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Chapter 13 अमृतं संस्कृतम्

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत –

बहीनाम् – सङ्गणकस्य
चिकित्साशास्त्रम् – वैशिष्ट्यम्
भूगोलशास्त्रम् – वाङ्मये
विद्यमानाः – अर्थशास्त्रम्
उत्तर:
स्वयं उच्चारण करें।

प्रश्न 2.
प्रश्नानाम् एकपदेन उत्तराणि लिखत –

(क) का भाषा प्राचीनतमा ?
(ख) भारतीयसंस्कृतेः रक्षणं केन सम्भवति ?
(ग) चाणक्येन रचितं शास्त्रं किम् ?
(घ) कस्याः भाषायाः काव्यसौन्दर्यम् अनुपमम् ?
(ङ) शून्यस्य प्रतिपादनं कः अकरोत् ?
उत्तर:
(क) संस्कृतभाषा .
(ख) संस्कृतेन
(ग) अर्थशास्त्रम्
(घ) संस्कृतभाषायाः
(ङ) भास्कराचार्यः।

प्रश्न 3.
प्रश्नानाम् उत्तराणि एकवाक्येन लिखत –

(क) भारतसर्वकारस्य राजचिह्ने किं लिखितम् अस्ति ?
(ख) संस्कृतस्य वाङ्मयं कैः समृद्धमस्ति ?
(ग) संस्कृतस्य सूक्तयः केन रूपेण स्वीकृताः सन्ति ?
(घ) अस्माभिः संस्कृतं किमर्थ पठनीयम् ?
उत्तर:
(क), ‘सत्यमेव जयते’ इति भारतसर्वकारस्य राजचिह्न लिखितम् अस्ति।
(ख) संस्कृतस्य वाङ्मयं वेदैः, पुराणैः, नीतिशास्त्रैः, चिकित्साशास्त्रादिभिः समृद्धमस्ति।
(ग) संस्कृतस्य सूक्तयः ध्येयवाक्यरूपेण स्वीकृताः सन्ति।
(घ) अस्माभिः संस्कृतं पठनीयम् येन मनुष्यस्य समाजस्य च परिष्कारः भवेत्।

प्रश्न 4.
इकारान्त-स्त्रीलिङ्गशब्दरूपम् अधिकृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत


उत्तर:

प्रश्न 5.
रेखालानि पानि अधिकृत्य प्रनिगाण सरा –

(क) संस्कृते ज्ञानविज्ञानयोः निधिः सुरक्षितोऽस्ति।
(ख) संस्कृतमेव सङ्गणकस्य कृते सर्वोत्तमा भाषा।
(ग) शल्यक्रियायाः वर्णनं संस्कृतसाहित्ये अस्ति।
(घ) वरिष्ठान प्रति अस्माभिः प्रियं व्यवहर्त्तव्यम्।
उत्तर:
(क) संस्कृते ज्ञानविज्ञानयोः कः सुरक्षितोऽस्ति?
(ख) संस्कृतमेव कस्य कृते सर्वोत्तमा भाषा ?
(ग) शल्यक्रियायाः वर्णन कस्मिन् अस्ति ?
(घ) कान् प्रति अस्माभिः प्रियं व्यवहर्तव्यम् ?

प्रश्न 6.
उदाहरणानुसारं पदानां विभक्तिं वचनञ्च लिखत

प्रश्न 7.
यथायोग्य संयोज्य लिखत


उत्तर:

बहुविकल्पी प्रश्न

निम्नलिखितानां प्रश्नानाम् शुद्धम् उत्तरं चित्वा लिखत –

प्रश्न 1.
चरकसुश्रुतयोः योगदान कस्मिन् क्षेत्रे अस्ति?
(क) गणिते
(ख) चिकित्साशास्त्रे
(ग) ज्योतिषशास्त्रे
(घ) वेदान्ते।
उत्तर:
(ख) चिकित्साशास्त्रे

प्रश्न 2.
चाणक्यस्य प्रसिद्धा रचना का अस्ति?
(क) अर्थशास्त्रम्
(ख) विष्णुपुराणम्
(ग) पञ्चतन्त्रम्
(घ) नीतिशतकम्।
उत्तर:
(क) अर्थशास्त्रम्

प्रश्न 3.
‘सत्यमेव जयते’ इति सूक्तिः कुत्र प्रयुक्ता?
(क) भारतसर्वकारस्य राजचिह्न
(ख) दूरदर्शने
(ग) जीवनबीमानिगमस्य चिह्न
(घ) पत्रालये।
उत्तर:
(क) भारतसर्वकारस्य राजचिह्न

प्रश्न 4.
‘महापुरुषाणाम् पदे कः मूलशब्दः ?
(क) महान्
(ख) पुरुषः
(ग) महान् पुरुषः
(घ) महापुरुष।
उत्तर:
(घ) महापुरुष।

प्रश्न 5.
‘कथयन्ति’ पदे कः पुरुषः ?
(क) प्रथमः
(ख) द्वितीयः
(ग) उत्तमः
(घ) मध्यमः।
उत्तर:
(क) प्रथमः

प्रश्न 6.
‘वाङ्मयम्’ पदस्य समानार्थकपदं किम् अस्ति ?
(क) संगीतम्
(ख) साहित्यम् ।
(ग) संस्कृतम्
(घ) वैदिकः।
उत्तर:
(ख) साहित्यम् ।

Summary

1. विश्वस्य सर्वासु …………. संस्कृतिस्तथा । (पृष्ठ 69)

हिन्दी सरलार्थ – विश्व की सभी भाषाओं में संस्कृत भाषा सबसे प्राचीन भाषा है। यह भाषा बहुत-सी भाषाओं की जननी मानी गई है। इसी भाषा में ज्ञान और विज्ञान का भंडार सुरक्षित है। जैसा कि कहा गया है-भारत की दो प्रतिष्ठाएँ है-संस्कृत और संस्कृति।

2. अस्याः भाषायाः ………… उल्लेखनीयम्। (पृष्ठ 69)

हिन्दी सरलार्थ – इस भाषा की वैज्ञानिकता का विचार करके ही कम्प्यूटर विशेषज्ञ कहते हैं कि संस्कृत ही कम्प्यूटर के लिए सबसे उत्तम भाषा है। इसका साहित्य वेदों, पुराणों, नीतिशास्त्रों, चिकित्साशास्त्र आदि से समृद्ध है। कालिदास जैसे विश्व कवियों का काव्य सौन्दर्य अनुपम है। चाणक्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र संसार में प्रसिद्ध है। गणितशास्त्र में शून्य का प्रतिपादन सबसे पहले भास्कराचार्य ने सिद्धान्तशिरोमणि में किया। चिकित्साशास्त्र में चरक और सुश्रुत का योगदान विश्व में प्रसिद्ध है। संस्कृत में जो अन्य शास्त्र हैं उनमें खगोलविज्ञान, वास्तुशास्त्र, रसायनशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र और विमानशास्त्र उल्लेखनीय हैं।

3. संस्कृतस्य इदं …………… वर्तते । (पृष्ठ 69)

हिन्दी सरलार्थ – संस्कृत को यह विशेषता है कि इसके साहित्य में विद्यमान सूक्तियाँ उन्नति के लिए प्रेरित करती हैं। बड़ों और छोटों के प्रति हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए इसका व्यावहारिक ज्ञान संस्कृत ही देती है। भारत सरकार के विभिन्न विभागों में संस्कृत की सूक्तियाँ ध्येय वाक्य के रूप में स्वीकृत है। भारत सरकार के राजचिहन में प्रयुक्त सक्ति’सत्यमेव जयते’ (सत्य की ही विजय होती है) को सभी जानते हैं। इसी प्रकार राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद् का ध्येय वाक्य ‘विद्ययाऽमृतमश्नुते’ (विद्या से व्यक्ति अमरता प्राप्त करता है) है।

4. केचन कथयन्ति  ………………. ज्ञानविज्ञानपोषकम् । (पृष्ठ 70)

हिन्दी सरलार्थ – कुछ कहते हैं कि संस्कृत भाषा में केवल धार्मिक साहित्य है-यह धारणा उचित नहीं है। संस्कृत के ग्रन्थों में मानव जीवन के लिए अनेक प्रकार के विषय सम्मिलित हैं। महापुरुषों की बुद्धि, उत्तम लोगों का धैर्य और साधारण लोगों की जीवनपद्धति वर्णित है। इसलिए हमें संस्कृत अवश्य पढ़नी चाहिए जिससे मनुष्य और समाज का परिष्कार हो और कहा गया है
मित्र ! संस्कृत अमृत है। इसके वचन सरस (मनोरंजक) और सरल हैं। यह देश में एकता का मूल है तथा ज्ञान और विज्ञान को पुष्ट करने वाली है।

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