धातुरूप-प्रकरणम् 8

धातुरूप-प्रकरणम् जिन शब्दों से कार्य के होने या करने का बोध हो उसे ‘क्रिया’ कहते हैं तथा उसके मूल रूप को धातु कहते हैं। जैसे- लिखना क्रिया का मूल रूप है लिख् अतः लिखना क्रिया की धातु ‘लिख्’ है। धातु के रूप पाँच लकारों में बनते हैं। लट् लकारः – वर्तमानकाल – अहम् पठामि। लृट् […]

कारक व उपपद विभक्तियाँ 8

कारक व उपपद विभक्तियाँ वाक्य में क्रिया के साथ जिस शब्द का साक्षात् सम्बन्ध हो उसे कारक कहते हैं। जैसे- रमा चलति, देवः पठति। संस्कृत में छ: कारक होते हैं- कर्ता कर्म करण सम्प्रदान अपादान अधिकरण संस्कृत में संबंध को कारक नहीं माना गया है क्योंकि इसका क्रिया के साथ सीधा संबंध नहीं होता। सम्बोधन […]

उपसर्ग-प्रत्यय-प्रकरणम् च 8

उपसर्ग-प्रत्यय-प्रकरणम् च उपसर्ग-प्रकरणम् उपसर्ग – वे शब्द जो किसी धातु या संज्ञादि शब्दों से पूर्व जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं। जैसेगच्छति- जाता है, आगच्छति- आता है। इसमें ‘आ’ उपसर्ग लगने से अर्थ बदल गया है। संस्कृत-भाषा में बाईस उपसर्ग माने गए हैं- प्र, परा, अप्, सम्, अनु, अव, निस्, निर्, दुस्, दुर्, […]

अव्यय-प्रकरणम् 8

अव्यय-प्रकरणम् पाठ्यक्रम में निम्न अव्यय पदों का समावेश है- 1. अलम् 2. अन्तः 3. बहिः 4. अधः 5. उपरि 6. उच्चैः 7. नीचैः 8. कदापि 9. पुनः। इनके अतिरिक्त पाठों में न, च, यदा, कदा, कुत्र, अपि, एव, तथा, हि, किम्, अद्य, ह्यः, श्वः यदि, तथैव, सह, उभयतः, परितः, सर्वतः, नमः आदि का भी प्रयोग […]

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