Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना Question bank
Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना अभ्यास प्रश्न बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर 1. वे मार्ग जो न केवल एशिया के विशाल क्षेत्रों को एक-दूसरे से जोड़ने का कार्य करते थे बल्कि एशिया और उत्तरी अफ्रीका को भी जोड़ते थे कहलाते थे- a. रेशम मार्ग b. राजमार्ग c. स्वर्णिम चतुर्भुज मार्ग d. इनमें से कोई नहीं। (a) 2. […]
Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद Question bank
Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद अभ्यास प्रश्न बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर 1. सविनय अवज्ञा आंदोलन में महात्मा गांधी ने नमक को अत्यधिक महत्त्व क्यों दिया? a. नमक का प्रयोग अमीर-गरीब सभी करते थे b. यह भोजन का अभिन्न हिस्सा था c. नमक तैयार करने पर सरकार का एकाधिकार था d. उपर्युक्त सभी। (d) 2. ‘करो या मरो’ […]
Chpater 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय Question bank
Chpater 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय अभ्यास प्रश्न बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर 1. निम्नलिखित क्रांतियों में से किसे ‘राष्ट्रवाद की पहली अभिव्यक्ति’ कहा गया है? a. फ्रांसीसी क्रांति c. गौरवशाली क्रांति b. रूसी क्रांति d. उदारवादियों की क्रांति । (a) 2. यंग इटली सोसाइटी का संस्थापक कौन था? a. गैरीबॉल्डी b. बिस्मार्क c. कावूर d. मेजिनी। […]
(क) कवित्त (ख) सवैया
(क) कवित्त (ख) सवैया घनानंद सप्रसंग व्याख्या (क) कवित्त संदर्भ प्रस्तुत काव्यांश पाठ्य पुस्तक ‘अंतरा’ (भाग-2) में संकलित ‘कवित्त’ शीर्षक कविता का अंश है। यह घनानंद की रचना है, जो रीतिकाल के प्रमुख स्वच्छंदतावादी कवि हैं। प्रसंग कवि ने अपनी प्रेमिका सुजान के अंतिम दर्शन की अभिलाषा को इस काव्यांश में व्यक्त किया है। व्याख्या […]
पद
पद विद्यापति सप्रसंग व्याख्या हिए नहि सहए असह दुख रे भेल साओन मास।। एकसरि भवन पिआ बिनु रे मोहि रहलो न जाए। सखि अनकर दुख दारुन रे जग के पति आए।। मोर मन हरि हर लए गेल रे अपनो मन गेल। गोकुल तेजि मधुपुर बस रे कन अपजस लेल।। विद्यापति कवि गाओल रे धनि धरु […]
बारहमासा
बारहमासा सप्रसंग व्याख्या काँपा हिया जनावा सीऊ। तौ पै जाइ होइ सँग पीऊ।। घर घर चीर रचा सब काहूँ। मोर रूप रँग लै गा नाहू।। पलटि न बहुरा गा जो बिछोई। अबहूँ फिरै फिरै रँग सोई।। सियरि अगिनि बिरहिनि हिय जारा। सुलगि सुलगि दगधौ भै छारा।। यह दुख दगध न जानै कंतू। जोबन जनम करै […]
(क) भरत-राम का प्रेम (ख) पद
(क) भरत-राम का प्रेम (ख) पद तुलसीदास सप्रसंग व्याख्या (क) भरत-राम का प्रेम संदर्भ प्रस्तुत काव्यांश पाठ्य-पुस्तक ‘अंतरा’ (भाग-2) के ‘भरत-राम का प्रेम’ शीर्षक पद से लिया गया है। यह पद ‘रामचरितमानस’ के ‘अयोध्या-कांड’ में संकलित है। प्रसंग अयोध्या के राजा दशरथ राम को राजा बनाना चाहते थे, किंतु कैकयी को दिए अपने ‘वर’ के […]
(क) तोड़ो (ख) वसंत आया
(क) तोड़ो (ख) वसंत आया रघुवीर सहाय सप्रसंग व्याख्या (क) वसंत आया ऐसे किसी बँगले के किसी तरु (अशोक) पर कोई चिडिया कुऊकी चलती सड़क के किनारे लाल बजरी पर चुरमुराये पाँव तले ऊँचे तरुवर से गिरे बड़े-बड़े पियराए पत्ते कोई छह बजे सुबह जैसे गरम पानी से नहाई हो खिली हुई हवा आई, फिरकी-सी […]
(क) एक कम (ख) सत्य
(क) एक कम (ख) सत्य विष्णु खरे सप्रसंग व्याख्या (क) एक कम इतने लोगों को इतने तरीकों से आत्मनिर्भर मालामाल और गतिशील होते देखा है कि अब जब आगे कोई हाथ फैलाता है पच्चीस पैसे एक चाय या दो रोटी के लिए तो जान लेता हूँ मेरे सामने एक ईमानदार आदमी, औरत या बच्चा खड़ा […]
Poem 4 (क) बनारस (ख) दिशा व्याख्या
Poem 4 (क) बनारस (ख) दिशा