पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ में चित्रों के माध्यम से अकारान्त नपुंसकलिङ्ग शब्दों का ज्ञान कराया गया है। जो शब्द न तो पुल्लिङ्ग होते हैं और न ही स्वीलिङ्ग होते हैं, वे नपुंसकलिङ्ग कहलाते हैं। जैसे-वस्वम्, पुस्तकम्, फलम्, भवनम् आदि। जिस प्रकार संज्ञा शब्द नपुंसकलिङ्ग में भी होते हैं, उसी प्रकार सर्वनाम शब्द नपुंसकलिङ्ग में भी होते हैं। जैसे-तत्, तानि, एतत्, एतानि आदि। इस पाठ में प्रयुक्त सभी शब्द अकारान्त नपुंसकलिङ्ग के हैं। 

पाठ के कठिन-शब्दार्थ :

पाठ का हिन्दी-अनुवाद :

1. एतत् किम्? 
एतत् ……………………… अत्र भित्तिकं न अस्ति। 

हिन्दी-अनुवाद :

यह क्या है?
यह कुदाल (फावड़ा) है। 
मजदूरनी कुदाल चलाती है।
वह क्या है? 
वह विश्रामघर है। 
क्या यहाँ दीवार है?
यहाँ दीवार नहीं है। 

विशेष – इन सभी वाक्यों में कर्तृपद (संज्ञा व सर्वनाम पद) नपुंसकलिङ्ग एकवचन में हैं।

2. एते के?
एते ………………………….. रेलस्थानकं गच्छतः। 

हिन्दी-अनुवाद :

ये दो क्या हैं?
ये दो अंगूठियाँ हैं। 
सुनार दो अंगूठियाँ बनाता है।
वे दो क्या हैं? 
वे दो बसें हैं। 
वे दोनों बसें कहाँ जाती हैं?
वे दोनों रेलवे स्टेशन जाती हैं। 

विशेष – इन सभी वाक्यों में कर्तृपद (संज्ञा व सर्वनाम पद) नपुंसकलिङ्ग द्विवचन में हैं।

3. एतानि कानि? 

एतानि ………………………………. मधुराणि पोषकाणि च। 

हिन्दी-अनुवाद : 

ये सब क्या हैं? 
ये सब रूमाल हैं।
नहीं, ये तो नए हैं।
वे सब क्या हैं? वे सब केले हैं। 
क्या वे मीठे हैं?
हाँ, वे मीठे और पोषक हैं। 

विशेष – यहाँ सभी वाक्यों में कर्तृपद (संज्ञा व सर्वनाम) नपुंसकलिङ्ग बहुवचन में हैं।

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