Chapter 7 छाया मत छूना
Chapter 7 छाया मत छूना प्रश्न 1. कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है? उत्तर- कवि ने यथार्थ के पूजन की बात इसलिए कही है क्योंकि यथार्थ ही जीवन की सच्चाई है। बीते समय की सुखद यादों में खोए रहने से वर्तमान का यथार्थ अच्छा नहीं बन जाता। वर्तमान में हमारे […]
Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल
Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल प्रश्न 1. बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? उत्तर- बच्चे की दंतुरित मुसकान को देखकर कवि का मन अत्यंत प्रसन्न हो उठा। प्रवास पर रहने के कारण वह शिशु को पहली बार देखता है तो उसकी दंतुरित मुसकान पर मुग्ध हो […]
Chapter 5 उत्साह और अट नहीं रही
Chapter 5 उत्साह और अट नहीं रही प्रश्न 1.कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने के लिए कहता है, क्यों?उत्तर-बच्चे की दंतुरित मुसकान को देखकर कवि का मन प्रसन्न हो उठता है। उसके उदास-गंभीर मन में जान आ जाती है। उसे ऐसे लगता है मानो उसकी झोंपड़ी में कमल के फूल […]
Chapter 4 आत्मकथ्य
Chapter 4 आत्मकथ्य प्रश्न 1. कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है? उत्तर- कवि बादलों को क्रांति का सूत्रधार मानता है। वह उससे पौरुष दिखाने की कामना करता है। इसलिए वह उसे गरजने-बरसने के लिए बुलाता है, न कि फुहार छोड़ने, रिमझिम बरसने या केवल बरसने के लिए। कवि तापों और दुखों को दूर करने […]
Chapter 3 सवैया और कवित्त
Chapter 3 सवैया और कवित्त प्रश्न 1. कवि ने ‘श्रीब्रजदूलह’ किसके लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक क्यों कहा है? उत्तर- कवि आत्मकथा लिखने से इसलिए बचना चाहता है, क्योंकि उसमें मन की दुर्बलताओं, भूलों और कमियों का उल्लेख करना होगा। उसके द्वारा धोखा देने वालों की पोल-पट्टी खुलेगी और […]
Chapter 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
Chapter 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद प्रश्न 1.परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए?उत्तर-कवि ने ‘श्री ब्रजदूलह’ ब्रज-दुलारे कृष्ण के लिए प्रयुक्त किया है। वे सारे संसार में सबसे सुंदर, सजीले, उज्ज्वल और महिमावान हैं। जैसे मंदिर में ‘दीपक’ सबसे उजला और प्रकाशवान होता है। उसके होने […]
Chapter 1 पद
Chapter 1 पद प्रश्न 1.गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?उत्तर-गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में वक्रोक्ति है। वे दीखने में प्रशंसा कर रही हैं किंतु वास्तव में कहना चाह रही हैं कि तुम बड़े अभागे हो कि प्रेम का अनुभव नहीं कर सके। न किसी के हो सके, न […]