Chapter – 13 पद्माकर

अभ्यास

अभ्यास:1

1. पहले पद में कवि ने किस ऋतु का वर्णन किया है?

उत्तर: कवि पद्माकर ने पहले  पद में बसंत ऋतु का वर्णन किया है,जो इस प्रकार हैं – 

1. कूलन में, केलिन में, कछारन में, कुंजन में, क्यारिन में, कलिन- कलिन किलकंत्त में।

2. कहै पद्माकर परागहू में, पौन हूं मैं, पातन में पिकन, पलासन पगंत हैं।

3. दवार में, दिसान में, दूनी में, देस देसन में, देखो दीप दीपन में, दीपत दिगंत में।

4. विथिन में, ब्रज में, नवेलिन में, बेलिन में, बनन में, बागन में, बग्रयो बसंत में।

अभ्यास:2

2. इस ऋतु में प्रकृति में क्या परिवर्तन होते हैं?

उत्तर: बसंत ऋतु में प्रकृति में होने वाले परिवर्तन निम्नलिखित हैं – 

1. बसंत ऋतु में न गर्मी होती हैं, न ठंडी होती है और ना ही बारिश।इस ऋतु में आसमान साफ रहता है।

2. बसंत ऋतु में विभिन्न प्रकार के फूल खिलते हैं।

3. बसंत ऋतु में पल्लव के पेड़ो पर नए पल्लव आते हैं।बसंत ऋतु में आम के पेड़ों और अन्य सभी  पेड़ों प्र नए पत्ते आते हैं।कोयल की मधुर आवाज वातावरण को खुशनुमा बना देती है।

4. बसंत ऋतु में पीली सरसों के फूल खिल है जो क्षेत्र को सुंदर बनता हैं।कवि को ऐसा देख कर वहा सुखद महसूस होता है।

अभ्यास:3

3. ‘औरे ‘ की बार आवृत्ति से अर्थ में क्या विशिष्टता उत्पन्न हुई हैं?

उत्तर: कवि ने ‘ औरे’  बार बार प्रयोग किया है जिससे पद का सौंदर्य बढ़ जाता है।इसके प्रयोग से बसंत ऋतु का सौंदर्य काफी प्रभावी रूप से प्रस्तुत करता है। इस शब्द के प्रयोग से मनुष्य के मन में बसंत ऋतु को लेकर होने वाले परिवर्तन को प्रभावी तरीके से बताया जा सकेगा। इस शब्द के माध्यम से यह बताया जाता हैं कि धरती की सुंदरता बसंत ऋतु में और ज्यादा बढ़  जाती है।

अभ्यास:4

4. ‘पद्माकर के काव्य में अनुप्रास की अनूठी योजना बन पड़ी हैं ‘ उक्त कथन को प्रथम पद के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: मैं इस कथन से पूर्णतया सहमत हूँ कि कवि ने पद्माकर काव्य में अलंकारों के उपयोग में सफलता हासिल कर ली है। कवि वाक्यों में अलंकारों का ऐसा अनूठा गठजोड़ किया हैं कि उनका यह प्रयोग अनूठा हो गया है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं – 

जैसे – भीर भौर, छलिया छबीले छैल, और छबि छवै गए,

गोकुल के कुल के गली के गोप गाउन में,

कछु – को – कछु भाखत भनै चलित चतुर, चुराई चित चोरा चोरी, मजूल मलारन,छवि छवनो आदि।

यह सभी उदाहरण अनुप्रास अलंकार पद्माकर की अनूठी योजना पर मुहर लगाते हैं।इनका इतने बेहतर तरीके से प्रयोग करके कवि ने इसे और भी अनूठा बना दिया है।

अभ्यास:5

5. होली के अवसर पर गोकुल गाँव किस प्रकार होली के रंगों में डूब जाता है। पद के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: पद्माकर ने अपने पद में गोकुल में खेली जाने वाली होली का बहुत ही अद्भुत और अनूठा वर्णन किया है। गोकुल के गाँव में होली का त्योहार बड़े ही मनोहर ढंग से खेला जा रहा है। गोपियाँ गली में अपनी सखियों के साथ होली खेल रही हैं। सभी एक दूसरे को रंग लगा रहे हैं|गांव के सभी लोगो में होली का उल्लास हैं।एक गोपी श्री कृष्ण के श्याम रंग में लिपटी हुई हैं।वह इसमें ही डूबे रहना चाहती हैं उससे बाहर नहीं निकलना चाहती हैं।कोई भी व्यक्ति किसी का लिहाज नहीं कर रहा है इस बारे में कहना कठिन हैं।

अभ्यास:6

6. कृष्ण रंग में डूबी गोपी क्यों श्यम रंग में डूबकर भी उसे निचोड़ना नहीं चाहती?

उत्तर: गोपियां कृष्ण रंग में डूबी हुई हैं वह इस रंग को उतारना नहीं चाहती क्योंकि उन्हें यह रंग अत्यन्त प्रिय है। यह रंग कृष्ण रंग हैं। वह इस रंग को अपने शरीर पर लगाए रखना चाहती हैं क्योंकि इससे उन्हें एहसास होता है कि कृष्ण उनके पास ही है इसलिए गोपी उस रंग को नहीं निचोडना चाहती।

अभ्यास:7

7. पद्माकर ने किस तरह भाषा – शिल्प से भाव – सौंदर्य को बढ़ाया है।उदाहरण सहित बताइए।

उत्तर: इस काव्य को पढ़ने के बाद हमे इस बात का पूर्ण ज्ञान हो गया था कि पद्माकर में कितनी सारी विशेषताएँ हैं। पद्माकर ने सुव्यवस्थित और सरल भाषा का प्रयोग करके भाषा के प्रवाह बनाए रखा है। उन्होंने ऐसी भाषा का प्रयोग किया हैं कि पाठक उन्हें आसानी से समझ सकता हैं। उन्होंने ब्रज भाषा का मधुर और सूक्ष्म रूप प्रस्तुत किया है। इससे पता चलता हैं की उनकी भाषा पर अच्छी पकड़ है। कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं – 

 औरे भांति कुंजन में गुंजरत भीर भौंर 

1. छलिया छबिले छैल और छबि छवै गए।

2. गोकुल के कुल के गली के गोप गाउन के

‘ छ ‘ , ‘ ग ‘ तथा ‘ क ‘ अक्षरों के प्रभावी रचना से पंक्तियों को प्रभावी बना दिया है। कवि की रचना में चित्रत्मकता का समावेश सहज रूप से किया गया है। ऐसा लगता है कि अलंकारों में जीवन आ गया है, इससे मन की भावनाओ को रचना के रूप में प्रकट हो गई है और इसमें जीवन आ गया है।

अभ्यास:8

8. तीसरे पद में कवि ने सावन ऋतु की किन विशेषताओं कि और ध्यान आकर्षित किया है? 

उत्तर: सावन ऋतु की विशेषताएं निम्नलिखित हैं – 

1. यह प्रेम कि ऋतु हैं।

2. झूले – झूलने का यह सर्वोत्तम मौसम हैं।

3. मोर की ध्वनि हिंडोलों की छवि सी लगती हैं।

4. इस ऋतु के प्रभाव से हमारा प्रिए हमें प्रं से भी अधिक प्रिए लगता है।

5. बगीचों में भवरों का स्वर फैल गया है। उनका गुंजार मल्हार राव की तरह प्रतीत होता है।

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