Chapter 4 प्राणि जगत
Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
यदि मूलभूा लक्षण जात न हो तो प्राणियों के वर्गीकरण में आप ज्या परेशानियाँ महसूस करेंगे?
उत्तर:
संसार में जितने ही प्रकार के जीवों के समह पाये जाते हैं। ये सभी जीव एक-दूसरे से किसी न किसी रूप में भिन्न हैं। अभी हजारों ऐसे जीव और भी हैं जिनकी अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। ददि हमें मूलभूत लक्षण ज्ञात नहीं होंगे तो हम प्राणियों का सही प्रकार से वर्गीकरण नहीं कर पायेंगे। सड़ी प्रकार से वर्गीकरण न हो पाने के कारण इम प्राणियों के बारे में जानकारी पूर्णरूप से नहीं प्राप्त कर पायेंगे। प्राणियों की उपयोगिता एवं शारीरिक संरचना का हम कभी ज्ञान प्राप्त नहीं कर पायेंगे।
प्रश्न 2.
यदि आपको एक नमूना ( स्पेसिमेन) दे दिया जाये तो वर्गीकरण हेतु आप क्या करम अपनाएंगे?
उत्तर:
किसी नमूने या स्पेसिमेन (Specimen) का वर्गीकरण करने के लिए, हम उसके मुख्य लक्षणों (Imparlant characters) का प्रेक्षण करेंगे। इसके पश्चात् वर्गीकरण हेतु निम्न कदम अपनाएंगे:
- संगटन के स्तर (Level of Organisation)
- समिति (Symmetry)
- द्विकोरकी तथा विकोरकी संगठन (Diploblastic or Tripkoblast Organisation)
- प्रगुहा (Coelom)
- खण्डोभवन (Segmentation)
- पृष्तरन्नु (Notecord)
- पाचन तन्त्र (Digestive System)
- परिसंचरण तत्र (Circulatory System)
- श्वसन तन्त्र (Respiratory System)
- जनन तन (Reproductive System) आदि।
प्रश्न 3.
देहगुहा एवं प्रगुहा का अध्ययन प्राणियों के वर्गीकरण में किस प्रकार सहायक होता है?
उत्तर:
शरीर में भित्ति तथा आहारलाल के बीच गहा की उपस्थिति अपवा अनुपस्थिति वर्गीकरण का महत्वपूर्ण आधार है। जन्तुओं के शरीर में उपस्थित गुहा जो कि मांसोडम से आस्तरित रहती है, देहगुहा (Coelom) कहलाती है। देहगुहा के आधार पर जन्तुओं प्राणियों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
- अगुहीच (Acnelormates): ऐसे प्राणी जिनमें देहगुहा नहीं पायी जाती है, उन्हें एसीलोमेट्स कहते हैं। उदाहरण संघ प्लेटीहैल्बिन्धीज।
- कूटगृहीय (Pseudoceclomates): ऐसे जन्तु जिनमें यह गुहा मीसेडर्म से आच्छादित नहीं होती बल्कि मध्य त्वच (मीसडर्म) बाह्य त्वचा एवं अन्त:त्वचा के बीच बिखरी हुई रैली के रूप में पाई जाती है, उन कूटगुहीक कहते हैं। उदाहरण संघ एस्केस्मिथौर के प्राणी।
- प्रगृहीव / यूसीलोमेटस (Earockmates): जतु को देहगुहा मीसोदर्म द्वारा आस्तरित होती है। इसे हो वास्तविक देहगुहा कहते हैं तथा ऐसे प्राणियों को वास्ताविक गुहीय (True Cockomate) प्राणी कहते हैं। उदाहरण: एनेलिहा आर्थोपोडा, मोलस्का, इकाइनोडर्मेटा, हेमीकाटा एवं काय संघ के प्राणी।
प्रश्न 4.
अन्त: कोशिकीय एवं बाड़ा कोशिकीय पाचन में भेद करे।
उत्तर:
अन्तः कोशिकीय एवं बाह्य कोशिकीय पाचन में भेव (Differences between Intereellular Diction & Exin Cellular Dipeston)
अन्तः कोशिकीय पाचन | बाझ कोशिकीय पाचन |
1. कोशिका के अन्दर होने वाले पाचन को अन्तः कोशिकीय पाचन कहते हैं। | 1. कोशिका के बाहर होने वाले पाचन को बाहा कोशिकीय पाचन कहते हैं। |
2. जैसे हाइवा में एण्डोदने की पोषो कोशिकीय में होने वाला पाचन। | 2. इसी प्रकार जैसे हाला की सोलेदान में होने वाला पाचन । |
3. अन्त: कोशिकीय पाचन एककोशिकीय जन्तुओं के पाचन के समान होना है। | 3. हावड़ा में बाहा कोशिकीय पाचन जन्तुओं की आहारनाल में होने वाले पाचन के समान है। |
प्रश्न 5.
प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष परिवर्धन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष परिवर्धन में अन्तर (Differences between Direct & Indirect Developement)
प्रत्यक्ष परिवर्धन (Direct Development) | अप्रत्यक्ष परिवर्धन (Indirect Develicopment) |
1. जब किसी प्राणी के परिवर्धन में लार्वा अवस्था नहीं पायी जानी है तो ऐसे परिवर्धन को प्रत्यक्ष परिवर्धन कहते हैं। | 1. जब किसी प्राणी के जीवन-चक्र के परिवर्धन में लार्वा अवस्था पायी जाती है तो ऐसे परिवर्धन को अप्रत्यक्ष परिवर्धन कहते हैं। |
2. इसमें जीव के जन्म के समय आकारिकी वयस्क के समान होती है। | 2. लार्य की आकारिको वयस्क से अलग होती है। |
3. उदाहरण: पक्षी, सर्प आदि। | 3. उदाहरण: कॉकरोच, मेबक आदि। |
प्रश्न 6.
परजीवी प्लेटिहेल्मिन्धीज के विशेष लक्षण बताइए।
उत्तर:
परजीवी प्लेथिरिमन्धीव के विशेष लक्षण निम्न हैं:
- इस संघ के प्राणियों का शरीर पृष्ट अपर सतह से चपटा होता है। इसलिए इनें चपटे कृमि (Flat-worms) कहते है।
- इस संघ के अधिकांश प्राणो मनुष्य तथा अन्य प्राणियों में अन्त: परजीवी के रूप में पाये जाते हैं।
- कह चपटे कृमि खाद्य पदार्च को परपोषी से सीधे अपने शरीर को साह से अवशोषित करते हैं।
- शरीर पर मोगा क्यूटिकल (cuticle) आवरण पाया जाता है।
- इनमें अवायवीय श्वसन (anaerobic respiration) पाया जाता है।
- परजीवी सदस्यों में आसंजक अंग (Adhesive organ) के रूप में चूषक (Suckers), स्कोलेक्स (Scoles), हुक्स (Hooks) पाये जाते हैं।
प्रश्न 7.
आर्थोपोडा प्राणि समूह का सबसे बड़ा वर्ग है, इस कथन के प्रमुख कारण बताएँ।
उत्तर:
आबोपोडा प्राणि जगत का सबसे बड़ा संप है। जन्तु जगत की 90% जतियां इस संघ के अन्तर्गत भाती हैं। इस संघ के सदस्य लगभग सभी प्रचार के आनसें में निवास करते हैं। ये समुद्रीय जाल, स्वच्छ जल, स्थलीय, वायवीय परजीवी आदि हैं।
लगभग दो – तिहाई जाति पृथ्वी पर आधाँपोडा की ही हैं। क्योंकि इनमें अंग – तंत्र स्तर का शरीर संगठन होता है तथा ये दिपाव सममिति, पिफोरको विखण्डित तथा प्रगही प्राणी। आर्थोपोटा के प्राणियों का शरीर काइटोनी अशिकंकाल से दबा होता है। इनका शरीर सिर, वक्ष एवं जदर में विभक्त होता है। इनमें संधियुक्त पाद (Jointed Legs) होते हैं ने विभिन्न श्यों के सम्पादन हेतु अनुकूलित होते हैं।
श्वसन अंग क्लोम, पुस्तक क्लोम, पुस्तक फुसुस अथवा स्वसनिकाओं के द्वारा होता है। परिसंचरण तना खुला होता है। संदी अंग, जैसे- गिधाएं, नेत्र (सामान्य तथा संयुक्त), संतुलन पुटी (स्टेयसिस्ट) उपस्थित होते हैं। उत्सर्जन मैलपिगी नलिका के द्वारा होता है। सभी प्राणी एकलिंगी होते हैं अर्थात् नर – मादा अलग – अलग होते हैं। अधिकांशतः अंदाजक होते हैं। परिवर्भन प्राय अथवा लार्वा अवस्था द्वारा (अप्रत्याक्ष) होता है। उपरोका लक्षणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि आर्योपोडा प्राणि समूह का सबसे बड़ा वर्ग है।
प्रश्न 8.
जल संवहन – तंत्र किस वर्ग के मुख्य लक्षण हैं?
(अ) पोरीफेरा
(ब) टीनोफोरा
(स) इकाइनोडर्मेटा
(द) काटा
उत्तर:
(स) इकाइनोडमेटा।
प्रश्न 9.
सभी कशेरुकी (वर्टिब्रेट्स) रज्जुकी (कास) हैं, लेकिन सभी रज्जुकी कशेरुकी नहीं हैं। इस कश्चन को सिद्ध करें।
उत्तर:
सभी कशेरकी (वटिवेदस) रुणुकी है अर्थात् काईट्स हैं, क्योंकि इनमें निम्न तीन गूलभूत लक्षण पाये आते हैं:
- नोटोकॉर्ड या पृष्ठ भन्नु
- पृष्ठीय खोखाली तन्विका रुख
- ग्रसनी लोम बरारें।
सभी रज्जकी कशेरकी नहीं होते क्योंकि वर्टिबरेट्स में कशेरुक दण्ड पूर्ण विकसित होता है, जबकि प्रोटोकाय तथा एनया के प्राणियों में कशेरुक दण्ड (vertebral column) अनुपस्थित वा अल्पविकसित होता है। कशेरुक दण्ड का निर्माण नोटोझॉड से होता है।
प्रश्न 10.
मछलियों में वायु आशय ( एयर ब्लैडर) की उपस्थिति का क्या महत्व है?
उत्तर:
महालियों में गशु आशय (एयर लैडर) को उपस्थिति उत्प्लावन (Duowancy) में सहायता करती है। इसके साथ ही वाय आशय सपायक श्वसन अंग की तरह कार्य करते हैं एवं दव निक संतुलन बनाने में सहाया करता है। शार्क बिना वायु आशय के होटी मछलियों के समान अपने आपको नियन्वित या संचालित नहीं कर सकती भी। वायु आश्य के कारण वह लगातार काफी समय तक नीचे तेस्तो रहती है। वा आशय के अभाव में यह संभव नहीं है।
प्रश्न 11.
पक्षियों में उड़ने हेतु क्या क्या रूपान्तरण है?
उत्तर:
पक्षियों में उड़ने हेतु निम्न रूपाजरण हैं:
- अन पाद पंखों में रूपान्तरित हो गये जो उटने में सहायता करते हैं।
- पक्षियों की अस्थियाँ खोखाली एवं हल्की होती हैं।
- पक्षियों का शरीर धारा रेखीय (sream lind) होना है।
- स्टनंग (stermum) नौकाकार होता है जो उड़ने में सहायक होता है।
- पूंछ (Tail) उड़ते समय दिशा परिवाहन में सहायक होती है।
- फेफड़े स्पंजी अप्रसारी होते हैं। इनमें जयुकोष पाये जाते हैं जो शरीर को हल्का का उड़ने में सहायता करते हैं।
- मूगशय (urinary bladder) अनुपस्थित होता है।
- पक्षियों की उड्डयन पेशियों (flight muscks) पूर्ण विकसित, जो उड़ने में सहायता करती है।
प्रश्न 12.
अंदजनक तथा जरायज द्वारा उत्पन्न अपडे या बच्चे संख्या में बराबर होते हैं। यदि हाँ तो क्यों? बदि नहीं तो क्यों?
उत्तर:
ये जन्न जो अण्डे देते हैं उन्हें अंडजनक (oviparonus) कहते हैं, जबकि वे जन्तु जो बच्चे शिशुओं को जन्म देते हैं उन्हें जगबुज (Viviparius) कहते हैं।
अण्डसनक प्रायः अधिक संख्या में अण्डे उत्पन्न करते हैं क्योंकि अण्डे विपरीत परिस्थितियों में एवं परभक्षियों द्वारा नष्ट कर दिये जाते हैं। जरायुज पूर्ण विकसित शिशुओं को जन्म देते हैं तथा शिशुओं को अपेक्षाकृत सुरक्षित वतावरण मिलता है अर्थात् इनका विकास माता के शरीर में होता है। अत: इनके जीवित रहने की सम्भावनाएँ अधिक होती हैं। इस कारण से जरादुन प्रापी कम संख्या में सन्तान उत्पन्न करते हैं।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से शारीरिक खण्डीभवन किसमें देखा गया?
(अ) पनेटिहल्पिंथीज
(ब) एस्केलमिंधीज
(स) ऐनेलिडा
(द) आर्थोपोडा
उत्तर:
(स) ऐनालिया।
प्रश्न 14.
निम्न का मिलान करें
(1) प्रच्छ द | (अ) दोनोप्योर |
(2) पायपाद | (ब) मोलस्का |
(3) सल्क | (स) पोरीफेरा |
(4) कंकत पर्टिका (काम्ब प्लेट) | (द) रेप्टोलिया |
(5) रेडूला | (ई) ऐनेलिया |
(6) याला | (फ) साइक्लोस्टोमेटा एवं कॉण्डियोज |
(7) शीप कोशिका (कोएनोसाइट) | (ग) मैमेलिया |
(8) क्लोम छिद्र | (घ) आस्टिक्वीज |
उत्तर:
(1) प्रच्छ द | (घ) आस्टिक्वीज |
(2) पायपाद | (ई) ऐनेलिया |
(3) सल्क | (द) रेप्टोलिया |
(4) कंकत पर्टिका (काम्ब प्लेट) | (अ) दोनोप्योर |
(5) रेडूला | (ब) मोलस्का |
(6) याला | (ग) मैमेलिया |
(7) शीप कोशिका (कोएनोसाइट) | (स) पोरीफेरा |
(8) क्लोम छिद्र | (फ) साइक्लोस्टोमेटा एवं कॉण्डियोज |
प्रश्न 15.
मनुष्य पर पाए जाने वाले कुछ परजीवों के नाम लिखें।
उत्तर:
मनुष्य पर जए जाने वाले कुछ परजीवों के नाम निम्नलिखित हैं:
- बाह्य परजीवी: बूं (Pediculus), ओंक (Hirudinaria)
- अनः परजीवी: प्लाज्मोडियम (Plasmodium), एस्केरिस (Ascaris), लीवर फ्लूक (Liver Fluke), टीनिवा सोलियम (Taenia Solium)।