Chapter 4 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया
अभ्यास प्रश्न
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. 19वीं शताब्दी में फारसी में छपने वाला समाचार पत्र था-
a. जाम-ए-जहाँनामा
b. हिंदुस्तान
c. एक्सप्रैस
d. समाचार चंद्रिका। (a)
2. सोलहवीं सदी की किताब ‘श्रीरामचरितमानस’ का पहला प्रकाशन हुआ था-
a. 1911 में इलाहाबाद से
b. 1810 में कलकत्ता से
c. 1805 में बाँद्रा से
d. 1906 में झाँसी से । (b)
3. भारत में पहली छापखाने की मशीन निम्नलिखित में से किसके साथ आई?
a. पुर्तगाली मिशनरी
b. कैथोलिक पादरी
c. डच प्रोटेस्टेंट
d. ईस्ट इंडिया कंपनी। (a)
4. भारत में पांडुलिपियों को पढ़ना आसान क्यों नहीं था? निम्नलिखित में सही विकल्प चुनिए—
a. पांडुलिपियाँ बहुत सस्ती थीं
b. पांडुलिपियों का व्यापक उपयोग था
c. पांडुलिपियाँ हिंदी और अंग्रेजी में लिखी गई थीं
d. पांडुलिपियाँ नाजुक होती थीं। (d)
5. राजा राममोहन राय ने सन् 1821 से कौन-सा साप्ताहिक समाचार पत्र निकालना शुरू किया?
a. बंगाल गजट
b. हिंदू पत्रिका
c. संवाद कौमुदी
d. केसरी । (c)
6. 1430 के दशक में निम्नलिखित में से किसने सबसे पहले प्रिंटिंग प्रेस का विकास किया?
a. गुटेनबर्ग
b. जेम्स वॉट
c. न्यूकॉमन
d. मारकोनी। (a)
7. ‘गुलामगिरी’ के लेखक कौन थे?
a. डॉ० भीमराव रामजी अंबेडकर
b. ज्योतिबा फुले
c. कैलाश बाशिनी देवी
d. रामास्वामी नायकर। (b)
8. ज्योतिबा फुले ने 1871 में जाति प्रथा के अत्याचारों पर कौन-सी पुस्तक लिखी थी ?
a. गुलामगिरी
b. स्त्री धर्म
c. आमार जीवन
d. कथा सागर । (a)
9. 1857 में बाल पुस्तकें छापने के लिए प्रेस किस देश में स्थापित हुआ?
a. जर्मनी
b. इंग्लैंड
c. भारत
d. फ्रांस । (d)
10. ‘चैपमैन’ किनको कहा जाता था?
a. पुस्तक बेचने वालों को
b. कागज बेचने वालों को
c. छापेखाने में काम करने वालों को
d. ‘पैनी चैप बुक्स’ बेचने वालों को (d)
11. समाचार पत्र ‘केसरी’ का प्रकाशन निम्न में किसने किया था?
a. महात्मा गांधी
b. बाल गंगाधर तिलक
c. मदनमोहन मालवीय
d. प्रताप नारायण मिश्र (b)
12. निम्न में से मार्टिन लूथर कौन थे?
a. धर्म-सुधारक
b. राष्ट्रवादी नेता
c. वैज्ञानिक
d. इनमें से कोई नहीं। (a)
13. कैलाशबाशिनी देवी, ताराबाई शिंदे और पंडिता रामाबाई के लेखन के बीच निम्नलिखित में से कौन-सा पहलू समान था?
a. जनता के लिए आर्थिक समानता की माँग की।
b. महिलाओं के अनुभवों पर प्रकाश डालना।
c. सांस्कृतिक विरासत के बारे में जागरूक करना
d. भारतीयों को उनकी राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिए प्रेरणा | (b)
14. निम्नलिखित में से किस दार्शनिक की रचनाओं ने फ्रांस में क्रांति के लिए परिस्थितियाँ पैदा कर दी थीं?
a. रूसो
b. जॉर्ज इलियट
c. रिचर्ड एम० हो
d. जेम्स लॉकिंगटन (a)
15. 19वीं सदी के मध्य तक किसने शक्तिचालक बेलनाकार प्रेस को कारगर बना लिया?
a. रॉबर्ट डार्नटन
b. रिचर्ड एम० हो
c. मैक्सिम गोर्की
d. मार्टिन लूथर । (b)
16. वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट कब लागू किया गया?
a. 1872 ई०
b. 1875 ई०
c. 1878 ई०
d. 1880 to (c)
17. शक्तिचालित बेलनाकार प्रेस से प्रति घंटे कितनी शीट छाप सकते थे?
a. 5000
b. 6000
c. 7000
d. 8000. (d)
18. उन्नीसवीं सदी की पत्रिकाओं ने उपन्यासों को किस रूप में छापा ?
a. धारावाहिक
b. कहानी
c. ये दोनों
d. इनमें से कोई नहीं। (a)
19. इंग्लैंड में 1920 के दशक में लोकप्रिय किताबें किस श्रृंखला के तहत छापी गई?
a. कहानी श्रृंखला
b. काव्य श्रृंखला
c. शिलिंग श्रृंखला
d. इनमें से कोई नहीं। (c)
20. विश्वव्यापी आर्थिक मंदी आई-
a. सन् 1920 में
b. सन् 1925 में
c. सन् 1928 में
d. सन् 1930 में (d)
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. कृष्णाजी द्वारा समाचार पत्र प्रकाशित करने के मुख्य कारण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- कृष्णाजी द्वारा समाचार पत्र प्रकाशित करने का मुख्य कारण विभिन्न उपयोगी समाचारों जैसे सार्वजनिक उपयोगिता के विषय, जिज्ञासा, वैज्ञानिक खोज आदि से लोगों को अवगत कराना था।
प्रश्न 2. स्थानीय समाचार-पत्र और राजनीतिक संघ के कार्य को विपक्ष की भूमिका के समान कैसे देखा गया?
उत्तर- स्थानीय समाचार-पत्र और राजनीतिक संघ के कार्य को विपक्ष की भूमिका के समान इस रूप में देखा गया कि जिस प्रकार विपक्ष लोगों को सचेत करता है, उसी प्रकार समाचार-पत्र लोगों को सचेत करते हैं।
प्रश्न 3. 19वीं शताब्दी के दौरान समाचार-पत्रों की लोकप्रियता के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर- (ii) उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान समाचार-पत्रों की लोकप्रियता जनविरोधी औपनिवेशिक नीतियों के विरोध, स्वतंत्रता व समानता की भावना के प्रसार और विश्व के अन्य हिस्सों की गतिविधियों से लोगों को अवगत कराने के कारण बढ़ी।
प्रश्न 4. चीनी राजतंत्र द्वारा किताबों को क्यों मुद्रित करवाया गया है?
उत्तर- सिविल सेवा परीक्षा की पाठ्य सामग्री के लिए चीनी राजतंत्र द्वारा किताबों को मुद्रित करवाया गया।
प्रश्न 5. यूरोप में प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार किसने किया? इस प्रेस में छपने वाली प्रथम पुस्तक का नाम बताइए।
उत्तर- यूरोप में प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार योहान गुटेनबर्ग ने किया था। इस प्रेस में छपने वाली प्रथम पुस्तक बाइबिल थी।
प्रश्न 6. भारत में प्रिंटिंग प्रेस कौन लाया?
उत्तर- भारत में सर्वप्रथम प्रिंटिंग प्रेस पुर्तगाली धर्म प्रचारकों के साथ गोवा में आया।
प्रश्न 7. भारत में उपन्यास कैसे लोकप्रिय हुए?
उत्तर- पाठक वर्ग के जीवन, अनुभव, भोगे हुए संबंधों आदि की समुचित व्याख्या व विश्लेषण करने के कारण भारत में उपन्यास लोकप्रिय हुए।
प्रश्न 8. वेलम या चर्मपत्र क्या है?
उत्तर- वेलम या चर्मपत्र जानवरों के चमड़े से बनी लेखन की सतह है।
प्रश्न 9. अठारहवीं सदी के यूरोप में कुछ लोगों को ऐसा क्यों लगता था कि मुद्रण संस्कृति से निरंकुशवाद का अन्त और ज्ञानोदय होगा?
उत्तर- 18वीं सदी में यूरोप में लुई सेबेस्तिएँ मर्सिए जैसे लोगों का मत था कि मुद्रण संस्कृति जनता के उत्थान और दृष्टिकोण का सबसे शक्तिशाली साधन है। इसमें निरंकुशवाद को समाप्त करने व ज्ञान के विस्तार की शक्ति है।
प्रश्न 10. जापान में छपाई की तकनीक किसके द्वारा पहुँची ?
उत्तर- चीनी बौद्ध प्रचारकों द्वारा।
प्रश्न 11. चीनी राजतंत्र बड़ी संख्या में किताबें क्यों छपवाता था?
उत्तर- सिविल सेवा परीक्षा के लिए।
प्रश्न 12. सन् 1821 में राजा राममोहन राय ने कौन-सा समाचार- पत्र प्रकाशित किया?
उत्तर- संवाद कौमुदी |
प्रश्न 13. तुलसीदास की ‘रामचरितमानस’ का पहला मुद्रित संस्करण (कलकत्ता से) कब प्रकाशित हुआ?
उत्तर- सन् 1810 में ।
प्रश्न 14. स्त्री विचार धर्म के लेखक कौन थे?
उत्तर – राम चड्ढा ।
प्रश्न 15. ‘गुलामगिरी’ पुस्तक 1871 में ज्योतिबा फूले ने क्यों लिखी थी?
उत्तर- जाति और वर्ग शोषण के मध्य संबंधों को उजागर करने के लिए।
प्रश्न 16. स्वामी दयानंद सरस्वती की प्रसिद्ध पुस्तक का नाम बताइए ।
उत्तर- सत्यार्थ प्रकाश
प्रश्न 17. मैक्सिम गोर्की कौन थे?
उत्तर- मैक्सिम गोर्की एक क्रांतिकारी रूसी लेखक थे।
प्रश्न 18. इरैस्मस कौन था?
उत्तर – इरैस्मस’ लातिन का विद्वान तथा कैथोलिक धर्म- सुधारक था।
प्रश्न 19. इरैस्मस ने ‘एडेजेज’ नामक पुस्तक किस वर्ष लिखी?
उत्तर – इरैस्मस ने ‘एडेजेज’ नामक पुस्तक सन् 1508 में लिखी ।
प्रश्न 20. ‘किताबें भिनभिनाती मक्खियों की तरह हैं ऐसा क्यों ‘कहा गया?
उत्तर- किताबों का विस्तार संपूर्ण विश्व में है। इरैस्मस का मानना था कि प्रकाशकों को अच्छी चीजें प्रकाशित करने पर जोर देना चाहिए, जिससे मूल्यवान साहित्य की प्रतिष्ठा बनी रहे ।
प्रश्न 21. तत्कालीन समय में अधिकांश मुद्रक किस प्रकार की किताबें छाप रहे थे?
उत्तर – तत्कालीन समय में अधिकांश मुद्रक बकवास, सनसनीखेज, धर्म-विरोधी और षड्यंत्रकारी किताबें छाप रहे थे।
प्रश्न 22. मर्सिए कौन था ?
उत्तर- मर्सिए फ्रांस का एक उपन्यासकार था।
प्रश्न 23. किताब को पढ़ने को लेखक ने किस रूप में दर्शाया है?
उत्तर- किताब को पढ़ने की प्रक्रिया को लेखक ने अपनी प्यास के रूप में दर्शाया है। उसका मानना था कि प्यास लगने पर जैसे कोई प्यासा शुद्ध ताजा पानी गटगट पीने लगता है, उसी प्रकार किताब देखकर उसे पढ़ने की चेतना मन में आती थी।
प्रश्न 24. लेखक ने पढ़ने के आनंद का वर्णन भावुकता के साथ किया है। यह क्या स्पष्ट करता है?
उत्तर- लेखक ने पढ़ने के आनंद का भावुकता के साथ वर्णन किया है। उसने किताब पढ़ने को प्यास की संज्ञा दी है। वह बहुत ध्यान से पढ़ता रहता था तथा बत्ती को उठाने की जहमत भी नहीं उठाता था।
प्रश्न 25. लेखक का मन और अधिक पढ़ने की ओर आकर्षित क्यों होता था?
उत्तर- नए विचारों के मस्तिष्क में प्रवेश से उसका मन और अधिक पढ़ने की ओर आकर्षित होता था।
प्रश्न 26. कितागावा उतामारो कौन था?
उत्तर- कितागावा उतामारो 1753 ई० में एदो में पैदा हुआ एक प्रसिद्ध चित्रकार था ।
प्रश्न 27. कितागावा ने किस प्रकार की चित्रकला शैली में योगदान दिया?
उत्तर- उसने उकियो (तैरती दुनिया के चित्र ) नामक एक नई चित्रकला शैली में अहम योगदान दिया।
प्रश्न 28. उकियो चित्रकला शैली में किस प्रकार चित्र बनाये जाते थे?
उत्तर- इस शैली में चित्रकार विषय की रूरपेखा बनाते थे। इसके बाद हुनरमंद वुडब्लॉक शिल्पी चित्रकार द्वारा बनाई गई रूपरेखा को तख़्ती पर चिपकाकर उसकी आकृति को उकेर लेते थे। इस प्रक्रिया में मूल आलेख तो गायब हो जाता था, पर उसकी छपी नकल बच जाती थी।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. इस तथ्य के समर्थन में प्रमाण दीजिए कि भारत में स्त्रियों के जीवन पर मुद्रण संस्कृति का गहरा प्रभाव पड़ा।
उत्तर- उन्नीसवीं शताब्दी के दौर में मुद्रण संस्कृति के उत्थान ने स्त्रियों के सामाजिक जीवन को उन्नयन करने में विशेष अवदान किया। मुद्रणालय ने सूचनाओं, ज्ञान के उन्मेष और विचारों को स्त्रियों तक पहुँचाने में सहायता की, जिनको पाने में वे पहले असमर्थ रहती थीं। नारी संबंधी पत्रिकाओं, समाचार-पत्रों व पुस्तकों ने ऐसा मंच उपलब्ध करा दिया जहाँ पर स्त्रियाँ अपने विचार, सिद्धांत व तौर-तरीकों को विभिन्न सामाजिक विचारों के संबंध में रख सकती थी जैसे शिक्षा, स्त्री-पुरुष समानता, स्त्री अधिकार और सामाजिक सुधार।
(i) उदारवादी सोच रखने वाले पतियों और पिताओं ने स्त्री जाति को घर पर शिक्षा देना शुरू कर दिया और स्कूल भी भेजने लगे।
पूर्वी बंगाल में एक अत्यंत पुरातनपंथी परिवार की नयी नवेली वधू रशसुन्दरी देवी ने चुपके-चुपके अपनी रसोई में पढ़ना सीखा और अपनी आत्मकथा ‘हमारा जीवन वर्ष 1876 में लिखी। पूरे विस्तार से बंगाली भाषा में लिखी गयी यह पहली आत्मकथा थी।
(ii) कैलाशवासिनी देवी जैसी बंगाली स्त्रियों ने अपने अनुभवों के आधार पर पुस्तकों को लिखा स्त्रियाँ किस प्रकार घर में कैद रहती हैं. उन्हें अनदेखा किया जाता है, घर के दुष्कर कार्य करने को मजबूर किया जाता है, अपने परिवारों में उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है आदि।
(iii) महाराष्ट्र में ताराबाई शिंदे और पंडता रमाबाई ने पूरे रोष के साथ स्त्रियों की व्यथा को लिखा विशेष रूप से वैधव्य का जीवन व्यतीत करने वाली स्त्रियाँ।
(iv) एक तमिल उपन्यास में एक स्त्री पात्र बताती है कि पढ़ाई उनके लिए क्या महत्त्व रखती है, जो पहले सामाजिक नियमों में बँधी होती थीं- “अनेक कारणों से मेरा सीमित संसार है…………..मेरे जीवन की आधे से अधिक खुशियाँ पुस्तकों के कारण आयी हैं ………….l”
इस प्रकार मुद्रणालय ने पुनर्जागरण का कार्य किया और सामाजिक जागरूकता उत्पन्न की। नारी शक्ति को बल मिला और वह अपने अधिकारों के प्रति सजग व सबल हुई।
प्रश्न 2. गुटेनबर्ग कौन था? वह क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर – गुटेबर्ग का पूरा नाम योहान गुटेबर्ग था। इसका नाम इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि इसने सन् 1448 में प्रिंटिंग प्रेस का निर्माण किया। गुटेनबर्ग की तकनीक आगामी 300 वर्षों तक मुद्रण की आधारभूत तकनीक बनी रही।
गुटेनबर्ग ने अपने प्रेस में प्रथम पुस्तक ‘बाइबिल’ छापी थी। इसने तीन वर्षों में बाइबिल की 180 प्रतियाँ छापीं, जो उस समय के अनुसार बहुत तेज छपाई थी।
प्रश्न 3. मार्टिन लूथर कौन थे? इनका मुख्य योगदान क्या था?
उत्तर- मार्टिन लूथर एक धर्म-सुधारक थे। धर्म के क्षेत्र में इनका मुख्य योगदान यह है कि इन्होंने कैथोलिक चर्च की कुरीतियों की आलोचना करते हुए अपनी ‘पिच्चानवे स्थापनाएँ लिखकर उनका मुद्रण करवाया, जिससे धर्म सुधार के क्षेत्र में क्रांति का दौर प्रारंभ हुआ।
प्रश्न 4. मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में क्या योगदान दिया?
उत्तर- मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में निम्न प्रकार योगदान दिया-
(1) मुद्रण संस्कृति से भारतीय महिलाओं को लाभ हुआ। उनमें जागृति उत्पन्न हुई। कई महिलाओं ने अपनी जीवनगाथा/आत्मकथाओं को लिखा और प्रकाशित कराया। उनमें राष्ट्र के प्रति जागरूकता आई ।
(2) गरीबों ने अपने प्रिय नेताओं अंबेडकर पेरियार, फुले आदि के विचारों को अपने निकट पाया। सस्ती पुस्तकों के प्रकाशन से गरीब पाठकों की संख्या में वृद्धि हुई।
(3) 19वीं सदी के भारतीय सुधारकों ने अपने सुधारवादी विचारों को फैलाने के लिए मुद्रण संस्कृति को सबसे कारगर माध्यम के रूप में प्रयोग किया। मुद्रण संस्कृति ने उन्हें धार्मिक अंधविश्वासों को तोड़ने और आधुनिक, सामाजिक और राजनीतिक विचारों को फैलाने का मंच प्रदान किया।
प्रश्न 5. कुछ लोग किताबों की सुलभता को लेकर चिंतित क्यों थे? यूरोप और भारत से एक-एक उदाहरण लेकर समझाएँ।
उत्तर- कुछ लोग पुस्तकों की सुलभता को लेकर अत्यंत चिंतित थे क्योंकि-
(1) उन्हें डर था कि इनसे विद्रोह और अधार्मिक विचारों का प्रस्फुटन होगा।
(2) यूरोप में रोमन कैथोलिक चर्च ने प्रतिबंधित पुस्तकों की सूची बनाकर उन्हें मुद्रण से रोकने का प्रयास किया।
(3) भारत में वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट ने भारतीय प्रेस और बहुत- से स्थानीय समाचार पत्रों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित के कारण दें-
(1) वुडब्लॉक प्रिंट या तख्ती की छपाई यूरोप में सन् 1295 के बाद आई।
(2) मार्टिन लूथर मुद्रण के पक्ष में थे और उन्होंने इसकी खुलेआम प्रशंसा की।
(3) रोमन कैथोलिक चर्च ने सोलहवीं सदी के मध्य से प्रतिबंधित किताबों की सूची रखनी शुरू कर दी।
(4) महात्मा गांधी ने कहा कि स्वराज की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेम और सामूहिकता के लिए लड़ाई है।
उत्तर- (1) सन् 1295 में मार्को पोलो नामक महान खोजी यात्री चीन में काफी वर्षों तक खोज करने के बाद इटली वापस लौटा। चीन के पास वुडब्लॉक (काठ की तख्ती) वाली छपाई की तकनीक पहले से ही मौजूद थी। मार्को पोलो यह ज्ञान अपने साथ लेकर लौटा। इसके बाद ही यूरोप में वुड ब्लॉक प्रिंटिंग या तख्ती की छपाई अस्तित्व में आई।
(2) अपने प्रोटेस्टेंट विचारों के प्रकाशन से मार्टिन लूथर ने रोमन कैथोलिक चर्च की कुरीतियों की आलोचना की और उन्हें चुनौती दी। जब उन्होंने न्यू टेस्टामेंट का अनुवाद किया तो अल्प समय में उनकी 5,000 प्रतियाँ बिक गईं प्रिंट तकनीक के बिना यह असंभव था। इसलिए मार्टिन लूथर मुद्रण के पक्ष में थे और उन्होंने इसकी खुलेआम प्रशंसा की।
(3) 16वीं सदी के मध्य से रोमन कैथोलिक चर्च को अनेक मतभेदों का सामना करना पड़ रहा था। लोगों ने अपनी पुस्तकों की रचना कर ली थी। पुस्तकों में ईश्वर और उसकी रचना की उनके द्वारा मनमानी व्याख्याएँ दी गई थीं। इसलिए चर्च ने ऐसी पुस्तकों को प्रतिबंधित कर दिया और इनकी सूची रखी जाने लगी।
(4) गांधी जी के अनुसार बोलने की स्वतंत्रता, प्रेस और संगठन बनाने की आजादी-ये तीन अभिव्यक्तियाँ जनता के विचारों को परिष्कृत करने के सर्वाधिक शक्तिशाली वाहक हैं। इसलिए उन्होंने कहा था कि स्वराज की लड़ाई बोलने की स्वतंत्रता, प्रेस और संगठन बनाने की आजादी की लड़ाई है।
प्रश्न 2. प्रिंटिंग प्रेस के आविष्कार के पश्चात् प्रकाशित पुस्तकों ने यूरोपीय समाज में क्या बदलाव किए?
उत्तर- सत्रहवीं और अठारहवीं सदी की अवधि में यूरोप के अधिकांश भागों में साक्षरता के प्रति रुझान बढ़ता गया। अलग-अलग संप्रदाय के चर्चों ने गाँवों में स्कूल स्थापित किए और किसानों कारीगरों को शिक्षित करने लगे। अठारहवीं सदी के अंत तक यूरोप के कुछ भागों में तो साक्षरता दर 60 से 80 प्रतिशत तक हो गई थी। यूरोपीय देशों में साक्षरता और स्कूलों के प्रसार के साथ लोगों में पढ़ने का जैसे जुनून पैदा हो गया। लोगों को पुस्तकें चाहिए थीं, इसलिए मुद्रक अधिक-से- अधिक पुस्तकें छापने लगे।
नए पाठकों की रुचि को दृष्टिगत रखते हुए विभिन्न प्रकार का साहित्य छपने लगा। पुस्तक विक्रेताओं ने गाँव-गाँव जाकर छोटी-छोटी पुस्तकों को बेचने वाले फेरीवालों को काम पर लगाया। ये पुस्तकें मुख्यतः पंचांग के अलावा लोक-गाथाएँ और लोक-गीतों की हुआ करती थीं। पुस्तकें मनोरंजन प्रधान सामग्री के रूप में साधारण पाठकों तक पहुँचने लगीं। इंग्लैंड में पेनी चैपबुक्स या एकपैसिया किताबें बेचने वालों को चैपमैन कहा जाता था। इन पुस्तकों को गरीब लोग भी खरीदकर पढ़ सकते थे। फ्रांस में बिब्लियोथीक ब्ल्यू का चलन था, जो सस्ते कागज पर छपी और नीली जिल्द में बँधी छोटी पुस्तकें हुआ करती थीं। इसके अलावा चार-पाँच पन्ने की प्रेम कहानियाँ और अतीत की छोटी गाथाएँ थीं, जिन्हें ‘इतिहास’ कहते थे।
अठारहवीं सदी के आरंभ में पत्रिकाओं का प्रकाशन प्रारंभ हुआ, जिनमें समसामयिक घटनाओं की खबर के साथ मनोरंजन भी परोसा जाने लगा। अखबार और पत्रों में युद्ध और व्यापार से संबंधित जानकारी के अलावा दूर देशों की खबरें होती थीं।
अब वैज्ञानिक और दार्शनिक भी साधारण जनता की पहुँच के बाहर नहीं रहे। प्राचीन व मध्यकालीन ग्रंथ संकलित किए गए और नक्शों के साथ-साथ वैज्ञानिक खाके भी बड़ी मात्रा में छापे गए। जब आइजैक न्यूटन जैसे वैज्ञानिकों ने अपने आविष्कार प्रकाशित करने प्रारंभ किए तो उनके लिए विज्ञान-बोध में रुचि रखने वाला एक बड़ा पाठक वर्ग तैयार हो चुका था। टॉमस पेन, वॉल्टेयर और ज्याँ जाक रूसो जैसे दार्शनिकों की पुस्तकें भी अधिक संख्या में छापी और पढ़ी जाने लगीं। स्पष्ट है कि विज्ञान, तर्क और विवेकवाद के उनके विचार लोकप्रिय साहित्य में भी स्थान पाने लगे।
मानचित्र कार्य (भारत और समकालीन विश्व – 2 )
प्रश्न 1. (i) दिए गए भारत के राजनीतिक रेखामानचित्र में संख्या 1 द्वारा उस स्थान को दिखाया गया है, जहाँ सन् 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। इस स्थान की पहचान कीजिए और उसका सही नाम मानचित्र पर खींची गई रेखा पर लिखिए।
अथवा
वह स्थान जहाँ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दिसम्बर 1920 में अधिवेशन हुआ।
अथवा
इस स्थल पर वर्ष 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन आहूत किया गया था।

(ii) भारत के इसी मानचित्र में उस राज्य को छायांकित कीजिए और उसका नाम लिखिए जहाँ से ‘कर न देने का अभियान शुरू हुआ था।

उत्तर- (i) कलकत्ता (ii) गुजरात |
प्रश्न 2. भारत के रेखामानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए-
(i) वह स्थान जहाँ 1919 ई० में जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ।
(ii) वह स्थान जहाँ महात्मा गांधी का जन्म हुआ।
(iii) वह स्थान जहाँ महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम की स्थापना की।
(iv) सविनय अवज्ञा आंदोलन का मुख्य केंद्र।
(v) गांधी जी द्वारा नमक कानून का उल्लंघन ।

उत्तर- (i) अमृतसर
(ii) पोरबंदर
(iii) साबरमती
(iv) दांडी
(v) दांडी
(vi) इलाहाबाद
(vii) चंपारन
(viii) चौरी-चौरा
(ix) नई दिल्ली
(x) कलकत्ता ।