Chapter 3 जल संसाधन
अभ्यास प्रश्न
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. निम्नलिखित में से कौन-सा अलवणीय जल प्राप्ति का स्रोत है?
a. सतही अपवाह
c. a. और b. दोनों
b. भौम जल
d. महासागर। (c)
2. धरातल पर जल की कमी का कारण है-
a. अतिशोषण
b. अत्यधिक प्रयोग
c. समाज के विभिन्न वर्गों में असमान वितरण
d. उपर्युक्त सभी। (d)
3. सतलज-व्यास नदी बेसिन पर निर्मित बहुउद्देशीय परियोजना है-
a. हीराकुड परियोजना
b. भाखड़ा नांगल परियोजना
c. नागार्जुन सागर परियोजना
d. चंबल परियोजना। (b)
4. महानदी बेसिन पर निर्मित बहुउद्देशीय परियोजना है-
a. सरदार सरोवर परियोजना
b. सलाल परियोजना
c. मैटूर परियोजना
d. हीराकुड परियोजना | (d)
5. जल के नवीकरण और पुनर्भरण को सुनिश्चित करने वाला प्रक्रम है-
a. वाष्पीकरण
b. अपवाहन
c. संघनन
d. जलीय चक्र। (d)
6. पश्चिमी राजस्थान में छत वर्षा जल संग्रहण की रीति कम प्रचलित होने का कारण है-
a. गंग नहर
b. इंदिरा गांधी नहर
c. घग्घर नदी
d. महानदी की वितरिकाएँ। (b)
7. भारत के किस राज्य में प्रत्येक घर में छत वर्षा जल संग्रहण ढाँचों का बनाना आवश्यक कर दिया गया है?
a. कर्नाटक
b. आंध्र प्रदेश
c. तमिलनाडु
d. केरल | (c)
8. बहुउद्देशीय परियोजनाओं का प्रमुख उद्देश्य है-
a. विद्युत उत्पादन
b. बाढ़ नियंत्रण
c. जल आपूर्ति
d. ये सभी। (d)
9. सलाल बाँध किस नदी पर बना है?
a. महानदी
b. चिनाब
c. सतलज
d. कृष्णा । (b)
10. महानदी पर हीराकुड बाँध किस राज्य में स्थित है?
a. आंध्र प्रदेश
b. झारखंड
c. बिहार
d. ओडिशा । (d)
11. भारत का सबसे ऊँचा बाँध निम्न में से कौन-सा है?
a. भाखड़ा नांगल बाँध
b. रिहंद बाँध
c. दामोदर घाटी परियोजना
d. टिहरी बाँध । (d)
12. महासागरों में विश्व जल की कुल मात्रा कितनी है?
a. 97.25 प्रतिशत
b. 94.6 प्रतिशत
c. 93.6 प्रतिशत
d. 92.8 प्रतिशत। (a)
13. भारत में नवीकरण योग्य कुल जल संसाधन कितना अनुमानित है?
a. 1290 वर्ग किमी प्रतिवर्ष
b. 1580 वर्ग किमी प्रतिवर्ष
c. 1897 वर्ग किमी प्रतिवर्ष
d. 2022 वर्ग किमी प्रतिवर्ष । (c)
14. बंगाल में बाढ़ के मैदानों में लोग जल संग्रहण किस प्रकार करते हैं?
a. अपने खेतों की सिंचाई के लिए बाढ़ जल वाहिकाएँ बनाकर
b. भूमिगत गड्ढे बनाकर
c. गुल और कुल जैसी वाहिकाएँ बनाकर
d. छत वर्षा जल संग्रहण के माध्यम से। (a)
15. भारत के किस स्थान पर ग्यारहवीं शताब्दी में निर्मित कृत्रिम झील है जो जल संग्रह करने को बनायी गयी है?
a. दिल्ली
b. भोपाल
c. मुम्बई
d. कोल्हापुर । (b)
16. निम्नलिखित में से किस नदी पर सरदार सरोवर बाँध बना हुआ है?
a. कावेरी नदी
b. कृष्णा नदी
c. नर्मदा नदी
d. सतलज नदी । (c)
17. उत्तराखंड राज्य में ‘टिहरी बाँध परियोजना किस नदी पर बनी है?
a. गंगा
b. अलकनंदा
c. मंदाकिनी
d. भागीरथी । (d)
18. निम्नलिखित में से कौन-सी नदी बंगाल की खाड़ी में गिरती है?
a. नर्मदा
b. कावेरी
c. ताप्ती
d. लूनी । (b)
19. राणा प्रताप सागर बाँध निम्नलिखित में से किससे संबंधित है?
a. सौर ऊर्जा
b. जलविद्युत
c. पवन ऊर्जा
d. परमाणु ऊर्जा । (b)
20. ‘पालर पानी’ क्या है?
a. शीत ऋतु में पाले से जमा तालाब का पानी
b. टाँके में संगृहित वर्षा का जल
c. भूमि के अंदर एकत्रित वर्षा का जल
d. तमिलनाडु में छत वर्षा जल संग्रहण को पालर पानी कहा जाता है। (b)
21. ऐसी कंपनियाँ जिनकी उत्पादक फैक्ट्रियाँ एक से अधिक देशों में होती हैं तथा जो विश्व के विविध देशों में पूँजी निवेश कर लाभ कमाती हैं, कहलाती हैं-
a. उत्पादक कंपनियाँ
b. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ
c. राष्ट्रीय कंपनियाँ
d. इनमें से कोई नहीं। (b)
22. जल की गतिशीलता की शक्ति का उपयोग कर बनाई गई विद्युत को कहते हैं-
a. पवन ऊर्जा
b. सौर ऊर्जा
c. जल विद्युत ऊर्जा
d. नाभिकीय ऊर्जा । (c)
23. वर्तमान समय में भारत में कुल विद्युत का लगभग कितने प्रतिशत भाग जल विद्युत से प्राप्त होता है?
a. 15 प्रतिशत
b. 18 प्रतिशत
c. 20 प्रतिशत
d. 22 प्रतिशत। (d)
24. शहरी आवास समितियों या कॉलोनियों में जलापूर्ति के लिए स्थापित किए गए हैं-
a. बावड़ी
b. कुएँ
c. नलकूप
d. इनमें से कोई नहीं । (c)
25. बहुउद्देशीय परियोजनाएँ आधारित हैं-
a. जल संसाधन प्रबंधन उपागम पर
b. जल पुनर्भरण उपागम पर
c. जल स्तर वृद्धि उपागम पर
d. उपर्युक्त में से कोई नहीं। (a)
26. बाँधों को ‘आधुनिक भारत के मंदिर की संज्ञा दी थी-
a. महात्मा गांधी ने
b. जवाहरलाल नेहरू ने
c. सरदार वल्लभभाई पटेल ने
d. लाल बहादुर शास्त्री ने। (b)
27. बहुउद्देशीय परियोजनाओं से निम्न में से किस उद्देश्य की पूर्ति होती है?
a. बाढ़ नियंत्रण
b. सिंचाई
c. बिजली उत्पादन
d. ये सभी। (d)
28. नदी का तल अधिक चट्टानी हो जाता है-
a. अत्यधिक तलछट तली में जमा होने से
b. पत्थरों के एकत्र होने से
c. a. और b. दोनों
d. उपर्युक्त में से कोई नहीं (a)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. जल संचयन प्रणाली एक लाभप्रद विकल्प क्यों है?
उत्तर – जल की कमी को पूरा करने हेतु जल संचयन प्रणाली एक लाभप्रद विकल्प है।
प्रश्न 2. ‘छत वर्षा जल संग्रहण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर- छत वर्षा जल संग्रहण में विशेष व्यवस्था द्वारा जल को एक टैंक अथवा विशेष प्रकार के गड्ढे में एकत्रित किया जाता है।
प्रश्न 3. जल संरक्षण के लिए प्राचीन भारत में अपनाई गई किन्हीं दो विधियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- जल संरक्षण हेतु प्राचीन भारत में अपनाई गई दो विधियाँ थी-
(क) तालाब निर्माण (ख) छत वर्षा जल संग्रहण’
प्रश्न 4. जल संकट के लिए उन दो कारणों को बताइए जिनका सामना महाराष्ट्र को करना पड़ रहा है।
उत्तर- दो कारण जिनका सामना महाराष्ट्र को जल संकट के लिए करना पड़ रहा है, निम्नलिखित हैं-
(क) भू-जल का अत्यधिक उपयोग, और
(ख) औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण भू-जल का प्रदूषित होना ।
प्रश्न 5. “देश में सर्वाधिक वर्षा जल प्राप्त करने वाले राज्यों में महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है तथापि वो जल संकट से ग्रसित राज्य है।” इस कथन की 40 शब्दों में व्याख्या कीजिए।
उत्तर- महाराष्ट्र देश में सर्वाधिक वर्षा जल प्राप्त करने वाला दूसरा राज्य है तथापि पारंपरिक सिंचाई पद्धतियों जैसे बाढ़ के जल से सिंचाई इत्यादि के कारण राज्य को जल संकट से जूझना पड़ता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बाढ़ सिंचाई में अत्यधिक जल का उपयोग किया जाता है और अधिकांश जल बरबाद होकर बह जाता है तथा अन्य कार्यों के लिए जल की उपलब्धता क्षीण हो जाती है।
प्रश्न 6. महाराष्ट्र को जलसंकट से बचाने के लिए किसी एक समाधान को बताइए ।
उत्तर- महाराष्ट्र को जल संकट से उबारने के लिए एक समाधान यह सकता है कि अधिक उन्नत सिंचाई पद्धतियों को अपनाया जाए जैसे ड्रिप सिंचाई और छिड़काव पद्धति को प्रोत्साहित किया जाता है। कम जल के उपयोग को मानव स्वभाव में शामिल किया जाना चाहिए। जल संचय की विधि को भी अपनाया जा सकता है, इससे जल के स्तर में भी बढ़ोतरी होगी। ऐसा पश्चिमी घाटों के पश्चिमी तटों पर किया जा सकता है, जहाँ पर अधिकाधिक वर्षा जल की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से जल का प्रयोग करने में सुधार होगा और महाराष्ट्र को जल की कमी से नहीं जूझना पड़ेगा।
प्रश्न 7. छत वर्षा जल संग्रहण द्वारा किस प्रकार जल का उपयोग किया जा सकता है?
उत्तर – पी०वी०सी० पाइप का प्रयोग करके छत का वर्षा जल एकत्रित किया जाता है। रेत और ईंट प्रयोग करके जल को छाना जाता है ताकि वह शुद्ध हो जाए। तत्पश्चात् भूमिगत पाइप के द्वारा जल हौज तक ले जाया जाता है, जहाँ से इसे तुरंत प्रयोग किया जा सकता है।
प्रश्न 8. पालर पानी किसे कहा जाता था?
उत्तर- राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में वर्षा जल पीने के जल के रूप में संगृहीत किया जाता था, जिसे स्थानीय भाषा में पालर पानी कहा जाता था।
प्रश्न 9. भारत के किस राज्य में प्रत्येक घर में छत वर्षा जल संग्रहण ढाँचों का बनाना आवश्यक कर दिया गया है?
उत्तर – तमिलनाडु देश का एकमात्र राज्य है जहाँ संपूर्ण राज्य में प्रत्येक घर में छत वर्षा जल संग्रहण ढाँचों का बनाना आवश्यक कर दिया गया है।
प्रश्न 10. शिलांग ने जल की कमी की गंभीर समस्या को कैसे हल किया?
उत्तर- छत वर्षा जल संग्रहण की विधि अपनाकर ।
प्रश्न 11. जल किस प्रकार नवीकरण योग्य संसाधन है?
उत्तर- जल नवीकरणीय संसाधन है। सतही अपवाह और भौमजल स्रोत से प्राप्त जल का लगातार नवीकरण और पुनर्भरण जलीय चक्र द्वारा होता रहता है वास्तव में जल जलीय चक्र में गतिशील रहता है जिससे जल नवीकरण सुनिश्चित होता है।
प्रश्न 12. हिमालय से निकलने वाली नदियाँ सदानीरा क्यों हैं?
उत्तर – हिमालय से पिघलने वाली बर्फ के कारण संबंधित नदियों में नीर (जल) का सदा प्रवाह बना रहता है। अतः इन्हें सदानीरा नदियाँ कहा जाता है।
प्रश्न 13. सरदार सरोवर बाँध किस राज्य में है?
उत्तर- सरदार सरोवर बाँध गुजरात में स्थित है।
प्रश्न 14. गुजरात राज्य में सरदार सरोवर बाँध किस नदी पर बना है?
उत्तर- गुजरात राज्य में सरदार सरोवर बाँध नर्मदा नदी पर बना है।
प्रश्न 15. ‘गुल’ अथवा ‘कुल’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- ‘गुल’ अथवा ‘कुल’ जल वाहिकाओं को नदी की धारा का रास्ता बदलकर खेतों में सिंचाई के लिए बनाया जाता हैं। ये पश्चिमी हिमालय प्रदेश में मिलती हैं।
प्रश्न 16. भारत में सिंचाई के प्रमुख साधन कौन-कौन से हैं?
उत्तर- भारत में सिंचाई के प्रमुख साधन हैं कुएँ, नहरें, तालाब आदि।
प्रश्न 17. किसने बाँधों को ‘आधुनिक भारत के तीर्थ’ कहा था?
उत्तर- पं० जवाहरलाल नेहरू ने।
प्रश्न 18. तमिलनाडु ने जल की कमी की गंभीर समस्या को कैसे हल किया?
उत्तर – तमिलनाडु देश का एकमात्र राज्य है जहाँ छत वर्षा जल संग्रहण को वैधानिक बनाया गया है। इस उपाय को अपनाकर उसने जल की कमी की गंभीर समस्या को हल किया है।
प्रश्न 19. हीराकुड परियोजना किस नदी पर स्थित है?
उत्तर – हीराकुड परियोजना महानदी पर स्थित है।
प्रश्न 20. विश्व का सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान कौन-सा है?
उत्तर- विश्व का सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान मौसिनराम (मेघालय) है।
प्रश्न 21. किन्हीं दो नदी घाटी परियोजनाओं के नाम बताइए।
उत्तर – (1) भाखड़ा नांगल परियोजना, (2) हीराकुड परियोजना |
प्रश्न 22. विकास की धारणीयता का क्या अर्थ है?
उत्तर – विकास की वह प्रक्रिया जो पर्यावरण को बिना क्षति पहुँचाए विकास का क्रम जारी रखे तथा भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकता की अवहेलना न करे।
प्रश्न 23 वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर – शुष्क मौसम में जल की कमी को पूरा करने के लिए।
प्रश्न 24. “कुएँ और नलकूप भारत के उत्तरी मैदानों में सिंचाई के सबसे अधिक लोकप्रिय साधन हैं।” कोई दो तर्क देकर इस कथन की न्यायसंगत पुष्टि कीजिए ।
उत्तर- (i) भारत के उत्तरी मैदानों में भूमिगत जल धरातल से कुछ ही नीचे प्राप्त हो जाता है। कुएँ और नलकूपों द्वारा इसे सरलता से प्राप्त कर लिया जाता है।
(ii) मैदानी भागों में मिट्टी के मुलायम होने के कारण कुएँ की खुदाई और नलकूप लगाना देश के अन्य भागों की तुलना में सरल एवं मितव्ययी होता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. बहुउद्देशीय परियोजनाओं से होने वाले लाभ और हानियों की तुलना करें।
उत्तर – भारत में स्वतंत्रता के बाद शुरू की गई समन्वित जल संसाधन प्रबंधन उपागम पर आधारित बहुउद्देशीय परियोजनाओं को जवाहरलाल नेहरू गर्व से ‘आधुनिक भारत के तीर्थ’ कहा करते थे। उनका मानना था कि इन परियोजनाओं से कृषि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, औद्योगीकरण, मनोरंजन और नगरीय अर्थव्यवस्था को समन्वित रूप से विकसित किया जा सकता है।
पिछले कुछ वर्षों में बहुउद्देशीय परियोजनाएँ और बड़े बाँध कई कारणों से हानि और विरोध के विषय भी बन गए हैं। इन परियोजनाओं और बाँधों से नदियों का प्राकृतिक बहाव अवरुद्ध होता है, बाढ़ के कारण मैदानों में इनसे वहाँ उपलब्ध वनस्पति व मिट्टी की उपजाऊ परत जल में डूबकर नष्ट हो जाती है। स्थानीय समुदाय को विस्थापन का कष्ट उठाना पड़ता है।
अतएव बहुउद्देशीय परियोजनाएँ जहाँ एक ओर अनेक लाभ प्रदान करती हैं वहीं इनसे अनेक हानियाँ भी उठानी पड़ती हैं।
प्रश्न 2. बहुउद्देशीय नदी परियोजनाएँ क्या हैं? इनसे क्या लाभ हैं?
उत्तर – बहुउद्देशीय नदी परियोजनाएँ समन्वित जल संसाधन प्रबंधन पर आधारित हैं। देश के चहुँमुखी एवं सर्वांगीण विकास में बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं का सर्वोपरि योगदान होने के कारण भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं० जवाहरलाल नेहरू ने इन्हें आधुनिक भारत के तीर्थ कहा था। बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ भारत के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास की मानदंड हैं। इन परियोजनाओं से एक साथ कई उद्देश्यों की पूर्ति होती है, जिसका विवरण निम्नलिखित है-
(i) पनबिजली का उत्पादन करना,
(ii) बाढ़ पर नियंत्रण करना,
(iii) सिंचाई कार्यों हेतु नहरों का निर्माण एवं विकास करना,
(iv) मत्स्य पालन का विकास करना,
(v) भूमि-क्षरण पर प्रभावी नियंत्रण करना,
(vi) उद्योग-धंधों का विकास करना,
(vii) जल परिवहन का विकास करना,
(viii) दलदली भूमि को सुखाना तथा उसको मानव उपयोग हेतु तैयार करना,
(ix) शुद्ध पेयजल की उत्तम व्यवस्था करना।
प्रश्न 3. जल दुर्लभता क्या है और इसके मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर – यह आश्चर्यजनक है कि पृथ्वी का तीन-चौथाई भाग जल से घिरा है और जल नवीकरण योग्य संसाधन होते हुए भी वर्तमान में जल के उचित प्रबंधन, वितरण तथा जनसंख्या वृद्धि के कारण बढ़ती माँग आदि कारणों से दुर्लभ है। स्वीडन के एक विशेषज्ञ फाल्कन मार्क के अनुसार जल दुर्लभता तब होती है जब प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन 1000 घन मीटर से कम जल उपलब्ध होता है। सामान्यतः जल प्राप्त करने के लिए कठिन परिस्थितियों का सामना करने की दशा को जल दुर्लभता कहा जाता है। महानगरों एवं राजस्थान के मरुस्थल में जल दुर्लभता का अधिक सामना करना पड़ता है।
जल दुर्लभता के कारण- (i) उद्योगों में जल का अधिक उपयोग होता है इसलिए जल की कमी हो रही है।
(ii) तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण भी जल दुर्लभता की समस्या है।
(iii) निजी दोहन संसाधनों से पृथ्वी के आंतरिक क्षेत्र के जल का दोहन जल दुर्लभता का एक प्रमुख कारण है।
प्रश्न 4. राजस्थान के अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण किस प्रकार किया जाता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर – राजस्थान के अर्द्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्रों में विशेषकर बीकानेर, फलौदी और बाड़मेर में लगभग सभी घरों में पीने के लिए वर्षा के जल को संगृहीत करने की व्यवस्था होती है। यहाँ घरों में भूमिगत टैंक अथवा टाँका’ बनाया जाता है। इसका आकार एक कमरे के बराबर होता है। सामान्यतः यह टाँका 6.1 मीटर गहरा, 4.27 मीटर लंबा और 2.44 मीटर चौड़ा होता है। इस टैंक को मुख्य घर या आँगन में बनाया जाता है तथा घरों की ढलवाँ छतों से पाइप द्वारा जोड़ दिया जाता है। इस प्रकार छतों से वर्षा का जल टैंक में एकत्र हो जाता है। यह जल अगली वर्षा ऋतु तक संगृहीत किया जाता है तथा जल की कमी वाले दिनों में इस जल का उपयोग किया जाता है। कुछ घरों में तो टाँकों के साथ भूमिगत कमरे भी बनाए जाते हैं क्योंकि जल का यह स्रोत इन कमरों को भी ठंडा रखता था जिससे ग्रीष्म ऋतु में गर्मी से राहत मिलती है।
प्रश्न 5. स्वच्छ जल को औद्योगिक प्रदूषण से कैसे बचाया जा सकता है? विभिन्न उपायों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- स्वच्छ जल को औद्योगिक प्रदूषण से बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए-
(i) औद्योगिक अपशिष्टों का उचित शोधन व निपटान किया जाना चाहिए।
(ii) औद्योगिक रसायनों को उचित उपचार के बाद ही गौण जल स्रोतों में छोड़ा जाना चाहिए।
(iii) औद्योगिक इकाइयों को प्रमुख जल स्रोतों के किनारे नहीं लगाया जाना चाहिए।
प्रश्न 6. औद्योगीकरण एवं नगरीकरण किस तरह जल संकट हेतु उत्तरदायी हैं?
उत्तर- सन् 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के पश्चात् देश में औद्योगीकरण और नगरीकरण का तेजी से विकास हुआ। उद्योगों की बढ़ती हुई संख्या के कारण अलवणीय जल संसाधनों पर दबाव बढ़ गया है। उद्योगों को अत्यधिक जल के अलावा उनको चलाने के लिए ऊर्जा की भी आवश्यकता होती है। इसकी काफी हद तक पूर्ति जल विद्युत से होती है। शहरों की बढ़ती संख्या और जनसंख्या तथा शहरी जीवन शैली के कारण न केवल जल और ऊर्जा की आवश्यकता में बढ़ोतरी हुई है अपितु इनसे संबंधित समस्याएँ और भी बढ़ी हैं। यदि शहरी आवास समितियों को देखें तो पाएँगे कि उनके अंदर जल आपूर्ति के लिए नलकूप स्थापित किए गए हैं। इस तरह नगरों में जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है और जल दुर्लभता की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारत के असमाप्त होने वाले भौम जल संसाधन का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जल के स्रोत
भूतल पर जल का मूल स्रोत वर्षण है। वर्षण वर्षा और हिमपात के रूप में होता है। जल का कुछ भाग वाष्पीकरण के रूप में पुनः वायुमंडल में विलीन हो जाता है। इसका बहुत बड़ा भाग धरातलीय या भू-पृष्ठीय जल के रूप में बह जाता है। शेष जल रिस-रिसकर भूमि में समा जाता है जिसे भूमिगत जल या भौम जल भी कहते हैं। भारत में औसत वार्षिक वर्षा लगभग 117 सेमी है। थार मरुस्थल में 20 सेमी से भी कम वर्षा होती है। पूर्वी भारत तथा प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिमी तटीय भागों में 200 सेमी से अधिक वर्षा होती है। भारत के शेष भागों में 50 सेमी से 200 सेमी के बीच वर्षा होती है।
धरातल पर स्थित पोखरों, तालाबों, नदियों और जलाशयों में जल पाया जाता है। नदियाँ धरातलीय जल का प्रमुख स्रोत हैं। भारतीय नदियों का औसत वार्षिक प्रवाह लगभग 1869 अरब घन मीटर है। परंतु लगभग 690 अरब घन मीटर जल (36.92%) ही उपयोग के लिए उपलब्ध है। सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र नदियों में 60% पृष्ठीय जल बहता है। जल विभाजक के आधार पर भारत की नदियों को दो वर्गों में बाँटा गया है— हिमालय की नदियाँ और प्रायद्वीपीय नदियाँ । हिमालय की नदियों के उद्गम स्थल हिमानियाँ और हिम क्षेत्र हैं। अतः हिमालय की अधिकांश नदियाँ सदानीरा हैं, जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ पूर्ण रूप से मानसूनी वर्षा पर निर्भर हैं। ये नदियाँ मौसमी हैं। अतः सिंचाई और जलविद्युत निर्माण के लिए इनके जल को संगृहीत करने की आवश्यकता होती है। अभी तक भारत में 147 अरब घन मीटर जल संग्रह करने की क्षमता का ही विकास हो पाया है। यह नदियों के प्रवाहित जल का केवल 8.5% है। इस प्रकार 91.5% से अधिक धरातलीय जल सागरों में चला जाता है।
भारत में भौम जल की संभावित क्षमता लगभग 434 अरब घन मीटर है। इसका अधिकांश भाग भारत के मैदानी भागों में पाया जाता है। अभी तक हम 379% भौम जल का ही उपयोग करने में समर्थ हो सके हैं। इससे निष्कर्ष निकलता है कि 63% भौम जल अभी संगृहीत है जिसका भविष्य में उपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है।
प्रश्न 2. जल संसाधन क्यों आवश्यक है? जल संरक्षण की किन्हीं चार विधियों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर-
जल संसाधन
जीवन के लिए जल अनिवार्य है। पृथ्वी पर विद्यमान समस्त जंतु और वनस्पतियाँ जल के माध्यम से ही अपनी समस्त जैविक गतिविधियाँ सुचारु रूप से संपन्न करते हैं। बिना जल के जैविक गतिविधियों का संपन्न होना असंभव है। अतः जल संसाधन अत्यंत आवश्यक है।
जल संसाधनों का संरक्षण
जल एक अमूल्य प्राकृतिक संसाधन है जिसका संरक्षण किया जाना नितांत आवश्यक है। भारत एक कृषि प्रधान देश है तथा कृषि ही भारत की अर्थव्यवस्था का मूल आधार है कृषि उत्पादन में वृद्धि तथा उसमें स्थायित्व लाया जाना बहुत ही आवश्यक है। सौभाग्यवश हमारे देश में वर्ष भर फसलें उगाने के लिए अनुकूल जलवायु तो है, परंतु मानसूनी वर्षा का वितरण बहुत ही अनियमित, अनिश्चित और असमान है अतः सूखी-प्यासी धरती को सिंचाई द्वारा ही हरा-भरा बनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त घरेलू कार्यों के लिए भी जल संसाधनों के विकास की अधिक आवश्यकता है। यदि खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि का प्रयास किया जाता है तो उसके साथ-साथ जल संसाधनों में भी वृद्धि करना अपरिहार्य है क्योंकि सिंचन साधनों में वृद्धि करने से ही खाद्यान्न उत्पादन में अपेक्षित सफलता प्राप्त की जा सकती है इन सभी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए जल संसाधनों का संरक्षण किया जाना आवश्यक है। जल के कुशल प्रबंधन के लिए उसके संरक्षण की चार विधियाँ निम्नलिखित हो सकती हैं-
(i) जन-जागरण करना और जल के संरक्षण एवं उसके कुशल प्रबंधन से संबंधित सभी क्रियाकलापों में जन सामान्य को सम्मिलित करना।
(ii) बागवानी, वाहनों की धुलाई, शौचालयों और वाश बेसिनों में जल के उपयोग में कमी लाना।
(iii) जलाशयों को प्रदूषण से बचाना। एक बार प्रदूषित होने पर जलाशय वर्षों बाद पुनः उपयोगी हो पाते हैं।
(iv) जल की बरबादी तथा जल प्रदूषण को रोकने के लिए जल की पाइपलाइनों की तत्काल मरम्मत करना।
इस प्रकार जल को किसी भी प्रकार नष्ट होने से बचाना ही जल संरक्षण है। परंतु जल संरक्षण के लिए सभी क्षेत्रों में एक जैसे उपाय लागू नहीं किए जा सकते हैं। क्षेत्र विशेष के जल संसाधनों के विकास और प्रबंधन के लिए क्षेत्र से संबंधित स्थानीय जन सामान्य की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है।
प्रश्न 3. “भारत में जल की उपलब्धता प्रचुर मात्रा में होते हुए भी देश के बहुत से हिस्सों में जल की कमी महसूस की जाती है। उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- इस बात में कोई संदेह नहीं कि भारत में जल की उपलब्धता प्रचुर मात्रा में होते हुए भी कृत्रिम सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है जिसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
(i) भारत की लगभग संपूर्ण वर्षा मानसून पवनों पर निर्भर होती है। इस वर्षा पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। यह वर्षा न तो लगातार होती है और न ही नियमित रूप से होती है।
(ii) कुल वर्षा भी प्रतिवर्ष एक जैसी नहीं होती। किसी एक वर्ष में मानसून पवनों से वर्षा की होने वाली मात्रा कम या अधिक होना इस बात पर निर्भर करती है कि बंगाल की खाड़ी में बनने वाले निम्न दाब
क्षेत्र कितने सबल होते हैं और कितने अंतर के बाद बनते हैं।
(ii) मानसून पवनों से होने वाली वर्षा का वितरण भी समान नहीं होता। कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा होती है तो कुछ क्षेत्र बिलकुल शुष्क रह जाते हैं। एक साथ अनेक स्थानों पर बाढ़ आ जाती है जबकि कुछ अन्य स्थान अकाल के घेरे में आ जाते हैं। सिंचाई के साधनों द्वारा हम बाढ़ और अकाल दोनों परिस्थितियों पर नियंत्रण रख सकते हैं।
(iv) भारत के कुछ भाग ऐसे हैं जहाँ वर्षा न के बराबर होती है। राजस्थान इसका प्रमुख उदाहरण है। ऐसे भागों में सिंचाई पर निर्भर रहने के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं है।
(v) कुछ फसलें ऐसी हैं जिन्हें पानी की अधिक आवश्यकता होती है जैसे गन्ना, चावल आदि ऐसी फसलों को निरंतर पानी देने के लिए सिंचाई के अतिरिक्त और कोई तरीका ही नहीं होता।
प्रश्न 4. नदी घाटी परियोजनाओं की विशिष्टताओं एवं कमियों का विश्लेषण कीजिए ।
उत्तर- स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् देश के सर्वांगीण विकास के लिए नदी घाटियों के व्यापक विकास के लिए अनेक उद्देश्यों की एक साथ पूर्ति करने वाली नदी घाटी परियोजनाएँ बनाई गई हैं। इन्हें बहुउद्देशीय परियोजनाएँ (Multi-purpose Projects) भी कहते हैं। भारत में नदियों का जाल-सा बिछा है। स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व इन नदियों का विशाल जल व्यर्थ ही समुद्रों में मिल जाता था। उस समय हम अपनी नदियों के जल का केवल 6% भाग ही सिंचाई आदि कार्यों में प्रयोग कर पाते थे, शेष 94% जल बेकार चला जाता था। अतः व्यर्थ ही बहकर जाने वाले इस जल का अधिकाधिक उपयोग करने की दृष्टि से भारत सरकार ने नदी घाटी परियोजनाएँ विकसित करने का निर्णय लिया। इन नदी घाटी परियोजनाओं का निर्माण संयुक्त राज्य अमेरिका की टैनेसी नदी घाटी परियोजना के आधार पर किया गया है।
भारत में स्वतंत्रता के बाद शुरू की गई समन्वित जल संसाधन प्रबंधन उपागम पर आधारित बहुउद्देशीय परियोजनाओं को जवाहरलाल नेहरू गर्व से ‘आधुनिक भारत के तीर्थ’ कहा करते थे। उनका मानना था कि इन परियोजनाओं से कृषि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, औद्योगीकरण, मनोरंजन और नगरीय अर्थव्यवस्था को समन्वित रूप से विकसित किया जा सकता है।
पिछले कुछ वर्षों में बहुउद्देशीय परियोजनाएँ और बड़े बाँध कई कारणों से हानि और विरोध के विषय भी बन गए हैं। इन परियोजनाओं और बाँधों से नदियों का प्राकृतिक बहाव अवरुद्ध होता है, बाढ़ के कारण मैदानों में वहाँ उपलब्ध वनस्पति व मिट्टी की उपजाऊ परत जल में डूबकर नष्ट हो जाती हैं। स्थानीय समुदाय को विस्थापन का कष्ट उठाना पड़ता है।
अतएव बहुउद्देशीय परियोजनाएँ जहाँ एक और अनेक लाभ प्रदान करती हैं वहीं इनसे अनेक हानियाँ भी उठानी पड़ती हैं।
मानचित्र संबंधी प्रश्न
प्रश्न 1. भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित बाँधों को दर्शाइए-
(i) सलाल (चिनाब नदी पर निर्मित एक बाँध)
(ii) भाखड़ा नांगल
(iii) टिहरी बाँध
(iv) राणा प्रताप सागर
(v) सरदार सरोवर
(vi) हीराकुड
(vii) नागार्जुन सागर
(viii) तुंगभद्रा
उत्तर-