Chapter 1 परिमेय संख्याएँ
पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 02
संवृत
प्रश्न 1.
प्राकृत संख्याओं के लिए सभी चार संक्रियाओं के अन्तर्गत संवृत गुण की जाँच कीजिए।
1. योग:
यदि a और b दो पूर्ण संख्याएँ हैं तो a + b भी एक पूर्ण संख्या होगी।
प्रश्न 1.
4 + 7 = …… क्या यह एक पूर्ण संख्या
हल:
4 + 7 = 11; हाँ, यह एक पूर्ण संख्या है।
जाँच:
अतः पूर्ण संख्याएँ योग के अन्तर्गत संवृत हैं उत्तर
2. व्यवकलन:
यदि a और b दो प्राकृत संख्याएँ इस प्रकार हैं कि a > b, तब a – b = प्राकृत संख्या होगी। यदि a < b या a = b, तो a-b प्राकृत संख्या नहीं होगी।
जाँच:
अतः पूर्ण संख्याएँ व्यवकलन के अन्तर्गत संवृत नहीं हैं।
3. गुणन:
यदि a तथा b कोई दो पूर्ण संख्याएँ हैं, तो उनका गुणनफल भी एक पूर्ण संख्या होती है।
प्रश्न 1.
3 x 7 = …. क्या यह एक पूर्ण संख्या है?
हल:
3 x 7 = 21 ; हाँ, यह एक पूर्ण संख्या है।
जाँच:
अतः पूर्ण संख्याएँ गुणन के अन्तर्गत संवृत हैं।
4. भाग:
यदि a तथा b दो प्राकृत संख्याएँ हैं, तो यह आवश्यक नहीं कि a ÷ b प्राकृत संख्या होगी।
जाँच:
अतः पूर्ण संख्याएँ भाग के अन्तर्गत संवृत नहीं हैं।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 02-03
पूर्णांक
1. योग
प्रश्न 1.
क्या – 7 + (-5) एक-पूर्णांक है?
हल:
– 7 + (-5) = – 7 – 5 = – 12; हाँ, यह एक पूर्णांक।
प्रश्न 2.
क्या 8 + 5 एक पूर्णांक है?
हल:
8 + 5 = 13; हाँ, यह एक पूर्णांक है। अतः पूर्णांक योग के अन्तर्गत संवृत हैं।
2. व्यवकलन
प्रश्न 1.
क्या 5 – 7 एक पूर्णांक है?
हल:
5 – 7 = – 2; हाँ, यह एक पूर्णांक हैं।
प्रश्न 2.
क्या 8 – (-6) एक पूर्णांक है?
हल:
8 – (-6) = 8 + 6 = 4; हाँ, यह एक पूर्णांक है।
प्रश्न 3.
जाँच कीजिए कि क्या b – a भी एक पूर्णांक है?
हल:
हाँ, (b – a) भी एक पूर्णांक है। अतः पूर्णांक व्यवकलन के अन्तर्गत संवृत है।
3. गुणन
प्रश्न 1.
क्या – 5 x 8 एक पूर्णांक है?
हल:
– 5 x 8 = – 40; हाँ, यह एक पूर्णांक है। अतः पूर्णांक गुणन के अन्तर्गत संवृत है।
4. भाग
प्रश्न 1.
क्या 5 + 8 एक पूर्णांक है?
हल:
5 + 8 = है, यह एक पूर्णांक नहीं है। अतः पूर्णांक भाग के अन्तर्गत संवृत नहीं है।
परिमेय संख्याएँ
(a) क्या आप जानते हैं कि परिमेय संख्याओं को कैसे जोड़ा जाता है?
प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
(b)
प्रश्न 1.
क्या दो परिमेय संख्याओं का अन्तर भी एक परिमेय संख्या होगा?
उत्तर:
हाँ, दो परिमेय संख्याओं का अन्तर भी एक परिमेय संख्या होगा।
प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
प्रश्न 2.
परिमेय संख्याओं के कुछ और युग्म लीजिए और जाँच कीजिए कि उनका गुणनफल भी एक परिमेय संख्या है।
हल:
प्रश्न 3.
क्या आप कह सकते हैं कि परिमेय संख्याएँ भाग के अन्तर्गत संवृत हैं?
उत्तर:
किसी संख्या a के लिए a ÷ 0 परिभाषित नहीं है। अतः परिमेय संख्याएँ भाग के अन्तर्गत संवृत नहीं हैं। तथापि, यदि हम शून्य को शामिल न करें तो दूसरी सभी परिमेय संख्याओं का समूह, भाग के अन्तर्गत संवत है।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 05
प्रयास कीजिए (क्रमांक 1.1)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित सारणी में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
उत्तर:
क्रमविनिमेयता
(i) पूर्ण संख्याएँ
प्रश्न 1.
निम्नलिखित सारणी के रिक्त स्थानों को भरते हुए विभिन्न संक्रियाओं के अन्तर्गत पूर्ण संख्याओं की क्रमविनिमेयता का स्मरण कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
जाँच कीजिए कि क्या प्राकृतिक संख्याओं के – लिए भी ये संक्रियाएँ क्रमविनिमेय हैं?
उत्तर:
(ii) पूर्णांक
प्रश्न 1.
निम्नलिखित सारणी के रिक्त स्थानों को भरिए और पूर्णांकों के लिए विभिन्न संक्रियाओं की क्रमविनिमेयता जाँचिए।
उत्तर:
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 06
(iii) परिमेय संख्याएँ
(a) योग:
प्रश्न 1.
हल:
(i)
(ii)
अतः परिमेय संख्याओं के लिए योग क्रम- विनिमेय है।
(b) व्यवकलन:
प्रश्न 1.
हल:
(i)
(ii)
स्पष्ट है कि परिमेय संख्याओं के लिए व्यवकलन क्रमविनिमेय नहीं है।
(c) गुणन:
हल:
प्रश्न 2.
कुछ और गुणनफलों के लिए जाँच कीजिए।
हल:
(i)
(ii)
अतः परिमेय संख्याओं के लिए गुणन क्रमविनिमेय है।
(d) भाग:
प्रश्न 1.
हल:
हम पाते हैं कि दोनों पक्षों के व्यंजक समान नहीं हैं। अतः परिमेय संख्याओं के लिए भाग क्रमविनिमेय नहीं है।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 07
प्रयास कीजिए (क्रमांक 1.2)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित सारणी को पूरा कीजिए –
उत्तर:
(i) पूर्ण संख्याएँ –
प्रश्न 1.
इस सारणी को भरिए और अन्तिम स्तम्भ में दी गई टिप्पणियों को सत्यापित कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
प्राकृत संख्याओं के लिए विभिन्न संक्रियाओं की साहचर्यता की स्वयं जाँच कीजिए।
उत्तर:
(ii) पूर्णांक
प्रश्न 1.
पूर्णांकों के लिए चार संक्रियाओं की साहचर्यता निम्नलिखित सारणी से देखी जा सकती है –
उत्तर:
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 08
(iii) परिमेय संख्याएँ
(a) योग
प्रश्न 1.
हल:
प्रश्न 2.
कुछ और परिमेय संख्याएँ लीजिए। उपर्युक्त उदाहरणों की तरह उन्हें जोड़िए और देखिए कि क्या दोनों योग समान हैं?
हल:
(i)
(ii)
हम पाते हैं कि दोनों योग समान हैं। अतः परिमेय संख्याओं के लिए योग साहचर्य है।
अर्थात् किन्हीं तीन परिमेय संख्याओं a, b तथा c के लिए a + (b + c) = (a + b) + c.
(b) व्यवकलन
प्रश्न 1.
हल:
अतः परिमेय संख्याओं के लिए व्यवकलन साहचर्य नहीं है।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 09
(c) गुणन
प्रश्न 1.
हल:
प्रश्न 2.
हल:
हम पाते हैं कि परिमेय संख्याओं के लिए गुणन साहचर्य है। अर्थात् किन्हीं तीन परिमेय संख्याओं a, b तथा c के लिए ax (bx c)= (ax b) x c.
(d) भाग
प्रश्न 1.
हल:
अतः बायाँ पक्ष ≠ दायाँ पक्ष
स्पष्ट है कि परिमेय संख्याओं के लिए भाग साहचर्य नहीं है।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 10
प्रयास कीजिए (क्रमांक 1.3)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित सारणी को पूरा कीजिए
उत्तर:
प्रश्न 2.
क्या आप सोचते हैं कि क्रमविनिमेयता और साहचर्यता के गुणधर्मों की सहायता से परिकलन आसान हो गया है?
उत्तर:
हाँ, वास्तव में क्रमविनिमेयता और साहचर्यता के गुणधर्मों की सहायता से परिकलन आसान हो गया है।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 11
शून्य (0) की भूमिका
प्रश्न 1.
निम्नलिखित पर विचार कीजिए –
प्रश्न 2.
ऐसे कुछ और योग ज्ञात कीजिए। आप क्या देखते हैं?
हल:
हम देखते हैं कि किसी पूर्ण संख्या अथवा पूर्णांक अथवा परिमेय संख्याओं में शून्य जोड़ा जाता है तो वही संख्या प्राप्त होती है।
अतः पूर्ण संख्याओं, पूर्णांकों और परिमेय संख्याओं के योग के लिए शून्य योज्य तत्समक है।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 12
1 की भूमिका
प्रश्न 1.
हम पाते हैं कि 5 x 1 = 5 = 1 x 5 (पूर्ण संख्या के साथ 1 का गुणन) –
आप क्या पाते हैं? कुछ और परिमेय संख्याओं के लिए इसकी जाँच कीजिए।
हल:
कुछ और गुणनफल इस प्रकार है –
हम पाते हैं कि किसी परिमेय संख्या a के लिए 1 गुणनात्मक तत्समक है।
a x 1 = 1 x a = a
प्रश्न 2.
क्या 1 पूर्णांकों और पूर्ण संख्याओं के लिए भी गुणनात्मक तत्समक है?
उत्तर:
हाँ, 1 पूर्णांकों और पूर्ण संख्याओं के लिए भी गुणनात्मक तत्समक है।
सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए –
प्रश्न 1.
यदि कोई गुणधर्म परिमेय संख्याओं के लिए सत्य है तो क्या वह गुणधर्म पूर्णांकों, पूर्ण संख्याओं के लिए भी सत्य होगा? कौन-से गुणधर्म इनके लिए सत्य होंगे और कौन-से सत्य नहीं होंगे?
उत्तर:
हाँ, वे गुणधर्म जो परिमेय संख्याओं के लिए सत्य हैं, तो वे गुणधर्म पूर्णांकों और पूर्ण संख्याओं के लिए भी सत्य हैं।
- पूर्णांकों और पूर्ण संख्याओं के लिए व्यवकलन और भाग साहचर्य नहीं हैं।
- पूर्णांकों और पूर्ण संख्याओं के लिए व्यवकलन और भाग संवृत नहीं हैं।
- पूर्णांकों और पूर्ण संख्याओं के लिए व्यवकलन और भाग क्रमविनिमेय नहीं हैं।
एक संख्या का ऋणात्मक
प्रश्न 1.
हुल:
अत: का योज्य प्रतिलोम तथा −() का योज्य प्रतिलोम है।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 14
प्रयास कीजिए (क्रमांक 1.4)
प्रश्न 1.
वितरकता के उपयोग से निम्नलिखित का मान ज्ञात कीजिए –
हल:
वितरकता के अन्तर्गत हम एक गुणनफल को दो गुणनफलों के योग अथवा अन्तर के रूप में विभक्त करते हैं।
(i)
(ii)