Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद
अभ्यास प्रश्न
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. सविनय अवज्ञा आंदोलन में महात्मा गांधी ने नमक को अत्यधिक महत्त्व क्यों दिया?
a. नमक का प्रयोग अमीर-गरीब सभी करते थे
b. यह भोजन का अभिन्न हिस्सा था
c. नमक तैयार करने पर सरकार का एकाधिकार था
d. उपर्युक्त सभी। (d)
2. ‘करो या मरो’ का नारा किसका था?
a. सुभाषचंद्र बोस
b. चंद्रशेखर आजाद
c. भगत सिंह
d. महात्मा गांधी। (d)
3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई-
a. सन् 1882 में
b. सन् 1884 में
c. सन् 1885 में
d. सन् 1886 में। (c)
4. महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से वापस कब लौटे?
a. सन् 1914 में
b. सन् 1915 में
c. सन् 1818 में
d. सन् 1919 में। (b)
5. असहयोग आंदोलन का मुख्य कारण क्या था?
a. रॉलेट एक्ट
b. प्रथम विश्वयुद्ध
c. खिलाफत आंदोलन
d. चौरी-चौरा की घटना। (b)
6. सविनय अवज्ञा आंदोलन कब चलाया गया?
a. सन् 1920 में
b. सन् 1927 में
c. सन् 1930 में
d. सन् 1935 में। (c)
7. चौरी-चौरा कांड किस वर्ष हुआ?
a. सन् 1922 में
b. सन् 1924 में
c. सन् 1925 में
d. सन् 1930 में। (a)
8. सत्याग्रह निम्नलिखित में से क्या था?
a. शुद्ध आत्मिक बल
b. कमजोर का हथियार
c. भौतिक (शारीरिक) बल
d. हथियारों का बल । (a)
9. सही विकल्प का चयन कीजिए-
(i) शाही विधान परिषद् द्वारा अधिनियम पारित किया गया।
(ii) इसने शासन को अधिकार दिया कि राजनीतिक गतिविधियों का दमन करे।
(iii) इसने शासन को शक्ति दी कि बिना मुकदमा चलाए राजनीतिक कैदियों को बंदी बनाए रखे।
विकल्प-
a. रॉलेट एक्ट
b. देशीय भाषा प्रेस अधिनियम
c. भारत शासन अधिनियम
d. अंतर्देशीय उत्प्रवास अधिनियम । (a)
10. साइमन कमीशन भारत कब पहुँचा ?
a. सन् 1928 में
b. सन् 1930 में
c. सन् 1931 में
d. सन् 1934 में। (a)
11. गांधी-इरविन समझौता कब हुआ?
a. 5 मार्च 1931 को
b. 5 जून 1932 को
c. 5 अगस्त 1933 को
d. 5 मार्च 1934 को । (a)
12. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गांधी-इरविन समझौते से संबंधित नहीं है?
a. गांधी जी इस बात के लिए सहमत हुए कि वह ब्रिटिश शासन के खिलाफ पुनः कोई जन आंदोलन प्रारंभ नहीं करेंगे
b. गांधी जी गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए सहमत हुए
c. गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन वापस लेने का निर्णय लिया
d. अंग्रेज़ी सरकार राजनीतिक कैदियों को रिहा करने पर सहमत हो गई। (a)
13. महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन कब आरंभ किया था?
a. सन् 1919 में
b. सन् 1920 में
c. सन् 1922 में
d. सन् 1924 में। (b)
14. निम्नलिखित स्थान की हिंसक घटना के कारण गांधी जी ने सन् 1922 में असहयोग आंदोलन रोक दिया-
a. गोरखपुर
b. चंपारन
c. चौरी-चौरा
d. कराची। (c)
15. गांधी जी ने असहयोग आंदोलन क्यों वापस लिया?
a. गांधी जी ने महसूस किया कि लोगों की रुचि आंदोलन में घट रही है
b. गांधी जी ने अनुभव किया कि आंदोलन ने कई स्थानों पर हिंसक रूप ले लिया है
c. कांग्रेस के कुछ नेता प्रांतीय परिषदों के चुनावों में भाग लेना चाहते थे
d. कांग्रेस के कुछ नेताओं ने जनसंघर्ष को अधिक तेज करना चाहा। (b)
16. कांग्रेस के सन् 1929 के लाहौर अधिवेशन में जिस माँग को औपचारिक रूप से मान लिया गया, वह थी-
a. पूर्ण स्वराज की माँग
b. कर में कटौती की माँग
c. सैनिक व्यय में कमी की माँग
d. उपर्युक्त सभी। (a)
17. ‘वंदे मातरम्’ गीत के लेखक कौन थे?
a. बंकिमचंद्र चटर्जी
b. रवींद्रनाथ टैगोर
c. शरदचंद्र चटर्जी
d. अवनींद्रनाथ टैगोर । (a)
18. ‘हिंद स्वराज’ नामक पुस्तक के लेखक कौन थे?
a. बाल गंगाधर तिलक
b. महात्मा गांधी
c. स्वराज पॉल
d. पंडित नेहरू । (b)
19. गांधी जी की प्रसिद्ध पुस्तक “हिंद स्वराज’ किस वर्ष प्रकाशित हुई?
a. सन् 1919 में
b. सन् 1922 में
c. सन् 1909 में
d. सन् 1930 में। (c)
20. भारत वापस आने पर गांधी जी ने पहला सत्याग्रह कहाँ किया था?
a. चंपारन
b. बारडोली
c. अहमदाबाद
d. खेड़ा। (a)
21. रॉलेट एक्ट क्या था?
a. प्रेस पर प्रतिबंध से संबंधित कानून
b. दहेज विरोधी कानून
c. राजनीतिक कैदियों को दो साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने से संबंधित कानून
d. हथियारों के लिए लाइसेंस से संबंधित कानून। (c)
22. 31 जनवरी 1930 को गांधी जी ने वायसराय इरविन को एक खत लिखा। इस खत में उन्होंने 11 माँगों का उल्लेख किया। निम्न में से कौन-सी माँग 11 माँगों में प्रमुख थी?
a. नमक कर को समाप्त करना
b. नई शिक्षा नीति लागू करना
c. व्यापार कर को समाप्त करना
d. स्वतंत्रता की माँग करना। (a)
23. कांग्रेस के किस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की माँग की गई थी?
a. बंबई
b. नागपुर
c. गया
d. लाहौर। (d)
24. भारत माता का सर्वप्रथम चित्रण किसने किया?
a. अवनींद्रनाथ टैगोर
b. रवींद्रनाथ टैगोर
c. बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय
d. राजा रवि वर्मा। (a)
25. सन् 1929 में भारत के लिए ‘डोमीनियन स्टेटस’ का ऐलान किसने किया?
a. लॉर्ड हार्डिंग
b. लॉर्ड लिटन
c. लॉर्ड रिपन
d. लॉर्ड इरविन । (d)
26. दक्षिण अफ्रीका से भारत आने के बाद गांधी जी ने किन-किन स्थानों पर सत्याग्रह आंदोलन चलाया?
a. सन् 1917 में बिहार के चंपारन जिले में
b. सन् 1918 में गुजरात के खेड़ा जिले में
c. सन् 1918 में अहमदाबाद के सूती कपड़ा मिलों के मजदूरों के पक्ष में सत्याग्रह आंदोलन चलाया
d. उपर्युक्त सभी। (d)
27. 1927 में कांग्रेस और मुस्लिम लीग में किस बात को लेकर मतभेद थे?
a. अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्र को लेकर
b. सविनय अवज्ञा आंदोलन को चलाने को लेकर
c. भावी विधान सभाओं में प्रतिनिधित्व को लेकर
d. पूर्ण स्वराज्य की माँग को लेकर। (b)
28. पूना पैक्ट क्या था?
a. मौलाना आजाद और अंग्रेज़ों के बीच समझौता
b. जवाहरलाल नेहरू और अंग्रेज़ों के बीच समझौता
c. कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच समझौता
d. गांधी जी और डॉ० भीमराव अंबेडकर के बीच समझौता (d)
29. भारत में साइमन कमीशन का विरोध क्यों हुआ?
a. इस कमीशन में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था
b. साइमन कमीशन भारत में भूमि लगान को बढ़ाना चाहता था
c. यह कमीशन भारत में नई शिक्षा नीति लागू करना चाहता था
d. साइमन कमीशन की नीतियाँ भारत विरोधी थीं। (a)
30. अपनी किस प्रसिद्ध पुस्तक में महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से स्थापित हुआ था और यह शासन इसी सहयोग के कारण चल पा रहा है?
a. डिस्कवरी ऑफ इंडिया
b. एक्सपेरीमेंट विथ ट्रुथ
c. हिंद स्वराज
d. सत्य और अहिंसा । (c)
31. दक्षिण अफ्रीका से गांधी जी के भारत आने पर उनका सबसे पहला सत्याग्रह आंदोलन कौन-सा था?
a. खेड़ा आंदोलन
b. बारदोली आंदोलन
c. चंपारन आंदोलन
d. व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन | (c)
32. प्रदर्शन या विरोध का ऐसा स्वरूप जिसमें लोग किसी एक दुकान, फैक्ट्री या दफ्तर के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते है, कहलाता है-
a. पिकेटिंग
b. बहिष्कार
c. सत्याग्रह
d. विरोध । (a)
33. गिरमिटिया मजदूर किसे कहते थे?
a. बंधुआ मजदूर को
b. खेत में काम करने वाले मजदूरों को
c. एक अनुबंध के तहत काम करने वाले मजदूर को
d. औद्योगिक मजदूरों को (c)
34. गुजरात के खेड़ा जिले में गांधी जी ने सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत क्यों की थी?
a. किसानों को ऋण उपलब्ध कराने के लिए
b. किसानों पर हो रहे जुर्म को लेकर
c. लगान वसूली में ढील देने के लिए
d. नमक कानून के खिलाफ । (c)
35. असहयोग आंदोलन चलाने का निर्णय किस कांग्रेस अधिवेशन में लिया गया?
a. सन् 1920 के नागपुर कांग्रेस अधिवेशन में
b. सन् 1919 के मद्रास कांग्रेस अधिवेशन में
c. सन् 1922 के गया कांग्रेस अधिवेशन में
d. सन् 1923 के बंबई कांग्रेस अधिवेशन में। (a)
36. सन् 1870 के दशक में किसने मातृभूमि की स्तुति के रूप में ‘वंदे मातरम्’ गीत लिखा था?
a. बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय
b. रवींद्रनाथ टैगोर
c. अवनींद्रनाथ टैगोर
d. सत्येंद्रनाथ टैगोर । (a)
37. किस एक्ट के तहत बागानों में काम करने वाले मजदूरों को बिना इजाजत के बागान से बाहर जाने की छूट नहीं होती थी?
a. इनलैंड इमिग्रेशन एक्ट
b. इंडिया लेबर एक्ट
c. चार्टिस्ट एक्ट
d. इंडियन वर्कर एक्ट (a)
38. महात्मा गांधी किस वर्ष भारत लौटे?
a. जनवरी 1910
b. जनवरी 1915
c. जनवरी 1918
d. जनवरी 1920 (b)
39. गांधी जी के अनुसार सभी भारतीयों को किसके द्वारा एकता के सूत्र में बाँधा जा सकता है?
a. अहिंसा
b. स्वावलंबन
c. हिंसा
d. भय। (a)
40. महात्मा गांधी ने बिहार के चंपारन क्षेत्र में किस वर्ष सत्याग्रह का आंदोलन चलाया?
a. सन् 1912
b. सन् 1914
c. सन् 1917
d. सन् 1918 (c)
41. वर्ष 1918 में महात्मा गांधी ने किसानों की मदद हेतु गुजरात के किस जिले में सत्याग्रह आंदोलन चलाया?
a. सूरत
b. अहमदाबाद
c. खेड़ा
d. इनमें से कोई नहीं। (c)
42. महात्मा गांधी द्वारा वायसराय इरविन को लिखे गए पत्र में सबसे महत्त्वपूर्ण माँग क्या थी?
a. श्रमिकों के शोषण का निषेध
b. नमक कर खत्म करना
c. उद्योगपतियों को छूट प्रदान करना
d. इनमें से कोई नहीं । (b)
43. महात्मा गांधी ने कितने स्वयंसेवकों के साथ नमक यात्रा प्रारंभ की?
a. 70
b. 72
c. 78
d. 80 (c)
44. अप्रैल 1930 को गुजरात के किस स्थल पर पहुँचकर गांधी जी ने नमक बनाकर कानून का उल्लंघन किया?
a. दांडी
b. खेड़ा
c. सूरत
d. अहमदाबाद। (a)
45. महात्मा गांधी की दांडी यात्रा कहाँ से प्रारंभ हुई?
a. नागपुर
b. मद्रास
c. दिल्ली
d. साबरमती आश्रम । (d)
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारत में ब्रिटिश राज की समाप्ति के निमित्त गांधी जी के अनुसार कौन-सा अस्त्र सर्वश्रेष्ठ है?
उत्तर- अपनी पुस्तक ‘हिंद स्वराज’ में महात्मा गांधी ने कहा है कि असहयोग करके ही ब्रिटिश राज को भारत से समाप्त किया जा सकता है क्योंकि भारतीयों के सहयोग के कारण ही वे यहाँ पर अपना साम्राज्य स्थापित कर सके।
प्रश्न 2. रॉलेट एक्ट कब पारित हुआ था?
उत्तर- सिडनी रॉलेट समिति की सिफारिश पर रॉलेट एक्ट सन् 1919 को पारित हुआ था।
प्रश्न 3. असहयोग आंदोलन कब और क्यों वापस लिया गया था?
उत्तर- असहयोग आंदोलन चौरी-चौरा की अप्रिय घटना के उपरांत सन् 1922 में वापस लिया गया था।
प्रश्न 4. गांधी जी ने कहा था कि निष्क्रिय प्रतिरोध कमजोरों का हथियार नहीं है। क्यों?
उत्तर- गांधी जी ने कहा था कि निष्क्रिय प्रतिरोध कमजोरों का हथियार नहीं है क्योंकि इसमें क्रियाशीलता के साथ ही आत्मबल की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 5. सत्याग्रह पूरी तरह से आत्मबल पर अवलंबित है. इसकी व्याख्या कीजिए ।
उत्तर- सत्य, आत्मा का मूल तत्त्व है जो ज्ञान से भरपूर है, इस प्रकार इस बल को सत्याग्रह कहा जाता है।
प्रश्न 6. साइमन कमीशन की नियुक्ति कब की गई थी?
उत्तर – साइमन कमीशन की नियुक्ति सन् 1927 में की गई थी।
प्रश्न 7. सविनय अवज्ञा आंदोलन कब प्रारंभ किया गया था?
उत्तर- सविनय अवज्ञा आंदोलन गांधी जी ने मार्च 1930 में प्रारंभ करने का निर्णय लिया था।
प्रश्न 8. गांधी-इरविन समझौता कब हुआ था?
उत्तर- गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ था।
प्रश्न 9. पूर्ण स्वराज्य का उद्घोष कब और किस अधिवेशन में किया गया था?
उत्तर- पूर्ण स्वराज्य का उद्घोष सन् 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में किया गया था।
प्रश्न 10. गांधी जी ने अपनी पुस्तक ‘हिंद स्वराज’ में असहयोग आंदोलन के पक्ष में क्या तर्क दिया?
उत्तर- अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘हिंद स्वराज’ (1909) में महात्मा गांधी ने यह तर्क दिया कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही स्थापित हुआ था। यदि भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो सालभर के भीतर ब्रिटिश शासन का अंत हो जाएगा और स्वराज की स्थापना हो जाएगी।
प्रश्न 11. पिकेटिंग का क्या अर्थ है?
उत्तर – पिकेटिंग, प्रदर्शन या विरोध का एक ऐसा स्वरूप है जिसमें लोग दुकान, फैक्ट्री या ऑफिस जाने का मार्ग अवरुद्ध करके अपना विरोध प्रकट करते हैं।
प्रश्न 12. नेहरू रिपोर्ट की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर – लखनऊ में आयोजित सर्वदलीय सम्मेलन में 10 अगस्त 1928 को लखनऊ रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी। समिति के अध्यक्ष मोतीलाल नेहरू के नाम पर इसे ‘नेहरू रिपोर्ट’ कहा गया। इस रिपोर्ट की दो प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार थीं-
(i) भारत को स्वराज्य शीघ्र प्रदान किया जाए।
(ii) कार्यकारिणी विधानमंडल के प्रति उत्तरदायी हो।
प्रश्न 13. पूना पैक्ट और उसके प्रावधान बताइए ।
उत्तर- सितंबर 1932 में अंबेडकर ने गांधी जी से सहमति प्रकट करते हुए पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते से दलित वर्गों (अनुसूचित जाति) के प्रांतीय और केंद्रीय विधायी परिषदों में आरक्षित सीटें मिल गईं हालाँकि उनके लिए मतदान सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में ही होता था।
प्रश्न 14. सत्याग्रह का क्या अर्थ है?
उत्तर – सत्य के प्रति आग्रह अथवा सत्य के लिए अहिंसापूर्वक विरोध ही सत्याग्रह है।
प्रश्न 15. किस विधेयक को ‘काला कानून’ कहकर भारतीयों ने उसका विरोध किया?
उत्तर- भारतीयों ने रॉलेट एक्ट बिल को काला कानून’ कहकर उसका विरोध किया।
प्रश्न 16. जलियाँवाला बाग में भारतीयों की भीड़ पर गोली चलाने का आदेश किसने दिया।
उत्तर- 13 अप्रैल 1919 को जलियाँवाला बाग (अमृतसर) में जालंधर डिवीजन के कमांडर जनरल डायर के आदेश पर गोली चलाई गयीं जिसमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए।
प्रश्न 17. खिलाफत आंदोलन के नेता और उद्देश्य बताइए ।
उत्तर- मौलाना मुहम्मद अली और शौकत अली खिलाफत आंदोलन के दो प्रमुख नेता थे, जिन्हें अली बंधु कहा जाता था। खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य टर्की में खलीफा की प्रतिष्ठा को
पुनः स्थापित करने के लिए आंदोलन करना और टर्की साम्राज्य के बटवारे का विरोध करना था।
प्रश्न 18. दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी ने सत्याग्रह क्यों किया?
उत्तर – महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में अश्वेत मजदूरों के अधिकारों का हनन करने वाले नस्ल विरोधी कानून के विरुद्ध थे। अतः वे सत्याग्रह में शामिल हुए।
प्रश्न 19. ‘हिंद स्वराज’ पुस्तक के लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर- हिंद स्वराज के लेखक महात्मा गांधी हैं।
प्रश्न 20. केसर-ए-हिंद’ की उपाधि किसे दी गयी थी?
उत्तर- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार की सेवाओं के बाद महात्मा गांधी को ‘कैसर-ए-हिंद’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।
प्रश्न 21. “प्रत्येक समूह को अपने तरीके से स्वतंत्र विकास का अधिकार है।” क्या यह संकीर्ण सिद्धांत है?
उत्तर- प्रत्येक समूह अथवा समुदाय की अपनी विशेष पहचान तथा संस्कृति होती है। उनके विकास में इस संस्कृति तथा पहचान का अत्यधिक महत्त्व होता है। इसलिए इसे संकीर्ण सिद्धांत नहीं माना जा सकता है।
प्रश्न 22. इकबाल भारत को किस प्रकार का देश मानते थे? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- इकबाल का मानना था कि भारत नस्ली तथा धार्मिक विशिष्टताओं वाला देश है इस देश में सामुदायिक समूहों को उचित मान्यता दिए बिना ‘राष्ट्र के विचार को मूर्त रूप देना असंभव है।
प्रश्न 23. भारतीय मुसलमान भारत की स्वतंत्रता हेतु अपना सब कुछ न्यौछावर करने को कब तैयार हो जाएगा?
उत्तर- भारतीय मुसलमान को भारत में अपनी संस्कृति व परंपरा के अनुसार पूर्ण एवं स्वतंत्र विकास का अधिकार प्रदान करने पर वह अपना सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार हो जाएगा।
प्रश्न 24. हिंदूवादी धारणा के अनुसार ‘राष्ट्र’ शब्द का क्या आशय है?
उत्तर- हिंदूवादी धारणा के अनुसार ‘राष्ट्र’ शब्द का आशय एक ऐसे सार्वभौमिक सम्मिश्रण से है, जिसमें किसी भी सामुदायिक इकाई को अपनी निजी विशिष्टता बनाए रखने का अधिकार नहीं हो सकता।
प्रश्न 25. गांधी जी ने किन कारणों से खिलाफत मुद्दे को असहयोग आंदोलन में शामिल किया?
उत्तर- गांधी जी का विचार था कि हिंदू-मुस्लिमों को एक-दूसरे के निकट लाए बिना राष्ट्रीय आंदोलन में सफलता नहीं मिल सकती। इसी सोच को जीवंत बनाने के लिए गांधी जी ने खिलाफत का मुद्दा उठाया तथा दोनों समुदायों को निकट लाने हेतु असहयोग आंदोलन में खिलाफत के मुद्दे को शामिल किया।
प्रश्न 26. गांधी जी ने प्रस्तावित रॉलेट एक्ट के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आंदोलन क्यों आरंभ किया?
उत्तर – महात्मा गांधी के अनुसार ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से स्थापित हुआ था और यह शासन इसी सहयोग के कारण चल पा रहा है। अगर भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो एक वर्ष के भीतर ब्रिटिश सरकार ढह जाएगी तथा स्वराज की स्थापना हो जाएगी। अतः गांधी जी ने 1919 ई० में रॉलेट एक्ट के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आंदोलन चलाने का निर्णय लिया।
प्रश्न 27. खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर- खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य टर्की में खलीफा की प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित करने के लिए आंदोलन करना तथा टर्की साम्राज्य के बटवारे का विरोध करना था।
प्रश्न 28. असहयोग आंदोलन प्रारंभ करने का निर्णय कब लिया गया?
उत्तर- सितंबर 1920 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में असहयोग आंदोलन प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया।
प्रश्न 29. चौरी-चौरा कांड क्या था?
उत्तर – असहयोग आंदोलन के दौरान अप्रैल 1922 में प्रदर्शनकारियों की एक भीड़ ने चौरी-चौरा नामक स्थान पर स्थित पुलिस चौकी में आग लगा दी थी, जिसमें कई पुलिसकर्मी मारे गये थे। चौरी-चौरा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित है। इस घटना के बाद गांधी जी ने आंदोलन स्थगित कर दिया था।
प्रश्न 30. गांधी जी ने आंदोलन स्थगित करने का निर्णय क्यों लिया?
उत्तर- गांधी जी असहयोग आंदोलन को अहिंसक बनाए रखना चाहते थे, किंतु इसे हिंसक मार्ग पर जाता देख उन्होंने इसे स्थगित करने का निर्णय लिया। उन्हें लगता था कि किसी भी हिंसक प्रतिरोध का दमन करने में अंग्रेज़ी सत्ता सक्षम है।
प्रश्न 31. असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सामाजिक समूहों के नाम बताइए।
उत्तर – असहयोग आंदोलन में समाज के विभिन्न समूहों ने भाग लिया। इसमें शहरी मध्यम वर्ग, व्यवसायी, ग्रामीण क्षेत्रों के संपन्न लोग तथा गरीब किसानों व मुस्लिम संगठनों समेत स्त्रियाँ भी शामिल थीं।
प्रश्न 32. विभिन्न सामाजिक समूहों ने असहयोग आंदोलन में भाग क्यों लिया?
उत्तर- सभी वर्गों की अपनी-अपनी माँगें थीं तथा सामूहिक शोषण के विरोध की प्रक्रिया के कारण भी ये आंदोलन के भाग बने।
प्रश्न 33. पेंटिंग में भारत माता को किस रूप में दिखाया गया है?
उत्तर- पेंटिंग में भारत माता को संन्यासिनी के रूप में दिखाया गया है।
प्रश्न 34. भारत माता किन गुणों से युक्त दिखाई देती हैं?
उत्तर – भारत माता शांत, गंभीर, दैवी और आध्यात्मिक गुणों से युक्त दिखाई देती हैं।
प्रश्न 35. तत्कालीन समय में विभिन्न कलाकार ऐसी छवियाँ क्यों बनाने लगे?
उत्तर- विभिन्न कलाकारों द्वारा ऐसी छवियाँ बनाने के कारण भारत माता की छवि विविध रूप ग्रहण करती गई तथा इन मातृ छवियों के प्रति श्रद्धा को राष्ट्रवाद में आस्था का प्रतीक माना जाने लगा।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. असहयोग आंदोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- असहयोग आंदोलन के प्रमुख कार्यक्रम इस प्रकार थे-
(i) विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना तथा स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करना। कांग्रेसियों को चरखा कातने का निर्देश दिया गया और जुलाहों को घरों पर कपड़ा बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
(ii) सरकार द्वारा दी गई उपाधियों तथा अवैतनिक पदों का त्याग।
(iii) सन् 1919 के अधिनियम के अंतर्गत होने वाले चुनावों का बहिष्कार तथा स्थानीय संस्थाओं में मनोनीत सदस्यों द्वारा त्याग-पत्र देना।
(iv) सरकारी तथा अर्ध-सरकारी उत्सवों और समारोहों में उपस्थित न होना अथवा सरकारी दरबारों का बहिष्कार करना।
(v) सरकारी शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार।
(vi) न्यायालयों का बहिष्कार करना।
इसके अतिरिक्त इस आंदोलन के रचनात्मक कार्यक्रम में अपनी शिक्षण संस्थाएँ खोलकर उसमें बच्चों को पढ़ाना, घर-घर में चरखे और सूत कातने को लोकप्रिय बनाना, छुआछूत को दूर करना, हिंदू-मुस्लिम एकता को पुष्ट करना आदि प्रमुख बातें थीं।
प्रश्न 2. ग्रामीण इलाकों में सविनय अवज्ञा आंदोलन की प्रगति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- ग्रामीण इलाकों में सविनय अवज्ञा आंदोलन की प्रगति को निम्नलिखित रूपों में समझा जा सकता है-
सम्पन्न किसानों पर प्रभाव- सम्पन्न किसान लगान में कमी करवाना चाहते थे। अतः इन लोगों ने आंदोलन का बढ़-चढ़कर समर्थन किया। वस्तुतः इनके लिए स्वराज की लड़ाई भारी लगान के विरुद्ध
थी।
गरीब किसानों पर प्रभाव – गरीब किसान जमींदारों से पट्टे पर जमीन लेकर खेती कर रहे थे। वे चाहते थे कि जमींदारों को जो किराया चुकाना था, उसे माफ कर दिया जाए। उन्होंने इसलिए आंदोलन में हिस्सा लिया।
महिलाओं पर प्रभाव- ग्रामीण क्षेत्रों की सम्पन्न किसान परिवारों की महिलाएँ सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा ले रही थी।
प्रश्न 3. असहयोग आंदोलन की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर- इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि असहयोग आंदोलन का भारत की जनता के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा विदेशी वस्तुओं की होली जलाई गई। बहुत से छात्रों ने स्कूल और कॉलेज छोड़ दिए और कांग्रेस ने काशी विद्यापीठ’, ‘बनारस विद्यापीठ, गुजरात विद्यापीठ’, बिहार विद्यापीठ’, ‘बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी, नेशनल कॉलेज, लाहौर’, ‘जामिया मिलिया दिल्ली और ‘नेशनल मुस्लिम यूनिवर्सिटी’ की स्थापना की। सेठ जमनालाल बजाज ने घोषणा की कि मैं प्रैक्टिस न करने वाले वकीलों के गुजारे के लिए एक लाख रुपये सालाना दूँगा। कांग्रेस ने चालीस लाख स्वयंसेवक भरती किए। बीस हजार चरखे बनवाए गए। लोग पंचायतों द्वारा अपने निर्णय करने लगे। महात्मा गांधी ने ‘कैसर-ए-हिंद’ का खिताब लौटा दिया और दूसरे लोगों ने उनका अनुसरण किया। जब प्रिंस ऑफ वेल्स 17 नवम्बर 1921 को बंबई पहुँचा, तब शहर में उस दिन हड़ताल रही। जब दिसंबर 1921 में वह कलकत्ता गया, तब वहाँ भी शहर में ऐसी ही हड़ताल रही।
प्रश्न 4. ‘साइमन कमीशन’ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर – सन् 1919 के अधिनियम के अनुसार, उसकी जाँच के लिए दस वर्ष बाद एक रॉयल कमीशन की नियुक्ति की आवश्यकता थी। ब्रिटिश मंत्रिमंडल ने आम चुनावों के भय से दो वर्ष पूर्व सन् 1927 में ही इस कमीशन की नियुक्ति कर दी। इस कमीशन के अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे, इसलिए यह साइमन कमीशन कहलाया ।
इसके सभी सदस्य अंग्रेज़ थे इस कमीशन का भारतीयों ने बहिष्कार किया क्योंकि इसमें कोई भारतीय सदस्य नहीं था। इसी कारण कांग्रेस इससे असंतुष्ट थी।
3 फरवरी 1928 को कमीशन भारत आया। कमीशन का सारे भारत में स्थान-स्थान पर काले झंडों से विरोध किया गया। पंजाब में भी विभिन्न स्थानों पर कमीशन का विरोध किया गया। लाहौर में लाला लाजपत राय ने कमीशन के विरोध में एक विशाल जुलूस निकाला। पुलिस ने भीड़ एवं लाला लाजपत राय पर भीषण लाठी प्रहार किया। लाला जी को गंभीर चोटें आईं, जिनके कारण शीघ्र ही उनकी मृत्यु हो गई। लखनऊ में भी गोविंद बल्लभ पंत व जवाहरलाल नेहरू पर लाठियाँ बरसाई गई।
कमीशन दो बार भारत आया व दो वर्षों के परिश्रम के पश्चात् मई 1930 में उसने अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। प्रतिवेदन में प्रांतों में उत्तरदायी सरकार की स्थापना, द्वैध शासन की समाप्ति, संघीय शासन की स्थापना, केंद्रीय व्यवस्थापिका का पुनर्गठन, मताधिकार का विस्तार जैसी महत्त्वपूर्ण अनुशंसाएँ की गई थीं, किंतु असंतुष्ट कांग्रेस ने नई नीति की घोषणा की। दिसंबर 1929 में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज’ की माँग को स्वीकृत कर लिया गया।
प्रश्न 5. भारत के व्यवसायी वर्ग ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का समर्थन क्यों किया?
उत्तर- प्रथम विश्वयुद्ध की अवधि में भारतीय व्यापारियों और उद्योगपतियों ने अत्यधिक लाभ कमाया था जिससे वे शक्तिशाली हो चुके थे। अपने कारोबार को फैलाने के लिए उन्होंने ऐसी औपनिवेशिक नीतियों का विरोध किया जिसके कारण उनकी व्यावसायिक गतिविधियों में रुकावट आती थी। वे विदेशी वस्तुओं के आयात से सुरक्षा चाहते थे और रुपया स्टर्लिंग विदेशी विनिमय अनुपात में परिवर्तन चाहते थे जिससे आयात में कमी आ जाए। व्यावसायिक हितों को संगठित करने के लिए उन्होंने सन् 1920 में भारतीय औद्योगिक एवं व्यावसायिक कांग्रेस (इंडियन इंडस्ट्रियल एंड कॉमर्शियल कांग्रेस) और सन् 1927 में भारतीय वाणिज्य और उद्योग परिसंघ (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज फिक्की) का गठन किया। पुरुषोत्तम दास ठाकुर और जी०डी० बिड़ला जैसे जाने-माने उद्योगपतियों के नेतृत्व में उद्योगपतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर औपनिवेशिक नियंत्रण का विरोध किया और सविनय अवज्ञा आंदोलन का समर्थन किया।
प्रश्न 6. बागानी मजदूरों ने ‘स्वराज्य’ के विचार को किस प्रकार समझा? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – बागानी मजदूरों द्वारा स्वराज्य के विचार को समझने का दृष्टिकोण निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत प्रस्तुत हैं-
(i) बागानी मजदूरों ने (विशेषकर असम के बागानी मजदूरों ने स्वराज्य का अर्थ अपने ही ढंग से समझा। उनके अनुसार स्वराज्य मिलने पर उनकी सभी कठिनाइयाँ और मुसीबतें समाप्त हो जाएँगी।
(i) उनमें से कुछ बागान मजदूरों का यह विचार था कि महात्मा गांधी द्वारा लाए गए स्वराज्य के अंतर्गत उन्हें अपने ही गाँव में खेती करने के लिए जमीन मिलेगी।
(iii) कुछ बागान मजदूरों के लिए स्वराज्य से यह आशय था कि उन्हें बागान की चहारदीवारी में बंद रखने की प्रथा से मुक्ति मिल जाएगी और बागान की चहारदीवारी से वह जब भी चाहें बाहर आ जा सकते हैं। अब वे गाँव में रहने वाले अपने संबंधियों से संपर्क स्थापित कर सकेंगे और जब चाहे गाँव जाकर उनसे मिल भी सकेंगे।
प्रश्न 7. राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचिका के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे?
उत्तर- राजनीतिक नेता भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों और समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे, जैसे डॉ० बी०आर० अंबेडकर दलितों का नेतृत्व करते थे। इसी प्रकार मुहम्मद अली जिन्ना भारत के मुस्लिम समाज का नेतृत्व करते थे। ये नेतागण विशेष राजनीतिक अधिकारों और पृथक् निर्वाचन क्षेत्र माँगकर अपने अनुयायियों का जीवन स्तर ऊँचा उठाना चाहते थे। लेकिन कांग्रेस पार्टी, विशेषकर
गांधी जी का मानना था कि पृथक निर्वाचन क्षेत्र भारत की एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। वे इस माँग के विरुद्ध थे और एक बार इसके लिए आमरण अनशन पर भी बैठे थे यही वे कारण थे कि राजनीतिक नेता पृथक चुनाव क्षेत्रों के प्रश्न पर बँटे हुए थे।
प्रश्न 8. नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।
उत्तर- 31 जनवरी 1930 को गांधी जी ने वायसराय इरविन को एक खत लिखा। इस खत में उन्होंने ग्यारह माँगों का उल्लेख किया था। इनमें से कुछ सामान्य माँगें थीं जबकि कुछ माँगें उद्योगपतियों से लेकर किसानों तक विभिन्न तबकों से जुड़ी हुई थीं। गांधी जी इन माँगों के माध्यम से समाज के सभी वर्गों को अपने साथ जोड़ना चाहते थे ताकि सभी उनके अभियान में शामिल हो सकें। इनमें से सर्वाधिक प्रमुख माँग नमक कर को समाप्त करने के बारे में थी। सफलतापूर्वक नमक यात्रा निकालकर गांधी जी ने औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार को अपने सत्याग्रह के तरीके से उत्तर दिया। नमक यात्रा वास्तव में उपनिवेशवाद के विरुद्ध प्रतिरोध का एक सबसे बड़ा प्रतीक थी।
प्रश्न 9. अवध के किसानों के समक्ष आई किन्हीं तीन समस्याओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- अवध के किसानों के समक्ष आने वाली तीन समस्याएँ निम्न प्रकार हैं-
(i) अवध क्षेत्र में किसानों के लगभग 300 संगठन बन गए थे। ऐसी स्थिति में किसान यह निर्णय नहीं ले पा रहे थे कि वे किस संगठन का हिस्सा बनें, जो उनकी समस्याओं का समाधान कर सके।
(ii) अवध के किसानों के आंदोलन के स्वरूप से कांग्रेस नेतृत्व प्रसन्न नहीं था। अतः राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें वह स्वीकार्यता नहीं मिल सकी, जो मिलनी चाहिए थी।
(ii) महात्मा गांधी का नाम लेकर किसानों का नेतृत्व करने वाले लोग अपनी समस्त कार्यवाहियों एवं आकांक्षाओं को सही ठहरा रहे थे। ऐसी स्थिति में अवध के किसानों तक सही बात नहीं पहुँच पा रही थी।
प्रश्न 10. पूना पैक्ट पर किसके हस्ताक्षर हुए? उसकी दो शर्तें लिखिए।
उत्तर- पूना पैक्ट पर महात्मा गांधी और डॉ० भीमराव अंबेडकर के हस्ताक्षर हुए। इस पैक्ट की दो शर्तें निम्नलिखित थीं-
(i) दलितों (जिन्हें बाद में अनुसूचित जाति के नाम से जाना गया) के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र की व्यवस्था न होना।
(ii) प्रांतीय एवं केंद्रीय विधायी परिषदों में इनके लिए आरक्षित सीटों की व्यवस्था की गई।
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. प्रथम विश्वयुद्ध के बाद गांधी जी ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध असहयोग आंदोलन क्यों शुरू किया? भारत के लोगों ने किन क्षेत्रों में ब्रिटिश सरकार से असहयोग किया?
उत्तर – कांग्रेस ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में सन् 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू करने का निर्णय किया। यह एक क्रांतिकारी कदम था। कांग्रेस ने पहली बार सक्रिय कार्यवाही अपनाने का निश्चय किया। इस क्रांतिकारी परिवर्तन के अनेक कारण थे अब तक महात्मा गांधी ब्रिटिश सरकार की न्यायप्रियता में विश्वास करते थे और उन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सरकार को पूरा सहयोग दिया था, किंतु जलियाँवाला बाग नरसंहार, पंजाब में मार्शल लॉ और हंटर कमेटी की जाँच ने उनका अंग्रेज़ों के न्याय से विश्वास उठा दिया। उन्होंने अनुभव किया कि अब पुराने तरीके छोड़ने होंगे। कांग्रेस से उदारवादियों के अलग हो जाने के बाद कांग्रेस पर पूरी तरह से गरमपंथियों का नियंत्रण हो गया। उधर टर्की और मित्र राष्ट्रों में सेब्रेस की संधि की कठोर शर्तों से मुसलमान भी रुष्ट थे। देश में अंग्रेज़ों के प्रति बड़ा असंतोष व्याप्त था। महात्मा गांधी ने मुसलमानों के खिलाफत आंदोलन में उनका साथ दिया तथा असहयोग आंदोलन छेड़ने का विचार किया।
सितंबर 1920 में कलकत्ता में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव रखा। सी०आर० दास, बी०सी० पाल, ऐनी बेसेंट जिन्ना और मालवीय जी ने इसका विरोध किया, लेकिन दिसंबर 1920 में कांग्रेस के नियमित अधिवेशन में असहयोग का प्रस्ताव बहुमत से पारित हो गया तथा विरोधियों ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
इस आंदोलन के मुख्य बिंदु थे- खिताबों तथा सरकारी पदों का त्याग, स्थानीय निकायों में नामजदगी वाले पदों से इस्तीफा, सरकारी दरबारों या सरकारी अफसरों के सम्मान में आयोजित उत्सवों में भाग न लेना, बच्चों को स्कूलों से हटा लेना, अदालतों का बहिष्कार, फौज में भरती का बहिष्कार आदि। असहयोगियों के लिए अहिंसा तथा सत्य का पालन करना आवश्यक था। गांधी जी को विश्वास था कि इस आंदोलन से एक वर्ष में स्वराज की प्राप्ति हो जाएगी।
इस आंदोलन का भारतीय जनता पर गहरा प्रभाव पड़ा। विदेशी वस्तुओं की होली जलाई गई। बहुत से छात्रों ने स्कूल तथा कॉलेजों का बहिष्कार किया। महात्मा गांधी ने ‘केसर-ए-हिंद’ का खिताब छोड़ दिया। 13 नवंबर 1921 को प्रिंस ऑफ वेल्स के भारत आगमन के समय बंबई में हड़ताल रखी गई। दिसंबर 1921 में प्रिंस के कलकत्ता आगमन पर भी हड़ताल रखी गई।
ब्रिटिश सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने के लिए व्यापक दमना चक्र चलाया। महात्मा गांधी के अतिरिक्त सभी कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। चौरी-चौरा की एक अप्रिय घटना के कारण महात्मा गांधी ने यह आंदोलन सन् 1922 में वापस ले लिया।
प्रश्न 2. सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या कारण थे? इसके क्या परिणाम रहे?
उत्तर- दिसंबर 1921 के अहमदाबाद अधिवेशन में महात्मा गांधी को सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाने का एकाधिकार दे दिया गया था, परंतु चौरी-चौरा की घटना, असहयोग आंदोलन के स्थगन तथा महात्मा गांधी की गिरफ्तारी ने इस आंदोलन की योजना को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया।
सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण
साइमन कमीशन के प्रतिवेदन से देश भर में असंतोष की लहर दौड़ गई और सविनय अवज्ञा आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार हो गई। सन् 1930 में गांधी जी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन को प्रारंभ करने के निम्नलिखित प्रमुख कारण थे-
(i) नेहरू रिपोर्ट की अस्वीकृति – सरकार ने सर्वदलीय सम्मेलन में पारित नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया जिससे भारत में संवैधानिक और उत्तरदायी शासन की माँग समाप्त होती दिखाई दी।
(ii) अत्यधिक आर्थिक मंदी- उस समय भारत बहुत अधिक आर्थिक मंदी (Economic Depression) की चपेट में था जिससे मजदूरों तथा कृषकों की आर्थिक दशा निरंतर शोचनीय होती जा रही थी।
(iii) स्वतंत्रता की माँग की अस्वीकृति- ब्रिटिश सरकार ने भारत को पूर्ण स्वराज्य देने से इनकार कर दिया था। वह अधिराज्य स्थिति (Dominion Status) के संविधान बनाने के लिए भी गोलमेज सम्मेलन को बुलाने के लिए तैयार न थी इसलिए कांग्रेस के पास इस आंदोलन को चलाने के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प शेष नहीं था।
(iv) बारदोली में सफल सत्याग्रह- ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सन् 1928 के मध्य सरदार पटेल के नेतृत्व में किसानों ने बारदोली में एक सफल सत्याग्रह किया था जिसमें किसानों ने सरकार को भूमि-कर देने से इनकार कर दिया था। इस सफलता से कांग्रेस का मनोबल बढ़ा जो अंततः सविनय अवज्ञा आंदोलन को प्रारंभ करने के लिए प्रेरक तत्व के रूप में सामने आया।
(v) मेरठ षड्यंत्र केस – सन् 1929 में सरकार ने कम्युनिस्ट नेताओं को गिरफ्तार करके उन पर केस चलाना प्रारंभ कर दिया था जो मेरठ षड्यंत्र केस के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसमें अनेक व्यक्तियों पर राजद्रोह का अभियोग लगाकर उन्हें कठोर यातनाएँ दी गईं।
इन परिस्थितियों को देखते हुए गांधी जी को बाध्य होकर सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करना पड़ा।
परिणाम- सविनय अवज्ञा आंदोलन के निम्नलिखित परिणाम सामने आए
(i) इस आंदोलन ने भारतीयों में राष्ट्रीय भावना को जाग्रत कर दिया।
(ii) इस आंदोलन के कारण ब्रिटिश सरकार का ध्यान भारत में संवैधानिक सुधार करने की ओर गया।
(iii) इस आंदोलन के प्रभाव से घबराकर शासन ने भारत में सांप्रदायिकता को और अधिक बढ़ावा देने का प्रयास किया।
(iv) इस आंदोलन के दौरान पूना समझौते के माध्यम से हिंदुओं और दलितों में पुनः एकता स्थापित हुई।
(v) इस आंदोलन ने ही सन् 1935 के भारतीय शासन अधिनियम’ की पृष्ठभूमि तैयार की।
प्रश्न 3. भारत में सांस्कृतिक प्रक्रिया ने सामूहिक अपनेपन का भाव किस प्रकार विकसित किया?
उत्तर- राष्ट्रवाद की भावना लोगों में तब जन्म लेती है जब वे अपने आप को एक ही राष्ट्र के अंग मानने लगते हैं। सामूहिक अपनेपन की भावना अधिकतर तब पनपती है जब एक देश के लोग आपस में मिलकर देश की आजादी / खुशहाली के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस संबंध में निम्नलिखित बिंदु महत्त्वपूर्ण हैं-
(i) राष्ट्र की पहचान अधिकतर किसी चित्र में अंकित की जाती है जैसे बीसवीं सदी में राष्ट्रवाद के विकास के साथ भारत की पहचान भारत माता की छवि के रूप में की जाने लगी थी।
(ii) ऐसी पहचान बनाने में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित ‘वंदे मातरम्’ गीत का बड़ा योगदान रहा। ऐसे गीत जब लोगों द्वारा साथ मिलकर गाए जाते हैं तो अवश्य ही वे सामूहिक अपनेपन के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
(iii) कई बार लोक कथाओं और लोक-गीतों द्वारा भी सामूहिक अपनेपन के भाव के पनपने में काफी सहयोग मिलता है। इस दिशा में भाटों व चारणों द्वारा गाई सुनाई जाने वाली लोक कथाओं की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही ।
(iv) सामूहिक अपनेपन की विचारधारा के विकास में किसी-न- किसी प्रकार के राष्ट्रीय झंडे की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है। इस दिशा में तिरंगे झंडे की भी देश की आजादी में महत्त्वपूर्ण भूमिका रही लोगों द्वारा जुलूसों में इस झंडे के थामे रहने से उनमें सामूहिक अपनेपन की भावना जाग्रत होने में भी अत्यधिक प्रेरणा मिली।
प्रश्न 4. रॉलेट एक्ट का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर- मांटेग्यू की घोषणा के पश्चात् मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड रिपोर्ट तैयार हुई। इस रिपोर्ट को कार्यरूप देने के लिए सन् 1919 में एक अधिनियम पारित किया गया जिसमें प्रांतों में आंशिक उत्तरदायी शासन स्थापित करने का उल्लेख किया गया, किंतु औपनिवेशिक स्वराज के विषय में नीति स्पष्ट नहीं की गई। अतः स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया बल्कि राष्ट्रीय आंदोलन में और तीव्रता आ गई। इस आंदोलन का दमन करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने न्यायाधीश रॉलेट की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की। फरवरी 1919 में रॉलेट ने दो विधेयक प्रस्तावित किए जो पारित होने के पश्चात् रॉलेट एक्ट के नाम से प्रसिद्ध हुए । अनेक भारतीय नेताओं द्वारा इस कानून का विरोध किया गया, इसके बावजूद ब्रिटिश सरकार ने 21 मार्च 1919 को इसे लागू कर दिया। इस एक्ट के अनुसार किसी भी व्यक्ति को मात्र संदेह के आधार पर ही गिरफ्तार किया जा सकता था अथवा गुप्त मुकदमा चलाकर उसे दंडित किया जा सकता था। रॉलेट एक्ट को भारतीयों ने ‘काला कानून’ कहकर पुकारा। रॉलेट एक्ट के पारित होने से गांधी जी का अंग्रेज़ों की न्यायप्रियता और ईमानदारी से विश्वास समाप्त हो गया। उन्होंने रॉलेट एक्ट के विरोध में जनमत तैयार करने के लिए देश का तूफानी दौरा किया और देशवासियों को सलाह दी कि वे सत्य और अहिंसा द्वारा इस काले कानून का विरोध करें।
प्रश्न 5. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
(i) 26 जनवरी 1930 का महत्त्व
(ii) जलियाँवाला बाग हत्याकांड |
उत्तर- (i) 26 जनवरी 1930 का महत्त्व
असहयोग आंदोलन की असफलता के बाद दिसंबर 1929 में पं0 जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का अधिवेशन लाहौर में हुआ। इस अधिवेशन में कांग्रेस ने अपना लक्ष्य भारत की पूर्ण स्वाधीनता घोषित किया और स्वाधीनता की माँग के साथ ही 26 जनवरी 1930 को स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।
स्वतंत्रता दिवस की शपथ, 26 जनवरी 1930- ‘हमारा विश्वास है कि किसी भी समाज की तरह भारतीय जनता का भी यह एक अहरणीय (inalienable) अधिकार है कि उसे आजादी मिले, अपनी मेहनत का फल मिले और जीवन की सभी आवश्यकताएँ पूरी हों जिससे उसे आगे बढ़ने के परिपूर्ण अवसर मिलें। हमारा यह भी विश्वास है कि यदि कोई भी सरकार अपनी जनता को इन अधिकारों से वंचित रखती है और दबाती है तो जनता को भी सरकार को बदलने या उसे समूल समाप्त करने का अधिकार है। भारत की ब्रितानी सरकार ने न केवल भारतीय जनता को स्वतंत्रता से वंचित किया है बल्कि उसने जनता का शोषण किया है और देश को आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर नष्ट कर दिया है। इसलिए हमारा विश्वास है कि भारत को अनिवार्य रूप से ब्रिटेन के साथ अपने सभी संबंधों को समाप्त करके पूर्ण स्वराज्य प्राप्त करना चाहिए।’
(ii) जलियाँवाला बाग हत्याकांड
सुधार और स्वराज्य पाने की ओर से निराश भारतीय अब ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आंदोलन की गति तीव्र करने में जुट गए। उग्र क्रांतिकारियों ने उग्रतापूर्ण कार्यवाही प्रारंभ कर दी। उधर ब्रिटिश सरकार ने राष्ट्रीय आंदोलन के दमन के लिए ‘रॉलेट एक्ट पारित किया। इस कानून के अनुसार किसी व्यक्ति को बिना वारंट जारी किए ही गिरफ्तार किया जा सकता था। महात्मा गांधी के नेतृत्व में संपूर्ण भारतवासियों ने एकजुट होकर इस एक्ट का प्रबल विरोध किया।
अमृतसर में इस कानून का विरोध करने के लिए 13 अप्रैल 1919 को जलियाँवाला बाग में एक सभा हुई। इस सभा में हजारों स्त्री-पुरुष एकत्र हुए। सभा बड़ी शांतिपूर्वक चल रही थी कि अचानक जनरल डायर ने आकर सारे बाग को अपने सैनिकों से घेराव करवा दिया और निहत्थी जनता पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। इस हत्याकांड में सैकड़ों व्यक्ति मारे गए और हजारों घायल निःसहाय अवस्था में वहीं पड़े तड़पते रहे। पंजाब में सैनिक शासन लागू कर दिया गया। इस दर्दनाक घटना ने संपूर्ण देश में क्रांति की आग को भड़का दिया।
प्रश्न 6. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
(i) चौरी-चौरा की घटना ।
(ii) गांधी जी की दांडी यात्रा ।
उत्तर-
(i) चौरी-चौरा की घटना
चौरी-चौरा, उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के पास का एक कस्बा जहाँ 5 फरवरी 1922 को भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार की एक पुलिस चौकी को आग लगा दी जिससे उसमें छुपे हुए 22 पुलिस कर्मचारी जिंदा जलकर मर गए थे। इस घटना को चौरी-चौरा कांड के नाम से जाना जाता है। इसके परिणामस्वरूप गांधी जी ने कहा था कि हिंसा होने के कारण असहयोग आंदोलन उपयुक्त नहीं रह गया है और उसे वापस ले लिया था। बहुत से लोगों को गांधी जी का यह निर्णय उचित नहीं लगा। विशेषकर क्रांतिकारियों ने इसका प्रत्यक्ष या परोक्ष विरोध किया। कांग्रेस के गया अधिवेशन में रामप्रसाद बिस्मिल और उनके नौजवान सहयोगिकयों ने गांधी जी का विरोध किया।
(ii) गांधी जी की दांडी यात्रा
सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारंभ दांडी यात्रा की ऐतिहासिक घटना से हुआ। इसे नमक सत्याग्रह भी कहा जाता है। इसमें गांधी जी और गुजरात विद्यापीठ’ तथा ‘साबरमती आश्रम के 78 सदस्यों ने भाग लिया। 12 मार्च 1930 को गांधी जी ने अपने साथियों के साथ साबरमती आश्रम से दांडी के लिए प्रस्थान किया। 240 मील की दूरी पैदल ही 24 दिनों में तय की गई। स्थान-स्थान पर हजारों नर-नारियों ने सत्याग्रह दस्ते की जय-जयकार की और गांधी जी का हार्दिक स्वागत किया। सरदार पटेल, जो गाँवों का दौरा कर जनता को सजग कर रहे थे की गिरफ्तारी और सजा ने जनता के क्रोध को भड़का दिया। इस ऐतिहासिक यात्रा का उल्लेख करते हुए ‘बॉम्बे क्रानिकल’ ने लिखा- “इस महान् राष्ट्रीय घटना के पूर्व उसके साथ-साथ तथा उसके बाद जो दृश्य देखने में आए, वे इतने उत्साहपूर्ण, शानदार और जीवन्त थे कि वर्णन नहीं किया जा सकता। यह एक महान् आंदोलन का प्रारंभ था और निश्चय ही भारत की राष्ट्रीय स्वतंत्रता के इतिहास में उसका महत्त्वपूर्ण स्थान होगा।
महात्मा गांधी 5 अप्रैल 1930 को दांडी पहुँचे तथा 6 अप्रैल को आत्मशुद्धि के उपरांत नमक कानून को भंग किया। इस प्रकार गांधी जी ने नमक कानून का उल्लंघन कर सत्याग्रह का प्रारंभ किया। डॉ० विपिनचंद्र ने लिखा है “यह कार्यवाही भारतीय जनता द्वारा, अंग्रेज़ों द्वारा बनाए गए कानूनों के तहत रहने और इस प्रकार ब्रिटिश शासन के अधीन रहने से इनकार का प्रतीक थी।”
प्रश्न 7. व्याख्या करें-
(i) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी?
(ii) पहले विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया?
(iii) भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में क्यों थे?
(iv) गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया?
उत्तर- (i) उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन ने सभी जाति, वर्ग और संप्रदायों के लोगों को विदेशी सत्ता के विरुद्ध संघर्ष के लिए एकजुट किया। इसने स्थानीय लोगों में राष्ट्रवादी और उदारवादी विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक सुदृढ़ मंच प्रदान किया। इस प्रकार उपनिवेश विरोधी आंदोलन सभी उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के विकास के लिए सहायक बना।
(ii) प्रथम विश्वयुद्ध के समय भारत में बढ़ते मूल्यों ने जनसामान्य के समक्ष कठिन स्थितियाँ उत्पन्न कर दी थीं। ग्रामीणों को सेना में भर्ती होने के लिए बाध्य किया गया। उनसे बेगार करवाई गई। इससे जनता में व्यापक रोष फैल गया। साथ ही फसल नष्ट होने से भारतीयों में ब्रिटिश विरोधी भावनाओं को बल मिला और राष्ट्रवादी भावनाएँ जाग्रत हो उठीं।
(ii) ब्रिटिश विरोधी भावनाओं को रोकने के क्रम में रॉलेट एक्ट के अंतर्गत भारतीय नेताओं को दो वर्ष तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखा जा सकता था। इस कारण भारतीय रॉलेट एक्ट के विरोधी हो गए।
(iv) गोरखपुर के चौरी-चौरा में हुई हिंसक घटना के कारण सन् 1922 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला लिया।