Chapter 1 पांडुलिपि चित्रकला की परंपरा

Chapter 1 पांडुलिपि चित्रकला की परंपरा

Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
पाण्डुलिपि चित्रकला क्या है? दो स्थानों के नाम लिखिए, जहाँ पाण्डुलिपि चित्रकला की परम्परा विद्यमान थी।
उत्तर:
पाण्डुलिपि चित्रकला से आशय-पाण्डुलिपि चित्रकला में चित्रों के उस बड़े भाग को उद्धृत किया जाता है जब वे चित्र महाकाव्यों, विभिन्न सिद्धान्तों, साहित्यिक कविताओं, संगीत के हस्तलिखित पाठों से लिये गए कवि की कविता या गीतों को चित्रों के रूप में अनुवादित किया जाता है तथा उस चित्र के सबसे ऊँचे भाग में एक बॉक्स जैसे भाग में सीमांकित करते हुए कवि की उस शब्दावली को सुन्दर हस्तलिपि में दर्शाया जाता है। कभी-कभी यह लिखित शब्दावली कला कार्य अर्थात् चित्र के सामने न लिखकर उसके पृष्ठ भाग में लिखी जाती है। पाण्डुलिपि चित्रों को सिद्धान्ततः विषयवस्तु के समूह के रूप में माना गया है। प्रत्येक समूह में अनेक चित्र या पृष्ठ समाहित होते हैं। चित्रों का प्रत्येक पृष्ठ समानान्तर अध्याय रखता है। इस प्रकार प्रत्येक पाण्डुलिपि चित्रकला में रामायण या भागवत पुराण या महाभारत या गीत गोविन्द, राग माला आदि के चित्रों के अनुसार समूह हैं। प्रत्येक समूह को कपड़े के एक टुकड़े में समेटकर संरक्षक के पुस्तकालय के एक बण्डल में संचित किया जाता है। 

भारत के (1) पश्चिमी क्षेत्र गुजरात, राजस्थान के दक्षिणी भाग और मध्य भारत के पश्चिमी भाग तथा (2) पूर्वी क्षेत्र में पाल शासकों तथा नालन्दा विश्वविद्यालय व विक्रमशिला मठ में इस कला की परम्परा विद्यमान थी। 

प्रश्न 2.
हमारी किसी भाषा की पाठ्यपुस्तक से एक अध्याय लें तथा कम से कम पाँच पृष्ठों में चुनी गई पाठ्यवस्तु के साथ एक इलस्ट्रेटेड फोलियो बनाएँ। 
उत्तर:
इसे विद्यार्थी अपने शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

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