Chapter 3 Organisation of Data (आँकड़ों का संगठन)
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प सही है
(i) एक वर्ग मध्यबिन्दु बराबर है
(क) उच्च वर्ग सीमा तथा निम्न वर्ग सीमा के औसत के
(ख) उच्च वर्ग सीमा तथा निम्न वर्ग सीमा के गुणनफल के
(ग) उच्च वर्ग सीमा तथा निम्न वर्म सीमा के अनुपात के
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर :
(क) उच्च वर्ग सीमा तथा निम्न वर्ग सीमा के औसत के
(ii) दो चरों के बारम्बारता वितरण को इस नाम से जानते हैं
(क) एकविचर वितरण
(ख) द्विचर वितरण
(ग) बहुचर वितरण
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) द्विचेर वितरण
(iii) वर्गीकृत आँकड़ों में सांख्यिकीय परिकलन आधारित होता है
(क) प्रेक्षणों के वास्तविक मानों पर
(ख) उच्च वर्ग सीमाओं पर
(ग) निम्ने वर्ग सीमाओं पर
(घ) वर्ग के मध्य बिन्दुओं पर
उत्तर :
(घ) वर्ग के मध्य बिन्दुओं पर
(iv) अपवर्जी विधि के अन्तर्गत
(क) किसी वर्ग की उच्च वर्ग सीमा को वर्ग अन्तराल में समावेशित नहीं करते।
(ख) किसी वर्ग की उच्च वर्ग सीमा को वर्ग अन्तराल में समायोजित करते हैं।
(ग) किसी वर्ग की निम्न वर्ग सीमा को वर्ग अन्तराल में समावेशित नहीं करते
(घ) किसी वर्ग की निम्न वर्ग सीमा को वर्ग अन्तराल में समावेशित करते हैं।
उत्तर :
(क) किसी वर्ग की उच्च वर्ग सीमा को वर्ग–अन्तराल में समावेशित नहीं करते।
(v) परास का अर्थ है
(क) अधिकतम एवं न्यूनतम प्रेक्षणों के बीच अन्तर
(ख) न्यूनतम एवं अधिकतम प्रेक्षणों के बीच अन्तर
(ग) अधिकतम एवं न्यूनतम प्रेक्षणों को औसत
(घ) अधिकतम एवं न्यूनतम प्रेक्षणों का अनुपात
उत्तर :
(क) अधिकतम एवं न्यूनतम प्रेक्षणों के बीच अन्तर
प्रश्न 2.
वस्तुओं को वर्गीकृत करने में क्या कोई लाभ हो सकता है? अपने दैनिक जीवन से एक उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
वर्गीकरण का तात्पर्य एकसमान वस्तुओं को समूह या वर्गों में व्यवस्थित करने से है; जैसे-पुस्तकालयों में पुस्तकों को विषयवार रखना वर्गीकरण है। जब आपको भूगोल की किसी विशेष पुस्तक की आवश्यकता पड़ती है तो आपको केवल यह करना है कि ‘भूगोल, समूह में उस पुस्तक को खोजें। अन्यथा आपको अपनी यह विशेष पुस्तक सारी पुस्तकों के ढेर में खोजनी पड़ेगी।
प्रश्न 3.
चर क्या है? एक संतत तथा विविक्त चर के बीच भेद कीजिए।
उत्तर :
चर – वे मूल्य जिनका मान एक मद से दूसरे मद में बदलता रहता है और जो संख्यात्मक रूप में मापे जा सकते हैं उन्हें चर कहते हैं।
संतत तथा विविक्त चर में भेद – संतत चर का कोई भी संख्यात्मक मान हो सकता है; जैसे 1, 2,
[latex s=2]\frac { 1 }{ 2 }[/latex], [latex s=2]\frac { 3 }{ 4 }[/latex], [latex s=2]\sqrt { 2 }[/latex], 1.732 आदि। जबकि विविक्त चर केवल निश्चित मान वाले हो सकते हैं; जैसे—छात्रों की संख्या, परिवार के सदस्यों की संख्या।
प्रश्न 4.
आँकड़ों के वर्गीकरण में प्रयुक्त अपवर्जी तथा समावेशी विधियों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
अपवर्जी विधि – इस विधि के द्वारा वर्गों का गठन इस प्रकार से किया जाता है कि एक वर्ग की उच्च वर्ग सीमा, अगले वर्ग की निम्न वर्ग सीमा के बराबर होती है। इस विधि से आँकड़ों की संततता बनी रहती है। इस विधि के अन्तर्गत, उच्च वर्ग सीमा को छोड़ देते हैं, परन्तु एक वर्ग की निम्न सीमा को शामिल कर लिया जाता है।
समावेशी विधि – अपवर्जी विधि की तुलना में समावेशी विधि किसी वर्ग अन्तराल में उच्च वर्ग सीमा को नहीं छोड़ती। इस विधि में किसी वर्ग में उच्च – सीमा को सम्मिलित किया जाता है। अत: दोनों वर्ग सीमाएँ वर्ग अन्तराल का हिस्सा होती हैं।
प्रश्न 5.
सारणी 3.2 के आँकड़ों का प्रयोग करें, जो 50 परिवारों के भोजन पर मासिक व्यय (₹ में) को दिखलाती है, और
(क) भोजन.पर मासिक पारिवारिक व्यय का प्रसार ज्ञात कीजिए।
(ख) परास को वर्ग अन्तराल की उचित संख्याओं में विभाजित करें तथा व्यय का बारम्बारता वितरण प्राप्त करें।
- उन परिवारों की संख्या पता कीजिए जिनका भोजन पर मासिक व्यय
(क) ₹ 2000/- से कम है।
(ख) ₹ 3000/- से अधिक है।
(ग) ₹ 1500/- और ₹ 2500/- के बीच है।
(क) अधिकतम मूल्य = ₹ 5090
न्यूनतम मूल्य = ₹ 1007 विस्तार = अधिकतम मूल्य.- न्यूनतम मूल्य
= 5090 – 1007 = 4083
- उन परिवारों की संख्या जिनका भोजन पर मासिक व्यय
(क) ₹ 2000/- से कम है = 33
(ख) ₹ 3000/- से अधिक है = 06
(ग) ₹ 1500/- और ₹ 2500/- के बीच है = 19
प्रश्न 6.
एक शहर में, यह जानने हेतु 45 परिवारों का सर्वेक्षण किया गया कि वे अपने घरों में कितनी संख्या में घरेलू उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं। नीचे दिए गए उनके उत्तरों के आधार पर एक बारम्बारता सारणी तैयार कीजिए।
प्रश्न 7.
वर्गीकृत आँकड़ों में सूचना की क्षति का क्या अर्थ है?
उत्तर :
बारम्बारता वितरण के रूप में आँकड़ों के वर्गीकरण में एक अन्तर्निहित दोष पाया जाता है। यह अपरिष्कृत आँकड़ों का सारांश प्रस्तुत कर उन्हें संक्षिप्त एवं बोधगम्य तो बनाता है, परन्तु इसमें वे विस्तृत विवरण नहीं हो पाते जो अपेक्षाकृत आँकड़ों में पाए जाते हैं। आवृत्ति वितरण के द्वारा आँकड़े संक्षिप्त हो जाते हैं वर्गीकृत होने से आँकड़ों से सूचना की क्षति होती है। एक बार आँकड़ों का वर्गीकरण हो जाने पर व्यक्तिगत आँकड़ों का अस्तित्व खत्म हो जाता हैं सांख्यिकीय गणनाएँ वास्तविक मूल्य पर आधारित नहीं होती हैं।
प्रश्न 8.
क्या आप इस बात से सहमत हैं कि अपरिष्कृत आँकड़ों की अपेक्षा वर्गीकृत आँकड़े बेहतर होते हैं?
उत्तर :
अपरिष्कृत आँकड़े अत्यधिक अव्यवस्थित होते हैं, जिन्हें सँभालना कठिन होता है। इनसे सार्थक निष्कर्ष निकालना श्रम-साध्य कार्य है, क्योंकि सांख्यिकीय विधियों को इन पर सरलता से प्रयोग नहीं किया जा सकता। दूसरी ओर वर्गीकृत आँकड़े सामान्य एवं संक्षिप्त होते हैं। उनसे अर्थपूर्ण निष्कर्ष निकालना आसान होता है। हम वर्गीकृत आँकड़ों को आसानी से चिह्नित कर सकते हैं। बिना किसी बाधा के उनसे निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। इस प्रकार वर्गीकृत आँकड़े अपरिष्कृत आँकड़ों से बेहतर होते हैं।
प्रश्न 9.
एकविचर एवं द्धिचर बारम्बारता वितरण के बीच अन्तर बताइए।
उत्तर :
एकल चर के बारम्बारता वितरण को एकविचर वितरण कहा जाता है जैसे किसी छात्र के प्राप्तांक एकल चर के एकविचर विचरण को प्रदर्शित करते हैं। जबकि एक द्विचर बारम्बारता वितरण दो चरों का बारम्बारता वितरण है जैसे किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों का वजन।
प्रश्न10.
निम्नलिखित आँकड़ों के आधार पर 7 का वर्ग-अन्तराल लेकर समावेशी विधि द्वारा एक बारम्बारता वितरण तैयार कीजिए
परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
गुणात्मक वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर :
(क) दो
प्रश्न 2.
“वर्गीकरण समंकों को उनकी सामान्य विशेषताओं के आधार पर क्रम अथवा समूहों में क्रमबद्ध व विभिन्न परन्तु सम्बद्ध भागों में अलग-अलग करने की विधि है।” यह परिभाषा किसने दी?
(क) बोनिनि ने।
(ख) होरेस सेक्राइस्ट ने
(ग) पीटर एच० मन ने
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) होरेस सेक्राइस्ट ने
प्रश्न 3.
आय, व्यय, लम्बाई, चौड़ाई के आधार पर वर्गीकरण अथवा तथ्यों को आवृत्ति विवरण हैं|
(क) गणनात्मक वर्गीकरण
(ख) गुणात्मक वर्गीकरण
(ग) ऋणात्मक वर्गीकरण
(घ) ये सभी
उत्तर :
(क) गणनात्मक वर्गीकरण
प्रश्न 4.
जहाँ परिवर्तनशील विशेषताएँ संख्याओं में मापी जा सकें वहाँ प्रयोग किया जाता है
(क) चर पद का
(ख) अचर पद का
(ग) (क) तथा (ख) दोनों का
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) चर पद को
प्रश्न 5.
प्रत्येक 10 वर्ष बाद की जाने वाली जनगणना किस आधार का उदाहरण है?
(क) गुणात्मक
(ख) गणनात्मक
(ग) सामयिक
(घ) भौगोलिक
उत्तर :
(ग) सामयिक
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्गीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर :
वर्गीकरण एक क्रिया है जिसके द्वारा समान तथा असमान आँकड़ों को विभिन्न वर्गों के क्रम के अनुसार प्रस्तुत किया जाता है।
प्रश्न 2.
वर्गीकरण की दो मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
- आँकड़ों को विभिन्न वर्गों में बाँटा जाता है।
- समान इकाइयों को एक वर्ग में तथा असमान इकाइयों को दूसरे वर्ग में रखा जाता है।
प्रश्न 3.
वर्गीकरण के दो उद्देश्य बताइए।
उत्तर :
- आँकड़ों को सरल एवं संक्षिप्त रूप में प्रकट करना।
- ऑकड़ों को व्यवस्थित रूप में वैज्ञानिक आधार प्रदान करना।
प्रश्न 4.
भौगोलिक वर्गीकरण से क्या आशय है?
उत्तर :
जब वर्गीकरण; आँकड़ों की स्थिति अथवा भौगोलिक भिन्नता के आधार पर किया जाता है तो यह भौगोलिक वर्गीकरण कहलाता है।
प्रश्न 5.
समयानुसार वर्गीकरण से क्या आशय है?
उत्तर :
जब आँकड़ों का वर्गीकरण समय के आधार पर किया जाता है तो इसको समयानुसार वर्गीकरण कहते हैं।
प्रश्न 6.
गुणात्मक वर्गीकरण से क्या आशय है?
उत्तर :
जब आँकड़ों को गुणों (विशेषताओं) के आधार पर (धर्म, बौद्धिक स्तर) वर्गीकृत किया जाता है। तो इसे+गुणात्मक वर्गीकरण कहा जाता है।
प्रश्न 7. चर किसे कहते हैं।
उत्तर :
किसी तथ्य की वह विशेषता जिसे संख्याओं के रूप में मापा जा सकता है, चर (variable) कहलाती है।
प्रश्न 8.
खण्डित या विच्छिन्न चर से क्या आशय है?
उत्तर :
वे चर जिनके मूल्य पूर्णांकों में प्रकट किए जाते हैं, खण्डित चर (discrete variable) कहलाते हैं। ये निश्चित संख्या में व्यक्त किए जाते हैं, भिन्नात्मक (fractional) संख्या में नहीं।
प्रश्न 9.
अखण्डित या अविच्छिन्न चर से क्या आशय है?
उत्तर :
वे चर जो निरन्तर धीरे-धीरे बढ़ते हैं, अखण्डित चर कहलाते हैं। ये भिन्नात्मक (fractional) होते हैं अर्थात् निश्चित सीमाओं के अन्दर इनका कोई भी मूल्य हो सकता है।
प्रश्न10.
श्रृंखला (series) को परिभाषित कीजिए।
उत्तर :
“श्रृंखला उन आँकड़ों या आँकड़ों के गुणों को कहते हैं जो किसी तर्कपूर्ण क्रम के अनुसार व्यवस्थित किए जाते हैं।” होरेस सेक्राइस्ट
प्रश्न11.
निम्नलिखित आँकड़े 11वीं कक्षा में अर्थशास्त्र में प्राप्त अंकों के हैं 50 37 24 30 42 18 25 15 35 45 उपर्युक्त श्रृंखला को आरोही व अवरोही क्रम में लिखो।
उत्तर :
आरोही क्रम – 15 18 24 25 30 35 37 42 45 50 ।
अवरोही क्रम – 50 45 42 37 35 30 25 24 18 15
प्रश्न12.
आवृत्ति frequency) किसे कहते हैं?
उत्तर :
किसी समग्र में एक मद जितनी बार आती है अर्थात् जितनी बार उसकी पुनरावृत्ति होती है, उसे उस मद की आवृत्ति कहा जाता है।
प्रश्न13.
आवृत्ति विन्यास एवं आवृत्ति वितरण में मुख्य अन्तर बताइए।
उत्तर :
आवृत्ति विन्यास में X चर एक खण्डित चर होता है जबकि आवृत्ति वितरण में X चर एक खण्डित चर न होकर विभिन्न वर्ग आवृत्तियों का वितरण होता है। इस प्रकार आवृत्ति विन्यास से अभिप्राय खण्डित श्रृंखला से है जबकि आवृत्ति वितरण से अभिप्राय अखण्डित श्रृंखला से है।
प्रश्न14.
वर्ग (class) किसे कहते हैं?
उत्तर :
संख्याओं के किसी निश्चित समूह को जिसमें मदें शामिल होती हैं, वर्ग कहते हैं जैसे 0-10, 10-20 आदि।
प्रश्न15.
वर्ग विस्तार किसे कहते हैं?
उत्तर :
किसी वर्ग की ऊपरी व निचली सीमा में अन्तर को वर्ग विस्तार कहते हैं जैसे–10-20 वर्ग का विस्तार 20 – 10 = 10 होगा।
प्रश्न16.
मध्य मूल्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
किसी वर्ग की ऊपरी सीमा व निचली सीमा के औसत मूल्य को मध्य मूल्य कहते हैं; जैसे-10-20 वर्ग का मध्य मूल्य = [latex s=2]1\frac { 20+10 }{ 2 }[/latex] = 15 होगा।
प्रश्न17.
अपवर्जी श्रृंखला (Exclusive Series) से क्या आशय है?
उत्तर :
अपवर्जी श्रृंखला वह श्रृंखला है जिसमें एक वर्ग की ऊपरी सीमा दूसरे वर्ग की निचली सीमा होती। है तथा प्रत्येक वर्गान्तर की ऊपरी सीमा के मूल्य स्तर वाला मद उस वर्ग में सम्मिलित न होकर अगले वर्गान्तर की निचली सीमा में सम्मिलित होता है।
प्रश्न18.
समावेशी श्रृंखला (Inclusive Series) से क्या आशय है?
उत्तर :
समावेशी श्रृंखला वह श्रृंखला है जिसमें एक वर्ग की ऊपरी सीमा दूसरे वर्ग की निचली सीमा के बराबर नहीं होती। अत: इसमें एक वर्ग की ऊपरी सीमा का मूल्य भी उसी वर्ग में शामिल होता है।
प्रश्न19.
खुले सिरे वाली श्रृंखला (Open End series) से क्या आशय है?
उत्तर :
खुले सिरे वाली श्रृंखला वह श्रृंखला है जिसमें न तो प्रथम वर्ग की निम्न सीमा दी हुई होती है और न ही अन्तिम वर्ग की उच्च सीमा। अर्थात् इसमें प्रथम वर्ग की निचली सीमा के स्थान पर ‘से कम’ एवं अन्तिम वर्ग की ऊपरी सीमा के स्थान पर से अधिक’ लिखा होता है।
प्रश्न20.
संचयी आवृत्ति क्या है?
उत्तर :
वे आवृत्तियाँ जिन्हें वर्गानुसार अलग-अलग न रखकर संचयी रूप से जोड़ कर रखा जाता है, संचयी आवृत्तियाँ कहलाती हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्गीकरण के मुख्य आधार क्या हैं?
उत्तर :
वर्गीकरण के मुख्य आधार
अनुसन्धान क्रिया में सामान्यतया निम्नलिखित प्रमुख आधारों को सामने रखकर वर्गीकरण किया जाता है
1. गुणात्मक आधार – इसके अनुसार, वर्गीकरण किसी गुण के आधार पर किया जाता है। उदाहरण के लिए जाति, प्रजाति, धर्म, वैवाहिक स्थिति, शैक्षणिक योग्यता, व्यवसाय आदि विशेषताओं के आधार पर किया गया वर्गीकरण गुणात्मक वर्गीकरण’ कहा जाएगा।
2. गणनात्मक आधार – यदि एकत्रित आँकड़े ऐसे हैं कि उन्हें गुणों के आधार पर व्यक्त करने की अपेक्षा संख्याओं में व्यक्त करना सरल है तो गणनात्मक आधार का सहारा लिया जाता है। उदाहरण के लिए ऊँचाई, वजन, आयु, आय, व्यय, उत्पादन आदि के आधार पर किया गया वर्गीकरण ‘गणनात्मक वर्गीकरण’ कहा जाएगा।
3. सामयिक आधार – आँकड़ों का वर्गीकरण समय के आधार पर भी किया जाता है। इन्हें समय, दिन, सप्ताह, माह अथवा वर्षों में व्यक्त किया जा सकता है। प्रत्येक 10 वर्ष बाद की जाने वाली जनगणना सामयिक आधार का ही उदाहरण है।
4. भौगोलिक आधार – विभिन्न स्थानों के आधार पर भी समंकों का वर्गीकरण किया जाता है। विभिन्न प्रान्तों अथवा किसी एक प्रान्त के जिलों में जनसंख्या का वर्गीकरण ‘भौगोलिक वर्गीकरण कहलाता है।
प्रश्न 2.
20 विद्यार्थियों के सांख्यिकी में निम्नलिखित प्राप्तांकों को सतत आवृत्ति वितरण के रूप में प्रस्तुत कीजिए। अपवर्जी (Exclusive) और समावेशी (Inclusive) दोनों वर्गान्तर स्पष्ट कीजिए
प्रश्न 3.
70 विद्यार्थियों के भार (पौण्ड में) के निम्नलिखित आँकड़ों को ऐसे आवृत्ति वितरण के रूप में प्रस्तुत कीजिए, जिसमें पहला वर्गान्तर 60-69 हो
प्रश्न 4.
निम्नलिखित श्रेणियों को साधारण अविच्छिन्न श्रेणी (Simple Continuous series) में बदलिए|
हल :
प्रश्न 5.
50 परीक्षार्थियों के सांख्यिकी में प्राप्तांक (पूर्णांक 100) निम्नलिखित हैं
10-10 प्राप्तांकों का वर्ग विस्तार लेते हुए एक आवृत्ति वितरण की रचना कीजिए। प्रथम वर्गान्तर 0-10 रखिए।
हल :
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्गीकरण का अर्थ एवं उद्देश्य बताइए। एक अच्छे वर्गीकरण की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर :
आर्थिक अनुसन्धान किसी समस्या से आरम्भ होता है। समस्या से सम्बन्धित उपकल्पनाएँ बनाई जाती हैं तथा इनका परीक्षण करने के लिए विभिन्न अनुसन्धान प्रविधियों में से सबसे उपयुक्त प्रविधियों का चयन करके आँकड़ों का संकलन किया जाता है। आँकड़े एकत्रित कर लेने के पश्चात् आँकड़ों को व्यवस्थित करना अनिवार्य है ताकि अर्थपूर्ण ढंग से आँकड़ों पर आधारित निष्कर्ष निकाले जा सकें। वर्गीकरण का उद्देश्य बिखरे हुए आँकड़ों को व्यवस्थित करना होता है।
वर्गीकरण का अर्थ व परिभाषा
वर्गीकरण का अर्थ विभिन्न वस्तुओं अथवा बिखरी हुई सामग्री को समान गुणों (अथवा विशेषताओं) के आधार पर विभिन्न श्रेणियों अथवा वर्गों में विभाजित करना है। इस प्रकार वर्गीकरण एकरूपता एवं समानताओं के आधार पर तथ्यों का विभिन्न श्रेणियों में विभाजन है।
पीटर एच० मन के अनुसार-“वर्गीकरण अनिवार्य रूप से वस्तुओं को उनकी समान विशेषताओं के आधार पर एक-साथ रखने का प्रकार है ताकि उन्हें सरलता से समझा जा सके।”
एल० आर० कॉनर के शब्दों में-“वर्गीकरण वस्तुओं को उनकी विशेषताओं अथवा गुणों के आधार पर समूहों एवं वर्गों में क्रमबद्ध करने की एक प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य विभिन्नताओं के बीच समान वस्तुओं को खोजकर एक-साथ रखना है।”
होरेस सेक्राइस्ट के शब्दों में-“वर्गीकरण समंकों को उनकी सामान्य विशेषताओं के आधार पर क्रम अथवा समूहों में क्रमबद्ध व विभिन्न परन्तु सम्बद्ध भागों में अलग-अलग करने की विधि है।” स्पर तथा बोनिनि के अनुसार-“वर्गीकरण तथ्यों का वर्गों में, जिन्हें महत्त्वपूर्ण विशेषताओं के आधार पर किया जाता है, समूहीकरण है।” उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि वर्गीकरण एकत्रित आँकड़ों को समान गुणों के आधार पर विभिन्न वर्गों अथवा श्रेणियों में विभाजित करने की प्रक्रिया है ताकि आँकड़ों को व्यवस्थित करके निष्कर्ष निकालने में सहायता मिल सके।
वर्गीकरण के उद्देश्य
1. तथ्यों की प्रकृति स्पष्ट करना – वर्गीकरण का प्रमुख उद्देश्य एकत्रित तथ्यों की प्रकृति को स्पष्ट करना है अर्थात् यह बताना है कि इनमें क्या समानताएँ वे असमानताएँ हैं।
2. तथ्यों को संक्षिप्त एवं बोधगम्य बनाना – वर्गीकरण का दूसरा उद्देश्य तथ्यों को तार्किकता के आधार पर समूहों एवं श्रेणियों में बाँटना है और इस प्रकार तथ्यों को संक्षिप्त तथा बोधगम्य बनाना
3. तथ्यों के विश्लेषण में सहायता देना – वर्गीकरण का एक उद्देश्य तथ्यों एवं आँकड़ों को विश्लेषण के लिए उपयुक्त बनाना है।
4. सामान्यीकरण में सहायता देना – वर्गीकरण का उद्देश्य सामान्यीकरण की प्रक्रिया को संक्षिप्त एवं सरल बनाना है।
5. तुलना में सहायता देना – वर्गीकरण का उद्देश्य संकलित सामग्री को तुलनात्मक अध्ययनों के लिए उपयुक्त बनाना है।
6. पारस्परिक सम्बन्ध स्पष्ट करना – वर्गीकरण द्वारा घटना के कारण और परिणाम में सम्बन्ध ज्ञात करने में सहायता मिलती है।
7. सारणीयन का आधार प्रस्तुत करना – वर्गीकरण सांख्यिकीय सामग्री के सारणीयन तथा सांख्यिकीय विश्लेषण की अन्य क्रियाओं के लिए समुचित आधार प्रस्तुत करता है।
एक अच्छे वर्गीकरण की विशेषताएँ
एक अच्छे वर्गीकरण की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- वर्गीकरण स्पष्ट होना चाहिए।
- विभिन्न वर्ग एक-दूसरे से भिन्न होने चाहिए।
- वर्गीकरण का आधार एक होना चाहिए।
- वर्गीकरण में स्थायित्व होना चाहिए।
- वर्गों अथवी श्रेणियों का आधार उपयुक्त होना चाहिए।
- वर्गीकरण व्यापक होना चाहिए।
- वर्गीकरण में परिवर्तनशीलता होनी चाहिए।
प्रश्न 2.
गुणात्मक वर्गीकरण क्या है? यह कितने प्रकार का होता है? प्रत्येक को चार्ट के आधार पर समझाइए।
उत्तर :
गुणात्मक वर्गीकरण
विभिन्न गुणों के आधार पर तथ्यों का वर्गीकरण ‘गुणात्मक वर्गीकरण’ कहा जाता है। यह दो प्रकार का होता है
(अ) सरल या द्वैत वर्गीकरण – इस प्रकार के वर्गीकरण में आँकड़ों को किसी एक गुण के आधार पर
दो श्रेणियों में विभाजित कर दिया जाता है। दूसरे शब्दों में, जिन आँकड़ों में वह गुण है, उन्हें एक श्रेणी में तथा जिनमें वह गुण नहीं है उन्हें दूसरी श्रेणी में रखा जाता है। ये दोनों श्रेणियाँ पूर्णतया अपवर्जी अर्थात् एक-दूसरे से भिन्न होती हैं। उदाहरण के लिए निम्नलिखित वर्गीकरण द्वैत वर्गीकरण है
ऐसे वर्गीकरण में गुण की उपस्थिति या गुण की अनुपस्थिति से ही वर्ग बनाए जाते हैं।
(ब) बहुगुणी वर्गीकरण – इसमें तथ्यों को एक से अधिक गुणों के आधार पर, वर्गीकृत किया जाता है। इसके फलस्वरूप दो से अधिक वर्ग बनते हैं। यदि किसी स्थान की जनसंख्या को वयस्कता (A), पुल्लिग (B), शिक्षित (C) गुणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाए तो यह बहुगुणी वर्गीकरण कहलाएगा और वर्गीकरण इस प्रकार होगा
गुणात्मक वर्गीकरण में दो बातों पर विशेष ध्यान रखा जाता है–
- गुण को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाए।
- गुणों में होने वाले परिवर्तनों का ध्यान रखा जाए।
प्रश्न 3.
संख्यात्मक वर्गीकरण क्या है? यह कितने प्रकार का होता है? प्रत्येक को स्पष्ट रूप से समझाइए।
उत्तर :
गणनात्मक अथवा संख्यात्मक वर्गीकरण
इसमें सामग्री को अंकों अर्थात् संख्याओं में प्रदर्शित किया जाता है। उदाहरण के लिए आय, व्यय, लम्बाई, चौड़ाई के आधार पर वर्गीकरण करना अथवा तथ्यों का आवृत्ति वितरण ‘गणनात्मक वर्गीकरण है। इस प्रकार का वर्गीकरण सांख्यिकीय श्रेणियों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह वर्गीकरण निम्नवर्णित हो सकता है
(अ) खण्डित अथवा विच्छिन्न माला के अनुसार वर्गीकरण – इस प्रकार के वर्गीकरण में मूल्यों की आवृत्ति जितनी बार होती है, उसे उसी संख्या के सामने लिखकर एक आवृत्ति सारणी के रूप में दिखाया जाता है; जैसे।
(ब) सतत माला अथवा वर्गान्तर के अनुसार वर्गीकरण–इनमें आँकड़ों को पृथक्-पृथक् प्रस्तुत न करके वर्गों में प्रस्तुत किया जाता है। वर्ग अथवा वर्गान्तर की सीमाएँ स्वैच्छिक तौर पर निश्चित की जाती हैं; जैसे
प्रश्न 4.
वर्गीकरण की अपवर्जी विधि व समावेशी विधि को सोदाहरण समझाइए। समावेशी वर्गान्तर को अपवर्जी वर्गान्तर में कैसे बदला जाता है?
उत्तर :
वर्गान्तरों के वर्गीकरण की दो विधियाँ हैं-
(अ) अपवर्जी विधि तथा
(ब) समावेशी विधि।
(अ) अपवर्जी विधि – इसमें पहले वर्ग की उच्च सीमा (upper limit) तथा दूसरे वर्ग की निम्न सीमा (lower limit) समान हाती है। अत: यह समस्या उत्पन्न होती है कि उच्च सीमा को किस वर्ग में रखा जाए। इस विधि में किसी वर्ग की उच्च सीमा को उस वर्ग के अन्तर्गत शामिल न करके, उसके बाद वाले वर्ग में शामिल किया जाता है। उदाहरण के लिए|
कभी-कभी निचली सीमा को भी अपवर्जी कर दिया जाता है।
(ब) समावेशी विधि – इसमें निम्न सीमा व उच्च सीमा दोनों को उसी वर्ग में सम्मिलित कर लिया जाता है। इसमें दो बातों का ध्यान रखा जाता है
- किसी वर्गान्तर की ऊपरी सीमा उससे अगले वर्गान्तर की निचली सीमा के बराबर न हो।
- इन दोनों में अधिकतम अन्तर 1 संख्या का हो।
समावेशी रीति का उदाहरण निम्नलिखित है
समावेशी वर्गान्तरों को अपवर्जी वर्गान्तर में बदलना – यदि वर्गान्तर समावेशी हैं, तो उन्हें तुरन्त अपवर्जी वर्गान्तरों में बदल देना चाहिए। इसका नियम यह है कि एक वर्ग की उच्च सीमा तथा अगले वर्ग की निम्न सीमा के अन्तर का आधा करके उसे निचली सीमा में से घटा दिया जाता है और ऊपरी सीमा में जोड़ दिया जाता है। उपर्युक्त उदाहरण के आधार पर
प्रश्न 5.
चर किसे कहते हैं? चर के प्रकार बताते हुए चर तथा गुण के बीच अन्तर लिखिए।
उत्तर :
चर की अवधारणा
किसी तथ्य की वह विशेषता या प्रक्रिया जिसे संख्याओं के रूप में मापा जा सकता है चर कहलाती है। चर से अभिप्राय उस मात्रा से है जिसमें परिवर्तन होते रहते हैं तथा जिन्हें किसी इकाई द्वारा मापा जा सकता है। यदि किसी कक्षा के विद्यार्थियों के वजन को मापते हैं तो विद्यार्थियों का वजन चर कहलाएगा। चर दो प्रकार के हो सकते हैं
1. खण्डित या विच्छिन्न चर – खण्डित चर वे चर हैं जिनके मूल्य पूर्णाकों के रूप में प्रकट किए जाते हैं अर्थात् जो एक निश्चित मात्रा में होते हैं भिन्नात्मक नहीं होते। इसके एक मूल्य से दूसरे मूल्य के बीच कुछ अन्तर पाया जाता है, इसीलिए इन्हें खण्डित कहा जाता है। उदाहरण के लिए किसी कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या 1, 2, 3, 10, 11, 15 या 20 हो सकती है परन्तु यह [latex s=2]1\frac { 1 }{ 4 }[/latex], [latex s=2]1\frac { 1 }{ 2 }[/latex], [latex s=2]1\frac { 3 }{ 4 }[/latex] या [latex s=2]1\frac { 3 }{ 2 }[/latex] नहीं हो सकती। अन्य शब्दों में खण्डित चर पूरे अंकों के रूप में बढ़ते हैं;
जैसे – 1 या 2 या 3 या 4। ये 1 से [latex s=2]1\frac { 1 }{ 4 }[/latex] या [latex s=2]1\frac { 3 }{ 4 }[/latex] अर्थात् निरन्तर धीरे-धीरे नहीं बढ़ते।
2. अखण्डित या अविच्छिन्न चर – अखण्डित चर वे चर हैं जो निरन्तर धीरे-धीरे बढ़ते हैं। यह
भिन्नात्मक होते हैं। इनका निश्चित सीमाओं के अन्तर्गत कोई भी मूल्य हो सकता है। इनके मूल्य से दूसरे मूल्य के मध्य कोई निश्चित अन्तर नहीं होता। उदाहरण के लिए विद्यार्थियों की ऊँचाई
5’1″, 5’2″, 5’3 [latex s=2]\frac { 1 }{ 4 }[/latex]”, …………………………………………. 5’4″ हो सकती है।
खण्डित चर तथा अखण्डित चर में मुख्य अन्तर
खण्डित चर तथा अखण्डित चर में मुख्य अन्तर यह है कि खण्डित चर का मूल्य पूर्णांकों जैसे 2, 4, 6, 8 आदि के रूप में व्यक्त किया जाता है जबकि अखण्डित श्रृंखला के चर का मूल्य, भिन्नों के रूप में जैसे 2.4, 4.6 तथा 6.8 या 2-4, 4-6 आदि वर्गान्तरों के मूल्य के रूप में प्रकट किया जाता है।
चर तथा गुण के बीच अन्तर
सामान्य भाषा में, ‘चर’ पद से आशय ऐसी विशेषताओं से है जो परिवर्तनशील होती हैं। परन्तु सांख्यिकी में ‘चर’ का यह अर्थ नहीं होता। मनुष्य के बालों का रंग समय के साथ परिवर्तित होता है। क्या यह एक चर है? नहीं, यह चर नहीं है क्योंकि बालों में होने वाले परिवर्तन का संख्याओं में वर्णन नहीं किया जा सकता। चर पद’ का प्रयोग तभी किया जाता है जब ये परिवर्तनशील विशेषताएँ संख्याओं में मापी जा सकें।
उदाहरण के लिए वर्ष 2016 में दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों की औसत लम्बाई 56″ थी जबकि पिछले वर्ष 5’5″ थी। गुणात्मक परिवर्तन, उन परिवर्तनों को जिन्हें संख्यात्मक रूप में नहीं मापा जा सकता, उन्हें गुण कहा जाता है। उदाहरण के लिए दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों की बुद्धिमत्ता में परिवर्तन। गुणात्मक परिवर्तन का गुणों की कोटियों के आधार पर वर्गीकरण कर सकते हैं; जैसे–प्रथम, द्वितीय, तृतीय। जहाँ ‘प्रथम’ का अर्थ है अति उत्तम, द्वितीय’ का अर्थ है उत्तम तथा तृतीय’ का अर्थ है अच्छा।