Chapter 3 डिजीभारतम्
पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ ‘डिजिटलइण्डिया’ के मूल भाव को लेकर लिखा गया निबन्धात्मक पाठ है। इसमें वैज्ञानिक प्रगति के उन आयामों को छुआ गया है, जिनमें हम एक ‘क्लिक’ द्वारा बहुत कुछ कर सकते हैं। आज इन्टरनेट ने हमारे जीवन को कितना सरल बना दिया है। हम भौगोलिक दृष्टि से एक-दूसरे के अत्यन्त निकट आ गए हैं। इसके द्वारा जीवन के प्रत्येक क्रियाकलाप सुविधाजनक हो गए हैं। ऐसे ही भावों को यहाँ सरल संस्कृत में व्यक्त किया गया है।
पाठ के गद्यांशों का हिन्दी-अनुवाद एवं पठितावबोधनम् –
1. अद्य संपूर्णविश्वे …………………………………….. लेखनकार्यम् आरब्धम्।
कठिन-शब्दार्थ :
- श्रूयते = सुनी जाती है।
- उत्पद्यते = उत्पन्न होता है/होती है।
- परिवर्तते = बदल जाता है/जाती है।
- आरब्धम् = आरम्भ हुआ।
हिन्दी अनुवाद – आज पूरे संसार में ‘डिजिटल-इण्डिया’ की चर्चा सुनी जाती है। इस शब्द का क्या भाव है, यह मन में जानने की इच्छा उत्पन्न होती है। समय के बदलने के साथ ही मानव की आवश्यकता भी बदल जाती है। प्राचीन काल में ज्ञान का आदान-प्रदान मौखिक था और विद्या श्रुति-परम्परा (एक कान से दूसरे कान तक मौखिक रूप से सुनाना) के द्वारा ग्रहण की जाती थी। बाद में तालपत्रों के ऊपर और भोजपत्रों के ऊपर लेखन-कार्य आरम्भ हुआ।
पठितावबोधनम् –
निर्देशः – उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा प्रदत्तप्रश्नानां यथानिर्देशम् उत्तराणि लिखत प्रश्नाः
(क) केन सह मानवस्य आवश्यकता परिवर्तते? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) प्राचीनकाले विद्या कया गृह्यते स्म? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) अद्य संपूर्णविश्वे कस्य चर्चा श्रूयते? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) ‘ज्ञातुम् इच्छा’ इत्यर्थे गद्यांशे किं पदं प्रयुक्तम्?
उत्तराणि :
(क) कालपरिवर्तनेन।
(ख) श्रुतिपरम्परया।
(ग) अद्य संपूर्णविश्वे ‘डिजिटलइण्डिया’ इत्यस्य चर्चा श्रूयते।
(घ) जिज्ञासा।
2. परवर्तिनिकाले ……………………………..यंत्रेणसाधितानि भवन्ति।
कठिन-शब्दार्थ :
- कर्गदस्य = कागज का।
- लेखन्याः = लेखनी (कलम/पैन) का।
- टंकणयन्त्रस्य = टाईप करने की मशीन का।
- प्रविधेः = तकनीक, विधि की।
- संगणक = कम्प्यूटर।
- साधितानि = सम्पन्न।
हिन्दी अनुवाद – परिवर्तन के समय में कागज और कलम (पैन) के आविष्कार से सभी मनोभावों का कागज के ऊपर लिखना आरम्भ हो गया। टंकण (टाईप) मशीन के आविष्कार से तो लिखित सामग्री टं बहुत समय तक के लिए सुरक्षित हो गई। वैज्ञानिक तकनीक (विधि) की प्रगति-यात्रा फिर से आगे बढ़ती गई। आज सभी कार्य कम्प्यूटर नामक यन्त्र से सम्पन्न होते हैं।
पठितावबोधनम् प्रश्ना :
(क) कस्याः प्रगतियात्रा पुनरपि अग्रे गता? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) अद्य सर्वाणि कार्याणि केन यंत्रेण साधितानि भवन्ति? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) कस्य आविष्कारेण लिखिता सामग्री बहुकालाय सुरक्षिता अतिष्ठत्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) ‘काले’ इति विशेष्यपदस्य विशेषणपदं गद्यांशात् चित्वा लिखत।
उत्तराणि :
(क) वैज्ञानिकप्रविधेः।
(ख) संगणकयन्त्रेण।
(ग) टंकणयन्त्रस्य आविष्कारेण लिखिता सामग्री बहुकालाय सुरक्षिता अतिष्ठत् ।
(घ) परिवर्तिनि।
3. समाचार-पत्राणि, ……………………….. उपकारो भविष्यति।
कठिन-शब्दार्थ :
- कर्गदोद्योगे = कागज के उद्योग में।
- कर्त्यन्ते स्म = काटे जाते थे।
- अधिकाधिक = (अधिक + अधिक) अधिक से अधिक।
- दिशि = दिशा में।
हिन्दी अनुवाद – समाचार-पत्र और पुस्तकें कम्प्यूटर के माध्यम से पढ़ी जाती हैं। कागज के उद्योग में वृक्षों के उपयोग से वृक्षों को काटा जाता था, परन्तु कम्प्यूटर का अधिक से अधिक प्रयोग होने से वृक्षों के काटने में कमी होगी, ऐसा विश्वास है। इससे पर्यावरण-सुरक्षा की दिशा में महान् उपकार होगा।
पठितावबोधनम् प्रश्नाः
(क) कर्गदोद्योगे केषाम् उपयोगः भवति स्म? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) कस्याः दिशि महान् उपकारो भविष्यति? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) कथं वृक्षाणां कर्तने न्यूनता भविष्यति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) ‘न्यूनता भविष्यति इति विश्वासः’ इत्यत्र अव्ययपदं किम्?
उत्तराणि :
(क) वृक्षाणाम्।।
(ख) पर्यावरणसुरक्षायाः।
(ग) संगणकस्य अधिकाधिक-प्रयोगेण वृक्षाणां कर्तने न्यूनता भविष्यति।
(घ) इति।
4. अधुना आपणे …………………………….. सहायकाः सन्ति।
कठिन-शब्दार्थ :
- आपणे = बाजार में।
- वस्तुक्रयार्थम् = वस्तुएँ खरीदने के लिए।
- गृहीतवन्तौ = स्वीकार किये जाते हैं।
- वित्तकोशस्य = बैंक का।
- अनुप्रयोगाः = ऐप (APP)।
- विनिमयाय = लेन-देन के लिए।
हिन्दी अनुवाद – इस समय बाजार में वस्तुएँ खरीदने के लिए रुपयों की अनिवार्यता नहीं है। ‘डेबिट कार्ड’, ‘क्रेडिट कार्ड’ आदि सभी जगह रुपयों के स्थान पर स्वीकार किये जाते हैं। बैंक के भी सभी कार्य कम्प्यूटर द्वारा सम्पन्न किये जाते हैं। अनेक प्रकार के ‘ऐप’ (APP) मुद्रा से रहित लेन-देन में सहायक हैं।
पठितावबोधनम् प्रश्ना :
(क) अधुना आपणे वस्तुक्रयार्थम् केषाम् अनिवार्यता नास्ति? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) बैंकस्य सर्वाणि कार्याणि केन सम्पाद्यन्ते? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) मुद्राहीनाय विनिमयाय के सहायकाः सन्ति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) ‘इत्यस्य’ इति पदस्य सन्धिविच्छेदं कुरुत।
उत्तराणि :
(क) रूप्यकाणाम्।
(ख) संगणकयन्त्रेण।
(ग) मुद्राहीनाय विनिमयाय बहुविधाः अनुप्रयोगाः सहायकाः सन्ति।
(घ) इति + अस्य।
5. कुत्रापि यात्रा ……………………………… प्रदातुं शक्यते।
कठिन-शब्दार्थ :
- कुत्रापि = (कुत्र + अपि) कहीं भी।
- रेलयानयात्रापत्रस्य = रेल टिकट की।
- चलदूरभाषयन्त्रे = मोबाइल फोन में।
- सन्दर्य = दिखलाकर।
- सौकर्येण = आसानी से, सुगमता से।
- नानुभूयते = (न + अनुभूयते) अनुभव नहीं की जाती है।
- शुल्कम् = फीस।
हिन्दी अनुवाद – आज कहीं भी यात्रा करनी हो, रेल टिकट की, हवाई जहाज के टिकट की अनिवार्यता नहीं है। सभी टिकट हमारे मोबाइल फोन में ‘ई-मेल’ नामक स्थान पर सुरक्षित होते हैं, जिनको दिखलाकर हम आसानी से हैं। चिकित्सालय में भी उपचार (इलाज) के लिए रुपयों की आवश्यकता का आज अनुभव नहीं किया जाता है। सभी जगह कार्ड के माध्यम से, ई-बैंक के माध्यम से फीस प्रदान कर सकते हैं।
पठितावबोधनम् प्रश्ना:
(क) अद्य उपचारार्थं कुत्र रूप्यकाणाम् आवश्यकता नानुभूयते? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) वयं सौकर्येण कस्याः आनन्दं गृह्णीमः? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) अद्य यात्रापत्राणि कुत्र सुरक्षितानि भवन्ति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) ‘प्रदातुम्’ इति पदे कः प्रत्ययः?
उत्तराणि :
(क) चिकित्सालये।
(ख) यात्रायाः।
(ग) अद्य यात्रापत्राणि चलदूरभाषयन्त्रे ‘ई-मेल’ इति स्थाने सुरक्षितानि भवन्ति ।
(घ) तुमुन्।
6. तदिनं नातिदूरम् ………………………………… अपि न भविष्यति।
कठिन-शब्दार्थ :
- नातिदूरम् = (न + अतिदूरम्) अधिक दूर नहीं।
- आदाय = लेकर।
- साधयितुम् = सम्पन्न करने के लिए।
- वस्त्रपुटके = जेब में।
- अन्वेषणार्थम् = खोजने के लिए।
हिन्दी अनुवाद – वह दिन अधिक दूर नहीं है जब हम हाथ में एकमात्र मोबाइल फोन को लेकर सभी कार्य सम्पन्न करने में समर्थ हो जायेंगे। जेब में रुपयों की आवश्यकता नहीं होगी। पासबुक’, ‘चैक्बुक’ इन दोनों की आवश्यकता नहीं होगी। पढ़ने के लिए पुस्तकों, समाचार-पत्रों की अनिवार्यता लगभग समाप्त हो जायेगी। लिखने के लिए अभ्यास-पुस्तिका अथवा कागज की, अथवा नवीन ज्ञान को खोजने के लिए शब्दकोश की भी आवश्यकता नहीं होगी। अपरिचित मार्ग (रास्ते) को जानने के लिए मार्गदर्शक मानचित्र की आवश्यकता का अनुभव भी नहीं होगा।
पठितावबोधनम् प्रश्नाः
(क) गद्यांशस्य उपयुक्तं शीर्षकं किम्?
(ख) वस्त्रपुटके केषाम् आवश्यकता न भविष्यति? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) कस्य ज्ञानार्थं मार्गदर्शकस्य मानचित्रस्य आवश्यकता न भविष्यति? (एकपदेन उत्तरत)
(घ) वयं हस्ते किम् आदाय सर्वाणि कार्याणि साधयितुं समर्थाः भविष्यामः? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(ङ) ‘ज्ञानम्’ इत्यस्य विशेषणपदं किं प्रयुक्तम्?
(च) ‘आदाय’ इति पदे कः प्रत्ययः?
उत्तराणि :
(क) चलदूरभाषयन्त्रम्।
(ख) रूप्यकाणाम्।
(ग) अपरिचित-मार्गस्य।
(घ) वयं हस्ते चलदूरभाषयन्त्रमादाय सर्वाणि कार्याणि साधयितुं समर्थाः भविष्यामः।
(ङ) नूतनम्।
(च) ल्यप्।
7. एतत् सर्वं …………………………….. द्रुतगत्या अग्रेसरामः।
कठिन-शब्दार्थ :
- शाकादिक्रयार्थम् = शाक (सब्जियाँ) खरीदने के लिए।
- कक्षम् = कमरा।
- अलम् = पर्याप्त।
- अग्रेसरामः = आगे बढ़ रहे हैं।
हिन्दी अनुवाद – यह सब एक ही यन्त्र (मोबाइल फोन) से कर सकते हैं। शाक (सब्जियाँ) खरीदने के लिए, फल खरीदने के लिए, विश्रामघरों (गैस्ट हाऊस) में कमरा सुनिश्चित (बुक) करने के लिए, अस्पताल में फीस देने के लिए, विद्यालय और महाविद्यालय में भी शुल्क देने के लिए, अधिक क्या, दान देने के लिए भी मोबाइल फोन ही पर्याप्त है। ‘डिजिटल भारत’ इस दिशा में हम भारतीय तीव्र गति से आगे बढ़ रहे हैं।
पठितावबोधनम् प्रश्ना :
(क) गद्यांशस्य उपयुक्तं शीर्षकं किम्?
(ख) अद्य केन यन्त्रेण सर्वं कर्तुम् शक्यते? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) वयं भारतीयाः ‘डिजीभारतम्’ इति दिशि कया गत्या अग्रेसरामः? (एकपदेन उत्तरत)
(घ) अद्य विविधशुल्कं दानं चदातुं किम् अलम्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(ङ) “अस्यां दिशि वयं भारतीयाः”-इत्यत्र ‘अस्याम्’ पदस्य विशेष्यपदं किम्?
(च) ‘चापि’ इति पदस्य सन्धिविच्छेदं कुरुत।
उत्तराणि :
(क) डिजीभारतम्।
(ख) चलदूरभाषयन्त्रेण।
(ग) द्रुतगत्या।
(घ) अद्य विविधशुल्कं दानं च दातुं चलदूरभाषयन्त्रमेव अलम्।
(ङ) दिशि।
(च) च + अपि।
(ग) केषु कक्षं सुनिश्चितं भवेत्?