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काले मेघा पानी दे
धर्मवीर भारती
अभ्यास
पाठ के साथ
- लोगों ने लड़कों की टोली को मेढक-मंडली नाम किस आधार पर दिया? यह टोली अपने आपको 'इंदर सेना' कहकर क्यों बुलाती थी?
उत्तर लड़कों की टोली के दो नाम थे-इंदर सेना या मेढक-मंडली, बिल्कुल एक-दूसरे के विपरीत। जो लोग उनके नग्न स्वरूप शरीर, उनकी उछल-कूद, उनके शोर-शराबे और उनके कारण गली में होने वाले कीचड़ कादों से चिढ़ते थे, ये उन्हें मेढक-मंडली कहते थे। जब टोली अनावृष्टि दूर करने के लिए द्वार-द्वार पर पानी माँगने जाती थी, तब उनका तर्क था कि वे इंद्र से पानी माँग रहे होते हैं। वे इंद्र को इसी रूप से पानी का अर्घ्य देंगे, तभी वह प्रसन्न होकर वर्षा करेंगे। इस कारण टोली अपने आप को 'इंदर सेना' कहकर बुलाती थी।
- जीजी ने 'इंदर सेना' पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?
उत्तर जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को निम्नलिखित तर्कों द्वारा सही ठहराया
- इंदर सेना पर पानी डालना अंधविश्वास नहीं है अपितु इंदर को पानी का अर्घ्य चढ़ाया जाता है। जो चीज मनुष्य पाना चाहता है उसे पहले देना होगा, इसीलिए ऋषि-मुनियों ने दान को सबसे ऊँचा स्थान दिया है।
- कम चीजों में से किया गया त्याग ही उत्तम होता है। अपनी जरूरतें पीछे रखकर दूसरों के कल्याण के लिए किसी वस्तु का त्याग ही दान होता है और वही फलदायी होता है।
3. 'पानी दे, गुड़धानी दे' मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों
की जा रही है?
उत्तर इंद्र सेना बादलों से पहले पानी माँगती है और बाद में गुड़धानी। गेहूँ या चने को भूनकर उसे पिघले हुए गुड़ में मिलाकर गुड़धानी बनाई जाती है। वर्षा होगी, तभी गेहूँ-चने-ईख की बुवाई होगी। इनके उत्पन्न होने पर ही गुड़धानी बनेगी। दूसरे, यहाँ गुड़धानी भोजन का प्रतीक है। बादलों से भोजन माँगा जा रहा है, क्योंकि मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं में हवा के बाद जल और अन्न का स्थान होता है। गुड़धानी से एक अन्य तात्पर्य प्रसन्नता से लिया जा सकता है।
- 'गगरी फूटी बैल पियासा' इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है?
उत्तर वर्षा-पानी-बैल-भोजन सब का पारस्परिक संबंध है। वर्षा से पानी मिलता है। पानी पीकर बैल खेतों पर जाते हैं और फिर फसल उगेगी और सभी को भोजन मिलेगा। ग्रीष्म ऋतु की असहनीय लू में प्रकृति का प्रत्येक जीव-जंतु और पेड़-पौधे व्याकुल हो जाते हैं, उन्हें जी भर कर पानी नहीं मिलता है। फलस्वरूप वे प्यासे रहने को विवश हो जाते हैं। बैल तो कृषि की रीढ़ होते हैं। वही खेतों में जाकर अन्न उपजाते हैं। उनके प्यासे रह जाने से सारी कृषि के ही नष्ट होने का खतरा उत्पन्न हो जाता है। इसीलिए इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यास की बात मुखरित हुई है। लोग इंद्र को भेंट करने के लिए पानी देंगे, तभी इंद्र भगवान प्रसन्न होंगे। इंद्र भगवान के प्रसन्न होने पर ही बैलों की प्यास बुझेगी।
- 'इंदर सेना' सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है? नदियों का भारतीय सामाजिक, सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है?
उत्तर नदियाँ धार्मिक और सामाजिक आस्थाओं की प्रतीक हैं। वे प्रकृति की जीवनदायिनी संरचना हैं। 'गंगा' भारत की सबसे पूज्य नदी है। वह भारतीयों के लिए केवल एक नदी नहीं अपितु माँ, देवी, स्वर्ग और स्वर्ग की सीढ़ी भी है, मोक्षदायिनी है। गंगा पावन नदी है। इसका पानी अमृत तुल्य है। हमारे देश का सामाजिक व सांस्कृतिक परिवेश ही ऐसा है कि हमारे सारे पुण्य कार्यों एवं कर्मकांडों के पीछे नदियों का विशेष महत्त्व है। हमारे सभी तीर्थ स्थान नदियों के किनारे बसे हुए हैं। हमारे अधिकांश धार्मिक उत्सव किसी न किसी रूप में नदियों से जुड़े हुए हैं। भारत एक कृषि प्रधान देश है और नदियाँ हमारे देश के मैदानों को सींचने का प्रमुख आधार हैं। इसीलिए भारतीय सामाजिक, सांस्कृतिक परिवेश में नदियों का बहुत महत्त्व है।
- रिश्तों में हमारी भावना शक्ति का बँठ जाना, विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की शक्ति को कमजोर करती है। पाठ में जीजी के प्रति लेखक की भावना के संदर्भ में इस कथन के औचित्य की समीक्षा कीजिए।
उत्तर प्रस्तुत पाठ में लोक प्रचलित विश्वास और विज्ञान का विरोधाभासी चित्रण हुआ है। विज्ञान किसी बात को तर्क के आधार पर सिद्ध करता है, किंतु विश्वास का अपना सामर्थ्य होता है। ऐसे में कभी-कभी हम विज्ञान के तर्कों से हटकर विश्वास पर ही कायम हो जाते हैं। लेखक वैज्ञानिक आधार को महत्त्व देता है। लेखक आर्यसमाजी विचारधारा के थे ओर वे कुमार सुधार सभा के उपमंत्री भी थे। वे अंधविश्वासों एवं पाखंडों का खंडन किया करते थे, परंतु अपनी जीजी के स्नेह के सामने वे असहाय हो जाते थे। जीजी की ममता की छांह में ज्ञान विज्ञान की सभी बातें दबकर रह जाती थीं। लेखक के सारे तर्क महत्त्वहीन हो जाते थे। जीजी के सहज प्रेम के रस के सामने विज्ञान का सत्य बौना लगने लगता था। जब भावनाएँ प्रधान हो जाती हैं तो वहाँ ज्ञान का स्थान सिमट जाता है। जीजी के लेखक के साथ भावात्मक रिश्तों के सामने, लेखक के ज्ञान-विज्ञान से संबंधित तर्क-बाण क्षीण हो जाते थे।
पाठ के आस-पास
- कुछ इंदर सेना आज के युवा वर्ग का प्रेरणास्रोत हो सकती है? क्या आपके स्मृति-कोश में ऐसा कोई अनुभव है जब युवाओं ने संगठित होकर समाजोपयोगी रचनात्मक कार्य किया हो, उल्लेख करें।
उत्तर मेरे विचार में इंदर सेना आज के युवा वर्ग का प्रेरणा-स्रोत निश्चित रूप से हो सकती है क्योंकि इन्हीं से हमें प्रेरणा मिलती है कि संगठन में ही शक्ति है।
कोई भी कार्य अकेले करना संभव नहीं है। जब सब एक साथ मिल जाते हैं तब सब उत्साहित रहते हैं। असफलताएँ हतोत्साहित नहीं होने देतीं और सब एक दूसरे का हौंसला बँधाते रहते हैं और अंततः मंजिल मिल ही जाती है। मैं अपना एक अनुभव आपके साथ बाँटना चाहता हूँ। जब गुजरात में भूकंप आया था और वहाँ के निवासियों का जीवन अत्यंत कठिन हो गया था, तब हमारे विद्यालय के विद्यार्थियों ने एक युवा समिति का गठन किया और वहाँ के पीड़ितों के लिए अनाज, वस्त्र, दैनिक उपयोग की वस्तुएँ एकत्रित कर उसे भूकंप पीड़ितों तक पहुँचाया और भारी मात्रा में राहत सामग्री भेजकर संगठन शक्ति का परिचय दिया।
- तकनीकी विकास के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। कृषि-समाज में चैत्र, वैशाख सभी माह बहुत महत्त्वपूर्ण हैं पर आषाढ़ का चढ़ना उनमें उल्लास क्यों भर देता है?
उत्तर यद्यपि भारतवर्ष तकनीकी विकास की दृष्टि से प्रगति पथ पर अग्रसर है परंतु कृषि के लिए अभी भी किसान वर्षा पर आश्रित है। आषाढ़ का महीना केवल कृषक वर्ग के लिए ही प्रसन्नता नहीं लाता अपितु वर्षा के आगमन से सामान्य जनजीवन भी सुखद हो जाता है। वर्षा के जल से सिंचित होकर धरती की प्यास बुझती है और गर्मी से राहत मिलती है।
- पाठ के संदर्भ में इसी पुस्तक में दी गई निराला की कविता बादल-राग पर विचार कीजिए और बताइए कि आपके जीवन में बादलों की क्या भूमिका है?
उत्तर बादल राग कविता में कृषकों, मजदूरों व समाज के उपेक्षित वर्ग के लिए बादलों का महत्त्व बताया गया है। बादलों को विप्लव का जनक माना गया है। जो शोषित वर्ग पर शोषक वर्ग के आतंक को समाप्त कर उन्हें पुनर्जीवन प्रदान करते हैं। मनुष्य के जीवन में भी बादल अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। बादलों के जल से पृथ्वीवासियों के सूखे अधरों पर मुस्कान छा जाती है। पशु-पक्षी प्रसन्न हो जाते हैं और पृथ्वी को नवजीवन मिल जाता है तथा हमारे शुष्क जीवन में पुनः आनंद की वर्षा हो जाती है।
- त्याग तो वह होता... उसी का फल मिलता है। अपने जीवन के किसी प्रसंग से इस सूक्ति की सार्थकता समझाइए।
उत्तर जीजी का यह कथन पूर्णतया सत्य है क्योंकि जब माता-पिता अपने बच्चों के सुखद भविष्य के लिए अपनी सुख-सुविधाओं, इच्छाओं पर नियंत्रण कर लेते हैं तब उनकी संतानों का भविष्य उज्ज्वल होता है। अपनी इच्छाओं पर संयम मानो वह बीज है जो उनके बच्चों के भविष्य रूपी वृक्ष को फलने-फूलने में सहायता करता है।
- 'पानी का संकट' वर्तमान स्थिति में भी बहुत गहराया हुआ है। इसी तरह के पर्यावरण से संबद्ध अन्य संकटों के बारे में लिखिए।
उत्तर पानी का संकट आज सबसे बड़ी विकट समस्या के रूप में हमारे सामने खड़ा है। हम निरंतर पानी का दोहन कर मानवता के अस्तित्व के लिए खतरा उत्पन्न कर रहे हैं। इसी तरह के अन्य संकट भी हैं जिनके प्रति हमें सावधान होने की आवश्यकता है। पर्यावरण प्रदूषण आज सबसे बड़ा संकट है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और मानसिक प्रदूषण भी मनुष्यों के साथ-साथ संपूर्ण प्राणी जगत को प्रभावित कर रहा है।
- आपकी दादी-नानी किस तरह के विश्वासों की बात करती हैं? ऐसी स्थिति में उनके प्रति आपका रवैया क्या होता है? लिखिए।
उत्तर हमारे घर में दादी-नानी अनेक विश्वासों की बात करती हैं जो कुछ तो हमारे लिए लाभदायक हैं व कुछ अंधविश्वासों को जन्म देती हैं। जैसे-छींक आने पर बाहर न जाना, सीधी आँख फड़कना, कुत्तों का रोना अपशकुन, मंगल व शनिवार को तेल न लगाना, गुरुवार को सिर व कपड़े न धोना। मेरे मन में कभी-कभी इन बातों का विरोध करने का भाव जाग्रत होता है परंतु उनकी भावनाएँ आहत न हों एवं उनके सम्मान को ठेस न पहुँचे, इसलिए मैं बहुत-सी बातें चुप-चाप मानकर उनका पालन करता हूँ।