(I) छोटा मेरा खेत
(II) बगुलों के पंख
उमाशंकर जोशी
अभ्यास
कविता के साथ
- छोटे चौकोने खेत को कागज का पन्ना कहने में क्या अर्थ निहित है?
उत्तर कवि रचना-कर्म की तुलना कृषि-कर्म से करता है। वह कागज के पन्ने को चौकोने खेत की संज्ञा देता है। कवि का मानना है कि खेत में जिस प्रकार बीज, जल, रसायन इत्यादि डालने के बाद उपज प्राप्त की जाती है, उसी प्रकार रचना भाव, कल्पना इत्यादि के कारण अस्तित्व में आती है। शब्द रूपी बीज को खेत रूपी कागज के पन्ने पर डालने के साथ अंधड़ रूपी भावनाएँ तथा कल्पना रूपी रसायन के सह अस्तित्व की जरूरत होती है। इसके बाद ही रचना अपना स्वरूप ग्रहण कर पाती है।
- रचना के संदर्भ में 'अंधड़' और 'बीज' क्या है?
उत्तर कवि रचना के संदर्भ में 'अंधड़' को वेगात्मक संवेदना मानता है। यह भाव का वह झोंका है, जो काव्य-प्रेरणा के रूप में कविता के सृजन के लिए कवि को मजबूर कर देता है।
'बीज' रचना के संदर्भ में 'शब्द' हैं, मन में जगे किसी निश्चित विषय-वस्तु से संबंधित शब्द, जिनको कागज के पन्नों पर बिखेरकर कवि रचना की प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है। वह बिंबों-प्रतीकों के माध्यम से संरचनात्मक दृश्य तैयार करता है, जिससे काव्य-सृजन संभव हो पाता है।
- 'रस का अक्षयपात्र' से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है?
उत्तर कवि ने रचना को 'रस का अक्षय पात्र' कहा है। कवि मानता है कि रचना कर्म तथा कृषि कर्म में गुण-साम्य है, किंतु यह गुण साम्य फसल के पकने तथा रचना के पूर्ण होने तक का ही है। एक ओर जहाँ फसल सीमित समय तक ही रस
तथा स्वाद प्रदान करने में सक्षम होती है, वहीं रचना अनंतकाल तक पाठकों को आनंद प्रदान करने में सक्षम होती है। कवि रचना को 'रस का अक्षयपात्र' कहता है तो इसमें रचना कर्म की तमाम विशेषताएँ सामने आ जाती हैं, जिससे संवेदना, भाव तथा कल्पना को नई दिशा मिलती है।
- व्याख्या करें
- शब्द के अंकुर फूटे, पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।
- रोपाई क्षण की, कटाई अनंतता की लुटते रहने से जरा भी नहीं कम होती।
उत्तर (1) जब कवि के मन में भाव जाग्रत हुआ तब वह बीज के रूप में रोपा गया। जब उसमें विचारों के रसायन मिले तब उसमें धीरे-धीरे शब्द रूपी अंकुर फूटे। अंकुर फूटने पर वह पौधा पल्लव-पुष्पों के भार से झुक गया। उसी प्रकार शब्द के अंकुरित होने पर उसमें काव्य के अनेक गुण आ गए एवं कविता स्वयं अभिव्यक्ति के योग्य हो गई। वह रस, छंद, अंलकार, ध्वनि, कल्पना, बिंब, विचारों के पल्लव पुष्पों से युक्त होकर एक संपूर्ण कविता का रूप धारण कर प्रस्तुत हो गई।
(2) फसल की रोपाई तो क्षणभर में संपन्न की जाती है। उसी प्रकार विचारों की अभिव्यक्ति कवि के द्वारा कागज पर कर दी जाती है। किंतु कविता रूपी फसल की कटाई तो अनंतकाल तक चलती रहती है। इसका रस और आनंद असीमित होता है। यह तो वह अक्षयपात्र है जिसका रस जितना लुटाओ, वह कम नहीं होता। एक प्रकार से कविता कालजयी होती है। वह पाठकों को अनंतकाल तक आनंद प्रदान करती रहती है।
कविता के आस-पास
- शब्दों के माध्यम से जब कवि दृश्यों, चित्रों, ध्वनि-योजना अथवा रूप-रस-गंध को हमारे ऐन्द्रिक अनुभवों में साकार कर देता है तो बिंब का निर्माण होता है। इस आधार पर प्रस्तुत कविता से बिंब की खोज करें।
उत्तर दृश्य बिंब
- छोटा मेरा खेत चौकोना
- कागज का एक पन्ना
- कोई अंधड़ कहीं से आया
- शब्द के अंकुर फूटे
(I) छोटा मेरा खेत (II) बगुलों के पंख
- पल्लव पुष्पों से नमित
- सूमने लगे फल
- अमृतधाराएँ फूटतीं
- नम पाँते बँधे बगुलों की पाँखें
- कजरारे बादलों की छाई नभ छाया
- तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया
- जहाँ उपमेय में उपमान का आरोप हो, रूपक कहलाता है। इस कविता में से रूपक का चुनाव करें।
उत्तर छोटा मेरा खेत चौकोना।
कागज का एक पन्ना। | (कागज में खेत का आरोपण) |
कल्पना के रसायनों को पी। | (कल्पना रूपी रसायन) |
शब्द के अंकुर फूटे। | (शब्द रूपी अंकुर) |
कला की बात
- बगुलों के पंख कविता को पढ़ने से आपके मन में कैसे चित्र उभरते हैं? उनकी किसी भी अन्य कला माध्यम में अभिव्यक्ति करें।
उत्तर 'बगुलों के पंख' कविता का सौंदर्य अद्भुत है। यह लोक जीवन तथा परंपरागत सौंदर्य से जुड़ा है। काले बादलों से ढके आकाश में गुजरते बगुलों के पंख मानो एक जीवंत चित्र उपस्थित करते हैं। यह मूल सौंदर्य को उभारते हैं। काले बादलों के बीच उड़ते सफेद बगुलों से साँझ का वह दृश्य सामने आता है, जब उड़ते बगुले अपने निवास स्थान की ओर चल पड़ते हैं। इस गतिशील सौंदर्य को स्थिर चित्र के रूप में देखना आँखों को जादू से बाँध लेना है।