Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
अभ्यास प्रश्न
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. भारत में ग्रामीण क्षेत्र में किस क्षेत्रक का योगदान सर्वाधिक है?
a. प्राथमिक
b. द्वितीयक
c. तृतीयक
d. उपर्युक्त सभी। (a)
2. भारत में निम्नलिखित क्षेत्रकों में से ‘सकल घरेलू उत्पाद’ में किसकी हिस्सेदारी सर्वाधिक है?
a. प्राथमिक
b. द्वितीयक
c. तृतीयक
d. चतुर्थक। (c)
3. गन्ने से चीनी बनाना सम्मिलित है-
a. प्राथमिक क्षेत्रक में
b. द्वितीयक क्षेत्रक में
c. तृतीयक क्षेत्रक में
d. ये सभी । (b)
4. सेवा क्षेत्रक कहा जाता है-
a. प्राथमिक क्षेत्रक को
b. द्वितीयक क्षेत्रक को
c. तृतीयक क्षेत्रक को
d. इन सभी को । (c)
5. निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सुमेलित है?
a. प्राथमिक क्षेत्रक – फूल की खेती करने वाला
b. द्वितीयक क्षेत्रक – दुग्ध विक्रेता
c. तृतीयक क्षेत्रक – मछुआरा
d. विनिर्माण क्षेत्रक – माली । (a)
6. सेवा क्षेत्रक करता है-
a. वस्तुओं का उत्पादन
b. सेवाओं का सृजन
c. a और b सत्य
d. a और b असत्य । (b)
7. विकास के साथ-साथ ………………. क्षेत्रक का महत्त्व बढ़ता जाता है।
a. प्राथमिक
b. द्वितीयक
c. तृतीयक
d. ये सभी । (c)
8. निम्नलिखित में कौन-सा कर्मचारी असंगठित क्षेत्रक में शामिल नहीं है?
a. शिक्षक
b. ठेला चालक
c. सड़क पर पत्थर तोड़ता मजदूर
d. कृषि श्रमिक | (a)
9. परिवहन संघ (Transport Union) ने एक हड़ताल की, जिसके कारण ट्रकों ने ग्रामीण क्षेत्रों से सब्जी, दूध आदि को शहरी क्षेत्रों में पहुँचाने से मना कर दिया। शहरी क्षेत्रों में खाद्य पदार्थों की कमी हो गयी और ग्रामीण क्षेत्रों में किसान अपनी उपज बेचने में असमर्थ हो गए। परिवहन संघ द्वारा आयोजित हड़ताल से निम्नलिखित क्षेत्रों में से कौन प्रभावित हुआ?
a. प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक
b. द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक
c. तृतीयक, प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक
d. तृतीयक और प्राथमिक क्षेत्रक। (c)
10. निम्नलिखित में से कौन-सी तृतीयक क्षेत्रक की विशेषता नहीं है?
a. ये गतिविधियाँ प्राथमिक व द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में मदद करती हैं
b. ये स्वतः वस्तुओं का उत्पादन करती हैं
c. ये गतिविधियाँ उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग या मदद करती हैं
d. उपर्युक्त में से कोई नहीं । (b)
11. तृतीयक गतिविधियों के उदाहरण हैं-
a. परिवहन
b. भंडारण
c. संचार
d. ये सभी । (d)
12. तृतीयक क्षेत्रक को कहा जाता है-
a. प्राथमिक क्षेत्रक
b. द्वितीयक क्षेत्रक
c. सेवा क्षेत्रक
d. इनमें से कोई नहीं। (c)
13. सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित सेवा नहीं है-
a. वकालत
b. इंटरनेट, कैफे
c. कॉल सेंटर
d. ए०टी०एम० (a)
14. संगठित क्षेत्रक के संबंध में कौन-सा कथन सही है?
a. संगठित क्षेत्रक अत्यधिक माँग पर ही रोजगार प्रस्तावित करता है
b. संगठित क्षेत्रक में रोजगार के अवसरों में अत्यंत धीमी गति से वृद्धि हो रही है
c. सामान्यतः संगठित क्षेत्रक, असंगठित क्षेत्रक के रूप में काम करते हैं
d. उपर्युक्त सभी। (d)
15. असंगठित क्षेत्र में-
a. श्रमिकों को बहुत कम वेतन मिलता है
b. श्रमिकों का प्रायः शोषण किया जाता है
c. श्रमिकों को रोजगार में संरक्षण नहीं मिलता
d. उपर्युक्त सभी। (d)
16. ……………….क्षेत्रक के अधिकांश श्रमिक अपना रोजगार खोते जा रहे हैं।
a. संगठित
b. असंगठित
c. प्राथमिक
d. द्वितीयक । (a)
17. निम्न में से कौन असंगठित क्षेत्र से संबंधित है?
a. विनिर्माण
b. बैंक
c. सस्ते ऋण
d. कृषक व मजदूर। (d)
18. निम्न में से कौन निजी क्षेत्रक का प्रमुख उद्देश्य है?
a. अधिकाधिक लाभार्जन करना
b. लोक कल्याण करना
c. जन सुविधाओं को उपलब्ध कराना
d. उपर्युक्त सभी। (a)
19. निम्न में से कौन सार्वजनिक क्षेत्रक का प्रमुख उद्देश्य है?
a. उचित कीमत पर वस्तुएँ उपलब्ध कराना
b. व्यापार के माध्यम से धन कमाना
c. अधिक-से-अधिक लाभ अर्जित करना
d. जन सुविधा और लोक कल्याण करना । (d)
20. निम्नलिखित में से किस आधार पर क्षेत्रकों को सार्वजनिक और निजी क्षेत्रकों में वर्गीकृत किया जाता है?
a. रोजगार परिस्थितियाँ
b. आर्थिक क्रिया की प्रकृति
c. उद्यम का स्वामित्व
d. किसी उद्यम में काम कर रहे मजदूरों की संख्या । (c)
21. सार्वजनिक क्षेत्रक का उद्देश्य है-
a. लाभ कमाना
b. मनोरंजन
c. सामाजिक कल्याण और सुरक्षा
d. उपर्युक्त से कोई नहीं । (c)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधि से क्या आशय है?
उत्तर – जब हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके किसी वस्तु का उत्पादन करते हैं तो इसे प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधि कहा जाता है।
प्रश्न 2. प्राथमिक क्षेत्रक को कृषि एवं सहायक क्षेत्रक’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर – प्राथमिक क्षेत्रक को कृषि एवं सहायक क्षेत्रक इसलिए कहा जाता है क्योंकि हम अधिकांश प्राकृतिक उत्पाद कृषि, डेयरी, मत्स्यन और वनों से प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 3. प्राथमिक क्षेत्रक में कौन-कौन सी आर्थिक गतिविधियाँ सम्मिलित की जाती हैं?
उत्तर – प्राथमिक क्षेत्रक में कृषि, पशुपालन, मुर्गीपालन, वनोद्योग, पत्थर उत्खनन, खनन, मत्स्यन आदि आर्थिक गतिविधियाँ सम्मिलित की जाती हैं।
प्रश्न 4. किसी अर्थव्यवस्था का क्षेत्रक वर्गीकरण क्यों आवश्यक है?
उत्तर – किसी अर्थव्यवस्था को हम उत्तम ढंग से तभी समझ सकते हैं जब इसके क्षेत्रकों/घटकों का अध्ययन कर लिया जाए। इसीलिए अर्थव्यवस्था का क्षेत्रक वर्गीकरण आवश्यक है।
प्रश्न 5. प्राकृतिक साधनों के प्रत्यक्ष उपयोग पर आधारित किसी एक गतिविधि को समझाइए |
उत्तर – कपास की खेती प्राकृतिक साधनों के प्रत्यक्ष उपयोग पर आधारित है। कपास एक प्राकृतिक उत्पाद है क्योंकि कपास के पौधों की वृद्धि के लिए हम मुख्यतः प्राकृतिक कारकों जैसे वर्षा, सूर्य का प्रकाश व जलवायु पर निर्भर रहते हैं।
प्रश्न 6. द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधियों से क्या आशय है?
उत्तर- द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधियों के अंतर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली द्वारा अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। इसमें विनिर्माण की प्रक्रिया अपरिहार्य है; जैसे- कपास के पौधों से प्राप्त रेशे का उपयोग कर सूत कातना और कपड़ा बुनना ।
प्रश्न 7. तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियों से क्या आशय है?
उत्तर – तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियाँ स्वतः वस्तुओं का उत्पादन न करके उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग या मदद करती हैं। परिवहन, भंडारण, संचार, बैंक सेवाएँ और व्यापार तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियों के कुछ उदाहरण हैं।
प्रश्न 8. तृतीयक क्षेत्रक को ‘सेवा क्षेत्रक’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर- तृतीयक क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस क्षेत्रक की गतिविधियाँ वस्तुओं के स्थान पर सेवाओं का सृजन करती हैं।
प्रश्न 9. हम कुल उत्पादन की गणना कैसे करते हैं?
उत्तर- सर्वप्रथम हम तीनों क्षेत्रकों की वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों की गणना करते हैं। उसके बाद उसका योगफल प्राप्त कर लेते हैं। इस प्रकार कुल उत्पादन की गणना हो जाती है।
प्रश्न 10. कुल उत्पादन की गणना में हम किन वस्तुओं और सेवाओं को सम्मिलित करते हैं?
उत्तर – कुल उत्पादन की गणना में हम प्रत्येक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य सम्मिलित करते हैं।
प्रश्न 11. सकल घरेलू उत्पाद से क्या आशय है?
अथवा
सकल घरेलू उत्पाद की गणना किस प्रकार की जाती है?
उत्तर- तीनों क्षेत्रकों के उत्पादनों के योगफल को देश का सकल घरेलू उत्पाद (G.D.P.) कहते हैं। यह किसी देश के भीतर किसी विशेष वर्ष में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य होता है।
प्रश्न 12. भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विभिन्न क्षेत्रकों के योगदान में क्या महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है?
उत्तर – गत 50 वर्षों में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में प्राथमिक क्षेत्रक का योगदान तेजी से बढ़ा है, द्वितीयक क्षेत्रक का योगदान धीमी गति से बढ़ा है, जबकि तृतीयक क्षेत्रक का योगदान बहुत तेजी से बढ़ा है।
प्रश्न 13. भारत में अधिकांश श्रमिक आज भी किस क्षेत्र में नियोजित हैं?
उत्तर- भारत में अधिकांश श्रमिक आज भी प्राथमिक क्षेत्रक में ही नियोजित हैं क्योंकि द्वितीयक व तृतीयक क्षेत्रक रोजगार के पर्याप्त अवसर सृजित करने में असफल रहे हैं।
प्रश्न 14. छिपी बेरोजगारी से क्या आशय है?
उत्तर- किसी आर्थिक गतिविधियों में आवश्यकता से अधिक लोगों का कार्य में लगे रहना छिपी बेरोजगारी कहलाता है। यदि इन लोगों को वहाँ से स्थानांतरित कर दिया जाए तो कुल उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
प्रश्न 15. अल्प बेरोजगारी किन क्षेत्रों में पाई जाती है?
उत्तर – अल्प बेरोजगारी निम्नलिखित क्षेत्रों में पायी जाती है-
(i) ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि में।
(ii) शहरी क्षेत्रों में सेवा क्षेत्र में।
प्रश्न 16. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम को ‘काम का अधिकार क्यों कहा गया है?
उत्तर – इस अधिनियम के अंतर्गत उन सभी लोगों को, जो काम करने में सक्षम हैं और जिन्हें काम की जरूरत है, सरकार द्वारा वर्ष में 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई है, इसलिए इसे ‘काम का अधिकार अधिकार’ कहा गया है।
प्रश्न 17. संगठित क्षेत्रक से क्या आशय है?
उत्तर – संगठित क्षेत्रक में वे उद्यम अथवा कार्यस्थल सम्मिलित हैं जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है, काम सुनिश्चित होता है और सरकारी नियमों एवं विनियमों का पालन किया जाता है।
प्रश्न 18 असंगठित क्षेत्रक से क्या आशय है?
उत्तर- असंगठित क्षेत्रक छोटी-छोटी और बिखरी इकाइयों, जो अधिकांशतः सरकारी नियंत्रण से बाहर होती हैं, से निर्मित होता है। इस क्षेत्रक के नियम और विनियम तो होते हैं किंतु उनका अनुपालन नहीं होता।
प्रश्न 19. सार्वजनिक क्षेत्रक से क्या आशय है? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर- सार्वजनिक क्षेत्रक में उत्पादन के साधनों पर सरकार का स्वामित्व, प्रबंधन व नियंत्रण होता है।
जैसे- (i) रेलवे (ii) डाकघर |
प्रश्न 20. सार्वजनिक क्षेत्रक निजी क्षेत्रक से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर – सार्वजनिक क्षेत्रक का उद्देश्य सामाजिक कल्याण में वृद्धि करना होता है जबकि निजी क्षेत्रक का उद्देश्य केवल लाभ कमाना होता है।
प्रश्न 21. निजी क्षेत्रक से क्या आशय है? निजी क्षेत्रक के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर- निजी क्षेत्रक में उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व होता है तथा उपक्रमों का प्रबंध उपक्रम के स्वामी द्वारा ही किया जाता है। उदाहरण- (i) टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिo, (ii) रिलायंस इंडस्ट्रीज लि० ।
प्रश्न 22. निजी क्षेत्रक का उद्देश्य बताइए।
उत्तर- निजी क्षेत्रक का उद्देश्य अधिकतम लाभ अर्जित करना होता है।
प्रश्न 23. मौसमी बेरोजगारी क्या है?
उत्तर- मौसम विशेष में रोजगार मिलना तथा इसके बाद बेरोजगार हो जाना मौसमी बेरोजगारी है जैसे भारत में कृषि क्षेत्र के अंतर्गत यह स्थिति विशेषतः पाई जाती है।
प्रश्न 24. अर्ध ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए कोई एक तरीका सुझाइए |
उत्तर – विनिर्माण गतिविधियों को बढ़ावा देना।
प्रश्न 25. कपास एक प्राकृतिक उत्पाद है। कैसे?
उत्तर – कपास के पौधों की वृद्धि के लिए हम मुख्यतः प्राकृतिक कारकों जैसे वर्षा, सूर्य का प्रकाश और जलवायु पर निर्भर हैं। अतः कपास एक प्राकृतिक उत्पाद है।
प्रश्न 26. ‘दूध’ प्राकृतिक उत्पाद कैसे है?
उत्तर- डेयरी उत्पादन में हम पशुओं की जैविक प्रक्रिया एवं चारा आदि की उपलब्धता पर निर्भर होते हैं। अतः इसका उत्पाद दूध भी एक प्राकृतिक उत्पाद है।
प्रश्न 27. प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधि किसे कहा जाता है?
उत्तर – जब हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके किसी वस्तु का उत्पादन करते हैं, तो इसे प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधि कहा जाता है।
प्रश्न 28. प्राथमिक क्षेत्रक को कृषि एवं सहायक क्षेत्रक क्यों कहा जाता है?
उत्तर – हम अधिकांश प्राकृतिक उत्पाद कृषि, डेयरी, मत्स्यन और वनों से प्राप्त करते हैं, इसलिए इस क्षेत्रक को कृषि एवं सहायक क्षेत्रक भी कहा जाता है।
प्रश्न 29. ‘क्षेत्रक’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – आर्थिक गतिविधियों को महत्त्वपूर्ण मापदंडों के आधार पर जिन विभिन्न समूहों में वर्गीकृत किया जाता है, उन समूहों को क्षेत्रक कहते हैं।
प्रश्न 30. संगठित क्षेत्रक के कर्मचारियों को क्या-क्या लाभ मिलते हैं?
उत्तर- संगठित क्षेत्रक के कर्मचारियों को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं-
(क) रोजगार सुरक्षा
(ख) निश्चित समय की कार्य सीमा
(ग) अतिरिक्त समय का अतिरिक्त वेतन |
(घ) इसके अतिरिक्त सवेतन छुट्टी, अवकाश काल में भुगतान, भविष्य निधि एवं सेवानुदान इत्यादि सम्मिलित हैं।
प्रश्न 31. असंगठित क्षेत्रक की प्रमुख विशेषताएँ बताइए ।
उत्तर- (क) इकाइयाँ छोटी-छोटी और बिखरी होती हैं।
(ख) अधिकांश इकाइयाँ सरकारी नियंत्रण से बाहर होती हैं।
(ग) इन क्षेत्रकों में नियमों और विनियमों का अनुपालन नहीं होता है।
प्रश्न 32. असंगठित क्षेत्रक के अधिकांश लोग किन कार्यों में संलग्न है?
उत्तर- असंगठित क्षेत्रक के अधिकांश लोग अपने-अपने छोटे कार्यों जैसे सड़कों पर विक्रय अथवा मरम्मत कार्यों में स्वतः नियोजित रहते हैं। इसी प्रकार किसान अपने खेतों में काम करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर मजदूरी पर श्रमिकों को लगाते हैं।
प्रश्न 33. वर्ष 1973-74 में सबसे कम उत्पादक क्षेत्रक कौन-सा था? कारण बताएँ ।
उत्तर – वर्ष 1973-74 में सबसे कम उत्पादक क्षेत्रक द्वितीयक क्षेत्रक था। उस दौर में भारत की बंद आर्थिक व्यवस्था थी। तकनीकी रूप से उन्नत मशीनों का अभाव था। लाइसेंस की पॉलिसी भी उद्योग को हतोत्साहित करने वाली थी और नए उद्यमी उद्योग स्थापित करने से घबराते थे।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. वर्ष 2013-14 में सबसे बड़ा क्षेत्रक कौन सा था? कारण बताइए।
उत्तर – तृतीयक क्षेत्रक या सेवा क्षेत्रक वर्ष 2013-14 में सबसे बड़ा क्षेत्रक था। इस कालखण्ड में सेवा क्षेत्र का तीव्रगति से विस्तार किया गया। चिकित्सालय, डाकघर, पुलिस स्टेशन, शिक्षालय जैसी मूल संस्थाओं में बढ़ोतरी की गयी। कृषि और उद्योग के क्षेत्र में भी विकास हुआ और जब इन क्षेत्रों में विकास होता है तो तृतीयक क्षेत्रक भी खूब फलता-फूलता है, जैसे-यातायात, परिवहन तथा अन्य सेवा क्षेत्र वेतन वृद्धि होने या आमदनी बढ़ने से अनेक सेवाओं की माँग बढ़ जाती है। इस कालखण्ड में बड़े नगरों में ऐसा ही हुआ जिसके कारण तृतीयक क्षेत्रक अर्थात सेवा क्षेत्रक में बहुत उछाल आया ।
प्रश्न 2. द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधियों में प्राथमिक क्षेत्रक का महत्त्व स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधियों में प्राथमिक क्षेत्रक का अत्यधिक महत्त्व है। प्राथमिक क्षेत्रक के बिना गतिविधियाँ संपन्न ही नहीं हो सकतीं क्योंकि कच्चा माल प्राथमिक क्षेत्रक से ही प्राप्त होता है।
द्वितीयक क्षेत्रक की द्वितीयक क्षेत्रक को
उदाहरणार्थ- यदि चीनी उद्योग को गन्ने की प्राप्ति न हो तो चीनी निर्माण की प्रक्रिया रुक जाएगी। इसी प्रकार यदि कपड़ा मिल को कपास की प्राप्ति न हो तो सूती वस्त्र निर्माण की प्रक्रिया रुक जाएगी।
प्रश्न 3. द्वितीयक क्षेत्रक की प्रमुख गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- द्वितीयक क्षेत्रक की प्रमुख गतिविधियाँ – इसके अंतर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के द्वारा अन्य रूपों में बदला जाता है। विनिर्माण प्रक्रिया को किसी कारखाना, किसी कार्यशाला या घर में भी संपन्न किया जा सकता है; जैसे- कपास के पौधे से प्राप्त रेशे का उपयोग करके हम सूत कातते हैं और कपड़ा बुनते हैं, गन्ने का उपयोग कर चीनी व गुड़ तैयार करते हैं। मिट्टी से हम ईंट बनाते हैं तथा ईंटों से भवनों का निर्माण करते हैं। यह क्षेत्र विभिन्न प्रकार के उद्योगों से संबंधित है, इसलिए इसे औद्योगिक क्षेत्रक भी कहते हैं।
प्रश्न 4. तृतीयक क्षेत्रक से आप क्या समझते हैं? इसके अंतर्गत संपन्न होने वाले क्रिया-कलापों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- इस क्षेत्रक की गतिविधियाँ प्राथमिक व दवितीयक क्षेत्रक के विकास में सहायता प्रदान करती हैं। ये गतिविधियाँ स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करतीं बल्कि उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग करती हैं। व्यापार, बैंक सेवाएँ, परिवहन, संचार और भंडारण तृतीयक गतिविधियों के उदाहरण हैं। इन गतिविधियों द्वारा वस्तुओं के बजाए सेवाओं का सृजन किया जाता है, इसलिए तृतीयक क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक भी कहा जाता है। सेवा क्षेत्रक में ऐसी जरूरी सेवाएँ भी सम्मिलित हैं जो प्रत्यक्षतः वस्तुओं के उत्पादन में सहायता नहीं करती हैं। शिक्षक, डॉक्टर, वकील, धोबी, नाई, मोची आदि के अतिरिक्त प्रशासनिक कार्य करने वाले लोग भी इसमें सम्मिलित हैं। इंटरनेट कैफे, ए०टी०एम० बूथ, कॉल सेंटर, सॉफ्टवेयर कंपनी आदि सेवा क्षेत्रक के नए आयाम हैं।
प्रश्न 5. सकल घरेलू उत्पाद की गणना करते समय केवल अंतिम वस्तुओं व सेवाओं को ही क्यों सम्मिलित किया जाता है?
उत्तर – सकल घरेलू उत्पाद की गणना करते समय केवल अंतिम वस्तुएँ एवं सेवाओं को ही सम्मिलित किया जाता है क्योंकि इससे गणना की पुनरावृत्ति होने की संभावना नहीं रहती है। यदि मध्यवर्ती वस्तुओं जो कि अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्माण में प्रयुक्त की जाती हैं, की गणना भी कर ली जाए तो इससे दोहरी गणना हो जाएगी जिससे हमें वास्तविक राष्ट्रीय आय की जानकारी प्राप्त नहीं हो पाएगी।
प्रश्न 6. असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों का संरक्षण करना क्यों आवश्यक है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर – सरकार द्वारा असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों का संरक्षण करना निम्नलिखित कारणों से आवश्यक है-
(i) आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा के लिए।
(ii) उचित रोजगार दशाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए।
(iii) उन्हें नियोक्ताओं के शोषण से बचाने के लिए।
(iv) सेवानिवृत्ति के बाद विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए। सरकार द्वारा समय-समय पर इस हेतु समुचित कदम उठाए जाते हैं। आवश्यकता उनके समयबद्ध क्रियान्वयन की है।
प्रश्न 7. R नामक श्रमिक एक लघु कारखाने में नियमित कर्मचारी था। उसे उसकी मजदूरी ठीक से नहीं दी गयी और कारखाने ने कारखाना नियमों का भी पालन नहीं किया जो सरकार द्वारा लागू किए गए थे। कुछ समय पूर्व उसे अपना कार्य छोड़ना पड़ा और एक ठेले पर वह बिजली का सामान बेचने लगा। R जैसे श्रमिकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार की भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर – निम्नलिखित रूप में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सुरक्षा प्रदान की जा सकती है-
(i) सरकार द्वारा श्रमिकों के लिए न्यूनतम कार्य के घंटों का और उनके वेतन का निर्धारण किया जाना चाहिए।
(ii) स्वपोषित लोगों को सरकार ऋण की सुविधा उपलबध करा सकती है।
(iii) मूलभूत सेवाओं यथा शिक्षा, स्वास्थ्य व भोजन का प्रबंधन सरकार को अपने अधीन कर लेना चाहिए।
(iv) श्रमिक कानूनों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।
(v) कारखाने के लिए लागू न्यूनतम मजदूरी की दरों को व्यावहारिक रूप से लागू किया जाना चाहिए।
(vi) वर्ष 1956 में लागू किए गए श्रमिक कल्याण कानून को लागू कर उन्हें बोनस, वेतन वृद्धि, स्वास्थ्य बीमा, ओवरटाइम भत्ता जैसी योजनाओं का लाभ दिया जाना चाहिए।
प्रश्न 8. क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए कि कैसे?
उत्तर- आर्थिक गतिविधियों को प्रायः तीन श्रेणियों में बाँटा जाता है— प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक प्राथमिक क्षेत्रक में कृषि, डेयरी, मत्स्य व वनारोपण से संबंधित गतिविधियाँ आती हैं, द्वितीयक क्षेत्रक में विनिर्माण व तृतीयक क्षेत्रक में सेवा संबंधित गतिविधियाँ आती हैं। यह वर्गीकरण अत्यधिक उपयोगी है क्योंकि इसके द्वारा हमें विकास के साथ-साथ व्यावसायिक स्थिति के बारे में भी ज्ञान प्राप्त होता है। इसके द्वारा हमें निम्नलिखित जानकारी प्राप्त होती है-
(i) विभिन्न लोगों अथवा सूमहों द्वारा की गई आर्थिक क्रियाओं और राष्ट्रीय आय में उनका योगदान ।
(ii) सकल घरेलू उत्पाद में विभिन्न क्षेत्रकों का योगदान ।
(iii) विभिन्न क्षेत्रकों में उपलब्ध रोजगार का लेखा ।
(iv) विभिन्न क्षेत्रकों में कार्यरत श्रमिकों की संख्या ।
(v) आर्थिक गतिविधियों का स्पष्ट विभाजन ।
प्रश्न 9. मनरेगा 2005 (MGNREGA 2005) के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 का उद्देश्य चयनित जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को वर्ष में कम से कम 100 दिन अकुशल श्रम वाले रोजगार की गारंटी देना है। राज्यों में कृषि श्रमिकों के लिए लागू वैधानिक न्यूनतम मजदूरी का भुगतान इस हेतु किया जाता है। इसके अंतर्गत 33 प्रतिशत लाभभोगी महिलाएँ होती हैं। योजना के इच्छुक एवं पात्र व्यक्ति द्वारा पंजीकरण कराने के 15 दिन के भीतर रोजगार न दिए जाने पर निर्धारित दर से बेरोजगारी भत्ता सरकार द्वारा दिया जाता है। इस प्रकार यह अधिनियम रोजगार की वैधानिक गारंटी प्रदान करता है। अधिनियम के अंतर्गत इस तरह के कामों को वरीयता दी जाती है जिनसे भविष्य में भूमि से उत्पादन बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सार्वजनिक व निजी क्षेत्रक के संबंध में विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर- आर्थिक गतिविधियों के क्षेत्रकों को सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक में भी वर्गीकृत किया जाता है। सार्वजनिक क्षेत्रक के अंतर्गत अधिकांश परिसम्पत्तियों या कंपनियों अथवा प्राधिकरणों पर सरकार का स्वामित्व होता है और सरकार ही सभी सेवाएँ उपलब्ध कराती है। निजी क्षेत्रक में परिसम्पत्तियों पर स्वामित्व और सेवाओं के वितरण की जिम्मेदारी एकल व्यक्ति या कंपनी के हाथों में होती है। रेलवे और डाकघर सार्वजनिक क्षेत्रक के उदाहरण हैं, जबकि टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड (टिस्को) निजी क्षेत्रक के अंतर्गत है। निजी क्षेत्रक का उद्देश्य केवल लाभ प्राप्त करना होता है। इनकी सेवाओं को प्राप्त करने हेतु हमें धन व्यय करना पड़ता है।
सार्वजनिक क्षेत्रक का उद्देश्य केवल लाभ कमाना नहीं होता बल्कि जनहित भी होता है। जनहित पर किए गए व्यय की पूर्ति सरकार करों या अन्य तरीकों से करती है। कुछ चीजों पर बहुत अधिक धन व्यय करना पड़ता है, जिनमें निजी क्षेत्रक की कोई भूमिका नहीं होती, जैसे- रेलवे, सड़कों, पुलों, पत्तनों, बिजली उत्पादन और बाँध आदि का निर्माण। ये कार्य जनता के हित में अत्यंत आवश्यक होते हैं। इसलिए सरकार इन सुविधाओं पर अत्यधिक धन व्यय करती है। कुछ गतिविधियाँ ऐसी भी हैं जिनको संपन्न करना सरकार के लिए अनिवार्य है, जैसे- स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाएँ जनता को इन्हें उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है। इन सुविधाओं पर धनराशि खर्च करना सरकार के लिए अनिवार्य है।
प्रश्न 2. भारत में तृतीयक क्षेत्रक अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों हो गया है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- वह क्षेत्रक जो विभिन्न प्रकार की सेवाएँ उपलब्ध कराता है जैसे शिक्षा, संचार तथा परिवहन, व्यापार, बैंकिंग आदि उसे सेवा क्षेत्रक या तृतीयक क्षेत्रक कहते हैं। तृतीयक क्षेत्रक भारत में विभिन्न कारणों से पिछले कई वर्षों से महत्त्वपूर्ण बन गया है। इस बात को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं-
(i) तृतीयक क्षेत्रक विविध बुनियादी सेवाएँ उपलब्ध कराता है, जैसे चिकित्सालय, शैक्षणिक संस्थाएँ डाक सेवा आदि जिनके प्रबंधन की जिम्मेदारी सरकार पर होती है।
(ii) प्राथमिक तथा द्वितीयक क्षेत्रकों अर्थात् कृषि व उद्योग के विकास ने भी अनेक सेवाओं जैसे व्यापार, भंडारण आदि को बढ़ावा दिया है।
(iii) लोगों की आय जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे उनमें नई सेवाओं की माँग भी बढ़ने लगी है, जैसे- रेस्तरों, पर्यटन, निजी चिकित्सालय, निजी विद्यालय, द्रुत परिवहन आदि ।
(iv) पिछले कुछ दशकों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित कुछ नवीन सेवाएँ महत्त्वपूर्ण एवं अनिवार्य होती जा रही हैं।
(v) कुछ अन्य प्रकार की छोटी-मोटी सेवाओं में जैसे छोटे-छोटे दुकानदारों, मरम्मत के कार्यों में लगे लोगों, परिवहन कार्य में लगे लोगों में भी निरंतर वृद्धि हो रही है।
प्रश्न 3. संगठित व असंगठित क्षेत्रक क्या हैं? इन क्षेत्रकों की रोजगार परिस्थितियों की तुलना कीजिए।
उत्तर- संगठित क्षेत्रक – संगठित क्षेत्रक में वे उद्यम अथवा क्रियाएँ आती हैं, जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है और इसलिए लोगों के पास सुनिश्चित काम होता है। ये क्षेत्रक सरकार
द्वारा पंजीकृत होते हैं तथा इन्हें राजकीय नियमों व विनियमों का अनुपालन करना होता है। इन नियमों व विनियमों का अनेक विधियों जैसे कारखाना अधिनियम की निश्चित न्यूतनम मजदूरी अधिनियम, सेवानुदान अधिनियम, दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम आदि में उल्लेख किया गया है। यह क्षेत्रक संगठित क्षेत्रक इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी कुछ औपचारिक प्रक्रिया एवं क्रियाविधि होती हैं। इस क्षेत्रक के अंतर्गत सुरक्षित रोजगार, काम के निश्चित घंटे एवं अतिरिक्त कार्य के लिए अतिरिक्त वेतन मिलता है। कर्मचारियों को कार्य के दौरान एवं सेवानिवृत्ति के पश्चात् भी अनेक सुविधाएँ मिलती हैं।
असंगठित क्षेत्रक – असंगठित क्षेत्रक के अंतर्गत वे छोटी-छोटी और बिखरी इकाइयाँ सम्मिलित होती हैं जो अधिकांशतः सरकारी नियंत्रण से बाहर होती हैं। यद्यपि इस क्षेत्रक के नियम और विनियम तो होते हैं परंतु उनका पालन नहीं होता है। ये अनियत एवं कम वेतन वाले रोजगार होते हैं। इनमें सवेतन छुट्टी, अवकाश, बीमारी के कारण छुट्टी आदि का कोई प्रावधान नहीं होता है और न ही रोजगार की सुरक्षा होती है। श्रमिकों को बिना किसी ठोस कारण के काम से हटाया जा सकता है।
प्रश्न 4. खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए ।
उत्तर – खुली बेरोजगारी वह दशा है जिसमें कार्य के इच्छुक, प्रचलित मजदूरी पर कार्य करने वाले स्वस्थ लोगों को काम नहीं मिलता अर्थात् उन्हें रोजगार प्राप्त नहीं होता। इस प्रकार वे बेरोजगार होते हैं। यह बेरोजगारी प्रत्यक्षतः देखी जा सकती है तथा आँकड़ों के द्वारा इसकी अभिव्यक्ति की जा सकती है। यह देश में बेरोजगारी के आकार को बताती है। इसके विपरीत प्रच्छन्न बेरोजगारी में हमें दिखाई पड़ता है कि व्यक्ति रोजगार में लगा है किंतु वास्तव में वह बेरोजगार होता है क्योंकि वह उत्पादन में कोई योगदान नहीं करता।
खुली बेरोजगारी व प्रच्छन्न बेरोजगारी के अंतर को निम्नलिखित उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
माना एक लघु कृषक है। उसके पास दो हेक्टेयर जमीन है। यहाँ सिंचाई की सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं। परिवार में पाँच सदस्य हैं और पाँचों सदस्य वर्ष भर उसी खेत में काम करते हैं क्योंकि उनके पास अन्य कोई काम नहीं है जिससे वे अपनी रोजी-रोटी कमा सकें। देखने पर हमें लगता है कि परिवार का प्रत्येक सदस्य काम कर रहा है अर्थात् परिवार का प्रत्येक सदस्य रोजगार पाए हुए है, किंतु वास्तव में ऐसा नहीं है। 2 हेक्टेयर कृषि जोत पर, दो सदस्य वर्ष भर कार्य करके उतना ही उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं जितना कि पाँच सदस्य प्राप्त कर रहे हैं। अतः तीन सदस्य बेरोजगार माने जाएँगे। यह प्रच्छन्न, अदृश्य अथवा छिपी बेरोजगारी है। इसके विपरीत, किसी परिवार में यदि दो सदस्यों को कोई काम नहीं मिलता है और वे रोजगार चाहते हैं किंतु रोजगार प्राप्त नहीं कर पाते, तो वे खुले रूप से बेरोजगार कहे जाएँगे।