Chapter 3 अपवाह तंत्र

Intext Questions and Answers 

प्रश्न 1.
क्या आपके शहर या गाँव के पास कोई नदी है? क्या आप वहाँ कभी नौकायन करने अथवा नहाने के लिए गए हैं? क्या नदी बारहमासी है या अल्पकालिक?
उत्तर:
हाँ! हमारे गाँव के पास नदी है। हम वहाँ नहाने व नौकायन करने नहीं गए हैं। वह अल्पकालिक नदी है। 

प्रश्न 2. 
क्या आप जानते हैं? नदी सदैव एक ही दिशा में क्यों बहती है? 
उत्तर:
धरातलीय ढाल के कारण नदी सदैव ऊँचे क्षेत्र से नीचे क्षेत्र की ओर एक ही दिशा में बहती है।

प्रश्न 3.
क्या आप जल के एक दिशा से दूसरी दिशा में बहने का कारण बता सकते हैं?
उत्तर:
धरातलीय ढाल के कारण।

प्रश्न 4. 
उत्तर में हिमालय व दक्षिण में पश्चिमी घाट से निकलने वाली नदियाँ पूर्व की ओर क्यों बहती हैं व बंगाल की खाड़ी में अपना जल विसर्जित क्यों करती हैं?
उत्तर:
क्योंकि इन दोनों का ढाल पूर्व में बंगाल की खाड़ी की ओर है। 

प्रश्न 5. 
पश्चिमी तटीय क्षेत्र में कोंकण से मालाबार तट तक बहने वाली नदियों के नाम बताएँ।
उत्तर:
शरावती, पेरियार, कृष्णा, तुंगभद्रा, कावेरी, कोलार, तादरी, प्यासवानी, कुप्पम आदि। 

प्रश्न 6. 
कोसी नदी उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र से इतनी भारी मात्रा में अवसाद क्यों लाती है?
उत्तर:
क्योंकि कोसी नदी हिमालय पर्वतीय क्षेत्र से निकलती है। पर्वतीय क्षेत्र से अधिक ढाल के कारण अपरदन से अधिक मलबा प्राप्त होता है जिसके कारण अवसाद की मात्रा अधिक होती है।

प्रश्न 7. 
क्या आप सोचते हैं कि सामान्यत: नदियों में और विशेषतौर पर कोसी नदी में जल का बहाव व मात्रा एक समान रहती है या घटती-बढ़ती रहती है?
उत्तर:
नहीं, कोसी नदी में जल बहाव व मात्रा समान नहीं रहती। यह घटती-बढ़ती रहती है। 

प्रश्न 8. 
नदी में कब जल की मात्रा अत्यधिक होती है? 
उत्तर:
वर्षा ऋतु के दौरान। 

प्रश्न 9. 
बाढ़ के सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव क्या हैं? 
उत्तर:
सकारात्मक प्रभाव-बाढ़ मैदान का निर्माण, जलोढ़ की उत्पत्ति, प्राकृतिक तटबंध निर्माण। नकारात्मक प्रभाव-जन-धन की हानि, वनोन्मूलन, फसलों का विनाश आदि।। 

प्रश्न 10. 
उन राज्यों के नाम लिखिए जो यमुना नदी द्वारा अपवाहित हैं।
उत्तर:
यमुना नदी द्वारा अपवाहित राज्य उत्तराखंड, दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश हैं।

प्रश्न 11. 
अरब सागर की ओर बहने वाली नदियों का जलमार्ग छोटा है। इनका मार्ग छोटा क्यों है? 
उत्तर:
पठारी भाग होने के कारण व नदियों के भ्रंश घाटी से बहने के कारण। 

प्रश्न 12. 
गुजरात की छोटी नदियों को ढूँढ़ें। 
उत्तर:
भादर, माही, मेहस्वा, हाथमती, सरस्वती, बनास, नवसारी, वलसाड, तापी आदि।

प्रश्न 13. 
पश्चिम की ओर बहने वाली छोटी नदियों के उद्गम स्थल बताइये तथा महाराष्ट्र के पश्चिम की ओर बहने वाली कुछ नदियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पश्चिम की ओर अरब सागर की तरफ प्रवाहित होने वाली नदियों का जलमार्ग छोटा है। भद्रा नदी राजकोट जिले के अनियाली गाँव के पास से निकलती है। ढाढर नदी पंचमहल जिले के घंटार गाँव से निकलती है। साबरमती नदी उदयपुर जिले के दक्षिणी-पश्चिमी भाग से निकलती है और माही नदी मध्य प्रदेश में विन्ध्याचल पर्वत श्रेणियों से निकलती है। महाराष्ट्र के पश्चिम की ओर बहने वाली नदी वैतरणा तथा इरावती हैं।

प्रश्न 14. 
उस नदी का नाम ज्ञात करें जिस पर गरसोप्पा (जोग) प्रपात है। 
उत्तर:
महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीमा पर शरावती नदी पर जोग जल प्रपात है।

प्रश्न 15. 
भरतपूझा नदी के जलग्रहण क्षेत्र की तुलना कर्नाटक की शरावती नदी के जलग्रहण क्षेत्र से कीजिए।
उत्तर:
शरावती नदी का जलप्रवाह क्षेत्र 2985 वर्ग किमी. में फैला है जबकि भरतपूझा का जलग्रहण क्षेत्र 6186 वर्ग किमी. है जो शरावती की तुलना में बढ़ा है।

प्रश्न 16. 
प्रायद्वीपीय भारत की कुछ नदियों के नाम बताओ क्या छोटी नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं?
उत्तर:
गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, पेरियार, वैगई। छोटी नदियाँ बंगाल की खाड़ी में न गिरकर बड़ी नदियों में गिर जाती हैं।

प्रश्न 17. 
क्या आप जानते हैं कि नदी में बहने वाले जल की मात्रा सारे साल एक समान नहीं रहती? इसमें ऋतुओं के अनुसार बदलाव आता रहता है?
उत्तर:
हाँ। 

प्रश्न 18. 
किस ऋतु में आप गंगा व कावेरी नदियों में सर्वाधिक प्रवाह की अपेक्षा कर सकते हैं? 
उत्तर:
वर्षा ऋतु में। 

प्रश्न 19. 
जब देश के एक भाग में बाढ़ होती है तो दूसरा सूखाग्रस्त होता है ऐसा क्यों होता है? 
उत्तर:
क्योंकि दोनों क्षेत्रों में वर्षा की स्थिति जलप्रवाह की मात्रा व ढाल की स्थिति अलग-अलग होती है। 

प्रश्न 20. 
क्या यह जल उपलब्धता की समस्या है या इसके प्रबंधन की। 
उत्तर:
जल उपलब्धता के साथ-साथ मुख्यतः प्रबंधन की।

प्रश्न 21. 
क्या आप देश में एक साथ आने वाली बाढ़ और सूखे की समस्या को कम करने के उपाय सुझा सकते हैं?
उत्तर:
बाढ़-देश के विभिन्न राज्यों में बार-बार आने वाली बाढ़ के कारण धन-जन की भारी क्षति होती है। राष्ट्रीय बाढ़ आयोग ने देश में 4 करोड़ हेक्टेयर भूमि को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित किया है। असम, पश्चिमी बंगाल और बिहार राज्य सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में से हैं। इसके अतिरिक्त उत्तर भारत की अधिकांश नदियाँ, पंजाब और उत्तर प्रदेश में बाढ़ लाती हैं। राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और पंजाब, आकस्मिक बाढ़ से पिछले कुछ दशकों में जलमग्न होते रहे हैं। इसका कारण मानसून वर्षा की तीव्रता तथा मानव क्रियाकलापों द्वारा प्राकृतिक अपवाह तन्त्र का अवरुद्ध होना है। कई बार तमिलनाडु में बाढ़ नवम्बर से जनवरी महीनों के बीच वापस लौटती मानसून द्वारा आती है।
बाढ़ से निपटने के उपाय-

  1. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तटबन्ध बनाना।
  2. नदियों पर बाँध बनाना।
  3. वृक्षारोपण और आमतौर पर बाढ़ लाने वाली नदियों के ऊपरी जल ग्रहण क्षेत्र में निर्माण कार्य पर प्रतिबन्ध लगाना।
  4. नदी वाहिकाओं पर बसे लोगों को अन्यत्र बसाना और बाढ़ के मैदानों में जनसंख्या के जमाव पर नियन्त्रण रखना। 

सूखा-
देश के किसी-न-किसी भाग में सूखा पड़ना एक सामान्य-सी बात है। सिंचाई आयोग ने उन क्षेत्रों को अपवाह तन्त्र 399 शुष्क माना है जहाँ वर्षा 10 सेमी. से कम होती है और इसमें भी 75 प्रतिशत वर्षा अनेक वर्षों तक प्राप्त नहीं होती है। इन क्षेत्रों के कृषि क्षेत्र के 30 प्रतिशत से भी कम भाग पर सिंचाई की सुविधाएँ पाई जाती हैं। सिंचाई आयोग के अनुसार, “यदि 75 सेमी. वर्षा प्राप्त करने वाले जिलों को सूखाग्रस्त क्षेत्र माना जाये तो ऐसे 77 जिले हैं जिनके अन्तर्गत बोयी गयी भूमि का 34 प्रतिशत भाग आता है। इन जिलों को छोड़कर जहाँ सिंचाई की सुविधाओं का विकास किया गया है, 50 जिले ऐसे हैं, जिनमें सूखा की आशंका सदैव बनी रहती है। इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में जहाँ 75 से 85 सेमी. तक वर्षा होती है। वे पूर्णतः सूखाग्रस्त क्षेत्र माने जा सकते हैं। केवल असम, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, पश्चिमी तट एवं मध्य भारत के कुछ भाग सूखाग्रस्त नहीं हैं।

सूखा का सामना करने के लिए निम्न उपाय प्रयोग में लाये जा सकते हैं

  1. वर्षा के जल का व्यवस्थित रूप से अधिकतम उपयोग किया जा सकता है-छोटे-छोटे बाँध, हौज, तालाब, एनीकट, कुएँ अथवा मिट्टी के अवरोधक बाँध बनाकर इनसे पक्की तली वाली नहरें निकालकर सिंचाई की जावे।
  2. मिट्टी के संरक्षण के लिए ऊँचाई के सहारे मेड़बन्दी करना, सीढ़ीनुमा खेत बनाना तथा खेतों के किनारों पर वृक्षारोपण करना।
  3. सिंचाई की नहरों को पक्का बनाना जिससे भूमि में कम जल रिस पाये।
  4. जिन क्षेत्रों में नमकीन मिट्टी पाई जाती है वहाँ ड्रिप सिंचाई (Drip irrigation) की प्रणाली अपनाकर पुनरुद्धार की गई मिट्टी में फसलें उत्पन्न की जा सकती हैं।
  5. सूखे की स्थिति में तात्कालिक सहायता में सुरक्षित पेयजल वितरण, दवाइयाँ, पशुओं के लिए चारे और जल की उपलब्धता तथा लोगों और पशुओं को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाना शामिल है।

उपर्युक्त आधार पर देश में आने वाली बाढ़ और सूखे की समस्या से कुछ सीमा तक छुटकारा पाया जा सकता है।

प्रश्न 22. 
क्या एक द्रोणी की जल आधिक्य को जल की कमी वाली द्रोणियों में स्थानांतरित करके इस समस्या को समाप्त अथवा कम किया जा सकता है? क्या हमारे देश में नदियों की द्रोणियों को जोड़ने संबंधी कोई योजना बनाई गई है?
उत्तर:
हाँ, ऐसा करके समस्या को समाप्त या कम किया जा सकता है तथा भारत में द्रोणी जोड़ने की योजना प्रस्तावित है।

प्रश्न 23. 
क्या आपने समाचार पत्रों में नदियों को आपस में जोड़ने के बारे में पढ़ा है? 
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 24. 
क्या आप समझते हैं कि मात्र नहर बनाकर गंगा नदी का पानी प्रायद्वीपीय नदियों में स्थानांतरित किया जा सकता है?
उत्तर:
हाँ, पूर्णरूपेण तो नहीं लेकिन कुछ हद तक। 

प्रश्न 25. 
नदी जोड़ने की मुख्य समस्या क्या है? 
उत्तर:
धरातलीय विषमता व जनसंख्या बसाव तथा पूँजी की पर्याप्त अनुपलब्धता। 

प्रश्न 26. 
मैदानी क्षेत्रों से पठारी क्षेत्र में जल कैसे उठाया जा सकता है? 
उत्तर:
जलोत्थान नहरों द्वारा।

प्रश्न 27. 
क्या उत्तर भारत की नदियों में पर्याप्त जलाधिक्य है जिसे स्थायी तौर पर स्थानान्तरित किया जा सकता है?
उत्तर:
उत्तर भारत में महान हिमालय स्थित है। हिमालयी नदियाँ वर्ष-पर्यन्त बहती रहती हैं जिसके कारण उत्तर भारत की नदियों में पर्याप्त जलाधिक्य पाया जाता है। एक द्रोणी की जल-आधिक्यता को जल की कमी वाली द्रोणियों में स्थानान्तरित करके इस समस्या को कम किया जा सकता है। भारत में नदियों की द्रोणियों को जोड़ने सम्बन्धी अनेक योजनाएँ बनायी गयी हैं; जैसे-पेरियार दिक्परिवर्तन (Diversion) योजना, इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना, कर्नूल-कुडप्पा नहर, व्यास-सतलज लिंक नहर, गंगा-कावेरी लिंक नहर आदि।

प्रश्न 28. 
नदियाँ प्रदूषित क्यों हैं? 
उत्तर:
शहरी कचरे के निस्तारण, सीवरेज मल, औद्योगिक अपशिष्ट के कारण।

प्रश्न 29. 
क्या आपने शहरों के गंदे पानी को नदियों में गिरते देखा है? औद्योगिक कूड़ा-करकट कहाँ डाला जाता है?
उत्तर:
हाँ, औद्योगिक कचरा मुख्यतः नदियों में डाला जाता है।

प्रश्न 30. 
नदियों को प्रदूषण मुक्त कैसे किया जा सकता है? 
उत्तर:
नदियों में गिरने वाले कचरे, अपशिष्ट मल जल, औद्योगिक कचरे का उचित निस्तारण व प्रबंधन करके।

प्रश्न 31. 
क्या आपने गंगा एक्शन प्लान व दिल्ली में यमुना सफाई अभियान के विषय में पढ़ा है? उत्तर-हाँ।

Textbook Questions and Answers  

1. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
नीचे दिये गये चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
(i) निम्नलिखित में से कौन-सी नदी ‘बंगाल का शोक’ के नाम से जानी जाती थी ? 
(क) गंडक 
(ख) कोसी
(ग) सोन 
(घ) दामोदर। 
उत्तर:
(घ) दामोदर। 

(ii) निम्नलिखित में से किस नदी की द्रोणी भारत में सबसे बड़ी है ? 
(क) सिन्धु 
(ख) ब्रह्मपुत्र 
(ग) गंगा
(घ) कृष्णा। 
उत्तर:
(ग) गंगा

(iii) निम्नलिखित में से कौन-सी नदी पंचनद में शामिल नहीं है ? 
(क) रावी 
(ख) सिन्धु
(ग) चेनाब 
(घ) झेलम। 
उत्तर:
(ख) सिन्धु

(iv) निम्नलिखित में से कौन-सी नदी भ्रंश घाटी में बहती है ? 
(क) सोन 
(ख) यमुना 
(ग) नर्मदा
(घ) लूनी। 
उत्तर:
(ग) नर्मदा

(v) निम्नलिखित में से कौन-सा स्थान अलकनन्दा व भागीरथी का संगम स्थल है ?
(क) विष्णु प्रयाग 
(ख) रुद्र प्रयाग 
(ग) कर्ण प्रयाग 
(घ) देव प्रयाग। 
उत्तर:
(घ) देव प्रयाग। 

प्रश्न 2.
निम्न में अन्तर स्पष्ट करें

(i) नदी द्रोणी और जल-संभर में अंतर
(ii) वृक्षाकार और जालीनुमा अपवाह प्रारूप
(iii) अपकेन्द्रीय और अभिकेन्द्रीय अपवाह प्रारूप 
(iv) डेल्टा और ज्वारनदमुख।
उत्तर:
(i) नदी द्रोणी तथा जल-संभर में अन्तर-बड़ी नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों को नदी द्रोणी कहा जाता है, जबकि छोटी नदियों व नालों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को जल-संभर कहा जाता है। वास्तव में नदी द्रोणी के जलग्रहण क्षेत्र का आकार बड़ा होता है, जबकि जल संभर के जलग्रहण क्षेत्र का आकार छोटा होता है।

(ii) वृक्षाकार और जालीनुमा अपवाह प्रारूप-वृक्षाकार अपवाह प्रारूप एक वृक्ष की शाखाओं के अनुरूप होता है, जबकि जालीनुमा अपवाह प्रारूप में मुख्य नदियाँ एक-दूसरे के समानान्तर बहती हैं तथा सहायक नदियाँ उनसे समकोण पर मिलती हैं।

(iii) अपकेन्द्रीय और अभिकेन्द्रीय अपवाह प्रारूप-जब किसी उच्च भू-भाग से उद्गमित नदियाँ उच्च भू-भाग के चारों ओर प्रवाहित मिलती हैं तो उसे अपकेन्द्रीय या अरीय अपवाह प्रतिरूप कहा जाता है, जबकि अभिकेन्द्रीय अपवाह प्रतिरूप में सभी दिशाओं से बहकर आने वाली नदियाँ किसी झील या गर्त में अपना जल विसर्जित करती हैं।

(iv) डेल्टा और ज्वारनदमुख में अन्तर- नदी की वृद्धावस्था में नदी अपने साथ लाये अवसादों को ढोने में असमर्थ रहती है तथा वह विभिन्न शाखाओं में विभक्त होकर इन अवसादों का निक्षेप करने लगती है। सागरीय मुहाने पर नदी द्वारा मिट्टी तथा बालू के महीन अवसादों को जब त्रिभुजाकार में जमा कर दिया जाता है तो ऐसी स्थलाकृति डेल्टा कहलाती है।
दूसरी ओर ज्वारनदमुख में नदियाँ अपने साथ लाये अवसादों को सागरीय मुहाने पर जमा नहीं कर पाती वरन् सागर में अन्दर तक ले जाती हैं। नदी का इस प्रकार का मुहाना ज्वारनदमुख कहलाता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें

(i) भारत में नदियों को आपस में जोड़ने के सामाजिक-आर्थिक लाभ क्या हैं ? 
उत्तर:
भारत में नदियों को आपस में जोड़ने से देश के विभिन्न भागों में आने वाली बाढ़ों तथा भीषण सूखे के प्रभावों को काफी सीमा तक कम किया जा सकता है। इससे देश में जल का समुचित प्रबन्धन तो होगा ही साथ ही कृषि उत्पादन में वृद्धि होने से सामाजिक-आर्थिक समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। इसके अलावा आन्तरिक जल परिवहन का भी विकास होगा।
(ii) प्रायद्वीपीय नदी के तीन लक्षण लिखें।
उत्तर:
(i) प्रायद्वीपीय नदियों के उद्गम स्रोत कम ऊँचाई के हिमरहित पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण इनमें वर्षाकाल में ही पर्याप्त जल रहता है, जबकि शेष अवधि में जल की मात्रा बहुत कम रह जाती है।
(ii) ये नदियाँ एक सुनिश्चित मार्ग पर चलती हैं तथा विसर्प नहीं बनाती हैं। 
(iii) इन नदियों की घाटियाँ चौड़ी तथा उथली होती हैं। 

प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों से अधिक में न दें। 

(i) उत्तर भारतीय नदियों की महत्वपूर्ण विशेषताएँ क्या हैं ? ये प्रायद्वीपीय नदियों से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर:
उत्तर भारतीय नदियों के उद्गम स्रोत हिमानियों से होने के कारण ये सतत् वाहिनी होती हैं। ये नदियाँ नाव्य तथा सिंचाई के लिए उपयोगी हैं। भू-वैज्ञानिक दशाओं और भू-भाग के भुरभुरे होने के कारण ये नदियाँ मैदानी भागों में मोड़ बनाकर बहती हैं तथा प्रायः अपने प्रवाह मार्गों को बदलती रहती हैं, पर्वतीय भागों में ये नदियाँ V आकृति की गहरी घाटियाँ तथा ऊँचे जलप्रपात निर्मित करती हैं, जबकि अपने मुहानों पर विशाल डेल्टाई भागों का निर्माण करती हैं। दूसरी ओर प्रायद्वीपीय नदियाँ उत्तर भारतीय नदियों के विपरीत केवल वर्षाजन्य जल पर निर्भर रहने के कारण मौसमी होती हैं। शुष्क काल में इनकी घाटियों में बहुत कम जल रह जाता है या कुछ नदियाँ जलविहीन हो जाती हैं। उत्तर भारत की नदियों की तुलना में प्रायद्वीपीय नदियों की द्रोणियाँ छोटी होती हैं, साथ ही ये नदियाँ चट्टानी भागों से प्रवाहित होने के कारण उथली घाटियों में भी प्रवाहित होती हैं। इनके प्रवाह मार्ग सीधे होते हैं तथा इनमें विसरों की संख्या कम मिलती है। प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ छोटे जल प्रपात, डेल्टा तथा ज्वारनदमुख निर्मित कर प्रवाहित होती हैं।

(ii) मान लीजिए आप हिमालय गिरिपद के साथ-साथ हरिद्वार से सिलीगुड़ी तक यात्रा कर रहे हैं। इस मार्ग में आने वाली मुख्य नदियों के नाम बताएँ। इनमें से किसी एक नदी की विशेषताओं का भी वर्णन करें।
उत्तर:
हरिद्वार उत्तराखण्ड राज्य में गंगा नदी के किनारे स्थित प्रमुख धार्मिक नगर है, जबकि सिलीगुड़ी पश्चिमी बंगाल के उत्तरी भाग में स्थित एक प्रमुख नगर है। हिमालय गिरिपाद के साथ-साथ हरिद्वार से सिलीगुड़ी तक की यात्रा करने पर हमें गंगा नदी के अलावा गंगा की सहायक नदियाँ-रामगंगा, शारदा, घाघरा, गंडक तथा कोसी को पार करना होगा। इसके अलावा दार्जिलिंग पहाड़ियों से निकलने वाली गंगा की एक सहायक नदी महानंदा सिलीगुड़ी नगर के निकट प्रवाहित मिलेगी।

गंगा नदी की विशेषताएँ-
गंगा भारत की सर्वप्रमुख नदी है जो उत्तराखण्ड राज्य के गंगोत्री हिमनद से उद्गमित होती है। इस नदी की प्रमुख विशेषताएँ निम्नवत् हैं
(i) गंगा नदी मध्य हिमालय तथा लघु हिमालय क्षेत्र में सँकरे महाखड्ड (गार्ज) निर्मित कर प्रवाहित होती है।
(ii) हरिद्वार के निकट गंगा के मैदानी भागों में प्रवेश करने के बाद यह नदी क्रमशः दक्षिण, दक्षिण-पूर्व तथा पूर्व की ओर प्रवाहित होती है तथा पश्चिम बंगाल में पद्मा तथा हुगली नामक दो वितरिकाओं में बँट जाती है। हुगली पश्चिम बंगाल में सुन्दर वन डेल्टा का निर्माण करती हुई बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है।
(iii) गंगा नदी तन्त्र में, उत्तर में हिमालय पर्वत तथा दक्षिण में प्रायद्वीपीय पठार से अनेक सहायक नदियाँ आकर मिलती हैं।

परियोजना/क्रियाकलाप 

प्रश्न 1. 
देश में किस नदी के जलग्रहण क्षेत्र का अनुपात सबसे ज्यादा है ?
उत्तर:
देश में गंगा नदी का जलग्रहण क्षेत्र सर्वाधिक है। इस नदी की लम्बाई 2,525 किलोमीटर है और इसका जलग्रहण क्षेत्र 8.6 लाख वर्ग किमी. है।

प्रश्न 2. 
नदियों के मार्गों की लम्बाई को प्रदर्शित करने के लिए ग्राफ पेपर पर एक तुलनात्मक दण्ड आरेख बनाइए।
उत्तर:


 

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