Chpater 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय
अभ्यास प्रश्न
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. निम्नलिखित क्रांतियों में से किसे ‘राष्ट्रवाद की पहली अभिव्यक्ति’ कहा गया है?
a. फ्रांसीसी क्रांति
c. गौरवशाली क्रांति
b. रूसी क्रांति
d. उदारवादियों की क्रांति । (a)
2. यंग इटली सोसाइटी का संस्थापक कौन था?
a. गैरीबॉल्डी
b. बिस्मार्क
c. कावूर
d. मेजिनी। (d)
3. 1848 की फ्रांसीसी राज्य क्रांति के फलस्वरूप-
a. निरंकुश राजतंत्र की स्थापना हुई
b. सीमित राजतंत्र की स्थापना हुई
c. सैन्य शासन की स्थापना हुई
d. गणतंत्र की स्थापना हुई। (d)
4. फ्रांस की क्रांति हुई-
a. सन् 1788 में
b. सन् 1789 में
c. सन् 1790 में
d. सन् 1787 में। (b)
5. जर्मनी के एकीकरण में मुख्य भूमिका किसकी थी?
a. ज्युसेपे गैरीबाल्डी
b. ऑटो वॉन बिस्मार्क
c. नेपोलियन
d. उपर्युक्त में से कोई नहीं। (b)
6. राष्ट्रवाद के विकास में निम्नलिखित में से कौन-सा तत्त्व सहायक रहा?
a. पुनर्जागरण
b. धर्म सुधार आंदोलन
c. फ्रांसीसी क्रांति
d. उपर्युक्त सभी। (d)
7. पुनर्जागरण युग का अभ्युदय किस देश में हुआ था?
a. रोम
b. इटली
c. ब्रिटेन
d. अमेरिका । (b)
8. नेपोलियन का संबंध किस देश से था?
a. जर्मनी
b. इटली
c. फ्रांस
d. इंग्लैंड | (c)
9. इटली का एकीकरण किसके नेतृत्व में किया गया?
a. ज्युसेपे गैरीवॉल्डी
b. ऑटो वॉन बिस्मार्क
c. नेपोलियन
d. विलियम प्रथम (a)
10. फ्रांस में गणतंत्र की घोषणा किस वर्ष हुई?
a. सन् 1815 में
b. सन् 1830 में
c. सन् 1792 में
d. सन् 1871 में। (c)
11. फेड्रिक सॉरयू कौन था?
a. एक फ्रांसीसी कलाकार
b. एक ब्रिटिश कलाकार
c. एक अमेरिकी कलाकार
d. एक भारतीय कलाकार | (a)
12. कुस्तुनतुनिया की संधि कब हुई थी ?
a. सन् 1832 में
b. सन् 1819 में
c. सन् 1830 में
d. सन् 1840 में। (a)
13. नेपोलियन की संहिता’ का निर्माण हुआ था-
a. सन् 1789 में
b. सन् 1814 में
c. सन् 1804 में
d. सन् 1820 में। (c)
14. फ्रांस की 1804 की नागरिक संहिता को प्रायः कहा जाता है-
a. लुई 14वें की संहिता
b. बिस्मार्क की संहिता
c. हिटलर की संहिता
d. नेपोलियन की संहिता । (d)
15. जैकोबिन दल का संबंध था-
a. फ्रांस से
b. इंग्लैंड से
c. जापान से
d. भारत से। (a)
16. बेल्जियम किस देश के अधीन था?
a. हॉलैंड
b. ऑस्ट्रिया
c. डेनमार्क
d. प्रशा (a)
17. ‘जॉलवेराइन’ नामक शुल्क संघ की स्थापना कब हुई?
a. सन् 1848 में
b. सन् 1815 में
c. सन् 1870 में
d. सन् 1834 में। (d)
18. जर्मनी में राष्ट्र राज्य के निर्माण की प्रक्रिया का जनक था-
a. विलियम चतुर्थ
b. विलियम प्रथम
c. ऑटो वॉन बिस्मार्क
d. विलियम द्वितीय। (c)
19. गैरीबाल्डी संबंधित था-
a. इटली के एकीकरण से
b. जर्मनी के एकीकरण से
c. अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम से
d. रूस की राज्य क्रांति से (a)
20. गैरीबॉल्डी ने किस देश की राष्ट्रीय एकता के लिए संघर्ष किया था?
a. ऑस्ट्रिया
b. इटली
c. जर्मनी
d. रूस । (b)
21. फ्रांस की क्रांति में मुख्य भूमिका किस वर्ग की थी?
a. कृषक वर्ग
b. कुलीन वर्ग
c. मध्यम वर्ग
d. मजदूर वर्ग । (c)
22. ‘बैंक ऑफ फ्रांस की स्थापना किसने की?
a. नेपोलियन बोनापार्ट
b. लुई XVI
c. लुई XIV
d. जॉर्ज ।।। (a)
23. मानव और नागरिक अधिकारों की घोषणा किस सभा ने की?
a. नेशनल कंवेंशन
b. व्यवस्थापिका सभा
c. डायरेक्टरी
d. राष्ट्रीय संविधान सभा । (d)
24. ऑस्ट्रिया के साथ प्रशा का युद्ध कब हुआ?
a. सन् 1860
b. सन् 1863
c. सन् 1865
d. सन् 18661 (d)
25. प्रशा का ऑस्ट्रिया के साथ किस संधि के द्वारा युद्ध विराम हुआ?
a. वियना की संधि
b. वर्साय की संधि
c. पेरिस की संधि
d. लंदन की संधि। (b)
26. ‘सामाजिक संविदा (social contract) नामक पुस्तक का लेखक कौन था?
a. रूसो
b. मॉन्टेस्क्यू
c. नेकर
d. दिदरौ। (a)
27. ‘विश्वकोश’ (encyclopaedia) नामक ग्रंथ की रचना किसने की थी?
a. रूसो
b. वॉल्टेयर
c. दिदरो
d. नेकर। (c)
28. 1789 ई० में फ्रांस की क्रांति के समय किसका शासन था?
a. लुई XIV
b. लुई XVI
c. लुई Xv
d. नेपोलियन। (b)
29. 1848 ई० के फ्रैंकफर्ट सभा में संयुक्त जर्मनी का ताज किसे प्राप्त हुआ?
a. फ्रांस के शासक को
b. ऑस्ट्रिया के शासक को
c. प्रशा के शासक को
d. इटली को (c)
30. जब अनेक यूरोपीय राष्ट्रों ने सम्मिलित रूप से यूरोपियन यूनियन का गठन किया तो इसका मुख्यालय………………… को बनाया गया?
a. ब्रसेल्स
b. पेरिस
c. लंदन
d. ज्यूरिक । (a)
31. सामंतवाद का अंत कब हुआ?
a. 21 मई 1789 ई०
b. 4 अगस्त 1789 ईο
c. 24 सितंबर 1789 ई०
d. 18 नवंबर 1789 ई० । (b)
32. 1861 ई० में संयुक्त इटली का शासक कौन बना?
a. विक्टर इमेनुएल
b. बिस्मार्क
c. विक्टर इमेनुएल ॥
d. कावूर । (c)
33. इटली का एकीकरण कब पूरा हुआ?
a. सन् 1871
b. सन् 1873
c. सन् 1876
d. सन् 18891 (a)
34. इटली को रोम किस युद्ध के बाद मिला ?
a. सार्डिनिया-फ्रांस
b. ऑस्ट्रिया-प्रशा
c. फ्रांस-प्रशा
d. ऑस्ट्रिया – सार्डिनिया । (b)
35. गैरीबाल्डी कहाँ का निवासी था?
a. वेनेशिया
b. नीस या नाइस
c. नेपल्स
d. प्राग। (b)
36. जर्मनी का एकीकरण किस युद्ध के बाद पूरा हुआ ?
a. ऑस्ट्रिया-प्रशा युद्ध द्वारा
b. फ्रांस- प्रशा युद्ध द्वारा
c. फ्रांस- ऑस्ट्रिया युद्ध द्वारा
d. उपर्युक्त में से कोई नहीं। (a)
37. फ्रांसीसी क्रांति के दौरान कलाकारों ने स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र जैसे विचारों को व्यक्त करने के लिए नारी रूपक का प्रयोग किया। इस नारी रूपक का नाम क्या है?
a. मारीआन
b. जर्मेनिया
c. यूनियन जैक
d. नोबल किंग। (a)
38. ज्युसेपे मेत्सिनी ने एकीकृत इतालवी गणराज्य के लिए एक सुविचारित कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए किस गुप्त संगठन का निर्माण किया था?
a. सेलिसिया संघ
b. क्रांतिकारी मोर्चा
c. यंग इटली
d. राष्ट्रीय मोर्चा | (c)
39. जर्मन का राष्ट्र रूपक क्या है?
a. मारीआन
b. जर्मेनिया
c. आर्यान
d. कैरियान । (b)
40. वियना संधि का मुख्य उद्देश्य था-
a. मैटरनिख को ऑस्ट्रिया की सत्ता सौंपना
b. नेपोलियन बोनापार्ट को फाँसी देना
c. उन कई सारे बदलावों को खत्म करना जो नेपोलियाई युद्धों के दौरान हुए थे
d. फ्रांस के साम्राज्य का विस्तार करना । (c)
41. कल्पनालोक (utopia) का शाब्दिक अर्थ है-
a. काल्पनिक समाज जो इतना आदर्श हो कि उसका साकार होना लगभग असंभव हो
b. किसी समाज का स्वर्गलोक की कल्पना
c. किसी व्यक्ति के द्वारा कल्पना करना
d. किसी राज्य का कल्पना में भटकना । (a)
42. ऑस्ट्रिया और सार्डिनिया का युद्ध कब हुआ?
a. मार्च 1854 में
b. जनवरी 1856 में
d. जून 1860 में।
c. अप्रैल 1859 में (c)
43. इस आंदोलन ने तर्क-वितर्क और विज्ञान के महिमामंडन की आलोचना की और उसकी जगह भावनाओं, अंतर्दृष्टि और रहस्यवादी भावनाओं पर जोर दिया-
a. रूमानीवादी
b. उदारवाद
c. राष्ट्रवाद
d. साम्यवाद। (a)
44. जॉलवेराइन किसका संघ था?
a. शुल्क संघ
b. किसानों का संघ
c. विद्रोहियों का संघ
d. व्यापारियों का संघ (a)
45. जॉलवेराइन द्वारा किए गए मुख्य कार्य क्या थे?
a. संघ ने शुल्क अवरोधों को समाप्त कर दिया
b. मुद्राओं की संख्या दो कर दी जो उससे पहले तीस थी
c. रेलवे के विस्तार से राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा मिला
d. उपर्युक्त सभी। (d)
46. नेपोलियन की हार कब हुई?
a. 1807 में
b. 1810 में
c. 1815 #
d. 1820 में (c)
47. नेपोलियन की हार के पश्चात् यूरोपीय सरकारें किस भावना से प्रेरित थीं?
a. आधुनिकवाद
b. जनतंत्रवाद
c. रूढ़िवाद
d. उपर्युक्त में से कोई नहीं। (c)
48. तत्कालीन समय में यूरोप के निरंकुश राजतंत्रों को कौन शक्ति प्रदान कर सकता था?
a. कुशल नौकरशाही
b. गतिशील अर्थव्यवस्था
c. आधुनिक सेना
d. उपर्युक्त सभी। (d)
49. वियना सम्मेलन की मेजबानी किस देश के चांसलर ने की थी?
a. इटली
b. ऑस्ट्रिया
c. जर्मनी
d. जापान । (b)
50. अधिकांश यूरोपीय देशों में किस वर्ष किसान व मजदूर विद्रोह कर रहे थे?
a. सन् 1840 में
b. सन् 1845 में
c. सन् 1848 में
d. सन् 1856 में। (c)
51. नवीन राष्ट्र राज्य निर्माण किन सिद्धांतों पर आधारित था?
a. प्रेस की स्वतंत्रता
b. संगठन बनाने की स्वतंत्रता
c. a. व b. दोनों
d. उपर्युक्त में से कोई नहीं । (c)
52. 18 मई 1848 को कितने निर्वाचित प्रतिनिधियों ने फ्रैंकफर्ट संसद में स्थान ग्रहण किया?
a. 819
b. 826
c. 829
d. 831. (d)
53. संसद में किस वर्ग का प्रभाव सर्वाधिक था?
a. उच्चवर्ग
b. मध्यवर्ग
c. निम्नवर्ग
d. उपर्युक्त में से कोई नहीं । (b)
54. 18वीं और 19वीं सदी में कलाकारों ने राष्ट्रों को किस रूप में प्रस्तुत किया?
a. नारी भेष में
b. पुरुष भेष में
c. दीन-हीन भेष में
d. उपर्युक्त में से कोई नहीं । (a)
55. नारी की छवि राष्ट्र का …………….. बन गई।
a. भविष्य
b. रूपक
c. पतन
d. इनमें से कोई नहीं। (b)
56. फ्रांसीसी क्रांति के दौरान स्वतंत्रता का प्रतीक थी-
a. लाल टोपी
b. टूटी जंजीर
c. (a) व (b) दोनों
d. उपर्युक्त में से कोई नहीं। (c)
57. जर्मन बलूत किसका प्रतीक है?
a. स्वतंत्रता
b. वीरता
c. शांति
d. समृद्धि । (b)
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. इटली के एकीकरण में सबसे बड़ा बाधक व्यक्ति कौन था?
उत्तर- इटली के एकीकरण में सबसे बड़ा बाधक रोम का पोप था।
प्रश्न 2. ऐसे चार राज्यों के नाम लिखिए जिन पर सन् 1848 की इटली क्रांति का प्रभाव हुआ।
उत्तर- (i) टस्कनी, (ii) पीडमांट, (iii) पारमा, (iv) नेपल्स |
प्रश्न 3. ‘यंग इटली’ की स्थापना कब और किसने की?
उत्तर – मेत्सिनी ने सन् 1831 में ‘यंग इटली’ नामक संस्था की स्थापना की थी।
प्रश्न 4. फ्रेड्रिक सॉरयू कौन था?
उत्तर – फ्रेड्रिक सॉरयू एक फ्रांसीसी कलाकार था। सन् 1848 में उसने चार चित्रों की एक श्रृंखला बनाई। इसमें उसने अपने सपनों का एक संसार रचा जो उसके शब्दों में ‘जनतांत्रिक और सामाजिक गणतंत्रों से मिलकर बना था।
प्रश्न 5. उदारवाद से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- उदारवाद शब्द लैटिन भाषा के मूल Liber पर आधारित है जिसका अर्थ है ‘आजाद’ इसलिए उदारवाद का तात्पर्य है आजादी का व्यवहार।
प्रश्न 6. मारीआन और जर्मेनिया के चित्रों का महत्त्व बताइए ।
उत्तर- मारीआन और जर्मेनिया के चित्र राष्ट्र के अमूर्त विचार को मूर्त रूप प्रदान करने का प्रयास थे। नारी की छवि राष्ट्र का रूपक बन गई थी। मारीआन की प्रतिमाएँ सार्वजनिक चौकों पर लगाई गई ताकि जनता में राष्ट्रीय प्रतीक की स्मृति बनी रहे। इसी प्रकार जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई।
प्रश्न 7. इटली का राष्ट्रीय एकीकरण कब पूरा हुआ?
उत्तर- 20 सितंबर 1870 को इटली का राष्ट्रीय एकीकरण पूरा हो गया।
प्रश्न 8. जर्मन राज्यों में सबसे अधिक शक्तिशाली दो राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर- (i) प्रशा, (ii) ऑस्ट्रिया ।
प्रश्न 9. ऑस्ट्रिया और प्रशा के शासक कौन थे?
उत्तर- (i) ऑस्ट्रिया फ्रांसिस द्वितीय (ii) प्रशा- फ्रेडरिख विलियम चतुर्थ ।
प्रश्न 10. जर्मनी के एकीकरण में प्रमुख बाधाएँ क्या थीं?
उत्तर – जर्मनी के एकीकरण में तीन प्रमुख बाधाएँ थीं- (i) जर्मनी के नेताओं में पारस्परिक मतभेद और विभिन्न कार्यक्रम, (ii) जर्मनी की साधारण जनता राष्ट्रीय भावना से अनभिज्ञ, (ii) जनता के सहयोग का अभाव।
प्रश्न 11. विल्हेम प्रथम कौन था?
उत्तर – विल्हेंम प्रथम प्रशा के सम्राट फ्रेडरिख विल्हेम चतुर्थ का भाई था। सन् 1858 में वह प्रशा और बाद में जर्मन साम्राज्य का सम्राट बना।
प्रश्न 12. सेडोवा का युद्ध कब और किनके बीच हुआ?
उत्तर- सेडोवा का युद्ध सन् 1866 में प्रशा और ऑस्ट्रिया के बीच हुआ था। इस युद्ध में ऑस्ट्रिया की पराजय हुई।
प्रश्न 13. जर्मनी का एकीकरण कब व कैसे हुआ?
उत्तर – जर्मनी का एकीकरण सन् 1871 में पूरा हुआ। यह ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से प्रशा की जीत का परिणाम था।
प्रश्न 14. ऑटो वॉन बिस्मार्क को जर्मनी के एकीकरण का जनक क्यों कहा जाता है? दो कारण लिखिए।
उत्तर- ऑटो वॉन बिस्मार्क को जर्मनी के एकीकरण का जनक निम्नलिखित कारणों से कहा जाता है-
(i) ऑटो वॉन बिस्मार्क ने जर्मनी के एकीकरण के लिए अथक रणनीतिक प्रयास किए।
(ii) अपनी व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षा को महत्त्व न देते हुए देश के हित को सर्वोपरि रखा।
प्रश्न 18. जॉलवेराइन (zollverein ) क्या था? इसकी स्थापना क्यों हुई?
उत्तर – जॉलवेराइन एक शुल्क संघ था। जिसकी स्थापना 1834 में प्रशा की पहल पर की गई। इसका लक्ष्य जर्मन लोगों को आर्थिक रूप में एक राष्ट्र में बाँधना था। इसमें अधिकांश जर्मन राज्य शामिल थे। इस संघ ने शुल्क अवरोधों को समाप्त कर दिया और आर्थिक राष्ट्रवाद की भावना को मजबूत बनाया।
प्रश्न 19. सन् 1815 की वियना संधि में नेपोलियन के किस निर्णय को नहीं बदला गया?
उत्तर – सन् 1815 की वियना संधि के द्वारा नेपोलियन के सभी परिवर्तनों को समाप्त कर दिया गया था लेकिन नेपोलियन ने 39 राज्यों का जो जर्मन महासंघ स्थापित किया था उसे नहीं बदला गया।
प्रश्न 20. बाल्कन क्षेत्र में राष्ट्रवादी तनाव के क्या कारण थे?
उत्तर—बाल्कन क्षेत्र में राष्ट्रवादी तनाव के कारण—
(i) रूस, जर्मनी, इंग्लैंड, ऑस्ट्रो-हंगरी जैसी सभी ताकतें बाल्कन पर अन्य शक्तियों की पकड़ को कमजोर करके क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाना चाहती थी।
(ii) इस क्षेत्र में सर्व स्लाव आंदोलन की शुरुआत हो गई थी जिसे ऑस्ट्रिया दबाना चाहता था और रूस इस आंदोलन को बढ़ावा दे रहा था जिससे दोनों में तनाव बढ़ गया था।
प्रश्न 21. जर्मन राष्ट्र का रूपक क्या था? वह किस बात का प्रतीक था ?
उत्तर – जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र की रूपक थी। चाक्षुष अभिव्यक्तियों में जर्मेनिया बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती है क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है।
प्रश्न 22. मेनर (manor) किसे कहते हैं?
उत्तर- भूमि का वह टुकड़ा मेनर कहा जाता था जो सामंतीय व्यवस्था में भू-स्वामियों के अधीन होता था जिस पर सामंत के घर, किले और खेत के साथ-साथ भूमिहीन किसान भी रहते थे।
प्रश्न 23. कार्ल वेल्कर कौन थे?
उत्तर- कार्ल वेल्कर एक उदारवादी राजनीतिज्ञ थे, जो फ्रैंकफर्ट के एक निर्वाचित सदस्य थे।
प्रश्न 24. अनुच्छेद के अनुसार महिला का व्यक्तित्व बताइए |
उत्तर- अनुच्छेद के अनुसार महिला को कमजोर, निर्भर व दब्बू माना गया है जिसे पुरुष की सुरक्षा की आवश्यकता है।
प्रश्न 25. लुइज़े ऑटो-पीटर्स कौन थीं? परिचय दीजिए।
उत्तर- लुइज़े ऑटो-पीटर्स एक राजनैतिक कार्यकर्ता थीं। उन्होंने महिलाओं के लिए पत्रिकाओं का प्रकाशन किया तथा अनेक नारीवादी आंदोलनों को नेतृत्व प्रदान किया।
प्रश्न 26. राष्ट्रीय विचार किन बिंदुओं पर आधारित होता है?
उत्तर- राष्ट्रीय विचार वह सामाजिक पूँजी है, जिसमें किसी राष्ट्र के लंबे प्रयासों, त्याग तथा समर्पण को स्थान दिया जाता है। यह व्यापक एकता से संचालित विचार है।
प्रश्न 27. जनमत संग्रह से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- ‘जनमत संग्रह’ किसी खास मुद्दे पर सामान्य जनता की स्वीकृति अस्वीकृति के लिए कराई जाने वाली प्रक्रिया है। इसके माध्यम से किसी मुद्दे पर जनता की राय को सामने लाया जाता है।
प्रश्न 28. यहाँ जनमत संग्रह के महत्त्व को किस रूप में दर्शाया गया है?
उत्तर- ‘जनमत-संग्रह’ द्वारा किसी देश पर उसकी इच्छा के विरुद्ध अन्य राष्ट्र के कब्जे की वास्तविकता को सामने रखा जा सकता है। साथ ही जन समस्याओं की प्रवृत्तियों के बारे में भी जाना जा सकता है।
प्रश्न 29. स्वतंत्रता का लोप कब हो जाता है?
उत्तर- अगर विश्व में केवल एक कानून व एक नियंत्रणकर्ता हो तो स्वतंत्रता का लोप हो जाता है।
प्रश्न 30. जर्मन संसद को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर – जर्मन संसद को रीशटाग के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 31. बिस्मार्क क्या चाहता था?
उत्तर- बिस्मार्क जर्मन सांसदों के मस्तिष्क पर राज्य करता था। वह अपने लोगों पर प्रभावी नियंत्रण बनाए रखना चाहता था।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सन् 1815 से 1848 तक इटली के राष्ट्रीय एकीकरण के प्रयास क्यों विफल रहे?
उत्तर- सन् 1815 से 1848 तक इटली के एकीकरण के प्रयासों की विफलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-
(i) क्रांतिकारियों में एकता का पूर्ण अभाव था।
(ii) क्रांतिकारियों को योग्य नेतृत्व न मिल सका।
(iii) इटली के विभिन्न राज्यों में गंभीर मतभेद था ।
(iv) यूरोप के शक्तिशाली देश इटली के एकीकरण के पक्ष में नहीं थे।
प्रश्न 2. यूनान के राष्ट्रवादी स्वतंत्रता संग्राम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर—पंद्रहवीं शताब्दी से यूनान ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था यूरोप में क्रांतिकारी राष्ट्रवाद की प्रगति से यूनानियों का आजादी के लिए संघर्ष सन् 1821 में आरंभ हो गया था। यूनान में राष्ट्रवादियों को निर्वासन में रह रहे यूनानियों के साथ पश्चिमी यूरोप के अनेक लोगों का भी समर्थन मिला जो प्राचीन यूनानी संस्कृति के प्रति सहानुभूति रखते थे। कवियों और कलाकारों ने यूनान को यूरोपीय सभ्यता का पालना बताकर प्रशंसा की और एक मुस्लिम साम्राज्य के विरुद्ध यूनान के संघर्ष के लिए जनमत जुटाया। अंततः सन् 1832 की कुस्तुनतुनिया की संधि के अन्तर्गत यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता प्रदान की गई।
प्रश्न 3. अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए?
उत्तर- अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने निम्नलिखित बदलाव किए-
(i) नेपोलियन ने प्रशासनिक तंत्र में क्रांतिकारी सिद्धांतों का समावेश कर उसे अधिक तर्कसम्मत और प्रभावी बनाया।
(ii) उसने सन् 1804 में एक नागरिक संहिता बनाई। अब जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए गए।
(ii) उसने कानून के समक्ष समानता और संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया।
(iv) उसने प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया। सामंती व्यवस्था को समाप्त किया तथा किसानों को भू-दासत्व एवं जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति दिलवाई।
(v) उसने शहरों में कारीगरों के श्रेणी संघों के नियंत्रणों को हटा दिया। (vi) यातायात व संचार व्यवस्था में सुधार किए था।
(vii) एक समान कानून व्यवस्था और माप-तौल की एक जैसी प्रणाली लागू की।
(vii) संपूर्ण देश में एक राष्ट्रीय मुद्रा प्रचलित की गई।
प्रश्न 4. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था?
उत्तर – ब्रिटेन में राष्ट्र राज्य का निर्माण अचानक हुई कोई उथल- पुथल अथवा क्रांति का परिणाम नहीं था बल्कि यह एक लंबी चलने वाली प्रक्रिया का परिणाम था। ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में भिन्न थाः यथा-
(i) ब्रिटेन में अंग्रेज, वेल्स, स्कॉटिश व आयरिश आदि जातीय समूह थे, जिनकी पहचान नृजातीय थी।
(ii) इन जातीय समूहों में अंग्रेजों की शक्ति, धन-संपत्ति तथा गौरव की वृद्धि हुई तो वे द्वीप समूह के अन्य जातीय समूहों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने में सफल हुए।
(ii) सर्वप्रथम अंग्रेजों ने स्कॉटिश लोगों को अपने देश में सम्मिलित किया। फिर उन पर प्रभुत्व स्थापित किया ।
(iv) इसके बाद उन्होंने आयरिश लोगों पर नियंत्रण किया तथा आयरलैंड को बलपूर्वक ब्रितानी राज्य में शामिल कर लिया।
इस प्रकार ‘यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का शांतिपूर्ण तरीके से गठन हुआ। जबकि अन्य यूरोपीय राष्ट्रों के राष्ट्रवाद अचानक हुई कोई उथल-पुथल अथवा क्रांति के परिणाम थे। उदाहरण के लिए, जर्मन राष्ट्रवाद प्रशा के नेतृत्व और बिस्मार्क की भूमिका का प्रमुख परिणाम था तो इटली के राष्ट्रवाद में कानूर, गैरीबाल्डी, विक्टर इमेनुएल का महत्त्वपूर्ण योगदान था।
प्रश्न 5. बिस्मार्क कौन था? उसने जर्मनी का एकीकरण किस प्रकार किया?
उत्तर – बिस्मार्क जर्मनी के महान पुत्रों में से एक था। उसने प्रशा के प्रधानमंत्री के रूप में जर्मनी का एकीकरण किया। बिस्मार्क ने रक्त और लौह की नीति अपनाकर सर्वप्रथम श्लेसविंग तथा होलस्टीन के प्रशासन पर नियंत्रण स्थापित किया, फिर ऑस्ट्रिया को सेडोवा के युद्ध (सन् 1866) में पराजित करके उसने जर्मन राज्यों को उसके प्रभाव से मुक्त करा लिया। तत्पश्चात् बिस्मार्क ने सीडान के युद्ध में फ्रांस के सम्राट नेपोलियन तृतीय को पराजित करके जर्मनी का एकीकरण पूर्ण कर दिया। 18 जनवरी 1871 को प्रशा सम्राट विलियम प्रथम महान जर्मन साम्राज्य का सम्राट घोषित किया गया। सन् 1871 में बिस्मार्क जर्मन साम्राज्य का प्रधानमंत्री बना। सन् 1890 में जर्मन सम्राट कैंसर विलियम द्वितीय से मतभेद हो जाने के कारण बिस्मार्क ने त्याग पत्र दे दिया। 31 जुलाई 1898 को 83 वर्ष की आयु में बिस्मार्क की मृत्यु हो गई।
प्रश्न 6. इटली के एकीकरण में कौन-कौन सी बाधाएँ थीं?
उत्तर- इटली के एकीकरण में अनेक बाधाएँ थीं, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित थीं-
(i) इटली में बहुत से राज्य थे और इन राज्यों में विभिन्न राजवंशों का शासन था।
(ii) रोम का पोप एकीकरण के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा था क्योंकि वह संपूर्ण यूरोप की कैथोलिक जनता का धार्मिक नेता था।
(iii) इटली के विभिन्न शासकों में पारस्परिक ईर्ष्या तथा वैमनस्य की भावना व्याप्त थी।
(iv) इटली की जनता में राष्ट्रीयता की भावना की कमी थी।
(v) इटली के विभिन्न राजनीतिक दलों में एकता का अभाव था।
प्रश्न 7. कार्बोनरी क्या थी?
उत्तर- ‘कार्बोनरी’ का शाब्दिक अर्थ है कोयला जलाने वाले। वास्तव में ‘कार्बोनरी एक गोपनीय समिति का नाम था। मैटरनिख की दमनकारी नीति से असंतुष्ट होकर इटली के देशभक्तों ने अनेक गुप्त समितियों की स्थापना की थी, जिनमें कार्बोनरी नामक समिति सबसे अधिक संगठित तथा शक्तिशाली थी। इस समिति का प्रमुख उद्देश्य ऑस्ट्रिया को इटली से बाहर करना था।
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. वर्ष 1815 में वियना कांग्रेस के अनुदारवादियों द्वारा लिए गए निर्णयों की विवेचना कीजिए।
उत्तर- यूरोप के चार शक्तिशाली राष्ट्रों ब्रिटेन, रूस, प्रशा और ऑस्ट्रिया ने एकजुट होकर नेपोलियन को परास्त किया था। इन राष्ट्रों के प्रतिनिधियों का सम्मेलन वियना में आयोजित किया गया ताकि यूरोप के संबंध में शांतिवार्त्ता की जा सके। इस सम्मेलन की अध्यक्षता ऑस्ट्रिया के चांसलर ड्यूक मैटरनिख ने की इसका परिणाम था 1815 की वियना संधि।
(i) इस संधि का उद्देश्य था नेपोलियन द्वारा और उस दौर में यूरोप में किए गए बदलावों को समाप्त करना और पुरातन यूरोप की व्यवस्था को पुनः बहाल करना।
(ii) बॉरबोन राजवंश को फ्रांसीसी क्रांति के दौरान सत्ता से हटा दिया गया था, उसको पुनः सत्तासीन किया गया।
(iii) नेपोलियन के शासन के समय जिन क्षेत्रों पर फ्रांस ने अधिकार कर लिया था उनको फ्रांस से स्वतंत्रता दिला दी गयी।,
(iv) फ्रांस की सीमाओं पर राज्यों की एक श्रृंखला बना दी गयी जिससे भविष्य में यह राष्ट्र अपना सीमा विस्तार न कर सके। उदाहरण के लिए बेल्जियम के साथ नीदरलैण्ड राजतंत्र को उत्तर में स्थित किया गया।
(v) दक्षिण में पिडमॉण्ट के साथ जेनोआ को सम्मिलित किया गया। प्रशा को पश्चिमी सीमा पर कुछ प्रदेश दिए गए। ऑस्ट्रिया को उत्तरी इटली का शासन सूत्र दिया गया।
(vi) नेपोलियन ने 39 राज्यों को सम्मिलित कर जर्मन संघ बनाया था, उनको यथावत रखा गया। पूरब में रूस को पोलैण्ड का कुछ भाग दे दिया गया जबकि प्रशा को सेक्सनी का भाग दिया गया।
इस प्रकार 1815 में गठित पुरातन शासन व्यवस्था पूरी तरह से निरंकुश थी। वे आलोचना को सहन नहीं कर पाते थे और जनता से विरोध रखते थे। जो भी इस व्यवस्था के विपरीत आवाज बुलंद करता वे उसकी आवाज को दबा देते थे।
प्रश्न 2. एक प्रशासक के रूप में आप नेपोलियन का मूल्यांकन किस रूप में करेंगे जिसने एक तर्कसंगत व कुशल तंत्र का निर्माण किया? उचित उदाहरणों की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- (i) नागरिक संहिता 1804 को सामान्यतया नेपोलियन की संहिता के रूप में जाना जाता है। इसके द्वारा संपत्ति का अधिकार, विधि (कानून) के समक्ष समानता और जन्म के आधार पर प्राप्त विशेषाधिकार की समाप्ति को वैधानिक स्वरूप दिया गया।
(ii) फ्रांस के अंतर्गत जितने भी क्षेत्र थे उन सभी में नेपोलियन की संहिता को लागू किया गया।
(iii) नयी स्वतंत्रता के अहसास को नए व्यापारियों, शिल्पकारों और श्रमिकों ने महसूस किया।
(iv) फ्रांस के अधीन क्षेत्रों जैसे इटली, जर्मनी, स्विट्जरलैण्ड और डच गणराज्य के गरीबों को जमींदारों को दिए जाने वाले भुगतान से स्वतंत्र कर दिया गया। गरीबों को कृषिदास प्रथा से मुक्त कर दिया जमींदारी प्रथा पर रोक लगा दी गयी और प्रशासनिक इकाइयों का सरलीकरण कर दिया गया।
(v) श्रमिक संघों पर लगायी गयी पाबंदी को नगरों में हटा दिया गया।
(vi) संचार और परिवहन के साधनों में सुधार लाया गया।
(vii) आवागमन को सुगम करने के लिए और वस्तुओं व मुद्राओं के विनिमय के लिए सभी क्षेत्रों में महसूस किया जाने लगा कि एक राष्ट्रीय मुद्रा, माप-तौल के स्थापित बाट एकसमान कानून का होना सभी के लिए सुखदायक सिद्ध हुए।
प्रश्न 3. सन् 1789 में हुई फ्रांस की क्रांति के परिणामों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- फ्रांस की क्रांति के परिणाम
फ्रांस की क्रांति निश्चित रूप से राष्ट्रवाद की प्रथम अभिव्यक्ति थी, जिसे इसके परिणामों के रूप में समझा जा सकता है-
(i) इस क्रांति ने सदियों से चली आ रही यूरोप की पुरातन व्यवस्था (ancient regime) का अंत कर दिया।
(ii) इस क्रांति की महत्त्वपूर्ण देन मध्यकालीन समाज की सामंती व्यवस्था का अंत करना है।
(ii) फ्रांस के क्रांतिकारियों द्वारा की गई मानव अधिकारों की घोषणा’ (27 अगस्त 1789), मानव जाति की स्वाधीनता के लिए बड़ी महत्त्वपूर्ण है।
(iv) इस क्रांति ने समस्त यूरोप में राष्ट्रीयता की भावना का विकास और प्रसार किया। परिणामस्वरूप यूरोप के अनेक देशों में क्रांतियों का सूत्रपात हुआ।
(v) फ्रांस की क्रांति ने धर्मनिरपेक्ष राज्य की अवधारणा को जन्म दिया।
(vi) इस क्रांति ने लोकप्रिय संप्रभुता के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
(vii) फ्रांसीसी क्रांति ने मानव जाति को स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का नारा प्रदान किया।
(viii) इस क्रांति ने इंग्लैंड, आयरलैंड तथा अन्य यूरोपीय देशों की विदेश नीति को प्रभावित किया।
(ix) कुछ विद्वानों के अनुसार फ्रांस की क्रांति समाजवादी विचारधारा का स्रोत थी क्योंकि इसने समानता का सिद्धांत प्रतिपादित कर समाजवादी व्यवस्था का मार्ग भी खोल दिया था।
(x) इस क्रांति के फलस्वरूप फ्रांस ने कृषि, उद्योग, कला, साहित्य, राष्ट्रीय शिक्षा तथा सैनिक गौरव के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व प्रगति की।
प्रश्न 4. सन् 1848 की उदारवादियों की क्रांति ने यूरोप के जनमानस को किस प्रकार प्रभावित किया? इसके प्रमुख कारकों का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर- 1848 : उदारवादियों की क्रांति और उसके कारक
सन् 1848 में जब अनेक यूरोपीय देशों में गरीबी, बेरोजगारी और भुखमरी से ग्रस्त किसान-मजदूर विद्रोह कर रहे थे तब उसके समानांतर शिक्षित मध्यवर्गों की एक क्रांति भी हो रही थी। फरवरी 1848 की घटनाओं से राजा को गद्दी छोड़नी पड़ी थी और एक गणतंत्र की घोषणा की गई जो सभी मानवों के सार्वभौमिक मताधिकार पर आधारित था। यूरोप के अन्य भागों में जहाँ अभी तक स्वतंत्र राष्ट्र-राज्य अस्तित्व में नहीं आए थे जैसे जर्मनी, इटली, पोलैंड, ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य, वहाँ के उदारवादी मध्यवर्गों में स्त्री-पुरुषों ने संविधानवाद की माँग को राष्ट्रीय एकीकरण की माँग से जोड़ दिया था। उन्होंने बढ़ते जनाक्रोश का लाभ उठाया और एक राष्ट्र राज्य के निर्माण की माँग को आगे बढ़ाया। यह राष्ट्र-राज्य संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठन बनाने की स्वतंत्रता जैसे संसदीय सिद्धांतों पर आधारित था ।
जर्मन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में राजनीतिक संगठनों ने फ्रैंकफर्ट शहर में मिलकर एक सर्व जर्मन नेशनल असेंबली के पक्ष में मतदान का निर्णय लिया। 18 मई 1848 को 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने एक शानदार जुलूस में जाकर फ्रैंकफर्ट संसद में अपना स्थान ग्रहण किया। यह संसद सेंट पॉल चर्च में आयोजित की गई थी। उन्होंने एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को सौंपी गई जिसे संसद के अधीन रहना था। जब प्रतिनिधियों ने प्रशा के राजा फ्रेडरिख विल्हेम चतुर्थ को ताज पहनाने का प्रस्ताव रखा तो उसने उसे अस्वीकार कर उन राजाओं का साथ दिया जो निर्वाचित सभा के विरोधी थे। ऐसी स्थिति में जहाँ कुलीन वर्ग और सेना का विरोध बढ़ गया, वहीं संसद का सामाजिक आधार कमजोर हो गया। संसद में मध्यवर्गों का प्रभाव अधिक था जिन्होंने मजदूरों और कारीगरों की माँगों का विरोध किया जिससे वे उनका समर्थन खो बैठे। अंत में सैनिकों को बुलाया गया और असेंबली भंग होने पर मजबूर हुई।
उदारवादी आंदोलन में महिलाओं को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने का मुद्दा अत्यधिक विवादास्पद था हालांकि आंदोलन में वर्षों से बड़ी संख्या में महिलाओं ने सक्रिय भूमिका का निर्वाह किया था। महिलाओं ने अपने राजनीतिक संगठन स्थापित किए, अखबार प्रारंभ किए और राजनीतिक बैठकों और प्रदर्शनों में भाग लिया। इसके बावजूद उन्हें असेंबली के चुनाव के दौरान मताधिकार से वंचित रखा गया था। जब सेंट पॉल चर्च में फ्रैंकफर्ट संसद की सभा आयोजित की गई थी तब महिलाओं को केवल प्रेक्षकों की हैसियत से दर्शक दीर्घा में खड़े होने दिया गया। हालांकि रूढ़िवादी ताकतें सन् 1848 में उदारवादी आंदोलनों को दबा पाने में सफल हुई किंतु वे पुरानी व्यवस्था बहाल नहीं कर पाईं। राजाओं को यह समझ में आना शुरू हो गया था कि उदारवादी राष्ट्रवादी क्रांतिकारियों को रियायतें देकर ही क्रांति और दमन चक्र को समाप्त किया जा सकता था।
प्रश्न 5. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
(i) ज्युसेपे मेत्सिनी
(ii) काउंट कैमिलो दे कावूर
(iii) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध
(iv) फ्रैंकफर्ट संसद
(v) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका ।
उत्तर- (i) ज्युसेपे मेत्सिनी
ज्युसेपे मेत्सिनी इटली का एक युवा क्रांतिकारी था। उसका जन्म सन् 1807 में जेनोआ में हुआ था। देशभक्ति की भावना से प्रेरित होकर वह कार्बोनरी नामक गुप्त संगठन का सदस्य बन गया। 24 वर्ष की आयु में लिगुरिया में क्रांति करने के कारण उसे बहिष्कृत कर दिया गया। मेत्सिनी ने मार्सेई में ‘यंग इटली’ तथा बर्न में ‘यंग यूरोप’ नामक भूमिगत संगठनों की स्थापना की जिसके सदस्य पोलैंड, फ्रांस, इटली, जर्मनी आदि राज्यों में समान विचार रखने वाले युवा थे। मेत्सिनी का विश्वास था कि ईश्वर की इच्छा के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई है अतः इटली छोटे राज्यों और प्रदेशों के रूप में नहीं रह सकता था। इन्हें व्यापक गठबंधन के अंतर्गत एकीकृत गणतंत्र बनना ही था। यह एकीकरण ही इटली की मुक्ति का आधार हो सकता था। मेत्सिनी ने राजतंत्र का घोर विरोध करके तथा प्रजातांत्रिक गणतंत्रों के अपने स्वप्न से रूढ़िवादियों को पराजित कर दिया।
(ii) काउंट कैमिलो दे कावूर
काउंट कैमिलो दे कावूर इटली के सार्डीनिया पीडमॉट राज्य का प्रमुख मंत्री था। कावूर न तो क्रांतिकारी था और न ही जनतंत्र में विश्वास रखने वाला व्यक्ति था। कावूर इटली के उच्च धनी एवं शिक्षित सदस्यों की भाँति इतालवी की अपेक्षा फ्रेंच भाषा को अच्छे तरीके से बोलने वाला था। कावूर के प्रयत्नों से फ्रांस और सार्डीनिया पीडमाँट के बीच एक कूटनीतिक संधि हुई थी। फ्रांस से उसके घनिष्ठ संबंध थे जिसकी सहायता से सार्डीनिया पीडमॉट ने सन् 1859 में ऑस्ट्रिया को पराजित कर दिया। कावूर ने इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आंदोलन का नेतृत्व किया।
(iii) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध
यूरोप में उदारवाद एवं राष्ट्रवाद के विकास के साथ क्रांतियों का युग प्रारंभ हुआ। 19वीं शताब्दी में यूनान का स्वतंत्रता संग्राम भी राष्ट्रवादी भावना से प्रेरित था। यूनान के स्वतंत्रता संग्राम ने यूरोप के शिक्षित अभिजात वर्ग में राष्ट्रीय भावनाओं का संचार किया। 15वीं शताब्दी से ही यूनान पर ऑटोमन साम्राज्य का शासन था। यूरोप महाद्वीप में क्रांतिकारी राष्ट्रवाद की प्रगति से यूनान के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ। इसके परिणामस्वरूप सन् 1821 में यूनान की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष आरंभ हो गया। यूनान से राष्ट्रवादी नेताओं को निष्कासित कर दिया गया। यूनानवासियों को पश्चिमी यूरोपीय देशों के साथ-साथ अन्य यूरोपीय देशों में रहने वाले निष्कासित यूनानियों का भी समर्थन प्राप्त हुआ क्योंकि वे लोग प्राचीन यूनानी संस्कृति के प्रति सहानुभूति रखते थे।
कवियों और कलाकारों ने भी यूनान को यूरोपीय सभ्यता का भरण-पोषण करने वाला बताकर उसकी मुक्तकंठ से प्रशंसा की तथा ऑटोमन साम्राज्य के विरुद्ध यूनानी संघर्ष के लिए जनमत जुटाया। अंग्रेज कवि लॉर्ड बायरन ने धन एकत्रित किया और बाद में युद्ध में भी सम्मिलित हुए लेकिन दुर्भाग्यवश सन् 1824 में बुखार के कारण उनकी मृत्यु हो गयी। अतः सन् 1832 में कुस्तुनतुनिया की संधि में यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी गई इस तरह यूनान का स्वतंत्रता संग्राम पूर्ण हुआ ।
(iv) फ्रैंकफर्ट संसद
सन् 1848 की फ्रांसीसी घटना का जर्मनी पर व्यापक प्रभाव पड़ा। इस समय जर्मन देशभक्तों ने अपने दो उद्देश्य निश्चित कर लिए थे- प्रथम, जर्मन राज्यों में निरंकुश तथा स्वेच्छाचारी शासन का अंत करके लोकतांत्रिक शासन की स्थापना करना और द्वितीय, जर्मनी के विभिन्न राज्यों का संगठन करके जर्मनी का पूर्ण एकीकरण करना ।
इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए जर्मनी के देशभक्तों ने मैटरनिख के पतन का समाचार सुनकर स्थान-स्थान पर क्रांतिकारी गतिविधियाँ प्रारंभ कर दीं प्रशा के सम्राट फ्रेड्रिक विलियम ने अपने राज्य में उदारवादी संविधान लागू करके यह घोषणा की कि वह जर्मनी के एकीकरण के लिए पूर्ण प्रयत्न करेगा। इस घोषणा से प्रभावित होकर अन्य राज्यों के क्रांतिकारियों ने अपने राजाओं के समक्ष निम्नलिखित माँगें रखीं-
(क) संवैधानिक सरकार की स्थापना की जाए।
(ख) प्रेस तथा विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी जाए।
(ग) जर्मन राज्य संघ के लिए एक शक्तिशाली संघात्मक संविधान बनाया जाए।
जर्मनी के सभी राजाओं ने क्रांतिकारियों की उक्त सभी माँगें स्वीकार कर लीं। तत्पश्चात् जर्मनी के देशभक्तों ने सन् 1848 में फ्रैंकफर्ट नामक स्थान पर एक राष्ट्रीय सभा का अधिवेशन बुलाया। इस अधिवेशन में जर्मनी के सभी राज्यों से निर्वाचित प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सभा का उद्देश्य संपूर्ण जर्मनी के लिए एक उदारवादी संविधान का निर्माण करना था। लेकिन यह सभा अपना कार्य सुचारु रूप से करने में असफल रही क्योंकि इसने काफी समय मौलिक अधिकारों पर बहस करने में ही नष्ट कर दिया। अंत में एक वर्ष पश्चात् राष्ट्रीय सभा ने एक संविधान बनाया,
जिसके अनुसार दो सदनों वाली एक व्यवस्थापिका गठित की गई। कार्यपालिका का प्रमुख प्रशा का सम्राट बनाया गया, जिसका पद वंशानुगत रखा गया। लेकिन जब सभी ने प्रशा के सम्राट को जर्मनी का राजमुकुट ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया तो उसने ऑस्ट्रिया के भय से जर्मनी का राजमुकुट स्वीकार करने से इनकार कर दिया। 3 अप्रैल 1849 ई० को प्रशा के सम्राट की अस्वीकृति ने जर्मनी के देशभक्तों की आशाओं पर पानी फेर दिया।
प्रशा के सम्राट की अस्वीकृति से जर्मनी के देशभक्तों का जोश ठंडा पड़ गया और इस समय तक ऑस्ट्रिया भी अपनी आंतरिक क्रांति का दमन करने में सफल हो गया। अतः प्रशा का अनुसरण करके अन्य जर्मन राज्यों ने सन् 1849 का संविधान अस्वीकार कर लिया और अपनी सेनाएँ भेजकर, बलपूर्वक फ्रैंकफर्ट की सभा को भंग कर दिया। इस प्रकार जर्मन देशभक्तों का यह प्रयास भी विफल हो गया और
संपूर्ण जर्मनी में पुनः निरंकुश शासन की स्थापना हो गई।
(v) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका
राष्ट्रवादी संघर्षों में संपूर्ण विश्व की महिलाओं ने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। राष्ट्रवादी आंदोलन के अंतर्गत महिलाओं को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने का मुद्दा विवाद का विषय बन चुका था। हालांकि राष्ट्रवादी आंदोलनों में बहुत पहले से ही बड़ी संख्या में महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया था। महिलाओं ने अपने राजनीतिक संगठन तैयार किए, समाचार-पत्र शुरू किए तथा राजनीतिक बैठकों व प्रदर्शनियों में भाग लिया लेकिन इसके बावजूद वे राजनीतिक अधिकारों से वंचित थीं। उन्हें असेंबली के चुनाव के दौरान मताधिकार से वंचित रखा गया। सन् 1848 में जर्मनी के सेंट पॉल चर्च में जब फ्रैंकफर्ट संसद की सभा आयोजित की गई थी तब महिलाओं को केवल प्रेक्षकों की हैसियत से दर्शक दीर्घा में खड़े होने की अनुमति प्रदान की गई। यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण थी। तत्कालीन परिस्थिति के अनुसार महिलाओं की भूमिका तुलनात्मक रूप से कम महत्त्वपूर्ण हो सकती थी लेकिन नगण्य नहीं थी।
प्रश्न 6. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बताएँ कि उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए?
उत्तर – उन्नीसवीं सदी में यूरोप में अनेक राष्ट्र विभिन्न तरीकों से विकसित हुए, जिनमें से जर्मनी व इटली प्रमुख हैं-
(1) जर्मनी राष्ट्र राज्य का विकास
(i) फ्रैंकफर्ट संसद के प्रयास- जर्मनी में राष्ट्रवादी भावनाएँ मध्य वर्ग के लोगों में अधिक थीं। उन्होंने सन् 1848 में जर्मन महासंघ के विभिन्न क्षेत्रों को जोड़कर एक निर्वाचित संसद (फ्रैंकफर्ट संसद) द्वारा शासित राष्ट्र राज्य बनाने का प्रयास किया। लेकिन राष्ट्र निर्माण का यह उदारवादी प्रयास राजशाही तथा सैन्य शक्ति ने मिलकर विफल कर दिया।
(ii) प्रशा का नेतृत्व तथा बिस्मार्क की भूमिका- बाद में प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण के आंदोलन का नेतृत्व सँभाला। प्रशा के प्रमुख मंत्री ऑटो वान बिस्मार्क ने प्रशा की सेना तथा नौकरशाही की सहायता ली। उसने ‘लौह और रक्त’ की नीति अपनाते हुए सात वर्ष की अवधि में डेनमार्क, ऑस्ट्रिया तथा फ्रांस को पराजित कर दिया और जर्मनी का एकीकरण पूरा किया।
(iii) जर्मन साम्राज्य की घोषणा- 18 जनवरा 1871 को बिस्मार्क ने वर्साय के शीशमहल में विलियम प्रथम को नवीन जर्मन साम्राज्य का सम्राट घोषित किया। एकीकरण के पश्चात् नए जर्मन राज्य में मुद्रा, बैंकिंग, कानूनी तथा न्यायिक व्यवस्थाओं के आधुनिकीकरण पर बल दिया गया।
(2) इटली राष्ट्र राज्य का विकास
(i) ज्युसेपे मेत्सिनी का योगदान- इटली अपने एकीकरण के पूर्व सात राज्यों में बँटा हुआ था। इनमें से केवल एक राज्य सार्डीनिया- पीडमांट में इतालवी राजवंश का शासन था। इटली के क्रांतिकारी नेता ज्युसेपे मेत्सिनी ने सन् 1831 में ‘यंग इटली’ नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की और इसके माध्यम से इटलीवासियों में राष्ट्रीयता, देशभक्ति, त्याग और बलिदान की भावनाएँ उत्पन्न कीं।
(ii) कावूर का योगदान- कावूर सार्डीनिया पीडमांट का प्रधानमंत्री था। फ्रांस से सैनिक सहायता प्राप्त करके सार्डीनिया पीडमांट ने ऑस्ट्रिया की सेनाओं को पराजित कर दिया। इसके परिणामस्वरूप लम्बाडी को सार्डीनिया पीडमांट में मिला लिया गया।
(iii) गैरीबाल्डी का योगदान- गैरीबाल्डी इटली का एक महान् स्वतंत्रता सेनानी था। उसने सन् 1860 में सिसली और नेपल्स पर आक्रमण किया और उन पर अधिकार कर लिया। जनमत संग्रह के
बाद सिसली और नेपल्स को सार्डीनिया पीडमांट में मिला लिया गया।
(iv) विक्टर इमेनुअल द्वितीय का योगदान- विक्टर इमेनुअल द्वितीय सार्डीनिया पीडमांट का राजा था। सन् 1861 में उसे एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया। सन् 1866 में वेनेशिया को भी इटली में मिला लिया गया। सन् 1870 में इटली की सेनाओं ने रोम पर भी अधिकार कर लिया। इस प्रकार इटली का एकीकरण पूरा हुआ।