Chapter 1 Human Geography: Nature and Scope (मानव भूगोल – प्रकृति एवं विषय क्षेत्र)
Text Book Questions
पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए:
(i) निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक भूगोल का वर्णन नहीं करता
(क) समाकलनात्मक अनुशासन
(ख) मानव और पर्यावरण के बीच अन्तर-सम्बन्धों का अध्ययन
(ग) द्वैधता पर आश्रित
(घ) प्रौद्योगिकी के विकास के फलस्वरूप आधुनिक समय में प्रासंगिक नहीं
उत्तर:
(घ) प्रौद्योगिकी के विकास के फलस्वरूप आधुनिक समय में प्रासंगिक नहीं।
(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा एक भौगोलिक सूचना का स्रोत नहीं है
(क) यात्रियों के विवरण
(ख) प्राचीन मानचित्र
(ग) चन्द्रमा से चट्टानी पदार्थों के नमूने
(घ) प्राचीन महाकाव्य
उत्तर:
(घ) प्राचीन महाकाव्य।
(iii) निम्नलिखित में से कौन-सा एक लोगों और पर्यावरण के बीच अन्योन्यक्रिया का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक है
(क) मानव बुद्धिमत्ता
(ख) प्रौद्योगिकी
(ग) लोगों के अनुभव
(घ) मानवीय भाईचारा।
उत्तर:
(ख) प्रौद्योगिकी।
(iv) निम्नलिखित में से कौन-सा एक मानव भूगोल का उपगमन नहीं है
(क) क्षेत्रीय विभिन्नता
(ख) मात्रात्मक क्रान्ति
(ग) स्थानिक संगठन
(घ) अन्वेषण और वर्णना
उत्तर:
(ख) मात्रात्मक क्रान्ति।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 30 शब्दों में दीजिए :
(i) मानव भूगोल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल वह विज्ञान है जिसमें मनुष्य और उनके भौतिक पर्यावरण के मध्य सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। रैटजेल के अनुसार, “मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच सम्बन्धों का संश्लेषित अध्ययन है।”
(ii) मानव भूगोल के कुछ उप-क्षेत्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
मानव भूगोल के उपक्षेत्र हैं
1. व्यवहारवादी भूगोल
2. सामाजिक कल्याण का भूगोल
3. अवकाश का भूगोल
4. सांस्कृतिक भूगोल
5. लिंग भूगोल
6. ऐतिहासिक भूगोल
7. चिकित्सा भूगोल
8. निर्वाचन भूगोल
9. सैन्य भूगोल
10. संसाधन भूगोल
11. कृषि भूगोल
12. उद्योग भूगोल
13. विपणन भूगोल
14. पर्यटन भूगोल
15. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का भूगोल।
(iii) मानव भूगोल किस प्रकार अन्य सामाजिक विज्ञानों से सम्बन्धित है?
उत्तर:
मानव भूगोल अन्तर-विषयक विषय है, क्योंकि यह मानव और पर्यावरण के अन्तर-सम्बन्धों का अध्ययन करता है। अत: इसका अन्य सामाजिक विज्ञानों से गहरा सम्बन्ध है, जिनमें सामाजिक विज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, मानव विज्ञान, इतिहास, राजनीति विज्ञान, जनांकिकी आदि मुख्य हैं।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए
(i) मानव के प्राकृतीकरण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानव का प्राकृतीकरण-मानव ने जब से पृथ्वी पर जन्म लिया है, तब से वह निरन्तर भौतिक पर्यावरण से अन्योन्यक्रिया करता आया है। मानव प्रौद्योगिकी का विकास करता है और उसकी सहायता से भौतिक पर्यावरण के साथ अन्तक्रिया करता है। मानव सभ्यता के प्रारम्भिक काल में प्रौद्योगिकी निम्न स्तर पर विकसित थी और मानवीय क्रियाकलापों पर प्राकृतिक पर्यावरण के तत्त्वों का प्रभाव अधिक था। प्राकृतिक शक्तियाँ मानवीय क्रियाओं का मार्गदर्शन करती थीं। मानव, प्रकृति की सुनता और उसकी आज्ञा का पालन करता था।
मानव, प्रकृति की प्रचण्डता से भयभीत होता था और उसकी पूजा करता था। इस तरह आदिमानव लगभग पूर्णतया प्राकृतिक पर्यावरण की शक्तियों द्वारा नियन्त्रित था। ऐसी दशाएँ जिसमें आदिमानव की तुलना में पर्यावरण की शक्तियाँ अधिक प्रबल होती हैं, उसे ‘पर्यावरणीय निश्चयवाद’ कहते हैं।
पर्यावरण, निश्चयवाद की दशा को भारत के अनेक क्षेत्रों में देखा जा सकता है, जहाँ पर आदिवासी निवास करते हैं। इन क्षेत्रों में मानव सतत पोषण हेतु प्राकृतिक संसाधनों पर प्रत्यक्ष रूप से निर्भर करता है। ऐसे समाज में पर्यावरण ‘माता-प्रकृति’ का रूप धारण करता है। वह दशा जिसमें मानव पर प्रकृति का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है ‘मानव का प्राकृतीकरण’ कहलाती है।
(ii) मानव भूगोल के विषय-क्षेत्र पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
मानव भूगोल का विषय-क्षेत्र-भौगोलिक परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में मानव के उद्यम द्वारा निर्मित सांस्कृतिक दृश्यभूमि का अध्ययन ही मानव भूगोल की विषय-वस्तु है। मानव भूगोल का विषय-क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत है। इसमें वे सभी पदार्थ, कर्म और विचार शामिल किए जाते हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मनुष्य व उसके पर्यावरण से जुड़े होते हैं।
हंटिंगटन द्वारा प्रतिपादित मानव भूगोल का क्षेत्र .
अमेरिकी भूगोलवेत्ता हंटिंगटन द्वारा प्रतिपादित मानव भूगोल का क्षेत्र सर्वाधिक विस्तृत एवं मान्य है। उन्होंने मानव भूगोल के तथ्यों को एक तालिका बनाकर तीन प्रमुख श्रेणियों में विभक्त किया है-
- भौतिक दशाएँ
- जीवन के रूप और
- मानव अनुक्रियाएँ (तालिका)।
ये तीनों प्रकार के तथ्य आपस में जुड़े हुए हैं। हंटिंगटन ने सर्वप्रथम यह बताया कि भौतिक दशाओं का सामूहिक प्रभाव जीवन के विभिन्न रूपों (पौधे, जन्तु और मानव) पर होता है। जीवन के ये रूप भी आपस में अन्तर्सम्बन्धी हैं। भौतिक दशाओं, पौधों और जन्तुओं से मानव की क्रिया-प्रतिक्रिया होती है जिसके परिणामस्वरूप मानव की अनुक्रियाएँ (Responses) उत्पन्न होती हैं।
तालिकाः एल्सवर्थ हंटिंगटन के अनुसार मानव भूगोल का विषय-क्षेत्र
नोट – तीर तथा उनके विस्तार, उन तरीकों का संकेत करते हैं, जिनमें भौतिक दशाएँ एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए जलवायु, पृथ्वी की गोल आकृति, धरातल के लक्षणों तथा महासागर जैसे जलाशयों से प्रभावित होती है। बदले में यह धरातल के लक्षणों, मिट्टी की गुणवत्ता और खनिज निक्षेपों के स्वरूप को प्रभावित करती है। यह जलाशयों को भी प्रभावित करती है …….. लेकिन स्पष्टता की दृष्टि से कुछ को ‘छोड़ दिया गया है।
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विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
मानव भूगोल को परिभाषित करते हुए इसकी प्रकृति को समझाइए।
उत्तर:
मानव भूगोल की परिभाषाएँ विद्वानों द्वारा मानव भूगोल को अग्र प्रकार से परिभाषित किया गया है
- फ्रेडरिक रैटजेल के अनुसार, “मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच सम्बन्धों का संश्लेषित अध्ययन है।”
- कु० एलेन चर्चिल सैम्पल के अनुसार, “मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।”
- पॉल विडाल डी-ला ब्लाश के अनुसार, “हमारी पृथ्वी को नियन्त्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा इस पर रहने वाले जीवों के मध्य सम्बन्धों के अधिक संश्लेषित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना को मानव भूगोल कहते हैं।”
उपर्युक्त परिभाषाओं के अनुसार, मानव भूगोल में यह अध्ययन किया जाता है कि भिन्न-भिन्न भौतिक दशाओं में मनुष्य का प्रत्युत्तर (Response) कैसा होता है? अथवा वह किस प्रकार प्रकृति से समायोजन या संघर्ष करके अपनी आवश्यकताओं को पूरा करता है और उसे अपने लिए उपयोगी बनाता है। यह तभी सम्भव है जब थोड़ा मानव का प्राकृतीकरण हो और कुछ प्रकृति का मानवीकरण हो।
मानव भूगोल की प्रकृति
मानव भूगोल भौतिक पर्यावरण तथा मानव-जनित सामाजिक-सांस्कृतिक पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन उनकी परस्पर अन्योन्यक्रिया के द्वारा करता है। उल्लेखनीय है कि भू-आकृतियाँ, मृदाएँ, जल, जलवायु, प्राकृतिक वनस्पति, विविध प्राणिजात (Fauna), वनस्पतिजात (Flora), चट्टानें और खनिज भौतिक पर्यावरण के तत्त्व हैं। भौतिक पर्यावरण द्वारा प्रदत्त मंच पर मनुष्य अपने कार्यकलापों के द्वारा अपनी सुख-सुविधाओं और विकास के लिए कुछ लक्षणों को उत्पन्न करता है। घर, गाँव, खेत, नगर, नहरें, पुल, सड़कें, रेलमार्ग, कारखाने, बाँध, स्कूल, पत्तन और दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएँ ऐसे ही मानवीय लक्षण हैं। मानव निर्मित परिस्थितियों से ही मानव के सांस्कृतिक विकास की झलक मिलती है। मानव की सभी विकासात्मक गतिविधियों पर भौतिक वातावरण का भारी प्रभाव पड़ता है। इसीलिए मानव भौतिक परिवेश से व्यापक अनुकूलन करके ही सांस्कृतिक अथवा मानवीय परिवेश की रचना करता है। इसी तरह भौतिक पर्यावरण भी मानव द्वारा वृहत् स्तर पर परिवर्तित किया गया है।
प्रश्न 2.
मानव भूगोल एक गत्यात्मक विषय है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल एक गत्यात्मक विषय मानव भूगोल एक गत्यात्मक विषय है जिस तरह तकनीक के विकास के साथ मनुष्य और पर्यावरण का सम्बन्ध बदलता जा रहा है, उसी प्रकार मानव भूगोल की विषय-वस्तु में समय के साथ वृद्धि और विस्तार होता जा रहा है। उदाहरणत: बीसवीं सदी के आरम्भ में मानव भूगोल में सांस्कृतिक एवं आर्थिक पक्षों पर विशेष ध्यान दिया जाता था किन्तु बाद में नई समस्याओं और चुनौतियों के आने पर उन्हें भी विषय-वस्तु का अंग बना लिया गया। इसीलिए मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र में अग्रोन्मुख परिवर्तन होना स्वाभाविक है। वर्तमान में मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र में जिन नए प्रकरणों को शामिल किया गया है, वे हैं
राजनीतिक आयाम (Political Dimensions), सामाजिक सम्बद्धता (Social Reference), लिंग असमानता (Sex Inequality), जननीति (Public Policy), नगरीकरण तथा नगर-प्रणाली (Urbanization and Urban System), स्वास्थ्य तथा सामाजिक सुविधाएँ (Health and Social well-being) इत्यादि। अध्ययन क्षेत्र में समसामयिक विषयों को शामिल करते समय मानव भूगोल न केवल समन्वयकारी (Integrating) तथा अन्तर्विषयक (Inter-disciplinary) गुणों से परिपूर्ण हुआ है बल्कि इसके अध्ययन में कई नई विधियाँ भी जुड़ गई हैं।
प्रश्न 3.
निश्चयवाद, सम्भववाद, नव-निश्चयवाद किस तरह एक-दूसरे से भिन्न हैं? समझाइए।
उत्तर:
निश्चयवाद, सम्भववाद एवं नव-निश्यवाद में अन्तर
1. निश्चयवाद – निश्चयवादी विचारधारा के अनुसार मनुष्य के प्रत्येक क्रियाकलाप को पर्यावरण नियन्त्रित करता है। निश्चयवाद के समर्थक यह मानते हैं कि भौतिक कारक; जैसे-जलवायु, उच्चावच, प्राकृतिक वनस्पति और मानव के समस्त क्रियाकलापों और जीवन-शैली आदि को नियन्त्रित करते हैं। निश्चयवाद सामान्यतया मानव को एक निष्क्रिय कारक समझता है जो पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित है।
2. सम्भववाद – सम्भववाद के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में समर्थ है तथा वह प्रकृतिदत्त अनेक सम्भावनाओं का अपने लाभ के लिए इच्छानुसार उपयोग कर सकता है। सम्भववाद प्रकृति की तुलना में मनुष्य को महत्त्वपूर्ण स्थान देता है और उसे सक्रिय शक्ति के रूप में देखता है। सम्भववाद के अनुसार निश्चयवाद का यह सिद्धान्त कि मनुष्य प्रकृति का दास है, अस्वीकृत कर दिया गया।
3. नव-निश्चयवाद – यह विचारधारा उपर्युक्त दोनों विचारधाराओं की चरम अवस्था के बीच का दर्शन है। ग्रिफिथ टेलर का मानना था कि किसी देश द्वारा अपनाए गए सर्वोत्तम आर्थिक कार्यक्रम का एक बड़ा भाग प्रकृति द्वारा निर्धारित होता है और यह भूगोलवेत्ता का कर्तव्य है कि वह इस कार्यक्रम की व्याख्या करे। देश के विकास की प्रगति को आगे बढ़ाने, धीमा या अवरुद्ध करने में मनुष्य सक्षम होता है। वह प्रगति की दिशा के स्थान पर दर को परिवर्तित करता है, यह एक बड़े शहर में यातायात नियन्त्रक की तरह होता है और सम्भवतया ‘रुको और जाओ’ ग्रिफिथ टेलर के दर्शन ‘नव-निश्चयवाद’ को अधिक स्पष्ट करता है। मनुष्य यदि बुद्धिमान हो, तो वह प्रकृति के कार्यक्रम का पालन कर सकता है, जो सम्भावनाओं के इस विवाद को स्वीकारता है कि पर्यावरण द्वारा स्थापित विस्तृत सीमा में से मनुष्य सबसे अन्त में चयन कर सकता है।
प्रश्न 4.
मानव भूगोल की कल्याणपरक विचारधारा मानवतावादी विचारधारा से किस तरह भिन्न है? दोनों के मध्य अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल की कल्याणपरक विचारधारा में मनुष्य के कल्याण तथा हित के विचार हैं जबकि मानवतावादी विचारधारा में मानव और प्रकृति के मध्य सम्बन्धों की चर्चा की जाती है। दोनों में अन्तर इस प्रकार हैं
प्रश्न 5.
निश्चयवाद और सम्भववाद में अन्तर को समझाइए।
उत्तर:
निश्चयवाद और सम्भववाद में अन्तर
प्रश्न 6.
क्रमबद्ध भूगोल तथा प्रादेशिक भूगोल में अन्तर को समझाइए।
उत्तर:
क्रमबद्ध भूगोल तथा प्रादेशिक भूगोल में अन्तर
प्रश्न 7.
मानव भूगोल की महत्त्वपूर्ण शाखाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव और प्रकृति की अन्तक्रियाओं के फलस्वरूप अनेक प्रकार के सांस्कृतिक लक्षण जन्म लेते हैं; जैसे-गाँव, कस्बा, शहर, सड़क, उद्योग, भवन आदि। इन्हीं सभी लक्षणों की स्थिति तथा वितरण का अध्ययन मानव भूगोल में आता है। मानव भूगोल की शाखाएँ मानव भूगोल की महत्त्वपूर्ण शाखाएँ निम्नलिखित हैं
1. आर्थिक भूगोल – मानव भूगोल की इस शाखा में मानवीय क्रियाकलापों में विभिन्नता का अध्ययन किया जाता है तथा इन क्रियाओं द्वारा वस्तुओं के उत्पादन, वितरण तथा विनिमय का अध्ययन किया जाता है।
2. सांस्कृतिक भूगोल – मानव भूगोल की इस शाखा में स्थान और समय के सन्दर्भ में मनुष्य के सांस्कृतिक पक्षों, धर्म और दृष्टिकोणों का अध्ययन किया जाता है।
3. सामाजिक भूगोल – सामाजिक भूगोल में विभिन्न मानव समूहों और उनके पर्यावरण के बीच सम्बन्धों की समीक्षा की जाती है।
4. जनसंख्या भूगोल – मानव भूगोल की इस शाखा में जनसंख्या, उसके वितरण, घनत्व, जन्म-दर एवं मृत्यु-दर, साक्षरता, आयु, लिंगानुपात, प्रवास तथा जनसंख्या वृद्धि जैसी जनांकिकीय विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है।
5. ऐतिहासिक भूगोल – मानव भूगोल की इस शाखा में ऐतिहासिक घटनाओं का विश्लेषण क्षेत्रीय अथवा भौगोलिक सन्दर्भ में किया जाता है।
6. राजनीतिक भूगोल – राजनीतिक भूगोल में राष्ट्रों अथवा राज्यों की सीमा, विस्तार, उनके विभिन्न घटकों तथा शासित भू-भागों का अध्ययन किया जाता है।
7.सैन्य भूगोल – सैन्य भूगोल का उद्देश्य स्थल तथा समुद्र के भौगोलिक चरित्र का युद्ध की घटनाओं पर पड़ने वाले प्रभावों को स्पष्ट करना है।
8. कृषि भूगोल – मानव भूगोल की इस शाखा में विश्व के विभिन्न भागों में पाए जाने वाले पर्यावरण के सन्दर्भ में कृषि सम्बन्धी तत्त्वों का अध्ययन किया जाता है।
9. मानव भूगोल की अन्य उप – शाखाएँ-मानव भूगोल की अन्य उप-शाखाएँ अधिवास भूगोल, नगरीय भूगोल, चिकित्सा भूगोल, संसाधन भूगोल, परिवहन भूगोल, वाणिज्य भूगोल, औद्योगिक भूगोल तथा व्यावहारिक . भूगोल इत्यादि हैं।
प्रश्न 8.
पर्यावरण निश्चयवाद से क्या अभिप्राय है? मानव के प्राकृतीकरण के द्वारा इस संकल्पना के विकास को समझाइए।
उत्तर:
पर्यावरण निश्चयवाद का अर्थ-पर्यावरण निश्चयवाद या निश्चयवादी विचारधारा के अनुसार मनुष्य के प्रत्येक कार्यकलाप को पर्यावरण से नियन्त्रित माना जाता है। इसके अनुसार भौतिक कारक; जैसे-जलवायु, उच्चावच, प्राकृतिक वनस्पति आदि मानव के समस्त क्रियाकलापों और जीवन-शैली आदि को नियन्त्रित करते हैं।
मानव के प्राकृतीकरण के द्वारा पर्यावरण निश्चयवाद की संकल्पना का विकास
मानव के प्राकृतीकरण के द्वारा मनुष्य अपने भौतिक पर्यावरण के साथ तकनीकी ज्ञान की सहायता से . पारस्परिक सम्बन्ध रखता है। यह महत्त्वपूर्ण नहीं है कि मनुष्य ने क्या उत्पन्न किया है अपितु यह महत्त्वपूर्ण है कि उसने किन उपकरण और तकनीक की सहायता से उत्पन्न किया है। प्राकृतिक नियमों को समझने के बाद ही मनुष्य ने तकनीकी विकास किया है। जिस प्रकार उसने आग का आविष्कार किया है उसी प्रकार डी०एन०ए० की जानकारी से अनेक रोगों का पता चलता है। मनुष्य एक प्रकार से ‘प्रकृति का दास’ कहलाता था। प्रकृति के अनुसार ही वह अपने आपको बनाता था। आदिमानव समाज तथा प्रकृति की शक्ति को ‘पर्यावरण निश्चयवाद’ कहा जाता है। यही मनुष्य का प्राकृतीकरण था।
लघ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
मानव का प्राकृतीकरण का संक्षेप में तीन बिन्दुओं द्वारा वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव का प्राकृतीकरण-मानव के प्राकृतीकरण का अभिप्राय है कि प्रकृति ही मनुष्य के क्रियाकलापों पर अपना प्रभाव डालती है अर्थात् मनुष्य प्रकृति का दास बनकर रह जाता है। उसके सभी क्रियाकलाप प्रकृति द्वारा नियन्त्रित होते हैं।
मानव के प्राकृतीकरण के बिन्दु
- मानव के सभी क्रियाकलाप उसके पर्यावरण द्वारा नियन्त्रित होते हैं; जैसे-मानव के रहन-सहन एवं कार्य, जलवायु, उच्चावच आदि द्वारा प्रभावित होते हैं।
- प्रकृति या पर्यावरण ही मनुष्य के समाज को एक स्वरूप प्रदान करता है। उसका खान-पान, रहन-सहन, वेशभूषा, आवास आदि सभी पर्यावरण के द्वारा निर्धारित होते हैं। यहाँ तक कि मानव की विचारधारा भी उसके पर्यावरण की ही देन है।
- आदिवासी लोग विश्व में सभी जगह अपने पर्यावरण के दास हैं; जैसे—कालाहारी के बुशमैन, टुण्ड्रा के एस्किमो, कांगो के पिग्मी अपने पर्यावरण द्वारा ही नियन्त्रित होते थे।
प्रश्न 2.
प्रकृति और मानव किस तरह एक-दूसरे से जटिलता से जुड़े हुए हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
मानव और भौतिक पर्यावरण एक-दूसरे से जुड़े हैं। मानव के पास तकनीकी ज्ञान है। वह अपने तकनीकी ज्ञान द्वारा प्रकृति से पदार्थ प्राप्त करता है। प्रकृतिप्रदत्त वस्तुओं का मानव अपने ज्ञान के द्वारा उपयोग करता है। प्रकृति मानव को प्रभावित करती है। वह प्रकृति के अनुसार ही अपने आपको पर्यावरण में ढालता है। वह कठोर पर्यावरण में भी अपने तकनीकी ज्ञान के आधार पर रहता है। कम अथवा अधिक तापमान को नियन्त्रित करता है। आज मानव ने डी०एन०ए० और आनुवंशिकी के रहस्यों को समझकर अनेक गम्भीर रोगों पर विजय प्राप्त की है। आदिमानव समाज तथा प्रकृति की शक्तियों को ‘पर्यावरणीय नियतिवाद’ कहते हैं। इस तरह मानव और प्रकृति एक-दूसरे से जुड़े हैं।
प्रश्न 3.
प्रकृति का मानवीयकरण किस प्रकार होता है? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रकृति का मानवीयकरण-मनुष्य भौतिक वातावरण और तकनीकी सहायता से प्रकृति पर प्रभाव डालता है। प्रकृति मानव को प्रभावित करती है तो मनुष्य अपनी तकनीक से प्रकृति को प्रभावित करता है। इसलिए इस बात का महत्त्व होता है कि मानव ने किस तकनीक और उपकरण के साथ प्रकृति पर विजय प्राप्त की है।
उदाहरण – घर्षण व ताप से आग की खोज हुई। उसी तरह डी०एन०ए० के ज्ञान से कई तरह के वंशानुगत रोगी की जानकारी प्राप्त हुई। तकनीकी ज्ञान मनुष्य पर प्रकृति की पकड़ को कमजोर करता है। प्रारम्भ में मानव प्रकृति से अधिक प्रभावित था लेकिन अब उसने उपकरणों तथा तकनीक की सहायता से प्रकृति को अपने अनुकूल बना लिया है।
प्रश्न 4.
निश्चयवाद की उपयुक्त उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
निश्चयवाद-निश्चयवादी विचारधारा के अनुसार मानव के समस्त क्रियाकलाप पर्यावरण द्वारा नियन्त्रित होते हैं। निश्चयवाद का अनुसरण करने वाले मानते हैं कि भौतिक कारक; जैसे-जलवायु, उच्चावच, प्राकृतिक वनस्पति आदि, मानव के समस्त क्रियाकलाप और जीवन-शैली को नियन्त्रित करते हैं।
उदाहरण के लिए-टुण्ड्रा क्षेत्र के एस्किमो के बर्फ के घर (इग्लू) व भोजन वालरस व सील मछली होती है। ह्वेल भी उनके जीवन का प्रमुख अंग है। वे मछली के तेल का भी उपयोग करते हैं। थार, सहारा जैसे गर्म मरुस्थलों के लोग भेड़, बकरी तथा ऊँट आदि जैसे जानवरों पर निर्भर करते हैं।
निश्चयवादी, साधारणतया मानव को एक निष्क्रिय कारक मानते हैं जो कि पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित हैं।
प्रश्न 5.
“प्रकृति का ज्ञान प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।” कथन की पुष्टि उदाहरण देकर कीजिए।
उत्तर:
प्रौद्योगिकी किसी समाज के सांस्कृतिक विकास के स्तर की सूचक होती है। मानव प्रकृति के नियमों को बेहतर ढंग से समझने के बाद ही प्रौद्योगिकी की विकास कर पाया।
उदाहरण
- घर्षण और ऊष्मा की संकल्पनाओं ने अग्नि की खोज में हमारी सहायता की।
- डी०एन०ए० और आनुवंशिकी के रहस्यों की समझ ने हमें अनेक गम्भीर रोगों पर विजय पाने के योग्य बनाया।
- अधिक तेजी से चलने वाले यान विकसित करने के लिए हम वायु गति के नियमों का प्रयोग करते हैं।
अतः प्रकृति, प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है और प्रौद्योगिकी मानव पर पर्यावरण की बंदिशों को कम करती है।
प्रश्न 6.
“भौतिक भूगोल और मानव भूगोल के तत्त्वों के मध्य परस्पर अन्योन्यक्रिया होती है।” उपयुक्त उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
मानव भूगोल भौतिक वातावरण और मनुष्य द्वारा सामाजिक-सांस्कृतिक पर्यावरण के मध्य अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन करता है। भौतिक भूगोल के अंग हैं-स्थलाकृति, मृदा, जलवायु, जल, प्रकृति, वनस्पति आदि। मानव भूगोल तथा भौतिक भूगोल में परस्पर गहरा सम्बन्ध है। मनुष्य भौतिक वातावरण से तकनीकी सहायता के साथ पारस्परिक प्रभाव डालता है। यह बात महत्त्वपूर्ण है कि मानव ने अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किस तकनीक और उपकरण के साथ उत्पादन किया। भौतिक वातावरण का मानव पर प्रभाव पड़ता है। वह मनुष्य को अपने अनुरूप ढालने को मजबूर करता है।
उदाहरण – मरुस्थल में रहने वाले लोगों की जीवनचर्या मैदानों में रहने वाले लोगों से भिन्न होती है। उसकी आवश्यकताएँ भी भिन्न हैं। लेकिन मनुष्य कठिनाई के बावजूद कठिन वातावरण में रहने का प्रयास करता है। वह नवीन तकनीक व उपकरणों का उपयोग करके वातावरण को अपने रहने के लिए अनुकूल बना लेता है।
प्रश्न 7.
मानव भूगोल की कल्याणपरक विचारधारा के लक्षणों को समझाइए।
उत्तर:
मानव भूगोल की कल्याणपरक विचारधारा के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं
- कल्याणपरक विचारधारा में मानव की वित्तीय स्थिति का अध्ययन किया जाता है।
- इसमें मानव के विकास में प्रादेशिक असमानता का अध्ययन किया जाता है।
- पूँजीवाद के कारण इस विचारधारा का जन्म हुआ।
- कौन, कहाँ, क्या पाता है और कैसे; कल्याणपरक विचारधारा के मूल बिन्दु हैं।
प्रश्न 8.
मानव भूगोल की मानवतावादी विचारधारा के लक्षण बताइए।
उत्तर:
मानव भूगोल की मानवतावादी विचारधारा के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं-
- मानवतावादी विचारधारा स्वयं मनुष्य पर केन्द्रित है।
- मानवतावादी विचारधारा में मानव जागृति, मानव साधन, मानव चेतना आदि के सन्दर्भ में मनुष्य की केन्द्रीय एवं क्रियाशील भूमिका पर बल दिया जाता है।
- इस विचारधारा के विन्यास में मानव भूगोल में मानवीय परिघटनाओं के प्रतिरूपों के वर्णन के स्थान पर इनके पीछे कार्यरत प्रक्रिया को समझना है।
- यह मानव भूगोल में जोड़ी गई नई विचारधारा है जिसका सम्बन्ध मानव कल्याण के स्थानिक प्रतिरूप से है।
प्रश्न 9.
सम्भववाद की संकल्पना को उपयुक्त उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर:
सम्भववाद की संकल्पना-सम्भववाद की संकल्पना के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में समर्थ है तथा वह प्रकृतिदत्त अनेक सम्भावनाओं का अपने लिए इच्छानुसार उपयोग कर सकता है। मानव और पर्यावरण में परस्पर सम्बन्ध में यह विचारधारा मानव केन्द्रित है।
उदाहरण – वर्षा के कार्य को सिंचाई द्वारा पूरा करना, पर्वतीय ढालों पर सीढ़ीदार खेत बनाकर खेती करना आदि। ये उदाहरण प्राकृतिक पर्यावरण पर मनुष्य की श्रेष्ठता सिद्ध करते हैं। सम्भववाद की संकल्पना के अनुसार नियतिवाद का यह सिद्धान्त कि मनुष्य प्रकृति का दास है को अस्वीकृत कर दिया गया।
प्रश्न 10.
‘नव-निश्चयवाद’ की विचारधारा पर टिप्पणी लिखिए। अथवा ‘रुको और जाओ निश्चयवाद’ की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नव-निश्चयवाद-भूगोलवेत्ता ग्रिफिथ टेलर ने एक नई संकल्पना प्रस्तुत की जो दो विचारों ‘पर्यावरणीय निश्चयवाद’ और ‘सम्भववाद’ के मध्य मार्ग को दर्शाता है। उन्होंने उसे नव-निश्चयवाद अथवा रुको और जाओ निश्चयवाद का नाम दिया। विचारधारा के अनुसार न तो नितान्त आवश्यकता की स्थिति (पर्यावरणीय निश्चयवाद) है और न ही नितान्त स्वतन्त्रता (सम्भववाद) की स्थिति है। इसका अर्थ है कि प्राकृतिक नियमों की अनुपालना करके हम प्रकृति पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। मानव को प्रकृति के ‘रुको’ के संकेतों का प्रत्युत्तर देना होगा और जब प्रकृति रूपान्तरण की स्वीकृति दे तो वे अपने विकास के प्रयत्नों में आगे बढ़ सकता है। अभिप्राय यह है कि उन सीमाओं में, जो पर्यावरण को हानि न पहुँचाते हों, सम्भावनाओं को उत्पन्न किया जा सकता है।
प्रश्न 11.
प्रकृति के मानवीयकरण पर टिप्पणी लिखिए। . .
उत्तर:
प्रकृति का मानवीयकरण-मानव क्रियाओं की छाप प्रत्येक स्थान पर देखी जा सकती है। उच्च स्थानों; जैसे-पर्वतों तथा समतत्त्व क्षेत्रों; जैसे—मैदानों में स्वास्थ्य केन्द्र, विशाल नगरीय विस्तार, चरागाह, उद्यान आदि देखे जा सकते हैं। तटीय भागों में बन्दरगाह, महासागरीय मार्ग तथा अन्तरिक्ष उपग्रह आदि। ये सभी मानव क्रियाएँ हैं। प्रकृति अवसर प्रदान करती है और मनुष्य इसका लाभ उठाता है। इस प्रकार प्रकृति धीरे-धीरे मानवकृत हो जाती है और मानव छाप उस पर पड़नी आरम्भ हो जाती है।
प्रश्न 12.
मानवतावाद के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
मानवतावाद के लक्षण/विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- मानवतावाद विचारधारा मानव कल्याण, मानव जागृति, मानव चेतना,. मानव संसाधन एवं मानव की सृजनात्मकता के सन्दर्भ में मानव सक्रियता पर बल देती है।
- इस विचारधारा का केन्द्र बिन्दु मानव है जो मानव विकास पर बल देता है।
- इस विचारधारा के विकास में मानव भूगोल में मानवीय परिघटनाओं के प्रतिरूपों के वर्णन के स्थान पर इनके पीछे कार्यरत प्रक्रिया को समझना है।
- मानवतावाद मानव भूगोल में जोड़ी गई नई विचारधारा है जिसका सम्बन्ध मानव कल्याण के स्थानिक प्रतिरूप से है।
प्रश्न 13.
प्रत्यक्षवाद के लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रत्यक्षवाद के लक्षण निम्नलिखित हैं
- प्रत्यक्षवाद में मात्रात्मक विधियों के प्रयोग पर अधिक बल दिया गया ताकि विभिन्न कारकों के भौगोलिक प्रतिरूपों के अध्ययन के समय विश्लेषण को अधिक वस्तुनिष्ठ बनाया जा सके।
- यह विचारधारा मुख्यत: निरीक्षण एवं अनुभवों पर आधारित है। इसी कारण इसे ‘प्रयोगवाद’ भी कहते हैं।
- इस विचारधारा के प्रमुख समर्थक हैं-वी० जे० एलवेरी, डेविड हाइँ तथा विलियम वंग आदि हैं।
प्रश्न 14.
निश्चयवाद के लक्षणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निश्चयवाद के लक्षण (विशेषताएँ) निम्नलिखित हैं
- निश्चयवादी विचारधारा के अनुसार प्राकृतिक पर्यावरण सर्वप्रमुख है जो मानव के सारे क्रियाकलापों को नियन्त्रित करता है।
- इस विचारधारा के अनुसार विभिन्न सामाजिक समूह, समाज अथवा देश का इतिहास, संस्कृति, मानव जीवन-शैली तथा विकास की अवस्था आदि सभी पर्यावरण के भौतिक कारकों द्वारा नियन्त्रित होते हैं।
- इस विचारधारा के अनुसार मनुष्य प्रकृति का दास है और उसके सभी कार्य प्रकृति द्वारा प्रभावित होते हैं।
- निश्चयवाद में विश्वास करने वाले मानव को निष्क्रिय समझा जाता है।
प्रश्न 15.
सम्भववाद के लक्षणों को समझाइए।
उत्तर:
सम्भववाद के लक्षण निम्नलिखित हैं
- सम्भववाद के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में समर्थ है तथा वह प्रकृतिदत्त अनेक सम्भावनाओं का अपने लाभ के लिए इच्छानुसार उपयोग कर सकता है।
- यह विचारधारा प्रकृति की तुलना में मनुष्य को महत्त्वपूर्ण स्थान देती है और उसे सक्रिय शक्ति के रूप में देखती है।
- इस विचारधारा के अनुसार निश्चयवाद का यह सिद्धान्त कि मनुष्य प्रकृति का दास है, अस्वीकृत कर दिया गया।
- सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के साथ मनुष्य ने कुशल तकनीक का विकास किया।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
नव निश्चयवाद की धारणा किसने प्रस्तुत की?
उत्तर:
नव निश्चयवाद की धारणा ग्रिफिथ टेलर ने प्रस्तुत की।
प्रश्न 2.
पृथ्वी के कितने घटक हैं? नाम बताइए।
उत्तर:
पृथ्वी के दो घटक हैं
- प्रकृति (भौतिक पर्यावरण) एवं
- जीवन के रूप (मनुष्य भी शामिल)।
प्रश्न 3.
रैटजेल के शब्दों में मानव भूगोल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
रैटजेल के अनुसार, “मानव भूगोल, मानव समाजों और धरातल के मध्य सम्बन्धों का संश्लेषित अध्ययन है।”
प्रश्न 4.
कु० सैम्पल की मानव भूगोल की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
कु० सैम्पल के अनुसार, “मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।”
प्रश्न 5.
ब्लॉश के शब्दों में मानव भूगोल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
ब्लॉश के अनुसार, “हमारी पृथ्वी को नियन्त्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा इस पर रहने वाले जीवों के मध्य सम्बन्धों के अधिक संश्लेशित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना।”
प्रश्न 6.
जनसंख्या भूगोल का सम्बन्ध आप किस सामाजिकशास्त्र से जोड़ेंगे?
उत्तर:
जनसंख्या भूगोल का सम्बन्ध हम जनांकिकी से जोड़ेंगे।
प्रश्न 7.
भूगोल की कितनी शाखाएँ हैं? नाम लिखिए।
उत्तर:
भूगोल की दो शाखाएँ हैं
- भौतिक भूगोल, एवं
- मानव भूगोल।
प्रश्न 8.
निश्चयवाद से आप क्या समझते हैं? अथवा पर्यावरण निश्चयवाद क्या है?
उत्तर:
निश्चयवाद के अनुसार मानव के प्रत्येक क्रियाकलाप पर्यावरण द्वारा नियन्त्रित होते हैं।
प्रश्न 9.
सम्भववाद क्या है?
उत्तर:
सम्भववाद के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में समर्थ है तथा वह प्रकृतिदत्त अनेक सम्भावनाओं का अपने लाभ के लिए इच्छानुसार उपयोग कर सकता है।
प्रश्न 10.
नव-निश्चयवाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
नव-निश्चयवाद के अनुसार मानव भूगोल में निश्चयवाद तथा सम्भववाद की चरम स्थिति के बीच एक मध्य मार्ग है। इसके अनुसार मानव प्रकृति में विकास के लिए एक सीमा तक ही जा सकता है और अन्ततः उसे प्रकृति के साथ समझौता करना पड़ता है।
प्रश्न 11.
ग्रिफिथ टेलर ने नव निश्चयवाद को क्या कहा?
उत्तर:
ग्रिफिथ टेलर ने नव-निश्चयवाद को ‘रुको और जाओ निश्चयवाद’ कहा।
प्रश्न 12.
आर्थिक भूगोल से सम्बन्धित सामाजिक भूगोल की चार प्रमुख उप-शाखाओं के नाम बताइए।
उत्तर:
(1) संसाधन भूगोल – संसाधन अर्थशास्त्र
(2) कृषि भूगोल – कृषि विज्ञान
(3) उद्योग भूगोल – औद्योगिक अर्थशास्त्र
(4) विपणन भूगोल – व्यावसायिक अर्थशास्त्र, वाणिज्य।
प्रश्न 13.
भूगोल के अध्ययन क्षेत्र की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भूगोल के अध्ययन क्षेत्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- यह एक समाकलनात्मक अध्ययन है।
- यह एक आनुभविक अध्ययन है।
प्रश्न 14.
भूगोल को समस्त विज्ञानों की जननी क्यों कहा जाता है? ‘
उत्तर:
भूगोल वास्तव में विश्वव्यापी प्रकृति का विज्ञान है। इसमें सभी प्राकृतिक तथा मानवीय लक्षणों का अध्ययन किया जाता है। यह एक अन्तर्विषयक विज्ञान है। इसलिए इसे समस्त विज्ञानों की जननी कहा जाता है।
प्रश्न 15.
मानव भूगोल का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
मानव भूगोल का उद्देश्य मानव, वातावरण तथा मानवीय क्रियाओं के सम्बन्ध का विज्ञान है।
प्रश्न 16.
मानव भूगोल के चार क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मानव भूगोल के क्षेत्र हैं
- सामाजिक भूगोल
- नगरीय भूगोल
- राजनीतिक भूगोल एवं
- जनसंख्या भूगोल।
प्रश्न 17.
सामाजिक भूगोल के चार प्रमुख उपक्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सामाजिक भूगोल के उपक्षेत्र हैं
- व्यवहारवादी भूगोल
- सामाजिक कल्याण का भूगोल
- सांस्कृतिक भूगोल
- चिकित्सा भूगोल।
प्रश्न 18.
मानव भूगोल की प्रादेशिक विश्लेषण विधि क्या है?
उत्तर:
जब भूगोल में किसी प्रदेश को उप-विभागों या प्रदेशों में बाँटकर समूचा अध्ययन करते हैं तो इस विवरणात्मक अध्ययन को ‘प्रादेशिक विश्लेषण विधि’ कहते हैं।
प्रश्न 19.
प्रादेशिक भूगोल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
प्रादेशिक भूगोल में किसी प्रदेश के सभी भौगोलिक तत्त्वों का एक इकाई के रूप में अध्ययन होता है।
प्रश्न 20.
क्रमबद्ध भूगोल से आपका क्या आशय है?
उत्तर:
क्रमबद्ध भूगोल में किसी प्रदेश के एक विशिष्ट भागौलिक तत्त्व का अध्ययन होता है।
प्रश्न 21.
प्रत्यक्षवाद विचारधारा से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रत्यक्षवाद विचारधारा में मात्रात्मक विधियों के प्रयोग पर बल दिया गया। यह मुख्यत: निरीक्षण तथा अनुभवों पर आधारित है। इसे ‘प्रयोगवाद’ भी कहा जाता है।
प्रश्न 22.
मानवतावाद विचारधारा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मानवतावाद मानव भूगोल में जोड़ी गई विचारधारा है जिसका सम्बन्ध मानव कल्याण के स्थानिक प्रतिरूप से है। इस विचारधारा का केन्द्र बिन्दु मानव है।
प्रश्न 23.
प्राकृतिक (भौतिक) पर्यावरण के घटकों के नाम बताइए।
उत्तर:
प्राकृतिक (भौतिक) पर्यावरण के घटक हैं-जलवायु, धरातलीय उच्चावच, अपवाह प्रणाली, मृदा, खनिज, जल, वन एवं अन्य जीव आदि।
प्रश्न 24.
सांस्कृतिक (मानव-निर्मित) प्रर्यावरण के घटकों के नाम बताइए।
उत्तर:
सांस्कृतिक (मानव-निर्मित) पर्यावरण के घटक हैं—मानव जनसंख्या, मानव बस्तियाँ, मानव व्यवसाय, उद्योग, कृषि, पशुचारण, परिवहन, संचार आदि।
प्रश्न 25.
‘रुको और जाओ निश्चयवाद’ के प्रतिपादक कौन थे?
उत्तर:
ग्रिफिथ टेलर।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
ज्ञान की जननी किस विषय को कहा गया है
(a) राजनीतिशास्त्र
(b) मनोविज्ञान
(c) अर्थशास्त्र
(d) भूगोल।
उत्तर:
(d) भूगोल।
प्रश्न 2.
सांस्कृतिक पर्यावरण का तत्त्व है
(a) घर
(b) उद्योग
(c) सड़कों का जाल
(d) ये सभी।
उत्तर:
(d) ये सभी।
प्रश्न 3.
‘माता प्रकृति’ किसे कहते हैं
(a) सांस्कृतिक पर्यावरण को
(b) भौतिक पर्यावरण को
(c) (a) व (b) दोनों को
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) भौतिक पर्यावरण को।
प्रश्न 4.
उत्तर उपनिवेशन युग में मानव भूगोल में किस उपागम का प्रयोग किया गया
(a) प्रादेशिक विश्लेषण
(b) क्षेत्रीय विभेदन
(c) स्थानिक संगठन
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) प्रादेशिक विश्लेषण।
प्रश्न 5.
नव-नियतिवाद को ‘रुको और जाओ निश्चयवाद’ का नाम किसने दिया
(a) ब्लाश ने
(b) ब्रून्श ने
(c) ग्रिफिथ टेलर ने
(d) हंटिंगटन ने।
उत्तर:
(c) ग्रिफिथ टेलर ने।
प्रश्न 6.
नव-नियतिवाद का प्रतिपादन किया
(a) हंटिंगटन ने
(b) ब्रून्श ने
(c) हम्बोल्ट ने
(d) ग्रिफिथ टेलर ने।
उत्तर:
(d) ग्रिफिथ टेलर ने।
प्रश्न 7.
भौतिक पर्यावरण का तत्त्व है.
(a) भू-आकृति
(b) मृदा
(c) जलवायु
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 8.
ऐतिहासिक भूगोल मानव भूगोल की किस शाखा से सम्बन्धित है
(a) सामाजिक भूगोल
(b) नगरीय भूगोल
(c) जनसंख्या भूगोल
(d) आवास भूगोल।
उत्तर:
(a) सामाजिक भूगोल।
प्रश्न 9. आर्थिक भूगोल की उपशाखा है
(a) संसाधन भूगोल
(b) उद्योग भूगोल
(c) कृषि भूगोल
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 10.
सैन्य भूगोल मानव भूगोल की किस शाखा की उपशाखा है
(a) राजनीतिक भूगोल
(b) आर्थिक भूगोल
(c) सामाजिक भूगोल
(d) नगरीय भूगोल।
उत्तर:
(a) राजनीतिक भूगोल।
प्रश्न 11.
1970 के दशक में मानव भूगोल की कौन-सी विचारधारा का प्रचलन हुआ
(a) मानवतावादी विचारधारा
(b) आमूलवादी विचारधारा
(c) व्यवहारवादी विचारधारा
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 12.
अन्तर-युद्ध अवधि के बीच 1930 के दशक में किस उपागम का मानव भूगोल में प्रयोग किया गया
(a) क्षेत्रीय विभेदन
(b) स्थानिक संगठन
(c) अन्वेषण और विवरण
(d) प्रादेशिक विश्लेषणा
उत्तर:
(a) क्षेत्रीय विभेदन।
प्रश्न 13.
‘सम्भववाद’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया
(a) अलइदरीसी
(b) रैटजेल
(c) अलमसूदी
(d) लूसियन फैब्रे।
उत्तर:
(d) लूसियन फैब्रे।
प्रश्न 14.
मानव को एक निष्क्रिय कारक समझता है
(a) निश्चयवाद
(b) सम्भववाद
(c) नव-निश्चयवाद
(d) मानवतावाद।
उत्तर:
(a) निश्चयवाद।
प्रश्न 15.
किस विचारधारा के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में समर्थ है
(a) निश्चयवाद
(b) सम्भववाद
(c) नव-निश्चयवाद
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) सम्भववाद।