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Chapter 1 जीव जगत

Textbook Questions and Answers 

प्रश्न 1. 
जीवों को वर्गीकृत क्यों करते हैं? 
उत्तर:
जीवों को वर्गीकृत करने के मुख्य कारण निम्न हैं:

  • अध्ययन की सुविधा: यह वर्गीकरण का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है। क्योंकि लाखों जन्तु जातियों का अलग-अलग अध्ययन करना सम्भव नहीं होता, उनकी संरचना व अलग-अलग भाषाओं में उनके अलग-अलग नाम याद रखना सम्भव नहीं होता है।
  • विभिन्न जन्तु जातियों के मौलिक लक्षणों व उनके मध्य विकासीय सम्बन्धों को स्पष्ट बोध करवाना इसका दूसरा महत्वपूर्ण उद्देश्य है।

प्रश्न 2. 
वर्गीकरण प्रणाली को बार – बार क्यों बदलते हैं?
उत्तर: 
यदि हम अपने अवलोकन के क्षेत्र को बढ़ाते हैं तो हमें प्रतिदिन विविधता की एक बहुत बड़ी श्रृंखला दिखाई देती है। जैसेजैसे हम नये तथा पुराने क्षेत्रों की खोज करते हैं, हमें नये – नये जीवों का पता लगता रहता है। विश्व में कई मिलियन पौधे तथा प्राणी हैं। हम पौधों तथा प्राणियों को उनके स्थानीय नाम से जानते हैं। ये स्थानीय नाम एक ही देश के विभिन्न स्थानों के अनुसार बदलते रहते हैं। यदि हमने कोई ऐसी विधि नहीं निकाली जिसके द्वारा हम किसी जीव के विषय में चर्चा कर सकें, तो हमारा ज्ञान अधूरा रह जायेगा। जीवविज्ञान को और अधिक सरल बनाने के लिए, उसके महत्व का दायरा बढ़ने से सम्बन्धित अन्य उपयोगी जानकारियों का पता चलते रहने से, नई खोजों से प्राप्त जानकारियों को एकत्रित करने के लिए और जीव विविधता के संरक्षण के लिए हमें वर्गीकरण प्रणाली को बार – बार बदलना पड़ता है। बार – बार बदलने से वर्गीकरण प्रणाली अधिक सुविधाजनक और सरल बन सके ताकि इससे अधिक से अधिक संख्या में जीवों को सम्मिलित किया जा सके।

प्रश्न 3. 
जिन लोगों से आप प्रायः मिलते रहते हैं, आप उनको किस आधार पर वर्गीकृत करना पसंद करेंगे? (संकेत: ड्रेस, मातृभाषा, प्रदेश जिसमें वे रहते हैं, आर्थिक स्तर आदि।)
उत्तर: 
सर्वप्रथम हम मातृभाषा के आधार पर अपने से मिलने वाले लोगों का वर्गीकरण करेंगे। उसके पश्चात् प्रदेश जिसमें वे रहते हैं, उसके बाद वेशभूषा, धर्म, जाति, उसकी शारीरिक रंग – रूप की बनावट और फिर उसकी आर्थिक स्थिति के आधार पर हम वर्गीकरण करना पसंद करेंगे। वर्गीकरण एकल सोपान प्रक्रम नहीं है, बल्कि इसमें पदानुक्रम सोपान होते हैं जिसमें प्रत्येक सोपान पद अथवा वर्ग को प्रदर्शित करता है। चूंकि संवर्ग समस्त वर्गिकी पदानुक्रम बनाते हैं। प्रत्येक संवर्ग वर्गीकरण की एक इकाई को प्रदर्शित करता है जिसे प्रायः टैक्सॉन कहते हैं।

प्रश्न 4. 
व्यष्टि तथा समष्टि की पहचान से हमें क्या शिक्षा मिलती हैं?
उत्तर:
व्यष्टि तथा समष्टि की पहचान से हमें वर्तमान के सभी जीवों के परस्पर सम्बन्ध और साथ ही पृथ्वी पर आदिकाल के सभी जीवों के साथ उनके संवादों के बारे में जानकारियाँ मिलती हैं। इससे हमें समान प्रकार के जीवों तथा अन्य प्रकार के जीवों में समानता तथा विभिन्नता को पहचानने में सहायता मिलती है। जीवों और पौधों के महत्त्व और पर्यावरणीय पारिस्थितिकी सन्तुलन आदि के विषय में ज्ञान प्राप्त होता हैं।

प्रश्न 5. 
आम का वैज्ञानिक नाम निम्नलिखित है। इसमें से कौनसा सही है?
मेंजीफेरा इंडिका 
मेंजीफेरा इंडिका
उत्तर:
आम का वैज्ञानिक नाम मेंजीफेरा इंडिका (Mangifera indica) है।

प्रश्न 6. 
टैक्सॉन की परिभाषा दीजिए। विभिन्न पदानुक्रम स्तर पर टैक्सॉन के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
टैक्सॉन: वर्गीकरण एकल सोपान प्रक्रम नहीं है बल्कि इसमें पदानुक्रम सोपान होते हैं। जिसमें प्रत्येक सोपान पद या वर्ग को प्रदर्शित करता है। चूंकि संवर्ग समस्त वर्गिकी व्यवस्था है, इसलिए इसे बर्गिकी संवर्ग कहते हैं और तभी सारे संवर्ग मिलकर वर्गिकी पदानुक्रम बनाते हैं। प्रत्येक संवर्ग वर्गीकरण की एक इकाई को प्रदर्शित करता है। वास्तव में यह एक पद को दर्शाता है और इसे प्राय: वर्गक / टैक्सॉन कहते हैं। वर्गिकी संवर्ग तथा पदानुक्रम का वर्णन एक उदाहरण द्वारा कर सकते हैं। कीट जीवों के एक वर्ग को दिखाता है जिसमें समान गुण जैसे तीन जोड़ी संधि पाद (टांगें) होती हैं। इसका अर्थ है कि कीट स्वीकारणीय सुस्पष्ट जीव है जिसका वर्गीकरण किया जा सकता है, इसलिए इसे एक पद अथवा संवर्ग का दर्जा दिया गया है।
सभी ज्ञात जीवों के वर्गीकीय अध्ययन से सामान्य संवर्ग जैसे: जगत, संघ, वर्ग, गण, कुल, वंश तथा जाति का विकास हुआ।

प्रश्न 7. 
क्या आप वर्गिकी संवर्ग का सही क्रम पहचान सकते हैं?
(अ) जाति ( स्पीशीव) → गण (आर्डर) → संप (फाइलम) → जगत (किगडम)
(ब) वंश ( जीनस) जाति → गण → जगत 
(स) जाति → वंश → गण → संघ 
उत्तर:
(स) जाति → वंश → गण → संघ 

प्रश्य 8. 
जाति शब्द के सभी मानवीय वर्तमान कालिक अओं को एकत्र कीजिए। क्या भाप अपने शिक्षक में उच्चटिके पौधों नया प्राणियों तथा बैक्टीरिया की स्पीशीजका अर्थ जानने के लिए चर्चा कर सकते है?
उत्तर:
जाति (Species स्पीशीज): वर्गीकरण में सबसे बेटी मूल इकाई लतिरे। जॉन रे ने सबसे पहले जाति की पीभावीरे के अनुसार एकही प्रकार के जशी उत्पन जोर एकही जाति के होते हैं। किसी जाति विशेष के सदस्यों में निम्म गुण होते हैं:

  • इनमें अकारिको समानताएं होती हैं।
  • ये आपस में जमा करके सतार वत्थन करते हैं एवं इनकी सन्तति में सन्तान उत्पन्न करने की क्षमता होती है।
  • ऐसे सभी जीर्य की उत्पति सनन पर्वज से होती है।

हम किसी भी स्पीरीज को उसके समीपस्थ सम्बन्धिा स्पीशीच से आकारिकोप विजिला के आधार पर उन्हें एक दूसरे से अलग कर सकते हैं। हम इसके लिए मंजीफेरा हडिका (अम), सोलतम उपचारांसम (आस) तप धत लिमो (जेर) के उदाहरण लेते हैं। सभी तीनों गमों में इंडिका, इमोसम या तिad जाति संकेत पद हैं। ज्यांक पहले पद में मेंतोपेला सोलेनम लदा पंथा शके नाम हैं और पे रैक्स अवा संवर्ग का भी निरूपण करते हैं।

प्रत्येक वंश में एक अपवा एक से अधिक गति के संकेत पद हो सकतेजिलो निलो आकारिकीच गप समान हों, को दिखाते हैं। उदाहरणार्थ पंथपा में एक अन्य जाति संकेत पद है जिसे हिगरिस कहते है। सोलंका पंज में नाम मैलांजिन भी आते हैं। मान्य की जाति सेपियनर है जे होने वंश में आता है। इसलिए मानव का वैज्ञानिक नाम होगा पिया है।
परन्तु बैटीरिया को करके आपार के आधार पर चार वर्ग समहों में रखा गया है। दण्डाण, गोलापु, सर्पितायत तथा अन्य प्रकार की आकृति के (कोम, कुण्डलित आदि)। इस प्रकार का अर्थ उच्च जीवों के लिए और बैक्टीरिया के लिए अलग – अलग है।

प्रश्न 9. 
निम्नलिखित शब्दों को समझाइये तक्षा परिभाषित कीजिए:
(i) संप
(ii) वर्ग
(iii) कल 
(iv) गण 
(v) वंश।
उत्तर:
(i) संघ (Phytam फाइलम): समान गुणों से पुका वर्ग मिलकर संग का निर्माण करते हैं। पीसोज, ऐम्फोबिपा, रेप्योलिप, एवीन एवं मैमेलिया वर्ग के सभी प्राणियों में एकसमान गुण जैसे पुष्ट रख (नोवकोट) तथ जीय ग्रेवला ताधिका तव के होने के आधार पा काडेंटा संघ में रखा गया है। पौधों में इन वर्गों, जिसमें कुछ हो एकसमान लश्प होते हैं, को उन्नतर संवर्ग भाग (डिविजन) में रखा गया है।

(ii) वर्ग (Class क्लास): समानता रखने वाले गागों (Orders) के समूहको वर्ग कहते हैं। उदाहरणार्थ प्रमेय गण जिसमें बंदर, गोरिल्ला तथा गिबन मो और कारनोयोग गण जिसमें वाप, चिल्लो तथा का मातेको मैमेलिया (Mammalis) वर्ग में रखा गया है। इसके अतिरिका मेलिप वर्ग में अन्य गण भी आते हैं।

(iii) कल (Family फेमिली) समना वाले वंशों को समूहिक रूप से पल (Family) कहते हैं। स्पीशीन की तसना में कम सम्बनता प्रदर्शित करते हैं। कल के वर्गीकरण का आधार पौधों के कादिक ता जनन गण है। उदाहरणार्थ पौधों में तीन विभिन्न वंश सोलेनम मिनिस त दया को सोलेनेसो कल में रखते हैं। जबकि प्राणी वंश पर जिसमें शेर, माप, चीत आते है.को फैलिस (विप्ली। के साथ कॅलिडी कल में राजे जाते। इसी प्रकार पदि हम बिल्ली तदा कसे के लक्षणों को देखें हमको दोने में कह समानताएँ तथा का विभिन्नताएं दिखाई पड़ेंगी। उनें क्रमश: दो विभिन्न कुलों कैनीडी तथा फेलिही में रखा गया है।

(iv) गण ( Order आर्डर) समानता साने वाले कलों के समूहों को गण कहते गण में उच्यता वर्ग होने के कारण पलों के समूह होते हैं. जिनके कालपर एकत्रमान होते हैं। इसमें एक से लक्षप कल में शामिल विभिन्न चहा की अपेक्षा कम होते हैं। पादप फल जैसे कोन्योलव्यालेसी, सेलेनेसी को पोलिमोनिएलस गप में रखा गया है। इसका मुख्य आश्चर पुची लक्षण है। जबकि प्रागी कारणीवरा गण में फेलिकी जदा केनीही कुत्तों को रखा गया है।

(v) वंश (Genus जीनस) एकसमान जातियों के समूह को वंश कहते हैं। उदाहरणार्थ,भारण, टमाटर तथा बैंगन। ये दोनों अलगअलग स्पोशीज, लेकिन सीमोलेगा वंश में भाती है। शेर (खरा लिओ), चौता (पवर पपडर) तथा (बा टियारसा ये सभी पंधरा वंश में आते हैं। यह वंश इसी वंश गैलिम जिसमें बिल्ली आती है.से भिन्न है।

प्रश्न 10. 
जीन के वर्गीकरण तथा पहचान में कुंजी किस प्रकार सहायक?
उत्तर:
कुंजी लक्षण वे मौलिक लक्षण जो जोषों के वर्गीकरण का आधार बनते हैं तथा जिनसे वर्गीकरण आसान हो गते हैं उने कुंजी तथप कहते हैं। यह एक अन्य साधन सामग्री है, जिसका प्रयोग समानताओं नव असमानताओं पर आधारित होकर पौधों तथा प्राणियों की पहचान में किया जाता है। यह कंजी विपर्यासी समन, जो प्राय: जोड़ों ( यम्मी जिनें पग्मित करते हैं, के आधार पर होती है। केजी दो विपरीत विकल्पों को चुनने को दिखाती है। इसके परिणामस्वरूप एक को मान्यता तथा दूसरे को अमान्यता प्राण होती है। कंजी में प्रत्येक वन मार्गदर्शन का कार्य करता है। पहचाले के लिए प्रत्येक वांगकी संवर्ग जैसे कल वंश तथा जाति के लिए अलग बगिकी कुंजी की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 11. 
पौधों तथा प्राणियों के उचित उदाहरण देते हुए चर्गिकी पदानुक्रम का चित्रण कीजिये।
उत्तर:
वर्गीकरण एकप्त खेपात प्रक्रम नहीं है बरिक इनमें पदानुक्रम सोपान होते हैं, जिसमें प्रत्येक सोपान पद या वर्ग को प्रदर्शित करता है। चूंकि संवर्ग समस्त वर्गिकी व्यवस्था है, इसलिए इसे वगिकी संवर्ग कहते हैं और तभी सारे संवर्ग मिलकर वर्गिको पदानुक्रम बनाते हैं। प्रत्येक संवर्ग वर्गीकरण की एक इकाई को प्रदर्शित करता है। इसे प्रायः टेक्सान कहते हैं।
वर्गिकी संवर्ग तथा पदानुक्रम का वर्णन एक उदाहरण द्वारा कर सकते हैं। कीट जीवों के एक वर्ग को दिखाता है जिसमें एकसमान गुण पैसे तीन गोड़ी संधिपाद होती हैं। इसका अर्थ है कि कीट स्वीकारणीय मुस्पष्ट जीव है जिसका वर्गीकरण किया जा सकता है। इसलिए इसे एक पद अथवा संवर्ग का दर्शा दिया गया है। वर्ग संवर्ग को दिखाता है। प्रत्येक पद अक्षण वर्गक जस्तव में वर्गीकरण की एक इकाई को बताता है। ये वर्गिको वर्ग/संवर्ग सुस्मा विकनकि केवल आकारिकीप समूह हैं।

सभी शात जीवों के वर्गिकीय अध्ययन से सामान्य संवर्ग जैसे जगत, संघ अधया प्रभाग (पौधों के लिए) वर्ग, कुल, वंश तथा जाति का विकास हुआ। पौधों तथा प्राणियों दोनों में स्पीशीज सबसे निचले संवर्ग में आती है। अब प्रश्न उतना है कि किसी जीव को विभिन्न संवर्गों में कैसे रखते हैं। इसके लिए मूलभूत आवश्यकता व्यष्टि तथा उसके वर्ग के गुणों का ज्ञान होता है। यह समान प्रकार के जीवों तथा अन्य प्रकर के जीवों में समानता तथा विभिन्नता को पहचानने में सहायता करता हैं। आगे चित्र में स्पीशीजसे लेकर जात तक विभिन्न वगिकी संवर्ग को आरोही क्रम में दिखाया गया है। इस संवर्ग में पद्यपि वर्गिको विज्ञानियों ने पदानुक्रम में उपसंवर्ग भी बताये हैं। इसमें विभिन्न टैक्सान का उचित वैज्ञानिक स्थान देने में सुविधा होती है।

उपयुक्त चित्र को देखने के पश्चात् हमें लगता है कि जैसे – जैसे हम स्पोशोज से जगत की ओर ऊपर जाते हैं वैसे हो समान गुणों में कमी आती जाती है। सबसे नीचे जे टैक्या होगा उनके सदस्यों में सबसे अधिक समान गुण होंगे। जैसे जैसे उच्चतर संवर्ग की ओर जाते हैं, उसी स्तर पर अन्य टैक्सा के संबंध गिधारित करने अधिक कठिन हो जाते हैं। इसलिए वर्गीकरण की समस्या और भी जटिल हो जाती है।
नीचे वालिका में परेलू मक्खी, मानव, आग, गेहूँ के विभिन्न वर्गिको संगों को दिखाया गया है:
तालिका – वर्गिकी संवर्ग सहित कुछ जीव

सामान्य नाम

जैविक नाम

वंश

कुल

गण

वर्ग

संघ

1. मानव

होमो सेपियन्स

होमो

होमोनिडी

प्राइमट

मैमेलिया

काडैटा

2. घरेलू मक्खी

मस्का डोमस्टिका

मस्का

म्यूसीडी

डिप्टेरा

इन्चोक्टा

आर्थ्रोपोडा

3. आम

मंजीफेरा इण्डिका

मैंजीफेरा

एनाकारडिएसी

सेपिन्डेल्स

डाइकोटीलिडनी

एंजियोस्पर्मी

4. गेहूँ

ट्रीटीकम एइस्टीवम

ट्रीटोकम

पोएसी

पोपलस

मोनोकोटीलिडनी

एंजियोस्पर्मी

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