Chapter 15 Improvement in Food Resources

पाठगत हल प्रश्न

पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 229)

प्र० 1. अनाज, दाल, फल तथा सब्ज़ियों से हमें क्या प्राप्त होता है?
उत्तर- अनाज से कार्बोहाइड्रेट प्राप्त होता है जो हमें ऊर्जा प्रदान करता है। दालों से प्रोटीन प्राप्त होता है। फलों तथा सब्जियों से विटामिन तथा खनिज लवण प्राप्त होते हैं, कुछ मात्रा में प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट भी प्राप्त होते हैं।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 230)

प्र० 1. जैविक तथा अजैविक कारक किस प्रकार फसल उत्पादन को प्रभावित करते हैं?
उत्तर- जैविक (रोग, कीट तथा निमेटोड) तथा अजैविक (सूखा, क्षारता, जलाक्रांति, गरमी, ठंडा तथा पाला) परिस्थितियों के कारण फसल उत्पादन कम हो सकता है और फसल नष्ट हो सकती है। इन दोनों कारकों के संयुक्त प्रभाव निम्न हो सकते हैं

प्र० 2. फसल सुधार के लिए ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण क्या हैं?
उत्तर- ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण-चारे वाली फ़सलों के लिए लंबी तथा सघन शाखाएँ ऐच्छिक गुण हैं। अनाज के लिए बौने पौधे उपयुक्त हैं ताकि इन फसलों को उगाने के लिए कम पोषकों की आवश्यकता हो। इस प्रकार सस्य विज्ञान वाली किस्में अधिक उत्पादन प्राप्त करने में सहायक होती हैं।

NCERT पाठ्यपुस्तक ( पृष्ठ संख्या 231)

प्र० 1. वृहत् पोषक क्या हैं और इन्हें वृहत्-पोषक क्यों कहते हैं?
उत्तर- पौधों को अनेक पोषक पदार्थ मिट्टी से प्राप्त होते हैं। इन पोषकों में से कुछ पोषक तत्त्व नाइट्रोजन, फ़ॉस्फोरस, पोटैशियम, कैल्सियम, मैगनीशियम, सल्फर को वृहत् पोषक कहा जाता है। चूंकि इनकी आवश्यकता अधिक मात्रा में पड़ती है इसलिए इन्हें वृहत् पोषक कहा जाता है।

प्र० 2. पौधे अपना पोषक कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर- पौधे अपना पोषक हवा, पानी तथा मिट्टी से प्राप्त करते हैं।
हवा से – कार्बन, ऑक्सीजन
पानी से – हाइड्रोजन, ऑक्सीजन
तथा मिट्टी से अन्य पोषक पदार्थ प्राप्त होते हैं। मिट्टी में पाए जाने वाले पोषक पदार्थ जल में घुलनशील होते हैं जो जड़ों द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं तथा जाइलम ऊतक के द्वारा पौधों के विभिन्न भागों तक पहुँचाए जाते हैं।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 232)

प्र० 1. मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए खाद तथा उर्वरक के उपयोग की तुलना कीजिए।
उत्तर- खाद की उपयोगिता:

उर्वरक का उपयोग

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 235)

प्र० 1. निम्नलिखित में से कौन-सी परिस्थिति में सबसे अधिक लाभ होगा? क्यों?
(a) किसान उच्चकोटि के बीज का उपयोग करें, सिंचाई ना करें अथवा उर्वरक का उपयोग न करें।
(b) किसान सामान्य बीजों का उपयोग करें, सिंचाई | करें तथा उर्वरक का उपयोग करें।
(c) किसान अच्छी किस्म के बीज का प्रयोग करें, सिंचाई करें, उर्वरक का उपयोग करें तथा फसल सुरक्षा की विधियाँ अपनाएँ।
उत्तर- (c) किसान अच्छी किस्म के बीज का प्रयोग करें, सिंचाई करें, उर्वरक का उपयोग करें तथा फसल सुरक्षा की विधियाँ अपनाएँ। केवल इसी परिस्थिति में अधिक लाभ होगा क्योंकि उच्च कोटि के बीज होने पर भी जब तक सही तरीकों से सिंचाई, उर्वरकों का प्रयोग और फसल की सुरक्षा नहीं की जाए तो उत्पादकता में कमी आती है।

NCERT पाठ्यपुस्तक पृष्ठ संख्या 235)

प्र० 1. फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियाँ तथा जैव नियंत्रण क्यों अच्छा समझा जाता है?
उत्तर- पीड़कों पर नियंत्रण के लिए प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्मों का उपयोग तथा ग्रीष्मकाल में हल से जुताई की जाती है। गहराई तक जुताई करने से खरपतवार तथा पीक नष्ट हो जाते हैं। यह एक प्रकार की निरोधक विधि है। जैव नियंत्रण विधि में जानबूझकर कीटों या अन्य जीवों का उपयोग किया जाता है जो खर-पतवार को खासकर नष्ट कर देता है। जैसे-प्रिंकले पियर कैक्टस (Prinkly-pear Cactus)
उपर्युक्त विधियाँ अच्छी इसलिए हैं क्योंकि:

प्र० 2. भंडारण की प्रक्रिया में कौन-से कारक अनाज की हानि के लिए उत्तरदायी हैं?
उत्तर- जैविक कारक-कीट, कुंतक, कवक, चिंचड़ी तथा जीवाणु। अजैविक कारक-भंडारण के स्थान पर उपयुक्त नमी व ताप का अभाव होना। ये कारक उत्पादन की गुणवत्ता को खराब करते हैं। वजन कम कर देते हैं। अंकुरण की क्षमता कम कर देते हैं। उत्पादन को बदरंग कर देते हैं। ये सब लक्षण बाज़ार में उत्पादन की कीमत को कम कर देते हैं।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 236)

प्र० 1. पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्राय: कौन-सी विधि का उपयोग किया जाता है और क्यों?
उत्तर- पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्रायः विदेशी नस्लों और देशी नस्लों में संकरण (Cross breeding) कराया जाता है। विदेशी नस्लों; जैसे-जर्सी, ब्रॉउन स्विस में दुग्ध स्रवण काल लंबा (Prolonged Period of Lactation) होता है जबकि देशी नस्लों; जैसे-रेडसिंधी, साहीवाल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक होती है। अत: इनके संकरण से एक नई संतति प्राप्त होती है जिसमें दोनों प्रकार के ऐच्छिक गुण (रोग प्रतिरोधक क्षमता व लंबा दुग्धस्रवण काल) होंगे।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 237)

प्र० 1. निम्नलिखित कथन की विवेचना कीजिए “यह रुचिकर है कि भारत में कुक्कुट, अल्प रेशे के खाद्य पदार्थों को उच्च पोषकता वाले पशु प्रोटीन आहार में परिवर्तन करने के लिए सबसे अधिक सक्षम हैं। अल्प रेशे के खाद्य पदार्थ मनुष्यों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।”
उत्तर- पाल्ट्री फार्म में कुक्कुट ऐसे कृषि उत्पादों को आहार के रूप में प्रयोग करते हैं जो मनुष्यों के लिए उपयुक्त नहीं होता है; जैसे – चावल के दाने, ज्वार, बाजरा आदि के दले हुए दाने। कुक्कुट इन्हें खाकर अंडों और मांस में संश्लेषण कर देते हैं जो उच्च कोटि के पशु प्रोटीन होते हैं।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 238)

प्र० 1. पशुपालन तथा कुक्कुट पालन के प्रबंधन प्रणाली में क्यो समानता है?
उत्तर- पशुपालन तथा कुक्कुट पालन के प्रबंधन प्रणाली में निम्नलिखित समानताएँ हैं

प्र० 2. ब्रौलर तथा अंडे देने वाली लेयर में क्या अंतर है? इनके प्रबंधन के अंतर को भी स्पष्ट करें।
उत्तर-

NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 15 (Hindi Medium) 1
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 15 (Hindi Medium) 2

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 239)

प्र० 1. मछलियाँ कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर- मछलियाँ दो तरीके से प्राप्त की जाती हैं

प्र० 2. मिश्रित मछली संवर्धन के क्या लाभ हैं?
उत्तर- मिश्रित मछली संवर्धन से निम्नलिखित लाभ हैं

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 240)

प्र० 1. मधु उत्पादन के लिए प्रयुक्त मधुमक्खी में कौन-से ऐच्छिक गुण होने चाहिए?
उत्तर- मधु उत्पादन के लिए प्रयुक्त मधुमक्खी में निम्नलिखित गुण होने चाहिए

प्र० 2. चरागाह क्या है और ये मधु उत्पादन से कैसे संबंधित है?
उत्तर- चरागाह वे स्थान हैं जहाँ बहुत सारे फूलों की क्यारियाँ होती हैं जिनसे मधुमक्खियाँ फूलों से मकरंद तथा पराग एकत्र करती हैं। चरागाह की पर्याप्त उपलब्धता मधुमक्खियों को अधिक मात्रा में शहद देती है तथा फूलों की किस्में मधु की गुणवत्ता एवं स्वाद को निर्धारित करती हैं। इसलिए जितने अधिक प्रकार के फूल होंगे, उतनी ही किस्में मधु के स्वाद की भी होंगी। अतः मधु उत्पादन का चरागाह से संबंध है।

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न (NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED)

प्र० 1. सल उत्पादन की एक विधि का वर्णन करो जिससे अधिक पैदावार प्राप्त हो सके।
उत्तर- अधिक पैदावार प्राप्त करने की एक विधि फसल चक्र (Crop Rotation) है। इस विधि में क्रमवार पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार किसी खेत में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं। परिपक्वन काल के आधार पर विभिन्न फसल सम्मिश्रण (Crop Combinations) के लिए फसल चक्र अपनाया जाता है। एक कटाई के बाद दूसरी कौन-सी फसल उगाई जाए, यह नमी तथा सिंचाई की उपलब्धता पर निर्भर करता है। यदि फसल चक्र उचित ढंग से अपनाया जाए तो वर्ष में दो या तीन फसलों से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यह विधि इस सिद्धान्त पर आधारित है. कि यदि लगातार एक ही खेत में एक ही फसल उगाई जाए तो उसमें एक विशेष प्रकार के खनिज की कमी हो जाती है तथा अनेक रोग तथा पीड़क फसल को नष्ट कर देते हैं; जैसे-मक्का , सरसों, धान, गेहूं आदि।

प्र० 2. खेतों में खाद तथा उर्वरक का उपयोग क्यों करते हैं?
उत्तर- खेतों में खाद तथा उर्वरक का उपयोग करने पर मिट्टी की उर्वरता बढ़ जाती है, फसल की उत्पादकता में वृद्धि होती है क्योंकि पोषकों की कमी के कारण पौधों की शारीरिक प्रक्रियाओं सहित जनन, वृद्धि तथा रोगों के प्रति प्रवृत्ति पर प्रभाव पड़ता है। अतः खाद तथा उर्वरक का उपयोग करने पर मिट्टी में वांछित पोषकों की पूर्ति हो जाती है तथा उत्पादन अधिक होता है।

प्र० 3. अंतराफसलीकरण तथा फसल चक्र के क्या लाभ हैं?
उत्तर- अंतराफसलीकरण से लाभ (Advantages of using intercropping):

‘फसल चक्र से लाभ (Advantages of Using Crop Rotation) :

प्र० 4. आनुवांशिक फेरबदल क्या हैं? कृषि प्रणालियों में ये कैसे उपयोगी हैं?
उत्तर- वह फसल जिसे वांछित लक्षण प्राप्त करने के लिए किसी दूसरे स्रोत से प्राप्त जीन को प्रवेश कराकर विकसित किया गया हो, आनुवंशिक रूपांतरित (फेरबदल) (Genetic Manipulation) फसल कहलाती है। कृषि प्रणाली में यह निम्नलिखित कारणों से उपयोगी है

प्र० 5. भंडार गृहों (गोदामों) में अनाज की हानि कैसे होती है?
उत्तर- भंडार गृहों (गोदामों) में अनाज की हानि मुख्यतः दो कारकों से होती है

प्र० 6. किसानों के लिए पशुपालन प्रणालियाँ कैसे लाभदायक हैं?
उत्तर- किसानों के लिए पशुपालन प्रणालियाँ निम्न कारणों से लाभदायक हैं

प्र० 7. पशुपालन के क्या लाभ हैं?
उत्तर- पशुपालन से निम्नलिखित लाभ हैं

प्र० 8. उत्पादन बढ़ाने के लिए कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन तथा मधुमक्खी पालन में क्या समानताएँ हैं?
उत्तर-

प्र० 9. प्रग्रहण मत्स्यन, मेरीकल्चर तथा जल संवर्धन में क्या अंतर है?
उत्तर- (i) प्रग्रहण मत्स्यन (Capture Fishing) : ताज़ा जल (अलवणीय जल) तथा समुद्री जल जैसे प्राकृतिक स्रोतों से मछली पकड़ना प्रग्रहण मत्स्यने कहलाता है। इस प्रकार के जल स्रोत हैं-तालाब, नदी, पोखर, लैगून, झील, समुद्र, महासागर इत्यादि।

(ii) मेरीकल्चर (Mariculture) : कुछ आर्थिक महत्त्व वाली समुद्री मछलियों का समुद्री जल में संवर्धन किया जाता है, जिसे मेरीकल्चर कहते हैं। इनमें प्रमुख हैं-मुलेट, भेटकी तथा पर्लस्पॉट (पखयुक्त मछलियाँ), कवचीय मछलियाँ; जैसे-झींगा (Prawn), मस्सल तथा ऑएस्टर एवं साथ ही समुद्री खर-पतवार।।

(iii) जल-संवर्धन (Aquaculture) : यह ताज़ा जल (Fresh water) तथा समुद्री जल (लवणीय जल) दोनों में किया जा सकता है। मेरीकल्चर, जल संवर्धन (Aquaculture) का ही एक प्रकार है।

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