Chapter 12 वाडमनःप्राणस्वरूपम् Hindi Translation
Chapter 12 वाडमनःप्राणस्वरूपम् पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ छान्दोग्योपनिषद् के छठे अध्याय के पञ्चम खण्ड पर आधारित है। इसमें मन, प्राण तथा वाक् (वाणी) के संदर्भ में रोचक विवरण प्रस्तुत किया गया है। उपनिषद् के गूढ़ प्रसंग को बोधगम्य बनाने के उद्देश्य से इसे आरुणि एवं श्वेतकेतु के संवादरूप में प्रस्तुत किया गया है। आर्ष-परम्परा में ज्ञान-प्राप्ति […]
Chapter 11 पर्यावरणम् Hindi Translation
Chapter 11 पर्यावरणम् पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ्यांश पर्यावरण को ध्यान में रखकर लिखा गया एक लघु निबन्ध है। वर्तमान युग में प्रदूषित | वातावरण मानव-जीवन के लिए भयङ्कर अभिशाप बन गया है। नदियों का जल कलुषित हो रहा है, वन वृक्षों से रहित हो रहे हैं, मिट्टी का कटाव बढ़ने से बाढ़ की समस्याएं बढ़ती […]
जटायोः शौर्यम् Hindi Translation
जटायोः शौर्यम् पाठपरिचय – प्रस्तुत पाठ्यांश आदिकवि वाल्मीकि-प्रणीत रामायणम् के अरण्यकाण्ड से उद्धृत किया गया है जिसमें जटायु और रावण के युद्ध का वर्णन है। पंचवटी कानन में सीता का करुण विलाप सुनकर पक्षिश्रेष्ठ जटायु उनकी रक्षा के लिए दौड़े। वे रावण को परदाराभिमर्शनरूप निन्द्य एवं दुष्कर्म से विरत होने के लिए कहते हैं। रावण […]
Chapter 9 सिकतासेतुः Hindi Translation
Chapter 9 सिकतासेतुः पाठ-परिचय – प्रस्तुत नाट्यांश सोमदेवरचित कथासरित्सागर के सप्तम लम्बक (अध्याय) पर आधारित है। यहाँ तपोबल से विद्या पाने के लिए प्रयत्नशील तपोदत्त नामक एक बालक की कथा का वर्णन है। उसके समुचित मार्गदर्शन के लिए वेश बदलकर इन्द्र उसके पास आते हैं और पास ही गंगा में बालू से सेतु-निर्माण के कार्य […]
Chapter 8 लौहतुला Hindi Translation
Chapter 8 लौहतुला पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ विष्णुशर्मा द्वारा रचित ‘पञ्चतन्त्रम्’ नामक कथा-ग्रन्थ के ‘मित्रभेद’ नामक तन्त्र से सङ्कलित है। इसमें विदेश से लौटकर जीर्णधन नामक व्यापारी अपनी धरोहर (तराजू) को सेठ से माँगता है। ‘तराजू चूहे खा गये हैं’ ऐसा सुनकर जीर्णधन उसके पुत्र को स्नान के बहाने नदी तट पर ले जाकर गुफा […]
Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम् Hindi Translation
Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम् पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ भास रचित ‘पञ्चरात्रम्’ नामक नाटक से सम्पादित कर लिया गया है। दुर्योधन आदि कौरव वीरों ने राजा विराट की गायों का अपहरण कर लिया। विराट-पुत्र उत्तर बृहन्नला (छद्मवेषी अर्जुन) को सारथी बनाकर कौरवों से युद्ध करने जाता है। कौरवों की ओर से अभिमन्यु (अर्जुन-पुत्र) भी युद्ध करता है। […]
Chapter 6 भ्रान्तो बालः Hindi Translation
Chapter 6 भ्रान्तो बालः पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ ‘संस्कृत प्रौढपाठावलिः’ नामक ग्रन्थ से सम्पादित कर लिया गया है। इस कथा में एक ऐसे बालक का चित्रण है, जिसका मन अध्ययन की अपेक्षा खेल-कूद में लगा रहता है। यहाँ तक कि वह खेलने के लिए पशु-पक्षियों तक का आवाहन (आह्वान) करता है किन्तु कोई उसके साथ […]
Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् Hindi Translation
Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम् पाठ-परिचय – संस्कृत साहित्य में नीति-ग्रन्थों की समृद्ध परम्परा है। इनमें सारगर्भित और सरल रूप में नैतिक शिक्षाएँ दी गई हैं, जिनका उपयोग करके मनुष्य अपने जीवन को सफल और समृद्ध बना सकता है। ऐसे ही मनोहारी और बहुमूल्य सुभाषित यहाँ संकलित हैं, जिनमें सदाचरण की महत्ता, प्रियवाणी की आवश्यकता, परोपकारी पुरुष […]
Chapter 4 कल्पतरूः Hindi Translation
Chapter 4 कल्पतरूः पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ ‘वेतालपञ्चविंशतिः’ नामक कथा-संग्रह से लिया गया है, जिसमें मनोरञ्जक एवं आश्चर्यजनक घटनाओं के माध्यम से जीवन-मूल्यों का निरूपण किया गया है। इस कथा में जीमूतवाहन अपने पूर्वजों के काल से गृहोद्यान में आरोपित कल्पवृक्ष से सांसारिक द्रव्यों को न माँगकर संसार के प्राणियों के दुःखों को दूर करने […]
Chapter 3 गोदोहनम् Hindi Translation
Chapter 3 गोदोहनम् पाठ-परिचय – यह नाट्यांश कृष्णचन्द्र त्रिपाठी महोदय द्वारा रचित ‘चतुर्म्यहम्’ नामक पुस्तक से संक्षिप्त करके और सम्पादित करके उद्धृत किया गया है। इस नाटक में एक ऐसे व्यक्ति का कथानक है जो धनवान् और सुखी बनने की इच्छा से अपनी गाय से एक महीने तक दूध निकालना बन्द कर देता है, जिससे […]