Poem 1 The Ant and the Cricket

कविता के बारे में :

एक फेबल एक ऐसी कहानी होती है जिसमें जीवजन्तु अक्सर पात्र के रूप में होते हैं जो कुछ-न-कुछ सबक सिखाते. हैं । यह कविता जो चींटी व झींगुर के बारे में है, एक दूरगामी महत्त्व का विचार प्रस्तुत करती है जो कि जितना चार टाँगों वाले झींगुर के बारे में सत्य है उतना ही दो टाँगों वालों (अर्थात् मनुष्यों) के बारे में भी सत्य है। निश्चित ही, आपने एक ऐसा झींगुर अवश्य देखा है जिसके दो टाँगें हैं अर्थात् मनुष्य!

कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद

A silly young ……………… cricket, “of me”? (Page 21)

कठिन शब्दार्थ-silly (सिलि) = नासमझ, cricket (क्रिकिट) = झींगुर, accustomed to (अकसटॅम्ड टु) = अभ्यस्त/आदी होना, warm (वॉर्म) = गरम, sunny (सनि) = धूपदार, gay (गे) = प्रफुल्लित, summer (समर) = ग्रीष्म ऋतु, spring (स्प्रिंग) = वसंत ऋतु, complain (कॅमप्लेन) = शिकायत, cupboard (कबॅड) = अलमारी, empty (एम्पटि) = रिक्त, crumb (क्रम) = टुकड़ा, snow-covered (स्नो-कवर्ड) = बर्फ से ढके, leaf (लीफ) = पत्ता।।

हिन्दी अनवाद –

एक नामसझ युवा झींगर प्रफुल्लित वसंत व ग्रीष्मकाल के गरम, धूपदार महीनों के दौरान केवल गाते रहने का आदी बना रहा किन्तु जब शीत ऋतु आई तो उसने पाया कि उसकी अलमारी रिक्त थी। बर्फ से आच्छादित जमीन पर भी खाने को एक टुकड़ा भी नहीं था। उसे वृक्ष पर कोई फूल भी दिखाई नहीं दिया और न ही एक पत्ता भी। तब झींगुर शिकायत करने लगता है और कहता है कि अरे! अब मेरा क्या होगा?

भावार्थ-मनुष्य को अच्छे समय को केवल मौज-मस्ती में ही व्यतीत नहीं कर देना चाहिए। ऐसा करने पर उसके समस्त धन का अपव्यय हो जाता है और वह खाली हो जाता है। जब कष्ट आता है तब उसे महसूस होता है कि उसके पास धन रूपी सहारा या सामर्थ्य नहीं है। अतः उसके पास पछताने के अतिरिक्त कोई विव

At last by ……………………………….. and sorrow. (Page 21)

कठिन शब्दार्थ-starvation (स्टारवेशन) = भूख, famine (फैमिन) = अकाल, bold (बोल्ड) = साहसी, dripping (ड्रिपिंग) = तरबतर, wet (वेट) = बरसात, trembling (ट्रेम्बलिंग) = काँपना, cold (कोल्ड) = सर्दी, set off (सेट ऑफ) = रवाना हुआ, miserly (माइजुर्लि) = कंजूस, ant (ऐन्ट) = चींटी, grant (ग्रान्ट) = प्रदान करना, shelter (शेल्टर) = शरण, mouthful (माउथफुल) = मुँहभर, grain (ग्रेन) = दाने, wished (विश्ट) = चाहा, borrow (बॉरो) = उधार लेना, repay (रिपे) = वापिस दे देना, die (डाई) = मर जाना, sorrow (सॉरो) = दु:ख/कष्ट।

हिन्दी अनुवाद-आखिरकार भूख व अकाल ने उसे साहसी बनाया, वह बरसात से पूरी तरह तरबतर हो गया और सर्दी से पूरी तरह काँपने लगा फिर भी वह एक कंजूस चींटी से मिलने रवाना हुआ ताकि उसे (झींगुर को) जीवित रखने के लिए वह (चींटी) उसे बरसात में शरण प्रदान कर दे और खाने को मुँहभर दाने दे दे। यह भी उसने (झींगुर ने) उधार चाहा था। वह इस ऋण को कल वापिस कर देगा। यदि चींटी ने सहायता नहीं दी तो वह भूख तथा कष्ट से अवश्य मर जायेगा। ” भावार्थ-भूख व अभाव किसी को भी संघर्षशील बना देते हैं। कष्ट में दूसरों से मदद का प्रयास करना चाहिए| किन्तु कंजूस से कभी नहीं।

Says the ant …………….. some have two. (Page 22)

कठिन शब्दार्थ – lend (लेन्ड) = उधार देना, lay by (ले बाइ) = बचत करना, weather (वेदर) = मौसम, quoth (क्वॉथ) = कहा, heart (हार्ट) = हृदय, light (लाइट) = हल्का /प्रसन्न, hastily (हेस्टिलि) = शीघ्रता से, lifted (लिफ्टिड) = उठाया, wicket (विकिट) = चक्रद्वार/छोटा दरवाजा, poor (पुअर) = बेचारे, folks (फॉक्स) = मैत्रीभाव से सम्बोधित करने का शब्द, warrant (वॉरेन्ट) = साबित करना।

हिन्दी अनुवाद –

चींटी झींगुर से कहती है “मैं आपकी सेवक व मित्र हूँ, किन्तु हम चींटियाँ न तो कभी उधार लेते हैं व हम न ही कभी उधार देते हैं। किन्तु प्रिय झींगुर मुझे यह बताएँ कि जब मौसम गरम (अच्छा) था तब आपने क्या कुछ बचाकर नहीं रखा?” झींगुर ने कहा, “मैंने बचाकर नहीं रखा। मेरा हृदय इतना हल्का (प्रसन्न) था कि मैं दिन और रात गाता ही रहा क्योंकि सारी प्रकृति मुझे हर्षित दिखाई दी।””आप गाते ही रहे, श्रीमान्, आप ऐसा ही कह रहे हैं ना?

तो अब भी जाओ”, चींटी ने कहा, “और नाच-नाच कर सर्दी को दूर भगाओ।” – इस प्रकार (वार्ता का) अन्त कर, उसने शीघ्रता से छोटा दरवाज़ा उठाया और बेचारे छोटे से झींगुर को दरवाजे के बाहर कर दिया। फॉक्स (मित्रो) इसे एक फेबल कहें । मैं इसे सत्य साबित करूँगा। कुछ झींगुरों के चार टाँगें होती हैं | और कुछ के दो (टाँगें) होती हैं।

भावार्थ – ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो वर्तमान की खुशी में भविष्य की चिन्ता नहीं करते हैं और लापरवाह बने रहते हैं। साथ ही निर्बल/निर्धन की कोई सहायता नहीं करता है बल्कि उपहास करते हैं। अतः हमें अपने को ही सामर्थ्यवान बनाना चाहिए ताकि माँगना ही न पड़ें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

0:00
0:00