Chapter 4 कृषि

अभ्यास प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. भारत में सर्वाधिक चाय उत्पादक राज्य कौन-सा है?

a. केरल

c. पश्चिम बंगाल

b. तमिलनाडु

d. असम । (d)

2. निम्नलिखित में से कौन-सा जूट उत्पादक राज्य है?

a. केरल

b. पश्चिम बंगाल

c. असम

d. आंध्र प्रदेश (b)

3. भारत में ‘हरित क्रांति का सूत्रपात बीसवीं शताब्दी के कौन-से दशक में हुआ था?

a. आठवें

b. सातवें

c. छठे

d. पाँचवें । (b)

4. निम्नलिखित में से कौन-सा उस कृषि प्रणाली को दर्शाता है जिसमें एक ही फसल लंबे-चौड़े क्षेत्र में उगाई जाती है?

a. स्थानांतरी कृषि

b. रोपण कृषि

c. बागवानी

d. गहन कृषि | (b)

5. इनमें से कौन-सी एक फलीदार फसल है?

a. दालें

b. मोटे अनाज

c. ज्वार

d. तिल । (a)

6. निम्नलिखित में से कौन-सी रोपण फसल नहीं है?

a. चाय

b. कॉफी

c. रबड़

d. गेहूँ । (d)

7. निम्नलिखित में से किस फसल के उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है?

a. तिलहन

b. गेहूँ

c. चावल

d. दलहन | (d)

8. निम्नलिखित में से कौन खरीफ की फसल है?

a. चना

b. धान

c. कपास

d. b और c दोनों। (d)

9. निम्नलिखित में से कौन-सी जायद की फसल है?

a. चावल

b. मक्का

c. तरबूज

d. बाजरा | (c)

10. निम्न में से किस फसल का मूल स्थान भारत को माना जाता है?

a. रबड़

b. कॉफी

c. चाय

d. कपास (d)

11. निम्न में से कौन-सा कर्तन दहन कृषि का उदाहरण नहीं है?

a. मोपा (बिहार)

b. पोडू या पेंडा (आंध्र प्रदेश)

c. पामाडाबी, कोमान, बारीगाँ (ओडिशा)

d. झूम (नागालैंड, असम, मिजोरम, मेघालय)। (a)

12. कुल भौगोलिक क्षेत्र में शुद्ध बोए गए क्षेत्र का अनुपात किस राज्य में सबसे कम है?

a. अरुणाचल प्रदेश

b. ओडिशा

c. झारखंड

d. छत्तीसगढ़। (a)

13. वह भारतीय राज्य जिसके कुल भौगोलिक क्षेत्र में शुद्ध बोट गए क्षेत्र का अनुपात सबसे अधिक है-

a. झारखंड

b. छत्तीसगढ़

c. पंजाब

d. पश्चिम बंगाल (c)

14. निम्न में से कौन-सा एक मोटा अनाज नहीं है?

a. ज्वार

b. बाजरा

c. रागी

d. गेहूँ । (d)

15. निम्नलिखित में से किस फसल को सुनहरा रेशा कहा जाता है?

a. गेहूँ

b. कपास

c. जूट

d. चाय। (c)

16. इनमें से कौन-सी रबी की फसल है?

a. धान

b. दालें

c. चना

d. कपास । (c)

17. निम्नलिखित में से कौन-सी एक रेशेदार फसल है?

a. जूट

b. कॉफी

c. जौ

d. रबड़ । (a)

18. निम्नलिखित में से कौन-सी अखाद्य फसल है?

a. कपास

b. गन्ना

c. चावल

d. गेहूँ । (a)

19. निम्न में से कौन कॉफी उत्पादन के लिए जानी जाती हैं?

a. विंध्य की पहाड़ियाँ

b. महादेव पहाड़ियाँ

c. नीलगिरी पहाड़ियाँ

d. शिवालिक पहाड़ियाँ । (c)

20. निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सही मिलान है-

a. जलोढ़ मृदा – जिसमें रेत और सिल्ट होती है।

b. काली मृदा – जिसमें नमक की मात्रा बहुत अधिक होती है।

c. शुष्क मृदा – जिसमें क्रिस्टलीय लोहे का प्रसार होता है।

d. लैटेराइट मृदा – जो लावा प्रवाह से बनी होती है। (a)

(i) कृषि का विकास अवरुद्ध हो जाता है-

a. प्रौद्योगिकी और संस्थागत परिवर्तन के अभाव में

b. लगातार भूमि संसाधन के प्रयोग से

c. a और b दोनों

d. उपर्युक्त में से कोई नहीं (c)

(ii) प्रथम पंचवर्षीय योजना का मुख्य लक्ष्य था-

a. भूमि सुधार

b. औद्योगिक विकास

c. जनसंख्या नियंत्रण

d. सतत् पोषणीय विकास । (a)

(iii) श्वेत क्रांति संबंधित थी-

a. मुर्गीपालन से

b. मत्स्य पालन से

c. रेशम उत्पादन से

d. दुग्ध उत्पादन से। (d)

(iv) भूमि विकास कार्यक्रम में सम्मिलित है—

a. प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा हेतु फसल बीमा

b. किसानों को कम दर पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करना

c. सहकारी समितियों की स्थापना

d. उपर्युक्त सभी। (d)

(i) यूरोपीय व्यापारी भारत आए-

a. सोलहवीं शताब्दी में

b. सत्रहवीं शताब्दी में

c. अठाहरवीं शताब्दी में

d. उन्नीसवीं शताब्दी में। (d)

(ii) वर्तमान में भारत से निर्यात की जाने वाली मुख्य वस्तुओं में शामिल है-

a. ऊनी वस्त्र

b. सूती वस्त्र

c. रबड़

d. गरम मसाले । (d)

(iii) बिहार में चंपारन आंदोलन हुआ-

a. वर्ष 1915 में

b. वर्ष 1916 में

c. वर्ष 1917 में

d. वर्ष 1920 में। (c)

(iv) चंपारन आंदोलन क्यों प्रारंभ हुआ था?

a. इस क्षेत्र के किसानों पर नील की खेती करने के लिए दबाव डाला गया था।

b. कृषि उत्पादों पर कर वृद्धि के कारण

c. ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के कारण

d. उपर्युक्त में से कोई नहीं। (a)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. शुष्क कृषि की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर- (1) शुष्क कृषि कम वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है।

(2) शुष्क कृषि के अंतर्गत वर्ष में एक ही फसल उगाई जाती है।

प्रश्न 2. भारतीय कृषि की सबसे बड़ी समस्या क्या है?

उत्तर- भारतीय कृषि की सबसे बड़ी समस्या उसकी प्रति हेक्टेयर निम्न उत्पादकता है।

प्रश्न 3. हरित क्रांति से क्या अभिप्राय है?

उत्तर – हरित क्रांति से अभिप्राय सिंचित और असिंचित कृषि क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाली फसलों को आधुनिक कृषि पद्धति से उगाकर कृषि उपजों का यथासंभव अधिक उत्पादन प्राप्त करना है।

प्रश्न 4. भारत की कितनी जनसंख्या कृषि कार्य में संलग्न है?

उत्तर- भारत की लगभग 64% जनसंख्या प्रत्यक्ष रूप से अपनी आजीविका कृषि से प्राप्त करती है।

प्रश्न 5. भारत की दो प्रमुख रेशेदार फसलें कौन-सी हैं? प्रत्येक फसल के प्रमुख उत्पादक राज्य का नाम बताइए ।

उत्तर- भारत की दो प्रमुख रेशेदार फसलें कपास एवं जूट (पटसन) है। इनके प्रमुख उत्पादक राज्य क्रमशः गुजरात तथा पश्चिम बंगाल हैं।

प्रश्न 6. आर्द्र कृषि की दो मुख्य विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर- (i) आर्द्र कृषि अधिक वर्षा वाले तथा सिंचित क्षेत्रों में की जाती है।

(ii) आर्द्र कृषि में कम से कम दो फसलें उगाई जाती है।

प्रश्न 7. भारत के दो मुख्य चाय उत्पादक राज्यों के नाम लिखिए।

उत्तर- (i) असम (ii) प० बंगाल

प्रश्न 8. आत्मनिर्वाह कृषि किसे कहते हैं?

उत्तर- छोटी-छोटी एवं बिखरी जोतों पर परंपरागत रूप से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए की जाने वाली खेती आत्मनिर्वाह कृषि है।

प्रश्न 9. भारत की दो मुख्य पेय फसलें कौन-सी है?

उत्तर- (i) चाय और (ii) कॉफी ।

प्रश्न 10. प्रमुख रोपण कृषि फसलों के नाम बताइए ।

उत्तर- चाय, कहवा, रबड़ व नारियल ।

प्रश्न 11. स्थानांतरित खेती के अंतर्गत उगायी जाने वाली प्रमुख फसलों के नाम बताइए।

उत्तर- मक्का, बाजरा, शुष्क अनाज व सब्जियाँ ।

प्रश्न 12. देश के अग्रणी मसाला उत्पादक राज्यों के नाम बताइए।

उत्तर- केरल, कर्नाटक व तमिलनाडु ।

प्रश्न 13. देश के उन दो राज्यों के नाम बताइए जिनमें गहन कृषि की जाती है?

उत्तर- (1) पंजाब और (2) पश्चिम बंगाल ।

प्रश्न 14. भारत के प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्यों के नाम लिखिए।

उत्तर- पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश |

प्रश्न 15. खरीफ की दो फसलों के नाम लिखिए।

उत्तर- खरीफ की दो फसलें हैं-

(1) चावल, (2) मक्का ।

प्रश्न 16. भारत में उगाई जाने वाली किन्हीं दो मुख्य रेशेदार फसलों के नाम लिखिए। इन दो फसलों को उगाने के लिए आवश्यक दशाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर- भारत में उगाई जाने वाली दो मुख्य रेशेदार फसलें-

1. कपास, 2. जूट

कपास के लिए आवश्यक दशाएँ- उच्च तापमान, हल्की वर्षा, लगभग 210 पाला रहित दिन।

जूट के लिए आवश्यक दशाएँ- बाढ़ के मैदान, जल निकास वाली उर्वरा मिट्टी, बढ़वार के समय उच्च तापमान

प्रश्न 17. 1980 व 1990 के दशक में भारत सरकार ने कृषि सुधार के लिए अनेक संस्थागत तथा प्रौद्योगिकीय सुधारों की शुरुआत की। “इस कथन की उदाहरणों सहित पुष्टि कीजिए ।

अथवा

भारतीय कृषि के विकास के लिए किए गए किन्हीं तीन संस्थागत सुधारों की व्याख्या कीजिए-

उत्तर- भारत में स्वतंत्रता के बाद केंद्र सरकार द्वारा कृषि में उत्पादन वृद्धि के लिए विभिन्न संस्थागत सुधार किए गए हैं, जिनमें जोतों की चकबंदी, सहकारिता का विकास और जमीदारी प्रथा की समाप्ति आदि सम्मिलित हैं। बाढ़, सूखा, चक्रवात व आग आदि के लिए फसल बीमा का प्रावधान और किसानों को बहुत कम ब्याज दर पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करने के लिए ग्रामीण बैंकों, सहकारी समितियों एवं सहकारी बैंकों की स्थापना आदि अत्यंत महत्त्वपूर्ण संस्थागत तथा प्रौद्योगिकीय सुधार हैं।

प्रश्न 18. रबी तथा खरीफ की एक-एक फसल का नाम लिखिए ।

उत्तर- (i) रबी-चना, (ii) खरीफ-चावल ।

प्रश्न 19. उन वस्तुओं की सूची बनाइए जो रबड़ से बनती हैं और हम उनका प्रयोग करते हैं।

उत्तर- रबड़ से बनी प्रमुख वस्तुएँ निम्नलिखित हैं-

(i) बेल्ट (ii) खिलौने (ii) टायर (iv) ट्यूब्स (v) दस्ताने (vi) रबर (vii) चटाइयाँ (viii) फुटवियर (ix) गेंद

प्रश्न 20. ज्ञात करें कि भारतीय किसान अपने बेटे को किसान क्यों नहीं बनाना चाहता?

उत्तर- भारतीय किसान अपने बेटे को निम्नलिखित कारणों से किसान नहीं बनाना चाहता-

(i) कृषि में लागत की मात्रा अधिक होती जा रही है, जबकि लाभ घटता जा रहा है।

(ii) भारतीय कृषि मानसून आधारित है।

(ii) सूखा, बाढ़ आदि के कारण फसलें नष्ट हो जाती हैं।

(iv) उत्पादन का उचित मूल्य नहीं मिलता है।

प्रश्न 21. भारतीय कृषि को लाभदायक बनाने हेतु क्या करना चाहिए?

उत्तर- भारतीय कृषि को लाभदायक बनाने हेतु सीमांत और छोटे किसानों की स्थिति सुधारने पर बल देना चाहिए।

प्रश्न 22. हरित क्रांति से भूमि का निम्नीकरण कैसे हुआ है?

उत्तर- हरित क्रांति के दौरान रसायनों के अधिक प्रयोग, जलभृतों के सूखने और जैव विविधता विलुप्त होने के कारण भूमि का निम्नीकरण हुआ है।

प्रश्न 23. वर्तमान में कार्बनिक कृषि अधिक प्रचलित क्यों है?

उत्तर – कार्बनिक कृषि अपनी गुणवत्ता के कारण अधिक प्रचलन में है।

प्रश्न 24. जननिक इंजीनियरी किस रूप में जानी जाती है?

उत्तर- जननिक इंजीनियरी बीजों की नई संकर किस्मों का आविष्कार करने में शक्तिशाली पूरक के रूप में जानी जाती है।

प्रश्न 25. रिंझा का परिवार किस प्रकार की कृषि कर रहा है?

उत्तर – रिंझा का परिवार झूम कृषि का रहा है।

प्रश्न 26. झूम कृषि में कौन-सी फसलें उगाई जाती हैं?

उत्तर- झूम कृषि में बाजरा, ज्वार, सब्जियाँ, मोटे अनाज आदि उगाये जाते हैं।

प्रश्न 27. भारत के कौन-से राज्यों में झूम कृषि की जाती है?

उत्तर- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पूर्वोत्तर के राज्यों में झूम कृषि की जाती है।

प्रश्न 28. इंडोनेशिया में झूम कृषि को किस नाम से जाना जाता है?

उत्तर— इंडोनेशिया में झूम कृषि को ‘लदांग’ नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 29. रोपण कृषि की कुछ विशेषताएँ बताइए।

उत्तर- (a) रोपण कृषि व्यापक क्षेत्र में की जाती है।

(b) यह अत्यधिक पूँजी तथा श्रमिकों की सहायता से की जाती है।

(c) इस कृषि से प्राप्त संपूर्ण उत्पादन उद्योग में कच्चे माल के रूप में प्रयोग होता है।

प्रश्न 30. कुछ महत्त्वपूर्ण रोपण फसलों के नाम बताइए।

उत्तर – चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, केला आदि महत्त्वपूर्ण रोपण फसलें हैं।

प्रश्न 31. भारत के कुछ राज्यों की मुख्य रोपण फसलें बताइए ।

उत्तर- असम और उत्तरी बंगाल में चाय, कर्नाटक में कॉफी की वहाँ मुख्य रोपण फसलें हैं।

प्रश्न 32. किन क्षेत्रों में चाय भली-भाँति उगाई जाती है?

उत्तर- चाय उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु, ह्यूमस और जीवांश-युक्त गहरी मिट्टी तथा सुगम जल निकास वाले ढलवाँ क्षेत्रों में भली-भाँति उगाई जाती है।

प्रश्न 33. चाय उत्पादन हेतु किस प्रकार की जलवायु की आवश्यकता होती है?

उत्तर- चाय की झाड़ियों को उगाने हेतु वर्ष भर कोष्ण, नम तथा पालारहित जलवायु की आवश्यकता होती है। वर्ष भर समान रूप से होने वाली वर्षा की बौछारें इसकी कोमल पत्तियों के विकास में सहायक होती हैं।

प्रश्न 34. भारत के मुख्य चाय उत्पादक क्षेत्रों के नाम बताइए ।

उत्तर- भारत में चाय के मुख्य उत्पादक क्षेत्रों में असम, पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग और जलपाइगुड़ी की पहाड़ियाँ, तमिलनाडु और केरल सम्मिलित हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. “कृषि के द्वारा औद्योगिक क्षेत्रक की संवृद्धि होती है।” तीन बिन्दुओं की सहायता से इस कथन को प्रमाणित कीजिए।

उत्तर- भारतीय कृषि की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(i) कच्चे माल की आपूर्ति – अनेक उद्योगों के लिए कृषि कच्चे माल की आपूर्ति करने का स्रोत है, जैसे पोषाहार, वस्त्र उद्योग, कागज निर्माण। उदाहरण के लिए वस्त्र उद्योग मुख्य रूप से कपास पर आधारित होता है जिसका उत्पादन कृषि क्षेत्र में किया जाता है। इसी प्रकार खाद्य पदार्थ का उद्योग कृषि उपज यथा फल, सब्जियों और अनाज पर आधारित होता है। इस प्रकार विकसित कृषि क्षेत्र उद्योग जगत को अच्छा कच्चा माल आपूर्ति करने का उपागम है जिसके कारण उत्पादकता में बढ़ोतरी होती है।

(ii) बाजार का विस्तार- कृषि के कारण औद्योगिक उत्पादों के लिए बाजार तैयार होता है। कृषि संबंधी मशीनों यथा ट्रैक्टर, जुताई के यंत्र हार्वेस्टर (फसल कटाई के यंत्र) आदि के कारण औद्योगिक वस्तुओं स्टील प्लास्टिक, रबड़ आदि की माँग में वृद्धि हो जाती है। इसी के साथ कृषि क्षेत्रक में विकास के कारण किसान की क्रम शक्ति भी बढ़ जाती है जो औ‌द्योगिक उत्पादों का विश्वसनीय उपभोक्ता बन जाता है जो उपभोक्ता वस्तुएँ, मोटर कार, घरेलू उपकरण आदि ।

(iii) रोजगार के अवसर – कृषि एक श्रमिक उन्मुख क्षेत्रक है जो भारत की अधिसंख्य, जनसंख्या को रोजगार उपलब्ध कराता है। उन्नत कृषि क्षेत्रक के द्वारा किसानों की आय में वृद्धि की जा सकती है और श्रमिकों की भी वेतन वृद्धि हो सकती है जिसके कारण औद्योगिक उत्पादों व सेवाओं की माँग बढ़ जाती है। खाद्य प्रसंस्करण और जैव रसायन भी रोजगार के अवसर बढ़ाते हैं विशेष रूप से ग्रामीण अंचलों में इस प्रकार एक उन्नत कृषि क्षेत्रक बेरोजगारी और गरीबी को दूर करने का साधन बन सकता है, जो कि भारत में एक चुनौती है।

प्रश्न 2. रोपण कृषि क्या है? इसके चार मुख्य लक्षण लिखिए।

उत्तर- जब कृषि कार्य बड़े पैमाने पर एक ही व्यापारिक फसल के लिए किया जाता है तो उसे रोपण कृषि कहा जाता है।

(i) इस प्रकार की कृषि में केवल एक ही फसल की उपज इतनी अधिक मात्रा में होती है जैसे कि किसी कारखाने में माल तैयार हो रहा हो ।

(ii) इस प्रकार की कृषि में अधिक मात्रा में धन की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि यह कृषि छोटे पैमाने पर नहीं हो सकती। साथ में नए वैज्ञानिक औजारों और मशीनों की आवश्यकता पड़ती है जिन पर अधिक व्यय करना पड़ता है।

(ii) इसमें अनेक मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है जो एक लंबे समय के लिए वहाँ स्थायी रूप से ठहरने के लिए तैयार हों।

(iv) इस प्रकार की कृषि एक विस्तृत क्षेत्र में होती है इसलिए परिवहन के विभिन्न साधनों की भी आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 3. भारत में प्रचलित ‘गहन जीविका कृषि’ और ‘वाणिज्यिक कृषि की तुलना कीजिए।

उत्तर- भारत में गहन जीविका कृषि उन क्षेत्रों में अधिक की जाती है जहाँ कृषि योग्य भूमि सीमित होती है और जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है। इस कृषि में किसान वैकल्पिक रोजगार की उपलब्धता न होने के कारण सीमित भूमि से अधिकाधिक पैदावार लेने का प्रयास करते हैं। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि राज्यों में गहन जीविका निर्वाह कृषि की जाती है।

भारत में वाणिज्यिक कृषि में बड़े-बड़े जोत वाले खेत प्रयुक्त होते हैं। वाणिज्यीकरण का स्तर विभिन्न प्रदेशों में भिन्न-भिन्न हैं। पंजाब, हरियाणा, पूर्वी उत्तर प्रदेश आदि वाणिज्यिक कृषि के उदाहरण हैं।

प्रश्न 4. रेशम उत्पादन क्या है? भारत में इसके दो प्रमुख क्षेत्रों का नाम लिखिए।

उत्तर- रेशम के कीड़ों का पालन और उनसे रेशम तैयार करना, रेशम उत्पादन कहलाता है रेशम उत्पादन देश के अनेक क्षेत्रों में किया जाता है जिनमें से कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं— कर्नाटक, जम्मू और कश्मीर, मध्य प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल आदि ।

प्रश्न 5. कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार क्यों कहा गया है?

उत्तर- भारत एक कृषिप्रधान देश है। इसकी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि ही है, जिसके निम्नलिखित कारण हैं-

(i) भारत में कुल क्षेत्रफल का 51% भू-भाग कृषि योग्य है, जबकि विश्व का औसत मात्र 119% ही है।

(ii) देश में लगभग 70% जनसंख्या को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से आजीविका के साधन कृषि से ही प्राप्त होते हैं।

(iii) अनेक उद्योगों जैसे सूती, ऊनी, रेशमी वस्त्र, चीनी, ऐल्कोहॉल, वनस्पति तेल, जूट, कागज, लुगदी आदि को कच्चा माल कृषि से ही प्राप्त होता है सूती वस्त्र, चीनी, पटसन और चाय के उत्पादन में भारत अग्रणी स्थान बनाए हुए है।

(iv) देश में कृषि द्वारा आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था का विकास हुआ है। देश में लगभग 14.3 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर कृषि की जाती है। अतः भारत शुद्ध बोए हुए क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में प्रथम स्थान रखता है।

(v) कृषि उत्पादों पर आधारित उद्योगों में देशवासियों को आजीविका के साधन उपलब्ध होते हैं।

प्रश्न 6. चाय की खेती मुख्य रूप से असम में ही क्यों होती है? कारण लिखिए।

उत्तर- असम में चाय की खेती निम्नलिखित कारणों से होती है-

(i) यहाँ वर्ष भर वर्षा होती है जो चाय के पौधों के लिए लाभप्रद है।

(ii) यहाँ गहरी उपजाऊ मिट्टी पायी जाती है जिसमें चाय का पौधा खूब पनपता है।

(ii) यहाँ आर्द्र जलवायु पायी जाती है जिसकी चाय के पौधों को बड़ी आवश्यकता होती है।

प्रश्न 7. भारत के कृषि क्षेत्र में होने वाली समस्याएँ लिखिए।

उत्तर- भारत में कृषि क्षेत्र में होने वाली समस्याएँ निम्नलिखित हैं-

(i) महँगाई के कारण कृषि की लागत अत्यंत बढ़ गई है, जिससे कृषि अलाभप्रद स्थिति में पहुँच गई है।

(ii) कृषि उत्पादन में ठहराव आ चुका है। ऐसी स्थिति में किसानों को अधिक लाभ प्राप्त नहीं हो पाता।

(iii) बढ़ती जनसंख्या के कारण जोतों का आकार घट रहा है। अतः कृषि क्षेत्र संकुचित हो रहा है।

(iv) किसानों को अद्यतन कृषि तकनीक की उपयुक्त जानकारी नहीं है, जिसके कारण वे अधिक उत्पादन प्राप्त नहीं कर पाते।

प्रश्न 8. “सिंचाई ने भारत के कई क्षेत्रों में फसल प्रारूप को परिवर्तित कर दिया है।” कथन का विश्लेषण कीजिए।

उत्तर – सिंचाई द्वारा वर्षा की कमी की भरपाई की जा सकती है। नहर, सामुदायिक ट्यूबवेल, निजी नलकूप आदि द्वारा भूमि उपयोग दक्षता, फसल उपयोग के आयामीकरण और प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। साथ ही साथ कई क्षेत्रों में फसल प्रारूप में परिवर्तन हुआ है। बेकार पड़ी भूमि का एक बड़ा हिस्सा खेती योग्य भूमि में परिवर्तित हुआ है और विशुद्ध बुआई क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि हुई है।

प्रश्न 9. देश के अनेक राज्यों में किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं?

उत्तर- किसानों द्वारा आत्महत्या करने का मुख्य कारण कृषि का बढ़ता कर्ज है। किसानों ने विभिन्न स्रोतों से कृषि के लिए कर्ज लिया है कर्ज बढ़ने पर यदि किसान कर्ज नहीं चुका पाते, तो उनके सामने आत्महत्या करने के अलावा कोई चारा नहीं होता है क्योंकि कर्ज न चुकाने पर खेत, मकान आदि की नीलामी का डर बना रहता है। यही कारण है कि देश के अनेक राज्यों में किसान आत्महत्या कर रहे हैं।

प्रश्न 10. भारत में उगाई दो प्रमुख पेय फसलों के नाम लिखिए। उनके उगाने के क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।

उत्तर- भारत में उगाई गई दो प्रमुख पेय फसलों के नाम- (i) चाय, (ii) कॉफी

चाय को उगाने के क्षेत्र- असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा ।

कॉफी को उगाने के क्षेत्र- कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु ।

प्रश्न 11. देश के कुछ भागों में आज भी आत्म-निर्वाह कृषि क्यों की जाती है? चार कारण दीजिए।

उत्तर- आज भी देश के पूर्वोत्तर राज्यों छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश तथा ओडिशा के वन क्षेत्रों, अंडमान निकोबार द्वीप समूह एवं अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में आत्म-निर्वाह कृषि की जाती है। इन क्षेत्रों में जीवन निर्वाह कृषि के आज भी प्रचलित होने के निम्नलिखित कारण हैं-

(i) उर्वरकों और रासायनिक खाद का प्रयोग न करने के कारण भूमि की उत्पादकता कम तथा फसल उत्पादन भी कम होता है।

(ii) इस प्रकार की कृषि प्रायः मानसून वर्षा, मृदा की प्राकृतिक उर्वरता तथा अन्य पर्यावरणीय तत्वों पर निर्भर करती है।

(ii) वन क्षेत्र को साफ करके परिवार के सदस्यों के लिए खाद्यान्न उगाये जाते हैं।

(iv) यहाँ के लोगों का जीवन स्तर निम्न होने के कारण ये लोग आधुनिक कृषि नहीं कर सकते।

(v) इनके औजार तथा कृषि पद्धति पुरानी होती हैं।

(vi) ये लोग धन कमाने के लिए कृषि नहीं करते बल्कि अपने और अपने परिवार की उदरपूर्ति के लिए कृषि करते हैं।

प्रश्न 12. “कृषि और उद्योग एक-दूसरे के पूरक हैं।” इस कथन की उदाहरण सहित पुष्टि कीजिए।

उत्तर – कृषि और उद्योग का एक दूसरे के पूरक होने का अर्थ यह है कि उद्योगों की आवश्यकताएँ कृषि पूर्ण करती है जबकि कृषि की विभिन्न आवश्यकताएँ उद्योगों द्वारा पूरी की जाती हैं; जैसे चीनी उद्योग की आवश्यकताएँ कृषि द्वारा गन्ने से पूर्ण की जाती है जबकि खेती के लिए विभिन्न उर्वरकों व कीटनाशकों संबंधी आवश्यकताएँ उद्योगों द्वारा पूर्ण की जाती हैं। अतः स्पष्ट है कि कृषि और उद्योग एक-दूसरे के पूरक हैं।

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. रोपण कृषि क्या है? इसकी प्रमुख विशेषताएँ बताइए। अथवा रोपण कृषि की किन्हीं पाँच विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

रोपण या बागाती कृषि

रोपण कृषि जो बागाती कृषि भी कहलाती है, एक विशिष्ट प्रकार की कृषि है। इसमें फसलों को झाड़ी या वृक्षों के रूप में बागानों में उगाया जाता है। इसके अंतर्गत बड़ी-बड़ी कृषि उपजें बागानों में उत्पन्न की जाती हैं।

रोपण कृषि की विशेषताएँ

रोपण या बागानी कृषि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(i) रोपण कृषि फार्मों या बागानों में की जाती है। अधिकांश बागानों पर विदेशी कंपनियों का आधिपत्य रहा है।

(ii) इसके अंतर्गत विशिष्ट उपजों चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, तेल- ताड़, नारियल गिरी, जूट, फलों आदि का ही उत्पादन किया जाता है।

(iii) इन कृषि उत्पादों का उपभोग समशीतोष्ण कटिबंधीय देशों के निवासियों द्वारा किया जाता है।

(iv) बागानों में ही कार्यालय, माल तैयार करने, सुखाने, प्रसंस्करण इकाइयाँ, पैकिंग, श्रमिकों के निवास आदि होते हैं।

(v) इस हेतु अधिकांश तकनीक एवं वैज्ञानिक पद्धतियाँ समशीतोष्ण देशों से आयात की गई हैं।

(vi) प्रारंभ में यूरोपियनों द्वारा लगभग सभी महाद्वीपों में इस कृषि का विकास किया गया था। मलेशिया में रबड़ के बागान अंग्रेजों ने, ब्राजील में कहवा के बागान पुर्तगालियों ने तथा मध्य और दक्षिणी अमेरिकी देशों में केले की खेती स्पेनवासियों ने आरंभ की थी।

(vii) इससे उत्पादित उत्पादों का उपभोग समशीतोष्ण कटिबंधीय देशों द्वारा किया जाता है। यही कारण है कि अधिकांश उत्पादों का निर्यात किया जाता है। इसलिए इन उपजों के बागान तटीय क्षेत्रों अथवा पत्तनों के पृष्ठ प्रदेश में स्थापित किए गए हैं।

(viii) उपनिवेशों की समाप्ति के साथ-साथ अब इन बागानों पर स्थानीय शासन का नियंत्रण हो गया है और कुछ परिवर्तनों के साथ वे अपने तरीके से रोपण कृषि के विस्तार में लगे हैं।

भारत में रोपण कृषि पूर्वोत्तर के पर्वतीय क्षेत्रों, पश्चिम बंगाल के उपहिमालयी क्षेत्रों और प्रायद्वीपीय भारत की नीलगिरि, अन्नामलाई व इलायची की पहाड़ियों में की जाती है। चाय, कहवा, नारियल, रबड़, जूट. फलों आदि की खेती प्रमुख स्थान रखती है। यहाँ रोपण कृषि पर कुछ कंपनियों का आधिपत्य है जो अपनी विधियों से रोपण कृषि का विस्तार कर देश की कृषि अर्थव्यवस्था में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान कर रही हैं।

प्रश्न 2. जीविका खेती के प्रमुख लक्षण बताइए ।

उत्तर- जीविका खेती के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-

(i) इस कृषि पद्धति में छोटी-छोटी एवं बिखरी हुई जोतें पायी जाती हैं। इस पद्धति में कृषि के परंपरागत पुरातन कृषि यंत्रों एवं उपकरणों गेंती, फावड़ा, हल, बक्खर, खुरपी, तगारी आदि का प्रयोग किया जाता है। परिवार के सदस्य (स्त्री एवं पुरुष) मिलजुलकर कृषि कार्य करते हैं। यह आत्मनिर्वाह कृषि भी कहलाती है।

(ii) इस कृषि में अधिकांशतः मोटे अनाजों मक्का, ज्वार बाजरा, कोदो, जिमीकंद, रतालू आदि का उत्पादन किया जाता है। कुछ उपयुक्त भूमि पर गेहूँ और चावल की खेती भी की जाती है।

(iii) इसमें प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम होता है। वास्तव में यह कृषि एक प्रकार से प्रकृति की ही देन है। व्यक्ति केवल बीज बोने का कार्य ही करता है क्योंकि सिंचाई या उर्वरक एवं खाद आदि के लिए कृषकों के पास पूँजी का अभाव होता है उसकी देखभाल प्रकृति ही करती है।

(iv) इस कृषि में उत्पादित फसलों का उपयोग कृषक एवं उसका परिवार स्वयं ही कर लेता है क्योंकि इसमें प्रति हेक्टेयर उत्पादन मात्र इतना होता है कि कृषक एवं उसके परिजनों का भी पालन-पोषण कठिन होता है।

(v) जीविकोपार्जन कृषि करने वाले आदिवासी कृषक अधिकांशतः निर्धन होते हैं। उनके पास पूँजी का अभाव होता है। अतः वे अपने खेतों में उत्तम एवं सुधरे हुए बीज, रासायनिक उर्वरक कीटनाशकों आदि का प्रयोग नहीं कर पाते हैं जिस कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ नहीं पाता है। परंतु अब कुछ स्थानों पर गन्ना, तिलहन, कपास, जूट जैसी फसलों का उत्पादन किया जाने लगा है जिससे आत्मनिर्वाह कृषि व्यापारिक कृषि की ओर अग्रसर हो रही है।

(vi) कृषकों (आदिवासियों) की निर्धनता के कारण कृषि में आधुनिक तकनीक का उपयोग नहीं किया जाता है। आधुनिक तकनीक से तात्पर्य आधुनिक कृषि यंत्रों एवं उपकरणों के प्रयोग से है। फलस्वरूप उत्पादन केवल आत्मनिर्भरता तक ही सीमित रहता है।

प्रश्न 3. भारत में चाय उत्पादन हेतु अनुकूल दशाओं एवं उत्पादन क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।

उत्तर-

चाय उत्पादन के लिए आवश्यक

भौगोलिक या अनुकूल दशाएँ

चाय उत्पादन के लिए निम्नलिखित जलवायविक दशाओं अथवा अनुकूल दशाओं (तापमान और वर्षा की आवश्यकता होती है-

(i) तापमान – चाय उष्ण कटिबंधीय मानसूनी जलवायु की उपज है। उपोष्ण कटिबंध में भी इसका उत्पादन किया जाता है। चाय के पौधों के लिए 20 से 30° सेल्सियस तापमान आवश्यक होता है। पाला, कोहरा और शीतप्रधान पवनें चाय की फसल के लिए हानिप्रद होती हैं।

(ii) वर्षा – चाय के पौधों के लिए अधिक नमी की आवश्यकता होती है। प्रायः 150 से 200 सेमी वर्षा वाले भागों में चाय के पौधे खूब पनपते हैं। दक्षिणी भारत में 500 सेमी वर्षा वाले भागों में पहाड़ी ढलानों पर भी चाय की खेती की जाती है। चाय के बागान 600 से 1,800 मीटर की ऊँचाई वाले पहाड़ी ढलानों पर ही लगाए जाते हैं।

इनके अतिरिक्त चाय की कृषि के लिए दोमट मिट्टी जिसमें पोटाश, लोहांश एवं जीवांशों की मात्रा अधिक हो, सर्वश्रेष्ठ रहती है। चाय श्रमप्रधान फसल है। इसकी कृषि के लिए अधिक संख्या में सस्ते

कुशल श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है।

भारत के चाय उत्पादक राज्य

भारत में लगभग 4.17 लाख हेक्टेयर भूमि पर चाय के बागान लगाए गए हैं। पूर्वोत्तर भारत, हिमालय के पश्चिमी ढाल और दक्षिणी भारत में चाय प्रमुख रूप से उगाई जाती है। असम और पश्चिम बंगाल में देश की 78% चाय उगाई जाती है। देश में चाय का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 1700 किग्रा है। भारत में चाय उत्पादक दो विवरण निम्नलिखित है-

(i) असम – यह भारत का सबसे बड़ा चाय उत्पादक राज्य है। यहाँ देश की लगभग 53% चाय उगाई जाती है। यहाँ चाय उत्पादन के लिए सभी आदर्श भौगोलिक परिस्थितियाँ उपलब्ध हैं। असम में ब्रह्मपुत्र, सूरमा नदियों की घाटियाँ चाय के बागानों से ढकी हैं। जोरहाट, सिलहट, शिवसागर, कामरूप, दरांग, ग्वालपाड़ा, लखीमपुर और नौगांव जिले चाय उत्पादन में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। असम की अर्थव्यवस्था में चाय का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

(ii) पश्चिम बंगाल – इस राज्य का चाय उत्पादन में दूसरा स्थान है। यहाँ भारत की लगभग 22% चाय उत्पन्न की जाती है। पश्चिम बंगाल में उत्पादित चाय उत्तम कोटि की व सुगंध वाली होती है। यहाँ उत्पादित चाय का अधिकांश भाग विदेशों को निर्यात कर दिया जाता है। इस राज्य में चाय दार्जिलिंग, कूचबिहार, पुरुलिया, जलपाईगुड़ी आदि जिलों में उगाई जाती है। दार्जिलिंग जिल में 1.800 मीटर की ऊँचाई तक के पहाड़ी ढलानों पर चाय का उत्पादन किया जाता है।

असम और पश्चिम बंगाल के अतिरिक्त चाय का उत्पादन तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, बिहार, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में भी होता है।

प्रश्न 4. भारत में चावल की खेती के वितरण या उत्पादक क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।

उत्तर- भारत में चावल की खेती का वितरण

चावल भारत में दक्षिण-पूर्व की प्रमुख उपज है। पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा (उड़ीसा), तेलंगाना और आंध्र प्रदेश ये पाँचों राज्य मिलकर भारत का दो-तिहाई से अधिक चावल उत्पन्न करते हैं। शेष चावल पंजाब, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, छत्तीसगढ़, हरियाणा, असम व उत्तराखंड आदि राज्यों में उत्पन्न किया जाता है। भारत के प्रमुख चावल उत्पादक राज्य निम्नलिखित हैं-

(i) पश्चिम बंगाल – इस राज्य का भारत के चावल उत्पादन में प्रथम स्थान है। यहाँ अमन, ओस तथा बोरो चावल की तीन फसलें उगाई जाती हैं। इस राज्य की कृषि योग्य भूमि के 77% भू-भाग पर चावल उगाया जाता है। जलपाईगुड़ी, पूर्वी मिदनापुर, पश्चिमी मिदनापुर, वर्धमान, बांकुड़ा, उत्तरी दीनाजपुर, दक्षिणी दीनाजपुर हावड़ा व दार्जिलिंग प्रमुख चावल उत्पादक जिले हैं।

(ii) पंजाब – पंजाब भारत का गैर-परंपरागत चावल उत्पादक राज्य है, जहाँ सिंचाई (99% चावल क्षेत्र) के सहारे चावल उत्पादन किया जाता है। यहाँ चावल का प्रति हेक्टेयर उत्पादन सर्वाधिक है। लुधियाना, पटियाला, संगरूर, रोपड़, अमृतसर और गुरदासपुर जिले चावल उत्पादन में प्रमुख स्थान रखते हैं।

(iii) उत्तर प्रदेश – उत्तर प्रदेश का भारत के चावल उत्पादन में तीसरा स्थान है। यहाँ पूर्वी उत्तर प्रदेश व तराई क्षेत्र चावल के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं।

(iv) तेलंगाना और आंध्र प्रदेश- ये देश के प्रसिद्ध चावल उत्पादक राज्य है। यहाँ वर्ष में चावल की दो फसलें उगाई जाती हैं। गोदावरी और कृष्णा नदियों की घाटियाँ और समुद्र तटीय मैदानों में चावल की कृषि की जाती है।

मानचित्र संबंधी प्रश्न

प्रश्न 1. दिए गए मानचित्र का अध्ययन कर चावल उत्पादक किन्हीं चार राज्यों की पहचान करें-

उत्तर- (i) उत्तर प्रदेश

(ii) पश्चिम बंगाल

(iii) आंध्र प्रदेश

(iv) तेलंगाना।

प्रश्न 2. भारत के रेखा मानचित्र में कपास अथवा जूट उत्पादक क्षेत्र को इंगित कीजिए-

उत्तर-

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