Rajasthan Board RBSE Class 12 Geography Chapter 24 राजस्थान: खनिज व उद्योग
RBSE Class 12 Geography Chapter 24 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
RBSE Class 12 Geography Chapter 24 बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राजस्थान में देश की कुल पशुधन शक्ति का भाग उपलब्ध है –
(अ) 10 प्रतिशत
(ब) 30 प्रतिशत
(स) 35 प्रतिशत
(द) 40 प्रतिशत
उत्तर:
(स) 35 प्रतिशत
प्रश्न 2.
कॉकरेज नस्ल पाई जाती है –
(अ) जालौर
(ब) सिरोही
(स) पाली
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 3.
गोपाल कार्यक्रम उन्नयन हेतु बनाया गया है –
(अ) ऊँट
(ब) घोड़े
(स) गौवंश
(द) भेड़े
उत्तर:
(स) गौवंश
प्रश्न 4.
सर्वाधिक भेड़ें पाई जाती हैं –
(अ) पाली
(ब) नागौर
(स) बीकानेर
(द) जोधपुर
उत्तर:
(द) जोधपुर
प्रश्न 5.
राजस्थान में कितने प्रकार के खनिज मिलते हैं?
(अ) 44 प्रकार के
(ब) 67 प्रकार के
(स) 23 प्रकार के
(द) कोई नहीं
उत्तर:
(द) कोई नहीं
प्रश्न 6.
सीसा-जस्ता उत्पादन की सबसे बड़ी खान है –
(अ) देवारी
(ब) अलवर
(स) खो-दरीबा
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(अ) देवारी
प्रश्न 7.
टंगस्टन का जिले से उत्पादन होता है –
(अ) अजमेर
(ब) नागौर
(स) भीलवाड़ा
(द) सिरोही
उत्तर:
(ब) नागौर
प्रश्न 8.
निम्न में से कौन से जिले औद्योगिक दृष्टि से विकसित हैं –
(अ) जयपुर
(ब) कोटा
(स) श्रीगंगानगर
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 9.
राजस्थान की सर्वप्रथम मिल स्थापित हुई –
(अ) ब्यावर
(ब) किशनगढ़
(स) भीलवाड़ा
(द) पाली
उत्तर:
(अ) ब्यावर
प्रश्न 10.
कृष्णा मिल्स स्थित है –
(अ) अजमेर
(ब) जयपुर
(स) ब्यावर
(द) भीलवाड़ा
उत्तर:
(स) ब्यावर
RBSE Class 12 Geography Chapter 24 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
टंगस्टन किस अयस्क से प्राप्त होता है?
उत्तर:
टंगस्टन ‘वुलफ्रेमाइट’ नामक अयस्क से प्राप्त होता है।
प्रश्न 2.
राजस्थान में कुल कितने प्रकार के खनिजों का दोहन होता है?
उत्तर:
राजस्थान में लगभग 67 (44 प्रधान व 23 गौण) प्रकार के खनिजों का दोहन हो रहा है।
प्रश्न 3.
चंदेरिया किसके लिए प्रसिद्ध है?
उत्तर:
चित्तौड़गढ़ के इस क्षेत्र में एशिया का सबसे बड़ा सुपर जिंक स्मेल्टर संयंत्र ब्रिटेन की सहायता से स्थापित किया गया है।
प्रश्न 4.
राजस्थान मे सतरंगा मार्बल कहाँ मिलता है?
उत्तर:
राजस्थान में सतरंगा मार्बल पाली जिले में पाया जाता है।
प्रश्न 5.
राजस्थान का खनिज भण्डार की दृष्टि से भारत में कौन-सा स्थान है?
उत्तर:
राजस्थान का खनिज भण्डार की दृष्टि से भारत में झारखण्ड के बाद दूसरा स्थान है।
प्रश्न 6.
राजस्थान में कपास के मुख्य उत्पादक जिलों के नाम बताइये।
उत्तर:
राजस्थान में कपास के मुख्य उत्पादक जिले-हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, राजसमंद, उदयपुर, भीलवाड़ा, झालावाड़ है।
प्रश्न 7.
राजस्थान में सर्वप्रथम सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना किस शहर में हुई थी?
उत्तर:
राजस्थान में सर्वप्रथम सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना ‘ब्यावर’ शहर जिला अजमेर में हुई थी।
प्रश्न 8.
सीमेण्ट निर्माण का मुख्य कच्चा माले कौन-सा है?
उत्तर:
सीमेण्ट निर्माण का मुख्य कच्चा माल लाईम स्टोन (चूना-पत्थर) व जिप्सम है।
प्रश्न 9.
गीर नस्ल की गाय किन जिलो में प्रमुखता से पाई जाती है?
उत्तर:
गीर नस्ल की गाय राजस्थान के अजमेर, भीलवाड़ा, पाली व चित्तौड़गढ़ जिलों में मुख्य रूप से पाई जाती है।
प्रश्न 10.
राजस्थान में डेयरी क्षेत्र में श्वेत क्रान्ति की शुरूआत कब हुई?
उत्तर:
राजस्थान में डेयरी क्षेत्र में श्वेत क्रान्ति की शुरूआत 1970 में हुई जिसे आपरेशन पलड के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 11.
गोटा उद्योग के लिए राजस्थान के कौन से जिले प्रसिद्ध हैं?
उत्तर:
गोटा उद्योग के लिए राजस्थान के दो जिलेअजमेर तथा जयपुर विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।
RBSE Class 12 Geography Chapter 24 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राजस्थान को खनिजों का अजायबघर क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
राजस्थान खनिजों की दृष्टि से सम्पन्न राज्य है। यहाँ लगभग 67 प्रकार के खनिजों का विदोहन हो रहा है। खनिज भण्डारों की दृष्टि से यह भारत में द्वितीय तथा उत्पादन की दृष्टि से तृतीय स्थान पर है। खनिजों की बहुलता के कारण राजस्थान को खनिजों को अजायबघर कहा जाता है।
प्रश्न 2.
भारत के कुल उत्पादन में 75 प्रतिशत से अधिक उत्पादन वाले राज्य के खनिजों के नाम बताइये।
उत्तर:
राजस्थान राज्य देश के कुल सीसा एवं जस्ते के संचित भंडार का 89.2 प्रतिशत सुरक्षित रखता है। सीसा एवं जस्ते के उत्पादन में राजस्थान को एकाधिकार प्राप्त है। चांदी का लगभग 80.8 प्रतिशत सुरक्षित भण्डार राजस्थान में है। इसके अलावा बोलेस्टोनाइट, टंगस्टन प्रमुख धात्विक खनिज है। फ्लोराइट, जिप्सम, संगमरमर, एस्बेस्टॉस घीया पत्थर, रॉकफॉस्फेट आदि के उत्पादन में भी राजस्थान को लगभग एकाधिकार प्राप्त है।
प्रश्न 3.
राज्य में ताँबा के प्रमुख उत्पादक जिलों के नाम बताइये।
उत्तर:
ताँबा उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का देश में द्वितीय स्थान है। तांबे की खदानें राजस्थान राज्य के कई जिलों में पाई जाती है। प्रमुख जिले झुन्झून (खेतड़ी सिंघाना), जयपुर (नीम का थाना) तथा अलवर (खौ-दरीबा) है। अन्य जिले भीलवाड़ा (पुर आंगुचा व गुलाबपुरा), उदयपुर (देबारी, सलूम्बर, रेलमगरा) तथा चुरू (बीदासर) महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 4.
राज्य में पेट्रोलियम का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पेट्रोलियम मुख्यत: अवसादी चट्टानों के मध्य संचित रहता है। राजस्थान में पेट्रोलियम मुख्यतः बीकानेर, जैसलमेर, पश्चिमी जोधपुर आदि जिलों में पाया जाता है। बाड़मेर जिले का गुढामलानी क्षेत्र, बाड़मेर-सांचौर बेसिन,जैसलमेर में तनोट, घोटारू, डाडेवाला, सादेवाला मनिहारी टिब्बा व लोंगेवाला तथा पश्चिमी जोधपुर के मयाजलार क्षेत्र में खनिज तेल पाया जाता है। राजस्थान में पेट्रोलियम अन्वेषण, उत्पादन परिशोधन, वितरण तथा परिवहन हेतु राजस्थान स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड का गठन किया गया है।
प्रश्न 5.
राजस्थान में औद्योगिक विकास में बाधक कारण बताइये।
उत्तर:
राजस्थान के औद्योगिक विकास में बाधक प्रमुख कारण निम्न हैं –
- कच्चे माल की अपर्याप्त आपूर्ति।
- ऊर्जा की कमी।
- शुष्क जलवायु।
- विद्युत की अनियमित आपूर्ति।
- पुराने व छोटे आकार की मशीनें।
- पुरानी उत्पादन तकनीकी।
- पूंजी की कमी।
- अप्रशिक्षित व अकुशल श्रमिक।
- परिवहन व यातायात के साधनों की कमी आदि।
प्रश्न 6.
राजस्थान में सीमेण्ट के मुख्य उत्पादक केन्द्रों के नाम बताइये।
उत्तर:
सीमेण्ट उत्पादन में राजस्थान का भारत में द्वितीय स्थान है। राजस्थान में सबसे पहले सीमेण्ट कारखाने की शुरूआत 1915 में ए. सी. सी. कम्पनी द्वारा लाखेरी (बूंदी) में स्थापना के साथ हुई। राजस्थान में सीमेण्ट उत्पादक प्रमुख केन्द्र-चित्तौड़गढ़, डबोक (उदयपुर), चंदेरिया, निम्बाहेड़ा (चित्तौड़गढ़), मोडक (कोटा), ब्यावर (अजमेर), कोटा, रास (पाली), पिण्डवाडा (सिरोही), गोटन (नागौर), खारिया खंगार (जोधपुर) आदि में प्रमुख सीमेण्ट उत्पादक बड़े व मध्यम सीमेण्ट उत्पादक केन्द्र हैं। गोटन में जे. के. ह्वाइट सीमेण्ट तथा खारिया खंगार (भोपालगढ़-जोधपुर) में बिरला ह्वाइट सीमेण्ट के कारखाने हैं।
प्रश्न 7.
राज्य में डेयरी विकास के कार्यक्रम का नाम बताइये।
उत्तर:
राजस्थान में राजस्थान को-आपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड की स्थापना की गयी है। यहाँ डेयरी विकास कार्यक्रम सहकारी समितियों के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत दिसम्बर 2012 तक 12631 प्राथमिक दुग्ध उत्पादक प्राथमिक संघों एवं राज्य स्तर पर शीर्षस्थ संस्थान सहकारी डेयरी फेडरेशन लिमिटेड जयपुर से सम्बद्ध किया गया है। आर. सी. डी. एफ की स्थापना 1973 में की गयी थी। इस संस्था द्वारा पौष्टिक पशु आहार उपलब्ध कराया जाता है। डेयरी फेडरेशन द्वारा घी, मक्खन, पनीर, दुग्ध, पाउडर, दही, आइसक्रीम आदि उत्पादों का उत्पादन किया जा रहा है।
RBSE Class 12 Geography Chapter 24 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राजस्थान के प्रमुख धात्विक खनिजों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वे खनिज जिनसे धातुएँ प्राप्त होती हैं, धात्विक खनिज कहते हैं। राजस्थान में प्राप्त होने वाले प्रमुख धात्विक खनिज ताँबा, सीसा-जस्ता, टंगस्टन तथा चांदी हैं।
1. ताँबा:
ताँबा उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का देश में द्वितीय स्थान है। राजस्थान में ताँबा शोधन का प्लाण्ट ‘हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड खेतड़ी’ में लगा है।
ताँबा उत्पादक क्षेत्र:
ताँबा उत्पादक प्रमुख जिले झुन्झुनू (खेतड़ी-सिंघाना) जयपुर (नीम का थाना) तथा अलवर (खो दरीबा) हैं। अन्य खदाने भीलवाड़ा तथा उदयपुर एवं चूरू जिलों में मिलती हैं। उपयोग-ताँबे का उपयोग विद्युत उपकरण व तार तथा रसायन उद्योग में किया जाता है।
2. सीसा-जस्ता:
सीसा तथा जस्ता के उत्पादन में राजस्थान का एकाधिकार है। देश के कुल संचित भण्डार का 89.2 प्रतिशत राजस्थान में प्राप्त होता है।
प्रमुख उत्पादक क्षेत्र:
राजस्थान में सीसा-जस्ता उदयपुर में जावर, राजसमंद में राजपुरा दरीबा तथा भीलवाड़ा में रामपुरा-आंगुंची तथा गुलाबपुरा से प्राप्त होता है। इसके अलावा सवाई माधोपुर में चौथ का बरवाड़ा व अलवर में गूढ़ा किशोरीवदस प्रमुख क्षेत्र हैं। सर्वाधिक उत्पादन जावर क्षेत्र में होता है। देबारी (उदयपुर से 10 किमी. दूर) में निजी क्षेत्र में हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड कारखाना स्थापित है। चंदेरिया (चित्तौड़गढ़) से सुपर जिंक स्मेल्टर संयन्त्र ब्रिटेन की सहायता से स्थापित किया गया है।
3. टंगस्टन:
यह सामरिक महत्व का खनिज है। देश के कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत टंगस्टन राजस्थान से प्राप्त होता है।
प्रमुख उत्पादक क्षेत्र:
रजिस्थान में टंगस्टन के जमाव मुख्यतः नागौर जिले के डेगाना के रेवत व भाकरी व सिरोही जिले के बाल्दा क्षेत्र में पाया जाता है इसके अलावा डूंगरपुर जिले के अमरतिया, उदयपुर जिले के कुण, पाली जिले के बराठिया व अजमेर जिले के लादेरा-सांकुण क्षेत्रों में टंगस्टन के जमाव पाये जाते हैं।
4. चांदी:
राजस्थान में देश के कुल चांदी उत्पादन का 80.8 प्रतिशत सुरक्षित भण्डार है। 2009-10 में चांदी का उत्पादन 47682 किग्रा. था।
प्रमुख उत्पादन क्षेत्र:
राजस्थान में चांदी उत्पादक प्रमुख क्षेत्र उदयपुर के पास की जावर की खाने वे जावर माला की पहाड़ियां है। हिन्दुस्तान जिंक स्मैल्टर में सीसा-जस्ता के मिश्रण से चांदी को अलग किया जाता है।
प्रश्न 2.
राजस्थान में सूती वस्त्र उद्योग का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग राजस्थान का परम्परागत व पारम्परिक उद्योग है। अधिकांश ग्रामीण जनसंख्या इस उद्योग में लगी है। राजस्थान की प्रथम सूती मिल ‘दि कृष्णा मिल्स लिमिटेड ब्यावर में 1889 में सेठ दामोदर दास व्यास द्वारा निजी क्षेत्र में स्थापित की गयी थी। इसके पश्चात् कई अन्य सूती मिलें स्थापित हुई। राजस्थान की सबसे बड़ी सूती वस्त्र मिल्स महाराजा उम्मेद सिंह मिल्स है।
राजस्थान की प्रमुख सूती मिलें:
राजस्थान की अधिकांश सूती मिलें किशनगढ़, विजयनगर, गुलाबपुरा, जयपुर, भवानीमण्डी, कोटा, उदयपुर, भीलवाड़ा व बांसवाड़ा आदि केन्द्रों पर स्थापित की गयी है। भीलवाड़ा वस्त्र उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का मैनचेस्टर व वस्त्र नगरी कहलाता है। राजस्थान की प्रमुख सूती मिलें निम्न हैं –
- राजस्थान स्पीनिंग एण्ड बीविंग मिल्स गुलाबपुरा (भीलवाड़ा)।
- शार्दूल टेक्सटाइल्स लिमिटेड, श्रीगंगानगर।
- कृष्णा मिल्स लिमिटेड, ब्यावर।
- श्री महालक्ष्मी मिल्स, ब्यावर।
- एडवर्ड मिल्स ब्यावर।
- आदित्य मिल्स लिमिटेड किशनगढ़, (अजमेर)।
- मेवाड़ टेक्सटाइल्स मिल्स – भीलवाड़ा।
- महाराजा उम्मेद सिंह मिल्स – पाली।
- राजस्थान टेक्सटाईल्स मिल्स भवानीमन्डी।
- राजस्थान कोआपरेटिव मिल्स – गुलाबपुरा।
- विजयनगर कॉटन मिल्स विजयनगर – अजमेर।
- बांसवाड़ा सिन्टेक्स बांसवाड़ा।
- मयूर मिल्स लिमिटेड बांसवाड़ा।
- राजस्थान स्पिनिंग एण्ड विविंग मिल्स लिमिटेड ऋषभदेव आदि।
रास्थान की अधिकांश नवीन सूती वस्त्र मिलें राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास व विनियोग निगम लिमिटेड की सहायता से प्रारम्भ की गयी हैं। राजस्थान में वर्तमान में 28 कपड़ा मिलें है।
राजस्थान में सूती वस्त्र उद्योग की समस्याएँ:
यद्यपि राजस्थान में सूती वस्त्रों के उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है, फिर भी इस उद्योग की कुछ समस्याएँ है,
जो निम्नलिखित हैं –
- कच्चे माल की आपूर्ति की समस्या।
- शुष्क जलवायु।
- ऊर्जा की अनियमित व अपर्याप्त मात्रा।
- पुरानी व छोटे आकार की मशीनें।
- पूंजी की कमी।
- अप्रशिक्षित एवं अकुशल श्रमिक।
- यातायात एवं परिवहन के साधनो की कमी आदि।
राजस्थान में उत्पादित कपड़े की घरेलू खपत के अलावा इसे पूर्वोत्तर राज्यों व नेपाल, बांग्लादेश, वे अफ्रीकी देशों को निर्यात भी किया जाता है।
प्रश्न 3.
राजस्थान गौपालन पर एक भौगोलिक लेख लिखिये।
उत्तर:
राजस्थान राज्य की शुष्क भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहाँ कृषि का पर्याप्त विकास नहीं हो पाया है। अतएव यहाँ की अर्थव्यवस्था में पशुपालन को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया हैं। वर्ष 2012 की गणना के अनुसार राज्य में कुल पशुधन 577.32 लाख थी। राजस्थान में वर्ष 2012 में गौवंश की संख्या 133.24 लाख है। भारत की समस्त गायों का 8 प्रतिशत भाग राजस्थान में पाया जाता है।
राजस्थान के प्रमुख गौवंश क्षेत्र:
राजस्थान के सर्वाधिक गौवंश क्रमशः उदयपुर व चितौड़गढ़ में तथा न्यूनतम धौलपुर जिले में है। मरुस्थलीय क्षेत्रों बाड़मेर, नागौर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, चुरू व हनुमानगढ़ जिलों में भी गौपालन एक प्रमुख व्यवसाय के रूप में विकसित हुआ है। इन क्षेत्रों में गौपालन व्यवसाय के विकसित होने के निम्न कारण रहे हैं –
- आजीविका के अन्य साधनों की कमी।
- वर्षा काल में चारागाहों की उपलब्धता।
- पौष्टिक सेवण घास की उपलब्धता।
- परम्परागत व्यवसाय का अनुभव।
- मौसम के अनुसार स्थानान्तरण।
- इन्दिरा गांधी नहर परियोजना द्वारा पानी की उपलब्धता आदि।
राजस्थान की गौवंश नस्लों को क्षेत्रीय वितरण-राजस्थान की प्रमुख गोवंश नस्लें तथा उनके क्षेत्र निम्नलिखित हैं –
गौवंश नस्लें | क्षेत्र (जिले) |
1. गीर | अजमेर, भीलवाड़ा, पाली तथा चित्तौड़गढ़। |
2. थारपारकर | मूल स्थान- जैसलमेर का मालाणी क्षेत्र जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर व जालौर। |
3. नागौरी | मूलस्थान-नागौर जिले का सुहालक क्षेत्र। प्रमुख क्षेत्र-नागौर, जोधपुर का उ.पू. भाग व नोखा (बीकानेर)। |
4. राठी | बीकानेर, श्रीगंगानगर, जैसलमेर के चूरू। |
5. कांकरेज | मूलस्थान-गुजरात का कच्छ का रन प्रमुख क्षेत्र – जालौर व जोधपुर। |
6. हरियाणवी | सीकर, झुन्झुनू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, अलवर व भरतपुर। |
7. मालवी | मूलस्थान-मध्यप्रदेश का मालवा क्षेत्र/प्रमुख क्षेत्र – झालावाड़ा, बॉरा, कोटा व चित्तौड़गढ़। |
8. सांचौरी | सांचौर, सिरोही व उदयपुर। |
9. मेवाती (कोठी) | अलवर एवं भरतपुर। |
वर्तमान समय में राजस्थान में अधिक दूध देने वाली विदेशी नस्लों की जर्सी, हालिस्टिन तथा रेड डेन गायें भी पाली जाने लगी हैं।
राजस्थान में गौवंश सम्वर्द्धन के प्रयास:
वर्तमान समय में राजस्थान में गौवंश सम्वर्द्धन के निम्न प्रयास किये गये हैं –
- देशी गौवंश नस्ल सुधार कार्यक्रम।
- गोपाल कार्यक्रम व कामधेनु योजना।
- केन्द्रीय व राज्य गाय प्रजनन फार्मों की स्थापना।
- स्वयंसेवी संगठनों के लिए गौशालाओं को अनुदान की व्यवस्था।
- कृत्रिम गर्भाधान से नस्ल सुधार कार्यक्रम।
- सन्तुलित पशुआधार इकाइयों की स्थापना।
- आवश्यक चिकित्सा सुविधा व गौशालाओ का आधुनिकीकरण।
- उत्तम नस्ल के बछड़ों का वितरण।
- रियायती दरों पर अनुदान।
- डेयरी उत्पादों का उत्पादन व विपणन की व्यवस्था।
- पशु मेलों का आयोजन आदि।
प्रश्न 4.
राजस्थान में कुटीर उद्योग पर टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
ऐसे उद्योग जो पारिवारिक व मानवीय श्रम द्वारा कम पूंजी लगाकर, स्थानीय कच्ची सामग्री का प्रयोग कर वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है, कुटीर उद्योग कहलाते हैं। कुटीर उद्योगों का संचालन सामान्यत: एक ही परिवार के सदस्यों द्वारा पूर्ण अथवा आंशिक रूप से किया जाता है।
कुटीर उद्योगों का वर्गीकरण:
कच्चे माल की दृष्टि से कुटीर उद्योगों को निम्न वर्गों में विभाजित किया गया है –
(क) कृषि आधारित उद्योग – हस्तशिल्प, गुड़, खांडसारी, रंगाई, छपाई, दरी निर्माण, तेल द्याणी आदि।
(ख) खनिजों पर आधारित उद्योग – संगमरमर, सोना-चांदी आभूषण बनाना जैसे चाकू, कैंची, धातुओं के तार बनाना आदि।
(ग) पशुसम्पदा पर आधारित उद्योग – चमड़ा, जूता, बैग, हड्डी पीसना, ऊनी वस्त्र हाथी दांत से सामान बनाना आदि।
(घ) वनोपज पर आधारित उद्योग – कत्था, बीडी, लाख, गोंद, कागज, बांस, टोकरी, लकड़ी के खिलौने बनाना आदि।
राज्य के प्रमुख कुटीर उद्योग:
1. तेल एवं वनस्पति घी उद्योग:
इस उद्योग का विकास जयपुर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, श्रीगंगानगर, कोटा, बूंदी व अजमेर जिलों में तिलहन के भरपूर उत्पादन के कारण हुआ है। भरतपुर का इंजन छाप सरसों तेल तथा जयपुर का वीर बालक छाप तेल प्रसिद्ध ब्राण्ड हैं। जयपुर निवाई, भीलवाड़ा व चित्तौड़गढ़ वनस्पति घी के प्रसिद्ध केन्द्र है।
2. बँधाई, छपाई व रंगाई उद्योग:
लकड़ी के ठप्पों से वानस्पतिक व रासायनिक रंगों से कच्ची-पक्की रंगाई-छपाई का कार्य मुख्यत: बाड़मेर, बालोतरा, बगरू, सागानेर, अकोला सवाई माधोपुर, नाथद्वारा, पाली, पीपाड़ व उदयपुर में होता है। बाड़मेर का अजरख पिण्ट व चित्तौड़गढ़ की छपाई प्रसिद्ध है। जोधपुर में बंधेज व जयपुर में लहंगा चुन्नी का कार्य अधिक होता है।
3. खादी उद्योग:
यह उद्योग जयपुर, जोधपुर, दौसा, भरतपुर व कोटा जिलो में आंशिक व पूर्ण रूप से संचालित है। राज्य में खादी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए खादी ग्रामोद्योग बोर्ड कार्यरत है।
4. पशु आधारित उद्योग:
इसके अन्तर्गत चमड़ा उद्योग, ऊनी उद्योग, दुग्ध उद्योग, हड्डी पाउडर उद्योग आदि को शामिल किया जाता है। ऊनी उद्योग प्रमुख पशु आधारित उद्योग है। ऊनी धागा बनाने की मिलें बीकानेर, चुरू, लाडनू व कोटा में है। ऊनी खादी में जैसलमेर की बरडी, बीकानेर के ऊनी कम्बल व चौमू के खेस प्रसिद्ध है। चमड़े की मोजड़ी व जूतियां नागौर, सिरोही, भीनमाल, टोंक, जोधपुर व जयपुर में बनाई जाती है।
5. वनोपज पर आधारित उद्योग:
इसके अन्तर्गत बीड़ी, माचिस, बांस, कत्था, गोंद व लाख उद्योगों को सम्मिलित किया जाता हैं। ये उद्योग टोंक, भीलवाड़ा, अजमेर, ब्यावर (बीड़ी) अजमेर अलवर (माचिस), जयपुर अजमेर (बांस), कोटा बूंदी, झालावाड़, उदयपुर व चित्तौड़गढ़ (लाख) तथा घोसुण्डा, सागानेर (कागज उद्योग) आदि में संचालित हो रहे हैं।
6. खनिज आधारित उद्योग:
इसके अन्तर्गत 9 हजार से अधिक इकाइयाँ पंजीकृत हैं। इसमें संगमरमर टाइल्स निर्माण, मिट्टी निर्माण, सीमेण्ट जाली निर्माण, सेनेट्री वेयर्स आदि उद्योगों को सम्मिलित किया जाता है। संगमरमर से खिलौने तथा मूर्तियाँ बनाने का कार्य जयपुर सिरोही’ जैसलमेर, मकरानी, किशनगढ़, अजमेर, जयसमंद आदि जिलों में किया जाता है।
7. हथकरघा उद्योग:
राज्य में हथकरघा उद्योग महत्वपूर्ण हैं। ऊनी शॉल, कोटा की डोरियाँ, साड़ियाँ, खेस, दरिया, निवाड़ आदि का निर्माण कई जिलो में किया जाता है।
इसके अलावा कृत्रिम रेशम का विकास कोटा, उदयपुर, बांसवाड़ा आदि जिलों में किया जा रहा है।
आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
राजस्थान के मानचित्र में प्रमुख खनिज व उद्योगों को दर्शाइए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
राजस्थान के मानचित्र में गौ नस्लों को दर्शाइए।
उत्तर:
RBSE Class 12 Geography Chapter 24 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 12 Geography Chapter 24 बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
एल्युमिनियम निम्न में से किस अयस्क से प्राप्त होता है?
(अ) लौह अयस्क
(ब) मैंगनीज
(स) अभ्रक
(द) बाक्साइट
उत्तर:
(द) बाक्साइट
प्रश्न 2.
निम्न में जो धात्विक खनिज नहीं है, बताइये –
(अ) ताँबा
(ब) चांदी
(स) टंगस्टन
(द) जिप्सम
उत्तर:
(द) जिप्सम
प्रश्न 3.
ताँबा उत्पादन में राजस्थान का भारत में स्थान है –
(अ) प्रथम
(ब) द्वितीय
(स) तृतीय
(द) चतुर्थ
उत्तर:
(ब) द्वितीय
प्रश्न 4.
राजस्थान में सीसे एवं जस्ते का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला क्षेत्र है –
(अ) जावर क्षेत्र
(ब) गुलाबपुरा क्षेत्र
(स) रामपुरा आंगुचा क्षेत्र
(द) चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र
उत्तर:
(अ) जावर क्षेत्र
प्रश्न 5.
वस्त्र उत्पादन में राजस्थान के किस नगर को ‘मैनचेस्टर’ या ‘वस्त्र नगरी’ कहा जाता है –
(अ) उदयपुर
(ब) जयपुर
(स) भीलवाड़ा
(द) अजमेर
उत्तर:
(स) भीलवाड़ा
प्रश्न 6.
राजस्थान का ‘लाखेरी निम्न में से किस उद्योग के लिए प्रसिद्ध है?
(अ) वस्त्र उद्योग
(ब) ऊन उद्योग
(स) कुटीर उद्योग
(द) सीमेण्ट उद्योग
उत्तर:
(द) सीमेण्ट उद्योग
प्रश्न 7.
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान की ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत है।
(अ) 60.5
(ब) 75.2
(स) 98.6
(द) 77.5
उत्तर:
(ब) 75.2
प्रश्न 8.
राजस्थान के किस जिले में गौवंश की संख्या सबसे कम है?
(अ) उदयपुर
(ब) कोटा
(स) चित्तौड़गढ़
(द) धौलपुर
उत्तर:
(द) धौलपुर
प्रश्न 9.
निम्न में किस नस्ल की गाय को राजस्थान की कामधेनु कहा जाता है?
(अ) गीर
(ब) नागौरी
(स) राठी
(द) हरियाणवी
उत्तर:
(स) राठी
प्रश्न 10.
निम्न में से जो वनोपज आधारित उद्योग है, बताइये –
(अ) ग्रेनाइट उद्योग
(ब) संगमरमर उद्योग
(स) ऊनी वस्त्र उद्योग
(द) बीड़ी उद्योग
उत्तर:
(द) बीड़ी उद्योग
प्रश्न 11.
राजस्थान में बंधेज साड़ियों के लिए जो प्रसिद्ध है, बताइये –
(अ) जोधपुर
(ब) कोटा
(स) शाहपुर
(द) उदयपुर
उत्तर:
(अ) जोधपुर
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए –
(क)
स्तम्भ (अ) (उत्पादक क्षेत्र) | स्तम्भ (ब) (खनिज) |
(i) खेतड़ी-सिंघाना | (अ) सीसा-जस्ता |
(ii) रामपुर-आगूंचा | (ब) जिप्सम |
(iii) रेवत व भाकरी | (स) ताँबा |
(iv) मकराना | (द) टंगस्टन |
(v) फालसुन्द-मंगलोद | (य) संगमरमर |
उत्तर:
(i) स (ii) अ (iii) द (iv) य (v) ब
(ख)
स्तम्भ (अ) (गौवंश की नस्ल) | स्तम्भ (ब) (सम्बन्धित मुख्य जिला) |
(i) गीर | (अ) नागौर |
(ii) थारपारकर | (ब) बीकानेर |
(iii) नागौरी | (स) सिरोही |
(iv) राठी | (द) झालावाड़ |
(v) मालवी | (य) जैसलमेर |
(vi) सांचौरी | (र) अजमेर |
उत्तर:
(i) र (ii) य, (iii) अ, (iv) बे, (v) दे, (vi) स
RBSE Class 12 Geography Chapter 24 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
औद्योगिक विकास के किन्हीं दो आधारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
औद्योगिक विकास के प्रमुख दो आधार हैं –
- खनिजों की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता।
- खनिजों की आर्थिक दृष्टि से गुणवत्ता।
प्रश्न 2.
खनन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
ऐसी प्रक्रिया जिससे सतह के नीचे से हम खनिजों का दोहन करते हैं, खनन कहलाती है।
प्रश्न 3.
अयस्क से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
प्रकृति में हमे खनिज अन्य तत्वों व अवयवों के साथ मिश्रित रूप में मिलते हैं। ऐसे मिश्रणों को अयस्क कहते हैं।
प्रश्न 4.
प्रमुख ऊर्जा खनिजों के नाम बताइये।
उत्तर:
ऊर्जा खनिजों में प्रमुख हैं-कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस।
प्रश्न 5.
भारत में किस राज्य को ‘खनिजों का अजायबघर’ कहा जाता है?
उत्तर:
भारत में राजस्थान को विविध खनिजों की उपलब्धता के कारण ‘खनिजों का अजायबघर’ कहा जाता है।
प्रश्न 6.
उन खनिजों के नाम बताइये जिनके उत्पादन में राजस्थान को एकाधिकार प्राप्त है।
उत्तर:
ब्रोलेस्टोनाइट, जास्पर, जस्ता, सीसा, फ्लोराइट, जिप्सम, संगमरमर, एस्बेस्टोस, धीया पत्थर, रॉक फास्फेट आदि खनिजों के उत्पादन में राजस्थान को एकाधिकार प्राप्त है।
प्रश्न 7.
राजस्थान में प्राप्त किन्ही दो धात्विक खनिजों के नाम बताइये।
उत्तर:
राजस्थान में प्राप्त प्रमुख दो धात्विक खनिज हैं –
- ताँबा
- सीसा, जस्ता।
प्रश्न 8.
राजस्थान ताँबा शोधन प्लाण्ट कहाँ लगा है?
उत्तर:
राजस्थान में ताँबा शोधन प्लांण्ट हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड खेतड़ी में लगा है।
प्रश्न 9.
शूवैज्ञानिक सर्वेक्षण में तांबे का नया भण्डार कहाँ मिला है?
उत्तर:
भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण में तांबे का नया भण्डार सीकर की ‘बन्नों बालो की ढाणी में मिला है।
प्रश्न 10.
राजस्थान में सीसे-जस्ते के निक्षेप का सम्बन्ध किन चट्टानों से है?
उत्तर:
राजस्थान में सीसा व जस्ते के निक्षेप आर्कियन व प्रोटोजाइके काल की चट्टानों में मिलता हैं।
प्रश्न 11.
एशिया का सबसे बड़ा सुपर जिंक स्मेल्टर संयन्त्र कब और कहाँ स्थापित किया गया?
उत्तर:
एशिया का सबसे बड़ा सुपर जिंक स्मेल्टर संयन्त्र राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के चादेरिया में 2005 में ब्रिटेन की सहायता से स्थापित किया गया।
प्रश्न 12.
जस्ते के शोधन से प्राप्त दो उप-उत्पादों के नाम बताइये।
उत्तर:
जस्ते के शोधने से निम्न दो उप-उत्पाद प्राप्त होते हैं –
- सुपर फास्फेट तथा
- कैडमियम।
प्रश्न 13.
सीसा-जस्ता धातु का प्रमुख उपयोग कहाँ-कहाँ होता है?
उत्तर:
सीसा-जस्ता धातु का प्रमुख उपयोग सेना के लिए बारूद निर्माण, जहाज निर्माण तथा कांसा बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 14.
राजस्थान में टंगस्टन का खनन कार्य बन्द है-क्यों?
उत्तर:
वर्तमान समय में विदेशों से आयातित टंगस्टन सस्ती होने के कारण राजस्थान में इसका खनन कार्य बन्द है।
प्रश्न 15.
राजस्थान का कौन-सा पत्थर विश्व प्रसिद्ध है?
उत्तर:
राजस्थान के मकराना का संगमरमर विश्व प्रसिद्ध है।
प्रश्न 16.
मकराना के संगमरमर (मार्बल) से बने भारत के तीन स्मारकों के नाम बताइये।
उत्तर:
भारत के निम्न तीन स्मारक मकराना के मार्बल से बने हैं –
- आगरा का किला।
- ताजमहल।
- विक्टोरिया पैलेस।
प्रश्न 17.
विभिन्न रंगों के मार्बल एवं उनके क्षेत्रों के नाम बताइये।
उत्तर:
राजस्थान में रंग-बिरंगे संगमरमर के पत्थर मिलते हैं। उदयपुर में हरे, भैसलाना में काला जालौर बांसवाड़ा में गुलाबी, जैसलमेर में पीला, मकराना में सफेद व पाली में सतरंगा मार्बल मिलता है।
प्रश्न 18.
जिप्सम की सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपयोग क्या है?
उत्तर:
जिप्सम का सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपयोग उर्वरक बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 19.
राजस्थान के प्रमुख खनिज तेल क्षेत्र का नाम बताइये।
उत्तर:
राजस्थान का प्रमुख खनिज तेल का क्षेत्र बाड़मेर जिले का गुढ़ामलानी क्षेत्र है।
प्रश्न 20.
खनिजों को संरक्षण क्यों आवश्यक हैं?
उत्तर:
खनिज एक प्राकृतिक सम्पदा है तथा लाखों वर्षों की प्रक्रिया से ये खनिज अस्तित्व में आये है? इनकी उपलब्धता आगामी समय तक बनाये रखने हेतु इनका संरक्षण आवश्यक है।
प्रश्न 21.
खनिजों के खनन के सन्दर्भ में विचारणीय बिन्दु क्या हैं?
उत्तर:
खनिजों के खनन के सन्दर्भ में वन विनाश, भूमि क्षरण, पर्यावरण प्रदूषण, मृदा विनाश, जैव विविधता की समाप्ति आदि विचारणीय बिन्दु हैं।
प्रश्न 22.
वर्तमान समय में राजस्थान में कितने जिला उद्योग केन्द्र व उपकेन्द्र हैं?
उत्तर:
वर्तमान समय में राजस्थान में 36 जिला उद्योग । केन्द्र व 7 उपकेन्द्र हैं?
प्रश्न 23.
राजस्थान सरकार द्वारा कब-कब औद्योगिक नीतियाँ बनाई गयीं?
उत्तर:
राजस्थान सरकार द्वारा उद्योगों के विकास के लिए 1978, 1990, 1994 तथा 1998 में औद्योगिक नीतियाँ बनाई गयी।
प्रश्न 24.
प्राचीनकाल में भारत के कुछ प्रसिद्ध वस्त्रों के नाम बताइये।
उत्तर:
प्राचीनकाल में भारत में ढाका की मलमल, मुसलीपट्टम की छींट, कालीकट के केलिको तथा सूरत व बड़ोरा के सुनहरी जरी के काम वाले सूती वस्त्र विश्व प्रसिद्ध थे।
प्रश्न 25.
राजस्थान के ब्यावर में स्थापित प्रथम तीन सूती मिलों के नाम बताइये।
उत्तर:
राजस्थान के ब्यावर में स्थापित प्रथम तीन सूती मिलें निम्न थी –
- दि कृष्णा मिल्स लिमिटेड ब्यावर 1989।
- एडवर्ड मिल्स लिमिटेड 1906।
- श्री महालक्ष्मी मिल्स लिमिटेड 1925।
प्रश्न 26.
स्वतन्त्रतापूर्व स्थापित तीन सूती मिलों के नाम बताइये।
उत्तर:
स्वतन्त्रता पूर्व स्थापित तीन प्रमुख सूती मिलों थीं –
- मेवाड़ टेक्सटाइल मिल्स भीलवाड़ा 1938।
- महाराजा उम्मेदसिंह मिल्स लिमिटेड पाली 1942।
- सार्दूल टेक्सटाइल लिमिटेड गंगानगर 1946।
प्रश्न 27.
सीमेन्ट उद्योग का प्रारम्भिक स्थानीयकरण किन क्षेत्रों में हुआ था?
उत्तर:
पूर्वी और दक्षिणी-पूर्वी जिलों बूंदी, |सवाईमाधोपुर, कोटा और चित्तौड़गढ़ व उदयपुर के चूना-पत्थर प्रधान क्षेत्रों में।
प्रश्न 28.
राजस्थान के पश्चिमी जिलों में सीमेण्ट उद्योग के वर्तमान स्थानीकरण के दो कारक बताइये।
उत्तर:
वर्तमान समय में राजस्थान के पश्चिमी जिलों में सीमेण्ट उद्योग का स्थानीकरण हो रहा है। इसके प्रमुख दो कारण निम्नलिखित हैं –
- नहरी जल की उपलब्धता।
- वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों से ऊर्जा की प्राप्ति।
प्रश्न 29.
राजस्थान में प्रथम सीमेण्ट कारखाना कब और कहाँ स्थापित किया गया?
उत्तर:
राजस्थान में प्रथम सीमेण्ट कारखाना 1915 में ए.सी.सी. कम्पनी द्वारा लाखेरी (बूंदी) में स्थापित किया गया।
प्रश्न 30.
जे. के. ह्वाइट एवं बिरला ह्वाइट सीमेण्ट के कारखाने राजस्थान में कहाँ है?
उत्तर:
राजस्थान में जे.के. ह्वाइट सीमेण्ट का कारखाना गोटन (नागौर) में तथा बिरला ह्वाइट सीमेण्ट का कारखाना खारिया, खंगार (भोपालगढ़-जोधपुर) में है।
प्रश्न 31.
राजस्थान में छोटे सीमेण्ट कारखानों की स्थापना के कारण बताइये।
उत्तर:
वर्तमान में राजस्थान में छोटे सीमेण्ट के कारखानों की स्थापना को वरीयता दी जा रही है। इसके प्रमुख कारण निम्न हैं –
- कम लागत का आना।
- राज्य में वितरित चूने भण्डारों का उपयोग।
- बिजली की कम खपत।
प्रश्न 32.
राजस्थान में कार्यरत प्रमुख सीमेण्ट कम्पनियों के नाम बताइये।
उत्तर:
वर्तमान राजस्थान में बिरला, गोसिन, अम्बुजा, एसीसी, बांगर, बिनानी, लक्ष्मी व वण्डर आदि प्रमुख कम्पनियाँ अस्तित्व में हैं।
प्रश्न 33.
राजस्थान के ग्राम-विकास में सहायक दो उद्योगों के नाम बताइये।
उत्तर:
राजस्थान के ग्राम-विकास में सहायक प्रमुख दो उद्योगो हैं –
- डेयरी उद्योग।
- कुटीर उद्योग।
प्रश्न 34.
राजस्थान में डेयरी उद्योग के विकास के लिए स्थापित इकाई का नाम बताइये।
उत्तर:
राजस्थान में डेयरी उद्योग के लिए राजस्थान कोआपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड की स्थापना की गयी हैं।
प्रश्न 35.
राजस्थान सहकारी क्रय-विक्रय संघ (राजफैड) का क्या कार्य है?
उत्तर:
राजस्थान सहकारी क्रय-विक्रय संघ (राजफैड) ने झोटवाड़ा, जयपुर में पशु आहार फैक्ट्री स्थापित की है जो | पशुओं का उत्तम आहार उपलब्ध कराता है।
प्रश्न 36.
राजस्थान में पशुधन घनत्व कितना है?
उत्तर:
2012 की पशुगणना के आधार पर राजस्थान में पशुधन घनत्व 169 पशु प्रति वर्ग किमी मिलता है।
प्रश्न 37.
क्या राजस्थान में वर्तमान समय में गौवंश संकट में है?
उत्तर:
वर्तमान समय में राजस्थान में कृषि क्षेत्र में यन्त्रीकरण तथा गाय के दूध की तुलना में भैंस के दूध के अधिक प्रचलन से गौवंश संकट में है।
प्रश्न 38.
राजस्थान में गौवंश की कौन-कौन सी नस्लें मिलती है?
उत्तर:
गीर, थारपारकर, नागौरी, राठी, कांकरेज, हरियाणवी, मालवी, सांचौरी, मेवाती व विदेशी नस्लें राजस्थान में मिलती है।
प्रश्न 39.
वर्तमान में गौवंश सम्बर्द्धन के कोई दो उपाय बताइये।
उत्तर:
वर्तमान में गौवंश सम्बर्द्धन के निम्न दो उपाय महत्वपूर्ण हैं –
- गौवंश उत्पादों- गोबर, गौमूत्र आदि का औषधीय व लाभकारी उपयोग।
- गाय से प्राप्त दूध, मक्खन, घी आदि का अधिकाधिक व स्वास्थ्यवृर्द्धक उपयोग।
प्रश्न 40.
कृषि आधारित किन्ही दो कुटीर उद्योगों के नाम बताइये।
उत्तर:
कृषि आधारित प्रमुख दो कुटीर उद्योग हैं –
- सूती ‘ब्रस्त्र उद्योग।
- गुड़ खाँड़सारी उद्योग।
प्रश्न 41.
खनिज आधारित उद्योगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सीमेण्ट उद्योग, एल्युमिनियम उद्योग, लौह इस्पात उद्योग आदि।
प्रश्न 42.
वनोपजों पर आधारित दो उद्योगों के नाम बताइये।
उत्तर:
वनोपजों पर आधारित प्रमुख दो उद्योग हैं –
- बीड़ी बनाना।
- कागज बनाना व लकड़ी के खिलौने बनाना।
प्रश्न 43.
जयपुर के दो प्रसिद्ध हस्तशिल्प उद्योगों के नाम बताइये।
उत्तर:
जयपुर में निम्न दो हस्तशिल्प उद्योग विशेष महत्वपूर्ण हैं –
- चुनरियाँ व लहरिया उद्योग।
- संगमरमर की मूर्तियाँ बनाने का उद्योग।
प्रश्न 44.
राजस्थान में गोटा उद्योग कहाँ प्रचलित होता हे?
उत्तर:
राजस्थान में अजमेर व जयपुर में गोटा उद्योग महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 45.
राजस्थान में चमड़े की मोजड़ी और जूतियाँ कहाँ-कहाँ बनती हैं?
उत्तर:
राजस्थान में चमड़े की मोजड़ी व जूतियाँ नागौर (सिरोही, भीनमाल, टोंक, जोधपुर व जयपुर) में बनाई जाती है।
प्रश्न 46.
राजस्थान में उदयपुर किन दो हस्तशिल्प उद्योगों के लिए प्रसिद्ध है?
उत्तर:
राजस्थान में उदयपुर –
- लकड़ी के खिलौने 1 तथा
- कठपुतलियों के लिए प्रसिद्ध है।
प्रश्न 47.
संगमरमर से खिलौने व मूर्तियों का निर्माण राजस्थान के किन जिलों में होता है?
उत्तर:
राजस्थान में संगमरमर से खिलौने व मूर्तियों के बनाने का कार्य जयपुर, सिरोही, जैसलमेर, मकराना, किशनगढ़, अजमेर व राजसमन्द आदि जिलों में होता हैं।
प्रश्न 48.
डेयरी उद्योग को पर्यावरण मित्र उद्योग कहते हैं, क्यों?
उत्तर:
डेयरी उद्योग पर्यावरण मित्र उद्योग कहलाता है। क्योंकि यह उद्योग पर्यावरण के अनुकूल तथा प्रदूषण रहित उद्योग है।
प्रश्न 49.
राजस्थान में सर्वाधिक व न्यूनतम भेड़े पालने वाले जिलों के नाम बताइये।
उत्तर:
राजस्थान में सर्वाधिक भेड़े जोधपुर जिले में तथा सबसे कम भेड़े बांसवाड़ा जिले में पाली जाती हैं।
RBSE Class 12 Geography Chapter 24 लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA-I)
प्रश्न 1.
खनिजों का संक्षिप्त वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
खनिजों को निम्न तीन भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
1. धात्विक खनिज:
जिन खनिजों में धातु का अंश विद्यमान होता है, उन्हें धात्विक, खनिज कहते हैं। जैसे-ताँबा, सीसा-जस्ता, लोहा, चांदी आदि धात्विक खनिज हैं।
2. अधात्विक खनिज:
जिन खनिजों से धातुएँ नहीं मिलती हैं, उन्हें अधात्विक खनिज कहते हैं। जैसे-पाइराइट, हीरा, जिप्सम, संगमरमर आदि अधात्विक खनिज है।
3. ऊर्जा खनिज:
जिन खनिजों से ऊर्जा प्राप्त होती है, उन्हें ऊर्जा खनिज कहते हैं। जैसे-कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि ऊर्जा खनिज है।
प्रश्न 2.
राजस्थान में ताँबा और सीसा-जस्ता के शोधन संयन्त्रों के नाम लिखिये।
उत्तर:
राजस्थान में ताँबा और सीसा-जस्ता के प्रमुख शोधन संयन्त्र निम्न हैं –
- ताँबां शोधन संयन्त्र
- सीसा-जस्ता संयन्त्र
(i) हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड खेतड़ी (झुन्झुनू)।
(i) हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड देबारी (उदयपुर)।
(ii) सुपर जिंक स्मेल्टर संयन्त्र चन्देरिया-चित्तौड़गढ़।
प्रश्न 3.
टंगस्टन का उपयोग बताइये।
उत्तर:
टंगस्टन एक अधात्विक सामरिक महत्व का खनिज है। यह भारी, कठोर तथा उच्च द्रवणांक वाली धातु है। इसके
निम्न उपयोग हैं –
- बिजली के बल्व बनाना।
- इस्पात को मजबूत बनाना।
- धातुओं को काटना।
- सामरिक महत्व के हथियार बनाना।
- रेडियों, टेलीविजन व एक्सरे के उपकरण बनाना तथा
- रंगाई-छपाई में उपयोग आदि।
प्रश्न 4.
निम्न पदों को सुमेलित कीजिए –
संगमरमर के प्रकार | उत्पादक क्षेत्र |
(i) हरा | (अ) मकराना |
(ii) काला | (ब) उदयपुर |
(iii) गुलाबी | (स) पाली |
(iv) पीला | (द) बांसवाड़ा |
(v) सफेद | (य) भैसलाना |
(vi) सतरंगा | (र) जैसलमेर |
उत्तर:
(i) (ब) (ii) (य) (iii) (द) (iv) (र) (v) (अ) (vi) (स)।
प्रश्न 5.
राजस्थान के जिप्सम क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान के प्रमुख जिप्सम क्षेत्र निम्नलिखित हैं –
- नागौर क्षेत्र – गोठ-मागंलोद भदवासी, मंगोल।
- चुरू बीकानेर क्षेत्र – जामसर, लूणकरणसर, तारानगर।
- जैसलमेर-बाड़मेर क्षेत्र – मोहनगढ़ हमीरवाली।
- पाली-जोधपुर क्षेत्र – फालसुन्द, मंगलोद।
प्रश्न 6.
जिप्सम का प्रमुख उपयोग बताइये।
उत्तर:
जिप्सम को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उपयोग उर्वरक बनाने में होता है। इसके अलावा इसका उपयोग प्लास्टर आफ पेरिस, सीमेण्ट, रंग-रोगन, गन्धक व तेजाब तथा अमोनियम सल्फेट आदि बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 7.
राजस्थान के प्रमुख पेट्रोलियम क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान के प्रमुख पेट्रोलियम क्षेत्र बीकानेर, जैसलमेर तथा पश्चिमी जोधपुर में मिलते हैं। बाड़मेर सांचौर बेसिन प्रमुख तेल क्षेत्र है। गुढामलानी तहसील के नगर गांव व मामियों की ढाणी में ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी इण्डिया लिमिटेड को खनिज खनन की अनुमति मिली है। इस तेल के कुएं का नाम रागेश्वरी रखा गया है। बाड़मेर सांचौर बेसिन में मंगला कुएं सहित 31 कुओं की खुदाई की गयी है। जैसलमेर में तनोट, घोटारू, डांडेवाला, सादेवाला, मनिहारी टिब्बा व लोंगेवाला खनिज तेल के प्रमुख क्षेत्र हैं। पश्चिमी जोधपुर के मयाजलार क्षेत्र में खनिज तेल के भण्डार मिले हैं।
प्रश्न 8.
उद्योग के आधारभूत तत्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
उद्योग मानव की द्वितीयक क्रिया है। यह किसी क्षेत्र या प्रदेश के समग्र विकास व उच्च जीवन-स्तर को सूचक है। उद्योग के आधारभूत तत्व निम्नलिखित हैं –
- प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता।
- ऊर्जा संसाधनों की प्राप्ति।
- कुशल एवं सस्ते मानव श्रम की प्राप्ति।
- तकनीकी विकास का स्तर।
- आधुनिक परिवहन व संचार के साधन आदि।
प्रश्न 9.
राजस्थान में ग्रामीण विकास मन्त्रालय के उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
राजस्थान में ग्रामीण क्षेत्रों की गरीबी व पिछड़ेपन को दूर करने के लिए ग्रामीण विकास मन्त्रालय की स्थापना की गयी है। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं –
- गरीबी उन्मूलन।
- आर्थिक एवं ढांचागत विकास।
- आय का समान वितरण।
- सामाजिक विषमता को दूर करना।
- रोजगार सृजन के लिए ग्राम विकास की योजनाएँ बनाना आदि।
प्रश्न 10.
राजस्थान राज्य मे सीमेण्ट उद्योग के विकास की क्या सम्भावनाएँ हैं?
उत्तर:
राजस्थान राज्य देश का सबसे शुष्क क्षेत्र है। सीमेण्ट उद्योग के लिए अन्य स्थानीयकरण कारको के अलावा शुष्क जलवायु अनुकूल मानी जाती है। इसके अलावा राजस्थान में सीमेण्ट उद्योग में प्रयुक्त कच्चा माल जिप्सम व लाइमस्टोन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। उच्चतम तकनीक का प्रयोग करके राजस्थान में सीमेण्ट उद्योग को अधिक विकसित किया जा सकता है।
RBSE Class 12 Geography Chapter 24 लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA-II)
प्रश्न 1.
राजस्थान के तांबा उत्पादक क्षेत्रों को बताइये।
उत्तर:
ताँबा के उत्पादन में राजस्थान का देश में द्वितीय स्थान है। राजस्थान के प्रमुख ताँबा क्षेत्र निम्नलिखित हैं –
- झुन्झुनू – खेतड़ी सिंघाना
- अलवर – खो-दरीबा
- भीलवाड़ा – पुरू आंगुचा व गुलाबपुरा
- उदयपुर – देबरी, सलूम्बर, रेलमगरा
- जयपुर – नीम का थाना
- चुरू – बीदासर।
प्रश्न 2.
राजस्थान में औद्योगिक विकास के लिए सरकार ने क्या प्रशासनिक उपाय किये हैं?
उत्तर:
राजस्थान में औद्योगिक विकास हेतु वर्तमान में 36 जिला उद्योग केन्द्र तथा 7 उपकेन्द्र कार्यरत हैं। औद्योगिक विकास हेतु 2015 में विशेष आर्थिक क्षेत्र विधेयक पारित किया गया तथा राज्य सरकार ने. ‘मेक इन राजस्थान’ का नारा दिया। राज्य सरकार ने औद्योगिक विकास हेतु औद्योगिक नीतियाँ बनाई तथा निम्न अभिकरणों की स्थापना की –
- राजस्थान वित्त निगम।
- उद्योग व खनिज विकास निगम।
- राजस्थान लघु उद्योग निगम।
- राजस्थान गैर-कृषि विकास अभिकरण आदि।
प्रश्न 3.
राजस्थान में ग्रामीण विकास के लिए केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा लागू किये गये कार्यक्रमों के नाम बताइये?
उत्तर:
राजस्थान में ग्रामीण विकास के लिए केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा निम्न कार्यक्रम लागू किये गये हैं –
- मरु विकास कार्यक्रम।
- जीवनधारा योजना।
- एकीकृत ग्राम विकास कार्यक्रम।
- ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं व बच्चों का विकास कार्यक्रम।
- युवाओं के स्वरोजगार हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम।
- सूखा संभावित कार्यक्रम।
- ग्रामीण बच्चों को शिक्षित करने हेतु आंगनबाड़ी केन्द्र।
- देशी गौवंश नस्ल सुधार कार्यक्रम।
- आपरेशन फ्लड एवं हरित क्रान्ति कार्यक्रम।
- भेड़ नस्ल सुधार कार्यक्रम।
- भामाशाह योजना।
- प्रधानमन्त्री सड़क योजना।
- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना।
- स्वजल धारा ग्राम स्वरोजगार योजना।
- ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम में प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना।
- ग्रामीण जल आपूर्ति कार्यक्रम व अन्नपूर्णा योजना आदि।
प्रश्न 4.
राजस्थान में प्रमुख हस्तशिल्प उद्योग एवं उनके प्रसिद्ध केन्द्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
हस्तशिल्प उद्योग में कुशल कारीगरों द्वारा हाथों से कालात्मक व सजावटी वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। राजस्थान के प्रमुख हस्तशिल्प उद्योग एवं उनके प्रसिद्ध क्षेत्र निम्नलिखित हैं –
हस्तशिल्प उद्योग | प्रसिद्ध स्थान |
1. डोरिया व मसूरीया साड़ियाँ | कोटा |
2. खेसला टूकड़ी | बालोतरा, फालना |
3. बंधेज साड़ियाँ | जोधपुर |
4. चुनरियाँ व लहरिया | जयपुर |
5. मिट्टी की मूर्तियाँ | मोलेला गाँव राजसमन्द |
6. संगमरमर की मूर्तियाँ | जयपुर |
7. लकड़ी के खिलौने | उदयपुर, सवाई माधोपुर |
8. फड़ चित्रण | शाहपुरा |
9. कठपुतलियाँ | उदयपुर |
आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
राजस्थान के प्रमुख खनिज तेल क्षेत्रों को मानचित्र में प्रदर्शित कीजिए है।
उत्तर:
प्रश्न 2.
राजस्थान के मानचित्र जिप्सम उत्पादक क्षेत्रों को दर्शाइये।
उत्तर:
RBSE Class 12 Geography Chapter 24 निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राजस्थान में सीमेण्ट उद्योग का वर्णन निम्न शीर्षकों के अन्तर्गत कीजिए –
(क) स्थानीयकरण के कारक।
(ख) उत्पादक क्षेत्र।
(ग) समस्याएँ एवं सम्भावनाएँ।
उत्तर:
सीमेण्ट उद्योग आधारभूत संरचनात्मक उद्योग है। इसका उपयोग भवन निर्माण, पुल, सड़क, रेलवे कंकरीट, स्लीपर आदि बनाने में किया जाता है। राजस्थान सीमेण्ट उत्पादन की दृष्टि से देश में आन्ध्र प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है। राजस्थान में सबसे पहले सीमेण्ट कारखाने की शुरूआत सन् 1915 में ए. सी. सी. कम्पनी द्वारा लाखेरी में (बूंदी) स्थापना के साथ की गयी। वर्तमान में सन् 2012 के अनुसार राज्य में सीमेण्ट बनाने के 19 बड़े, 4 मध्यम एवं 104 लघु कारखाने स्थापित हैं।
(क) स्थानीयकरण के कारक:
सीमेण्ट उद्योग एक ऐसा उद्योग है जिसमें भारी कच्चे मालों की आवश्यकता होती है। अतएवं राजस्थान में सीमेण्ट उद्योग की स्थापना ऐसे स्थानों पर हुई है जहाँ कच्चे माल (लाईमस्टोन व जिप्सम) की उपलब्धता आसानी से हो जाती है। राजस्थान राज्य में 2.5 बिलियन टन चूना पत्थर का भण्डार है। इस उद्योग के स्थानीयकरण की दृष्टि से सर्वाधिक अनुकूल और उत्तम स्थिति चित्तौड़गढ़ व सवाई माधोपुर जिलों की है।
(ख) प्रमुख उत्पादक क्षेत्र:
राजस्थान में सीमेण्ट उत्पादक प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं –
1. चित्तौड़गढ़ | चंदेरिया निम्बाहेड़ा, चित्तौड़गढ़ |
2. उदयपुर | डबोक |
3. कोटा | मोडक |
4. अजमेर | ब्यावर |
5. पाली | रास कोटा |
6. नागौर | गोटन |
7. सिरोही | पिण्डवाडा |
8. जोधपुर | खारिया खंगार |
सफेद सीमेण्ट के कारखाने गोटन (नागौर) तथा खारिया खंगारं (जोधपुर) में है। विगत कुछ वर्षों में राज्य के पश्चिमी जिलों में सीमेण्ट कारखानों की संख्या बढ़ रही है। इसका प्रमुख कारण राज्य के पश्चिमी जिलों में नहरी जल की उपलब्धता और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा प्राप्ति की सुविधा है। वर्तमान समय में छिट-फुट बिखरे चूना पत्थरों के उपयोग, बिजली की कम खपत तथा कम लागत के कारण सीमेण्ट की छोटी इकाइयों की स्थापना को वरीयता दी जा रही है।
(ग) सीमेण्ट उद्योग की समस्याएँ एवं सम्भावनाएँ:
वर्तमान में राजस्थान में सीमेण्ट उद्योग की प्रमुख समस्याएँ निम्न हैं –
- उत्पादन की पुरानी तकनीके।
- कोयले की कमी।
- विद्युत की अनियमित आपूर्ति।
- यातायात एवं परिवहन साधनों की कमी।
- अपर्याप्त माँग आदि
- पूँजी की कमी।
राजस्थान में सीमेण्ट उद्योग के विकास की पर्याप्त सम्भावनाएँ:
यहाँ की भौगोलिक परिस्थितियाँ इस उद्योग के अनुकूल हैं। उत्पादन की आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके सीमेण्ट के उत्पादकता को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
प्रश्न 2.
राजस्थान में लघु स्तर पर सम्पन्न किये जा रहे कुटीर उद्योगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान में कुछ ऐसे भी कुटीर उद्योग हैं जिनका विकास ग्रामीण क्षेत्रों में कुशलतापूर्वक किया जा सकता है। अथवा किया जा रहा है। ये उद्योग निम्नलिखित हैं –
1. कृषि संबंधी एवं कृषि सहायक उद्योग:
विभिन्न प्रकार के मुरब्बे, अचार बनाना, दालें बनाना, धान से चावल बनाना, गेंहूँ व अन्य अनाजों की पिसाई, गुड़े-शक्कर व खाण्डसारी का निर्माण, विभिन्न प्रकार के तम्बाकू बनाना, दुग्धशालाओं का संचालन, मुर्गी व मधुमक्खी पालन आदि।
2. वस्त्र उद्योग:
कपास के बीज (बिनौले) निकालना, रूई धुनना, सूत की कताई, कपड़े की बुनाई, रेशम के कीड़े पालना, भेड़ों एवं बकरियों से ऊन उतारना, ऊन कातना, कम्बल, दरियाँ, गलीचे आदि बनाना, कपड़ों की छपाई तथा कढ़ाई करना।
3. काष्ठ उद्योग:
जैसे लकड़ी चीरना, फर्नीचर बनाना, खिलौने व कलात्मक वस्तुएँ बनाना उनकी रंगाई करना तथा छोटे औजारों का निर्माण करना।
4. धातु उद्योग:
जैसे कच्ची धातु को पिघलाकर एवं अन्य विधियों से शुद्ध धातु प्राप्त करना, चाकू, छुरियाँ, कैंची, पीतल के बरतन, ताँबे के बर्तन आदि बनाना तथा धातुओं के तार बेनोना।
5. मिट्टी के काम:
जैसे कुम्हारगिरी, ईट, खपरेल का निर्माण करना, चीनी मिट्टी के बर्तन बनाना आदि।
6. चर्म शिल्प:
जैसे मृत पशुओं का चमड़ा उतारना, उसकों तैयार करना, चमड़े की रंगाई, जूते व बैग एवं अन्य वस्तुओं का निर्माण करना, सींगों से कंघे बनाना, हड्डियों से खाद बनाना आदि।
7. अन्य काम:
जैसे लाख से चूड़ियाँ एवं अन्य सामान बनाना, साबुन, रंग एवं वार्निश बनाना आदि।
प्रश्न 3.
राजस्थान में ग्रामीण विकास की आवश्यकता, विकास कार्यक्रमों एवं भविष्य की सम्भावनाओं पर निबन्ध लिखिये।
उत्तर:
राजस्थान गाँवों का प्रदेश है। यहाँ की लगभग तीन चौथाई जनसंख्या आज भी गाँवों में निवास करती है। राजस्थान की अर्थव्यवस्था में गाँवों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
आवश्यकता:
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान में राज्य की 75.2 प्रतिशत जनसंख्यां गांवों में निवास करते हैं। अंग्रेजों के आगमन के पूर्व यहाँ के गांव आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर थे। अंग्रेजों ने यहाँ के गाँवों के रोजगार के ढांचे को छिन्न-भिन्न कर दिया। अतएव वर्तमान समय में आवश्यकता है कि गांवों के विकास पर बल दिया जाये। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् ग्रामीण राजस्थान की गरीबी व पिछड़ेपन को दूर करने के लिए कई योजनाएँ लागू की गयी हैं।
राजस्थान में ग्रामीण विकास कार्यक्रम:
राजस्थान में ग्रामीण विकास के लिए अलग से ग्रामीण विकास मन्त्रालय बनाया गया है। स्वतन्त्रता के पश्चात् प्रथम पंचवर्षीय योजना में सामुदायिक विकास कार्यक्रम तथा सन् 1959 में विकास में ग्रामीण सहभागिता हेतु पंचायतीराज व्यवस्था अपनाई गयी। राजस्थान में ग्रामीण विकास हेतु केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा निम्न कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं –
- मरु विकास कार्यक्रम।
- जीवनधारा योजना।
- ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं व बच्चों का विकास कार्यक्रम।
- युवाओं के स्वरोजगार हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम।
- सूखा संभावित कार्यक्रम।
- ग्रामीण बच्चों को शिक्षित करने हेतु आंगनबाड़ी कार्यक्रम।
- देशी गौवंश नस्ल सुधार कार्यक्रम।
- आपरेशन फ्लड एवं हरित क्रान्ति कार्यक्रम।
- भेड़ नस्ल सुधार कार्यक्रम।
- भामाशाह योजना।
- प्रधानमन्त्री सड़क योजना।
- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना।
- स्वजल धारा ग्राम स्वरोजगार योजना।
- ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम।
- प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना।
- ग्रामीण जल आपूर्ति कार्यक्रम तथा अन्नपूर्णा योजना।
भविष्य की सम्भावनाएँ:
देश का चहुंमुखी विकास तभी सम्भव है जब देश की आधारभूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था को उन्नत बनाया जाए। वर्तमान समय में ग्रामीण विकास विभाग का नाम ग्रामीण विकास व पंचायती राज विभाग है। इसके माध्यम से ग्रामीण विकास के लिए सरकार कटिबद्ध है।
प्रश्न 4.
राजस्थान में डेयरी उद्योग का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में डेयरी उद्योग छोटे व बड़े दोनों स्तर पर किया जाता है। वास्तव में डेयरी उद्योग पर्यावरण के अनुकूल व्यवसाय है जिससे वातावरण में प्रदूषण उत्पन्न नहीं होता है। इसे ग्रामीण क्षेत्रों में कम पूँजी की सहायता से स्थापित किया जा सकता है। राजस्थान में डेयरी उद्योग के विकास के लिए सन् 1973 में डेयरी विभाग की स्थापना की गयी है। वर्तमान समय में ‘राजस्थान को आपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड’ की स्थापना की गयी है।
राजस्थान में डेयरी उद्योग की प्रगति:
राजस्थान में सन् 1970 में श्वेत क्रान्ति की शुरूआत हुई जिसके अन्तर्गत पशुधन सम्वर्द्धन व डेयरी विकास के अनेक कार्यक्रम संचालित किये गये। राजस्थान में डेयरी विकास कार्यक्रम सहकारी समितियों को माध्यम से संचालित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत दिसम्बर 2012 तक 12631 प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी संघों को राज्य स्तर के संस्थान ‘सहकारी डेयरी फेडरेशन लिमिटेड-जयपुर से सम्बद्ध किया गया है।
वित्तीय वर्ष 2012 – 13 में दिसम्बर 2012 तक आर०सी०डी०एफ० से सम्बद्ध सभी दुग्ध संघों ने 18.01 लाख किलो दुग्ध संगृहीत किया था। आर०सी०डी०एफ० पौष्टिक पशु आहार उपलब्धता करा रहा है। डेयरी फेडरेशन द्वारा घी, मक्खन, पनीर, दुग्ध पाउडर, दही, आइसक्रीम आदि मूल्यवर्दित उत्पादों का उत्पादन भी किया जा रहा है।
डेयरी उद्योग के प्रमुख क्षेत्र:
दूध व दूध से मावा, पनीर व घी बनाने का कार्य पोकरण, फलौदी, जोधपुर, रानीवाड़ा, बज्जू, लूणकरणसर, सूरतगढ़, अलवर, जयपुर, अजमेर, फालना, भीलवाड़ा तथा उदयपुर आदि केन्द्रों पर किया जाता है। गांवों में दुग्घ संग्रह का कार्य सहकारी समितियों द्वारा किया जा रहा है। राजस्थान सहकारी क्रय-विक्रय संघ (राजफैड) द्वारा झोटवाड़ा तथा जयपुर में पशु आहार फैक्ट्री स्थापित की गयी है। जो पशुओं को उत्तम प्रकार का पशु आहार उपलब्ध कराती है।
राजस्थान में जिला एवं राज्य स्तर पर पशु सम्वर्द्धन तथा पशु उत्पादन के सम्पूर्ण कार्यक्रम के लिए राजस्थान राज्य दुग्ध निगम ग्रामीण को जिम्मेदारी दी गयी है। राजस्थान दुग्ध सहकारी संघ समन्वय एवं परस्पर सहयोग का राज्य स्तरीय शीर्ष संगठन है।