3 Iswaran the Storyteller

पाठ के विषय में : एक रात महेन्द्र नींद से जागा और एक ‘काली धुंधली आकृति’ देखी। डर के कारण वह पसीना-पसीना हो गया। क्या यह एक भूत था?

कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद 

1-2. The story………………………………………uncritically.

कठिन शब्दार्थ : supervisors (सूपवाइज्(र)ज) = निरीक्षक, various (वेअरिअस्) = विभिन्न, construction (कन्स्ट्रक्श्न् ) = निर्माण, sites (साइट्स) = स्थल, activities (ऐटिवटिज) = गतिविधियाँ, coal mining (कोल् माइनङ्) = कोयला खदान, bachelor (बैचल(र)) = कुँवारा, adjust (अजस्ट्) = समायोजन करना, conditions (कन्डिश्न्ज ) = परिस्थितियाँ, ill-equipped (इक्-इक्विप्ट) = साधनरहित, circuit house (सकिट हाउस) = विश्राम-गृह, makeshift (मेशिफ्ट) = काम-चलाऊ, stone quarry (स्टोन् क्वॉरि) = पत्थर-खदान, asset (ऐसेट) = उपयोगी व्यक्ति, attached (अटैट) = सम्बन्धित, uncomplainingly (अनकम्प्ले नलि ) = बिना शिकायत के/खुशी से, cooked (कुक्ट) = भोजन पकाया, washed (वॉश्ट्) = वस्त्र धोये, anecdotes (ऐनिक्डोट्स) = किस्से, varied (वेअरिड्) = विविध, amazing (अमेज्ङ्) = आश्चर्यजनक, capacity (कॅपैसटि) = क्षमता, ingredients (इन्ग्रीडिअन्ट) = घटक/तत्त्व, desolate (डेसलट) = निर्जन, landscape (लैन्ड्स्के प) = भू-दृश्य, visible (विजिब्ल्) = दिखाई देने वाला, miraculously (मिरैक्यलसलि) = चमत्कारपूर्णता से, conjure up (कन्ज(र) अप्) = जादू से/बाजीगरी से पैदा करना, delicious (डिलिश्स) = स्वादिष्ट, zinc-sheet (जिङ्क-शीट) = जिंक से बनी चद्दर, leisurely (लेश(र)लि) = विश्रामपूर्ण/फुरसत भरा, pouring: (पॉ(र)ङ्) = उंडेलते हुए, muttering (मटर(र)ङ्) = बुदबुदाते हुए, dozing off (डोन्ङ् ऑक) = नींद (दिन के समय झपकी), popular (प्यल(र)) = प्रसिद्ध/लोकप्रिय, thriller (थ्रिल(र)) = सनसनीखेज फिल्म/नाटक/पुस्तक आदि, thrall (थ्रॉल) = मन पर छा जाना, imaginative (इमैजिनटिव) = कल्पित, descriptions (डिस्क्रिप्श्न्ज ) = वर्णन, narrative (नैरटिव) = विवरण, flourishes (फ्लरिशज) = आगे बढ़ना, uprooted (अपरुड) = उखड़ा हुआ, arched (आचट) = चापीय/चाप रूप में, dramatic (ड्रमैटिक) = नाटकीय, gesture (जेसचें(र)) = हाव-भाव, deserted (डिजॅटिड) = वीरान, enormous (इनॉमॅस) = विशाल, bushy beast (बुशि बीस्ट) = झाड़ीदार/घना पशु, lying sprawled (लाइङ् स्पॉल्ड) = फैला पड़ा था, uncritically (अनक्रिटिक्ल) = बिना आलोचना।

हिन्दी अनुवाद : यह कहानी गणेश को महेन्द्र नाम के नवयुवक ने सुनाई थी। महेन्द्र एक कम्पनी में कनिष्ठ निरीक्षक था जो कि विभिन्न प्रकार के निर्माण स्थलों जैसे उद्योगों, पुलों, बाँधों आदि के लिए अपने निरीक्षकों की सेवाएँ भाड़े पर उपलब्ध कराती थी। महेन्द्र का काम कार्य-स्थलों की गतिविधियों पर दृष्टि रखना था। उसे अपने मुख्य कार्यालय के निर्देशानुसार एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहना पड़ता था : कोयले की खान के क्षेत्र से किसी रेलवे पुल के निर्माण स्थल को, वहाँ से कुछ महीने बाद किसी रसायन संयन्त्र पर जो कहीं लगाया जा रहा हो।

वह कुँवारा था। उसकी आवश्यकताएँ साधारण थीं और वह हर प्रकार की परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को ढाल लेता था, चाहे कोई घटिया-सा विश्राम-गृह हो और चाहे पत्थरों के खदान के बीच कोई कामचलाऊ टेंट। परन्तु उसका रसोइया ईश्वरन उसके लिए बड़े काम का आदमी था। ईश्वरन को महेन्द्र से बड़ा लगाव था और जहाँ कहीं भी महेन्द्र की नियुक्ति होती वह उसके साथ खुशी से चला जाता था। वह महेन्द्र के लिए भोजन पकाता, उसके कपड़े धोता, और रात को उसके साथ गप-शप करता था। वह विभिन्न विषयों पर अनगिनत कहानियाँ-किस्से गढ़ सकता था।

ईश्वरन में एक गुण यह भी था कि वह उन निर्जन स्थानों में भी जहाँ कोई दुकान आदि दिखाई न देती थी वहाँ, सब्जियाँ व पकाने की अन्य वस्तुएँ न जाने कहाँ से पैदा कर देता था। वह टीनों के छप्पर के नीचे नये कार्यस्थल पर आने के एक घण्टे के भीतर ही ताजी सब्जियों से बना स्वादिष्ट भोजन जादू की भाँति तैयार कर देता था।

महेन्द्र सवेरे जल्दी उठकर नाश्ता खाकर अपने काम पर चला जाता था, वह साथ में पकाया हुआ कुछ भोजन भी ले जाता था। पीछे से ईश्वरन छप्पर को ठीक करता, कपड़े धोता और फिर पानी की कई बाल्टियों से मजे से नहाता था और नहाते समय कोई प्रार्थना भी गुनगुनाता रहता था। इतने में दोपहर के भोजन का समय हो जाता था। खाना खाकर सोने से पहले वह कुछ देर पढ़ता था। प्रायः वह कई सौ पृष्ठों की तमिल भाषा में रोमांचक पुस्तक पढ़ता था। उसमें दिए गए काल्पनिक वर्णन व वृत्तान्त ईश्वरन के मन पर छा जाते थे।

उसके अपने वर्णन भी उन तमिल लेखकों से प्रभावित होते थे जिनकी पुस्तकें वह पढ़ता था। जब वह कोई साधारण-सी घटना का वर्णन भी करता था तो उसमें भी रोमांच और आश्चर्यजनक अन्त पैदा करने का प्रयास करता था। उदाहरण के लिए, जब उसे यह बताना होता कि उसने सड़क पर गिरा हुआ पेड़ देखा तो वह भौंहों को चढ़ाकर और हाथों को नाटकीय ढंग से हिलाकर कहता था-सड़क सुनसान थी और मैं अकेला। अचानक मैंने सड़क पर कोई वस्तु देखी जो लगता था जैसे कोई बड़ा भारी झाड़ीदार जैसा पशु सड़क के आरपार लेटा हुआ है। मेरे मन में आया लौट चलूँ। परन्तु जब मैं समीप आया तो देखा कि गिरा हुआ पेड़ था, जिसकी सूखी टहनियाँ फैली पड़ी थीं। महेन्द्र अपनी टाट की कुर्सी पर लेट जाता और ईश्वरन की कहानियों को बिना आलोचना किए सुनता रहता था। 

3. “The place……………………….and collapsed.”

कठिन शब्दार्थ : timber (टिम्ब(र)) = इमारती लकड़ी, logs (लॉग्ज) = पेड़ से काट लकड़ी का लट्ठा, prologue (प्रोलॉग्) = प्रस्तावना, tusker (टस्क्(र)) = हाथी, escaped (इस्केप्ट) = बच निकला, roam (रोम्) = विचरण करना, creepers (क्रीप(र)ज) = लताएँ, emulation (एम्युलेशन्) = अनुकरण, outskirts (आउट्स्कट्स) = बस्ती का बाहरी भाग/सीमा, fences (फेन्स्ज ) = बाड़, smashed (स्मैश्ट) = चूर-चूर कर देना, grunted

(ग्रन्ड) = चिंघाड़ा, shrubs (शब्ज) = झाड़ियाँ, depredations (डिप्रिडेश्न्ज) = विध्वंस, inhabitants (इन्हैबिटन्ट्स) = निवासी, disappeared (डिसपिअ(र)ड) = ओझल हो गये, grabbed (ग्रैब्ड) = झपटकर पकड़ा, menacingly (मेनस्ङ्ग लि) = धमकी से, hypnotised (हिमनॅटाइजड्) = सम्मोहित किया, trumpeted (ट्रम्पट्ड) = चिंघाड़ा, mustering (मसट(र)ङ्) = एकत्रित करते हुए, whacked (वैक्ट) = कसकर चोट की, toenail (टेनिल्) = पैर की अंगुली का नाखून, shivered (शिव(र)ड) = काँपा (डर या ठण्ड से), collapsed (कलैप्सट्) = अचानक गिरना।

हिन्दी अनुवाद : ईश्वरन अपनी कहानी सुनाना शुरू करता-जहाँ का मैं रहने वाला हूँ वह स्थान इमारती लकड़ी के लिए प्रसिद्ध है। वहाँ बड़ा समृद्ध जंगल है। लकड़ी के लढे हाथियों द्वारा ट्रकों पर लादे जाते हैं। वे विशाल, हृष्ट-पुष्ट पशु होते हैं। जब वे बिगड़ जाते हैं तो बड़े-बड़े अनुभवी महावत भी उन पर काबू नहीं पा सकते।

इस भूमिका के पश्चात् ईश्वरन हाथी से सम्बन्धित कोई किस्सा सुनाने में लग जाता।  “एक दिन एक नर हाथी लकड़ियों के प्रांगण से भाग निकला और इधर-उधर झाड़ियों को रौंदता, जंगली बेलों को उखाड़ता और टहनियों को मन-मर्जी से तोड़ता हुआ घूमने लगा। आप जानते हैं, श्रीमान्, कि जब एक हाथी पागल हो जाता है तब वह कैसे व्यवहार करता है।” अपनी ही कहानी से उत्तेजित होकर ईश्वरन पागल हाथी की नकल करता हुआ फर्श पर उछल-कूद करने लग जाता था।

ईश्वरन अपनी कहानी को आगे बढ़ाता हुआ कहता – हाथी हमारे नगर के बाहर किनारे पर आ गया। वह चारदीवारी को ऐसे तोड़ रहा था जैसे माचिस की तीलियाँ हों। फिर वह मुख्य सड़क पर आ गया और फल, मिट्टी के बर्तन व कपड़े की सब दुकानों को उसने तोड़ डाला। लोग घबरा कर इधर-उधर भागने लगे। फिर हाथी ईंटों की चार-दीवारी तोड़ कर स्कूल के खेल के मैदान में आ गया जहाँ पर बच्चे खेल रहे थे। सब बच्चे दौड़ कर कमरों में घुस गए और दरवाजे कस कर बन्द कर लिए।

हाथी चिंघाड़ता हुआ घूम रहा था, फुटबाल के गोल के खम्भे उखाड़ दिए, वॉलीबॉल के नेट को फाड़ डाला और पानी का ड्रम ठोकर मारकर चपटा बना दिया और सब झाड़ियाँ उखाड़ डालीं। सभी अध्यापक स्कूल की छत पर चढ़ गए। वहाँ से वे हाथी की लूटपाट का दृश्य बेबस खड़े देख रहे थे। नीचे मैदान में एक भी व्यक्ति न था। गलियाँ ऐसे खाली पड़ी थीं जैसे वहाँ के वासी अचानक लुप्त हो गए हों।

मैं उस समय छोटी कक्षा में पढ़ता था और छत पर खड़ा यह दृश्य देख रहा था। न जाने मुझे अचानक क्या सूझी। एक अध्यापक के हाथ से छड़ी लेकर मैं सीढ़ियों से नीचे उतर कर आँगन में आ गया। हाथी चिंघाड़ा और मुझे डराने के लिए टहनी हिलाई जो उसने अपनी सूंड में पकड़ रखी थी। उसने जोर से पाँव धरती पर मारा जिससे धूल-मिट्टी उड़ी।

उसे देख कर डर लगता था। परन्तु मैं हाथ में डंडा पकड़े धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा। लोग सम्मोहित हुए आस-पास की छतों से यह दृश्य देख रहे थे। हाथी ने क्रोध से मुझे देखा और वह मुझ पर टूट पड़ने को तत्पर था। वह अपनी सूंड उठा कर जोर से चिंघाड़ा। उसी क्षण मैं उसकी ओर बढ़ा और अपनी पूरी शक्ति बटोर कर उसके तीसरे नाखून पर जोर से डण्डा मारा। क्षण-भर के लिए तो वह पशु भौचक्का दिखाई दिया : फिर वह सिर से पैर तक कांपा और धड़ाम से गिर गया। 

4. At this point………………………… ………………. Iswaran continued.

कठिन शब्दार्थ : unfinished (अन्फिनिश्ट) = अपूर्ण/अधूरी, mumbling (म्ब्ल्ङ् ) = बुदबुदाते/फुसफुसाते, rapt (रैप्ट्) = तल्लीन, shrug (शम्) = कंधे उचकाना, casually (कैशुअलि) = अकस्मात्/लापरवाही से, paralyses (पै(र)लाइज्ज) = लकवाग्रस्त कर देना, horror (हॉर(र)) = दहशत, credible (क्रेडब्ल्) = विश्वसनीय, inimitable (इनिमिटब्ल) = अति उत्कृष्ट (जिसकी नकल नहीं हो सके), auspicious (ऑस्पिशस्) = शुभ, ancestors (ऐनसेसट(र)ज) = पूर्वज, complimented (कॉम्प्लिमन्ड) = बधाई दी, culinary skills (कलिनरि स्किल्ज) = पाक कलाकौशल, garish (गेअरिश्) = अरुचिकर चमकीला/भड़कीला, supernatural (सूपनैचल्) = अलौकिक/दिव्य, occupying (आक्युपाइङ्) = भूक्षेत्र में रहना, burial ground (बेरिअल ग्राउन्ड्) = दफनाने की जमीन, pleasant reverie (प्लेज्न्ट रेवरि) = दिवा-स्वप्न, drifted (ड्रिफ्ट्ड) = विचरण किया, skull (स्कल) = खोपड़ी।

हिन्दी अनुवाद : इस बिन्दु पर कहानी को अधूरा छोड़ ईश्वरन खड़ा हो जाता और बुदबुदाता हुआ कहता-मैं गैस जलाकर और खाना गर्म करके अभी आया । महेन्द्र जो कहानी को बड़े ध्यान से सुन रहा होता, वह अधर में रह जाता। जब ईश्वरन लौटता तो वह कहानी को आते ही फिर शुरू न करता। महेन्द्र उसे याद कराता कि कहानी अभी समाप्त नहीं हुई थी। तब ईश्वर अचानक कंधे उचकाकर कहता – हाँ, हाथी का उपचार करने एक पशु-चिकित्सक को बुलाया गया था और दो दिन पश्चात् उसका महावत उसे जंगल में ले गया था।

महेन्द्र ने पूछा, “अच्छा ईश्वरन, तुम यह बताओ कि तुमने हाथी को कैसे गिरा दिया था।” मैं समझता हूँ, श्रीमान्, इसका सम्बन्ध जापानी कला कराटे या जु-जित्सु से था जिसके बारे में मैंने कहीं पढ़ा था। देखो, इससे नाड़ी तन्त्र अस्थाई रूप से शिथिल हो जाता है। कोई भी दिन ऐसा नहीं बीतता था जिस दिन ईश्वरन कोई रोमांचक दहशत वाली और उत्कण्ठा वाली कहानी न सुनाए। चाहे कहानी विश्वास करने योग्य हो या नहीं, महेन्द्र को कहानी सुनने में आनन्द आता था क्योंकि ईश्वरन का सुनाने का ढंग निराला था। ईश्वरन के कारण महेन्द्र को अपने कमरे में टीवी की कमी अनुभव नहीं होती थी। 

एक सुबह जब महेन्द्र नाश्ता कर रहा था तो ईश्वरन ने पूछा “श्रीमान्, क्या आज रात मैं कोई विशेष पकवान बनाऊँ? आज का दिन बड़ा शुभ है। श्रीमान्, परम्परा के अनुसार आज हम अपने पूर्वजों की आत्माओं को तृप्त करने के लिए स्वादिष्ट पकवान पकाते हैं।” उस रात महेन्द्र ने अति स्वादिष्ट व्यञ्जनों का आनन्द लिया और ईश्वरन की पाककला की प्रशंसा की।

बड़ा प्रसन्न दिख रहा था परन्तु अचानक उसने भूत-प्रेतों की कहानी सुनानी आरम्भ कर दी। उसने कहना शुरू किया आप जानते हैं, श्रीमान् कि यह पूरा कारखाना क्षेत्र किसी समय कब्रिस्तान था। महेन्द्र इतना बढ़िया भोजन करने के पश्चात् दिन के सपनों में डूब गया था। यह सुनकर उसे एकदम एक झटका-सा लगा। ईश्वरन कहता गया – मैं तो उसी दिन से यह जानता था जब मुझे रास्ते में पड़ी खोपड़ी मिली थी। अब भी कभी-कभी मुझे खोपड़ियाँ व हड्डियाँ पड़ी मिल जाती हैं। 

5. He went on……………………….miles away. 

कठिन शब्दार्थ : ghosts (गोस्ट्) = प्रेतात्मा/भूत, off and on (ऑफ एण्ड ऑन्) = कभी-कभी, ugly (अग्लि) = कुरूप/भद्दा, matted (मैटिट्) = उलझे हुए गंदे (बाल), shrivelled (शिवल्ड) = मुरझाया, skeleton (स्केलिट्न्) = कंकाल/ढाँचा, foetus (फोटस्) = भ्रूण, interrupted (इन्टरप्ट्ड) = बाधित किया, sharply (शाप्लि) = तेजी से, crazy (क्रेजि) = पागल, spirits (स्पिरिट्स) = प्रेतात्माएँ, figment (फिगमॅन्ट) = मनगढन्त बात, digestive (डाइजेस्टिव्) = पाचन, sulk (सल्क) = नाराज, cheerful (चिअफल्) = प्रसन्न, talkative (टॉकटिव्) = वाचाल, peered into (पीअ(र)ड इनटू) = में झाँकना, vicinity (वसिनटि) = पास-पड़ोस में, twinkling (ट्विङ्क्ल्ङ् ) = झिलमिलाते।

हिन्दी अनुवाद : वह सुनाता गया कि कभी-कभी रात को उसे भूत कैसे दिखाई देते थे। “मैं इनसे आसानी से नहीं डरता, श्रीमान् । मैं एक साहसी व्यक्ति हूँ। परन्तु एक स्त्री का भयानक भूत पूर्णिमा की आधी रात को कभी-कभी दिखाई देता है। वह बड़ी कुरूप स्त्री है, उसके उलझे बाल हैं और चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ी हैं, वह कंकाल के समान है और अपनी गोद में भ्रूण उठाए हुए होती है।” महेन्द्र यह वर्णन सुनकर कांप उठा और उसने आवेश में आकर ईश्वरन को टोक दिया – “तुम पागल हो, ईश्वरन। भूत-प्रेत नाम की कोई चीज नहीं होती। यह सब तुम्हारी कल्पना मात्र है। अपने पाचन तन्त्र की जाँच कराओ और हो सके तो अपने दिमाग की भी। तुम बकवास कर रहे हो।”

उसने कमरा छोड़ दिया और सोने चला गया। यह आशा करते हुए कि ईश्वरन दो-एक दिन तक नाराज रहेगा। परन्तु अगले दिन ही उसने देखा कि वह तो पहले की भाँति प्रसन्न व बातूनी था। उस दिन से महेन्द्र को अपनी सभी बहादुरीपूर्ण बातों के बावजूद सोते समय कुछ बेचैनी रहने लगी। हर रात वह अपने कमरे के समीप वाली खिड़की में से बाहर अँधेरे में झाँकता था यह देखने के लिए कि आसपास कोई छाया तो नहीं घूम रही है। परन्तु उसे अँधेरा ही अँधेरा दिखाई देता था जिसमें मीलों दूर तक फैक्ट्री की टिमटिमाती बत्तियाँ थीं। 

6. He had……………………………..next day! 

कठिन शब्दार्थ : admire (अड्माइअ(र)) = प्रशंसा करना, altogether (ऑलट्गेद(र)) = पूर्णतया, moan (मोन्) = कराहट, prowling (प्राउल्ङ्) = ‘शिकार के लिए दबे पाँव विचरण करना, guttural (गट(र)ल) = कंठ्य, curiosity (क्युअरिऑसटि) = उत्सुकता, behold (बिहोल्ड) = देखना, wailing (वेलङ्) = विलाप, feline (फीलाइन्) = बिल्ली प्रजाति से सम्बन्धित, temptation (टेम्पटेश्न्) = चाह, windowsil (विन्डोसिल्) = खिड़की के नीचे का तंग खाना, clutching (क्लच्ङ) = पकड़े हुए, sweat (स्वेट्) = पसीना, pillow (पिलो) = तकिया, panting (पैन्ट्ङ्) = हाँफते हुए, ghastly (गाट्लि ) = अत्यन्त अप्रिय/हानिकर, subconscious (सबकॉन्शस्) = अवचेतन, faded (फेडड्) = रंग उतरना, greeted (ग्रीट्ड) = अभिवादन किया, resolving (रिजॉल्व्ङ् ) = कृतसंकल्प होकर, haunted place (हॉन्ड प्लेस्) = भुतहा स्थान। 

हिन्दी अनुवाद : उसे पूर्णिमा की रात में चाँदनी में धुला सफेद भू-दृश्य बहुत सुन्दर लगता था। परन्तु ईश्वरन की उस भूत-स्त्री की कहानी सुनने के पश्चात् पूर्णिमा की रात को खिड़की से बाहर झाँकने का उसमें साहस न रह गया था।

एक रात अपनी खिड़की के समीप कराहने की आवाज सुनकर महेन्द्र की नींद खुली। पहले तो उसने यह समझा कि कोई बिल्ली चूहों के शिकार के लिए घूम रही है, परन्तु आवाज गले की इतनी गहराई से आ रही थी कि यह बिल्ली की आवाज नहीं हो सकती थी।

उसे बाहर देखने की जिज्ञासा हुई, पर उसे डर लग रहा था कि कोई भयानक दृश्य न हो जिससे उसकी हृदय गति रुक जाए। परन्तु आवाज ऊँची होती गई और स्पष्ट रूप से वह बिल्ली की नहीं थी। वह अपनी जिज्ञासा को रोक न सका। खिड़की के समीप बैठकर उसने बाहर चाँदनी रात में झाँका। 

थोड़ी दूरी पर ही एक छाया गठरी-सी उठाए खड़ी थी। महेन्द्र डर से पसीना-पसीना हो गया और हाँफते हुए वह अपने तकिए पर जा गिरा। धीरे-धीरे जब वह इस भयानक दृश्य के प्रभाव से उबरा तो उसने अपने मन को समझाया कि यह अवश्य ही उसके अपने मन की किसी प्रकार की कल्पना होगी, कोई ऐसी चाल जो उसके अवचेतन मन ने उस पर चली होगी।

सवेरे जब वह उठा, नहाया और नाश्ता करने अपने कमरे से बाहर आया तो रात वाली भयानक घटना उसके मन से निकल चुकी थी। ईश्वरन ने दरवाजे पर उसका दोपहर के खाने का पैकट व थैला थमाया। जैसे ही महेन्द्र बाहर कदम रख रहा था, ईश्वरन धृष्टता से मुस्कराया और बोला, ‘श्रीमान्, याद है जब मैंने आपको उस स्त्री भूत की बात सुनाई थी तो आप मुझसे नाराज हो गए थे।

अब तो आपने भी कल रात उसे देख लिया है। जब मैंने आपके कमरे से आवाज आती सुनी तो मैं दौड़कर आया था…. महेन्द्र को कंपकंपी-सी हुई। उसने ईश्वरन का वाक्य पूरा न सुना। वह सीधा अपने कार्यालय में गया और अपना त्याग-पत्र दे दिया। उसने भूतों वाले उस स्थान को अगले दिन ही छोड़ कर जाने का निश्चय कर लिया था!
 

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