Rajasthan Board RBSE Class 12 Pratical Geography Chapter 5 समपटल सर्वेक्षण
RBSE Class 12 Pratical Geography Chapter 5 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
समपटल सर्वेक्षण के उपकरणों के नाम लिखिए।
उत्तर:
समपटल सर्वेक्षण के उपकारणों में मुख्यत: प्लेनटेबल तथा त्रिपाद स्टैण्ड, दर्शरेखक या ऐलीडेड, स्पिरिट लेविल, साहुल या साहुलपिण्ड, साहुल काँटा, ट्रफ कम्पास, जरीब अथवा फीता, सर्वेक्षण दण्ड, जरीब के तीर ड्राइंग कागज, ड्राइंग पिने व आलपिन तथा डाइंग उपकरण प्रयुक्त किये जाते हैं।
प्रश्न 2.
दर्शरेखक (एलिडेड) की संरचना समझाइए।
उत्तर:
साधारण ऐलिडेड में पीतल या सागवान आदि किसी कठोर लकड़ी से निर्मित समान्तर किनारे वाली पटरी के दोनों सिरों पर स्थिर अथवा मोड़कर रखे जा सकने वाले दो लम्बवत् फलक होते हैं। एक फलक में ऊर्ध्वाधर महीन रेखा के समान कटी झिरी होती है जिसके सिरों पर एवं मध्य में गोल छिद्र या अवलोकन छिद्र (eye holes) होते हैं तथा दूसरे फलक की झिरी में एक महीन तार या धागा बँधा होता है। एलीडेड के विभिन्न अंगों के नाम व उनके कार्य निम्नलिखित हैं –
- दृष्टिफलक: इसे नेत्रफलक भी कहते हैं। इस फलक से ही सर्वेक्षक अपने लक्ष्यों को देखता है।
- लक्ष्य फलक: एलीडेड में संलग्न पट्टी के बीचों-बीच एक ऊर्ध्वाधर धागा या तार बँधा होता है, इसे लक्ष्य फलक कहते हैं।
- अवलोकन छिद्र: एलीडेड की झिरी (Slit) में ऊपर, बीच में तथा नीचे बने छिद्र लक्ष्य को स्पष्ट देखने के लिए होते हैं, इन्हें अवलोन छिद्र कहते हैं।
- कार्यकारी किनारा: एलीडेड के किनारे के सहारे लक्ष्य की ओर रेखा खींची जाती है। सुविधा के लिए इस हेतु एलीडेड के किनारे प्रवणित होते हैं जिन्हें कार्यकारी किनारा कहते हैं।
प्रश्न 3.
ट्रफ कम्पास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ट्रफ कम्पास या चुम्बकीय दिक् सूचक यंत्र अलौह धातु से बना होता है। जिसका उपयोग चुम्बकीय उत्तर ज्ञात करने के लिए किया जाता है। इसमें अन्दर लीवर के ऊपर एक चुम्बकीय सुई लगी रहती हैं। जिसमें एक और N अंकित होता है जो उत्तर दिशा को सूचक होती है। डिब्बे के दोनों किनारों पर मान अंकित रहते हैं। दोनों ओर अंकित मानों के बीच 0 अंकित होता है। सही उत्तरे निर्धारित होने पर ही सुई 0 से 0 पर एक सीध में मिलती है तथा बॉक्स के ऊपर शीशी लगा रहता है। उत्तर दिशा ज्ञात करते समय ट्रफ कम्पास के पास लोहे की वस्तु या सामग्री नहीं होनी चाहिए क्योंकि वास्तविक उत्तर लोहे के आकर्षण से सही नहीं आता है।
प्रश्न 4.
केन्द्रण की प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
केन्द्रण से तात्पर्य सर्वेक्षण स्टेशन की लम्बवत दिशा में आरेख पट्ट पर स्थिति ज्ञात करने से होता है। केन्द्रण करने के लिए आरेख पट्ट में साहुल काँटा लगाकर काँटे को इस प्रकार इधर-उधर हटाते हैं कि इसमें लटके साहुल पिण्ड की नोंक सर्वेक्षण स्टेशन के ठीक ऊपर आ जाये। इसके पश्चात आरेख पट्ट पर काँटे की नोंक से इंगित बिन्दु को पेन्सिल से अंकित करके उस पर आलजिन गाड़ देते हैं। यह आलपिन धरातलीय केन्द्र को आरेख पट्ट पर केन्द्र के रूप में प्रदर्शित करती है। इस आलपिन के सहारे ऐलीडेड रखकर आधी रेखा के दूसरे सिरे पर गड़े सर्वेक्षण दण्ड एवं क्षेत्र के अन्य विवरणों को लक्ष्य करके किरणें खींच दी जाती हैं।
यदि दूसरे स्टेशन पर केन्द्रण करना हो तो प्रारम्भिक स्टेशन से प्लेनटेबल को उठाकर अगले सर्वेक्षण स्टेशन पर रखते हैं। जिसकी स्थिति ड्राइंग कागज पर पहले से अंकित है। अब यहाँ साहुले काँटे की नोंक को पूर्व अंकित बिन्दु पर स्थिर रखते हुए समूची टेबल को इधर-उधर हटाकर केन्द्रण किया जाता है। इस प्रक्रिया में आरेख पट्ट्ट की क्षैतिज दिशा में अन्तर आ सकता है अतः केन्द्रण करने के बाद आरेख पट्ट को पुनः समतल कर देते हैं। एक-दो बार कोशिश करने पर प्लेनटेबल को केन्द्रण व समतलन दोनों ठीक हो जाते हैं।
प्रश्न 5.
विकिरण विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विकिरण विधि में एक ही सर्वेक्षण केन्द्र से क्षेत्र के विभिन्न विवरणों की ओर की पूर्व निश्चित मापनी के अनुसार लम्बी किरणें खींचकर प्लान तैयार किया जाता है। इस विधि में समस्त किरणें एक ही बिन्दु से विभिन्न दिशाओं की ओर विकिरित होती हैं। अत: इसे विकिरण या अरीय रेखा विधि कहते हैं। विकिरण विधि से क्षेत्र का प्लान निम्नानुसार बनाया जाता है।
चरण 1 (Step – 1):
सर्वप्रथम सर्वेक्षण हेतु चुने गए क्षेत्र के मध्यवर्ती भाग के अन्तर्गत ऐसी सर्वेक्षण स्टेशन (माना कि A) चुना जाता है जिससे क्षेत्र के सभी आवश्यक विवरण स्पष्ट दिखाई देते हैं। ऐसे स्थान पर प्लेन टेबल को स्थापित कर दिया जाता है।
चरण 2. (Step – 2):
इस चरण में प्लेनटेबल पर ड्रॉइंग शीट लगाकर शीट के मध्यवर्ती भाग में कोई बिन्दु (माना ) अंकित किया जाता है तथा स्पिरिट लेवल की सहायती से प्लेनटेबल का समतलन किया जाता है।
चरण 3. (Step – 3):
इस चरण में ट्रफ कम्पास की सहायता से प्लेनटेबल पर उत्तर दिशा का निर्धारण किया जाता है। उत्तर दिशा में अंकन ड्रॉइंग शीट पर दाहिने हाथ की ओर ऊपर की तरफ किया जाता है।
चरण 4. (Step – 4):
इस चरण में सर्वेक्षण हेतु मापक का निर्माण किया जाता है। सर्वेक्षण हेतु निर्धारित लक्ष्यों के विस्तार एवं कागज के आकार को देखते हुए उपयुक्त मापक का निर्धारण किया जाता है। मापक साधारण या कर्णवत हो सकता है।
चरण 5. (Step – 5):
इस चरण में स्टेशन ‘A’ की स्थिति ड्रॉइंग शीट पर अंकित कर लेते हैं तथा वहाँ आलपिन लगा देते हैं। इसे बिन्दु पर चिमटे का नुकीला सिरा आलपिन से सटाकर रखने पर चिमटे की दूसरी भुजा से लटकता साहुल पिण्ड धरातल पर उस स्टेशन की स्थिति दर्शाता है। इस क्रिया को केन्द्रण कहते हैं। केन्द्रण के द्वारा ड्रॉइंग शीट पर अंकित स्टेशन से लम्बवत् स्थिति पर धरातलीय स्टेशन अंकित हो जाता है। इस स्टेशन से ही विभिन्न लक्ष्यों की दूरियाँ नापी जाती हैं।
चरण 6. (Step – 6):
इस चरण में प्लेन टेबले को स्टेशन ‘a’ पर लगी हुई आलपिन के बायीं ओर एलीडेड को सटाकर उसके प्रवर्णित किनारे के सहारे-सहारे लक्ष्य की ओर ड्रॉइंग शीट पर पेन्सिल से रेखाएँ खींचते हैं जिन्हें किरण कहते हैं। इस पर लक्ष्य का नाम लिख दिया जाता है। इसी प्रक्रिया से एक-एक करके धरातल के सभी निर्धारित लक्ष्यों की स्थिति मापक के अनुसार अंकित कर ली जाती है।
चरण 7. (Step – 7):
इस चरण में ड्रॉइंग शीट पर सर्वेक्षण विधि का नाम, क्षेत्र को नाम, संकेत आदि लिखकर विकिरण विधि द्वारा सर्वेक्षण का कार्य पूर्ण किया जाता है।
प्रश्न 6.
पश्चदृष्टिपात द्वारा पूर्वाभिमुखीकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पश्चदृष्टिपात के द्वारा पूर्वाभिमुखीकरण:
इस विधि में ड्राइंग कागज पर पहले से अंकित आधार रेखा के दोनों सिरों को धरातल पर स्थित तद्नुरूपी सर्वेक्षण स्टेशनों की दिशा में रखकर प्लेनटेबल को पूर्वाभिमुखीकरण किया जाता है। उदाहरणार्थ मान लीजिये, धरातल पर A तथा B दो सर्वेक्षण स्टेशन हैं जिनके मध्य की AB आधाररेखा ड्राइंग कागज पर ab रेखा से प्रकट है। अब B स्टेशन पर टेबुल का पूर्वाभिमुखीकरण करने के लिए A स्टेशन पर एक सर्वेक्षण दण्ड लगाते हैं तथा आरेख-पट्ट को त्रिपाद-स्टैण्ड पर ढीला कसकर B स्टेशन पर प्लेन टेबल का समतलन एवं सही केन्द्रण करते हैं।
स्पष्ट हैं कि सही केन्द्रण हो जाने पर B तथा b बिन्दु एक लम्बवत् रेखा में होंगे। अब ऐलिडेड के कार्यकारी किनारे को ba रेखा के सहारे रखकर आरेख-पट्ट को इतना घूमाते हैं कि दृश्य वेधिका का तार A स्टेशन पर गड़े सर्वेक्षण दण्ड की सीध में आ जाये। सीध मिल जाने के बाद आरेख-पट्ट को बंधन पेंच से पूरी तरह कस देते हैं। आरेख-पट्ट को घुमाते समय ऐलीडेड बिना हिले ba रेखा पर यथावत स्थिर रहना चाहिए। आरेख-पट्ट को घुमाने के फलस्वरूप यदि उसके समतलन अथवा केन्द्रण में कोई अन्तरं आ गया है तो उसे दूर करके पूर्व स्टेशन (यहाँ A) पर पुन: प्लेनटेबल का पूर्वाभिमुखीकरण करने की लिधि को अपेक्षाकृत अधिक विश्वसनीय एवं प्रामाणिक माना जाता है।
प्रश्न 7.
आधार रेखा के चयन में किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
उत्तर:
आधार रेखा का चयन करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए –
- आधार रेखा के दोनों सिरों से क्षेत्र का प्रत्येक विवरण स्पष्ट दिखाई देना चाहिए।
- आधार रेखा तथा किसी किरण के बीच का कोण अत्यधिक बड़ा अथवा अत्यधिक न्यून नहीं होना चाहिए। दूसरे शब्दों में, किरणों के प्रतिच्छेदन अत्यधिक तिरछे नहीं होने चाहिए।
- आधार रेखा यथासम्भव समतल एवं बाधा रहित धरातल पर चुनी जानी चाहिए जिससे उसे फीते की सहायता से सरलतापूर्वक सही-मापी जा सके।
- छोटे क्षेत्रों में आधार रेखा 10 से 20 मीटर लम्बी तथा बड़े क्षेत्रों में 30 से 50 मीटर लम्बे उपयुक्त रहती है।
प्रश्न 8.
प्रतिच्छेदन विधि की कार्य विधि समझाइए।
उत्तर:
प्रतिच्छेदन विधि में किसी विवरण को प्लान में अंकित करने के लिए क्षेत्र के किन्हीं दो सर्वेक्षण स्टेशनों से उस विवरण को लक्ष्य करके खींची गई किरणों का आरेख पट्ट पर प्रतिच्छेदन विन्दु ज्ञात करते हैं। जिन दो सर्वेक्षण स्टेशनों से किरणें खींची जाती हैं उन्हें मिलाने वाली सरल रेखा को आधार रेखा कहते हैं। प्रतिच्छेदन विधि द्वारा सर्वेक्षण के चरण –
चरण 1. (Step – 1):
सर्वप्रथम क्षेत्र का भली-भाँति निरीक्षण करके लक्ष्यों का निर्धारण किया जाता है। इसके पश्चात् क्षेत्र में दो ऐसे स्थानों का चयन करना होता है जहाँ से लगभग सभी लक्ष्य दिखाई देते हों। (‘A’ एवं ‘B’ स्टेशन)
चरण 2. (Step – 2):
इस चरण में स्टेशन ‘A’ पर प्लेन टेबल स्थापित किया जाता है तथा स्पिरिट लेवल की सहायता से इसे समतल किया जाता है।
चरण 3. (Step – 3):
इस चरण में प्लेन टेबल पर ट्रफ कम्पास की सहायता से उत्तर दिशा का निर्धारण किया जाता है। ड्रॉइंग शीट पर उत्तर दिशा दाहिनी ओर ऊपर की तरफ दर्शायी जाती है।
चरण 4. (Step – 4):
इस चरण में सर्वेक्षण हेतु निर्धारित लक्ष्यों के विस्तार एवं कागज के आकार को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त मापक का निर्धारण किया जाता है। निर्धारित कथनात्मक मापक के लिए ड्रॉइंग शीट पर दायें हाथ की तरफ साधारण रैखिक मापक बनाया जाता है।
चरण 5. (Step – 5):
प्लेनटेबल के समतलीकरण एवं दिशा-निर्धारण के पश्चात् सर्वेक्षण क्षेत्र के विस्तार के परिप्रेक्ष्य में स्टेशन ‘a’ की स्थिति ड्रॉइंग शीट पर अंकित कर लेते हैं तथा वहाँ आलपिन लगा देते हैं। इस बिन्दु पर चिमटे को नुकीला सिरा रखने पर चिमटे की दूसरी भुजा से लटकता साहुल पिण्ड धरातल पर उस स्टेशन की स्थिति दर्शाता है। इस क्रिया को केन्द्रण कहते हैं। स्टेशन ‘A’ पर ख़ुटी (तीर) गाड़ देते हैं।
चरण 6. (Step – 6):
इस चरण में प्लेन टेबल के स्टेशन ‘a’ पर गाड़ी हुई आलपिन से बायीं तरफ सटाकर एलीडेड रखा जाता है।
चरण 7. (Step – 7):
इस चरण में सबसे पहले सर्वेक्षण क्षेत्र में स्टेशन ‘B’ की स्थिति निर्धारित करनी होती है। स्टेशन ‘a’ पर एलीडेड रखकर सर्वेक्षण दण्ड को देखते हुए ‘B’ की सीध मिलाते हैं। एलीडेड के सहारे ‘B’ की तरफ किरण खींचते हैं। धरातल पर AB की दूरी को मापक के अनुसार इस किरण पर अंकित करते हैं। मानचित्र पर बनी ab रेखा आधार रेखा कहलाती है।
चरण 8. (Step – 8):
इस चरण के अन्तर्गत सर्वेक्षण क्षेत्र में निर्धारित किये गए एवं स्टेशन ‘a’ से दिखाई देने वाले सभी लक्ष्यों की सीध मिलाते हुए पेन्सिल से हल्की किरणें बनाते हैं।
चरण 9. (Step – 9):
इस चरण में प्लेन टेबल को । स्टेशन से उठाकर ‘B’ स्टेशन पर रखा जाता है। स्टेशन ‘B’ पर गाड़ी हुआ सर्वेक्षण दण्ड हटा लेते हैं। इसे स्टेशन ‘A’ पर गाड़ी हुई बूंटी के स्थान पर गाड़ देते हैं तथा उस खूटी को ‘B’ पर गाड़ देते हैं।
चरण 10. (Step – 10):
स्टेशन ‘B’ पर प्लेन टेबल को समायोजन इस तरह किया जाता है कि प्लेन टेबल ‘A’ स्टेशने वाली स्थिति में आ जाये। इस प्रक्रिया को पूर्वाभिमुखीकरण कहते हैं। पूर्वाभिमुखीकरण दो विधियों से किया जाता है –
- टूफ कम्पास द्वारा
- पश्चदृष्टिपात के द्वारा।
चरण 11. (Step – 11):
इस चरण में सभी लक्ष्यों को ‘b’ से एलीडेड की सहायता से देखते हैं जिनकी किरणें ‘a’ से खींची गई प्लेन टेबल पर रंजक से खींची गई प्रत्येक लक्ष्य की किरण को बारी-बारी से ‘b’ से उन्हीं लक्ष्यों की ओर किरणें खींचकर काटते अर्थात प्रतिच्छेदन करते हैं। ये कटान बिन्दु प्लाने पर उन लक्ष्यों की स्थिति दर्शाते हैं।
चरण 12. (Step – 12):
इस चरण में ड्रॉइंग शीट पर सर्वेक्षण का नाम, सर्वेक्षण विधि का नाम, क्षेत्र का नाम, संकेत आदि लिखते हैं तथा मापक बनाते हैं।
इस प्रकार प्रतिच्छेदन विधि से मानचित्र तैयार हो जाता है।