Chapter 11 एकाकी तथा संयुक्त परिवार के सम्बन्धों का मनोविज्ञान

बहुविकल्पीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
परिवार का लक्षण है (2018)
(a) सदस्यों का एक सम्बन्ध से जुड़े होना
(b) सदस्यों का एक ही गाँव का होना
(c) सदस्यों को आपस में मित्र होना
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) सदस्यों का एक सम्बन्ध से जुड़े होना

प्रश्न 2.
एकाकी परिवार में पाई जाती है (2013)
(a) दो पीदियों
(b) तीन पीदियों
(c) तीन से अधिक पवियाँ हैं।
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) दो पौड़यो। 

प्रश्न 3.
एकल (एकाकी) परिवार में (2008, 11, 17)
(a) केवल ए मत होता है।
(b) पति-नी के रिश्तेदार भी होते हैं।
(c) केवल प-िपत्नी होते हैं।
(d) पति-नी और उनके अविवाति मध्ये होते हैं।
उत्तर:
(d) पति-पत्नी और उनके अविवाहित बने होते हैं।

प्रश्न 4.
संयुक्त परिवार में
(a) यह एक व्यक्ति होता है।
(b) पति-पत्नी और उनके बचे होते हैं।
(c) कई पीढ़ियों के लोग एक साथ रहते हैं
(d) परोक्त सभी
उत्तर:
(c) कई पीढ़ियों के लोग एक साथ रहते हैं।

प्रश्न 5.
“संयुक्त परिवार की भावना बड़ी मज़बूत है।” यह कथन है (2010)
(a) टीबी, बॉटमोर
(b) के. एस. कपाडिया
(c) डॉ. आई.पी. देसाई
(d) श्यामाचरण दुवै 4.
अत्तर:
(c) डॉ. आई.पो. देसाई

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कौन-सी विशेषता संयुक्त परिवार की नहीं है? (2010)
(a) सामान्य निवास तथा सामान्य रसोईघर
(b) व्यक्तिगत स्वतन्त्रता अवा आरमनिर्भरता के प्रौसाहन के लिए। अवसर है।
(c) परिवार के सभी सदस्यों का अति धन एवसाय ए होता है।
(d) पारस्परिक अधिकार और कर्तव्य
उत्तर:
(b) व्यक्तिगत स्वतन्त्रता अथवा आत्मनिर्भरता के प्रोत्साहन के लिए अगर है।

प्रश्न 7.
पारिवारिक संरचना में होने वाले परिवर्तन हैं। (2018)
(a) संयुक्त परिवार का विघटन ।
(a) परिवार का आकार छोटा होना।
(c) परिवार के पारम्परिक कार्यों में कमी
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

प्रश्न 1.
एकाळी परिवार का क्या आशय है? (2007, 17)
उत्तर:
पति-पत्नी तथा उनके अविवाहित बच्चों के योग से बनने जाले परिणार को एकाको परिवार कहते हैं। लोवी के अनुसार, “एकाको परिवार में प्रत्येक पति-पानी और अपरिपक्व आयु के बच्चे समुदाय के शेष लोगों से अलग एक इकाई का निर्माण करते हैं।”

प्रश्न 2.
एकाकी परिवार की दो विशेषताएँ लिखिए। (2015)
उत्तर:
एकाको परिवार की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।

  1. परिवार का छोटा आकार
  2. निजी सम्पत्ति की अवधारणा

प्रश्न 3.
एकाकी परिवार के पाँच दोष लिखिए। (2014)
धनी एकाकी परिवार से होने वाली दो हानियाँ लिखिए। (2016)
उत्तर:
एकाको परिवार की हानि एवं दोष निम्नलिखित हैं।

प्रश्न 4.
संयुक्त परिवार प्रणाली से क्या अभिप्राय है? (2017)
अथवा
संयुक्त परिवार से क्या आशय है? (2006)
उत्तर:
संयुक्त परिवार प्रणाली से तात्पर्य, एक ऐसी पारिवारिक व्यवस्था से हैं, जिसमें निकट के रिश्तेदारों को शामिल किया जाता है (दादा-दादी, चाचा-चाची इत्यादि) तथा जिसमें सम्पत्ति, वास, अषकारों एवं कर्तव्यों का समिति रूप से समावेश होता है।

प्रश्न 5.
संयुक्त परिवार की चार प्रमुख विशेषताओं को बताइए। (2008)
उत्तर:
संयुक्त परिवार की प्रमुख चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।

प्रश्न 6.
संयुक्त परिवार के क्या लाभ है? है (2004, 14)
उत्तर:
संयुक्त परिवार में सभी सदस्यों को सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त अनेक प्रकार की सुविधाएँ; जैसे–मनोरंजन का उत्तम साधन, श्रम विभाजन, सामान्य हितों की रक्षा इत्यादि प्राप्त होती हैं।

प्रश्न 7.
संयुक्त परिवार में स्त्रियों की स्थिति का उल्लेख कीजिए। (2009)
उत्तर:
संयुक्त परिवार में स्त्रियों को दशा बहुत दयनीय होती हैं। इस व्यवस्था में स्त्रियों को अपने व्यक्तित्व के विकास का कोई असर नहीं मिलता तथा उनके जोवन का प्रमुख लक्ष्य सन्तानोत्पति एवं पूरे दिन रसोई में व्यतीत करना हो जाता है, इसमें स्त्रियों को अपनी इच्छाओं का दमन करना पड़ता है। इस प्रकार इस व्यवस्था में उनका जीवन लगभग नौरस हो जाता है।

प्रश्न 8.
संयुक्त परिवार में वृद्धजनों (दादा-दादी के मनोवैज्ञानिक सम्बन्धों पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त परिवार में वृक्ष जन अपनी उपयोगिता को सुनिश्चित करते हुए अपनी सत्ता को सुरक्षित रखना चाहते हैं। दूसरी ओर ये परिवार के अन्य सदस्यों से स्नेह एवं समन प्राप्ति की आकांक्षा भी रखते हैं। परिवार के छोटे बच्चे दादा-दादी के संरक्षण में समाजीकरण की प्रक्रिया से गुजरते हैं यद्यपि दादा-दादी का अधिक लाड़-प्यार उनके विकास को प्रभावित भी करता है।

प्रश्न 9.
संयुक्त परिवार में प्राचीन एवं नवीन मूल्यों में संघर्ष की सम्भावना विद्यमान रहती है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त परिवार में सामान्यतः तीन अथवा तीन से अधिक पोटो के सदस्य एकसाथ वास करते हैं। ऐसी स्थिति में पीडी-अन्तराल के कारण प्राचीन एवं नवोन मूल्यों में संघर्ष विकसित होना स्वाभाविक परिणाम है। आवश्यक है कि पुरानी एवं नवीन दोनों पीढ़ी के सदस्य परस्पर बातचीत करें एवं आपस के पौड़ी अनाराल को समझने की कोशिश करे।

लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

प्रश्न 1.
परिवार की चार विशेषताएँ लिखिए (2018)
उत्तर:
मैकाइवर एवं पेश ने परिवार की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख लिया है।

  1. सार्वभौमिकता परिवार की उपस्थिति सार्वभौमिक होती है, अत् शहर हों, म ग हो; यह सभी जगह उपस्थित होता है और प्रत्येक व्यक्ति किसी-न-किसी परिवार का सदस्य होता है।
  2. सीमित और बड़ा आकार परिवार सीमित आकार या बड़े आकार का भी हो सकता है अर्थात परिवार में दो पी मों के सदस्य भी हो सकते है और तौन-या-तीन से अधिक पीढ़ियों के सदस्य भी हो सकते हैं।
  3. भावात्मक आधार परिवार के सदस्य परस्पर भावात्मक बन्धनों से बँधे होते हैं। परिवार में प्रेम, त्याग, सहयोग, दया तथा बलिदान आदि की भावनाएँ विद्यमान रहती हैं।
  4. सदस्यों का उत्तरदायित्व प्रत्येक परिवार अपने-अपने सदस्यों से कुछ उत्तरदायित्व निभाने की अपेक्षा रखता है। संकट के समय प्रत्येक सदस्य परिवार के लिए बड़े से बड़ा त्याग करने को तत्पर रहता है।

प्रश्न 2.
एकाकी परिवार के क्या लाभ हैं? (2005, 06, 13, 13, 18)
उत्तर:
सामान्य रूप से एकाको परिवार में केवल दो पीढ़ियों के सदस्य पाए जाते है अर्थात् पति-पत्नी एवं उनके अविवाहित बच्चे ही एकाकी परिवार का निर्माण करते हैं। एकाकी परिवार के लाभ एकाकी परिवार के साथ या विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।

  1. पति-पत्नी संयुक्त रूप से परिवार का संचालन करते हैं। इसमें पति-पत्नी को अपनी गृङ्गस्थी को संचालित करने की पूर्ण स्वतन्त्रता रहती हैं।
  2. सभी प्रकार के रिश्तेदारों व सम्बन्धियों में एकाको परिवार के प्रति सहानुभूति का व्यवहार रहता है। सम्बन्धियों के साथ प्रेमपूर्ण सम्बन्ध होता है।
  3. एकाको परिवार में पति-पत्नी अपनी सन्तान को समुचित शिक्षा का प्रबन्ध करते हैं तथा उनके उज्ज्वल भविष्य हेतु सदैव प्रयासरत् रहते हैं। अतः बच्चों के व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास होता है।
  4. एकाको परिवार में स्त्रियों की स्थिति मजबूत होती है। एक ही स्त्री होने के | कारण कोई भी एकाही परिवार में इसकी अवहेलना नहीं कर सकता। पत्नी द्वारा पिक सहायता करना भी सम्भव होता है।
  5. एकाको परिवार में पारिवारिक गोपनीयता बनी रहती है।
  6. एकाकी परिसर में प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास सही प्रकार से होता है। परिवार का आकार छोटा होने के कारण शोषण व फतह का पूर्णतः अभाव होता है।
  7. एकाकी परिवार का प्रत्येक सदस्य अपने-अपने कार्य को पूर्ण उत्तरदायित्व के अनुसार का है, जिससे भालस्य और कामचोरी की भावना विकसित नहीं हो पाती।

प्रश्न 3.
एकाकी परिवार में कौन-कौन सी व्यावहारिक कठिनाइयाँ उपस्थित होती हैं? (2006, 17)
उत्तर:
एकाकी परिवार की कुछ नयाँ व कठिनाइयों निम्नलिखित हैं

  1. नन्हें शिशुओं की समस्या ज्यादातर एकाकी परिवार में पति-पत्नी दोनों नौकरी करते हैं, ऐसे में नन्हें शिशुओं को कहाँ छोड़ा जाए, यह एक बहुत बड़ी समस्या होती है।
  2. कार्यक्षमता में कमी एकाको परिवार में सदस्यों की सागा कम होती है। यदि पत्नी नौकरी करती है, जो थर का सारा कार्य भी जो करना पड़ता है। अतः उसकी कार्यक्षमता में कमी आ जाती है।
  3. नौकरों पर निर्भरता पति-पत्नी दोनों को नौकरी करने के कारण प्रायः उन्हें | नौकरों पर निर्भर रहना पड़ता हैं। नौकर पर विश्वास करना कभी-कभी पाकि भी हो जाता है। अत: पति-पत्नी दोनों मानसिक परेशानी में रहते है।
  4. बच्चों में अनुशासनहीनता पति फनी दोनों के नौकरी पर चले जाने के कारण बच्चों के क्रियाकलापों की देखभाल करने के लिए घर पर कोई नहीं होता, इसलिए कभी-कभी उनमें बुरी आदतें भी जम ले लेती हैं। अतः बच्चे अनुशासनहीन हो जाते हैं। बच्चे एकता की भावना से ग्रसित हो जाते हैं।
  5. स्वार्थ की भावना का विकास एकाकी परिवार में पति पत्नी केवल अपने बारे में सोचते हैं। अत: उनमें स्वार्थ की भावना बढ़ती जाती है। वृद्ध माता-पिता तथा भाई बहन के लिए कार्य करने का उन्हें अक्सर ही नहीं मिल पाता। अतः ये स्वार्थी व निष्ठुर हो जाते हैं।
  6. उचित निर्देशन एवं परामर्श का अभाव एकाकी परिवार के सदस्यों को दादा-दादी एवं अन्य बुजुर्ग सदस्यों का उचित निर्देशन एवं परामर्श उपलब्ध नहीं हो पाता है। इस प्रकार वे बुजुर्ग सदस्यों के जीवन के अनुभवों का लाभ नहीं उठा पाते हैं।
  7. व्यय साध्य एकाकी परिवार के आय के स्रोत सीमित होते हैं, जबकि उन्हें समस्त संसाधनों को व्यय प्रबन्धन बिना किसी सहायता के स्वयं करना

प्रश्न 4.
संयुक्त परिवार के विघटन के दो मुख्य कार्य लिखिए। (2018)
उत्तर:
संयुक्त परिवार के विघटन के दो कार्य निम्न प्रकार हैं
1. स्त्रियों में आन्तरिक कलह संयुक्त परिवार की स्त्रियों में आपस में कलह परिवार के लिए हानिकारक होता है। संयुक्त परिवार में झगड़े तथा मानसिक इह एवं संघर्ष छोटी-छोटी बातों पर चलते राहते हैं, जो आगे चलकर एक समस्या का रूप धारण कर लेते हैं। जिससे पूरे परिवार तथा बच्चों पर बुरा प्रभव पता है, इससे बचने के लिए अनेक दम्पति अपना एक अलग एकाकी परिवार बस्सा लेते हैं।

2. व्यावसायिक विजातीयता 20वीं शताब्दी में भारतीय समाज को परिवर्तित करने वाले अनेक सामाजिक आर्थिक क्रियाओं के फलस्वरूप नए-नए व्यवसाय व रोजगारों के वक्त आने से लोग इन गामाया अशा अवसरों को ओर आकर्षित हुए हैं। संयुक्त परिवार के सदस्य भी परम्परागत व्यवसाय को इछोड़कर नए साय अपनाने लगे हैं। इसके परिणामस्वरुप संयुका परिवारों के विघटन को प्रक्रिया तेज हुई हैं।

प्रश्न 5
“आधुनिक युग में संयुक्त परिवार लुप्त होता जा रहा है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए। (2016)
उत्तर:
औद्योगीकरण के इस युग में संयुक्त परिवार व्यक्ति या समाज की माँगों को पूर्णरूप से सना नहीं कर पा रहा है, इसलिए मशः संयुमा परिवार का या तो विघटन ही होता जा रहा है या फिर इसके स्वरूप में अत्यधिक पस्मि स्वीकार किए जा रहे हैं। संयुक्त परिवार के लुप्त होते जाने की पुष्टि के समर्थन में निम्नलिखित कारणों को प्रस्तुत किया जा सकता है। प्रथमत: औद्योगीकरण एवं नगरीकरण की प्रक्रियाओं में रोगों के कारण गाँव के लोगों में नगरों की ओर प्रवसन करने की प्रवृत्ति में वृद्धि हुई है। अतः क्षेत्रीय गतिशीलता में वृद्धि के परिणामस्वरूप संयुक्त परिवार का विघटन स्वाभाविक हो जाता है।

उल्लेखनीय है कि संयुक्त परिवार समष्टिवादिता की धारणा पर आधारित होते हैं, परन्तु आणुनिक भौतिकवादी युग में सामूहिकता के स्थान पर व्यक्तिवादिता का अधिक बोलबाला हो गया है। इसके अतिरिक्त पाश्चात्य सभ्यता एवं संस्कृति के प्रभाव से उन लोगों का झुकाव कर्तव्यों की ओर न होका अधिकारों की ओर है। इन नवीन मूल्यों के प्रभाव र संयुक्त परिवार का महत्त्व कम हो रहा है।

इसके अतिरिक्त कमान आधुनिक तकनीकी युग में नए-नए व्यवसायों व रोजगारों को सावनाओं का विस्तार भी है। संयुक्त परिवार के सदस्य भी परम्परागत व्यवसाय को छोड़कर नए व्यवसाय अपनाने लगे हैं। इसके परिणामस्वरूप संयुक्त परिवारों में घिरन की प्रक्रिया तेज हुई है। संयुक्त परिवार में अधिक सदस्यों के निर्वहन का बोझ भी छोटे या बड़े सदस्यों को जविकोपार्जन के लिए नए व्यवसाय खोजने हेतु प्रेरित करता है। फलत: परम्परागत व्यवसाय की भिन्तरता बाधित होती है।

इसके अतिरिक्त वर्तमान आधुनिक युग में नए कानूनों; जैसे हिन्दू स्त्रियों का सम्मति अधिकार अनियम आदि के प्रभाव के कारण भी संयुक्त परिवार के विघटन की प्रक्रिया भी हुई है। दूसरी ओर वर्तमान आधुनिक समाज में उद्भूत नवीन सामाजिक संस्थाओं के संयुक्त परिवार द्वारा सम्पादित काय के लिए नए विकल्प प्रस्तुत किए हैं। अतः संयुक्त परिवार का महत्व एवं आवश्यकता दिन प्रतिदिन घटती जा रही है।

प्रश्न 6.
संयुक्त परिवार के अस्तित्व को बचाने के लिए सुझाव दीजिए। (2013)
उत्तर:
वर्तमान परिवतियों में संयुक्त परिवार के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए व्यावहारिक सुझाव निम्नलिखित है।

  1. संयुक्त पीवार में सभी स्त्रियों को विशेष रूप से पुत्र-वधुओं को समुचित सम्मान प्रदान किया जाना चाहिए।
  2. परिवार के मुखिया को अधिक उदार तथा न्यायप्रिय होना चाहिए।
  3. संयुक्त परिवार में मारपती एवं योग्य व्यक्तियों को अधिक सम्मान एवं सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।
  4. संयुक्त परिवार में सभी सदस्यों के लिए आवास की आवश्यक सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए।
  5. संयुक्त परिवार में प्रत्येक सदस्य को अपने कर्तव्यों तथा अन्य सदस्यों के अपकारों के प्रति आगरूक होना चाहिए।

प्रश्न 7.
एकावी परिवार के सम्बन्धों के मनोविज्ञान पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
उत्तर:
एकाकी परिवार में सदस्यों के मनोवैज्ञानिक सम्बन्धों की दृष्टि से निम्नलिखित तथ्य महत्त्वपूर्ण हैं।

1. बच्चों- का मनोवैज्ञानिक सम्वन्य एकाकी परिवार में बच्चे अपनी मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं; जैसे-स्नेह, ममता, सुरक्षा आदि की पूर्ति हेतु पूर्णत: माता-पिता पर निर्भर रहते हैं। माता-पिता को व्यस्तता अथवा अन्य किसी कारण। इन आवश्यकताओं की पूर्ति न होने पर बच्चों के व्यक्तित्व का उचित विकास नहीं हो पाता है।

2. पति- पत्नी का मनोवैज्ञानिक सम्बन्ध एकाही परिवार में पति-पत्नी को भूमिका गाढ़ी के दो पहिए के समान होती है। अत: जीवन के सुचारु संचालन के लिए इनमें परस्पर सामंजस्य एवं सनसन स्थापित होना अति आवश्यक है। किसी एक में भी सवोच्चता का भाव, परिवार को विटित करने की क्षमता रखता है। आवश्यक है कि पति-पत्नी में परस्पर विश्वास हो, दोनों एक-दूसरे की सुरक्षा एवं प्रतिष्ठा के प्रति संवेदनशील हो और * दोनों एक-दूसरे को भूमिका के महत्व को समझें।

3. माता- पिता एवं पुत्र/पुत्री का मनोवैज्ञानिक सम्बन्ध बाल्यावस्था तक सन्तान माता के संरक्षण में अधिक रहती हैं, किन्तु इसके पश्चात् की। अवस्था में पुत्र, पिता के मार्गदर्शन में स्वयं को अधिक सुरक्षित महसूस करता है। पिता भी पुत्र को अपना सहयोगी मानते हैं एवं उसके भावी जीवन को निर्देशित करते हैं। दूसरी ओर पुत्रियां माता के ऑपक नगदक होती है। एवं माता के साथ प्रई, कोमल व ममतापूर्ण सम्बन्ध विकसित करती हैं। पुत्रियों के पराया धन होने की भावना भी माता में उनके प्रति विशेष लगाव उत्पन्न करती है। वस्तुतः माता एवं पुत्री के मध्य मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध एक आदर्श स्थिति को इंगित करते हैं। एकाकी परिवार का अस्तित्व उपरोक्त वर्णित मनोवैज्ञानिक बन्यों की गहन समझ पा निर्भर करता है। इनकी समझ के अभाव में पारिवारिक सम्बन्धों में तनाव ापन होने की सम्भावना चत तो है

प्रश्न 8.
सास-बहू के सम्बन्ध में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2008)
अशा बहू के सुखद वैवाहिक जीवन में सास की क्या भूमिका है? (2005, 09, 10, 16)
उत्तर:
बहू के सुखद वैवक जीवन में सास की भूमिका अत्यन्त निर्णायक होती है, चूंकि पी के घर में आने पर बहू का सर्वाधिक काम मास में ही पड़ता है, इसलिए इन दोनों के शवों में सौहार्द्रता होनी अतिभाश्यक है। चूक सास घर में बड़ी और ज्यादा अनुभव हो है, इसलिए उन्हें बड़ी सूझ बूझ व दायित्वपूर्ण वेग से व्यवहार करना चाहिए तथा बहू को की भी बात समझाते हुए मपुर एवं स्नेहपूर्ण ढंग से व्यवहार करना चाहिए। इससे बहू को नए परिवार में अनुकूलन करने या उलने में मदद मिलती है। दूसरी ओर बहू को सास के प्रति माता का भाव रखना चाहिए, उन्हें आदर-सम्मान तथा स्नेह देना चाहिए, इससे सास बहू के रिश्तों में मधुरता आएगी और बहू का वैवाहिक जीवन सुखद होने के साथ ही परिवार का वातावरण भी शान्तिपूर्ण व खुशहाल होगा, साथ ही सास-बहू के समय अड़े होने से बहू का अपने पति से भी रिता मजबुत होगा।

प्रश्न 9.
संयुक्त परिवार तथा एकाकी परिवार में अन्तर स्पष्ट कीजिए। (2005, 17, 18)
उत्तर:
संयुक्त परिवार एवं एकाकी परिवार में अन्तर निम्नलिखित हैं

UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 11 एकाकी तथा संयुक्त परिवार के सम्बन्धों का मनोविज्ञान 1
UP Board Solutions for Class 12 Home Science Chapter 11 एकाकी तथा संयुक्त परिवार के सम्बन्धों का मनोविज्ञान 2

प्रश्न 10.
समाज व परिवार को कोर्ट परिवार से क्या लाभ हैं? (2017)
उत्तर:
भारतीय विचारधारा के अनुसार प्राचीनकाल से पारिवारिक संस्था का अत्यधिक महत्त्व रहा है। यह समाज को एक महत्वपूर्ण इकाई मानी जाती है, जो समाज के स्थायित्व, वृद्धि और अत्रि का प्रमुख आधार है। मैकावर और पेज ने परिवार को समाज की सबसे महत्वपूर्ण संस्था माना। बड़ा परिवार होने पर इसमें कई प्रकार की कठिनाई आप्त रहती है। यहाँ आमदनी कम तथा खर्च अधिक होते हैं। इसके विपरीत छोटा परिवार सौमित आवश्यकताओं वाला होता है तथा इसके सदस्य भी सीमित होते हैं।

इनकी आवश्यकताएँ छोट एवं कम् खर्च वाली होती हैं, क्योंकि इस परिवार की आय भी कम होती हैं। संख्या के सीमित रहने पर एक एक आवश्यकताओं को ठीक से पूर्ण किया जाता है। इस लाह के परिवारों में एक रोती है, जिसका कारण पापा एक-दूसरे के सुख बाँटना, उसे समझना और उसमें हाथ बँटाना शामिल होता है। छोटे परिवारों में जीवन को मूल आवश्यकताएँ रोटी, कपड़ा और मकान की समस्याएँ इतनी ची नहीं होती हैं, जिनमें बड़े परिवारों को। अतः समाव व परिवार की दृष्टि से बड़े परिवार की तुलना में छोटे परिवार श्रेष्ठ है।

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

प्रश्न 1.
संयुक्त परिवार की विशेषताएँ लिखिए। (2014, 17)
उत्तर:

संयुक्त परिवार का तात्पर्य

भारतीय समाज में पारम्परिक रूप से पाए जाने वाले परिवारों को समाजशास्त्रीय भाषा में ‘संयुक्त परिवार’ कहा जाता है। संयुक्त परिवार प्रत्यक्ष वा परोक्ष रूप से परस्पर सम्बन्धित भिभिन्न गीवियों (सामान्य रूप से तीन या उससे अधिक) के सदस्यों का एक प्रामक समूह है, जिसके सदस्य समान्य आम व्यय में योगदान देते हैं। एक धर्म के अनुयायी बनकर सामान्यतः एकसाथ निवास संयुक्त परिवार की विशेषताएँ संयुक्त परिवार की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है।

1. परिवार का बड़ा आकार संयुक्तपरिवार में सामान्यतः न या तीन से अधिक जोड़ो के सदस्य एकसाथ रहते फलस्वरूप संयुक्त परिवार का आकार वृहद् होना इसकी आधारभूत है। इस परिवार में सामान्यत: 20 से 25 सदस्य होते हैं।

2. सामान्य निवास स्थान संयुक्त परिवार में तीन या तीन से अधिक कि निरन्तरता पीढ़ी के लोगों का एक घर होता है। यदि कोई सदस्य या परिवार भ्रमण, नौकरी, शिक्षा या अन्य किसी काण से दूर में रहता है, भी उसे उसी सामान्य निवास का सदस्य माना जाता है। इस परिवार के सदस्य एक ही मकान में रहते हैं।

3. निश्चित संरचना भारतीय संयुक्त परिवारों में परिवार के सभी सदस्यों की एक प्रकार से निश्चित संरचना होती है। इस संरचना के अन्तर्गत परिवार के मुनगा या स्। का रान निश्चित होता है। कर्ता को उसकी स्थिति के अनुसार ही अधिकारों का प्रयोग एवं कर्तव्यों का पालन करना पड़ता हैं। दूसरे स्थान पर उसकी स्त्री होती है, तीसरे स्थान पर परिवार के सभी भाई एवं लड़के होते हैं, चौथे स्थान पर परिवार की सभी स्त्रिों आती हैं।

4.धार्मिक आधार संयुक्त परिवार में सभी कार्य पार्मिक विचारों को ध्यान में रखकर किए जाते हैं; जैसे-कर्मकाण्डों से सम्बन्ध रखने से कार्य, त्यौहारों को मनाना एवं प्रत इत्यादि रखना। सामूहिक पृ-पाठ करना भी संयुक्त परिवार की एक प्रमुख विशेषता है।

5. आर्थिक स्थिरता संयुक्त परिवार में सभी सदस्यों द्वारा अर्जित धन एक ही कोष में एकत्र होने और सभी सदस्यों के लिए सामान्य रूप से आवश्यकतानुसार व्यय होने के कारण परिवार की आर्थिक स्माित धक दयनीय नहीं होतो, क्योकि कर्ता या गृहपति सयो धक आयु वाला व्यक्ति होता है। अतः यह पैसा सोच-समझकर ही सर्व करता है।

6. सामान्य सम्पत्ति संयुक्त परिवार के अन्तर्गत परिका को सम्पति का व्यक्तिगत उपग या लाभ न होकर परिवार के सभी सदस्यों के लिए उपग एवं लाभ होता है। परिवार की सम्पूर्ण सापशि पर संयुक्त अधिकार होता है।

7. सदस्यों की सुरक्षा ऐसा देखा जाता है कि एकाकी परिवार में कम सदस्य होते हैं। यदि उनमें से कोई सदस्य बीमार हो जाता है अथवा कहीं चला आता है, तो परिवार के कार्यों में बाधा ही हो जाती है परन यदि परिवार संगत है, तो उसके अन्दर हम प्रकार की छोटी छोटी समस्याएं परिवार के कार्यों में कोई विशेष बाधक नहीं होती है।

8. सांस्कृतिक निरन्तरता संयुक्त परिवार में तीन या इससे अधिक पौड़ी के लोग रहते हैं। पुरानी पीढ़ी के लोगों द्वारा नई पीढ़ी के लोगों को सांस्कृतिक परम्पराओं को हस्ताक्षरित किया जाता है। भर के बुजुर्ग यति छोटे बच्चों को कहानियां सुनाकर, अपने धन के उदाहरण देकर, अपने साथियों के व्यवहारों एवं अनुभवों को बताकर इस कार्य को पूरा करते हैं। परिणामस्वरूप नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी के आचार-विचार, प्रथा, परम्पराएँ, धर्म और कर्म, हार इत्यादि को प्रहण काके अपने में आत्मसात् करती है, इससे सांस्कृतिक निरन्तरता बनी रहती हैं।

प्रश्न 2.
संयुक्त परिवार के मुख्य गुणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: 

संयुक्त परिवार के गुण

संयुक्त परिवार के गुण निम्नलिखित हैं।
1. बच्चों का उचित पालन-पोषण संयुक्त परिवार में छोटे-बड़े सभी प्रकार के सदस्य राहते हैं। वृद्ध व्यक्तियों को दोटे पत्थों के पालन पोषण का अधिक ध्यान राता है। यदि परिवार के अन्य सदस्य विभिन्न कार्यों में सलान राहते है, तो वृद्ध लोग बच्चों की देखभाल का कार्य संभाल लेते हैं।
2. सुरक्षा की भावना संयुक्त परिवार। के सदस्य आपस में प्रेम ए सहयोग के बयान में हैं, जिसके इति पालन पोषण कारण सभी सदस्य शारीरिक, सुरक्षा की भावना मन्तबज्ञानिक आर्थिक तथा सामाजिक सुरत का अनुभव करते हैं। मामूकता रै भवन विनाशमन में बधों, पण सामाजिक निम्। वृद्धों एवं विधाओं की भा के पारिकि वर्ष में बचाअम-विभाजन समस्या का इल स्वयं परिवार में ही भि अनुभव प्राप्त करने का हो जाता है।
3. मनोरंजन का साधन संयुक्त परिवार में छोटे-बड़े सभी तरह के सदस्य होते हैं। ये सभी सदस्य जब आपस में मैठकर विचार विनिमय तथा हँसी मजाक करते हैं, तो एक प्रकार से सभी लोगों का मनोरंजन होता है।
4. सामूहिकता की भावना संयुक्त परिवार में सभी सदस्यों के साथ में रहने, आपस में विचार-विमर्श करने, उठने-बैठने इत्यादि कार्यों से उनमें सामूहिक भावना का विकास होता है। इस भन्। से व्यक्ति में सुरक्षा की भाषा तथा धैर्य का विकास होता है। याही सामूहिकता को भावना परिवारवाद को बढ़ावा देती है।
5. सामाजिक नियन्त्रण संयुक्त परिवार में सामाजिक नियन्त्रण का कार्य परिवार के सदस्यों द्वारा ही किया जाता है। परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे से पारस्परिक कर्तव्य से बंधे रहते हैं, यही कारण है कि सभी सदस्य एक प्रकार से नियन्त्रित जोधा बताते हैं।
6. पारिवारिक मार्च में अस्रत संयुक्त परिवार में पारिवारिक खर्च भी संयुक्त होता है। पूरे परिवार के लिए आवश्यक वस्तुएँ एक साथ ही खरीदी जाती हैं। एकसाथ काफी मात्रा में पाएं खरीदने पर अपेक्षाकृत गरी मिलती है। इसके अतिरिक्त एकसाथ संयुक्त परिवार बसाकर रहने की स्थिति में बहुत-से खर्च एक ही जगह होते हैं, जबकि एकाकी परिवारों में उतने ही खर्च अलग-अलगजगह होते हैं।
7. म-विभाग संयुक्त परिका के सभी सदस्य कार्य को आपस में बाँटकर करते हैं। संयुक्त परिवार का मुखिया, की या गृहस्वामी परीजा के सभी सदस्यों को उनकी योग्यता एवं क्षमताओं के अनुसार अलग-अलग कार्य सौंपता हैं। विभिन्न अनुभव करने का स्थान संयुक्त परिवार में व्यक्ति विभिन्न ऑक्तचों के सदस्यों के मध्य रहता है। इसके अतिरिका उसे विभिन्न आयु के लोगों के अनुभवों एवं विचारों को जानने का अवसर मिलता है। इस रूप में संयुक्त परिवार व्यक्ति को उसके आगामी जीवन के लिए तैयार करता है।

प्रश्न 3.
संयुक्त परिवार के मुख्य दोषों का उल्लेख कीजिए। (2006, 14)
उत्तर:
संयुक्त परिवार के दोष संयुका परिवार के दोष या हानिन निम्नलिखित हैं।

  1. वेग तथा कलह का केन्द्र संयुक्त परिवार कलई एवं द्वेष का केन्द्र होता है। यदि संयुक्त परिवार में कता अपने हित पर ध्यान देना प्रारम्भ कर दे, तब स्थिति और भी बिगड़ जाती है।
  2. स्त्रियों की सराब स्थिति संयुक्त। परिवार का एक दोष यह भी है कि संयुक्त परिवार के दोष इन परिवारों में स्त्रियों की दशा बहुत निन एवं दयनीय होती है। सुनान पति विशेषकर बधुओं को बहुत अधिक वर्ग या परम करना पता है। अधिक जानोत्पति उनको । एवं मनद के कोप। अकर्मण माने पात्र बनना पड़ता है। संयुक्त परिवार के पापा का व में आ स्वावलम्बन के के भय का वातावरण प्राप्त । हो पाने के कारण स्त्रियाँ भिक रिता सदैव दूसरों पर निर्भर रहती हैं।
  3. बुद्धि का अनुपयोगः संयुक्त परिवार में सभी सदस्य एक कता की आज्ञानुसार कार्य करते हैं। इस स्थिति में उन्हें अपनी बुद्धि का प्रयोग करने का अवसर प्राप्त नहीं होता, जब कोई व्यक्ति अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करता, तो उसकी बुद्धि का कुण्ठित हो जाना स्वाभाविक हैं।
  4. अधिक सन्तानोत्पनि संयुक्त परिवार में जहाँ बाल विवाह को प्रोत्साहन मिलता है एवं विवादी जियारों को वर्चस्व प्राप्त होता है। वहीं पुत्र सनान की कामना को विशेष मात्र प्राप्त होता है। संयुक्त परिवार में परिवार की स्त्रियों भी यह सोचने लगती हैं कि जितने अधिक बच्चे पैदा किए जाएंगे, उतना ही अधिक उनको परिवार की सामान्य सम्पत्ति का भाग पैटधार के समय मिलेगा।
  5. अकर्मण्य व्यमियों की वृद्धि संयुक्त परिवार में परिवार के सभी सदस्यों के भरण-पोषण का दायित्व पूरी परिवार पर ही होता हैं। इस सुविधा का साथ जताकर का सदस्य अकर्मण्य, आलसी या निकम्मे। आते हैं। ये सदस्य बिना कुछ कार्य किए हैं। खाते-पीते तथा मौज करते हैं, इससे पूरे परिवार का जीवन-स्तर निम हो जाता है। साथ ही इससे आम अर्गन करने वालों में असन्तोष उत्पन्न होता है।
  6. गोपनीयता का अभाव संयुक्त परिबार में अधिक सदस्य होने के कारण नव-विवाहिती अथवा पति-पत्नी को एकान्त यांनीय स्वतन्त्रता उपलब्ध नहीं हो पाती है। अनेक अवसरों पर यह वचन परिपत्नी के बन्यो में कुण्ठा को जन्म देती है एवं उनके वैवाहिक जीवन को प्रभावित करती हैं।
  7. भय का वातावरण संयुक्त परिवारों में पवार के वृद्धजनों के संयों को ही प्रमुखता प्राप्त होती है। उनकी सहमति के बिना किसी नए विचार का अनुपालन परिवार में सम्पन्न नहीं होता है। अत: नई पी के सदस्यों में अपने नए रचनात्मक विचारों को आगे रखने का संकोच सर्द। विद्यमान रहता हैं।
  8. आर्थिक निर्भरता उल्लेखनीय है कि संयुक्त परिवारों में प्रायः सभी वयस्के सदस्य जीविकोपार्जन में संलग्न राहते हैं, किन्तु परिवार के आय-व्यय का ले-जोखा के परिवार के मुखिया के हाथों में रहता है। फलतः सभी सदस्यों को अपने जरूरतों को पूरा करने के लिए एक व्यक्ति पर निर्भर रहना पड़ता हे।

प्रश्न 4.
संयुक्त परिवार टूटने के क्या कारण है? (2006, 10)
अथवा
भारतीय समाज में संयुक्त परिवार के निरन्तर विघटन के कारणों को स्पष्ट कीजिए। इन VImp (2003, 04, 06, 11, 12)
अथवा
“संयुक्त परिवार का भविष्य उज्ज्वल नहीं है।” क्यों? (2016)
उत्तर:
संयुक्त परिवार के विघटन के कारण औद्योगीकरणा के इस युग में संयुक्त परिवार व्यक्किा एवं समाज को माँगों को पूर्ण रूप से मनुष्ट नहीं कर पा रहा है, इसलिए क्रमशः संयुक्त परिवार का या तो विघटन ही होता जा रहा है या फिर इसके स्वरूप में अत्यधिक परिवर्तन स्वीकार किए जा रहे हैं। संयुक्त परिवार के विघटन के निम्नलिखित कारण हैं।
1. औद्योगीकरण एवं नगरीकरण संयुका परिवार के विपरन् का प्रभाव औद्योगीकरण एवं नगरीकरन की प्रक्रियाओं में छोरीकरण एवं नगरीकरण व के कारण गाय के लोगों का प्रभाव में नगरों की ओर प्रवसन की शरदत्य पति का प्रभाव प्रवृत्ति में है। अव आमसवम एवं आत्मत्याग की कमी गांव के लोग नए रोजगार एवं प्रभात व्यावसायिक अवसरों के लिए उनमा वृद्धि का प्रय नगरों की ओर आकर्षित हुए नए कानूनों का प्रव हैं।

इन लोगों ने गांव के संयुक्त परिवार से आकर नगरों में अपने लिए मकान बना लिए हैं। तथा व्यवसाय भी खोना लिए हैं, परिणामस्वरूप संयुक्त परिवारों में अब पहले जैसी बात नहीं ह गई है। अनेक व्यक्ति अपने पारिवारिक व्यवसाय को छोड़कर अन्य व्यवसायों को अपने लगे हैं। अत: क्षेत्रीय गतिशीलता में वृद्धि हुई है, इसमें संयुक्त परिवार का विघटन स्वाभाविक हो जाता है।

2. पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव भारतीय संस्कृति के अनुसार, संयुक्त परिवारों में परिवार के सदस्यों के कर्तव्यों पर विशेष बल दिया जाता था, परन्तु वर्तमान स्थिति ठीक इसके विपरीत है। पश्चिमी सभ्यता एवं संस्कृति के प्रभाव से अब लोगों का झुकाव करियों की ओर न होकर अष्किारों की ओर है। पाश्चात्य दृष्टिकोण व्यक्तवादी है। अत: इस दृष्टिकोण के प्रबल होने की स्थिति में संयुक्त परिवार का महत्व घट रहा है।

3. आत्मसंयम एवं आत्मत्याग की कमी वर्तमान समय में लोगों में आत्मसंयम एवं आत्मत्याग । भाषा में कमी आई है या उनका एकदम से लोग ही होता चला जा रहा है। दूसरी ओर लोगों के निजी स्वार्थ एवं भौतिहाद तथा गतिवादिता की भावनाएं बड़ती जा रही है। इस कारण थोड़ी-सी परेशानी का संकट का अनुभव करते हैं। अब लोग संयुक्त परियार को छोड़कर एकाकी परिवार बसाने को तत्पर हो जाते हैं।

4. स्त्री-शिक्षा का प्रभाव आज की शिक्षित स्त्री अपने चारों और के ताबरण की जानकारी रखती है। वह संयुक्त परिसर के घुटन भरे जीवन को, जिसमें से कर्ता के निरंकुश शासन में रहना पड़ता है, अपने अधिकारों का हनन समझती हैं। ऐसी स्थिति में सभी आधुनिक वातावरण की चाह में संयुक्त परिशा की अपेक्षा एकाकी परिवार को अधिक पसन्द करती है।

5. जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव जनसङ्ख्या में वृद्धि न केवल संयुक्त परिवारों के लिए ही भयानक परिणाम पैदा करने वाली है, अपितु कभी-कभी सम्पूर्ण समाज के लिए भी ऐसी समस्या बन जाती है, जिसका समाधान खोजना कठिन हो जाता हैं। 

संयुक्त परिवार का भविष्य

उपरोक्त कारणों के विश्लेषण के आधार पर कहा जा सकता है कि संयुका परिवार को अवधारणा वर्तमान आधुनिक युग में संक्रमण के दौर से गुजर रही है। संयुक्त परिवार की मूलभूत विशेषताओं; जैसे–सामूहिक, सांस्कृतिक निरन्तरता आदि को आधुनिक युग की संकल्पनाएँ प्रभावित कर रही हैं। 

अत: संयुक्त परिवारों में विपटन की सम्भावनाएँ दृष्टिगोचर हो रही हैं। समकालीन सामाजिक संरचना में संयुक्त परिवार छिन-भिन्न होकर एकाकी परिशों का रूप ले रहे हैं। यद्यपि संयुक्त परिवार के भविष्य के विषय में दो विचारधाराएँ सामने आती हैं ।

  1. प्रथम विचारधारा संयुक्त परिवार के उज्ज्वल भविष्य के प्रति आशान्वित हैं। इसके समर्थक के, एम, कपाडिया है। उनके अनुसार, संयुक्त परिवार ने अभी तक जिस कमय समय को पार किया है, उसका भविष्य पुरा नहीं है। इसके अतिरिक्त हिन्दू मनोवृत्तियाँ आज भी संयुक्त परिवार के पक्ष में हैं।
  2. दूसरी विचारधारा संयुक्त परिवार के भविष्य को अन्धकारमय मानती है। इस विचारधारा के समक्षक कोलण्ड़ा के अनुसार अधिकांश भारत में संयुक्त परिवारों की संख्या प्रतिदिन कम होती जा रही है अर्घात् उनका विघटन हो निष्कर्ष जो भी हो, इतना तो हम कह सकते हैं कि वर्तमान परिस्थितियों में संयुक्त परियार के स्वरूप में परिवर्तन हो रहा है।

प्रश्न 5.
“परिवार समाजीकरण की प्रथम पाठशाला है” इस कथन को स्पष्ट कीजिए। (2018)
उत्तर:
समाजीकरण की प्रक्रिया बहुत जटिल प्रक्रिया है, जो बालक के विकास को प्रभावित करती है जिसका वर्णन निम्न प्रकार से हैं। परिवार का योगदान समाजीकरण की सबसे महत्वपूर्ण संस्था है, वहीं से बालक सर्वप्रथम समाजीकरण आरम्भ करता है। इसी कारण से परिवार को बालक की सपशम पाठशाला’ कहा गया है। परिवार हो वो गह है जहाँ में शतक आदर्श नागरिकता का पाठ सीखा है। चालक के समाजीकरण को प्रभावित करने वाले तत्व निम्नलिखित है।
1. माँ की भूमिका चालक का परिवार में सबसे घनिष्ठ सम्बन्। माँ से होता हैं। माँ उसे दूध पिलाती है और उसकी देखभाल भी करती है और यदि म बालक को देखभाल अच्छे से न करती तो उसका प्रभाव यह होता है कि चालक का। समाजीकरण उचित प्रकार से नहीं होता।
2. अधिक लाड़-प्यार बालक को परिवार द्वारा आवश्यकता से अधिक प्रेम करने प्रकार का कार्य न करने देने पा, आम कारण से उनका समाजीकरण रुक जाता है या ठक ढंग से नहीं हो पाता है, जिसके परिणामस्वरुप बालक बिगड़ जाता है।
3. माता-पिता का आपसी सम्बन्धी बालक के साम्राज्ञीकरण में माता-पिता का विशेष महत्व होता है। जिन परिवार में मात-पिता के आपको सम्बन्धी अन् होते हैं उन परिवार का समाजीकरण उचित ढंग से होता है। इसके विपरीत विन परिवार में माता-पिता आपस में झगड़ते हैं उन परिवार के बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है और इससे उनका सामाजीकरण विकृत हो जाता है, क्योंकि आपसी लड़ाई-झगड़े के कारण माता-पिता बच्चों पर अधिक ध्यान नहीं दे
4. माता-पिता के बच्चे के साथ सम्बन्ध माता-पिता जय बन्यों को उचित स्नेह देते हैं तो उनमें अहें सामाजिक गुण पैदा हो जाते है और यदि बच्चों को माता-पिता का उचित प्यार और सुरक्षा नहीं मिलती है, तो उनका सामाजिक विकास अच्छे ढंग से नहीं होता। वे पूर्ण रूप से माता-पिता पर निर्भर हो जाते हैं। इसके विपरीत यदि बच्चों को कम स्नेह या प्यार मिलता है, तो उनमें बदला देने की भावना विकसित हो जाती है। इस कारण से बालक कई यर बात-अपराधी भी बन जाते हैं।
5. बच्चों का अन्य सम्बन्धियों के साथ सम्बन्ध बों के परिवार के सम्बन्धियों का भी बच्चे के अपर गहरा प्रभाव पड़ता है। जैसे—वर का दादा-दादी, चाचा-चाची, मौसा मी तथा अन्य परिवार सगे सम्बन्धियों के साथ सम्बन्ध कैसा है? ये भी बालक के समानीकरण में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
6. परिवार की आर्थिक स्थिति यह भी देखा गया है कि यदि पारिवारिक आर्थिक स्थिति ठीक न हो तो ये भी बालक के समाजीकरण में बाधा पहुंचाती है, क्योंकि बालक के पालन पोषण में बच्चों को वे सभी आर्थिक सुख-सुविधाएँ नहीं मिल पाती, जो एक अच्छे परिमार के बच्चों को मिलती हैं। अत: इनसे बालक में सहनशीलता, परिश्रम करने वाले गुण विकसि होते हैं।
7. परिवार की बनावट परिवार दो प्रकार के होते हैं।

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