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3 The Voice of the Rain [वर्षा की आवाज़]

Walt Whitman

कठिन शब्दार्थ, हिन्दी अनुवाद एवं व्याख्या

| And who art… …………………yet the same. (Page 41)

कठिन शब्दार्थ : soft-falling (सॉफ्ट फॉलिङ्) = कोमलतापूर्वक गिरते हुए, translated (ट्रेनस्लेट्ड) = दूसरी भाषा में अनुवाद किया गया, eternal (इटन्ल) = सदा ही, निरन्तर ही, impalpable (इम्पैल्पब्ल्) = जिसे छुआ न जा सके, bottomless (बॉटम्लस्) = अथाह, जिसकी गहराई को नापा न जा सके, whence (वैन्स्) = जहाँ से, vaguely (वेग्लि) = अनिश्चित प्रकार से, formed (फोम्ड) = रूप धारण कर।

हिन्दी अनुवाद : और तुम कौन हो? मैंने कोमलतापूर्वक गिरती हुई बौछार से पूछा, जिसने, कहते हुए आश्चर्य होता है, मुझे एक उत्तर दिया, जिसे यहाँ अनुवाद किया जा रहा है : मैं पृथ्वी की कविता हूँ, वर्षा की आवाज ने कहा, अनन्त काल से निरन्तर मैं जमीन तथा अथाह समुद्र से जन्म लेती हूँ, ऊपर उठकर आकाश की ओर जाती हूँ, जहाँ से, अस्पष्ट रूप धारण कर, बिल्कुल परिवर्तित होकर, किन्तु फिर भी तत्त्व रूप से वैसी ही बनी रहकर।

Explanation—The poet describes his imaginative meeting with the rain. The poet asks the softly and gently falling shower of the rain who she is. To this enquiry of the poet, the shower or the rain gives an answer in a strange voice. The poet is wonder-struck when the rain starts speaking to him in a strange language that only he (the poet) himself can understand. He translates it for the convenience of the readers. In its answer, the rain states that it is the poem of the earth. Further, it says that it rises, or takes birth eternally from the land and the immeasurably deep sea. No one can touch or feel it when it is rising. It rises to the sky where it takes a vague form which is quite different from the form in which it rises. But it remains the same in its essential nature and composition. It changes only in its form.

व्याख्या-कवि वर्षा के साथ अपनी काल्पनिक मुलाकात का वर्णन करता है। कवि कोमलतापूर्वक गिरती हुई वर्षा की बौछार से प्रश्न करता है कि वह कौन है। कवि के इस प्रश्न का वर्षा एक अजीब स्वर में उत्तर देती है। कवि आश्चर्यचकित हो उठता है जब वर्षा उससे एक अजीब भाषा में बात करने लगती है जिसे केवल कवि ही समझ सकता है। कवि इस भाषा को पाठकों की सुविधा हेतु अनुवाद कर देता है। अपने उत्तर में वर्षा कहती है कि वह पृथ्वी का काव्य है। इससे आगे वह कहती है कि वह अनन्त काल से सदैव ही जमीन तथा अथाह गहरे समुद्र से जन्म लेती है। जब यह ऊपर उठती है तब न तो कोई इसे छू सकता है और न ही महसूस कर सकता है। उठकर यह आकाश में चली जाती है जहाँ वह एक अस्पष्ट रूप धारण कर लेती है, जो उस रूप से बिल्कुल भिन्न होता है जिस रूप में वह उठती है। लेकिन अपनी मूल प्रकृत्ति एवं रचना में यह वैसी ही बनी रहती है। वह केवल रूप की दृष्टि से ही परिवर्तित होती है।

I descend to lave…………. ………………pure and beautify it. (Page 41)

कठिन शब्दार्थ : Descend (डिसैन्ड्) = नीचे आना, गिरना, lave (लैव) = धोना, स्नान कराना, droughts (ड्राउट्स) = सूखा, atomies (ऐटमीज़) = सूक्ष्म कण, globe (ग्लोब्) = धरती, latent (लेट्न्ट) = अप्रकट, अनांकुरित, अप्रस्फुटित, origin (ऑरिजिन्) = जन्म-स्थान, आरम्भ।

हिन्दी अनुवाद : सूखे स्थानों, सूक्ष्म कणों तथा जमीन पर धूल की तहों और उन सबको जो इनमें मेरे बिना केवल बीज मात्र ही होते, निष्क्रिय, अप्रकट-अजन्मे, मैं स्नान कराने हेतु आसमान से नीचे आती हूँ तथा हमेशा ही, दिन-रात, मैं अपने ही जन्म-स्थान को जीवन लौटाती हूँ और इसे शुद्ध एवं सुन्दर बनाती हूँ।

Explanation : The rain is talking about its activities. What it does and how it gives life to everything on the earth, is the subject of its talk with the poet. The rain says that it comes down to the earth to bathe the places affected by droughts, small particles of dust and layers of dust. It bathes all those who without it would have remained as seeds only. Without the rain, they would never have sprouted into new plants. They would have remained inactive and unborn. The rain says that it keep on giving back life for ever to the earth from which it itself receives life. It keeps on making the earth pure and beautiful.

व्याख्या-वर्षा अपने क्रियाकलापों के बारे में बात कर रही है। वह क्या करती है और किस प्रकार पृथ्वी पर की प्रत्येक वस्तु को जीवन प्रदान करती है, यही कवि के साथ उसकी बातचीत का विषय है। वर्षा कहती है कि वह पृथ्वी पर आती है तथा सूखा-ग्रस्त स्थानों, मिट्टी के सूक्ष्म कणों तथा रेत की परतों को नहलाती है। वह उन सबको स्नान कराती है जो उसके बिना केवल बीज ही बने रहते। बिना वर्षा के वे कभी भी अंकुरित होकर नये पौधे नहीं बन सकते थे। वे निष्क्रिय एवं अजन्मे ही रहे होते। वर्षा कहती है कि वह हमेशा ही पृथ्वी को जीवन देती रहती है जिस पृथ्वी से वह स्वयं जीवन पाती है। वह पृथ्वी को शुद्ध एवं सुन्दर बनाये रखती है।

For song, issuing…………………………………………with love returns. (Page 41)

कठिन शब्दार्थ : song (सॉङ्) = गीत अथवा गाने वाला पक्षी, issuing (इशूइङ्) = बाहर निकल कर, fulfilment (फुल्फिल्मन्ट) = तृप्ति, wandering (वॉन्ड(रि)ङ्) = घर से बाहर इधर-उधर घूमना, reck’d or unreck’d (रेक्ट ऑ(र) अन्रेक्ट) = किसी के द्वारा सुना गया अथवा नहीं सुना गया।

हिन्दी अनुवाद : क्योंकि एक गीत अथवा गाने वाला पक्षी जो अपने जन्म-स्थान से बाहर आता है, तृप्ति प्राप्त करने के बाद, चाहे उसे सुना गया अथवा नहीं सुना गया, वापस जन्म-स्थान को लौट जाता है।

Explanation : The poet compares the rain to a singing bird. A singing bird leaves its nest and wanders about singing its songs to attract its mate. Then after wandering and the fulfilment of its love, it returns to its nest which is its birth-place. It does not care whether anyone has paid attention to its song or not. It comes back satisfied to its nest. Similarly, the rain, having risen from the earth, its birth-place, returns to it after giving life to every particle on the earth. It feels, happy and satisfied having done it duty.

These lines can be given a different meaning also. A song comes out of a poet’s heart, its birth-place. The poet sings his song and scatters its strains on the earth. He does not care whether anyone is listening to his song or not. After he has sung his song, it settles back into his heart, which is its birth-place. The song, like the rain, keeps rising again and again and keeps the poet’s heart pure and happy.

व्याख्या-कवि वर्षा की तुलना एक गीत गाने वाले पक्षी से करता है। एक गायक पक्षी अपने घोंसले से रवाना होता है और अपने गीतों को गाता हुआ इधर-उधर घूमता है ताकि अपने जीवन-साथी को आकर्षित कर सके। घूमने-फिरने तथा प्रेम की सन्तुष्टि प्राप्त कर लेने के बाद वह अपने घोंसले पर वापस आ जाता है, जो इसका जन्म स्थान है। यह पक्षी इस बात की परवाह नहीं करता है कि किसी ने उसके गीत पर ध्यान दिया है

अथवा नहीं। वह सन्तुष्ट होकर अपने घोंसले को लौटता है। इसी प्रकार वर्षा पृथ्वी से जन्म लेकर, उठकर, प्रत्येक कण को जीवन प्रदान करने के बाद वापस लौट जाती है, पृथ्वी पर, जो इसकी जन्म-भूमि है। अपने कर्त्तव्य को पूरा करने के बाद वह प्रसन्न एवं सन्तुष्ट महसूस करती है। ….. शाद इन पंक्तियों को एक भिन्न अर्थ भी दिया जा सकता है। एक गीत कवि के हृदय से निकलता है जो इसका जन्म-स्थान होता है। कवि अपना गीत गाता है तथा पृथ्वी पर अपना संगीत बिखेरता है। वह इस बात की परवाह नहीं करता कि कोई उसके गीत को सुन रहा है, अथवा नहीं। जब वह अपना गीत गा चुका है तो यह गीत वापस उसके हृदय में ही बस जाता है जो उसका जन्म-स्थान है। यह गीत वर्षा की भाँति बार-बार उठता है तथा कवि के हृदय को प्रसन्न एवं शुद्ध बनाये रखता है।

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