Chapter 12 अनयोक्त्यः हिन्दी अनुवाद

Chapter 12 अनयोक्त्यः पाठ परिचय : अन्योक्ति अर्थात् किसी की प्रशंसा अथवा निन्दा अप्रत्यक्ष रूप से अथवा किसी बहाने से करना। जब किसी प्रतीक या माध्यम से किसी के गुण की प्रशंसा या दोष की निन्दा की जाती है, तब वह पाठकों के लिए अधिक ग्राह्य होती है। प्रस्तुत पाठ में ऐसी ही सात अन्योक्तियों […]

Chapter 11 प्राणेभ्योऽपि प्रियः सुह्रद् हिन्दी अनुवाद

Chapter 11 प्राणेभ्योऽपि प्रियः सुह्रद् पाठ परिचय :  प्रस्तुत नाट्यांश महाकवि विशाखदत्त द्वारा रचित ‘मुद्राराक्षसम्’ नामक नाटक के प्रथम अङ्क से उद्धृत किया गया है। नन्दवंश का विनाश करने के बाद उसके हितैषियों को खोज-खोजकर पकड़वाने के क्रम में चाणक्य अमात्य राक्षस एवं उसके कुटुम्बियों की जानकारी प्राप्त करने के लिए चन्दनदास से वार्तालाप करता […]

Chapter 10 भूकंपविभीषिका हिन्दी अनुवाद

Chapter 10 भूकंपविभीषिका पाठ परिचय : प्रस्तुत पाठ हमारे वातावरण में होने वाले प्रकोपों (आपदाओं) में सबसे प्रमुख भूकम्प की भयानकता को प्रकाशित करता है। प्रकृति में होने वाली आपदाएँ भयंकर प्रलय को उत्पन्न करके मानव-जीवन को अत्यन्त त्रस्त कर देती हैं, उनसे प्राणियों का सुखमय जीवन दुःखमय हो जाता है। इन आपदाओं में प्रमुख […]

Chapter 9 सूक्तयः हिन्दी अनुवाद

Chapter 9 सूक्तयः पाठ परिचय : यह पाठ मूलरूप से तमिल भाषा में रचित ‘तिरुक्कुरल’ नामक ग्रन्थ से लिया गया है। तिरुक्कु साहित्य की उत्कृष्ट रचना है। इसे तमिल भाषा का ‘वेद’ माना जाता है। इसके प्रणेता तिरुवल्लुवर हैं। इनका काल प्रथम शताब्दी माना गया है। इसमें मानवजाति के लिए जीवनोपयोगी सत्य प्रतिपादित है। ‘तिरु’ […]

Chapter 8 विचित्रः साक्षी हिन्दी अनुवाद

Chapter 8 विचित्रः साक्षी पाठ परिचय :  प्रस्तुत पाठ श्री ओमप्रकाश ठाकुर द्वारा रचित कथा का सम्पादित अंश है। यह कथा बंगला के प्रसिद्ध साहित्यकार बंकिमचन्द्र चटर्जी द्वारा न्यायाधीश-रूप में दिये गये फैसले पर आधारित है। सत्यासत्य के निर्णय हेतु न्यायाधीश कभी-कभी ऐसी युक्तियों का प्रयोग करते हैं जिससे साक्ष्य के अभाव में भी न्याय […]

Chapter 7 सौहार्दं प्रकृतेः शोभा हिन्दी अनुवाद

Chapter 7 सौहार्दं प्रकृतेः शोभा पाठ परिचय :  आजकल हम यहाँ-वहाँ सभी जगह देखते हैं कि समाज में प्रायः सभी स्वयं को श्रेष्ठ समझते हुए परस्पर एक-दूसरे का तिरस्कार कर रहे हैं। सामान्यतः पारस्परिक व्यवहार में दूसरों के कल्याण के विषय में तो सोच ही नहीं रह गई। सभी स्वार्थ-साधना में ही लगे हुए हैं […]

Chapter 6 सुभाषितानि हिन्दी अनुवाद

Chapter 6 सुभाषितानि पाठ परिचय : संस्कृत कृतियों के जिन पद्यों या पद्यांशों में सार्वभौम सत्य को बड़े मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है, उन पद्यों को सुभाषित कहते हैं। प्रस्तुत पाठ ऐसे 10 सुभाषितों का संग्रह है जो संस्कृत के विभिन्न ग्रंथों से संकलित हैं। इनमें परिश्रम का महत्त्व, क्रोध का दुष्प्रभाव, सभी […]

Chapter 5 जननी तुल्यवत्सला हिन्दी अनुवाद

Chapter 5 जननी तुल्यवत्सला पाठ परिचय :  प्रस्तुत पाठ महर्षि वेदव्यास विरचित ऐतिहासिक ग्रन्थ महाभारत के वनपर्व से लिया गया है। यह कथा सभी जीव-जन्तुओं के प्रति समदृष्टि की भावना जगाती है। समाज में दुर्बल लोगों अथवा जीवों के प्रति भी माँ की ममता प्रगाढ़ होती है, यह इस पाठ का अभिप्रेत है।  पाठ के […]

Chapter 4 शिशुलालनम् हिन्दी अनुवाद

Chapter 4 शिशुलालनम् पाठ परिचय :  प्रस्तुत पाठ संस्कृत के प्रसिद्ध नाटक ‘कुन्दमाला’ के पंचम अङ्क से सम्पादित करके लिया गया है। इसके रचयिता प्रसिद्ध नाटककार दिङ्नाग हैं। इस नाट्यांश में राम अपने दोनों पुत्रों कुश और लव को सिंहासन पर बैठाना चाहते हैं किन्तु वे दोनों अतिशालीनतापूर्वक मना करते हैं। सिंहासनारूढ़ राम उन दोनों […]

Chapter 3 व्यायामः सर्वदा पथ्यः हिन्दी अनुवाद

Chapter 3 व्यायामः सर्वदा पथ्यः कठिन शब्दार्थ, हिन्दी अनुवाद एवं व्याख्या पाठ परिचय – प्रस्तुत पाठ आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रन्थ ‘सुश्रुतसंहिता’ के चिकित्सा स्थान में वर्णित 24वें अध्याय से संकलित है। इसमें आचार्य सुश्रुत ने व्यायाम की परिभाषा बताते हुए उससे होने वाले लाभों की चर्चा की है।  शरीर में सुगठन, कान्ति, स्फूर्ति, सहिष्णुता, नीरोगता […]

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