Chapter 1 Democracy in the Contemporary World
प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1. इनमें से किससे लोकतंत्र के विस्तार में मदद नहीं मिलती ?
(क) लोगों का संघर्ष
(ख) विदेशी शासन द्वारा आक्रमण
(ग) उपनिवेशवाद का अंत
(घ) लोगों की स्वतंत्रता की चाह
उत्तर : (ख) विदेशी शासन द्वारा आक्रमण
प्रश्न 2. आज की दुनिया के बारे में इनमें से कौन-सा कथन सही है?
(क) राजशाही शासन की वह पद्धति है जो अब समाप्त हो गई है।
(ख) विभिन्न देशों के बीच संबंध पहले के किसी वक्त से अब कहीं ज्यादा लोकतांत्रिक हैं।
(ग) आज पहले के किसी दौर से ज्यादा देशों में शासकों का चुनाव लोगों के द्वारा हो रहा है।
(घ) आज दुनिया में सैनिक तानाशाह नहीं रह गए हैं।
उत्तर : (ग) आज पहले के किसी दौर से ज्यादा देशों में शासकों का चुनाव लोगों के द्वारा हो रहा है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित वाक्याशों में से किसी एक का चुनाव करके इस वाक्य को पूरा कीजिए। अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में लोकतंत्र की जरूरत है ताकि
(क) अमीर देशों की बातों का ज्यादा वजन हो।
(ख) विभिन्न देशों की बातों का वजन उनकी सैन्य शक्ति के अनुपात में हो।
(ग) देशों को उनकी आबादी के अनुपात में सम्मान मिले।
(घ) दुनिया के सभी देशों के साथ समान व्यवहार हो।
उत्तर : (घ) दुनिया के सभी देशों के साथ समान व्यवहार हो।
प्रश्न 4. आज की दुनिया के बारे में इनमें से कौन-सा कथन सही है ?
उत्तर :
5. गैर-लोकतांत्रिक शासन वाले देशों में लोगों को किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है ? इस अध्याय में दिए गए उदाहरणों के आधार पर इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर : गैर-लोकतांत्रिक शासन वाले देश बहुत सी कठिनाइयों का सामना करते हैं। गैर-लोकतांत्रिक देशों में लोग आजादी से अपने नेता नहीं चुन सकते, वे शासन कर रहे लोगों की अनुमति के बिना राजनैतिक दलों का गठन नहीं कर सकते। वे वास्तविक आजादी का आनंद नहीं उठा पाते। कुछ चरम मामलों में प्राधिकारियों का विरोध करने वाले लोगों को सताया जाता है और मार दिया जाता है। चिले में 1973 का सैनिक तख्तापलट तथा पोलैंड की कम्युनिस्ट सरकार जिसने 1990 तक शासन किया, दमनकारी गैर-लोकतांत्रिक शासन के उदाहरण हैं।
प्रश्न 6. जब लोकतंत्र किसी सेना द्वारा उखाड़ फेंका जाता है तो कौन सी आजादी सामान्यतः छिन जाती हैं ?
उत्तर : जब लोकतंत्र किसी सेना द्वारा उखाड़ फेंका जाता है तो लोगों से उनका नेता चुनने की आजादी छिन जाती है। इसके अतिरिक्त उन्हें सरकार की उन नीतियों के विरुद्ध रोष प्रकट करने की आजादी की अनुमति नहीं मिलती जिन्हें वे नापसंद करते हैं अर्थात् न अभिव्यक्ति की आजादी, न अपने व्यापार संगठन बनाने की आजादी और न ही निष्पक्ष चुनाव का अधिकार | उदाहरणतः सन् 1973 में चिले में जनरल ऑगस्तो पिनोशे द्वारा सैनिक शासन स्थापित किया गया जबकि पोलैंड में सन् 1989 से पूर्व जनरल जारूजेल्स्की के नेतृत्व में गैर-लोकतांत्रिक सरकार थी। दोनों ही मामलों में लोगों कोऊपर वर्णित आजादी नहीं थी।
प्रश्न 7. वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र बढाने में इनमें से किन बातों से मदद मिलेगी ? प्रत्येक मामले में अपने जवाब के पक्ष में तर्क दीजिए।
(क) मेरा देश अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को ज्यादा पैसे देता है इसलिए मैं चाहता हूँ कि मेरे साथ ज़्यादा सम्मानजनक व्यवहार हो ओर मुझे ज़्यादा अधिकार मिलें।
(ख) मेरा देश छोटा या गरीब हो सकता है। लेकिन मेरी आवाज़ को समान आदर के साथ सुना | जाना चाहिए क्योंकि इन फैसलों का मेरे देश पर भी असर होगा।
(ग) अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अमीर देशों की ज्यादा चलनी चाहिए। गरीब देशों की संख्या ज्यादा है, सिर्फ इसके चलते अमीर देश अपने हितों का नुकसान नहीं होने दे सकते।
(घ) भारत जैसे बड़े देशों की आवाज़ का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा वज़न होना ही चाहिए।
उत्तर :
(क) इसका वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र में कोई योगदान नहीं हैं क्योंकि प्रत्येक देश और इसके नागरिकों को बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए चाहे वह देश अमीर हो अथवा गरीब ।
(ख) यह समानता एवं अभिव्यक्ति की आजादी को बढावा देगा। यदि ऐसा वैश्विक स्तर पर किया | जाता है तो यह अवश्य ही वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ाने में मदद करेगा।
(ग) यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ाने में योगदान नहीं देगा क्योंकि अमीर एवं गरीब देशों के बीच किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं होना चाहिए। यह सामाजिक-आर्थिक समानता लाने में मददगार नहीं होगा जो कि लोकतंत्र के सबसे महत्त्वपूर्ण पहलूओं में से एक है। वैश्विक स्तर पर सभी देशों चाहे वे अमीर हों या गरीब, बराबरी का स्थान मिलना चाहिए।
(घ) यह भी वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र में कोई योगदान देगा क्योंकि किसी देश का आकार अथवा भौगोलिक क्षेत्रफल उसकी अन्य देशों से श्रेष्ठता की कसौटी नहीं होना चाहिए।
प्रश्न 8. नेपाल के संकट पर हुई एक टीवी चर्चा में व्यक्त किए गए तीन विचार कुछ इस प्रकार के थे। इनमें से आप किसे सही मानते हैं और क्यों?
- भारत एक लोकतांत्रिक देश है इसलिए राजशाही के खिलाफ़ और लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वाले नेपाली लोगों के समर्थन में भारत सरकार को ज्यादा दखल देना चाहिए। वक्ता
- यह एक खतरनाक तर्क है। हम उस स्थिति में पहुँच जाएँगे जहाँ इराक के मामले में अमेरिका पहुँचा है। किसी भी बाहरी शक्ति के सहारे लोकतंत्र नहीं आ सकता। . वक्ता
- लेकिन हमें किसी देश के आंतरिक मामलों की चिंता ही क्यों करनी चाहिए? हमें वहाँ अपने व्यावसायिक हितों की चिंता करनी चाहिए लोकतंत्र की नहीं।
उत्तर : वक्ता 2 के मत से आसानी से सहमत हुआ जा सकता है क्योंकि किसी देश में उस देश के नागरिक ही लोकतंत्र की स्थापना कर सकते हैं।
प्रश्न 9. एक काल्पनिक देश आंनदलोक में लोग विदेशी शासन को समाप्त करने पुराने राजपरिवार को सत्ता सौंपते हैं। वे कहते हैं, ‘आखिर जब विदेशियों ने हमारे ऊपर राज करना शुर
किया तब इन्हीं के पूर्वज हमारे राजा थे। यह अच्छा है कि हमारा एक मजबूत शासक है। जो हमें अमीर और ताकतवर बनने में मदद कर सकता है। जब किसी ने लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की बात की तो वहाँ के सयाने लोगों ने कहा कि यह तो एक विदेशी विचार है। हमारी लड़ाई विदेशियों और उनके विचारों को देश से खदेड़ने की थी। जब किसी ने मीडिया की आजादी की माँग की तो बड़े बुजुर्गों ने कहा कि शासन की ज़्यादा आलोचना करने से नुकसान होगा और इससे अपने जीवन स्तर को सुधारने में कोई मदद नहीं मिलेगीं। आखिर महाराज दयावान हैं और अपनी पूरी प्रजा के कल्याण में बहुत दिलचस्पी लेते हैं। उनके लिए मुश्किलें क्यों पैदा की जाएँ? क्या हम सभी खुशहाल नहीं होना चाहते? उपरोक्त उद्धरण को पढ़ने के बाद चमन, चंपा और चंदू ने कुछ इस तरह के निष्कर्ष निकालेः
चमनः आनंदलोक एक लोकतांत्रिक देश है क्योंकि लोगों ने विदेशी शासकों का उखाड़ फेंका और राजा का शासन बहाल किया।
चंपा : आंनदलोक लोकतांत्रिक देश नहीं है क्योंकि लोग अपने शासन की आलोचना नहीं कर सकते। राजा अच्छा हो सकता है और अर्थिक समृद्धि भी ला सकता है लेकिन राजा लोकतांत्रिक शासन नही ला सकता।
चंदू : लोगों को खुशहाली चाहिए इसलिए वे अपने शासक को अपनी तरफ से फैसले लेने देना चाहते हैं। अगर लोग खुश हैं तो वहीं का शासन लोकतांत्रिक ही है। इन तीनों कथनों के बारे में आपकी क्या राय है? इस देश में सरकार के स्वरुप के बारे में आपकी क्या राय है?
उत्तर : चमन का कथन गलत है क्योंकि किसी विदेशी ताकत को उखाड़ फेंकना मात्र स्वतंत्रता प्राप्त करना है। चंपा का कथन सही है। लोकतंत्र प्रजा का शासन है। प्रजा को अपने शासक से सवाल करने का अधिकार होना ही चाहिए। चंदू का कथन गलत है। लोगों की खुशी मात्र ही लोकतंत्र की घटक नहीं है। लोग राजा के साथ खुश हो सकते हैं किन्तु वह कोई चुना गया प्रतिनिधि नहीं है और इसलिए वह लोकतंत्र की स्थापना नहीं कर सकता।