प्रकृति में मुक्त अवस्था में भी मिलते हैं।
- बोरॉन परिवार के तत्वों की वर्ग संयोजकता 3 है।
- ये सभी तत्व त्रि-संयोजीयौगिक बनाते हैं।
- इन तत्वों की आयनन ऊर्जाएँ उच्च हैं।
गुणों में क्रमिक परिवर्तन
- वर्ग में नीचे जाने पर तत्वों (M) के परमाणु साइज में वृद्धि होने के साथ M—x बन्ध की बन्धन ऊर्जा घटती है। वर्ग में परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ उच्च ऑक्सीकरण अवस्था निम्न ऑक्सीकरण अवस्था की तुलना में कम स्थायी होती जाती है।
- वर्ग में नीचे की ओर जाने पर अधात्विक लक्षण घटता है तथा धात्विक लक्षण बढ़ता है।
- वर्ग में धन विद्युत लक्षण B से Tl तक बढ़ता है।
- वर्ग में नीचे की ओर जाने पर परमाणु त्रिज्याएँ बढ़ती हैं।
- वर्ग में नीचे की ओर जाने पर आयनिक त्रिज्याएँ बढ़ती हैं।
- वर्ग में तत्वों का घनत्व B में Tl तक बढ़ता है।
अत: इनके गुणों से समानता तथा गुणों के क्रमिक परिवर्तन तत्वों को एक ही उपवर्ग में रखे जाने की पुष्टि करते हैं।
प्रश्न 2.
बोरॉन के निर्माण की विधि, भौतिक गुण एवं रासायनिक गुण लिखिए।
उत्तर
प्रकृति में बोरॉन मुख्यत: बोरेक्स और कोलमैनाइट के रूप में पाया जाता है। यह अपररूपता प्रदर्शित करता है। बोरॉन के दो अपररूप निम्नवत् हैं-
1. अक्रिस्टलीय बोरॉन
निर्माण विधि-बोरिक ऐनहाइड्राइड (B2SO4) का उच्च ताप पर सोडियम, पोटैशियम या मैग्नीशियम द्वारा अपचयन कराने पर बोरॉन भूरे-काले रंग के अक्रिस्टलीय (amorphous) चूर्ण के रूप में प्राप्त होता है।
‘बोरॉन ट्राइऑक्साइड मैग्नीशियम अक्रिस्टलीय बोरॉन मैग्नीशियम (बोरिक ऐनहाइड्राइड) (भूरे-काले रंग का चूर्ण) ऑक्साइड बोरॉन ट्राइऑक्साइड को सोडियम, पोटैशियम या मैग्नीशियम रिबन के टुकड़ों के साथ एक ढ़के हुए क्रूसिबल में तेज गर्म करते हैं। संगलित द्रव्य को तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ उबालकर छानने पर अक्रिस्टलीय बोरॉन का गहरा भूरा ठोस अवशेष प्राप्त होता है।
बोरॉन के प्रमुख भौतिक निम्नवत् हैं-
- यह भूरे-काले रंग का चूर्ण है।
- इसका आपेक्षिक घनत्व 1.73 है।
- इसका गलनांक 2100°C है।
- इसका क्वथनांक 2150°C है।
बोरॉन के प्रमुख रासायनिक गुण गुण निम्नवत् हैं-
बोरॉन का अक्रिस्टलीय रूप अभिक्रियाशील है। यह उच्च ताप पर नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, सल्फर और हैलोजनों (F2, Cl2, Br2) से सीधे संयोग करके नाइट्राइड, ऑक्साइड, सल्फाइड और हैलाइड बनाता है।
-
बोरॉन नाइट्राइड, ऑक्साइड और सल्फाइड की वृहत् अणु संरचनाएँ हैं जिनमें सम्पूर्ण क्रिस्टल में परमाणु एक-दूसरे से सहसंयोजक बंधों द्वारा जुड़े होते हैं।
-
अक्रिस्टलीय बोरॉन रक्त-तप्त ताप पर जल-वाष्प (steam) को हाइड्रोजन में अपचयित करता है।
-
गर्म सान्द्र नाइट्रिक अम्ल अक्रिस्टलीय बोरॉन को ऑर्थोबोरिक अम्ल में ऑक्सीकृत करता है।
-
अक्रिस्टलीय बोरॉन उच्च ताप पर कई ऑक्साइडों, सल्फाइडों और क्लोराइडों को अपचयित करता है।
-
अक्रिस्टलीय बोरॉन गलित सोडियम हाइड्रॉक्साइड से अभिक्रिया करके मेटाबोरेट बनाता है। और हाइड्रोजन गैस उत्पन्न होती है।
2. क्रिस्टलीय बोरॉन
निर्माण विधि-क्रिस्टलीय बोरॉन वैद्युत-तप्त टैनटेलम फिलामेन्ट पर 1000-1300°C पर बोरॉन ट्राइब्रोमाइड वाष्प का और हाइड्रोजन के मिश्रण को प्रवाहित करके या बोरॉन ट्राइआयोडाइड वाष्प और हाइड्रोजन के मिश्रण के तापीय अपघटन द्वारा बनाया जाता है।
गुण–क्रिस्टलीय बोरॉन बहुत कठोर और रासायनिक रूप से निष्क्रिय काला क्रिस्टलीय ठोस है।
प्रश्न 3.
ऐलुमिनियम के गुण तथा उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
भौतिक गुण-ऐलुमिनियम में सफेद रंग की धात्वीय चमक होती है। यह विद्युत और ऊष्मा का सुचालक होता है। इसका घनत्व 2.7 ग्राम प्रति घन सेमी होता है। इसका गलनांक 600°C है।
रासायनिक गुण-ऐलुमिनियम के मुख्य रासायनिक गुण निम्नलिखित हैं-
-
वायु का प्रभाव वायु में जलाने पर यह तीव्र प्रकाश से जलता है तथा Al2O3 बनाता है और बहुत अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है।
-
जल से क्रिया-यह उबलते हुए जल को अपघटित कर H2 उत्पन्न करता है।
-
अम्लों से क्रिया–
-
यह तनु या सान्द्र HCl से क्रिया करके क्लोराइड बनाता है और H2 गैस निकालता है।
-
यह तनु H2SO4 से क्रिया करके H2 निकालता है और गर्म तथा सान्द्र H2 SO4 के साथ SO2 निकालता है।
-
यह तनु HNO3 से धीरे-धीरे क्रिया करके नाइट्रेट बनाता है, परन्तु सान्द्र HNO3 का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
-
यह तनु या सान्द्र HCl से क्रिया करके क्लोराइड बनाता है और H2 गैस निकालता है।
-
क्षारों के साथ क्रिया-यह कॉस्टिक क्षारों के गर्म विलयन के साथ क्रिया करके सोडियम, मेटाऐलुमिनेट बनाता है और H2 निकलती है।
-
हैलोजन से क्रिया-Al के गर्म चूर्ण पर हैलोजन प्रवाहित करने पर ऐलुमिनियम हैलाइड बनता है।
-
नाइट्रोजन के साथ क्रिया-Al के गर्म चूर्ण पर N2 प्रवाहित करने पर ऐलुमिनियम नाइट्राइड बनता है।
-
धातु ऑक्साइडों का अपचयन-Al की ऑक्सीजन के प्रति अधिक बन्धुता होने के कारण | यह धातु ऑक्साइडों का धातु में अपचयन कर देता है।
उपयोग–ऐलुमिनियम के प्रमुख उपयोग इस प्रकार हैं-
- ऐलुमिनियम की चादर व बर्तन बनाने में,
- बिजली के तार बनाने में,
- थर्माइट वेल्डिंग में,
- क्रोमियम, लोहा तथा मैंगनीज धातु के निष्कर्षण में,
- हवाई जहाज तथा मोटर आदि में लगने वाली मिश्रधातुओं के बनाने में,
- इसके पत्र (foils) साबुन, सिगरेट आदि लपेटने में प्रयुक्त होते हैं,
- ऐलुमिनियम पाउडर तेल के साथ मिलाकर पेन्ट बनाने के काम आता है।
प्रश्न 4.
एक अकार्बनिक लुइस अम्ल (x) निम्नलिखित अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करता है-
(i) यह नम वायु में धुआँ देता है।
(ii) NH4OH में भीगी हुई छड़ को इसके समीप लाने पर धुएँ की तीव्रता बढ़ जाती है।
(iii) (x) के अम्लीय घोल में NH4Cl तथा NH4OH मिलाकर NaOH मिलाने पर यह घुल जाता है।
(iv) (x) का अम्लीय घोल H2S के साथ अवक्षेप नहीं देता है। (x) को पहचानिए तथा (G) से (iii) पदों पर होने वाली अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण दीजिए।
उत्तर
प्रश्न 5.
(i) जब एक खनिज (A) को Na2CO3 के विलयन के साथ उबाला जाता है, तो एक सफेद अवक्षेप (B) बनता है।
(ii) अवक्षेप को छानने पर छनित में दो यौगिक (C) तथा (D) उपस्थित होते हैं। यौगिक (C) को | क्रिस्टलीकरण (crystallisation) द्वारा पृथक् किया जाता है मातृ द्रव (mother liquor) में CO2 प्रवाहित करने पर (D) का (C) में परिवर्तन हो जाता है।
(iii) यौगिक (C), प्रबल गर्म करने पर दो यौगिक (D) और (E) देता है।
(iv) (E) को कोबाल्ट ऑक्साइड के साथ गर्म करने पर नीले रंग का एक पदार्थ (F) प्राप्त होता है। (A) से (F) को पहचानिए तथा (i) से (iv) पदों में होने वाली अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण दीजिए।
उत्तर
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में (A) तथा (B) की पहचान कीजिए तथा इसके सूत्र उत्तर-पुस्तिका में लिखिए
उत्तर
प्रश्न 7.
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी में कार्बन परिवार (वर्ग i4) की स्थिति की विवेचना कीजिए।
उत्तर
कार्बन, सिलिकन तथा लेड को आवर्त सारणी के IV समूह में रखा गया है। IV समूह दो उपसमूहों में विभाजित है। कार्बन इस समूह का प्रारूपिक तत्त्व है, जो सिलिकन के साथ उपसमूह A तथा B में से किसी भी उपसमूह का सदस्य बन सकता है, परन्तु रासायनिक गुणों एवं इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर यह उपसमूह-A का सदस्य माना जाता है; अत: कार्बन, सिलिकन व लेड IVA समूह के तत्त्वों को कार्बन परिवार (carbon family) के तत्त्व कहते हैं, जिनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास इस प्रकार है।
उपर्युक्त इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से स्पष्ट है कि सभी तत्त्वों के बाह्य कोश में 4 इलेक्ट्रॉन हैं और बाह्य कोश की संरचना as up है; अतः इन्हें एक ही उपवर्ग में रखा जाना उचित है। समान इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होने के कारण ये समान गुण प्रदर्शित करते हैं तथा परमाणु क्रमांक बढ़ने पर उनमें श्रेणीबद्ध परिवर्तन होता है।
गुणों में समानता
- उपवर्ग के सभी तत्त्वों की मुख्य संयोजकता 4 है, परन्तु इनमें कुछ तत्त्वों में 2 संयोजकता भी पाई जाती है।
- कार्बन व लेड के अतिरिक्त सभी तत्त्व जटिल यौगिक बनाते हैं।
- सभी तत्त्व सहसंयोजक हाइड्राइड बनाते हैं, जिनका स्थायित्व CH4से PbH4 तक घटता है।
- सभी तत्त्व डाइऑक्साइड बनाते हैं, परन्तु इनके कुछ तत्त्व मोनोऑक्साइड भी बनाते हैं।
- सभी तत्त्व चतुष्फलकीय सह-संयोजक हैलाइड बनाते हैं।
- ये सभी तत्त्व ऑक्सी अम्ल बनाते हैं।
गुणों में क्रमिक परिवर्तन
- इन तत्त्वों के आयनन विभव उच्च हैं तथा कार्बन से लेड की ओर कम होते जाते हैं।
- इंनकी विद्युत ऋणात्मकता नियमित क्रम से नहीं बदलती। कार्बन की विद्युत ऋणात्मकता 2.5 तथा शेष सभी (Si, Ge, Sn, Pb) की लगभग 2.8 है।
- कार्बन से लेड की ओर चलने पर धात्विक गुण; घनत्व, परमाणु त्रिज्या तथा परमाणु आयतनों में वृद्धि होती है।
- ऑक्साइडों का अम्लीय स्वभाव कार्बन से लेड की ओर कम होता जाता है।
- इन तत्त्वों में लेड को छोड़कर अन्य सभी तत्त्वों की श्रृंखला बनाने की क्षमता होती है। यह क्षमता कार्बन से लेड तक घटती हैं।
अत: इनके गुणों में समानता तथा गुणों में क्रमिक परिवर्तन तत्त्वों को एक ही उपवर्ग में रखे जाने की पुष्टि करते हैं।
प्रश्न 8.
कार्बन के भौतिक एवं रासायनिक गुणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
कार्बन के प्रमुख भौतिक गुण निम्नवत् हैं-
-
कार्बन के तीन अपररूप हैं—
- डायमण्ड (हीरा),
- ग्रेफाइट तथा
- फुलरीन
- इसका गलनांक 3570°C है।।
- इनका क्वथनांक 4827°C है।
- इसका घनत्व 293 K पर डायमण्ड के लिए 3.5 तथा ग्रेफाइट के लिए 2.22 है।
- भूपर्पटी में इनकी बहुतयता 0.08 (प्रतिशत द्रव्यमान से) है।
कार्बन के प्रमुख रासायनिक गुण निम्नवत् हैं-
-
वायु या ऑक्सीजन से क्रिया–कार्बन को वायु या ऑक्सीजन में जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड बनती है।
-
सल्फर से क्रिया-कार्बन को सल्फर के साथ विद्युत भट्टी में गर्म करने पर कार्बन डाइसल्फाइड बनती है।
-
सान्द्र नाइट्रिक अम्ल से क्रिया-गर्म सान्द्र नाइट्रिक अम्ल द्वारा कार्बन कार्बन, डाइऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाता है।
-
सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल से क्रिया-सन्द्रि सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म करने पर कार्बन H2SO4 को SO2 में अपचयित कर देता है।
-
भाप (steam) से क्रिया-रक्त-तप्त कार्बन (कोक) पर भाप प्रवाहित करने पर कार्बन , मोनॉक्साइड और हाइड्रोजन का मिश्रण बनता है जिसे जल-गैस (water gas) कहते हैं।
-
धातु ऑक्साइडों का अपचयन–टिन, लेड, जिंक और आइरन के ऑक्साइड काबर्न के साथ उच्च ताप पर गर्म करने पर धातु में अपचयित हो जाते हैं।
प्रश्न 9.
सिलिकोन्स क्या हैं? इनके गुणों व उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
सिलिकोन्स–सिलिकोन्स कार्बनिक सिलिकॉन बहुलक होते हैं। इनमें R2SiO इकाइयाँ एक-दूसरे से SiO—बन्ध (Si—O) द्वारा जुड़ी होती हैं। इनका सामान्य सूत्र (R2SiO)n होता है। यहाँ R ऐल्किल या ऐरिल समूह होता है। चूंकि इन बहुलकों के सामान्य सूत्र (R2SiO) कीटोन के सामान्य सूत्र R2CO के समान होते है; इसलिए इन्हें सिलिकोन्स कहते हैं। सिलिकोन्स मुख्यत: निम्न हैं-
- रेखीय सिलिकोन्स।
- चक्रीय सिलिकोन्स।
- शाखायुक्त सिलिकोन्स।
सिलिकोन्स के प्रमुख गुण निम्नवत् हैं
- ये रासायनिक दृष्टि से अक्रिय होते हैं।
- ये विषैले नहीं होते हैं तथा जल को प्रतिकर्षित करते हैं।
- ताप परिवर्तन से इनकी श्यानता प्रभावित नहीं होती है।
उपयोग-
- उच्चताप सह तेल बाध तथा निर्वात् पम्पों के निर्माण में।
- विद्युत कुचालक के रूप में।
- जलरोधी कपड़े बनाने में तथा कागज के निर्माण में।
प्रश्न 10.
सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड के विरचन की विधियाँ, गुणों एवं उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
विरचन की विधियाँ सिलिकॉन टेट्रोक्लोराइड को निम्न में से किसी भी विधि द्वारा बनाया जा सकता है–
-
सिलिकॉन को क्लोरीन के साथ गर्म करने पर सिलिकॉन टेट्रोक्लोराइड वाष्प बनती है जिसे द्रवित करने पर सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड द्रव प्राप्त होता है।
-
कार्बन और सिलिका के मिश्रण को क्लोरीन की धारा में गर्म करने पर टेट्राक्लोराइड वाष्प बनती है जिसे द्रवित करने पर सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड द्रव प्राप्त होता है। द्रव को मर्करी के साथ हिलाकर पुनः आसवित करने पर क्लोरीन की अशुद्धि दूर हो जाती है और शुद्ध सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड प्राप्त होता है।
सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड के प्रमुख भौतिक एवं रासायनिक गुण निम्नवत् हैं-
- सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड रंगहीन सधूम द्रव (fuming liquid) है, जो वायु में धूम देता है।
- सिलिकॉन टेट्राक्लोराइट का क्वथनांक 59.6°C और हिमांक -70°C है।
-
सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड जल द्वारा सिलिका में अपघटित हो जाता है।
SiCl4 +2H2O → SiO2 + 4HCl
कार्बन टेट्राक्लोराइड जल द्वारा अपघटित नहीं होता है। -
सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड वाष्प को हाइड्रोजन गैस की उपस्थिति में गलित ऐलुमिनियम धातु पर। प्रवाहित करने पर सिलिकॉन प्राप्त होता है।
-
सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड की लीथियम ऐलुमिनियम हाइड्राइड से अभिक्रिया कराने पर मोनोसिलेन (SiH4) बनती है। ।
SiCl4 (l) + LiAlH4 → SiH4 (g) + LiCl + AlCl3
सिलिकॉन टेट्राक्लोराइड के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं-
- शुद्ध सिलिका के उत्पादन में।
- सिलिसिक अम्ल के एस्टर (esters) बनाने में।
- सिलिकॉन (silicones) के निर्माण में।
प्रश्न 11.
SiCl4 से प्रारम्भ करके निम्नलिखित के निर्माण की विधि, कोष्ठकों में दिए गए। अधिकतम पदों की सीमा को ध्यान में रखकर (केवल रासायनिक समीकरण दीजिए)
(i) सिलिकन (Silicon) (एक पद में)।
(ii) रेखीय सिलिकोन्स (silicones) जिसमें केवल मेथिल समूह है। (4 पदों में)
(iii) Na2SiO3 (3 पदों में)
उत्तर