Chapter 5 Change and Development in Industrial Society (Hindi Medium)

[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. अपने आसपास वाले किसी भी व्यवसाय को चुनिए और उसका वर्णन निम्नलिखित पंक्तियों में दीजिएः
(क) कार्य शक्ति का सामाजिक संगठन-जाति, लिंग, आयु, क्षेत्र।
(ख) मज़दूर प्रक्रिया-काम किस तरह से किया जाता है।
(ग) वेतन तथा अन्य सुविधाएँ
(घ) कार्यावस्था – सुरक्षा, आराम का समय, कार्य के घंटे इत्यादि।
उत्तर-

  1. 1990 के दशक से सरकार ने उदारीकरण की नीति को अपनाया। निजी कंपनियों, विशेष तौर से विदेशी कंपनियाँ उन क्षेत्रों में निवेश करने के लिए आगे आईं, जो पहले सरकार के लिए आरक्षित थीं।
  2. सामान्यतः लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ। ऐसा विज्ञापन अथवा रोजगार कार्यालयों के माध्यम से संभव हो पाया। औद्योगिक क्षेत्रों में पुरुष तथा महिलाएँ दोनों ही काम करते हैं। जो लोग उद्योगों में काम करते हैं, वे वेतन के अतिरिक्त भी कुछ लाभ; जैसे-मकान भत्ता, चिकित्सा भत्ता आदि प्राप्त करते हैं।
  3. कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों की नियुक्ति की प्रक्रिया में परिवर्तन आया। पिछले कई वर्षों से श्रमिकों का काम ठेकेदारों के मार्फत प्राप्त होता था। कानपुर व कपड़ा मिल में इस तरह के लोगों को मिस्त्री कहा जाता था। वे लोग भी कामगार होते थे। वे कामगारों के क्षेत्र तथा समुदाय के लोग होते थे। किंतु मालिकों के कृपापात्र होने के कारण वे कामगारों पर अपना वर्चस्व दिखाते थे।
  4. मिस्त्री कामगारों पर सामाजिक दबाव भी बनाते थे। अब इन लोगों का महत्व खत्म हो गया है। अब प्रबंधन तथा श्रम संगठनों के सहयोग से कामगारों की नियुक्ति होती है।
  5. कामगारों की यह भी इच्छा रहती है कि वह अपने बाद अपने बच्चों को काम पर लगवा दें। बहुत सारी फैक्टरियाँ स्थायी कर्मचारियों के स्थान पर बदले कर्मचारियों की नियुक्ति करती हैं। बहुत सारे बदली कर्मचारी वस्तुतः कई वर्षों से एक ही कंपनी में काम करते हैं, किंतु फिर भी उन्हें, स्थायी नहीं किया जाता। इसे संगठित क्षेत्र में अनुबंध का काम। कहते हैं।
  6. निर्माण क्षेत्रों में तथा ईंट भट्टा उद्योगों में ठेकेदारी व्यवस्था के अंतर्गत काम करने वाले अस्थायी कामगारों को देखा जा सकता है। ठेकेदार गाँव में जाकर वहाँ के लोगों से काम के बारे में पूछते हैं। वे उन्हें कुछ पैसे उधार दे देते हैं। इस उधार दिए गए पैसे में काम करने के स्थान पर आने-जाने का परिवहन व्यय भी शामिल होता है।
  7. इन उधार दिए गए पैसों को अग्रिम मजदूरी के तौर पर माना जाता है तथा जब तक इस उधार को चुकता नहीं कर दिया जाता, तब तक मजदूरी नहीं दी जाती है। पहले भूस्वामियों के द्वारा कृषि श्रमिकों को ऋण के जाल में फँसाया जाता था। अब औद्योगिक क्षेत्र में अस्थायी मजदूर के रूप में वे पुनः ऋण के जाल में फँस गए। वे ठेकेदारों से किसी अन्य सामाजिक सरोकारों से नहीं जुड़े होते हैं। इस अर्थ में वे औद्योगिक समाज में ज्यादा स्वच्छंद हैं। वे अपना अनुबंध तोड़ सकते हैं तथा अपना रोजगार हूँढ सकते हैं। कभी-कभी तो पूरा परिवार ही काम की तलाश में बाहर चला जाता है। तथा बच्चे अपने माता-पिता ही मदद करते हैं।
  8. आज जहाँ तक उद्योगों में श्रम शक्ति के सामाजिक बनावट का प्रश्न है, औद्योगिक क्षेत्र में 15-60 वर्ष तक के सभी जाति तथा लिंगों के लोग काम करते हैं। देश के कुछ हिस्सों में दूसरे-क्षेत्रों की तुलना में अधिक उद्योग हैं।
  9. विभिन्न श्रमिकों को विभिन्न उद्योगों में उनकी योग्यता, अनुभव, उम्र तथा कार्य की जोखिम के दृष्टिगत कार्य का समय अलग-अलग निर्धारित होता है। अनुबंध की सेवा-शर्तों के अधीन ठेका श्रमिकों को एक निश्चित मज़दूरी दी जाती है। असंगठित क्षेत्रों की तुलना में संगठित क्षेत्र में वेतन तथा अन्य भत्ते ज्यादा मिलते हैं।
  10. औद्योगिक श्रमिकों की कार्य-दशाओं में सुधार के लिए भारत सरकार ने कई कानून बनाए हैं। सन् 1952 के खान अधिनियम में एक सप्ताह में एक कामगार द्वारा किसी उद्योग में काम करने के कुल घंटों को परिभाषित किया गया है। औद्योगिक श्रमिकों को निर्धारित समयाविधि के बाद काम करने के बदले में अतिरिक्त भुगतान की व्यवस्था का प्रावधान है। इन नियमों का पालन बड़ी कंपिनयों के द्वारा तो किया जाता है किंतु छोटी कंपनियाँ इनकी अवहेलना करती हैं। इसके अलावा उप-अनुबंध भी आजकल फैल रहा है।
  11. भूमिगत खानों में काम करने वाले मजदूर बेहद जोखिम भरी स्थितियों में काम करते हैं। इनके सामने बाढ़, आग, खान की दीवारों तथा छतों को गिरना, गैसों का उत्सर्जन तथा ऑक्सीजन की कमी का खतरा हमेशा रहता है। बहुत से कामगारों को साँस लेने में कठिनाई होती है तथा कई प्रकार की बीमारियों का खतरा रहता है।

प्र० 2. ईंटें बनाने के, बीड़ी रोल करने के, सॉफ्टवेयर इंजीनियर या खदान के काम जो बॉक्स में वर्णित किए गए हैं, के कामगारों के सामाजिक संघटन का वर्णन कीजिए। कार्यावस्थाएँ कैसी हैं और उपलब्ध सुविधाएँ कैसी हैं? मधु जैसी लड़कियाँ अपने काम के बारे में क्या सोचती हैं?
उत्तर-

प्र० 3. उदारीकरण ने रोजगार के प्रतिमानों को किस प्रकार प्रभावित किया है?
उत्तर-

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