Rajasthan Board RBSE Class 12 Geography Chapter 1 मानव भूगोल: प्रकृति व विषय क्षेत्र
RBSE Class 12 Geography Chapter 1 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
RBSE Class 12 Geography Chapter 1 बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
आधुनिक मानव भूगोल के जन्मदाता कौन थे?
(अ) हम्बोल्ट
(ब) रिटर
(स) रेटजेल
(द) हंटिंगटन
प्रश्न 2.
“मानव भूगोल चंचल मानव और अस्थायी पृथ्वी के पारस्परिक परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।” परिभाषा किसने दी?
(अ) रेटजेल
(ब) एलन सैम्पल
(स) ब्लॉश
(द) कार्ल सावर
प्रश्न 3.
नवनियतिवाद के प्रवर्तक कौन हैं?
(अ) ग्रिफिथ टेलर
(ब) ब्लॉश
(स) मैकिण्डर
(द) हरबर्टसन
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन फ्रांसिसी भूगोलवेत्ता नहीं है?
(अ) ब्लॉश
(ब) ब्रुश
(स) डिमांजियाँ
(द) रिटर उत्तरमाला
उत्तरमाला:
1. (स), 2. (ब), 3. (अ), 4. (द).
RBSE Class 12 Geography Chapter 1 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 5.
मानव भूगोल के त्रि-संतुलन के घटकों के नाम बताइए।
उत्तर:
जैविक, अजैविक व सांस्कृतिक घटक।
प्रश्न 6.
रेटजेल की पुस्तक का नाम बताइए।
उत्तर:
रेटजेल की पुस्तक का नाम एन्थ्रोपोज्योग्राफी है।
प्रश्न 7.
संभववाद विचारधारा किसने दी?
उत्तर:
संभववाद की विचारधारा फ्रांसीसी विद्वान पॉल-विडाल-डी-ला-ब्लॉश ने दी।
प्रश्न 8.
प्राचीन सभ्यताओं के प्रमुख केन्द्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
प्राचीन सभ्यताओं के प्रमुख केन्द्रों में सिन्धु घाटी सभ्यता, मोहन जोदड़ो की सभ्यता, बेबीलोन की सभ्यता, मिस्र की सभ्यता, मेसोपोटामिया की सभ्यता, चीन की सभ्यता आदि शामिल हैं।
RBSE Class 12 Geography Chapter 1 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 9.
मानव भूगोल के पाँच उपक्षेत्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
मानव भूगोल के पाँच उपक्षेत्रों में संसाधन भूगोल, कृषि भूगोल, निर्वाचन (राजनीतिक) भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल एवं ऐतिहासिक भूगोल शामिल हैं।
प्रश्न 10.
मानव भूगोल की प्रकृति को समझाइए।
उत्तर:
मानव भूगोलं की प्रकृति अत्यधिक जटिल एवं विस्तृत है। जीन ब्रुश के अनुसार जिस प्रकार अर्थशास्त्र का सम्बन्ध कीमतों से,
भू-गर्भशास्त्र का सम्बन्ध चट्टानों से, वनस्पति शास्त्र का सम्बन्ध पौधों से है उसी प्रकार भूगोल का केन्द्र बिन्दु स्थान से है जिसमें कहाँ व क्यों जैसे प्रश्नों के उत्तरों का अध्ययन किया जाता है। मानव भूगोल मानव को केन्द्रीय भूमिका का अध्ययन करता है। फ्रेडरिक रेटजेल, जिन्हें आधुनिक मानव भूगोल का संस्थापक कहा जाता है।
उन्होंने मानव समाजों एवं पृथ्वी के धरातल के सम्बन्धों के संश्लेषणात्मक अध्ययन पर जोर दिया है। पृथ्वी पर जो भी मानव निर्मित दृश्य दिखाई देते हैं उन सबका अध्ययन मानव भूगोल के अन्तर्गत आता है। इसी कारण मानव भूगोल की प्रकृति में मानवीय क्रियाकलाप केन्द्रीय बिन्दु के रूप में रहते हैं। मानवीय क्रियाकलापों के विकास (कब, क्यों, कैसे) को भौगोलिक दृष्टि से प्रस्तुत करना ही मानव भूगोल की प्रकृति को दर्शाता है।
मानव भूगोल विभिन्न प्रदेशों के पारिस्थितिक समायोजन व क्षेत्र संगठन के अध्ययन पर केन्द्रित रहता है। पृथ्वी पर रहने वाले मानव के जैविक, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक विकास के लिए वातावरण के उपयोग का अध्ययन व वातावरण में किए गए बदलाबों का अध्ययन मानव भूगोल का आधार है। सारांशत: यह कहा जा सकता है कि मानव भूगोल मानव व वातावरण के जटिल तथ्यों के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन मानव को केन्द्रीय भूमिका के रूप में रखकर अध्ययन कस्ता है।
प्रश्न 11.
मध्यकाल में मानव भूगोल के विकास को समझाइए।
उत्तर:
इस काल में नौसंचालन सम्बन्धी कुशलताओं व खोजों तथा तकनीकी ज्ञान व दक्षता के कारण देशों तथा लोगों के विषय में मिथक व रहस्य खुलने लगे। उपनिवेशीकरण और व्यापारिक रुचियों ने नये क्षेत्रों में खोजों व अन्वेषणों को बढ़ावा दिया जिससे विश्व के संदर्भ में विशाल ज्ञान का प्रसार हुआ। इस काल में अन्वेषण, विवरण वे प्रादेशिक विश्लेषण पर विशेष जोर रहा। प्रादेशिक विश्लेषण में प्रदेश के सभी पक्षों का विस्तृत वर्णन किया गया। इस काल में मत यह था कि सभी प्रदेश पूर्ण इकाई व पृथ्वी के भाग हैं। प्रदेशों की यह समझ पृथ्वी को पूर्ण रूप से समझने में सहायता करेगी इसी आधार पर भौगोलिक अध्ययन किये गए।
RBSE Class 12 Geography Chapter 1 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 12.
मानव भूगोल के विषय-क्षेत्र का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
मानव भूगोल मानव व उससे सम्बन्धित क्रियाओं का अध्ययन जनसंख्या करने वाला विषय है। इसका विषय क्षेत्र अत्यधिक व्यापक एवं अन्तर्सम्बन्धित या जनता स्वरूप को दर्शाता है। मानव भूगोल सामान्यतः विभिन्न क्षेत्रों (राज्य, राष्ट्र, प्रदेश) में निवास करने वाली जनसंख्या व उससे सम्बन्धित आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरणीय व ऐतिहासिक तथ्यों का समावेशित अध्ययन करती है।
मानव भूगोल के विषय क्षेत्र में मुख्यतः जनसंख्या संसाधन, प्राकृतिक संसाधनों, प्राकृतिक वातावरण, समायोजन व प्रादेशिक संगठन, सांस्कृतिक वातावरण तथा कालिक विश्लेषण को शामिल किया जाता है। मानव भूगोल के इस विषय ४त्र को दिये गए चित्र से समझा जा सकता है। मानव भूगोल के इस विषय क्षेत्र को उपर्युक्त पहलुओं के आधार पर वर्णित। मानव भूगोल का अध्ययन क्षेत्र/विषय क्षेत्र किया गया है –
- जनसंख्या संसाधन/जनता व उसकी क्षमता: मानव भूगोल में जनसंख्या से सम्बन्धित दशाओं-जनसंख्या वितरण, घनत्व, जनसमूहों, जनसंख्या के प्रवास, अधिवास व उसकी प्रजातियों तथा सामाजिक संरचनाओं का अध्ययन किया जाता संगठन है।
- प्राकृतिक संसाधन/प्रदेश के प्राकृतिक संसाधन: मानव भूगोल में प्राकृतिक वातावरण के विभिन्न तत्वों का अध्ययन व मानव क्रियाकलापों पर इन तत्वों के प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। इसमें जल, मृदा, वन, खनिज, मत्स्य रूपी प्राकृतिक संसाधनों का अध्ययन शामिल है।
प्रश्न 13.
आधुनिक काल में मानव भूगोल के विकास को समझाइये।
उत्तर:
इस काल की शुरुआत जर्मन भूगोलवेत्ताओं हम्बोल्ट, रिटर, फ्रोबेल, पैशेल, रिचथोफेन व रेटजेल ने की। फ्रांस में मानव भूगोल का सबसे अधिक विकास हुआ। रेक्सल, विडाल-डी-ला-ब्लॉश, ब्रेश, दी मातन, डिमांजियाँ व फ्रेब्रे ने मानव भूगोल पर कई ग्रंथ लिखे। अमेरिका व ग्रेट ब्रिटेन में भी मानव भूगोल का तेजी से विकास हुआ। अमेरिका में एलन सैम्पल, हंटिंगटन, बोमेन, कार्ल सावर, ग्रिफिथ टेलर एवं ब्रिटेन में हरबर्टसन, मैकिण्डर, रॉक्सबी तथा फ्लुअर ने मानव भूगोल के विकास में विशेष योगदान दिया।
20वीं सदी में मानव भूगोल का विकास सभी देशों में हुआ। फ्रेडरिक रेटजेल जिन्हें आधुनिक मानव भूगोल का संस्थापक कहा जाता है, ने मानव समांजों एवं पृथ्वी के धरातल के पारस्परिक सम्बन्धों के संश्लेषणात्मक अध्ययन पर जोर दिया। इस काल के प्रारम्भिक दौर में मानव वातावरण सम्बन्धों का नियतिवादी, संभववादी व नवनियतिवादी विचारधाराओं के अनुसार अध्ययन किया गया। नियतिवाद में प्रकृति के संभववाद में मानव को अधिक प्रभावी माना। 21वीं सदी के आरम्भ में नव नियतिवाद के अनुसार दोनों के पारस्परिक सम्बन्धों में सामंजस्य पर जोर दिया गया।
यह विचारधारा ‘रुको व जाओ’ के नाम से भी जानी जाती है। नवनियतिवाद के प्रवर्तक ग्रिफिथ टेलर थे। 1930 के दशक में मानव भूगोल का विभाजन ‘सांस्कृतिक भूगोल’ एवं आर्थिक भूगोल’ के रूप में हुआ। विशेषीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण मानव भूगोल की अनेक उप-शाखाओं; जैसे-राजनैतिक भूगोल, सामाजिक भूगोल, चिकित्सा भूगोल का उद्भव हुआ।
RBSE Class 12 Geography Chapter 1 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोतर
RBSE Class 12 Geography Chapter 1 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से किसे भूगोल की आधारभूत शाखा माना जाता है?
(अ) संसाधन भूगोल
(ब) मृदा विज्ञान
(स) मानव भूगोल
(द) नगरीय भूगोल
प्रश्न 2.
मानव भूगोल का प्रादुर्भाव ब विकास किस शताब्दी से सम्बन्धित है?
(अ) 12वीं
(ब) 14वीं
(स) 16वीं
(द) 18वीं
प्रश्न 3.
“मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच सम्बन्धों का संश्लेषित अध्ययन है” यह कथन किसका है?
(अ) फ्रेडरिक रेटजेल
(ब) एलन सैम्पल
(स) ब्लॉश
(द) रिटर
प्रश्न 4.
संभववाद की नींव किसने रखी थी?
(अ) डी ला ब्लॉश
(ब) हंटिंगटन
(स) रेटजेल
(द) ब्रुश
प्रश्न 5.
भूगोल का जनक किसे कहा जाता है?
(अ) हिकेटियम
(ब) एनेक्सीमेंडर
(स) हैरोडोट्स
(द) रेटजेल
प्रश्न 6.
आधुनिक काल की शुरुआत कहाँ के भूगोलवेत्ताओं ने की थी?
(अ) अमेरिकन
(व) फ्रांसीसी
(स) जर्मन
(द) यूनानी
प्रश्न 7.
किस विचारधारा में प्रकृति को प्रधानता दी गई है?
(अ) निश्चयवाद
(ब) संभववाद
(स) नवनियतिवाद
(द) प्रसम्भाव्यवाद
प्रश्न 8.
‘रुको और जाओ’ की संकल्पना का प्रतिपादन किसने किया था?
(अ) रेटजेल ने
(ब) ब्लॉश ने
(स) ग्रिफिथ टेलर ने
(द) हैरोडोट्स ने
प्रश्न 9.
मानव भूगोल का विभाजन किस दशक में हुआ?
(अ) 1910 के दशक में
(ब) 1930 के दशक में
(स) 1950 के दशक में
(द) 1970 के दशक में
प्रश्न 10.
निम्नलिखित में जो मानव भूगोल का अंग नहीं है, वह है –
(अ) जनसंख्या भूगोल
(ब) कृषि भूगोल
(स) जलवायु विज्ञान
(द) नगरीय भूगोल
उत्तरमाला:
1. (स), 2. (द), 3. (अ), 4. (अ), 5. (अ), 6. (स), 7. (अ), 8. (स), 3. (ब), 10. (स)
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
निम्नलिखित में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब मे मुमेलित कीजिए –
स्तम्भ (अ) (भूगोलवेत्ता) |
स्तम्भ (ब) (सम्बन्धित राष्ट्र) |
(i) हम्बोल्ट | (अ) ब्रिटेन |
(ii) डिमांजियाँ | (ब) अमेरिका |
(iii) कार्ल सॉवर | (स) फ्रांस |
(iv) मैकिण्डर | (द) जर्मन |
उत्तर:
(i) द, (ii) स, (iii) ब, (iv) अ
RBSE Class 12 Geography Chapter 1 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भूगोल किस तरह का विज्ञान है?
उत्तर:
भूगोल क्षेत्र वर्णनी विज्ञान है, जिसमें क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य में तथ्यों का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 2.
एक अध्ययन क्षेत्र के रूप में भूगोल की विशेषता बताइए।
उत्तर:
भूगोल एक अध्ययन क्षेत्र के रूप में समाकलनात्मक, आनुभविक एवं व्यावहारिक विषय है।
प्रश्न 3.
भूगोल किसको अध्ययन करता है?
उत्तर:
भूगोल पृथ्वी को मानव का घर समझते हुए उन सभी तथ्यों का अध्ययन करता है जिन्होंने मानव को पोषित किया है। इसमें प्रकृति व मानव के अध्ययन पर जोर दिया जाती है।
प्रश्न 4.
भूगोल की दो प्रमुख शाखाएँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
भूगोल की दो प्रमुख शाखाएँ-भौतिक भूगोल व मानव भूगोल हैं।
प्रश्न 5.
भौतिक भूगोल क्या है?
उत्तर:
भौतिक भूगोल, भूगोल की वह शाखा है जिसमें भोतिक पर्यावरण का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 6.
मानव भूगोल क्या है?
उत्तर:
मानव भूगोल, भूगोल की वह शाखा है जिसमें भौतिक पर्यावरण व सांस्कृतिक पर्यावरण के बीच के सम्बन्धों, मानवीय परिघटनाओं के स्थानिक वितरण व संसार के विभिन्न भागों में सामाजिक व आर्थिक विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 7.
एलन सैम्पल के अनुसार मानव भूगोल की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
एलन सैम्पल के अनुसार, “मानव भूगोल चंचल मानव और अस्थायी पृथ्वी के पारस्परिक परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।”
प्रश्न 8.
डिकेन व पिट्स ने मानव भूगोल की क्या परिभाषा दी है?
उत्तर:
डिकेन व पिट्स के अनुसार, “मानव भूगोल में मानव और उसके कार्यों का समाविष्ट अध्ययन किया जाता है।”
प्रश्न 9.
मानव भूगोल की प्रकृति को कौन प्रकट करता है?
उत्तर:
मानवीय क्रियाकलापों का विकास कहाँ, कब व कैसे हुआ आदि प्रश्नों को भौगोलिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करना ही मानव भूगोल की प्रकृति को प्रकट करता है।
प्रश्न 10.
मानव भूगोल किस पर केन्द्रित रहता है?
उत्तर:
मानव भूगोल विभिन्न प्रदेशों के पारिस्थितिकसमायोजन और क्षेत्र संगठन के अध्ययन पर विशेषतः केन्द्रित रहता है। इसमें मानव को केन्द्र बिन्दु माना जाता है।
प्रश्न 11.
हंटिंगटन ने मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र को कितने वर्गों में बांटा है?
उत्तर:
हंटिंगटन ने मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र को दो भागों-भौतिक दशाएँ व मानवीय अनुक्रिया के रूप में बांटा है।
प्रश्न 12.
मानव भूगोल के विषय क्षेत्र में शामिल तथ्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मानव भूगोल के विषय क्षेत्र में शामिल तथ्यों में मुख्यतः जनसंख्या व उसकी क्षमता, प्रदेश के प्राकृतिक – संसाधन, सांस्कृतिक वातावरण, कालिक अनुक्रम, समायोजन व प्रादेशिक संगठन तथा दूसरे प्रदेशों से संबन्धों को शामिल किया गया है।
प्रश्न 13.
जनसंख्या व उसकी क्षमता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जनसंख्या व उसकी क्षमता से तात्पर्य जनसंख्या के वितरण प्रारूप, घनत्व, जनसमूहों, प्रवास, अधिवास तथा जनसंख्या की प्रजातिगत एवं सामाजिक संरचना व जनसंख्या संघटन से होता है।
प्रश्न 14.
प्राकृतिक संसाधन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वे सभी जैविक या अजैविक घटक जो प्रकृति द्वारा निर्मित होते हैं तथा जिनका मानवीय आवश्यकताओं की आपूर्ति हेतु प्रयोग होता है उन्हें प्राकृतिक संसाधन कहा जाता है।
प्रश्न 15.
प्राकृतिक संसाधन कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
भूमि, जल, वन व खनिज मुख्यत: प्राकृतिक संसाधन में शामिल किये जाते हैं।
प्रश्न 16.
सांस्कृतिक तत्व कौन-कौन से हैं?
अथवा
सांस्कृतिक वातावरण के प्रमुख तत्वों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सांस्कृतिक वातावरण के प्रमुख तत्वों में जीव-जन्तुओं एवं मानवे का वातावरण के साथ अनुकूलन, जीविको के साधन, परिवहन, भवन निर्माण सामग्री, अधिवास, सड़कें, उद्योग व मानव की क्रियाओं से निर्मित स्वरूपों को शामिल किया जाता है।
प्रश्न 17.
कालिक अनुक्रम क्या है?
अथवा
कालिक विश्लेषण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मानव समाज और उसके भौगोलिक सम्बन्ध स्थिर नहीं होते हैं अपितु सभी सम्बन्ध क्रियात्मक होते हैं। इन सभी सम्बन्धों का समयानुसार अध्ययन ही कालिक अनुक्रम या कालिक विश्लेषण कहलाता है।
प्रश्न 18.
वातावरण नियोजन मानव भूगोल का अभिन्न अंग कैसे बन गया है?
उत्तर:
वर्तमान में तीव्र गति से बढ़ते वातावरण अवनयने व प्रदूषण की समस्याओं के बढ़ने से वातावरण नियोजन मानव भूगोल का अभिन्न अंग बन गया है।
प्रश्न 19.
मानव के अभ्युदय के साथ कौन-सी प्रक्रियाएँ प्रारम्भ हो गई थीं?
उत्तर:
पृथ्वी की सतह पर पर्यावरण के साथ अनुकूलन व समायोजन की प्रक्रिया तथा इसका रूपान्तरण मानव के अभ्युदय के साथ ही आरम्भ हो गया था।
प्रश्न 20.
मानव भूगोल के विषयों में दीर्घकालिक सातत्य क्यों पाया जाता है?
उत्तर:
मानव व वातावरण की पारस्परिक क्रियाओं से मानव भूगोल के प्रारम्भ की कल्पना करने पर इसकी जड़े इतिहास में अत्यंत गहरे स्वरूप को दर्शाती हैं जिसके कारण मानव भूगोल के विषयों में एक दीर्घकालिक सातत्य/नैरंतर्य पाया जाता है।
प्रश्न 21.
अध्ययन की दृष्टि से मानव भूगोल के विकास को किन-किन युगों में बांटा गया है?
उत्तर:
अध्ययन की दृष्टि से मानव भूगोल के विकास को तीन युगों-प्राचीन काल, मध्यकाल व आधुनिक काल में बांटा गया है।
प्रश्न 22.
मानव भूगोल के संदर्भ में प्राचीन काल की दशाओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
प्राचीन काल में मानव भूगोल का कैसा स्वरूप दृष्टिगत होता था?
उत्तर:
प्राचीन काल में विभिन्न समाजों के बीच आपसी अन्त: क्रियाएं न्यून थीं। एक-दूसरे के बारे में ज्ञान कम था। तकनीकी विकास का स्तर निम्न था तथा चारों तरफ प्राकृतिक वातावरण की छाप मिलती थी।
प्रश्न 23.
प्राकृतिक शक्तियों का प्रभाव किन सभ्यताओं में देखने को मिलता है?
उत्तर:
भारत, चीन, मिस्र, यूनान व रोम की प्राचीन सभ्यताओं में प्राकृतिक शक्तियों का प्रभाव देखने को मिलता है।
प्रश्न 24.
अरस्तू ने वातावरण के प्रभाव को किस – प्रकार स्पष्ट किया था?
उत्तर:
अरस्तु के अनुसार वातावरण मानवीय चिंतन वे स्वभाव को नियंत्रित करता है। उन्होंने ठण्डे प्रदेशों के मानव को बहादुर परन्तु चिन्तन में कमजोर बताया था जबकि एशिया के लोगों को सुस्त किन्तु चिंतनशील बताया था।
प्रश्न 25.
हिकेटियस को भूगोल का जनक क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
हिकेटियस ने विश्व के बारे में उपलब्ध भौगोलिक ज्ञान को व्यवस्थित रूप में रखा था इसी कारण इन्हें भूगोल का जनक कहा जाता है।
प्रश्न 26.
मध्य काल में मिथक व रहस्य क्यों खुलने लगे?
अथवा
मानव भूगोल का मध्यकाल किस प्रकार एक नया काल सिद्ध हुआ?
उत्तर:
मध्यकाल में नौसंचालन सम्बन्धी कुशलताओं, अन्वेषणों तथा तकनीकी ज्ञान व दक्षता के कारण देशों तथा लोगों के विषय में जानकारियाँ प्राप्त हुईं जिससे मिथक व रहस्य खुलने लगे। इसी कारण यह काल एक नया काल सिद्ध हुआ।
प्रश्न 27.
नव नियतिवाद की विचारधारा क्या है ?
उत्तर:
मानव व प्रकृति दोनों के पारस्परिक सम्बन्धों में सामंजस्य पर जोर देने से सम्बन्धित अवधारणा नवनियतिवाद है। इसका प्रतिपादन ग्रिफिथ टेलर ने किया था। इसे ‘रुको व जाओ’ के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न 28.
मानव भूगोल में कौन-कौनसी दार्शनिक विचारधाराओं का उदय हुआ?
उत्तर:
मानव भूगोल में कल्याणपरक विचारधारा, क्रांतिकारी विचारधारा एवं आचरणात्मक विचारधारा का उदय हुआ था।
प्रश्न 29.
आचरणपरक विचारधारा क्या है?
उत्तर:
आचरणपरक विचारधारा के अनुसार मनुष्य आर्थिक क्रियाएँ करते समय हमेशा भार्थिव लाभ पर ही विचार नहीं करता बल्कि उसके अधिकांश निर्णय यथार्थ पर्यावरण की अपेक्षा मानसिक मानचित्र आवरण पर्यावरण) पर आधारित होते हैं। यही आचरणपरक विचारधारा है।
RBSE Class 12 Geography Chapter 1 लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA-I)
प्रश्न 1.
भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल, भूगोल की दो प्रमुख शाखाएँ हैं। भौतिक भूगोल में भौतिक पर्यावरण का अध्ययन किया जाता है। इसमें पृथ्वी, वन, खनिज, जल, उच्चावचों (पर्वत, पठार, मैदान) आदि का अध्ययन किया जाता है। जबकि मानव भूगोल भौतिक पर्यावरण व सांस्कृतिक पर्यावरण के बीच सम्बन्धों, मानवीय परिघटनाओं के स्थानिक वितरण एवं संसार के विभिन्न भागों में सामाजिक और आर्थिक विभिन्नताओं का अध्ययन करता है।
प्रश्न 2.
रेटजेल के अनुसार मानव भूगोल की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
आधुनिक मानव भूगोल के जन्मदाता जर्मन भूगोलवेत्ता फ्रेडरिक रेटजेल के अनुसार, “मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच सम्बन्धों का संश्लेषित अध्ययन है।’ रेटजेल ने यह परिभाषा अपनी पुस्तक एन्थ्रोपोज्योग्राफी में दी। उन्होंने पार्थिव एकता पर जोर देते हुए मनुष्य के क्रियाकलापों पर वातावरण के प्रभाव का वर्णन किया।
प्रश्न 3.
पाल विडाल-डी-ला-ब्लॉश ने मानव भूगोल को किस प्रकार परिभाषित किया है?
अथवा
ब्लॉश के अनुसार मानव भूगोल की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
विडाल-डी-ला-ब्लॉश, एक प्रसिद्ध फ्रांसीसी मानव भूगोलवेत्ता थे। जिन्होंने संभववाद की नींव रखी। उनके अनुसार, “मानव भूगोल पृथ्वी और मानव के पारस्परिक सम्बन्धों को एक नया विचार देता है। जिसमें पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा पृथ्वी पर निवास करने वाले जीवों के पारस्परिक सम्बन्धों का अधिक संश्लिष्ट ज्ञान शामिल है।”
प्रश्न 4.
मानव भूगोल की प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल की प्रकृति का प्रमुख आधार भौतिक पर्यावरण तथा मानव निर्मित सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक पर्यावरण के परस्पर अन्तर्सम्बन्धों पर निर्भर है। मानव अपने क्रियाकलापों द्वारा भौतिक पर्यावरण में वृहद् स्तरीय परिवर्तन कर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक पर्यावरण का निर्माण करता है। गृह, गाँव, नगर, सड़कों व रेलों का जाल, उद्योग, खेत, पत्तन (बन्दरगाह), दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएँ भौतिक संस्कृति के अन्य सभी तत्त्व सांस्कृतिक भूदृश्य के ही अंग हैं। वस्तुतः मानवीय क्रियाकलापों को भौतिक पर्यावरण के साथ-साथ मानव द्वारा निर्मित सांस्कृतिक भूदृश्य या सांस्कृतिक पर्यावरण भी प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 5.
जीन ब्रून्श ने मानव भूगोल की प्रकृति को किस प्रकार स्पष्ट किया है?
उत्तर:
प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता जीन ब्रून्श के अनुसार, “जिस प्रकार अर्थशास्त्र का सम्बन्ध कीमतों से, भू-गर्भशास्त्र का सम्बन्ध चट्टानों से, वनस्पतिशास्त्र का सम्बन्ध पौधों से, मानवाचार-विज्ञान का सम्बन्ध जातियों से तथा इतिहास को सम्बन्ध समय से है, उसी प्रकार भूगोल का केन्द्र बिन्दु स्थान है। जिसमें कहाँ’ व ‘क्यों’ जैसे महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास किया जाता है।”
प्रश्न 6.
सांस्कृतिक वातावरण से क्या तात्पर्य है? इसके तत्वों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सांस्कृतिक वातावरण का अर्थ-पृथ्वी तल पर मानव के द्वारा प्रकृति प्रदत्त दशाओं में परिवर्तन करने से जो स्वरूप दृष्टिगत होते हैं उन्हें सांस्कृतिक वातावरण की श्रेणी में शामिल किया जाता है। सांस्कृतिक वातावरण के तत्व-वे सब तत्व जो मानव भूगोल के अध्ययन में शामिल हैं, सांस्कृतिक वातावरण के अंग हैं। सांस्कृतिक तत्व मानव वे पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्ध को प्रकट करते हैं। अतः सांस्कृतिक तत्वों के अन्तर्गत जीव-जन्तुओं एवं मानव का वातावरण के साथ अनुकूलन, जीविका के साधन, परिवहन, भवन निर्माण सामग्री, अधिवास आदि सम्मिलित हैं।
प्रश्न 7.
मानव भूगोल में उपशाखाओं का उदय कैसे हुआ?
उत्तर:
मानव भूगोल, भूगोल की एक मुख्य शाखा है। 1930 के दशक में मानव भूगोल का विभाजन सांस्कृतिक और आर्थिक भूगोल के रूप में हुआ। इस विभाजन का मुख्य कारण मानव भूगोल का अध्ययन अधिक सूक्ष्म रूप से करना था। मानव की क्रियाओं में विशेषीकरण की यह प्रवृत्ति निरन्तर बढ़ती रही जिसके कारण मानव भूगोल में उपशाखाओं का विकास जारी रहा। राजनैतिक भूगोल, सामाजिक भूगोल, चिकित्सा भूगोल, संसाधन भूगोल, जनसंख्या भूगोल, अधिवास भूगोल इसी प्रक्रिया के परिणाम हैं।
RBSE Class 12 Geography Chapter 1 लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA-II)
प्रश्न 1.
मानव भूगोल का भूगोल की एक प्रमुख शाखा के रूप में उदय कैसे हुआ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भूगोल एक क्षेत्र वर्णनी विज्ञान है, इसमें क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य में तथ्यों का अध्ययन किया जाता है। भूगोल के अध्ययन क्षेत्र के रूप में भूगोल एक समाकलनात्मक, आनुभविक व व्यावहारिक विषय है। भूगोल पृथ्वी को मानव का घर समझते हुए उन सभी तथ्यों का अध्ययन करता है जिन्होंने मानव को पोषित किया है। इसमें प्रकृति के साथ मानवीय अध्ययन पर जोर दिया जाता है। मानव भूगोल भौतिक पर्यावरण व सांस्कृतिक पर्यावरण के बीच सम्बन्धों, मानवीय परिघटनाओं के स्थानिक वितरण व संसार के विभिन्न भागों में सामाजिक व आर्थिक भिन्नताओं का अध्ययन करता है।
इन सभी दशाओं से मानव भूगोल एक ऐसा विज्ञान बन जाता है जिसमें मानव वर्गों और उनके वातावरण की शक्तियों, प्रभावों तथा प्रतिक्रियाओं के पारस्परिक कार्यात्मक सम्बन्धों का प्रादेशिक आधार पर अध्ययन किया जाता है। इन सभी देशाओं से यह एक पूर्ण विषय को रूप धारण कर लेता है। मानव की महत्ता व सभी कार्यों में संलग्नता के कारण अंतत: मानव भूगोल का प्रादुर्भाव व विकास 18वीं शताब्दी में हो गया था। यहीं से मानव भूगोल का एक शाखा के रूप में उदय हुआ।
प्रश्न 2.
मानव भूगोल मानव केन्द्रित विषय (विज्ञान) क्यों है?
उत्तर:
मानव भूगोल विभिन्न प्रदेशों के पारिस्थितिक-समायोजन व क्षेत्र संगठन के अध्ययन पर मुख्य रूप से केन्द्रित रहता है। पृथ्वी के किसी भी क्षेत्र में रहने वाला मानव समूह अपने जैविक, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक विकास के लिए वातावरण का उपयोग किस प्रकार करता है और वातावरण में क्या-क्या बदलाव लाता है ? इन तथ्यों का अध्ययन मानव भूगोल का आधार है। मानव के कारण ही जनसंख्या, जनसंख्या प्रदेशों व संसाधनों की रचना हुई है।
मानव ने अपने पर्यावरण के अनुसार क्रियाकलापों व रहन-सहन को परिवर्तित किया है साथ ही रूपान्तरण व समायोजन भी किया है। इस प्रकार हम देखते हैं कि मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र में जो कुछ भी शामिल है उसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सम्बन्ध मानव से ही है। क्षेत्र विशेष में समय के साथ मानव व वातावरण के सभी जटिल तथ्यों को पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन मानव को आधार मानकर किया जाता है। इन सब दशाओं के कारण ही मानव भूगोल में मानव की केन्द्रीय भूमिका मानी गई है।
प्रश्न 3.
मानव भूगोल के विषय क्षेत्र के प्रमुख पक्ष कौन-कौन से हैं?
अथवा
मानव भूगोल का विषय क्षेत्र किन बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जाता है?
उत्तर:
मानव भूगोल के अन्तर्गत प्राकृतिक पर्यावरण एवं मानव समुदायों के आपसी कार्यात्मक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत मानव जनसंख्या के विभिन्न पहलुओं, प्राकृतिक संसाधनों, सांस्कृतिक उद्देश्यों, मान्यताओं तथा रीति-रिवाजों का अध्ययन किया जाता है। मानव भूगोल के विषय क्षेत्र के प्रमुख पक्षों को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है –
- मानव संसाधन।
- प्रदेश में मौजूद विभिन्न प्राकृतिक संसाधन।
- मानव निर्मित सांस्कृतिक भूदृश्य।
- मानव और वातावरण के मध्य आपसी समायोजन।
- विभिन्न प्रदेशों के मध्य आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक सम्बन्ध।
- कालिक विश्लेषण।
प्रश्न 4.
प्रादेशिक समायोजन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
प्रादेशिक संगठन की प्रक्रिया क्या है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी तल पर मानवीय दशाएँ किस प्रकार वितरित हैं ? यह जानना ही आवश्यक नहीं है अपितु यह भी जानना, आवश्यक है कि उनका वितरण इस प्रकार से क्यों है? इनके बिना भूगोल का अध्ययन सार्थकता को प्राप्त नुहीं कर सकता है। ये सभी भिन्नताएँ या तो प्राकृतिक वातावरण के कारण होती हैं या मानवीय क्रियाओं के कारण। मानव ने पृथ्वी पर अपनी छाप अपनी क्रियाओं से कैसे लगायी है, का अध्ययन करना भी मानव भूगोल का क्षेत्र है।
संसाधनों का समाज के विभिन्न वर्गों में वितरण, उनके उपयोगं व संरक्षण का अध्ययन मानव भूगोल का मुख्य विषय क्षेत्र है। इन सभी तथ्यों का अध्ययन प्रदेश के संदर्भ में ही हो सकता है। आज वातावरण अवनयन व प्रदूषण की समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं। अत: वातावरण नियोजन भी मानव भूगोल का मुख्य अंग बन गया है। ये सभी दशाएं प्रादेशिक समायोजन के मिश्रित स्वरूप का ही परिणाम हैं।
प्रश्न 5.
फ्रेडरिक रेटजेल के मानव भूगोल में योगदान को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
फ्रेडरिक रेटजेल आधुनिक मानव भूगोल के जन्मदाता हैं। इन्होंने मानव भूगोल को विकसित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। इन्होंने ‘एन्थ्रोपोज्योग्राफी’ नामक ग्रंथ की रचना की थी जो मानव भूगोल को इनकी विशेष देन है। इन्होंने इसे ग्रंथ में प्रादेशिक वर्णन के स्थान पर मानव भूगोल एवं भौतिक परिवेश सम्बन्धित व्यवस्थित वर्णन प्रस्तुत किए थे। इन्होंने मानव को विकास की अन्तिम कड़ी माना था।
अपने ग्रंथ में इन्होंने मानव वितरण के लिए उत्तरदायी प्राकृतिक परिवेश के कारक व तत्त्वों की सरल वे स्पष्ट व्याख्या की थी। इन्होंने निश्चयवाद का प्रबल समर्थन किया था। ये मानव की शारीरिक, मानसिक, वितरण व गतिशीलता हेतु पर्यावरणीय दशाओं को महत्त्वपूर्ण मानते थे। इन्होंने मानव के विश्व वितरण स्वरूप का वर्णन किया था। इन्होंने जलवायु के प्रभाव को मुख्य मानते हुए प्राचीन सभ्यता केन्द्रों के उद्भव एवं विकास का कारण भी इसे ही माना था।
प्रश्न 6.
मानव भूगोल में 1970 के दशक के पश्चात विकसित विचारधाराओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
अथवा
मात्रात्मक क्रांति के पश्चात भूगोल में कौन-सी विचारधाराओं का विकास हुआ था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मात्रात्मक क्रांति से उत्पन्न असंतुष्टि एवं अमानवीय रूप से भूगोल के अध्ययन के चलते 1970 के दशक में भूगोल में निम्नलिखित तीन नई विचारधाराओं का उदय हुआ –
- कल्याणपरक अथवा मानवतावादी विचारधारा: मानव भूगोल की इस विचारधारा का सम्बन्ध मुख्य रूप से लोगों के सामाजिक कल्याण के विभिन्न पक्षों से था। इसमें आवास, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे पक्ष सम्मिलित थे।
- आमूलवादी अथवा रेडिकल विचारधारा: मानव भूगोल की इस विचारधारा में निर्धनता के कारण, बंधन एवं सामाजिक असमानता की व्याख्या के लिए कार्ल मार्क्स के सिद्धांत का उपयोग किया गया। समकालीन सामाजिक समस्याओं का सम्बन्ध पूँजीवाद के विकास से था।
- व्यवहारवादी विचारधारा: मानव भूगोल की इस विचारधारा ने प्रत्यक्ष अनुभव के साथ-साथ मानवीय जातीयता, प्रजाति, धर्म आदि पर आधारित सामाजिक संवर्गों के दिक्काल बोध पर अधिक जोर दिया।
RBSE Class 12 Geography Chapter 1 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मानव भूगोल को परिभाषित करते हुए इसकी प्रकृति व विषय क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल की परिभाषाएँ-मानव भूगोल को अनेक विद्वानों ने परिभाषित किया है। प्रमुख विद्वान एवं उनके : द्वारा दी गई परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं –
- रेटजेल के अनुसार, “मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच सम्बन्धों का संश्लेषित अध्ययन है।” रेटजेल द्वारा दी गई मानव भूगोल की परिभाषा में भौतिक तथा मानवीय तत्त्वों के संश्लेषण पर अधिक बल दिया गया है।
- एलन सी. सैम्पल के अनुसार, “मानव भूगोल अस्थायी पृथ्वी और चंचल मानव के बीच परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।” सैम्पल द्वारा दी गई मानव भूगोल की परिभाषा में कार्यरत मानव एवं अस्थिर पृथ्वी के परिवर्तनशील सम्बन्धों की व्याख्या की गयी है। सैम्पल की इस परिभाषा में सम्बन्धों की गत्यात्मकता मुख्य शब्द है।
- पाल विडाल-डी-लॉ-ब्लॉश के अनुसार, “मानव भूगोल हमारी पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा इस पर रहने वाले जीवों के मध्य सम्बन्धों के अधिक संश्लेषित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना को प्रस्तुत करता है।” ब्लॉश द्वारा दी गई मानव भूगोल की यह परिभाषा पृथ्वी एवं मनुष्य के अन्त:सम्बन्धों की एक नई संकल्पना प्रस्तुत करती है।
- अल्बर्ट डिमांजियाँ के अनुसार-“मानव भूगोल मानवीय वर्गों और समाजों के तथा प्राकृतिक वातावरण के सम्बन्धों का अध्ययन है।”
- लिविंग स्टोन एवं रोजर्स के अनुसार, “मानव भूगोल भौतिक/प्राकृतिक एवं मानवीय जगत के बीच सम्बन्धों, मानवीय परिघटनाओं के स्थानिक वितरण तथा उनके घटित होने के कारणों एवं विश्व के विभिन्न भागों में सामाजिक व आर्थिक विभिन्नताओं का अध्ययन करता है।”
मानव भूगोल की प्रकृति:
मानव भूगोल की प्रकृति का प्रमुख आधार भौतिक पर्यावरण तथा मानव निर्मित सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक पर्यावरण के परस्पर अन्तर्सम्बन्धों पर टिका है। मानव अपने क्रियाकलापों द्वारा भौतिक पर्यावरण में वृहत् स्तरीय परिवर्तन कर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक पर्यावरण का निर्माण करता है। गृह, गाँव, नगर, सड़कों व रेलों का जाल, उद्योग, खेत, पत्तन, दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएं, भौतिक संस्कृति के अन्य सभी तत्त्व सांस्कृतिक भूदृश्य के ही अंग हैं। वस्तुतः मानवीय क्रियाकलापों को भौतिक पर्यावरण के साथ-साथ मानव द्वारा निर्मित सांस्कृतिक भूदृश्य या सांस्कृतिक पर्यावरण भी प्रभावित करता है।
मानव भूगोल का विषय क्षेत्र:
मानव द्वारा अपने प्राकृतिक वातावरण के सहयोग से जीविकोपार्जन करने के क्रियाकलापों से लेकर उसकी उच्चतम आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किये गए सभी प्रयासों का अध्ययन मानव भूगोल के विषय क्षेत्र में आता है। अत: पृथ्वी पर जो भी दृश्य मानवीय क्रियाओं द्वारा निर्मित हैं, वे सभी मानव भूगोल के विषय क्षेत्र के अन्तर्गत सम्मिलित हैं। पृथ्वी तल पर मिलने वाले मानवीय तत्वों को समझने व उसकी व्याख्या करने के लिए मानव भूगोल के सामाजिक विज्ञानों के सहयोगी विषयों का अध्ययन भी करना पड़ता है।
प्रश्न 2.
प्राचीन काल में मानव भूगोल के विकास को समझाइये।
उत्तर:
प्राचीन काल में विभिन्न समाजों के बीच आपस में अन्योन्य क्रिया न्यून थी। एक-दूसरे के बारे में ज्ञान सीमित था। तकनीकी विकास का स्तर निम्न था तथा चारों तरफ प्राकृतिक वातावरण की छाप थी। भारत, चीन, मिस्र, यूनान व रोम की प्राचीन सभ्यताओं के लोग प्राकृतिक शक्तियों के प्रभाव को मानते थे। वेदों में सूर्य, वायु, अग्नि, जल, वर्षा आदि प्राकृतिक तत्त्वों को देवता मानकर पूजा अर्चना की जाती थी। यूनानी दार्शनिक थेल्स व एनैक्सीमेंडर ने जलवायु, वनस्पति व मानव समाजों का वर्णन किया।
अरस्तू ने वातावरण के प्रभाव की वजह से ठण्डे प्रदेशों के मानव को बहादुर परन्तु चिंतन में कमजोर बताया जबकि एशिया के लोगों को सुस्त पर चिंतनशील बताया। इतिहासकार हेरोडोटस ने घुमक्कड़ जातियों तथा स्थायी कृषक जातियों के जीवन पर वातावरण के प्रभाव का उल्लेख किया। हिकेटियस ने विश्व के बारे में उपलब्ध भौगोलिक ज्ञान को व्यवस्थित रूप में रखने के कारण उन्हें भूगोल का जनक कहा जाता है। स्ट्रेबो व उसके समकलीन रोमन भूगोलवेत्ताओं ने मानव व उसकी प्रगति के स्तर पर भू-पारिस्थितिकीय स्वरूपों के प्रभाव को स्पष्ट किया।